घटिया रेत सरिया, से गुणवत्ताविहीन चल रहा कार्य, स्टेशन के नव निर्मित बाऊण्डी बाल व नाली निर्माण 


उमरिया

कभी रेलवे के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता मानक की मिसाल पेश की जाती रही है, बदलते परिवेश ने  रेलवे के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता को लील लिया, और रेलवे के निर्माण कार्य भी अत्यंत घटिया पूर्व और कमाई के जरिया बनकर उभरें है। निर्माण कार्यो में गुणवत्ता मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है, तभी तो नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन में चल रहें बाऊण्डी बाल और नाली निर्माण कार्य में प्रयुक्त होते वाली घटिया सामग्री हर एक के आंखों में चुभ रही है। लोहे की प्रयुक्त सरिया और मिट्टी युक्त रेत ठेकेदार के घटिया काम की पोल खोल कर रख दी है। ठेकेदार के इन कामों को देखकर लगता है कि यह सिर्फ शासकीय धन राशि को डकारने से ज्यादा कुछ कार्य एजेंसी करना नहीं चाहती। बताया जाता है कि बाउंड्री बाल में सरिया का प्रयोग धरातल से न कर दो ढाई फीट ऊपर से लगायी गई है, जबकि किसी भी निर्माण कार्य में ऐसा होता नहीं है। जंग युक्त लोहे की सरिया और मिट्टी युक्त रेत से निर्मित यह बाउंड्री बाल और नाली की उम्र क्या होगी, इसको लेकर आज से ही सवाल उठाये जाने लगे हैं। अगर घटिया निर्माण कार्य में रोक नहीं लगायी जाती है तो यह शासकीय धन राशि की होली खेलने से ज्यादा कुछ साबित नहीं होगा ‌। विदित होवे पिछले दिनों नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन में नव निर्मित ओवर ब्रिज इसी गुणवत्ता हीन बनाने का दंश आम नागरिक उठा रहे हैं।रेलवे जैसे संवेदनशील विभाग में बोर्ड लगाने की प्रथा तो लगभग गायब ही है, जिसको देखकर वास्तविकता का आंकलन लगाया जा सकें। यहाँ से शुरू हुआ अनियमितता का खेल आखिर तक छल कपट गुणवत्ताहीन पूरा कर शासकीय धन राशि को हडप कर ठेकेदार चलते बनते हैं और उसकी त्रासदी लोग वर्षों भुगतते रहते हैं। अपेक्षा है कि रेल प्रबंधन मामले की गंभीरता से लेते हुए गुणवत्ता युक्त कार्य कराने के लिए आवश्यक कदम उठायेगी।

प्रभारी लैम्पस प्रबंधकों के हठधर्मिता, वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की उड़ा रहे धज्जियां, विभाग को लग रहा पलीता


उमरिया

मध्यप्रदेश शासन सहकारिता विभाग इन दिनों विक्रेताओं के वेतन वृद्धि के मामले में चर्चाओं मे छाया हुआ है। मामले के बिषय में बताया जाता है कि विक्रेताओं का शोषण समितियों में बैठे प्रभारी लेम्पस प्रबंधकों की खाओ उडाओ , हडपो की नीति ने हठधर्मिता का रूप लेकर सहकारिता विभाग की छबि को पलीता लगा कर रख दिया है । पिछले  दशक से सहकारी समितियों में चुनाव न होने के कारण समितियों में एक छत्र लैम्पस प्रबंधकों का राज छाया हुआ है, दर असल में समितियों में निर्वाचित संचालक मंडल न होने की स्थिति में स्थानीय स्तर पर लैम्पस प्रबंधकों के काम काज की निगरानी होती नहीं है, इन समितियों के संचालन के लिए लैम्पस प्रबंधकों और एक प्रशासक को समितियों के संचालन की जिम्मेदारी होती है । सहकारिता विभाग में अमले की कमी के कारण सहकारी बैंक में पदस्थ शाखा  प्रबंधकों को इसकी कमान सौंपी गयी है,जिससे शाखा प्रबंधक बैंक सम्हाले की लैम्पस प्रबंधकों की तानाशाही पर रोक लगाये, इससे लैम्पस प्रबंधकों की स्वेच्छाचारी चरम पर बनी हुई है।सर्व विदित है कि  लंबे अरसे से  न्यूनतम  वेतन  के कारण विक्रेताओं  का शोषण हो रहा था, इससे मुक्ति दिलाने के लिए  मध्यप्रदेश की यशस्वी सरकार ने विक्रेताओं के खुशहाली के लिए उनके  वेतन वृद्धि करते हुए हर वर्ष तीन लाख अडतालीस हजार वित्तीय अनुदान, एवं अन्य मदों से आय के स्त्रोत देते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने विभाग को निर्देश जारी किये गए थे, इस आदेश के परिपालन में प्रदेश के आला अधिकारियों ने लगातार  आदेश जारी करते हुए मातहत अधिकारियों को निर्देश जारी कर युक्त - युक्त वेतन दिलाने के आदेश जारी किये गए है। फिर भी विक्रेताओं के वेतन वृद्धि के  आदेश लागू नहीं किये गए हैं, जिसके लिए मूल रूप से लैम्पस प्रबंधकों के ऊपर विभागीय अधिकारियो के ऊपर अधिकारियों का नियंत्रण न होने के कारण सरकार के व्दारा जारी दिशा निर्देशो का  पालन नहीं हो पा रहा है।

सहकारिता विभाग में मची अंधेर गर्दी की इंतिहा तो तब हो गयी जब प्रभारी लैम्पस प्रबंधकों ने वरिष्ठ अधिकारियों के जारी आदेश में लैम्पस प्रबंधकों के लिए जो वेतन वृद्धि की थी, उसे तो लागू कर ली गई, लेकिन विक्रेताओं के वेतन वृद्धि के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को आज भी पसीने छूट रहे हैं। वित्त विभाग के व्दारा जारी निर्रदेशो का अवलोकन करने पर पाया जाता है कि वित्तीय मामलों में आदेश के अंश  भाग को स्वयं के लिए लागू किया जाना आर्थिक कदाचरण, अनियमितता की श्रेणी में आता है, ऐसे मामलों में  दोषी पाये जाने पर जिम्मेदार  अधिकारियों के विरुद्ध भी समान रूप से दोषी माने जायेंगे।।ऐसा माना जाता है कि विक्रेताओं के वेतन वृद्धि नियमानुसार न करने के पीछे समितियों में फल रहा भष्ट्राचार, और लैम्पस प्रबंधकों के मकड़जाल मे फंसे अधिकारी कडाई से अनुशासन का पालन नहीं करा पा रहे।

पीएम सड़क के उडे परखच्चे, पुलिया बही, हो रही परेशानी


उमरिया

जिले के बिरसिंहपुर पाली आदिवासी विकास खंड के घुनघुटी से औढेरा तक बनी प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना में बनी सडकों के परखच्चे उड जाने से आवागमन में भारी असुविधाओं का सामना करना पड रहा है, वही पर मार्ग पर पडने वाली पुलियो के बरसात में बह जाने के बाद आवागमन में बाधक बन गयी है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में घुनघुटी पनवारी के बीच और आमगार से औढेरा के पास पडने वाली पुलिया के बह जाने के कारण नागरिकों को भारी समस्याओं का सामना करना पड रहा है। ध्यान देने योग्य है कि आगामी दिनों में मालाचुआ में धान खरीदी केन्द्र संचालित होने के कारण किसानों को इसी मार्ग से अपनी उर्पाजित फसल को खरीदी केन्द्र तक लेकर जाने के लिए यही  एक मात्र मार्ग है, अगर समय पर इन पुलो का निर्माण कार्य नहीं कराया जाता है तो किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पडेगा। कांचोदर, पनवारी, आमगार के आदिवासी किसानों ने जिला प्रशासन से मांग की है की शीघ्र ही प्रधानमंत्री सड़क मार्ग पर बरसात में बहे दोनों पुलों का शीघ्र पुर्ननिर्माण कराया जाये ताकि लोगों को आवागमन की सुविधा मुहैया हो सकें।

 2 नाबालिग चोर को पुलिस ने किया गिरफ्तार


उमरिया

बिरसिंहपुर पाली पुलिस द्वारा चोरी की वारदात मे शामिल दो आरोपियों को दबोच कर उनके कब्जे से माल बरामद कर लिया है। बताया गया है कि विगत दिवस अज्ञात बदमाश राजू रैदास निवासी वार्ड नंबर 01 के घर से समर्सिबल पंप के ऊपर लगी चैन पुल्ली उडा कर ले गये थे। इस मामले मे पुलिस अधीक्षक विजय भागवानी के निर्देशन मे थाना प्रभारी राजेश चंद्र मिश्रा द्वारा एक विशेष टीम बनाकर जांच शुरू की गई। तकनीकी साक्ष्यों और स्थानीय सूत्रों की मदद से पुलिस ने दो नाबालिग युवकों को हिरासत मे लिया। पूछताछ के दौरान उन्होंने चोरी की वारदात स्वीकार कर ली। आरोपियों की निशानदेही पर चैन पुल्ली बरामद कर ली गई। इस प्रकरण मे आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही की जा रही है।

ग्राम पंचायत की अनदेखी, सड़क की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों ने खुद बना ली सड़क


उमरिया

किसी भी समस्या का समाधान यदि जिम्मेदार न करें तो क्या किया जाए, इसका जवाब छपडौर गांव के लोगों ने अपने जज्बे और एकजुटता से दे दिया है। यहां पिछले काफी समय से खराब सड़क की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों ने स्वयं आगे आकर श्रमदान और चंदा इकट्ठा कर करीब एक किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर सभी को चौंका दिया।

बताया जाता है कि सड़क को लेकर ग्राम पंचायत स्तर पर कई बार सरपंच और जिम्मेदारों से सहायता की मांग की गई, लेकिन सहयोग न मिलने पर गांव के किसानों ने निर्णय लिया कि इंतजार करने से बेहतर है कि अपनी मेहनत से समाधान निकाला जाए। इसी सोच के साथ ग्रामीणों ने मिलकर सड़क निर्माण कार्य शुरू किया और कुछ ही दिनों में मार्ग को सुगम बना दिया। बताया गया है कि इस मार्ग से प्रतिदिन करीब 25-30 ट्रैक्टर, बड़े हार्वेस्टर, दोपहिया वाहन और पैदल यात्री गुजरते थे। गहरे गड्ढों के कारण ग्रामीणों को खेतों तक पहुंचने में काफी दिक्कत होती थी। अब सड़क बन जाने से परिवहन में काफी राहत मिली है और किसानों के चेहरों पर खुशी साफ देखी जा सकती है।

ग्रामीणों का कहना है कि यदि सभी एकजुट हो जाएं तो किसी भी समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है। उन्होंने साबित कर दिया कि आत्मनिर्भरता और सामूहिक प्रयास से वह काम भी संभव हो जाता है, जो प्रशासन के लिए चुनौती बन जाता है।

कॉलेजों में बस परिवहन सुविधा न होने से छात्रों में आक्रोश, NSUI ने सौंपा ज्ञापन

*अब नहीं सहेंगे छात्रों के साथ अन्याय*


उमरिया 

जिले के प्रमुख महाविद्यालयों में बस परिवहन सुविधा बंद होने से छात्र-छात्राओं में भारी आक्रोश व्याप्त है। इसी मुद्दे को लेकर आज भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) जिला उमरिया के नेतृत्व में सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर महोदय को ज्ञापन सौंपा।

छात्रों की मुख्य मांग रही कि आदर्श महाविद्यालय उमरिया एवं प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस (शा. रणविजय प्रताप सिंह महाविद्यालय) में तत्काल बस परिवहन सुविधा पुनः शुरू की जाए। छात्रों का कहना है कि आदर्श महाविद्यालय जिला मुख्यालय से लगभग 6-7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और कॉलेज तक पहुंचने का रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता है, जिससे छात्राओं की सुरक्षा को लेकर हमेशा खतरा बना रहता है। परिवहन सुविधा के अभाव में छात्र-छात्राओं को ऑटो या निजी साधनों का सहारा लेना पड़ता है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। NSUI जिला अध्यक्ष मो. असलम शेर के नेतृत्व में हुए इस ज्ञापन कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी जिला उपाध्यक्ष पुष्पराज सिंह, NSUI जिला उपाध्यक्ष कृष्ण कांत तिवारी, NSUI ब्लॉक अध्यक्ष अम्बर शुक्ला, NSUI आदर्श कॉलेज अध्यक्ष अजय असाटी ओम, शीतला प्रताप सिंह कॉलेज अध्यक्ष अनुराग तिवारी, रणविजय प्रताप सिंह महाविद्यालय अध्यक्ष ओम तिवारी, ब्लॉक उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार रजक, जिला महासचिव शुभम महोबिया, कॉलेज सचिव सचिन चौधरी , कॉलेज सचिव राजा रावत आदि भारी संख्या में पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहीं।

छात्रों ने नारे लगाते हुए कहा "बस सुविधा बहाल करो—शिक्षा का अधिकार निभाओ" "छात्रों की आवाज दबेगी नहीं अब सड़कों पर लड़ेगी"

कहा कि छात्र-छात्राओं को शिक्षा का अधिकार तो दिया गया है, लेकिन कॉलेज तक पहुंचने का साधन नहीं। यह कैसी व्यवस्था है आदर्श महाविद्यालय और प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस जैसे संस्थानों तक पहुंचने के लिए छात्रों को रोज़ाना खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ता है। हमने पहले भी ज्ञापन सौंपा था, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यदि अब तुरंत बस परिवहन सुविधा शुरू नहीं की गई, तो NSUI छात्रहित में धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करेगी।इस स्थिति की पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

प्रदर्शनकारियों ने किया सड़क जाम, पुलिस ने 30-35 लोगो पर किया मामला दर्ज


उमरिया

जिले के इंदवार थानांतर्गत आम रोड चहली रोड मझौली में कल 30 अक्टूबर की दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से 3 बजकर 57 मिनट तक अपनी मांगों को लेकर दर्जनों ग्रामीणों के द्वारा सड़क जाम कर दी गई थी। लगभग एक से डेढ़ घण्टे सड़क पर जाम की स्थिति निर्मित रही, जिसे एसडीएम मानपुर की समझाईस के बाद 15 दिनों का अल्टीमेटम देकर प्रदर्शनकारियों ने धरना स्थगित कर दिया था।

उक्त मामले में शासन की तरफ से निरीक्षक गोविंद सिंह की सूचना पर बीएनएस की धारा 189(2), 126(2) के तहत रोशनी सिंह, रमाकांत पांडे, रमेश चौधरी, रामनरेश राय, मोतीलाल सहित 30 से 35 लोगो पर मामला दर्ज किया गया है।

उक्त मामले में एसडीओपी उमरिया डॉ नागेंद्र सिंह के द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि विगत कुछ दिनों पूर्व ग्रामीणों के द्वारा एक ज्ञापन दिया गया था। ज्ञापन में मांग की गई थी कि बाँघवगढ़ टाईगर रिज़र्व अंतर्गत फारेस्ट में रोड का निर्माण किया जाए। माननीय सुप्रीम कोर्ट और शासन के द्वारा ऐसे निर्देश है कि फारेस्ट के अंदर ऐसी गतिविधि नही की जा सकती है, इसके बावजूद भी बाँघवगढ़ प्रबंधन के द्वारा उच्च अधिकारियों से मार्गदर्शन माँगा गया है। उसी क्रम में कल दिनाँक 30 अक्टूबर को उक्त मांग को लेकर किए जा रहे धरने के दौरान जो रोड इंदवार से मानपुर की ओर आती है, जो कि काफी व्यस्ततम मार्ग है, यहां से यात्री बसों के अलावा क्षेत्रीय लोगो का आवागमन लगा रहता है। उक्त सड़क को धरना प्रदर्शन के दौरान जाम कर दिया गया।

इस कारण इंदवार पुलिस के द्वारा 5 नामजद और 30-35 अन्य के विरुद्ध सड़क जाम करने का मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।



सौतेली बेटी से दुष्कर्म का आरोपी पुलिस अभिरक्षा से फरार 


उमरिया

जिले के इंदवार थाना क्षेत्र में पुलिस की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक अपनी ही सौतेली बेटी से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार आरोपी पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया। इस सनसनीखेज घटना के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारी तुरंत थाने पहुंचे और जिम्मेदार पुलिसकर्मियों से कड़ी पूछताछ की। बताया गया है कि इंदवार थाना क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति पर अपनी सौतेली बेटी को डरा-धमका कर दुष्कर्म करने का गंभीर आरोप है। पीड़िता ने साहस दिखाते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ शुरू की गई थी। इसी दौरान आरोपी ने मौका पाकर पुलिस को चकमा दिया और थाने से फरार हो गया। आरोपी के भागने की जानकारी मिलते ही महकमे में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस टीम ने तत्काल उसकी तलाश शुरू कर दी, लेकिन देर रात तक आरोपी का कोई पता नहीं चल सका। वरिष्ठ अधिकारियों ने फरार आरोपी को जल्द पकड़ने के निर्देश देते हुए, सुरक्षात्मक लापरवाही के दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं। पुलिस अब आरोपी की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है।

इंजीनियरों की हड़ताल, पंचायत मे मनरेगा का काम प्रभावित, ग्रामीणों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ


उमरिया

प्रदेश भर मे चल रहे मनरेगा इंजीनियरों के आंदोलन का असर जिले के विकास कार्यो पर भी पडा है। बीते 70 दिन से जारी हडताल के कारण जहां निर्माण और विकास कार्य पूरी तरह ठप्प हैं वहीं ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। उल्लेखनीय है कि विगत 16 अगस्त से मनरेगा उपयंत्री संघ के आहवान पर इंजीनियरों ने काम करना बंद कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि हड़ताल की वजह से जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों मे विकास कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं। मनरेगा के तहत चल रहे तालाब निर्माण, सड़क मरम्मत, नाली निर्माण और अन्य सार्वजनिक कार्य बंद पड़े हैं। इससे न केवल ग्रामीण विकास कार्यों की रफ्तार थम गई है, बल्कि ग्रामीणों तक सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं पहुंच पा रहा है। वहीं मजदूरों को समय पर भुगतान न मिलने से कई गांवों में पलायन की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

दूसरी ओर इंजीनियरों का कहना है कि वे संविदा नीति 2023 के क्रियान्वयन, नियमितीकरण, वेतन विसंगति दूर करने, अनुकंपा नियुक्ति, पदोन्नति और ग्रेच्युटी जैसे मुद्दों को लेकर लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं। यह नीति 22 जुलाई 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान द्वारा लागू की गई थी, जिसका लाभ अन्य विभागों को मिल चुका है, लेकिन मनरेगा इंजीनियर अब भी इससे वंचित हैं। सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस पहल न करने के कारण अब तक हड़ताल जारी है। इंजीनियरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, वे आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।

नेशनल मैरिट कम मीन्स परीक्षा से बड़ी तुम्मी के विद्यार्थी बंचित, प्राचार्य की लापरवाही की सजा भुगत रहे छात्र


शहडोल

नेशनल मैरिट कम मीन्स स्कालरशिप पात्रता परीक्षा वर्ष 2025-26 का लाभ हाई स्कूल बडी तुमी के विद्यार्थियों को नहीं मिल पायेगा। ज्ञात होवे की इस परीक्षा का आयोजन राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल द्वारा हर वर्ष आयोजित किया जाता है जिसमें कक्षा  8 वी के छात्र पात्र होते हैं और इस पात्रता परीक्षा के आवेदन निशुल्क विद्यालय के संस्था प्रमुख के लागिंग पासवर्ड से भरने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस सत्र में भी राष्ट्रीय मीन्स कम मैरिट छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत चयन परीक्षा सत्र 2025-26 के संदर्भ में राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल के आदेश क्र /161/2025/ आर एस के भोपाल  दिनांक 31-7-25  के माध्यम से विस्तृत आदेश जारी करते हुए कक्षा 8 वी के सभी विद्यार्थियों के आवेदन भरवाने की जिम्मेदारी प्राचार्यो को दी गयी थी, जिसका पालन भी लगभग सभी संस्था प्रमुखों के व्दारा किया गया है, लेकिन हाई स्कूल बडी तुमी में कक्षा आठवीं में अध्ययन रत 19 विद्यार्थियों के आवेदन पत्र नहीं भरवाये जाने के कारण पात्रता परीक्षा में नहीं बैठ पायेगे। 

बताया जाता है कि हाई स्कूल बडी तुमी में पदस्थ प्रभारी प्राचार्य अपने वरिष्ठ अधिकारियों को जेब में रखते हैं और विद्यालय में मनमानी का राज चला रखे है । नियम विरूद्ध संलग्नीकरण में हाई स्कूल बडी तुम्मी पहुंचे प्रभारी प्राचार्य ने इस विद्यालय में साम्राज्य स्थापित कर अब यही के लिए तबादला करा कर  अपनी राज सत्ता कायम कर रखी है, तभी तो जिले के आला अधिकारियों को कुतके में रखने वाले संस्था प्रमुख ने राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल के आदेश की भी धज्जियाँ उड़ा कर उच्च प्रशासन को खुली चुनौती दे दी है। जानकर सूत्रों का मानना है कि इस लापरवाही पर भी जिला प्रशासन उन्हें बचा लेंगा। संस्था प्रमुख के पहुँच और पैसों के बलबूते उनके ऊपर जिला प्रशासन की हुकूमत नहीं चलती है। देखना लाजमी होगा कि राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत विद्यार्थियों को योजना से वंचित करने के इस संवेदनशील और छात्रों के भविष्य से जुड़े मामले में उच्च प्रशासनिक अधिकारी क्या कदम उठाते हैं।

उत्कल एक्सप्रेस के इंजन से टकराई रेल डॉली, रेल प्रबंधन लगा है मामले को रफा दफा करने में  


शहडोल

उत्कल एक्सप्रेस ऋषिकेश से पुरी की ओर जाने वाली  (18477 DN) बिलासपुर जोन के मुदरिया - घुनघुटी रेलवे स्टेशन के मध्य रेल ट्राली से टकरा जाने के कारण लगभग डेढ घंटे तक खडी रही। बताया जाता है कि उत्कल एक्सप्रेस मुदरिया से लगभग 11:55 बजे पास हुई ,और मुदरिया- घुनघुटी के मध्य रेल डॉली से टकरा गई एवं रेल डॉली इंजन के नीचे आकर फंस गई। दुर्घटना इतनी भयानक थी कि  रेल ट्राली इंजन से टकराने के कारण उसका हौंज पाइप टूट गया और रेल गाड़ी ब़ेक डाऊन हो गयी, यद्यपि उत्कल एक्सप्रेस की गति सीमित होने की वजह से बडी दुर्घटना टल गयी, नहीं तो कितने लोग काल कलवित होते, उसका फिलहाल अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। 

फिर भी दुर्घटना छोटी हो या बडी उसे इस नाते नजर अंदाज नहीं किया जा सकता की इसमें कोई हताहत नहीं हुआ । इस मामले में रेल प्रबंधन के इंजीनियरिंग विभाग की घोर  लापरवाही उजागर होने के बाद भी एक सप्ताह की समयावधि बीत गयी, लेकिन इस संवेदनशील मामले में रेलवे का उच्च प्रबंधन की चुप्पी ने अपने लापरवाह और गैर जिम्मेदाराना मातहतों को छूट देकर यह साबित कर दिया है कि आज रेलवे ट्रैक में कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है और उस घटना पर रेल प्रबंधन चुप्पी साध कर अपने कारिन्दे अधिकारियों को बचा ले जायेंगे।

घटना दोपहर 11.55 की है, दुर्घटना के कारण ट्रेन  डेढ घंटे बिलंब से 1.40 पर शहडोल पहुची। पहले इंजीनियरिंग विभाग घटना को छिपाने के लिए अन्य तकनीकी  कारणों को  बता कर मामले को टालना चाहता था, जिसकी जानकारी शाम चार बजे तक अधिकृत रूप से  वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई। अलबत्ता इस हादसे की भनक  जोन मुख्यालय तक देर रात तक पहुँच ही  गयी । 

मामले को गंभीरता से लेते हुए बिलासपुर मुख्यालय से रेलवे के जिम्मेदार 25 अधिकारी- कर्मचारियों एवं ठेकेदार की लेबर को जांच हेतु तलब किया गया था, किन्तु एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी अब तक जांच  किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुची और न ही किसी भी कर्मचारी- अधिकारी को घटना के लिए जिम्मेदार  ठहराया गया। बताया जाता है की इस मामले में सीधे इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही उजागर हुई है, फिर भी इन अधिकारियों को बचाने के लिए हादसे को अमूमन घटना मानकर जांच को  रफा दफा करने के लिए उच्च प्रबंधन पूरी तरह जुटा हुआ है, ताकि अपने चहेते इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ मंडल अभियंता उत्तर आहूजा पर कोई आंच न आये। 

धान पर संकट, फसले हो रही है बर्बाद, बरसात ने तोड़ा पांच साल का रिकॉर्ड, 131 मिमी ज्यादा बारिश

*दैनिक मजदूरी पर निर्भर लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट हो सकता है खड़ा*


उमरिया 

जिले मे बारिश का कहर लगातार जारी है और अब अक्टूबर के पहले सप्ताह में भी राहत की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। बीते 24 घंटों में जिले में 11.7 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिससे इस वर्ष कुल वर्षा का आंकड़ा 1346.7 मिमी तक जा पहुंचा है। यह औसतन सामान्य वर्षा 1215.7 मिमी से 131 मिमी अधिक है। मौसम विभाग के अनुसार, वर्ष 2024-25 की बारिश ने पिछले पांच वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और आने वाले महीनों में यह आंकड़ा और भी ऊपर जा सकता है। अब तक सबसे अधिक वर्षा वर्ष 2019-20 में 1505.5 मिमी दर्ज की गई थी, और यदि यही रुझान बना रहा, तो यह रिकॉर्ड भी टूट सकता है।

इस वर्ष जिले के अधिकांश किसान जून से ही सक्रिय हो गए थे और बारिश की अच्छी शुरुआत से उत्साहित होकर कर्ज लेकर बड़े पैमाने पर खरीफ की फसलें बोईं। उरद, सोयाबीन, तिल को किसान उम्मीद से लहलहाते देख रहे थे, लेकिन अब वही फसलें पानी मे गलकर बर्बाद हो चुकी हैं। वहीं, रबी फसलों की तैयारी पूरी तरह से ठप हो गई है। अलसी, सरसों, चना, मसूर जैसी दालों की बुआई करने तक का अवसर किसानों को नहीं मिल पाया। सबसे चिंताजनक स्थिति धान की फसल को लेकर है, जो जिले के लिए प्रमुख नकदी फसल मानी जाती है। बारिश और तेज हवाओं के कारण कई क्षेत्रों में धान की फसल गिरकर जमीन से चिपक गई है, जिससे कटाई मुश्किल हो गई है। कई खेतों में बालियां पक चुकी हैं, लेकिन अधिक नमी के कारण कटाई संभव नहीं है। ऊपर से फसल में रोग लगने की आशंका भी तेजी से बढ़ रही है। किसान अब ईश्वर और मौसम पर ही निर्भर हैं कि कब राहत मिले।

*बरसात का रिकॉर्ड, अब तक की स्थिति*

वर्ष                        वर्षा (मिमी में)

2019-20                   1505.5

2020-21                   1359.3

2021-22                   1002.1

2022-23                   1215.7

2023-24                   1053.0

2024-25 (अब तक)    1346.7

मौसम विभाग हर वर्ष 1 जून से 31 मई तक वर्षा का आंकड़ा रिकॉर्ड करता है। इस लिहाज से वर्षा सत्र अभी पूरा आठ महीने शेष है। यदि मौसम का यही रुख रहा तो यह साल जिले में अब तक की सबसे ज्यादा बारिश वाला वर्ष बन सकता है।

गांवों से मिल रही जानकारी के अनुसार, लगातार हो रही बारिश से किसान मानसिक और आर्थिक दोनों रूप से गहरे संकट में हैं। कई किसानों ने अपने खेतों में फिर से बोवाई की कोशिश की, लेकिन मूसलधार बारिश ने उनके प्रयासों को भी बर्बाद कर दिया। जिन किसानों ने धान की रोपाई समय पर की थी, अब वही सबसे अधिक चिंता में हैं क्योंकि धान की कटाई का समय नजदीक है, और बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही। यदि मौसम अब भी साथ दे दे, तो धान से रिकॉर्ड पैदावार हो सकती है, लेकिन अगर बारिश यूं ही जारी रही, तो साल भर की मेहनत पानी में बह जाएगी।

केवल किसान ही नहीं, बल्कि जिले का व्यापारिक और निर्माण क्षेत्र भी बारिश की मार से कराह रहा है। खेतों में जलभराव के कारण कृषि उपकरणों की बिक्री रुक गई है। वहीं, निर्माण कार्य पूरी तरह बंद पड़े हैं। पेंट, चूना, हार्डवेयर और भवन निर्माण सामग्री से जुड़े कारोबारी भारी नुकसान झेल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साधन लगभग शून्य हो गए हैं, जिससे दैनिक मजदूरी पर निर्भर लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

उमरिया जिले की अर्थव्यवस्था में धान उपार्जन की मजबूत भूमिका है। हर साल हजारों किसान अपनी धान उपज से लाखों-करोड़ों की आमदनी करते हैं। यह पैसा जब बाजार में आता है तो व्यापार में उछाल आता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। लेकिन इस बार हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि धान का सही समय पर उपार्जन भी संदेह के घेरे में है। इससे न केवल किसान, बल्कि व्यापारी, मजदूर, परिवहन सेवा और अन्य छोटे कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।

भव्यता के सांथ हुआ का जवारा विसर्जन, काली नृत्य और खप्पर के साथ उमड़ा श्रद्धा-आस्था का सैलाब


उमरिया

जिले के बिरसिंहपुर पाली के नवरात्र की नवमी पर मां बिरासिनी मंदिर परिसर में परंपरागत जवारा विसर्जन का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंदिर में स्थापित मनोकामना जवारा कलशों का विसर्जन शोभायात्रा निकाल कर किया गया, जिसमें उमरिया जिले सहित आसपास के क्षेत्रों से भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। जवारा विसर्जन का समारोह शाम 4 बजे मंदिर प्रांगण से प्रारंभ हुआ। परंपरा के अनुसार विसर्जन से पूर्व मंदिर प्रबंध एवं संचालन समिति के संरक्षक तथा उमरिया कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन ने मां काली और खप्पर की पूजा अर्चना कर जुलूस की विधिवत शुरुआत की। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक विजय कुमार भागवानी और एसडीएम पाली अंबिकेश प्रताप सिंह ने भी मातेश्वरी की आराधना की और कार्यक्रम को सुरक्षा की दृष्टि से सुनिश्चित किया।

भव्य जुलूस मंदिर से निकलकर नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ सगरा तालाब पहुंचा, जहाँ परंपरा के अनुसार जवारा कलशों का विधिपूर्वक विसर्जन किया गया। इस दौरान खप्पर के साथ प्रस्तुत काली नृत्य ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। जुलूस देखने और इसमें शामिल होने श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। जगह-जगह भक्तों ने पुष्प वर्षा कर आयोजन का स्वागत किया। मंदिर के पुजारी सहित जनप्रतिनिधि अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे। सभी ने न केवल आयोजन में भाग लिया, बल्कि भक्तों से संवाद कर उनकी आस्था का सम्मान भी किया।

जुलूस और विसर्जन को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे। पुलिस बल की तैनाती के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारी स्वयं मौके पर मौजूद रहे और व्यवस्थाओं का निरीक्षण करते रहे। परिणामस्वरूप पूरा आयोजन शांति और सौहार्द के वातावरण में सम्पन्न हुआ। नवरात्र के समय हर वर्ष आयोजित होने वाला यह जवारा विसर्जन केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। सामूहिक आस्था और सांस्कृतिक जुड़ाव का यह पर्व श्रद्धालुओं और आगंतुकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना। विशेषकर काली नृत्य और खप्पर के साथ निकला जुलूस भक्तों के लिए अविस्मरणीय दृश्य साबित हुआ।

डायवर्सन पुल पार करते समय ऑटो अचानक अनियंत्रित होकर पलटा, बड़ी दुर्घटना टली


उमरिया 

जिले की ग्राम पंचायत कछरवार का डायवर्सन पुल एक बार फिर हादसे का कारण बना। उमरिया से ग्राम खेरवा जा रही एक ऑटो डायवर्सन पुल पार करते समय अचानक अनियंत्रित होकर पलट गई। गनीमत रही कि ऑटो में सवार सभी ग्रामीण समय रहते कूद गए, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई। हादसे में कुछ सवारियों को हल्की चोटें आईं, लेकिन किसी की जान नहीं गई।

स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसा उमरार नदी पर बने अस्थायी पुल पर हुआ। ऑटो चालक संतुलन नहीं बना सका और वाहन नदी की ओर खिसक गया। मौके पर मौजूद लोगों ने सवारियों को बाहर निकालने में मदद की। घटना के बाद से ग्रामीणों में नाराजगी है कि लंबे समय से पुल निर्माण का कार्य अधर में लटका हुआ है।

गौरतलब है कि इस बारिश में कछरवार का यह डायवर्सन पुल पहले ही पांच बार तेज बारिश में बह चुका है। हर बार अस्थायी मरम्मत कर इसे उपयोग लायक बनाया जाता है, लेकिन बरसात के मौसम में यह बार-बार हादसों की वजह बन रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत स्थायी पुल निर्माण का काम बीते एक वर्ष से लंबित है। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य में देरी के कारण हर साल बारिश में लोगों की जान पर बन आती है।

कछरवार और आसपास के गांवों के लिए यह डायवर्सन पुल ही मुख्य मार्ग है। रोजाना दर्जनों ऑटो और दोपहिया वाहन इसी रास्ते से गुजरते हैं। बरसात के दिनों में पुल के ऊपर से पानी बहने पर खतरा और बढ़ जाता है। हादसे की खबर फैलते ही मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की कि जल्द से जल्द स्थायी पुल का निर्माण कराया जाए, ताकि बार-बार होने वाले हादसों से बचा जा सके।

स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने सभी वाहन चालकों से अपील की है कि नदी पार करते समय सावधानी बरतें। विशेषकर जब पुल के ऊपर से पानी बह रहा हो तो बिल्कुल भी पार करने की कोशिश न करें। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते स्थायी पुल नहीं बना, तो किसी दिन बड़ी दुर्घटना होना तय है।

आरटीओ ने 8 वाहनों से वसूला 19 हजार का जुर्माना



उमरिया 

जिला परिवहन अधिकारी रमा दुबे ने बताया कि ताला मानपुर क्षेत्र में चैकिंग के दौरान वाहनों की जांच की गई जिसमें कुल 08 वाहनों पर मोटरयान अधिनियम 1988 के तहत फिटनेस, परमिट, बीमा, पीयूसी, VLTD, SLD, अग्निशमन यंत्र एवं फर्स्ट एड बॉक्स न होने पर कार्यवाही करते हुए कुल 19000 रुपये का शमन शुल्क वसूला गया।जिला परिवहन अधिकारी ने बताया कि विशेष चेकिंग अभियान 5 अक्टूबर तक संचालित होगा। इसमें मुख्य रूप से अग्निशमन यंत्र न लगे होने, वाहन में फर्स्ट एड बॉक्स उपलब्ध न होने, रेट्रो रिफलेक्टिव न लगे होने, मध्यप्रदेश मोटरयान कर जमा न करने वाले वाहनों के विरुद्ध भी नियमानुसार कार्यवाही होगी। सड़क सुरक्षा की दृष्टि से मोटरयान अधिनियम एवं नियमों के अन्य प्रावधानों जैसे ओव्हर लोडिंग,ओव्हर स्पीडिंग, निधारित पात्रता से अधिक यात्री ढोने आदि अपराधों के संबंध में भी अभियान में सख्त कार्यवाही की जायेगी। विशेष अभियान के दौरान स्कूल बसों की चेकिंग पर भी विशेष ध्यान दिये जाने तथा नियम विरुद्ध संचालन करने वाले वाहन चालकों के लायसेंस निलंबन की नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।

घोघरी घाट हाईवे पर 2 ट्रक पलटा 3 घायल, अस्पताल में भर्ती


उमरिया

जिले के थाना कोतवाली अंतर्गत सुबह घोघरी घाट के पास हुए सड़क हादसे ने क्षेत्रवासियों को दहला दिया। जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश नंबर के लकड़ी से लदे ट्रक यूपी 20 बीटी 5597 ने अचानक सामने से आ रही कार को साइड देने का प्रयास किया। इसी दौरान अंधे मोड़ पर नियंत्रण बिगड़ने से ट्रक पलट गया। दुर्घटना में ट्रक चालक ओसाबा मेवाती, निवासी बिजनौर (उ.प्र.) गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे सिर और कमर मे चोटें आई। हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने तत्काल 108 एम्बुलेंस को सूचना दी। एम्बुलेंस कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर घायल चालक को जिला अस्पताल उमरिया पहुँचाया, जहां उसका इलाज जारी है। इसी दिन दोपहर करीब चार बजे हाईवे पर स्थित मंसूरी पेट्रोल पंप के पास भी एक अन्य ट्रक अनियंत्रित होकर पलट गया। हादसे में चालक और कंडक्टर दोनों घायल हुए। दोनों को 108 की मदद से जिला अस्पताल पहुँचाया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि घोघरी घाट पर अंधा मोड़ होने के कारण यहां आये दिन दुर्घटनायें घटित हो रही हैं। पुलिस ने दोनों मामलों मे जांच शुरू कर दी है।

महिला ने मासूम को रेलवे स्टेशन पर छोड़कर भाग गई


उमरिया

जिला मुख्यालय के रेलवे स्टेशन से एक बड़ी और दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि एक महिला ने करीब 7 से 8 माह के मासूम बच्चे को स्टेशन पर रोता बिलखता छोड़ दिया और खुद वहां से भाग गई।

घटना की सूचना मिलते ही रेलवे सुरक्षा पुलिस मौके पर पहुंची और मानवीयता का परिचय देते हुए अबोध शिशु को अपने संरक्षण मे ले लिया। फिलहाल पुलिस सीसीटीवी फुटेज खंगालकर उस महिला की तलाश कर रही है, जिसने मासूम को इस हाल में छोड़ दिया। सूत्रों के मुताबिक महिला स्टेशन के पिछले रास्ते से प्लेटफार्म पर आई थी और वहीं से वापस चली गई। इस हृदयविदारक घटना ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिरकार किस मजबूरी के चलते एक मां ने अपने कलेजे के टुकड़े को यूं ही बेसहारा छोड़ दिया।

अवैध रेत उत्खनन एवं परिवहन पर 2 मेटाडोर जप्त


उमरिया

प्रभारी अधिकारी खनिज ने बताया कि तहसील पाली अंतर्गत गहिरा नाला,बलवई, घुनघुटी,ममान एवं पररौसा आदि क्षेत्रों से हो रहे अवैध रेत उत्खनन के विषय को संज्ञान में लेकर सतत रूप से की जा रही कार्यवाही के क्रम में  आकस्मिक निरीक्षण किया जाकर गहिरा नाला से कुछ दूरी पर 2 मेटाडोर जिनके क्रमांक क्रमशः एम पी MP18 जी ए 4671 एवं वाहन क्रमांक निल (मेटाडोर) जिनके चालक दुर्गा यादव पिता  ललुआ यादव, निवासी ग्राम धुरवार जिला शहडोल (म.प्र.) एवं चालक तुलसी यादव पिता श्री भारतलाल यादव निवासी ग्राम धनगवां जिला शहडोल (म.प्र.) को रेत परिवहन के दौरान रोका गया।

मौके से उक्त दोनो वाहन चालकों के पास खनिज रेत के परिवहन संबंधी कोई भी विधिमान्य दस्तावेज ई-टीपी नही थे, उनके द्वारा बताया गया कि वाहनों में लोड रेत गहिरा नाला से निकलवा कर परिवहन की जा रही थी। कथित वाहनों को रेत के साथ जप्त कर पुलिस घुनघुटी चौकी में अभिरक्षार्थ रखवाया गया। प्रकरणों में म.प्र. खनिज अवैध खनन, परिवहन तथा भंडारण का निवारण) नियम 2022 में निहित प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जा रही है।

खनिज के अवैध उत्खनन परिवहन भंडारण पर की गई कार्यवाही


उमरिया

कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन व्दारा खनिजों के अवैध उत्खनन-परिवहन एवं भंडारण की रोकथाम निर्देश दिए गए है। निर्देश के परिपालन में प्रभारी अधिकारी डॉ.विद्याकांत तिवारी, सहायक खनि अधिकारी दिवाकर चतुर्वेदी,खनि निरीक्षक प्रभात कुमार पट्टा एवं प्रभारी खनि निरीक्षक एन.एस.आर्माे की टीम द्वारा ग्राम बडेरी के पास से खनिज रेत लोड कर परिवहन करते हुए ट्रेक्टर जप्त किया गया ।  वाहन मालिक बाबा शुक्ला उर्फ सत्येन्द्रनाथ शुक्ला, निवासी ग्राम बडेरी तहसील बांधवगढ,ट्रैक्टर को जप्त कर पुलिस थाना कोतवाली उमरिया में सुरक्षार्थ खडा कराया गया है।

साथ ही तहसील नौरोजाबाद अंतर्गत ग्राम छपरी रोड के पास से खनिज रेत का अवैध परिवहन करते हुए वाहन ट्रेक्टर क्रमांक एमपी 54 जेड ए 5744 ट्राली क्रमांक निल (सोनालिका डीआई35 नीला रंग) जिसका वाहन चालक संजय कोल पिता हरिशंकर कोल, निवासी ग्राम कुदरी तहसील नौरोजाबाद जिला उमरिया (म.प्र.) तथा ट्रेक्टर जप्त किया गया। वाहन चालक शिवा कोल पिता कैलाश कोल, निवासी कुदरी तहसील नौरोजाबाद से जप्त कर पुलिस थाना नौरोजाबाद मे सुरक्षार्थ खडा कराया गया है।प्रकरणों में म.प्र. खनिज अवैध खनन, परिवहन तथा भंडारण का निवारण) नियम 2022 में निहित प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जा रही है।

 कांजी हाउस व गौशाला की स्थिति बद से बदतर, भूखे प्यासे कीचड़ में रहने को मजबूर गौवंश

*हिंदू मुस्लिम एकता मंच की जताई गहरी चिंता, जिला प्रशासन से ठोस कदम उठाने की अपील*


उमरिया

जिले में मवेशियों की दुर्दशा की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। आज सोशल मीडिया पर ग्राम तामन्नारा स्थित कांजी हाउस का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसने एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था और पंचायत स्तर पर पशुओं की देखरेख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खुले आसमान तले, घुटनों तक कीचड़ और कादो में खड़े मवेशियों की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वे किसी भी संवेदनशील इंसान का दिल दहला देने वाली हैं। वीडियो में साफ दिखाई देता है कि मवेशियों को न तो उचित चारा मिल रहा है और न ही रहने की व्यवस्था। अधिकांश मवेशियों के पेट खाली दिखाई दे रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि उन्हें समय पर भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा।स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत स्तर पर चारा-पानी के लिए बाकायदा राशि आवंटित होती है, बावजूद इसके मवेशियों को इस प्रकार के नारकीय हालात में छोड़ दिया गया है। यह न केवल पशु अधिकारों का हनन है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं पर भी गहरा प्रहार है। यह स्थिति तब और भी चिंताजनक हो जाती है, जब हम बीते दिनों की घटनाओं पर नज़र डालते हैं। ग्राम पंचायत मुड़गुड़ी गौशाला में हुई गायों की मौत और वहाँ की दयनीय स्थिति को लेकर हिंदू मुस्लिम एकता मंच ने पहले भी जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था। उस समय मंच के संस्थापक मो. असलम शेर और जिला संयोजक राजेंद्र कोल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर से जिले की सभी गौशालाओं का मौका निरीक्षण करने और तत्काल व्यवस्था सुधारने की मांग की थी। ज्ञापन में साफ उल्लेख किया गया था कि शासन की ओर से पर्याप्त धनराशि और चारागाह विकास की योजनाएँ होने के बावजूद, जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण मवेशियों की हालत खराब हो रही है।

हिंदू मुस्लिम एकता मंच के संस्थापक मो. असलम शेर ने इस संदर्भ में गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा की आज जो वीडियो सामने आया है, वह प्रशासनिक उदासीनता का जीता-जागता सबूत है। हमने पूर्व में भी चेताया था कि यदि समय रहते जिला प्रशासन और पंचायत स्तर पर जिम्मेदार लोग गंभीर कदम नहीं उठाते, तो ऐसी घटनाएँ बार-बार सामने आती रहेंगी। मवेशी बेजुबान हैं, वे अपनी पीड़ा खुद व्यक्त नहीं कर सकते। उन्हें भोजन, पानी और आश्रय की व्यवस्था करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। शासन की ओर से पर्याप्त बजट उपलब्ध होने के बावजूद यदि पशु भूखे-प्यासे मर रहे हैं तो यह सीधी-सीधी भ्रष्टाचार और लापरवाही का मामला है। हिंदू मुस्लिम एकता मंच इस घटना की कड़ी निंदा करता है और माँग करता है कि तत्काल जिम्मेदारों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। साथ ही, कांजी हाउस और जिले की सभी गौशालाओं का निरीक्षण कर ठोस व्यवस्था की जाए।

जिला संयोजक राजेंद्र कोल ने कहा की यह बेहद शर्मनाक स्थिति है कि एक ओर सरकार गौसेवा और पशु कल्याण पर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर पशु कचरे और कीचड़ में जीवन जीने को मजबूर हैं। पंचायतों को हर वर्ष चारा-पानी और रखरखाव के लिए राशि आवंटित होती है, लेकिन वह राशि कहाँ खर्च हो रही है, इसकी पारदर्शी जाँच जरूरी है। मुडगुडी गौशाला की घटना के बाद हमने कलेक्टर महोदय को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन आज तामन्नारा कांजी हाउस का मामला सामने आना यह साबित करता है कि हमारी मांगों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। हम पुनः जिला प्रशासन से अपील करते हैं कि सभी गौशालाओं और कांजी हाउस का निरीक्षण एक हफ्ते के भीतर किया जाए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो।

*हिंदू मुस्लिम एकता मंच की प्रशासन से कुछ माँगें है*

जिले की सभी गौशालाओं और कांजी हाउस का तत्काल निरीक्षण कराया जाए। चारा-पानी के लिए पंचायत स्तर पर जो राशि आवंटित होती है, उसकी ऑडिट जाँच करवाई जाए। जिन पंचायतों और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही सामने आए, उन पर दंडात्मक कार्यवाही की जाए। मवेशियों के लिए स्थायी चारागाह, शेड और साफ-सुथरे आश्रय की व्यवस्था हो। जिला स्तर पर एक विशेष निगरानी समिति बनाई जाए, जिसमें सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों को भी शामिल किया जाए।

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