आजादी के 78 वर्ष बाद भी बिजली के नही हुए दर्शन, उजाले के नाम पर कैरोसीन भी छीना

*आदिवासी गाँवों  की त्रासदी भरी दास्तान*


उमरिया

जिले में अब भी दर्जनों गाँव ऐसे है, जहाँ पर अभी भी मूलभूत सुविधाएं गरीब आदिवासियों के लिए मृगतृष्णा बनी हुई है। देश आजाद होकर आठवे दशक में प्रवेश कर रहा है, परन्तु आदिवासियों की  बुनियादी समस्याओं का पहाड़ वैसे ही खडा है। अभी भी जिला के दूर दराज क्षेत्रों में बिजली जैसी बुनियादी जरूरत की पहुंच न होने के कारण लोगों का जीवन उन्नीसवीं सदी में जीने के लिए मजबूर है। ऐसे गाँवों में आदिवासी विकास खंड के बाघन्नारा,गांधी ग्राम, चिनकी और सास जैसे वनांचल के गाँव आज अंधेरे में जीवन यापन कर रहे हैं। इन  गांवो  के लोग रात में अंधकार से निपटने के लिए  रोशनी के लिए एक मोमबत्ती का सहारा लेते हैं। देश की सरकारें यह मानकर की पूरे देश में अंधकार से निपटने के कारगर बिजली आपूर्ति हो गयी है और अब कैरोसीन की आवश्यकता नहीं है, यह मानकर गरीब आदिवासियों को मिलने वाली शासकीय उचित मूल्य दूकानों से कैरोसीन की सुविधा भी छीन ली गई है। मामला जिले के आदिवासी विकास खंड क्षेत्र के पाली जनपद के ग्राम सांस का है। यहां आजादी के बाद अब भी बुनियादी सुविधाओं का टोटा है। पाली के इस सांस गाँव मे  में तकरीबन  70 बैगा जाति के लोग निवास करते है। लगभग 100 से 200  की आबादी वाले इस गांव में रहते हैं जहाँ माध्यमिक तक एक विद्यालय भी है। 

आजादी के 78 साल बाद भी गांव की सूरत नहीं बदल सकी है। गांव में विद्युतीकरण नहीं हो सका है। कई वर्ष पहले गांव में बिजली के खम्भे खड़े कर  तार दौड़ा दी गयी, लेकिन अभी तक तार   गाँव मे रोशनी की किरणें गाँव तक नहीं पहुंच सकी। प्रशासनिक अमले के साथ इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भी  इनके भविष्य के साथ खूब खिलवाड़ किया इनके द्वारा वोट के बदले  सिर्फ आश्वसान की घुट्टी  ही मिली। गांव के लोग कहते हैं कि बिजली न होने से रात में जंगली जानवरों का भय बना रहता है। लोगों को रात में उजाले के लिए सौर ऊर्जा व मोमबत्ती का सहारा लेना पड़ता है।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के हर घर तक बिजली पहुंचाने के लिए सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) लांच की थी, जिसके तहत घर घर बिजली देने का प्लान बनाया, लेकिन दिल्ली और भोपाल में बनी ये योजनाए सायद यहां पहुच ही नहीं पाई।  उमरिया जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के बिरसिंहपुर पाली जनपद के कठई पंचायत के सांस गाँव व चांदपुर पंचायत के बाघन्नारा जहाँ बैगा जाति की बस्ती है जहां सांस गाँव मे लगभग 200 परिवार तो बाघन्नारा में लगभग 500 परिवार बैगा जाति के लोग निवाश करते लेकिन आज तक इस सांस गाँव मे उजाला को देखने के लिए कई वर्ष गुजर गए वन विभाग के जंगलों में खंभे लग गए तार भी दौड़ दिए लेकिन आज 5 से 6 वर्ष बीतने जा रहा तार में करेण्ट कब आएगा कोई बताने वाला नही है। 

लोकसभा चुनाव में प्रयुक्त वाहनों का अब तक भुगतान नही, सीएम हेल्प लाइन शिकायत दर्ज 


शहडोल

संसदीय चुनाव संपन्न हुये भले दो वर्ष की अवधि पूरी होने को है, लेकिन इस चुनाव में प्रयुक्त वाहनों का भुगतान आज तक नहीं किया जा सका। वाहनों के भुगतान न होने के कारण निर्वाचन शाखा और उसके अधिकारियों की साख पर बट्टा लगता दिखाई दे रहा है। बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव शहडोल संसदीय क्षेत्र में शहडोल निर्वाचन कार्यालय व्दारा वाहनों को किराये पर लगाया गया था, लेकिन किराये के इन वाहनों का भुगतान आज तक नहीं किया गया है जिससे वाहन मालिकों में खासा आक्रोश व्याप्त है। वाहनों के मालिकों के व्दारा किराये के लिए निर्वाचन कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक हार कर सी एम हेल्पलाइन का सहारा ले रखा है, उसमें भी उनके भुगतान के प्रति प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया ठीक नजर नहीं आ रहा है।

लोकसभा चुनाव में अपनी गाड़ी लगाने वाले रमेश त्रिपाठी ने बताया कि शहडोल निर्वाचन कार्यालय कलेक्टर शहडोल के व्दारा उनका वाहन किराये पर लगाया गया था जिसके किराया राशि 36000.00 का भुगतान आज तक नहीं होने के कारण सी एम हेल्पलाइन का सहारा लेना पडा है। रमेश त्रिपाठी ने बताया की मेरे व्दारा सी एम हेल्पलाइन नंबर 31020223 पर 08 अप्रैल 2025 से लंबित है, जिसे लगातार प्रशासन फोर्स क्लोज कराने में जुटा हुआ है, जबकि मामले का निराकरण नहीं किया जा रहा है। मामले में बजट अप्राप्त होने का जिक्र  किया जा रहा है, जबकि निर्वाचन जैसे गंभीर कार्यों के लिए पहले से राशि की व्यवस्था होनी चाहिए। रमेश त्रिपाठी ने बतलाया की हमारे जैसे अन्य वाहन मालिक भी भुगतान के लिए निर्वाचन कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। वाहनों के किराये का लंबी अवधि के बाद भुगतान न हो पाना जिला अधिकारियों की कार्यशैली की कलई खोलकर रख दी है। अपेक्षा है जिला प्रशासन निर्वाचन जैसे संवेदनशील कार्यों की साख बचाने के लिए अविलंब भुगतान कराने की पहल करेंगे।

महिला ने पड़ोसन को बंधक बनाकर पीटा, धान खरीदी केंद्र के प्रबंधक पर FIR के निर्देश 


शहडोल/उमरिया

शहडोल जिले के ब्यौहारी थाना क्षेत्र से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां एक महिला ने अपनी ही पड़ोसी महिला को घर के अंदर बुलाकर बंधक बनाया और हाथ पैर बांध कर बेरहमी से मारपीट की। पीड़िता का आरोप है कि आरोपी महिला ने न सिर्फ उसके साथ मारपीट की, बल्कि उसका मोबाइल फोन और सोने के कान के झुमके भी छीन लिए। हैरानी की बात यह है कि आरोपी महिला ने वीडियो में सामान वापस करने की बात स्वीकार की, लेकिन अब तक न तो मोबाइल लौटाया गया और न ही जेवर।

घटना ब्यौहारी थाना क्षेत्र के बराछ गांव की है। पुलिस के अनुसार किरण तिवारी पति देवेंद्र तिवारी उम्र 28 वर्ष अपने घर के बाहर टहल रही थी। इसी दौरान पड़ोस में रहने वाली ललिता कहार ने उसे अपने घर बुलाया। जैसे ही किरण तिवारी आरोपी के घर के अंदर गई, ललिता ने दरवाजा बंद कर दिया और उसके हाथ-पैर बांध दिए। इसके बाद अपने पुत्र और पुत्री के साथ मिलकर किरण तिवारी की बेरहमी से पिटाई की।

पीड़िता किरण तिवारी के अनुसार उसका ललिता से कोई प्रत्यक्ष विवाद नहीं था, लेकिन पूर्व में पारिवारिक विवाद को लेकर आरोपी महिला रंजिश रखती थी। इसी रंजिश के चलते उसने इस घटना को अंजाम दिया। मारपीट के दौरान किरण तिवारी की चीख-पुकार सुनकर उसके परिजन मौके पर पहुंचे और उसे छोड़ने की गुहार लगाई, लेकिन आरोपी महिला ने उनके साथ भी मारपीट की और धमकाकर भगा दिया।

इसके बाद परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने घटना देखकर हैरान रह गई, क्योंकि किरण तिवारी के हाथ-पैर बंधे हुए थे और वह मदद की गुहार लगा रही थी। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि आरोपी ललिता गांव में लेडी डॉन के नाम से जानी जाती है और उसके खिलाफ पहले भी मारपीट के मामले दर्ज हैं।

किरण तिवारी का आरोप है कि मारपीट के दौरान आरोपी महिला ने उसका मोबाइल फोन और सोने के कान के झुमके छीन लिए। एक वीडियो में ललिता यह स्वीकार करती नजर आ रही है कि वह सामान वापस कर देगी, लेकिन घटना को काफी समय बीत जाने के बाद भी मोबाइल और जेवर वापस नहीं किए गए हैं। पीड़िता ने पुलिस प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते हुए सामान दिलाने की मांग की है।

इस मामले में उपनिरीक्षक मोहन पड़वार ने बताया कि किरण तिवारी के साथ ललिता कहार एवं अन्य के द्वारा घर में बांधकर मारपीट करने की शिकायत दर्ज की गई है। पुलिस ने मामला कायम कर लिया है और पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है। आरोपी महिला के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

*मार पीट करने वाले धान खरीदी केंद्र के प्रबंधक के विरुद्ध एफ आई आर के निर्देश*

उमरिया जिले के हर्रवाह धान खरीदी केंद्र के संचालक के व्दारा धान बेचने आये किसान के साथ मारपीट करना मंहगा पडता दिखाई दे रहा है । इस मामले को कलेक्टर धरणेंद जैन ने गंभीरता से लिया है और धान खरीदी केंद्र के प्रबंधक के विरुद्ध पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश खाद्य विभाग के अधिकारियों को दिये है।विदित होवे धान खरीदी केंद्र सिलपरी वेयर हाऊस धान खरीदी केंद्र में धान बेचने पहुंचे   किसान संजय राय की धान तौलाई का काम चल रहा था जिसमें 580 बोरी तुल चुकी थी और 66 बोरी धान तुलाई बची हुई थी कि तभी प्रबंधक  कर्ण सिंह किसान के पास पहुंचा और तुलाई बंद करने की बात करते हुए विवाद करने लगा, इसके बाद संजय राय के साथ मारपीट भी किया। शासन के निर्देशो के अनुरूप तुलाई के लिए कोई समय सारणी तय नहीं की है। धान खरीदी केंद्र के प्रबंधक का यह कृत्य अमानवीय और नियम विरुद्ध होने के कारण कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए धान खरीदी से अलग रखने के निर्देश जारी किये है। इसकी जिम्मेदारी खाद्य विभाग को सौंपी गई है।

बाघ का शिकार करने वाले 6 आरोपियों को वन विभाग ने किया गिरफ्तार


उमरिया 

जिले में बिजली का तार बिछाकर किया गया बाघ का शिकार करने वाले 6 आरोपियों को गिरफ्तार करके जिला न्यायालय में पेश किया गया, जहाँ सीजीएम कोर्ट ने 3 दिन की न्यायिक रिमांड पर जंगल विभाग को सौंप दिया है। वही वन विभाग आरोपियों से पूछताछ करके अन्य जानकारी निकलवाने की कोशिश करेगी। विदित है कि 13 दिसम्बर 2025 को ट्रांसफर के पास से जीआई तार बिछाकर खूंटी गाड़कर बाघ का शिकार किया गया था। वारदात के सम्बन्ध में फारेस्ट एसडीओ कुलदीप त्रिपाठी ने जानकारी में बताया कि केस क्रमांक 7776 /23 आर एफ क्रमांक 10 के नजदीक खेत में मृत मिले बाघ विषय को लेकर जांच जारी थी, जिसमें 6 आरोपी शोभालाल पिता छोटेलाल, अंजनी पिता बाबूलाल, लरकुवा पिता चरका बैगा, अशोक पिता शिवचरण, लक्खू पिता डोभारी व अच्छेलाल को आरोपी बनाया गया है। अन्य आरोपी होने के संदेह में रिमांड पर लेकर पूछताछ की जावेगी बाद 3 दिन की रिमांड के बाद 18 दिसम्बर 2025 को पुनः कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां से सभी आरोपियों के खिलाफ आगे की अन्य कारवाही की जावेगी।

उप वनपाल की  कार्य शैली से आदिवासियों के ऊपर छाया संकट, रिश्वत की कमी तो मुर्गा से भरपाई  


उमरिया

आदिवासियों के हित संवर्धन के लिए कृत संकल्पित सरकार के कदमों पर राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के धमोखर रेंज के रायपुर सर्किल के उप वनपाल पैर में बंधे पत्थर साबित हो रहे हैं। बताया जाता है कि यह उप वनपाल पिछले एक दशक से यहाँ पदांकित होकर आदिवासियों का जमकर शोषण कर रहे हैं। बताया जाता है कि आदिवासियों का शोषण, वन्य प्राणियों का शिकार, और वन संपदा के दोहन की इनकी कुशलता और उससे प्राप्त काली कमायी के कारण यह उप वनपाल  राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों का कमाऊ पूत बनकर उभरा है और इसी के बदौलत अधिकारी- कर्मचारी  कोई भी रहे उप वनपाल उमेश वर्मन ही रहेंगे।

अभी हाल में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने इस शासकीय सेवक की कलई खोलकर रख दी है। वीडियो में सकरिया निवासी रतन रैदास  से 1050 .00 रूपये हुकुम सिंह 1500.00 और  काशी रैदास  1500.00 रूपये की रिश्वत की बात बतायी गयी है। इसी तरह इन्ही अधिकारी के व्दारा रायपुर सर्किल के ग्राम पंचायत सकरिया के गिडरी में साठ वर्षीय कमल भान सिंह के बैंल (नटवा) का शिकार हो जाने के कारण वन विभाग व्दारा प्रदान की जाने वाली सहयोग राशि के बदले उप वनपाल के व्दारा खुले आम पैसो की मांग की जाती रही है और वद्ध  विकलांग आदिवासी रिश्वत की पूर्ति नहीं कर पाया तो उसने उसके मुर्गे को ही जबरन उठाकर ले गया। उप वनपाल की इस हरकत से आदिवासियों में व्यापक तौर पर क्षोभ व्याप्त है। खेद जनक कहा जाता है कि इन चार वीडियो के वायरल होने से राष्टीय उद्यान के अधिकारियों की    प्रतिष्ठा पर काले धब्बे लग रहे हैं परंतु आरोपित उप वनपाल को संरक्षित करने से यह सवाल उन पर लगने लगे हैं की इस रिश्वत में वरिष्ठ  अधिकारियों की सह पर ही उप वनपाल की दुकान दारी चल रही है। चार वीडियो जो  सामने आये है इस तरह की घटना कोई पहली और अनोखी नहीं है। भले ही उनका राज फाश न हो पाया हो लेकिन इनकी कार्य शैली से जन जन प्रभावित है । 

राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के कतिपय अधिकारियों के व्दारा जिस तरह आदिवासियों का शोषण करने के मामले जिस तरह प्रकाश में लगातार आ रहें हैं इस पर जिला प्रशासन के आलाकमान अधिकारियों को संज्ञान लेते हुए आदिवासियों के हितों को संवर्धन करते हुए दोषियों को दंडित करने की आवश्यक कदम उठायेंगे।

शराब पीकर शिक्षक पहुँचा स्कूल, मचा बवाल, कलेक्टर ने किया निलंबित


उमरिया

बीते दिनों एक शिक्षक शराब के नशे में धुत होकर स्कूल पहुंचने के बाद काफी बवाल मचा था, वहीं यह खबर अखबारों और न्यूज़ चैनलों की सुर्खियां भी बनी हुई थी। इसके बाद जिले के कलेक्टर ने मामले का संज्ञान लेते हुए शिक्षक चंद्रभान कोल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

दरअसल शिक्षक चंद्रभान कोल मानपुर के करौंदी टोला शासकीय प्राथमिक स्कूल में पदस्थ है। लेकिन जब बच्चों को पढ़ने स्कूल पहुंचा तब वह शराब के नशे में धुत रहा है। स्कूल पहुंचने के बाद शिक्षक इस कदर नशे में चूर था कि वह हाथ पैर भी नहीं डूला पा रहा था। स्कूल में मौजूद बच्चों ने शिक्षक की यह हरकत देखी तब उन्होंने इसकी जानकारी परिजनों को दी तब परिजनों ने शराबी शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी। इस दौरान किसी ने शराबी शिक्षक का वीडियो अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया और सोशल मीडिया में वायरल कर दिया।

शराब के नशे में चूर शिक्षक का वीडियो सोशल मीडिया सहित कई प्रमुख अखबारों और न्यूज़ चैनलों की सुर्खियां बन गए। मामले का संज्ञान जिले के कलेक्टर ने लिया और पूरे मामले की जांच ब्रा मानपुर से कराई गई जिसमें शिक्षक चंद्रभान कोल अक्सर शराब के नशे में ही स्कूल पहुंचता है। शिक्षक चंद्रभान कोल दोषी पाए जाने के चलते कलेक्टर ने उसे निलंबित कर दिया है।

धमोखर रेंज के विवादित डिप्टी रेंजर पर राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों की बरस रही कृपा

*दशकों से एक ही जगह काट रहे चांदी*


उमरिया   

मध्य प्रदेश के बहु प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ में शासन व्दारा जारी स्थानांतरण नीति के पालन के मामले  में फिसड्डी साबित हो रहा है, सामान्यतः शासन के तबादला नीति में एक शासकीय कर्मचारी के लिए एक स्थान पर एक पद पर अधिकतम 3 वर्ष की अवधि तय की गयी है, लेकिन इसके पालन में राष्ट्रीय उद्यान के आला अधिकारियों की भेदभाव पूर्ण कार्यशैली दुधारू गाय का काम कर रही है। तभी तो किसी कर्मचारी को बीच सत्र में ही प्रभार सौंपने के आदेश जारी कर उसका शोषण करते है तो कुछ कर्मचारियों को दशकों तक एक ही स्थान पर रखकर अवैध कमायी का जरिया बना रखा है। विदित हो की उमरिया जिला स्थित बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व क्षेत्र के धमोखर रेंज के सकरिया बीट सर्किल रायपुर में पिछले एक दशक से एक ही स्थान पर पदस्थ डिप्टी रेंजर उमेश बर्मन अंगद के पैर बनकर जमे हुए हैं, एक डिप्टी रेंजर का एक ही स्थान पर दशकों की पद स्थापना का मामला तबादला नीति के पालन कारी अधिकारियों के कार्यशैली संबंधित कर्मचारी के साथ ही कदाचरण की श्रेणी में आता है। नियम विरुद्ध इस पद स्थापना के लिए एक गंभीर मामला मानते हुए प्रशासनिक स्तर समीक्षा होनी चाहिए की इस दौरान किन कर्मचारियों की कितनी बार तबादला हुआ और इन्हें आखिर कार इस तबादला से क्यों बचाया गया, तथा दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही किया जाना चाहिए, लेकिन बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व क्षेत्र के अधिकारियों को सब कुछ पता होने के बाद भी आखिर डिप्टी रेंजर पर क्यो मेहरबानी दिखा रहे हैं। 

राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के धमोखर वन परिक्षेत्र की सकरिया बीट सर्किल रायपुर में प्रभारी डिप्टी रेंजर की संलिप्तता की शिकायतें पूर्व में भी प्रकाश में आयी थी की इनकी संलिप्तता से सागौन के घने जंगल वीरान बन गये हैं। सागौन,साल जैसे इमारती वृक्षों की अवैध और अधाधुंध कटाई का गिरोह राष्ट्रीय उद्यान के अस्तित्व को मिटाने में लगा हुआ है। इतना ही नहीं रेत चोरी का मामला भी इन्ही  के कारगुजारियों में से एक है। राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र में होने के कारण आये दिन पालतू पशुओं के मौत की घटनाये हर दिन की घटनाओं में से एक हो गयी है। मध्यप्रदेश सरकार के व्दारा पालतू पशुओं के नुकसानी पर गरीब जनता को मिलने वाली मुआवजा राशि के बदले श्रीमान की कलम तभी आगे बढेगी जब पशुओं से हाथ धो चुका गरीब साहब की मुराद पूरी कर दे, अन्यथा गरीब के हाथ शासन व्दारा दी जाने वाली राहत राशि से भी हाथ धोना पड़ेगा।पशुओं के हानि होने पर पैसे मांगने के सीधे आरोप विभाग के ऊपर गम्भीर सवाल खड़े कर रहे हैं, उधर राष्ट्रीय उद्यान के जिम्मेदार अधिकारियो ने जांच के नाम पर व्यापक पैमाने पर लीपापोती कर अपने चहेते डिप्टी रेंजर को बचाने का बीड़ा उठा लिया है। आखिर कार उच्च अधिकारियों के नयनों के पलक बने इस डिप्टी रेंजर को बचाने के लिए प्रबंधन कब तक लुका छिपी का खेल खेल कर बचाता रहेगा। अपेक्षा है की वरिष्ठ अधिकारी इनकी कारगुजारियों से पर्दा उठा कर कानूनी कार्रवाई करें,वरना राष्ट्रीय उद्यान खेल का मैदान बनकर रह जायेगा।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र के डायरेक्टर डॉ0 अनुपम सहाय से बात की गई तो उनका कहना था कि अब आप बोल रहे हैं तो मैं पता कर लूंगा, मूझे याद नही है कि वो व्यक्ति कब से है। हटाने की नीति है, लेकिन हर कोई नही हटता डायरेक्टर साहब को अपने ही कर्मचारी का नाम नही पता कहा जो भी शिकायतें है, जांच कराई जाएगी। इस जांच में कोई आँच आएगी या फिर इसी तरह से डिप्टी रेंजर के ऊपर अधिकारियों की कृपा बरसती ही रहेगी।

शिक्षकों की  कमी, बाउंड्री वॉल की जर्जरता, नामांकन शुल्क में धांधली  पर आर-पार की लड़ाई 

*महाविद्यालय की त्रुटियों और शुल्क विसंगति को लेकर प्राचार्य को सौंपा ज्ञापन*


​उमरिया

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), उमरिया इकाई ने आज रणविजय प्रताप सिंह महाविद्यालय में व्याप्त शैक्षणिक और प्रशासनिक अनियमितताओं के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्राचार्य महोदय को ज्ञापन सौंपा। अभाविप ने महाविद्यालय प्रशासन और विश्वविद्यालय की लचर कार्यप्रणाली पर कड़ा विरोध जताते हुए शीघ्र सुधार न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। जिला संयोजक आकाश तिवारी के नेतृत्व में सौंपे गए इस ज्ञापन में महाविद्यालय की बदहाल स्थिति और छात्रों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को प्रमुखता से उठाया गया।

*​शिक्षकों का घोर अभाव*

महाविद्यालय में जहाँ 65 का स्टाफ होना चाहिए, वहाँ केवल 11 लोग कार्यरत हैं। शिक्षकों की इस भारी कमी से पठन-पाठन पूरी तरह ठप है।नामांकन शुल्क में अवैध वसूली: विश्वविद्यालय द्वारा UTD के छात्रों से ₹500 नामांकन शुल्क लिया जा रहा है, जबकि संबद्ध महाविद्यालयों के छात्रों से ₹750 वसूले जा रहे हैं। अभाविप ने इस ₹250 की अतिरिक्त वसूली को अन्यायपूर्ण बताते हुए छात्रों को रिफंड करने की मांग की है।सुरक्षा से खिलवाड़ (टूटी बाउंड्री वॉल): महाविद्यालय की बाउंड्री वॉल कई जगह से क्षतिग्रस्त है, जिससे परिसर में असामाजिक तत्वों का प्रवेश होता है। यह छात्रों और संपत्ति की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।

*​संसाधनों की कमी*

विज्ञान प्रयोगशालाओं में उपकरण और रसायनों का अभाव है, तथा पुस्तकालय में नई पुस्तकों की भारी कमी है। मूलभूत सुविधाओं का टोटा: परिसर में पीने के साफ पानी र शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है।

*​परीक्षा परिणाम में देरी*

CCE और प्रैक्टिकल के अंक समय पर अपलोड न होने से परिणाम लटक जाते हैं। अभाविप ने मांग की है कि परीक्षा फॉर्म भरने से पहले ही ये अंक पोर्टल पर अपडेट किए जाएं।

*​छात्र हितों से समझौता नहीं*

इस अवसर पर अभाविप के जिला संयोजक आकाश तिवारी ने कहा, महाविद्यालय प्रशासन छात्रों के भविष्य के प्रति उदासीन है। एक तरफ शिक्षकों की कमी से पढ़ाई नहीं हो रही, वहीं दूसरी तरफ फीस के नाम पर छात्रों से भेदभाव किया जा रहा है। टूटी बाउंड्री वॉल सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह है। यदि प्रशासन ने हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया और जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, तो विद्यार्थी परिषद लोकतांत्रिक ढंग से उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगी, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

शासन द्वारा तय वेतन की मांग को लेकर आंदोलन की राह पकड़ेंगे चालक


उमरिया

मध्यप्रदेश प्रदेश ड्राइवर महासंघ उमरिया की एक महती बैठक आयोजित की गयी इस बैठक में जिले के सैकड़ों चालकों ने भाग लिया।बैठक में चालकों की एक सूत्रीय मांग पर विचार किया गया। विदित होवे की साऊथ ईस्ट कोल कंपनी जोहिला एरिया के कंचन ओपन कास्ट में चल रहे भारी वाहनों में कार्यरत चालकों का भारी शोषण किया जा रहा है। मालूम होवे की शासन व्दारा चालकों की दैनिक मजदूरी 1350=00 रूपये तय की गयी है लेकिन चालकों से आधी अधूरी मजदूरी देकर काम कराया जा रहा है जिसके विरोध में मध्यप्रदेश डाइवर महासंघ ने आज बैठक आयोजित कर चरण बद्ध आंदोलन का निर्णय लिया है। पहले चरण में शासन -प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर मध्यप्रदेश शासन के व्दारा तय वेतन की मांग की जायेंगी, और मांग पूरी नहीं होने की स्थिति में महासंघ उग्र आंदोलन छेडते हुए काम बन्द हड़ताल की जायेगी। मालुम हो की एस ई सी एल सेमी गर्वनमेन्ट कंपनी होने के बाबजूद ठेका कंपनियों के व्दारा श्रमिकों का बददस्तूर शोषण किया जा रहा है जबकि प्रिसिंपल एम्पलाइज होने के नाते एस ई सी एल की जिम्मेदारी होती है कि किसी भी श्रमिक का शोषण ठेकेदार या वाहन मालिकों के व्दारा न किया जाये फिर भी ठेका श्रमिकों, वाहन चालकों के शोषण अनवरत रूप से जारी है। देखना होगा की श्रमिक शोषण के इस संवेदनशील मामले मे प्रबंधन और प्रशासन क्या कदम उठाती है। 

बैठक में मध्यप्रदेश ड्राइवर महासंघ   ने संकल्प लिया है कि नशे की हालत में गाड़ी नहीं चलाएंगे नशा मुक्ति अभियान चलाएंगे, उक्ताशय का संंकल्प राजू रैदास के नेतृत्व में संपंन हुई।

घटिया रेत, सरिया से बनी बांऊण्डी बाल की दीवार हुई तिरछी, अधिकारियों की संरक्षण में चल रहा गुणवत्ताविहीन कार्य 


उमरिया

गुणवत्ता का पैमाना माना जाने वाली रेलवे के निर्माण कार्य भी आज घटिया कार्यों की मंजिलें गढने की इबारतें लिख रहा है, तभी तो रेलवे के निर्माण कार्य भी घटिया पन की बलि चढते नजर आ रहें हैं। कभी रेलवे की गुणवत्ता मानक की मिसाल पेश की जाती रही है, बदलते परिवेश ने  रेलवे के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता को लील लिया, और रेलवे के निर्माण कार्य भी अत्यंत घटिया पूर्व और कमायी के जरिया बनकर उभरें है। निर्माण कार्यो में गुणवत्ता मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है,  नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन में चल रहें बाऊण्डी बाल और नाली निर्माण कार्य को देखने  में प्रयुक्त होते वाली घटिया सामग्री हर एक के आंखों में चुफ रही है। लोहे की प्रयुक्त सरिया और मीट्टी युक्त रेत ठेकेदार के घटिया काम की पोल खोल कर रख दी है।ठेकेदार के इन कामों को देखकर लगता है कि यह सिर्फ शासकीय धन राशि को डकारने से ज्यादा कुछ कार्य एजेंसी करना नहीं चाहती। बताया जाता है कि बाऊण्डी बाल में सरिया का प्रयोग धरातल से न कर दो ढाई फीट ऊपर से लगायी गई है, जबकि किसी भी निर्माण कार्य में ऐसा होता नहीं है। जंग युक्त लोहे की सरिया और मिट्टी युक्त रेत से निर्मित यह बाऊण्डी बाल और नाली की उम्र क्या होगी, इसको लेकर निर्माण काल से ही सवाल उठाये जाने लगे हैं, लेकिन जिन रेलवे के अधिकारियों की जिम्मेदारी घटिया पन कार्य को रोकने की होती है वह तो उन ठेकेदारो की कृपा बरसाते नजर आ रहें हैं।अगर उनकी कृपा भरी दृष्टि न होती तो  घटिया निर्माण कार्य में रोक नहीं लगायी जाती है । रेलवे की बन रही बांऊण्डी बाल की दीवार देखने में वह पूरी तरह से टेढ़ी -मेढ़ी और लहराई हुई नजर आ रही है। यह निर्माण कार्य  शासकीय धन राशि की होली खेलने से ज्यादा कुछ साबित नहीं होगा ‌। विदित होवे पिछले दिनों नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन में नव निर्मित ओभर बिज इसी गुणवत्ता हीन होने का दंश आम नागरिक उठा रहे हैं। रेलवे  के अधिकारी  भी आज के परिवेश ठेकेदारो की गुलामी के आदी हो गयें है, तभी तो रेलवे जैसे संवेदनशील विभाग में बोर्ड लगाने जैसी आवश्यक पैमाना  को लगभग गायब ही कर दिया गया है, जिसको देखकर कार्य की मूल भूत जानकारी  का आंकलन लगाया जा सकें। यहाँ से शुरू हुआ अनियमितता का खेल आखिर तक  छल कपट गुणवत्ता हीन पूरा कर शासकीय धन राशि को हडप कर ठेकेदार चलते बनते हैं और उसकी त्रासदी लोग वर्षों  भुगतते रहते हैं। अपेक्षा है कि उच्च  रेल प्रबंधन मामले की गंभीरता से लेते हुए गुणवत्ता युक्त कार्य कराने के लिए आवश्यक कदम उठायेगी।

पंचायत में जमकर भ्रष्टाचार,अधिकारियों की मिलीभगत से विकास कार्यों के नाम पर राशि का बन्दर बांट

*कार्य के गुणवत्ता के मानकों की उड़ी धज्जियां*


उमरिया 

जिले की आदिवासी जनपद पंचायत पाली में विकास कार्यों के नाम पर शासकीय राशि का व्यापक दुरूपयोग कर भ्रष्टाचार किये जाने की शिकायतें आम हो चुकी है। इस ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के नाम पर आहरित  शासकीय धन राशि का आकलन करने पर पता चलता है कि पिछले पंचवर्षीय से लेकर अब तक करोड़ों रूपये पानी में बह गये और उनकी जगह पर टूटी - फूटी क्राकींट सडकें, गुणवत्ता हीन जर्जर पुलिया, आधी -अधूरी विद्यलयों की बांऊण्डी बाल, तालाबों के नाम पर व्यापक रूप से अनियमितता कर राशि का घालमेल किया गया है।पंचायत दर्पण एप का ही एक बार अवलोकन करने पर पंचायत स्तर पर विकास कार्यों के नाम पर चल रही कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार के खेल का मामला हर एक को हैरान कर देगा।

निर्माण कार्यों की इबारत बता रही हैं की यह एक ऐसी ग्राम पंचायत है जहाँ पर वर्ष 2016 के  कार्य आज भी प्रगति रत बताये जाते हैं, जबकि यह प्रगति मूल रूप से यह दर्शा रही हैं की इन विकास कार्यों के नाम पर शासकीय धन राशि का आहरण किया गया है और निर्माण के नाम पर धुंधले बिलों को लगा कर लाखों का वारा न्यारा किया गया है। एक कार्य पूरा नहीं हुआ और उसी कार्य स्थल के लिए कार्य स्वीकृति कर के शासकीय धन राशि व्यय की जा रही है।

ध्यान देने योग्य है कि कुरकुचा ग्राम में क्रांकीट सडक निर्माण कार्य स्वीकृति दिनांक 15-8-2016 राशि पांच लाख रूपये राज्य वित्त आयोग जो की जिला पंचायत स्तर से प्राप्त हुई थी, जिसे सूरज सिंह के घर से राम कृपाल सिंह की घर की ओर बनायी जानी हैं, वह तो आज भी निर्माणाधीन है ही उस पर हुये भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए सी सी सडक सह नाली निर्माण कार्य के नाम पर पांचवा वित्त से स्वीकृति दिनांक 14-4-2025 से राशि  293000.00 आहरित कर कार्य कराया जा रहा है।खेद जनक कहा जाता है कि यह सी सी सडक सह नाली निर्माण कार्य कराया जा रहा है उसकी गुणवत्ता के मानकों की धज्जियां उड़ा कर रख दी गई।

ग्राम पंचायत के निर्माण कार्यों को गुणवत्ता पुर्ण संपन कराने की जिम्मेदारी सबंधित क्षेत्र में पदस्थ उपयंत्री की होती है, ताकि निर्माण कार्य तय मानकों के अनुरूप हो और शासकीय धन राशि का यथेष्ट रूप से सदुपयोग हो, लेकिन इस कार्य क्षेत्र में पदस्थ उपयंत्री का भगवान ही मालिक है, न कभी जनपद पंचायत में दिखाई देती न फील्ड में। घर बैठकर डियूटी पूरी की जा रही है। हैरत अगेज है कि इन उपयंत्री महोदय की कार्य क्षेत्र के भ्रमण के दौरान तीन ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य चल रहा है पर यह तीनों निर्माण कार्य क्षेत्र में नहीं मिली, जनपद पंचायत में भी नहीं,तो इनकी सेवा कैसे पूरी हो रही है इनके कार्य क्षेत्र की  ग्राम पंचायतों में व्यापक पैमाने पर फैली वित्तीय अनियमिताओ से पता चलता है, पंचायतों में व्याप्त धांधलियो का असली राज क्या है। 

*उपयंत्री से निर्माण कार्य से संबंधित जानकारी लेने के लिए जनपद पंचायत से प्राप्त दूरभाष नंबर पर लगातार उनसे  संपर्क करने की कोशिश की गयी, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।*

वन रक्षक के नियम विरूद्ध तबादले से जन मानस में व्यापक आक्रोश तबादला रद्द कराने सौंपा ज्ञापन 


उमरिया

जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के रायपुर वन क्षेत्र में पदस्थ वन रक्षक प्रदीप सिंह कचुली का तबादला प्रतिबंधित समय में किये जाने की खबर से रायपुर ग्राम के आदिवासियों में व्यापक रूप से आक्रोश व्याप्त है। बताया जाता है कि इस क्षेत्र में पिछले तीन दशक से पदस्थ वन पाल जो अवांछित गतिविधियों में संलग्न है, जिसकी वर्तमान में दाल न गल पाने के कारण उनकी शह पर वरिष्ठ वन अधिकारियों ने वीट गार्ड को निशाना बनाया है और मूल पदांकित स्थल से 50 किलोमीटर दूर तबादला कर उन्हें अनावश्यक रूप से सबक सिखाने के लिए तबादला कर दिया गया है। ज्ञात होवे की विशेष परिस्थितियों को छोड़कर मध्यप्रदेश शासन ने कर्मचारियों के तबादला में रोक लगा रखी है, लेकिन बीच सत्र में उनका तबादला कर तबादला नीति और मध्यप्रदेश शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। 

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के इस नियम विरूद्ध तबादला के विरोध में गाँव के अधिवासियों ने मोर्चा खोल दिया है और इस आदेश के विरुद्ध वन संरक्षक शहडोल और क्षेत्र संचालक राष्ट्रीय उद्यान उमरिया को लगभग 50 ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर तबादला रद्द करने की मांग की है। 

बताया जाता है कि वन माफियाओं और वन पाल के सांठगांठ के इशारे पर राष्ट्रीय उद्यान के कतिपय अधिकारीयों ने ईमानदार से चाकरी करने वाले वन रक्षक के ऊपर दबाव बनाने की असफल कोशिश की, और अब जब उनकी दाल नहीं गली तो माफिया के  कार्यो में दखलंदाजी करने वाले वन रक्षक  को ही ठिकाना लगा दिया गया। किसी भी शासकीय अधिकारी के तबादला के लिए एक आचार संहिता बनी हुई है और उसके अनुरूप तबादला करने में किसी को कोई आपत्ति करने का अधिकार नहीं है लेकिन बीच सत्र में हुए तबादला पर सवाल उठाना जायज और प्रासंगिक होता है। कहाँ जाता है कि ग्राम पंचायत में बिजली लगवाने के लिये जंगल से लाइन खींचने से रोकना वन रक्षक को मंहगा पड रहा है। 

वन विभाग के आला अधिकारियों से अपेक्षा है कि नियम विरूद्ध हुये इस तबादला की एक बार पुनसमीक्षा करते हुए वन रक्षक के तबादला को रद्द करने की कार्यवाही करने की कृपा करें, ताकि वन माफिया के मंसूबों पर पानी फिर सकें।

गांव में बाघिन ने 3 शावकों के साथ डाला डेरा, क्षेत्र में दहशत का माहौल, पार्क टीम खदेड़ने में जुटी


उमरिया 

जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लगे मझौली गांव में इन दिनों दहशत का माहौल है। पनपथा परिक्षेत्र के पास स्थित इस गांव में एक बाघिन अपने तीन शावकों के साथ डेरा डाले हुए है। ग्रामीणों ने कई बार बाघिन को खेतों और रास्तों के आसपास घूमते देखा है, जिसके बाद से लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं। खेतों में काम बंद हो गया है और शाम ढलते ही गांव सुनसान हो जाता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते दो दिनों से बाघिन लगातार गांव के नजदीक दिखाई दे रही है। कुछ ग्रामीणों ने मोबाइल में वीडियो भी बनाए, जिनमें बाघिन अपने शावकों के साथ गश्त करती नजर आ रही है। इसके बाद गांव में वन विभाग की टीम पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। पार्क प्रबंधन ने तुरंत अलर्ट जारी कर लोगों को जंगल के किनारे वाले हिस्सों में न जाने की सलाह दी है।

ग्रामीणों का कहना है कि बच्चे स्कूल जाने में डर रहे हैं और पशुपालक अपने मवेशियों को खुले में नहीं छोड़ पा रहे। कई परिवार रात में घरों के बाहर आग जलाकर पहरा दे रहे हैं। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि इस क्षेत्र में पहले भी बाघों की मूवमेंट देखी गई थी, लेकिन इस बार बाघिन शावकों के साथ रुक गई है, जिससे खतरा और बढ़ गया है।

वन विभाग और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की संयुक्त टीम ने गांव के बाहर पेट्रोलिंग बढ़ा दी है। पार्क प्रबंधन द्वारा बाघिन को सुरक्षित रूप से जंगल की ओर खदेड़ने की तैयारी की जा रही है। टीम के सदस्य लाउडस्पीकर के माध्यम से ग्रामीणों को सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं। वहीं ड्रोन कैमरे की मदद से बाघिन की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

अधिकारियों का कहना है कि बाघिन के शावक अभी छोटे हैं, इसलिए वह उन्हें लेकर सुरक्षित जगह तलाश रही है। यदि समय रहते उसे जंगल की ओर नहीं लौटाया गया तो जनहानि की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल गांव में रेड अलर्ट जैसा माहौल है और लोग प्रशासन से जल्द समाधान की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

घटिया रेत सरिया, से गुणवत्ताविहीन चल रहा कार्य, स्टेशन के नव निर्मित बाऊण्डी बाल व नाली निर्माण 


उमरिया

कभी रेलवे के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता मानक की मिसाल पेश की जाती रही है, बदलते परिवेश ने  रेलवे के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता को लील लिया, और रेलवे के निर्माण कार्य भी अत्यंत घटिया पूर्व और कमाई के जरिया बनकर उभरें है। निर्माण कार्यो में गुणवत्ता मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है, तभी तो नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन में चल रहें बाऊण्डी बाल और नाली निर्माण कार्य में प्रयुक्त होते वाली घटिया सामग्री हर एक के आंखों में चुभ रही है। लोहे की प्रयुक्त सरिया और मिट्टी युक्त रेत ठेकेदार के घटिया काम की पोल खोल कर रख दी है। ठेकेदार के इन कामों को देखकर लगता है कि यह सिर्फ शासकीय धन राशि को डकारने से ज्यादा कुछ कार्य एजेंसी करना नहीं चाहती। बताया जाता है कि बाउंड्री बाल में सरिया का प्रयोग धरातल से न कर दो ढाई फीट ऊपर से लगायी गई है, जबकि किसी भी निर्माण कार्य में ऐसा होता नहीं है। जंग युक्त लोहे की सरिया और मिट्टी युक्त रेत से निर्मित यह बाउंड्री बाल और नाली की उम्र क्या होगी, इसको लेकर आज से ही सवाल उठाये जाने लगे हैं। अगर घटिया निर्माण कार्य में रोक नहीं लगायी जाती है तो यह शासकीय धन राशि की होली खेलने से ज्यादा कुछ साबित नहीं होगा ‌। विदित होवे पिछले दिनों नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन में नव निर्मित ओवर ब्रिज इसी गुणवत्ता हीन बनाने का दंश आम नागरिक उठा रहे हैं।रेलवे जैसे संवेदनशील विभाग में बोर्ड लगाने की प्रथा तो लगभग गायब ही है, जिसको देखकर वास्तविकता का आंकलन लगाया जा सकें। यहाँ से शुरू हुआ अनियमितता का खेल आखिर तक छल कपट गुणवत्ताहीन पूरा कर शासकीय धन राशि को हडप कर ठेकेदार चलते बनते हैं और उसकी त्रासदी लोग वर्षों भुगतते रहते हैं। अपेक्षा है कि रेल प्रबंधन मामले की गंभीरता से लेते हुए गुणवत्ता युक्त कार्य कराने के लिए आवश्यक कदम उठायेगी।

प्रभारी लैम्पस प्रबंधकों के हठधर्मिता, वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की उड़ा रहे धज्जियां, विभाग को लग रहा पलीता


उमरिया

मध्यप्रदेश शासन सहकारिता विभाग इन दिनों विक्रेताओं के वेतन वृद्धि के मामले में चर्चाओं मे छाया हुआ है। मामले के बिषय में बताया जाता है कि विक्रेताओं का शोषण समितियों में बैठे प्रभारी लेम्पस प्रबंधकों की खाओ उडाओ , हडपो की नीति ने हठधर्मिता का रूप लेकर सहकारिता विभाग की छबि को पलीता लगा कर रख दिया है । पिछले  दशक से सहकारी समितियों में चुनाव न होने के कारण समितियों में एक छत्र लैम्पस प्रबंधकों का राज छाया हुआ है, दर असल में समितियों में निर्वाचित संचालक मंडल न होने की स्थिति में स्थानीय स्तर पर लैम्पस प्रबंधकों के काम काज की निगरानी होती नहीं है, इन समितियों के संचालन के लिए लैम्पस प्रबंधकों और एक प्रशासक को समितियों के संचालन की जिम्मेदारी होती है । सहकारिता विभाग में अमले की कमी के कारण सहकारी बैंक में पदस्थ शाखा  प्रबंधकों को इसकी कमान सौंपी गयी है,जिससे शाखा प्रबंधक बैंक सम्हाले की लैम्पस प्रबंधकों की तानाशाही पर रोक लगाये, इससे लैम्पस प्रबंधकों की स्वेच्छाचारी चरम पर बनी हुई है।सर्व विदित है कि  लंबे अरसे से  न्यूनतम  वेतन  के कारण विक्रेताओं  का शोषण हो रहा था, इससे मुक्ति दिलाने के लिए  मध्यप्रदेश की यशस्वी सरकार ने विक्रेताओं के खुशहाली के लिए उनके  वेतन वृद्धि करते हुए हर वर्ष तीन लाख अडतालीस हजार वित्तीय अनुदान, एवं अन्य मदों से आय के स्त्रोत देते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने विभाग को निर्देश जारी किये गए थे, इस आदेश के परिपालन में प्रदेश के आला अधिकारियों ने लगातार  आदेश जारी करते हुए मातहत अधिकारियों को निर्देश जारी कर युक्त - युक्त वेतन दिलाने के आदेश जारी किये गए है। फिर भी विक्रेताओं के वेतन वृद्धि के  आदेश लागू नहीं किये गए हैं, जिसके लिए मूल रूप से लैम्पस प्रबंधकों के ऊपर विभागीय अधिकारियो के ऊपर अधिकारियों का नियंत्रण न होने के कारण सरकार के व्दारा जारी दिशा निर्देशो का  पालन नहीं हो पा रहा है।

सहकारिता विभाग में मची अंधेर गर्दी की इंतिहा तो तब हो गयी जब प्रभारी लैम्पस प्रबंधकों ने वरिष्ठ अधिकारियों के जारी आदेश में लैम्पस प्रबंधकों के लिए जो वेतन वृद्धि की थी, उसे तो लागू कर ली गई, लेकिन विक्रेताओं के वेतन वृद्धि के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को आज भी पसीने छूट रहे हैं। वित्त विभाग के व्दारा जारी निर्रदेशो का अवलोकन करने पर पाया जाता है कि वित्तीय मामलों में आदेश के अंश  भाग को स्वयं के लिए लागू किया जाना आर्थिक कदाचरण, अनियमितता की श्रेणी में आता है, ऐसे मामलों में  दोषी पाये जाने पर जिम्मेदार  अधिकारियों के विरुद्ध भी समान रूप से दोषी माने जायेंगे।।ऐसा माना जाता है कि विक्रेताओं के वेतन वृद्धि नियमानुसार न करने के पीछे समितियों में फल रहा भष्ट्राचार, और लैम्पस प्रबंधकों के मकड़जाल मे फंसे अधिकारी कडाई से अनुशासन का पालन नहीं करा पा रहे।

पीएम सड़क के उडे परखच्चे, पुलिया बही, हो रही परेशानी


उमरिया

जिले के बिरसिंहपुर पाली आदिवासी विकास खंड के घुनघुटी से औढेरा तक बनी प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना में बनी सडकों के परखच्चे उड जाने से आवागमन में भारी असुविधाओं का सामना करना पड रहा है, वही पर मार्ग पर पडने वाली पुलियो के बरसात में बह जाने के बाद आवागमन में बाधक बन गयी है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में घुनघुटी पनवारी के बीच और आमगार से औढेरा के पास पडने वाली पुलिया के बह जाने के कारण नागरिकों को भारी समस्याओं का सामना करना पड रहा है। ध्यान देने योग्य है कि आगामी दिनों में मालाचुआ में धान खरीदी केन्द्र संचालित होने के कारण किसानों को इसी मार्ग से अपनी उर्पाजित फसल को खरीदी केन्द्र तक लेकर जाने के लिए यही  एक मात्र मार्ग है, अगर समय पर इन पुलो का निर्माण कार्य नहीं कराया जाता है तो किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पडेगा। कांचोदर, पनवारी, आमगार के आदिवासी किसानों ने जिला प्रशासन से मांग की है की शीघ्र ही प्रधानमंत्री सड़क मार्ग पर बरसात में बहे दोनों पुलों का शीघ्र पुर्ननिर्माण कराया जाये ताकि लोगों को आवागमन की सुविधा मुहैया हो सकें।

 2 नाबालिग चोर को पुलिस ने किया गिरफ्तार


उमरिया

बिरसिंहपुर पाली पुलिस द्वारा चोरी की वारदात मे शामिल दो आरोपियों को दबोच कर उनके कब्जे से माल बरामद कर लिया है। बताया गया है कि विगत दिवस अज्ञात बदमाश राजू रैदास निवासी वार्ड नंबर 01 के घर से समर्सिबल पंप के ऊपर लगी चैन पुल्ली उडा कर ले गये थे। इस मामले मे पुलिस अधीक्षक विजय भागवानी के निर्देशन मे थाना प्रभारी राजेश चंद्र मिश्रा द्वारा एक विशेष टीम बनाकर जांच शुरू की गई। तकनीकी साक्ष्यों और स्थानीय सूत्रों की मदद से पुलिस ने दो नाबालिग युवकों को हिरासत मे लिया। पूछताछ के दौरान उन्होंने चोरी की वारदात स्वीकार कर ली। आरोपियों की निशानदेही पर चैन पुल्ली बरामद कर ली गई। इस प्रकरण मे आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही की जा रही है।

ग्राम पंचायत की अनदेखी, सड़क की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों ने खुद बना ली सड़क


उमरिया

किसी भी समस्या का समाधान यदि जिम्मेदार न करें तो क्या किया जाए, इसका जवाब छपडौर गांव के लोगों ने अपने जज्बे और एकजुटता से दे दिया है। यहां पिछले काफी समय से खराब सड़क की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों ने स्वयं आगे आकर श्रमदान और चंदा इकट्ठा कर करीब एक किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर सभी को चौंका दिया।

बताया जाता है कि सड़क को लेकर ग्राम पंचायत स्तर पर कई बार सरपंच और जिम्मेदारों से सहायता की मांग की गई, लेकिन सहयोग न मिलने पर गांव के किसानों ने निर्णय लिया कि इंतजार करने से बेहतर है कि अपनी मेहनत से समाधान निकाला जाए। इसी सोच के साथ ग्रामीणों ने मिलकर सड़क निर्माण कार्य शुरू किया और कुछ ही दिनों में मार्ग को सुगम बना दिया। बताया गया है कि इस मार्ग से प्रतिदिन करीब 25-30 ट्रैक्टर, बड़े हार्वेस्टर, दोपहिया वाहन और पैदल यात्री गुजरते थे। गहरे गड्ढों के कारण ग्रामीणों को खेतों तक पहुंचने में काफी दिक्कत होती थी। अब सड़क बन जाने से परिवहन में काफी राहत मिली है और किसानों के चेहरों पर खुशी साफ देखी जा सकती है।

ग्रामीणों का कहना है कि यदि सभी एकजुट हो जाएं तो किसी भी समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है। उन्होंने साबित कर दिया कि आत्मनिर्भरता और सामूहिक प्रयास से वह काम भी संभव हो जाता है, जो प्रशासन के लिए चुनौती बन जाता है।

कॉलेजों में बस परिवहन सुविधा न होने से छात्रों में आक्रोश, NSUI ने सौंपा ज्ञापन

*अब नहीं सहेंगे छात्रों के साथ अन्याय*


उमरिया 

जिले के प्रमुख महाविद्यालयों में बस परिवहन सुविधा बंद होने से छात्र-छात्राओं में भारी आक्रोश व्याप्त है। इसी मुद्दे को लेकर आज भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) जिला उमरिया के नेतृत्व में सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर महोदय को ज्ञापन सौंपा।

छात्रों की मुख्य मांग रही कि आदर्श महाविद्यालय उमरिया एवं प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस (शा. रणविजय प्रताप सिंह महाविद्यालय) में तत्काल बस परिवहन सुविधा पुनः शुरू की जाए। छात्रों का कहना है कि आदर्श महाविद्यालय जिला मुख्यालय से लगभग 6-7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और कॉलेज तक पहुंचने का रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता है, जिससे छात्राओं की सुरक्षा को लेकर हमेशा खतरा बना रहता है। परिवहन सुविधा के अभाव में छात्र-छात्राओं को ऑटो या निजी साधनों का सहारा लेना पड़ता है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। NSUI जिला अध्यक्ष मो. असलम शेर के नेतृत्व में हुए इस ज्ञापन कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी जिला उपाध्यक्ष पुष्पराज सिंह, NSUI जिला उपाध्यक्ष कृष्ण कांत तिवारी, NSUI ब्लॉक अध्यक्ष अम्बर शुक्ला, NSUI आदर्श कॉलेज अध्यक्ष अजय असाटी ओम, शीतला प्रताप सिंह कॉलेज अध्यक्ष अनुराग तिवारी, रणविजय प्रताप सिंह महाविद्यालय अध्यक्ष ओम तिवारी, ब्लॉक उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार रजक, जिला महासचिव शुभम महोबिया, कॉलेज सचिव सचिन चौधरी , कॉलेज सचिव राजा रावत आदि भारी संख्या में पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहीं।

छात्रों ने नारे लगाते हुए कहा "बस सुविधा बहाल करो—शिक्षा का अधिकार निभाओ" "छात्रों की आवाज दबेगी नहीं अब सड़कों पर लड़ेगी"

कहा कि छात्र-छात्राओं को शिक्षा का अधिकार तो दिया गया है, लेकिन कॉलेज तक पहुंचने का साधन नहीं। यह कैसी व्यवस्था है आदर्श महाविद्यालय और प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस जैसे संस्थानों तक पहुंचने के लिए छात्रों को रोज़ाना खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ता है। हमने पहले भी ज्ञापन सौंपा था, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यदि अब तुरंत बस परिवहन सुविधा शुरू नहीं की गई, तो NSUI छात्रहित में धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करेगी।इस स्थिति की पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

प्रदर्शनकारियों ने किया सड़क जाम, पुलिस ने 30-35 लोगो पर किया मामला दर्ज


उमरिया

जिले के इंदवार थानांतर्गत आम रोड चहली रोड मझौली में कल 30 अक्टूबर की दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से 3 बजकर 57 मिनट तक अपनी मांगों को लेकर दर्जनों ग्रामीणों के द्वारा सड़क जाम कर दी गई थी। लगभग एक से डेढ़ घण्टे सड़क पर जाम की स्थिति निर्मित रही, जिसे एसडीएम मानपुर की समझाईस के बाद 15 दिनों का अल्टीमेटम देकर प्रदर्शनकारियों ने धरना स्थगित कर दिया था।

उक्त मामले में शासन की तरफ से निरीक्षक गोविंद सिंह की सूचना पर बीएनएस की धारा 189(2), 126(2) के तहत रोशनी सिंह, रमाकांत पांडे, रमेश चौधरी, रामनरेश राय, मोतीलाल सहित 30 से 35 लोगो पर मामला दर्ज किया गया है।

उक्त मामले में एसडीओपी उमरिया डॉ नागेंद्र सिंह के द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि विगत कुछ दिनों पूर्व ग्रामीणों के द्वारा एक ज्ञापन दिया गया था। ज्ञापन में मांग की गई थी कि बाँघवगढ़ टाईगर रिज़र्व अंतर्गत फारेस्ट में रोड का निर्माण किया जाए। माननीय सुप्रीम कोर्ट और शासन के द्वारा ऐसे निर्देश है कि फारेस्ट के अंदर ऐसी गतिविधि नही की जा सकती है, इसके बावजूद भी बाँघवगढ़ प्रबंधन के द्वारा उच्च अधिकारियों से मार्गदर्शन माँगा गया है। उसी क्रम में कल दिनाँक 30 अक्टूबर को उक्त मांग को लेकर किए जा रहे धरने के दौरान जो रोड इंदवार से मानपुर की ओर आती है, जो कि काफी व्यस्ततम मार्ग है, यहां से यात्री बसों के अलावा क्षेत्रीय लोगो का आवागमन लगा रहता है। उक्त सड़क को धरना प्रदर्शन के दौरान जाम कर दिया गया।

इस कारण इंदवार पुलिस के द्वारा 5 नामजद और 30-35 अन्य के विरुद्ध सड़क जाम करने का मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।



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