टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र मे शावकों सहित 7 से ज्यादा मादा कर रही है विचरण, राह चलते हो रही बाघों से भेंट

टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र मे शावकों सहित 7 से ज्यादा मादा कर रही है विचरण, राह चलते हो रही बाघों से भेंट

*बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मामला*


उमरिया

मध्यप्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्जा दिलाने मे जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का महत्वपूर्ण योगदान है। यह भूमिका आने वाले दिनो मे भी बरकरार रहने की पूरी उम्मीद है। कारण यहां तेजी से बढ़ रही इनकी संख्या है। आलम यह है कि बीते कई दिनो से पार्क क्षेत्र से गुजरने वाले लोग और मुसाफिर राह चलते बाघ दर्शन का आनंद उठा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक बांधवगढ़ के कोर क्षेत्र मे ही 7 से ज्यादा मादा अपने शावकों के सांथ विचरण कर रही हैं। यही स्थिति बफर मे भी है, जहां कई बाघ, बाघिन और उनके शावक मौजूद हैं। एक अनुमान के मुताबिक बीटीआर मे टाईगर्स की तादाद अब 200 के आसपास पहुंच चुकी है।

*प्रबंधन की मिसाल बना बीटीआर*

बांधवगढ़ मे बाघों के वृद्धि का श्रेय उत्तम प्रबंधन तथा तमाम क्षति सहने के बावजूद वन और वन्यजीवों के प्रति दिली जुड़ाव रखने वाले ग्रामीणों एवं विभागीय अमले को जाता है। प्रबंधन ने वर्षो पहले वन्य जीवों के लिये अनुकूल वातावरण बनाने की ठोस पहल शुरू की थी। इनमे चीतल-सांभर जैसे जानवरों का संरक्षण तथा उनके लिये भोजन की स्थाई व्यवस्था शामिल हैं। इस दौरान घांस के कई मैदान विकसित किये गये। जिससे उनकी तादाद मे निरंतर इजाफा होता गया। हिरन-चीतल, सांभर आदि की पर्याप्त उपलब्धता बाघों के पोषण का प्रमुख आधार बन गई है।

*संवेदनशीलता ने बदले हालात*

बीटीआर के क्षेत्र संचालक डॉ. अनुपम सहाय तथा उप संचालक पीके वर्मा ने संवेदनशीलता के सांथ अपने पूर्ववर्तियों के प्रयासों को और गति दी है। विशेषकर ग्रामीणो के सांथ सतत संवाद स्थापित करने, लगातार समझाईश, जन जागरण तथा प्रशिक्षण कार्यशालाओं जैसी गतिविधियों के कारण मानव तथा वन्यजीवों के बीच होने वाली द्वंद को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सका है। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के आसपास वन्यजीवों के हमलों से होने वाली जनहानि अथवा पशुओं की मौत या घायल होने की स्थिति मे पीडि़तों का त्वरित इलाज तथा पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने से ग्रामीण संतुष्ट होकर वन्यजीव संरक्षण मे प्रबंधन का सहयोग कर रहे हैं।

*मां के संरक्षण मे वयस्क हो रहे बच्चे*

सूत्रों के मुताबिक बीते महीनो मे बांधवगढ़ के कोर तथा बफर क्षेत्रों मे कई टाईगरो ने शावकों को जन्म दिया था। जो अब अपनी माताओं के संरक्षण मे धीरे-धीरे बड़े हो रहे हैं। मुख्य रूप से रॉ नामक मादा खितौली से धमोखर के बीच अपने 4 शावकों के सांथ तथा पनपथा मे एक बाघिन 3 शावकों के सांथ लगातार देखी जा रही है। इसके अलावा राजबहेरा वाली बाघिन 4 शावकों संग मगधी-ताला, सुआरी, सौसर इलाके मे दृष्टव्य है। जबकि भितरीवाह फीमेल 4 बच्चों के सांथ, एक बाघिन धमोखर, भैसमुड़ा तालाब क्षेत्र मे 3 शावकों के सांथ, डमडमा फीमेल 3 शावकों के सांथ ताला कोर मे सीतामंडप के आसपास तथा खितौली-पनपथा इलाके की बाघिन 1 शावक के सांथ विचरण कर रही है। गौरतलब है कि इस बाघिन ने छोटा भीम के सांथ 3 बच्चों को जन्म दिया था, जिनमे से 2 को तांडव बाघ ने मार डाला था। बचा हुआ शावक अपनी मांग के सांथ दिख रहा है। इसके अलावा  चंसुरा, बमेरा आदि गैर पर्यटन क्षेत्रों मे भी कई बाघ सक्रिय हैं।

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