अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ आठिया की 11 पुस्तकों का लद्दाख के उपराज्यपाल ने किया विमोचन 

*इथोपिया, सूरीनाम के राजदूत द्वारा विश्व हिन्दी सेवी सम्मान से सम्मानित*


देवरी

विश्व हिंदी परिषद द्वारा 21-  22 नवंबर 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें सागर जिले से डॉ अवनीश मिश्रा , डॉ बी डी पाठक , महेंद्र लोधी, शिवम् शर्मा एवं डॉ सीताराम आठिया ने सहभागिता कर शोध पत्रों का वाचन किया। सम्मेलन के प्रथम दिवस डॉ. सीताराम आठिया की 11 पुस्तकों का विमोचन मुख्य अतिथि कवींद्र गुप्ता, उप राज्यपाल, लद्दाख, अजय मिश्रा पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री, बलदेव पुरुषार्थ संयुक्त सचिव आर्थिक कार्य विभाग वित्त मंत्रालय भारत सरकार, विश्व हिन्दी परिषद के महासचिव डॉ विपिन कुमार, देवी प्रसाद मिश्रा, राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्म भूषण डॉ यारलगड्डा लक्ष्मी प्रसाद, प्रो रामनारायण पटेल आचार्य दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रो सच्चिदानंद मिश्रा सचिव भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, डॉ शकुंतला सरुपपिया द्वारा किया गया। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में डॉ आठिया की लोकार्पित  11  पुस्तकें है। हिंदी सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्रियां, भारतीय दलित महिला साहित्यकार,  प्रवासी भारतीय महिला साहित्यकार , प्रशासन में महिलाओं की भूमिका, भारत रत्न प्राप्त विदुषी महिलाएं, हिंदी साहित्य के विविध आयाम और स्त्री विमर्श, भारतरत्न प्राप्त महापुरुषों की जीवनियां, भारत के महान व्यक्तित्व, हिंदी सिनेमा के प्रमुख अभिनेता, भारत की प्रथम महिला विदेश मंत्री, सुषमा स्वराज, भारत की प्रथम महिला आई पी एस किरण वेदी। उपरोक्त पुस्तके जेटी एस पब्लिकेशन दिल्ली, नीलम पब्लिकेशन मुंबई, कोलकाता प्रेस बुक, बीएमपी पब्लिकेशन फरीदाबाद, एविनसपब प्रकाशन बिलासपुर, एचएसआरए पब्लिकेशन बेंगलुरु से प्रकाशित की गई है। 

सम्मेलन के द्वितीय दिवस डॉ सीताराम आठिया को हिंदी में उत्कृष्ट कार्य हेतु सूरीनाम की राजदूत  सुनयना मोहन, इथोपिया के राजदूत गेबरू टेकलय के करकमलों द्वारा अंग वस्त्र पहनाकर विश्व हिन्दी सेवी सम्मान से सम्मानित किया गया।  इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश से अनेक प्रतिष्ठित विद्वान, कुलपति, साहित्यकार, प्रशासक एवं जनप्रतिनिधि, मीडिया व कला जगत की हस्तियां शामिल हुई जिनमे प्रमुख रूप से  पूर्व राज्यसभा सांसद आर. के. त्यागी,  हरियाणा की राज्यसभा सांसद व पूर्व राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष रेखा शर्मा, नीदरलैंड से डॉ. ऋतु शर्मा, नंदन पांडेय, चीन से डॉ.विवेकमणि त्रिपाठी, लंदन से सुश्री वंदना खुराना, अमेरिका से मयंक जैन, कादंबरी शंकर व डॉ दुर्गा सिन्हा, जापान से डॉ रमा पूर्णिमा आदि उपस्थित रहे।

बता दें कि मध्य प्रदेश के सागर जिले की देवरी तहसील में स्वास्थ्य विभाग में पर्यवेक्षक के पद पर कार्यरत डॉ सीताराम आठिया मूल रूप से एक सामाजिक कार्यकर्ता है। जिन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, समाजसेवा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कई नवाचार किए हैं जिनके लिए उन्हें सैकड़ों  राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं। 2023 के इसी विज्ञान भवन में विश्व हिन्दी परिषद द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में प्रथम बार आपने सहभागिता की और यही से उन्हें हिंदी सेवा और साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा मिली। तत्पश्चात एक वर्ष में आपने विभिन्न विश्वविद्यालयों में आयोजित राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों मे सहभागिता करके तथा अन्य संपादित आईएसबीएन पुस्तकों में करीब 100 शोध पत्र लिखे किंतु इससे वह संतुष्ट नहीं हुए। व्यापक पैमाने व्यापक पर साहित्य सेवा करने के उदेश्य से आपने 8 मार्च 2024 को दीपशिखा 501 पुस्तक श्रृंखला निशुल्क प्रकाशन योजना प्रारंभ की। जिसमें समस्त मानविकी विषयों पर आधारित 501 पुस्तकों के 101 शहरों से प्रकाशन का लक्ष्य रखा। मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही हैं कि मात्र पौने दो वर्ष की अल्पावधि में उनकी द्वारा 35 संपादित पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं और करीब 15 प्रकाशनाधीन हैं। उनकी इस निशुल्क प्रकाशन योजना से वर्तमान में 120 संपादक और करीब दस हजार साहित्यकार प्रोफेसर्स जुड़े हुए हैं। 

कवि संगम त्रिपाठी ने इस उपलब्धि पर डाॅ सीताराम आठिया को बधाई दी एवं बताया कि हिंदी प्रचार प्रसार में इनका सहयोग सराहनीय है।

बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड यूएसए द्वारा लेखिका एवं कवियत्री सुशी सक्सेना हुई सम्मानित


इंदौर 

मध्यप्रदेश भारत की सुप्रसिद्ध लेखिका एवं कवियत्री सुशी सक्सेना को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों और रचनात्मक योगदान के लिए बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, यूएसए (United States of America) द्वारा विशेष सम्मान से नवाज़ा गया। यह सम्मान उन्हें प्रेरणात्मक लेखन के क्षेत्र में निरंतर उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदान किया गया। इंदौर मध्यप्रदेश भारत की लेखिका सुशी सक्सेना ने साहित्य के क्षेत्र में तो महारत हासिल किए हैं साथ ही इन्होंने राजनीतिक और वैज्ञानिक विषयों पर भी पुस्तकें लिखी हैं।

"अनेक प्रकाशित कृतियों और साहित्यिक सम्मान के साथ सबसे सृजनशील एवं प्रख्यात लेखिका एवं कवयित्री सुशी सक्सेना को बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड यूएसए के इंटरनेशनल चेयरमैन्स आलोक कुमार एस और डाॅ अविनाश डी सकुंडे पुने भारत व नेहा कुमारी जी, नई दिल्ली भारत ने  प्रमाण-पत्र व विश्व-रिकॉर्ड से सम्मानित करते हुए गर्व महसूस किया और कहा....

यह प्रमाण-पत्र गर्वपूर्वक सुशी सक्सेना जी को उनके असाधारण रचनात्मक कौशल, समर्पण और साहित्य, विज्ञान एवं राजनीति के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के सम्मान में प्रदान किया जाता है। एक लेखिका और कवयित्री के रूप में उनकी अद्भुत यात्रा ने देशभर में अनगिनत लोगों के हृदयों और विचारों को स्पर्श किया है। गहन भावनाओं, प्रभावशाली अभिव्यक्तियों और चिंतनशील लेखन के माध्यम से वे आधुनिक भारत की सबसे सृजनशील और प्रभावशाली महिला साहित्यिक आवाज़ों में से एक बनी हैं। 

अपनी लेखनी के माध्यम से सुशी सक्सेना ने मानवीय अनुभवों के सार को अत्यंत सुंदरता से व्यक्त किया है। कविता, गद्य और प्रेरणादायक साहित्य, विज्ञान और राजनीति के क्षेत्र में उनकी रचनाएँ उनकी उस विलक्षण क्षमता को दर्शाती हैं, जिसमें वे कल्पना को सत्य से, भावनाओं को बुद्धि से, और सरलता को गहराई से जोड़ देती हैं। उन्होंने अब तक बारह पुस्तकें लिखी और प्रकाशित की हैं। उनकी रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और संकलनों में प्रकाशित होती रही हैं, जिनके लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सराहना और स्वर्ण पदक तथा "वंदे मातरम् पुरस्कार" जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया गया है। यह विश्व-रिकॉर्ड उनके जुनून, रचनात्मक प्रतिभा और लेखन कला के प्रति आजीवन समर्पण का प्रमाण है — जो आने वाली पीढ़ियों को शब्दों की शक्ति और सौंदर्य को सहेजने और समझने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

सम्मान प्राप्त करने पर सुशी सक्सेना ने कहा कि, यह उपलब्धि उनके लिए अत्यंत गौरव का विषय है और यह उन्हें भविष्य में और अधिक सार्थक एवं प्रेरणादायक साहित्य, विज्ञान और राजनीतिक क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित करती है। बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड यूएसए द्वारा दिया गया यह सम्मान सुशी सक्सेना की साहित्यिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है और साहित्य जगत में उनकी सशक्त पहचान को और अधिक सुदृढ़ करता है।

भारतीय संविधानिक महासंघ की बैठक संपन्न,कार्यकारिणी घोषित, संविधान दिवस मनाने का हुआ निर्णय 


छिंदवाड़ा

भारतीय संविधानिक महासंघ की बैठक छिंदवाड़ा जिले के विभिन्न संगठनों को आमंत्रित किया गया था जिसमें अनु, जन जाति, अनु जाति, पिछड़ा वर्ग, एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को समता बौद्ध विहार परासिया रोड छिंदवाड़ा में दोपहर 2 बजे से बैठक का आयोजन किया गया था ।भारतीय संविधानिक महासंघ  ओर संविधान दिवस के उपलक्ष्य पर महासंघ बनाने हेतु एक विशेष बैठक का आयोजन किया  गया। जिसमें सर्वप्रथम कार्यक्रम अध्यक्षता आर के चौहान की अनुमति से कार्यक्रम की शुरुआत भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष मोमबत्ती जलाकर एवं पुष्पमाला अर्पित की गई तत्पश्चात अतिथियों का  पुष्पमाला से हार्दिक स्वागत किया गया । 30 नवंबर को छिंदवाड़ा में वृहद स्तर पर संविधान दिवस मनाया जाएगा। इस संबंध में सभी वक्ताओं ने अपना- अपना विचार रखे। सभी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि हमारा लक्ष्य संविधान के मूल्यों — समानता, न्याय और बुनियादी अधिकारों — को समझना और समाज में एकता को मजबूत बनाना है। इस बैठक में हम कार्यक्रम का रूपरेखा तय करेंगे, वक्ताओं के कर्तव्य बाँटेंगे और विभिन्न समाजिक समूहों के बीच समन्वय बढ़ाने के व्यावहारिक कदम उठाएँगे।

हम विशेष रूप से सभी समाज प्रतिनिधियों, समाजसेवियों, युवा और महिलाओं से आग्रह करते हैं कि वे मिलकर संवाद करें, मतभेदों को परे रखते हुए साझा समाधान और एकजुटता का संकल्प लें। केवल संयुक्त प्रयास से ही सामाजिक असमानताओं का प्रभावी मुकाबला सम्भव है।

यह संगठन गैर राजनीतिक संगठन रहेगा। सर्व समिति से सभी पदाधिकारी का चयन किया गया जिसमें  संरक्षक एडवोकेट बलदास डेहरिया सुश्री कमला डेहरिया आरके चौहान अध्यक्ष  एस. बी. सोनटक्के ,उपाध्यक्ष अनीस अंसारी,रामदास उइके,हरिराम पाल, चन्द्रभान देवरे,अनिल यादव, महासचिव - एड .देवेन्द्र वर्मा,सचिव, देवेन्द्र खांडेकर,मदन बरखाने, राजेश दोडके, कोषाध्यक्ष शिव मंडराह, सह कोषाध्यक्ष - आजम खान,सदस्य गण गायकवाड,प्रदीप बिस्केले,विनीत पाटिल ,शैलेन्द्र आरसे, संदेश बघेलकर,नाभिर मंसूरी, प्रचार प्रसार प्रभारी मोहरु पटेल, जिला मिडिया प्रभारी आकाश कोचे,संगठन मत्री किशोर वंशकार, कार्यालय मंत्री पुरुषोत्तम मंडराह,सह कार्यालय मंत्री-" भीमराव सोमकुंवर, दीपक बागडे चिकित्सा प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. अकील मंसूरी, विधी प्रकोष्ठ प्रभारी - श्याम अहिरकार, सह विधी प्रकोष्ठ प्रभारी - सुजीत पहाडे  कार्यकारिणी घोषित की गई उक्त कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सुश्री कमला डेहरिया सुनीता बामनिया मोहिता जगदेव सविता कनौजिया सहित विभिन्न संगठनों के जिला अध्यक्ष एवं पदाधिकारी की गरिमामयी उपस्थिति रही।

वन विभाग की आपत्ति से गावों को बिजली और खेतों को पानी पहुंचाना हुआ कठिन

*अंधकार के खिलाफ आदिवासियों का युद्ध*


उमरिया

जिले के पाली विकास खंड के चांदपुर ग्राम पंचायत के बाघन्नारा  एक राजस्व गाँव है जहाँ पर बहुतायत संख्या में बैगा समुदाय के लोग निवास रत है, लेकिन वन विभाग की दखलंदाजी के चलते इस गाँव में आज भी बिजली पहुचना आसमान से तारे तोडकर लाने के समान है। गाँव के बैगा समुदाय के लोग और ग्राम पंचायत के सरपंच लगातार गाँव को अंधकार से मुक्ति दिलाने के अथक प्रयास में लगे हुए हैं और वन विभाग के वन मंडलाधिकारी हर बार एक नयी पेंच फंसाकर मामले को जहाँ से तहां पहुंचा देते हैं।

मध्यप्रदेश के गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए केन्द्र के बहु प्रशंसित सरकार ने वर्ष 2015 में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की गयी थी, जिसका उद्देश्य बिजली विहीन गांवों में बिजली पहुचाना था, लेकिन दीनदयाल उपाध्याय जी की यह योजना को इस गाँव के दीन - हीन दिखाई नहीं दिये, इसके बाद वर्ष 2017 में सौभाग्य योजना लागू कर देश के सभी घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए चलायी गयी, लेकिन यह योजना भी इन दीन -हीन बैगाओ के दूर्भाग्य के सामने यह सौभाग्य योजना भी दुर्भाग्य में बदल गयी है। इसके साथ ही इसी वर्ष  प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) यह भी केन्द्र सरकार के व्दारा संचालित कर गरीब परिवारों तक बिजली पहुंचाने के उद्देश्य से लागू किया गया था । मालुम हो की इसके अलावा मुख्यमंत्री ग्राम सड़क विद्धूती करण योजना वर्ष 2016 में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी लागू कर गाँव गाँव बिजली पहुंचाने का काम अपने एजेण्डा में लेकर काम किया, किन्तु पाली विकास खंड के आदिवासी बैगा बाहुल्य गाँवों बाघन्नारा, गांधी ग्राम सांस, चिनकी, आदि गांवों में आज भी अंधेरे से जुझ रहे हैं। यद्यपि इन योजनाओं के तहत मध्यप्रदेश के गाँव गाँव बिजली पहुंचाने के लिए कई कार्य किये गए हैं, जिसके तहत गाँव गाँव बिजली लाइने पहुंचाने, नये बिजली घर बनाने, और गरीबों तक बिजली पहुंचाने का काम हुआ है, परन्तु उमरिया जिले के आदिवासियों के किस्मत में वन विभाग ने जो कील ठोकी है उससे उन गाँवों के आदिवासियों की तो दुर्दशा है ही उमरिया जिले के प्रशासनिक अधिकारी भी वन विभाग के सामने नत मस्तक होकर आदिवासियों को उनके हालात में जीने को छोड़ दिया है। 

यह वही पाली विकास खंड है जहाँ पर एक वर्ष के अन्दर आधे दर्जन से अधिक प्रायवेट कंपनिया कोल उत्खनन के लिए वनो के अन्दर और बाहर अपना जाल फैला रही है, उनके लिए  वन विभाग की तरह से न तो किसी तरह की चिंताये जतायी गयी, तब वन कटने की बाधा सामने आयी, न वन्य प्राणियों के जीवन पर खतरा आया और न ही अन्य पर्यावरणीय मुद्दे सामने आये, लेकिन गाँव में बिजली पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिकल डिस्टीब्यूशन सिस्टम का हवाला देकर आपत्ति दर्ज कर आदिवासियों को मूलभूत प्रकाश जैसे अधिकार से वंचित किया जा रहा है। वन विभाग के इस दोहरे मापदंड का कारण तो साफ साफ समझ में आता है, पर जिनके पास खुद के तन ढकने को कपड़े न हो, पेट भरने के लिए सरकार की पांच किलो राशन के लिए आश्रित हो वह वन विभाग के आला अधिकारियों की मुराद तो पूरी नहीं ही कर सकते।

हिंदी राष्ट्रभाषा प्रचारक संघ के अग्रदूत संगम त्रिपाठी के सम्मान में वही काव्य धारा 


बिलासपुर 

संकेत साहित्य समिति बिलासपुर इकाई द्वारा समिति के महासचिव नरेंद्र कुमार शुक्ल ' अविचल' के निज निवास गीतांजलि सिटी फेज ll में जबलपुर से पधारे कवि संगम त्रिपाठी के सम्मान में सरस काव्य संध्या का आयोजन किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता अमृतलाल पाठक मुख्य अतिथि राजेंद्र मौर्य विशिष्ट अतिथि कवि संगम त्रिपाठी एवं कार्यक्रम का सफल संचालन शिशिर मौर्य के द्वारा किया गया अतिथियों का स्वागत संकेत साहित्य समिति के अध्यक्ष राकेश खरे ' राकेश' द्वारा किया गया श्री त्रिपाठी का सम्मान साल श्रीफल से किया गया नरेंद्र कुमार शुक्ल अविचल, राकेश खरे" राकेश" अशोक कुमार शर्मा, केवल कृष्ण पाठक, अमृतलाल पाठक, कवि संगम त्रिपाठी, राजेंद्र मौर्य ने अपनी -अपनी कविताओं का पाठ किया मुख्य अतिथि राजेंद्र मौर्य द्वारा लिखित काव्य संग्रह रामायण के राम एवं चावुक पुस्तक कवि संगम त्रिपाठी जी को भेंट किया काव्य धारा ठंड की ठिठुरन में देर रात तक चली नरेन्द्र कुमार शुक्ल ' अविचल'द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रेषित कर कार्यक्रम का समापन किया गया

सशक्त हस्ताक्षर की काव्य गोष्ठी व सम्मान समारोह संपन्न


   

        जबलपुर -   सशक्त हस्ताक्षर का 42 वाँ मासिक काव्य महोत्सव चंचल बाई पटेल महाविद्यालय में सानंद सम्पन्न हुआ ၊ सर्वप्रथम संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा ने सभी अतिथियों, कवि-कवयित्रियों,काव्यप्रेमी मनीषियों का अपने शब्द सुमनों से अभिनंदन किया ၊ सरस्वती वंदना प्रसिद्ध मंचीय कवयित्री वंदना सोनी विनम्र द्वारा की गयी ၊

      कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शिक्षिका श्रीमती विनीता श्रीवास्तव, अध्यक्षता महामहोपाध्याय आचार्य डॉ. हरिशंकर दुबे,विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेन्द्रलाल साहू र्निविकार,डॉ. कामना कौस्तुभ,युवा कवि अम्लान गुहा नियोगी, सारस्वत अतिथि राजेश पाठक प्रवीण,मंगलभाव प्राचार्य डाॅ. वंदना पाण्डे, मनोज शुक्ल मनोज की गरिमामय उपस्थिति रही ၊ ज्ञानेन्द्र श्रीवास्तव,बच्चन श्रीवास्तव,योगेन्द्र मालवीय,चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव, अरुण शुक्ल,चंद्रकांत जैन,अमरनाथ सोनी का स्वागत में विशेष सहयोग रहा ၊

        काव्य गोष्ठी का शुभारंभ श्रीमती शिवानी भगत ने माँ पर सुंदर अभिव्यक्ति देकर की ၊ अरविंद मोहन नायक, ओज के कवि उमेश साहू ओज, इन्द्राना से प्रकाश सिंह ठाकुर,भेड़ाघाट से कुंजीलाल चक्रवर्ती निर्झर ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मनमोह लिया ၊ अमरसिंह वर्मा,लखन लाल रजक,सुशील श्रीवास्तव ने भी खूब तालियाँ बटोरी ၊ यशोवर्धन पाठक ने व्यंग्य पढ़ा ၊  श्रीमती प्रभा बच्चन श्रीवास्तव की प्रस्तुति बहुत ही प्रभाव पूर्ण रही ၊ श्रीमती आशा मालवीय शीतऋतु पर बालगीत प्रस्तुत किया ၊ मदन श्रीवास्तव ने शानदार गज़ल पढ़ी ၊ पं. दीनदयाल तिवारी बेताल, डॉ. मुकुल तिवारी, शायर सुरेश दर्पण ने विशेष प्रस्तुति से सबको तलियाँ बजाने हेतु मजबूर कर दिया ၊ श्रीमती तरूणा खरे तनु ने कृष्ण भक्ति पर एवं श्रीमती प्रीति नामदेव भूमिजा ने उनके समाज के शिरोमणि संत तुकाराम पर सुंदर भजन  प्रस्तुत किया ၊ राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरुष्कृत डॉ. संध्या जैन श्रुति की प्रस्तुति उनके व्यक्तित्व के अनुरूप श्रेष्ठ रही ၊ वंदना सोनी विनम्र ने अपनी प्रस्तुतियों से मंच लूट लिया ၊ कालीदास ताम्रकार काली,राजेन्द्र मिश्रा,प्रभावशील प्रभा विश्वकर्मा शील,संदीप खरे युवराज को खूब सराहा गया ၊ मचंस्थ अतिथियों ने भी मंच को नयी ऊँचाईयाँ  दी ၊ संचालन गणेश श्रीवास्तव प्यासा व  आभार प्रदर्शन अमर सिंह वर्मा ने किया ၊ सफल आयोजन की कवि संगम त्रिपाठी सलाहकार सशक्त हस्ताक्षर संस्था ने बधाई दी।

भ्रष्टाचार साबित, फिर भी कुर्सी पर काबिज, नही हुई कार्यवाही, एक तरह के अपराध, मगर बदले दण्ड के मापदंड 

*अभियुक्त की कुर्सी न बदलने से बढी दस्तावेजों में हेराफेरी की आंशका*


उमरिया

जिले में जिले की कमान सम्हाल रहे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की स्वेच्छाचारी कार्य शैली से जिले में व्यापक पैमाने पर भष्ट्राचार और अराजकता अपनी जडे जमा चुकी है। विदित हो की उमरिया जिले के पाली विकास खंड में दो समांतर भष्ट्राचार के मामले पिछले एक वर्ष के अन्दर उजागर हुए, जिनकी गूंज पाली विकास खंड से लेकर राजधानी  की गलियों में सुनाई दी, जिस पर जांच के आदेश राजधानी से ही प्रसारित किये गए। दोनों मामले में से एक में जांच का जिम्मा कलेक्टर उमरिया को और दूसरे मामले की जांच ग्रामीण विकास विभाग से जुडी होने के कारण अपर कलेक्टर मुख्य कार्य पालन अधिकारी जिला पंचायत उमरिया को भष्ट्राचार की जांच सौंपी गई थी, जांच में भष्ट्राचार की पुष्टि हुई है और इसमें से एक मामले में जांच कर कार्यवाही की गयी, यद्यपि एफ आई आर में उच्च न्यायालय से रोक होने के कारण प्राथमिकी दर्ज नही हो सकी, जबकि दूसरे मामले में अपर कलेक्टर मुख्य कार्य पालन अधिकारी जिला पंचायत उमरिया ने मामले में अपराध की पुष्टि होने के बाद अपने मातहतों को बचाने का काम किया गया। इस मामले में पुलिस में एफ आई आर तो दर्ज हुई लेकिन इसके बाद भष्ट्राचार के लिये दोषी कर्मचारियों को सीधे - सीधे बचाने के लिए विभागीय कोई कार्यवाही नहीं की गयी। पहला मामला पाली विकास खंड कार्यालय में हुए प्रधानमंत्री आवास योजना में हूई व्यापक आर्थिक  गडबडी का था, जिस पर प्रधानमंत्री आवासों को खुर्द बुर्द कर हितग्राहियों के नाम पर इस मद की राशि हडपने का अपराध सिद्ध होने पर प्रधानमंत्री आवास योजना के ब्लॉक समन्वयक मोहम्मद इब्राहिम नोमानी और पतरू राम भगत पंचायत समन्वयक पाली को मुख्य आरोपी मानते हुए मामले की प्राथमिकी थाना पाली में अपराध क्र 600 /24  भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 120 बी और 34 के तहत अपराध कायम कर विवेचना कर न्यायालय में है, दूसरा मामले में खंड शिक्षा कार्यालय में भी व्यापक स्तर पर शासकीय धन राशि का गबन किया गया था। जिस मामले में खंड शिक्षा कार्यालय में पदस्थ लेखापाल धनकर को मुख्य दोषी पाया गया था। इस मामले में उमरिया जिले के कलेक्टर धरणेन्द्र जैन ने खंड शिक्षा कार्यालय में लेखापाल के पद पर पदस्थ धनकर सहित दो को निलंबित कर एक कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया, वही पर खंड शिक्षा अधिकारी राणा प्रताप सिंह को भोपाल से निलंबित कराने के लिए कलेक्टर उमरिया ने ऐडी चोटी एक कर निलंबित कराया, और उन्हें पद मुक्त कराया गया था। यद्यपि उनके निलंबन को बाद में विभागीय सचिव भोपाल ने शून्य घोषित कर दिया।

जनपद पंचायत पाली में प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए आवास घोटाले मामले में पुलिस में प्राथमिकी तो दर्ज करायी गयी, किन्तु जिनके सिर पर घोटाले के आरोप साबित हुए है, शासकीय धन राशि के गबन करने के प्रमाणित पुष्टि हुई, उनके ऊपर किसी भी तरह की विभागीय कार्यवाही न करते हुए उन्हें निलंबित न कर उनकी उसी कुर्सी पर पदासीन रखा गया है।  दोनों मामले में एक समान आर्थिक अपराध साबित होने के बाद भी कार्यवाही में भिन्नता प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यशैली पर तीखे सवाल खड़े कर दी है कि आखिर कार वजह क्या है कि आवास घोटाले के आरोपियों को चिरंजीवी होने का आशीर्वाद जिला पंचायत के मुखिया ने दे दी है। यह मामला कलेक्टर उमरिया के संज्ञान में होने के बाबजूद उन्होंने भी इससे मुंह मोड रखा है। खेद जनक कहा जाता है कि जब आये दिन जिला पंचायत के मठाधीशों पर भष्ट्राचार के तीखे आरोप लगाये जा रहे हैं, तब आवास घोटाले मामले में दोषी अधिकारियों के साथ जिला पंचायत की यह सांठगांठ कर उन्हें अभय दान देने की जिला पंचायत की उदारता पर संदेह होना आश्चर्य का विषय नहीं है। चूंकि आर्थिक अपराध के मामले में कर्मचारी आचार संहिता में  कर्मचारियों को उसी कुर्सी पर बैठाये रखना कदाचरण की श्रेणी में आता है, फिर भी  इस संवेदनशील मामले में इन कर्मचारियों को पद से पृथक न करना वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता उजागर करती है। इस मामले में सबसे पेचीदगी यह सामने आयी है कि न्यायालीन अभियुक्तों के पास कमान होने से न्यायालीन दस्तावेजों में भी हेराफेरी की आंशका बढ गयी है। इस संवेदनशील मामले में प्रदेश स्तर के आला अधिकारियों से अपेक्षा है कि उक्त प्रकरण में न्यायोचित कार्यवाही कर आम जनता में न्याय का संदेश देगे।

किताबों की दुनिया में सुशी सक्सेना की पुस्तकों पर चर्चा कार्यक्रम का  सफलता पूर्वक हुआ आयोजन


मध्यप्रदेश

बीती रात्रि 9 बजे किताबों की दुनिया में सुशी सक्सेना की पुस्तकों पर चर्चा कार्यक्रम का सफलता पूर्वक आयोजन संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम श्रीराम सेवा साहित्य संस्थान भारत के मंच पर किया गया। इस कार्यक्रम में लेखिका सुशी सक्सेना और संस्थापिका दिव्यांजली वर्मा मौजूद थे। इस अवसर पर साहित्य, कला और संस्कृति जगत से जुड़े अनेक विद्वान, लेखक और पाठक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान सुशी सक्सेना की पुस्तकों पर चर्चा की गई जो कि साहित्य, विज्ञान और राजनीतिक विषयों पर आधारित हैं। सुशी सक्सेना की रचनाओं में नारी जीवन, सामाजिक यथार्थ, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवीय संवेदनाओं के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा हुई। उनकी लेखनी सरल भाषा में गहरी बात कहने की क्षमता रखती है, जो हर वर्ग के पाठक से सीधा संवाद करती है। कार्यक्रम के दौरान लेखिका ने अपनी लोकप्रिय पुस्तकों के अंशों का वाचन किया गया और कुछ कविताएं सुनाईं। श्रोताओं ने उत्साहपूर्वक अपनी प्रतिक्रियाएँ साझा कीं। 


अंत में दिव्यांजली वर्मा ने कार्यक्रम का समापन करते हुए सभी उपस्थित महानुभावों को विदाई दी और सुशी सक्सेना की लेखन शैली और उनके साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए ऐसे आयोजनों की निरंतरता की कामना की। इस कार्यक्रम ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि साहित्य के क्षेत्र में सुशी सक्सेना की रचनाएँ पाठकों के दिलों में विशेष स्थान रखती हैं।

आता जब मौसम सुहानी सर्दियों का, झूमने लगता है मौसम सर्दियों का


*गरमा गरम यादें*


आता जब मौसम सुहानी सर्दियों का।

झूमने लगता है मौसम सर्दियों का।


हर घड़ी ये जिद्द करता तुमसे मिलने की,

मचलने लगता है मौसम सर्दियों का।


लिपटतीं जब तुम्हारी गरमा-गरम यादें,

बहकने लगता है मौसम सर्दियों का।


जब महावट बन तुम्हारे ख्वाब घिर आते,

बरसने लगता है मौसम सर्दियों का।


कंपकंपाती उंगलियां से जब तुम्हें छूता,

बहकने लगता है मौसम सर्दियों का।


तुम्हारे आने की जब भी खबर मिलती है,

संवरने लगता है मौसम सर्दियों का।


आहटें आतीं तुम्हारी तुम नहीं आते,

सिसकने लगता है मौसम सर्दियों का।


गीत जो तुम पर लिखे है उन्हें सुन कर,

थिरकने लगता है मौसम सर्दियों का।


गीतकार - अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर

मनुष्यों के वर्ण भले ही अलग-अलग क्यों ना हों तथापि उन सभी की जातियां एक होती हैं- संतोष मिश्र

हिंदुओं की जाति और वर्ण व्यवस्था के विषय पर इंजी. संतोष कुमार मिश्र ' असाधु' द्वारा प्रस्तुत अभिनव शोध पत्र


जबलपुर

नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हिंदुत्व के विमर्श: चुनौतियां , समाधान और भविष्य के ज्वलंत मुद्दों पर श्री लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विशविद्यालय नई दिल्ली,हिंदू अध्ययन केद्र , दिल्ली यूनिवर्सिटी, विश्व संवाद केंद्र एवं  भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद ,नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 7 एवं 8 नवंबर 2025 को एक वृहद संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश-विदेश से लगभग 450 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए। इस परिप्रेक्ष्य में रामायण केंद्र जबलपुर इकाई के संयोजक एवं धर्म,आध्यात्म व दर्शन के क्षेत्र में देश-विदेश में तेजी से उभरते , प्रसिद्ध धार्मिक चिंतक इंजी. संतोष कुमार मिश्र 'असाधु ' जोकि वर्तमान में मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड जबलपुर में अधीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत हैं,के द्वारा हिंदुओं के मध्य जाति और वर्ण व्यवस्था के विषय पर एक बेहद महत्वपूर्ण शोधपत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें यह साफ़-साफ़ बताया गया कि जाति प्रथा वस्तुतः किसी व्यक्ति के कर्म आश्रित एक बाह्य पदवी मात्र है जबकि वर्ण व्यवस्था उसके आंतरिक आत्मिक-प्रकाश का विज्ञान है। आपको यह जानकर अत्यंत आश्चर्य होगा कि हमारे सनातन धर्म के प्राचीन धर्म-शास्त्रों के अनुसार मनुष्यों के मध्य में कोई जाति भेद कदापि नहीं होता है अपितु मनुष्य स्वयं में ही एक जाति है। स्कंदपुराण एवं मनुस्मृति का संदर्भ देते हुए श्री मिश्र जी ने बताया कि जन्म से सभी मनुष्य शूद्र वर्ण के होते हैं और संस्कार होने पर ही वे द्विज और उच्च वर्ण की स्थिति प्राप्त कर लेते हैं। वर्ण व्यवस्था वास्तव में ईश्वरकृत एक दोषरहित तथा अनादिकालीन ब्रह्मांडीय व्यवस्था है ,जिसके सृजनकर्ता और संरक्षक स्वयं ईश्वर होते हैं। यही मूल कारण है कि वर्ण व्यवस्था में न तो कोई छुआछूत होता है और ना ही कोई ऊंच या नीच, यह वस्तुतः व्यक्ति के गुण और कर्म के अनुरूप बनाई गई है। यह व्यवस्था ऋग्वेद के पुरुष सूक्तं में वर्णित एक विराट पुरुष के अखण्ड शरीर के विभिन्न भागों में व्याप्त आत्मिक चेतना की मात्रा जोकि उसके आभा मंडल के रूप में प्रतिबिंबित होती है, उसका ही आध्यात्मिक तौर पर संकेत किया गया है। हिन्दुओं के मध्य में अंधविश्वास, जातीय आधार पर छुआछूत और ऊंच-नीच जैसी दुष्प्रचारित बुराईयों को दूर कर उनकी एकता की दिशा में इस ज्वलंत विषय पर अपने शोधपत्र का प्रस्तुतीकरण किया गया जिसकी वहां काफी सराहना की गई । जन जागृति की दिशा में इस तरह के अभिनव कार्य करते हुए श्री मिश्र जी ने संस्कारधानी जबलपुर का नाम अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर पुनः गौरवान्वित किया है। 

         कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई देते हुए बताया कि इंजिनियर संतोष कुमार मिश्र ' असाधु ' अध्यात्म, धर्म, संस्कृति व साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।


प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री पी. यादव ‘ओज’ को मिला श्रेष्ठ बाल कहानीकार सम्मान-2025


बाल साहित्य की समृद्ध परंपरा को नई दिशा देने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकार,कवि और शिक्षाविद् श्री पी. यादव ‘ओज’ को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए श्रेष्ठ बाल कहानीकार सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया।यह सम्मान प्रिंस जी वेलफेयर ट्रस्ट,आगरा द्वारा प्रदान किया गया। श्री ओज ने अपनी रचनाओं के माध्यम से न केवल बच्चों के मनोविश्व को सशक्त किया है,बल्कि उनके भीतर नैतिकता, मानवता, संवेदना और सकारात्मकता के बीज भी रोपे हैं।उनकी कहानियाँ जैसे-आशा की किरण,कठिन राह,प्रायश्चित,समर्पण,सेवा का प्रसाद आज भी पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।साहित्यिक जगत में ‘ओज’ जी को यह सम्मान उनके सृजनात्मक दृष्टिकोण,सरल भाषा-शैली और जीवन-संबंधी यथार्थपरक प्रस्तुति के लिए दिया गया है।उनके लेखन में बाल मन की कल्पना के साथ-साथ समाज सुधार और चरित्र निर्माण का सशक्त संदेश निहित रहता है।यह सम्मान न केवल श्री पी. यादव ‘ओज’ के सृजनात्मक जीवन का गौरव है,बल्कि हिंदी बाल साहित्य की बढ़ती प्रतिष्ठा और दिशा का भी प्रतीक है।श्री पी. यादव ‘ओज’ का लेखन आने वाली पीढ़ियों के लिए नैतिक मूल्यों और सृजनात्मक ऊर्जा का अमिट स्रोत है।

            कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई देते हुए कहा कि पी यादव ' ओज' साहित्य के विकास व राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में जो काम कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है।

मनीषियों ने भव्य समारोह में डॉ. रामप्रवेश पंडित की 'वाणी वंदना' का किया लोकार्पण


औरंगाबाद -    हिन्दी साहित्य भारती के तत्वावधान में आयोजित इसके जिला महामंत्री सह विमला पांडेय मेमोरियल ज्ञान निकेतन विद्यालय के शिक्षक डॉ राम प्रवेश पण्डित रचित काव्य संग्रह "वाणी वंदना" का भव्य लोकार्पण विमला वीपीएम ज्ञान निकेतन मेदिनीनगर के सभागार में संपन्न हुआ। लोकार्पण झारखण्ड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी,राँची विश्विद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डॉ जंग बहादुर पांडेय,पलामू के समाजसेवी ज्ञानचंद पांडेय,ज्ञान निकेतन विद्यालय के अध्यक्ष बलिराम शर्मा व विद्यालय प्रभारी मनोज श्रीवास्तव,गढ़वा के साहित्यकार सुरेंद्र कुमार मिश्र व डॉ राम विनय तिवारी, मेदिनीनगर के ज्योतिर्विद विजयानन्द सरस्वती,पलामू के काष्ठ कलाविद प्रेम प्रकाश भसीन,संस्था के राँची जिलाध्यक्ष बलराम पाठक,साहित्य प्रेमी हेमंत मिश्र,कवि राकेश कुमार,अनुज कुमार पाठक,नीरज कुमार पाठक,रमेश कुमार सिंह,सत्येंद्र चौबे सुमन व विजय कुमार पाठक 'द्विज' द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।समारोह की अध्यक्षता संस्था के प्रांतीय मार्गदर्शक श्रीधर प्रसाद द्विवेदी,संचालन संस्था के केंद्रीय कार्यकारिणी मंत्री कवि राकेश कुमार एवं विषय-प्रवेश प्रखर वक्ता परशुराम तिवारी ने किया जबकि संस्था के जिला मार्गदर्शक सत्येंद्र चौबे 'सुमन' द्वारा सरस्वती वंदना,संगठन मंत्री नीरज कुमार पाठक द्वारा स्वागत उद्बोधन व जिला मार्गदर्शक रमेश कुमार सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।मुख्य अतिथि श्री इंदर सिंह नामधारी ने कहा कि नेहरू जी के आह्वान पर मैं इंजीनियर बना। लेकिन साहित्य के प्रति मेरा प्रेम छात्र जीवन से था। मैंने पहली बार नौवीं कक्षा में पढ़ते हुए वीर कुंवर सिंह पर कविता लिखी थी। इसे पुनः सुनकर आज मुझे अफसोस होता है कि क्यों मैं साहित्य रचना की ओर नहीं बढ़ा। उन्होंने वाणी वंदना के रचनाकार डॉ राम प्रवेश पंडित की एक कविता के 'भुंजग प्रयात' का उल्लेख करते हुए कहा कि कहा इस पुस्तक से मैं बहुत प्रभावित हूं। रांची विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष जंग बहादुर पाण्डेय ने अपने संबोधन में कहा कि 'वाणी वंदना' में कवि रामप्रवेश पंडित की काव्य प्रतिभा की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति हुई है। कवि की वाणी में जो रस है,वह वाणी वंदना में सहज परिलक्षित है। यह रामप्रवेश के कवि कर्म की सफलता  जीवंत मिसाल है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीधर प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि डा.रामप्रवेश पंडित ने काव्य संग्रह 'वाणी वंदना' में विविध छंदों में साधिकार काव्य रचना किया है। इस संग्रह के दोहों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पुस्तक की सभी रचनाएं मां शारदा को नमन करते हुए संयम,प्रेम व कर्म का संदेश देते हुए वाणी के महत्त्व को प्रतिपादित किया है।समाजसेवी ज्ञानचंद पाण्डेय ने रामप्रवेश पंडित को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने विद्या की देवी पर काव्य रचा है,अब धन व शक्ति की देवी पर भी रचें। वीपीएम स्कूल के अध्यक्ष बलिराम शर्मा ने रामप्रवेश पंडित को शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र का हीरा बताते हुए उन्हें पांच हजार रुपए पुरस्कार देने की घोषणा की। प्रख्यात साहित्यकार श्री सुरेन्द्र कुमार मिश्र ने कहा कि 'वाणी वंदना' को पढ़कर लगता है कि रामप्रवेश पंडित 'ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय' वाला पंडित हैं। मां सरस्वती प्रतिभा के सदुपयोग पर प्रसन्न होती हैं और इसमें कोई शक नहीं कि रामप्रवेश पंडित जी काव्य प्रतिभा व उनका सृजन दोनों प्रशंसनीय है। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक व प्रसिद्ध ज्योतिर्विद विजयानंद पाठक सरस्वती ने रामप्रवेश पंडित की 'वाणी वंदना' की एक कविता को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी रचनाएं व्यक्ति से समष्टि की ओर बढ़ने की वकालत करती हैं। वस्तुत: यह 'वाणी वंदना' लोक कल्याण के लिए है। विषय प्रवेश कराते हुए प्रखर वक्ता परशुराम तिवारी ने कहा कि राम प्रवेश पण्डित ने वाणी की देवी मां सरस्वती के नाम पर पुस्तक का शीर्षक 'वाणी वंदना' रखकर एक बड़ा संदेश दिया है। वाणी से ही प्रेम के बीज अंकुरित होते हैं और वाणी से ही युद्ध होता है। काष्ठ कलाकार प्रेम भसीन ने वाणी वंदना के दो पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा कि राम प्रवेश पंडित की कविताएं प्रेम का संदेश देने वाली हैं। हिंदी साहित्य भारती के रांची जिला अध्यक्ष बलराम पाठक ने कहा कि 'वाणी वंदना' से यह सुनिश्चित हो गया कि रामप्रवेश पंडित अद्भुत काव्य प्रतिभा के स्वामी हैं। डॉ.रामप्रवेश पंडित के गुरु राम विनय तिवारी ने कहा कि रामप्रवेश पंडित की कविताएं स्वत: स्फूर्त निकली हैं इसलिए यह उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है। जिलाध्यक्ष अनुज कुमार पाठक के नेतृत्व में कोषाध्यक्ष डॉ धनंजय पाठक,मीडिया प्रभारी प्रेम प्रकाश दुबे सहित जिला कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों द्वारा अतिथियों का स्वागत किया जाएगा। कवयित्री अनुपमा तिवारी, रीना प्रेम दूबे, वंदना श्रीवास्तव,अंजनी कुमार दूबे, राजीव द्विवेदी सागर,सुनील कुमार विश्वकर्म,सिद्धेश्वर सिंह व प्रेम प्रकाश दूबे सहित अनेक कवियों ने 'वाणी वंदना' से एक एक कविता का पाठ किया। आज के समारोह में  प्रशांत पण्डित,अखिलेश पण्डित, माया पंडित,सुमित कुमार,उप प्राचार्य अनीश पाण्डेय,आर के दूबे,रघुवंश सिंह, संतोष पाठक,श्रीकांत शर्मा,अखिलेश दूबे, विजय दूबे उपेन्द्र सिंह,राज कुमार शर्मा,सुमित दूबे, आशुतोष पाण्डेय व जावेद सहित अनेक साहित्य प्रेमी मौजूद थे। अंत में रचनाकार डॉ राम प्रवेश पंडित ने लोकार्पण समारोह में मिले स्नेह,सम्मान व आशीर्वाद के लिए सबके प्रति आभार प्रकट किया। कवि संगम त्रिपाठी ने डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड को प्रेरणा परिवार की ओर से बधाई दी व कहा कि उनकी कृति वाणी वंदना अनमोल संग्रह है।

 साहित्यकार पी. यादव ‘ओज’ को मिला श्रेष्ठ बाल कहानीकार सम्मान-2025


बाल साहित्य की समृद्ध परंपरा को नई दिशा देने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकार,कवि और शिक्षाविद् पी. यादव ‘ओज’ को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए श्रेष्ठ बाल कहानीकार सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया।यह सम्मान प्रिंस वेलफेयर ट्रस्ट,आगरा द्वारा प्रदान किया गया।श्री ओज ने अपनी रचनाओं के माध्यम से न केवल बच्चों के मनोविश्व को सशक्त किया है,बल्कि उनके भीतर नैतिकता,मानवता, संवेदना और सकारात्मकता के बीज भी रोपे हैं।उनकी कहानियाँ जैसे-आशा की किरण,कठिन राह,प्रायश्चित,समर्पण,सेवा का प्रसाद आज भी पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।साहित्यिक जगत में ‘ओज’ जी को यह सम्मान उनके सृजनात्मक दृष्टिकोण,सरल भाषा-शैली और जीवन-संबंधी यथार्थपरक प्रस्तुति के लिए दिया गया है।उनके लेखन में बाल मन की कल्पना के साथ-साथ समाज सुधार और चरित्र निर्माण का सशक्त संदेश निहित रहता है।यह सम्मान न केवल पी. यादव ‘ओज’ के सृजनात्मक जीवन का गौरव है,बल्कि हिंदी बाल साहित्य की बढ़ती प्रतिष्ठा और दिशा का भी प्रतीक है।श्री पी. यादव ‘ओज’ का लेखन आने वाली पीढ़ियों के लिए नैतिक मूल्यों और सृजनात्मक ऊर्जा का अमिट स्रोत है।

            कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई देते हुए कहा कि पी यादव ' ओज' साहित्य के विकास व राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में जो काम कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा डॉ श्रीदेवी एस को दिया राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान 


जबलपुर -   प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी के प्रचार-प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रहे कवियों कवयित्रियों व राष्ट्रभाषा प्रचारकों को सम्मानित कर रही है और इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा अभियान को गतिशील बनाए रखना है। इस तारतम्य में प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के महासचिव प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली ने डाॅ श्रीदेवी एस तिरुचिरापल्ली को प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान प्रदान किया।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि डॉ श्रीदेवी एस तिरुचिरापल्ली साहित्य की धारा से जुड़ी हैं व सेंट जोसेफस काॅलेज तिरुचिरापल्ली में हिंदी विभागाध्यक्ष है। इनकी रचनाएं जनसंदेश का काम कर रही है। डॉ श्रीदेवी एस तिरुचिरापल्ली विभिन्न संस्थाओं से जुड़ी हैं और सामाजिक सांस्कृतिक व शैक्षणिक कार्य में निरंतर प्रेरणादायक कार्य कर रही है।

शिक्षाविद डॉ श्रीदेवी एस तिरुचिरापल्ली हिंदी प्रचार प्रसार हेतु अमूल्य योगदान दे रही है व विभिन्न संस्थाओं द्वारा उन्हें लगातार सम्मानित किया जा रहा है। 

डॉ श्रीदेवी एस तिरुचिरापल्ली  को डाॅ लाल सिंह किरार, नीतिन शर्मा नीति, भैरु सुनार सोनिया नायडू , सीमा शर्मा मंजरी, प्रतिमा पाठक, रामगोपाल फरक्या, गोपाल जाटव विद्रोही, मेघा अग्रवाल आदि ने बधाई दी है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा डॉ. रामप्रवेश पंडित पलामू को दिया राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान


जबलपुर

         प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी के प्रचार-प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रहे मनीषियों को सम्मानित कर रही है और इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा अभियान को गतिशील बनाए रखना है। इस तारतम्य में प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के महासचिव प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली ने डाॅ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड को प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान प्रदान किया।

         प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि डॉ रामप्रवेश पंडित साहित्य की धारा से जुड़े हैं। इनकी रचनाएं जनसंदेश का काम कर रही है। डॉ रामप्रवेश पंडित विभिन्न संस्थाओं से जुड़े हैं और सामाजिक सांस्कृतिक व शैक्षणिक कार्य में निरंतर प्रेरणादायक कार्य कर रहे है।

          डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड के स्थापित गीतकार हैं। इनकी वाणी वंदना किताब चर्चित कृति है। 14 सितंबर 2024 को इन्होंने प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय सम्मेलन व जंतर-मंतर में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु प्रदर्शित सभा में शामिल हुए थे। डॉ रामप्रवेश पंडित जी का हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा के प्रति समर्पण भाव अवर्णनीय है।

         शिक्षाविद डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड हिंदी प्रचार प्रसार हेतु अमूल्य योगदान दे रहे है व विभिन्न संस्थाओं द्वारा उन्हें लगातार सम्मानित किया जा रहा है। 

          डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड को डाॅ लाल सिंह किरार, नीतिन शर्मा नीति, डॉ धनंजय पाठक, सीमा शर्मा मंजरी, प्रतिमा पाठक, मेघा अग्रवाल आदि ने बधाई दी है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने रामअवतार स्वामी को दिया, प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान 


जबलपुर   

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान रामअवतार स्वामी टोंक उनियारा राजस्थान को प्रदान किया गया।

दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जिसकी अपनी राष्ट्रभाषा नहीं है। हमारे राष्ट्रभाषा अभियान व हिंदी प्रचार प्रसार में जो योगदान हिंदी प्रेमियों ने दिया वह ऐतिहासिक है। कवि संगम त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा हो यही कामना है। हम सभी भाषाओं का समान रूप से सम्मान करते हैं। 

कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने विज्ञप्ति में बताया कि हिंदी अभियान को सशक्त बनाने में रामअवतार स्वामी जी ने अमूल्य योगदान दिया है और विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से हिंदी प्रचार प्रसार कर रही हैं।

रामअवतार स्वामी जी के द्वारा हिंदी के प्रचार-प्रसार में अमूल्य योगदान हेतु उन्हें प्रदीप मिश्र अजनबी महासचिव दिल्ली, डॉ. लाल सिंह किरार राष्ट्रीय अध्यक्ष अम्बाह मुरैना मध्यप्रदेश, डॉ. सोमनाथ शुक्ल सलाहकार प्रयागराज एवं समस्त पदाधिकारियों व सदस्यों ने धन्यवाद ज्ञापित किया है।

कवियत्री मेघा अग्रवाल को मिला निराला सम्मान


शिवपुरी

माँ शिवरानी स्मृती शिक्षा साहित्य संस्था करैरा जिल्हा शिवपुरी ( झाँसी) की ओर से कवि सम्मेलन में रमेशचंद्र बाजपाई की ओर से नागपुर की कवयित्री मेघा अग्रवाल को निराला सम्मान से सम्मानित किया गया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संत अनुरुद्धवन महाराज धूमेश्वर सरकार, डॉ बृजलता मिश्र झांसी एवं अध्यक्षता डॉ उमाशंकर खरे पृथ्वीपुर ने किया। पूरन चंद्र शर्मा दतिया, डॉ राज गोस्वामी दतिया, डॉ अरविन्द श्रीवास्तव असीम झांसी, श्रीमती उपासना दीक्षित दिल्ली, श्रीमती रेखा शर्मा स्नेहा लीचीपुरम मुजफ्फरपुर, संतोष पटेरिया महोबा रहे। 

 करैरा जिला शिवपुरी में आयोजित इस आयोजन में प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली, सीमा शर्मा मंजरी मेरठ, मेघा अग्रवाल नागपुर व अन्य उपस्थित कवि व कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया।

मेघा अग्रवाल नागपुर को निराला सम्मान मिलने पर कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई दी है। विदित हो कि मेघा अग्रवाल नागपुर महाराष्ट्र हिंदी प्रचार प्रसार में सहयोग प्रदान कर रही है।

सुन तो लेते हैं मगर कुछ नहीं कहते आंसू, फिर भी कुछ कहने को आ जाते हैं बहते आंसू


*ये बहते आंसू*


सुन तो लेते हैं मगर कुछ नहीं कहते आंसू 

फिर भी कुछ कहने को आ जाते हैं बहतेआंसू।


कभी गम में कभी खुशी में या कभी यूं ही,

टपकने लगते हैं पलकों से ये बहते आंसू।


कभी-कभी तो दिल को भी पता नहीं चलता,

सूख जाते हैं आ के गालों पर बहते आंसू।


कभी सावन कभी भादों कभी महावट बन,

झर लगा देते हैं दिन-रात ये बहते आंसू।


कभी खुद पर कभी किस्मत पर कभी ईश्वर पर, 

रोया करते हैं फूट-फूट के बहते आंसू।


टूटे अरमानों की लाशों पर सर को पटक पटक,

सिसकियां भर के रोया करते हैं बहते आंसू।


मिलन के मीठे पल हो या हो घड़ी बिछड़न की,

पलकों के बांध तोड़ जाते हैं बहते आंसू।


बहुत कुछ कहना चाहते हैं कह नहीं पाते,

धीरे-धीरे से मुस्कुराते हैं बहते आंसू।


गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाई कोर्ट ग्वालियर मध्य प्रदेश

कवयित्री डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता द्वारा खण्ड काव्य भक्त राज ध्रुव का किया अलौकिक सृजन 


*भक्त राज ध्रुव* (खण्ड काव्य)

        भारत की जानी-मानी कवयित्री डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता द्वारा खण्ड काव्य भक्त राज ध्रुव का सरल भाव से जो सृजन किया गया है वह अलौकिक है। भक्त सरल स्वभाव के होते हैं और उनका सरल भाव से लेखनी को सशक्त बनाना भक्ति की अपार महिमा को अलंकृत कर पाना सहज नहीं है यह कार्य एक साधना से कम नहीं है. जिसे डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता ही कर सकती है ......जो इन पंक्तियों में स्पष्ट रूप से दर्शित है.....


जिस मां ने तुमको जन्म दिया, कष्ट अपार सहा उसने।

जिसकी स्नेहिल ममता से ही, तुमसे विष्णु गए मिलने।।


उक्त पद परम पद को चिन्हित करता है। भक्त राज ध्रुव खण्ड काव्य कवयित्री के लेखन का अमृत कलश है जो मां गंगा व पवित्र सई नदी के तट रायबरेली से प्रकाशित हो सम्पूर्ण विश्व पटल पर आभा बिखेरती हुई ध्रुव तारे सा चमकने का सामर्थ्य रखती है और जो भी इस खण्ड काव्य का रसपान करेगा वह स्वयं धन्य हो जाएगा सिर्फ आवश्यकता है ऐसे भक्ति मार्ग को प्रशस्त करने हेतु इस पौराणिक खण्ड काव्य को अमर बेल सा जन-मानस के मन मस्तिष्क में अंकुरित करना है ऐसा मेरा मानना है।

          हम सभी का परम कर्तव्य है कि डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता द्वारा रचित खण्ड काव्य भक्त राज ध्रुव को जन - जन तक पहुंचाएं .... भक्त राज ध्रुव कृति अपनी संस्कृति, भाषा व साहित्य को समृद्ध बनाने में प्रेरणादायक सिद्ध होगी।

कवि संगम त्रिपाठी 

संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा 

जबलपुर मध्यप्रदेश

जल न पाए जो कच्ची उम्र में अंगारों से, अपनी ही आग में जलते हैं ये मिट्टी के दिये


*मिट्टी के दिये*


जल न पाए जो कच्ची उम्र में अंगारों से , 

अपनी ही आग में जलते हैं ये मिट्टी के दिये।


अपना साया भी अंधेरे में साथ देता नहीं , 

हमसफर बन के साथ चलते हैं मिट्टी के दिये।


कुछ नहीं मांगते इंसां या देवता से कभी,

फिर भी त्यौहार मनाते हैं ये मिट्टी के दिये।


इतना स्वार्थी है जमाना कि जलाता है इन्हें,

सिसकियां तक नहीं भरते हैं ये मिट्टी के दिये।

 

इनके घर में हो अंधेरा तो कोई बात नहीं है , 

सब के घर रोशनी करते हैं ये मिट्टी के दिये । 


जिसने इनको बनाया जिंदा जलाया जिसने,  

दोनों को राह दिखाते हैं ये मिट्टी के दिये।


ठोकरों में पड़ीं कल तक जो शिला पत्थर की,

उनको भगवान बनाते हैं ये मिट्टी के दिये।


छूट कर गिर न पड़ें हैं इनकी हिफाजत रखना , 

अनिल के दिल से भी नाजुक हैं ये मिट्टी के दीये।


कभी आंगन कभी मरघट कभी समाधि पर , 

किसी की याद में जलते हैं ये मिट्टी के दिए।

    

 गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय ग्वालियर

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