प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने रामअवतार स्वामी को दिया, प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान 


जबलपुर   

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान रामअवतार स्वामी टोंक उनियारा राजस्थान को प्रदान किया गया।

दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जिसकी अपनी राष्ट्रभाषा नहीं है। हमारे राष्ट्रभाषा अभियान व हिंदी प्रचार प्रसार में जो योगदान हिंदी प्रेमियों ने दिया वह ऐतिहासिक है। कवि संगम त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा हो यही कामना है। हम सभी भाषाओं का समान रूप से सम्मान करते हैं। 

कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने विज्ञप्ति में बताया कि हिंदी अभियान को सशक्त बनाने में रामअवतार स्वामी जी ने अमूल्य योगदान दिया है और विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से हिंदी प्रचार प्रसार कर रही हैं।

रामअवतार स्वामी जी के द्वारा हिंदी के प्रचार-प्रसार में अमूल्य योगदान हेतु उन्हें प्रदीप मिश्र अजनबी महासचिव दिल्ली, डॉ. लाल सिंह किरार राष्ट्रीय अध्यक्ष अम्बाह मुरैना मध्यप्रदेश, डॉ. सोमनाथ शुक्ल सलाहकार प्रयागराज एवं समस्त पदाधिकारियों व सदस्यों ने धन्यवाद ज्ञापित किया है।

कवियत्री मेघा अग्रवाल को मिला निराला सम्मान


शिवपुरी

माँ शिवरानी स्मृती शिक्षा साहित्य संस्था करैरा जिल्हा शिवपुरी ( झाँसी) की ओर से कवि सम्मेलन में रमेशचंद्र बाजपाई की ओर से नागपुर की कवयित्री मेघा अग्रवाल को निराला सम्मान से सम्मानित किया गया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संत अनुरुद्धवन महाराज धूमेश्वर सरकार, डॉ बृजलता मिश्र झांसी एवं अध्यक्षता डॉ उमाशंकर खरे पृथ्वीपुर ने किया। पूरन चंद्र शर्मा दतिया, डॉ राज गोस्वामी दतिया, डॉ अरविन्द श्रीवास्तव असीम झांसी, श्रीमती उपासना दीक्षित दिल्ली, श्रीमती रेखा शर्मा स्नेहा लीचीपुरम मुजफ्फरपुर, संतोष पटेरिया महोबा रहे। 

 करैरा जिला शिवपुरी में आयोजित इस आयोजन में प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली, सीमा शर्मा मंजरी मेरठ, मेघा अग्रवाल नागपुर व अन्य उपस्थित कवि व कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया।

मेघा अग्रवाल नागपुर को निराला सम्मान मिलने पर कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई दी है। विदित हो कि मेघा अग्रवाल नागपुर महाराष्ट्र हिंदी प्रचार प्रसार में सहयोग प्रदान कर रही है।

सुन तो लेते हैं मगर कुछ नहीं कहते आंसू, फिर भी कुछ कहने को आ जाते हैं बहते आंसू


*ये बहते आंसू*


सुन तो लेते हैं मगर कुछ नहीं कहते आंसू 

फिर भी कुछ कहने को आ जाते हैं बहतेआंसू।


कभी गम में कभी खुशी में या कभी यूं ही,

टपकने लगते हैं पलकों से ये बहते आंसू।


कभी-कभी तो दिल को भी पता नहीं चलता,

सूख जाते हैं आ के गालों पर बहते आंसू।


कभी सावन कभी भादों कभी महावट बन,

झर लगा देते हैं दिन-रात ये बहते आंसू।


कभी खुद पर कभी किस्मत पर कभी ईश्वर पर, 

रोया करते हैं फूट-फूट के बहते आंसू।


टूटे अरमानों की लाशों पर सर को पटक पटक,

सिसकियां भर के रोया करते हैं बहते आंसू।


मिलन के मीठे पल हो या हो घड़ी बिछड़न की,

पलकों के बांध तोड़ जाते हैं बहते आंसू।


बहुत कुछ कहना चाहते हैं कह नहीं पाते,

धीरे-धीरे से मुस्कुराते हैं बहते आंसू।


गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाई कोर्ट ग्वालियर मध्य प्रदेश

कवयित्री डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता द्वारा खण्ड काव्य भक्त राज ध्रुव का किया अलौकिक सृजन 


*भक्त राज ध्रुव* (खण्ड काव्य)

        भारत की जानी-मानी कवयित्री डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता द्वारा खण्ड काव्य भक्त राज ध्रुव का सरल भाव से जो सृजन किया गया है वह अलौकिक है। भक्त सरल स्वभाव के होते हैं और उनका सरल भाव से लेखनी को सशक्त बनाना भक्ति की अपार महिमा को अलंकृत कर पाना सहज नहीं है यह कार्य एक साधना से कम नहीं है. जिसे डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता ही कर सकती है ......जो इन पंक्तियों में स्पष्ट रूप से दर्शित है.....


जिस मां ने तुमको जन्म दिया, कष्ट अपार सहा उसने।

जिसकी स्नेहिल ममता से ही, तुमसे विष्णु गए मिलने।।


उक्त पद परम पद को चिन्हित करता है। भक्त राज ध्रुव खण्ड काव्य कवयित्री के लेखन का अमृत कलश है जो मां गंगा व पवित्र सई नदी के तट रायबरेली से प्रकाशित हो सम्पूर्ण विश्व पटल पर आभा बिखेरती हुई ध्रुव तारे सा चमकने का सामर्थ्य रखती है और जो भी इस खण्ड काव्य का रसपान करेगा वह स्वयं धन्य हो जाएगा सिर्फ आवश्यकता है ऐसे भक्ति मार्ग को प्रशस्त करने हेतु इस पौराणिक खण्ड काव्य को अमर बेल सा जन-मानस के मन मस्तिष्क में अंकुरित करना है ऐसा मेरा मानना है।

          हम सभी का परम कर्तव्य है कि डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता द्वारा रचित खण्ड काव्य भक्त राज ध्रुव को जन - जन तक पहुंचाएं .... भक्त राज ध्रुव कृति अपनी संस्कृति, भाषा व साहित्य को समृद्ध बनाने में प्रेरणादायक सिद्ध होगी।

कवि संगम त्रिपाठी 

संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा 

जबलपुर मध्यप्रदेश

जल न पाए जो कच्ची उम्र में अंगारों से, अपनी ही आग में जलते हैं ये मिट्टी के दिये


*मिट्टी के दिये*


जल न पाए जो कच्ची उम्र में अंगारों से , 

अपनी ही आग में जलते हैं ये मिट्टी के दिये।


अपना साया भी अंधेरे में साथ देता नहीं , 

हमसफर बन के साथ चलते हैं मिट्टी के दिये।


कुछ नहीं मांगते इंसां या देवता से कभी,

फिर भी त्यौहार मनाते हैं ये मिट्टी के दिये।


इतना स्वार्थी है जमाना कि जलाता है इन्हें,

सिसकियां तक नहीं भरते हैं ये मिट्टी के दिये।

 

इनके घर में हो अंधेरा तो कोई बात नहीं है , 

सब के घर रोशनी करते हैं ये मिट्टी के दिये । 


जिसने इनको बनाया जिंदा जलाया जिसने,  

दोनों को राह दिखाते हैं ये मिट्टी के दिये।


ठोकरों में पड़ीं कल तक जो शिला पत्थर की,

उनको भगवान बनाते हैं ये मिट्टी के दिये।


छूट कर गिर न पड़ें हैं इनकी हिफाजत रखना , 

अनिल के दिल से भी नाजुक हैं ये मिट्टी के दीये।


कभी आंगन कभी मरघट कभी समाधि पर , 

किसी की याद में जलते हैं ये मिट्टी के दिए।

    

 गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय ग्वालियर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने हिंदी के कलमकारों व पत्रकारों को दिया प्रेरणा सम्मान


जबलपुर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान के तहत हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु निरंतर कार्य कर रही है और इस यज्ञ को सारे देश में प्रचारित प्रसारित करने में अहम योगदान देने वाले कलमकारों व पत्रकारों को प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा सम्मानित करती है। इस कड़ी में श्री राकेश आनन्दकर अजमेर ( राजस्थान ) स्वतन्त्र पत्रकारिता , अनिल मिश्रा प्रधान सम्पादक छत्तीसगढ़ उजाला रायपुर छत्तीसगढ़ , श्रीराम राय शिक्षक कवि स्पर्श औरंगाबाद, बिहार , रोहित मिश्रा 'राष्ट्रवादी' संपादक - रोहित संवाद बाराबंकी , अजय जैन ' विकल्प' इंदौर संपादक - हिंदी भाषा डाट काम , अनिता के. शाह वडोदरा गुजरात सह संपादक - गुजराती बोल , दिनेश प्रकाश बहुगुणा 'नया अध्याय' साप्ताहिक समाचार पत्र न्यूज पोर्टल एवं यूट्यूब चैनल देहरादून उत्तराखण्ड , आनंद पाण्डेय दैनिक रेवांचल टाइम्स संभाग ब्यूरो शहडोल , सतीश कुमार पांडे प्रियांशी विचारधारा  जबलपुर जोन प्रभारी जिला उमरिया म.प्र. बिरसिंहपुर पाली , शिवशंकर तिवारी ' सोहगौरा' वरिष्ठ पत्रकार प्रतापगढ़ (उ.प्र.) , अंशिका नीरज टाइम्स देहरादून , प्रतिमा पाठक प्रभारी दिल्ली समाचार पत्र - अमर भास्कर , अनिल सेन संपादक - जबलपुर दर्पण , संतोष कुमार पाण्डेय ब्यूरो चीफ न्यू गीतांजलि टाइम्स महासचिव - राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत जनपद सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश , विपेक्षा संपादक - विवृति दर्पण देहरादून , विनोद निराश संपादक - उत्कर्ष ज्योति , लेखक श्रवण खोड जोधपुर राजस्थान अन्तर्राष्ट्रीय प्रेस रिपोर्टर , विजय दुसेजा बिलासपुर छत्तीसगढ़ हमर संगवारी समाचार पत्र , कमलेश घोष संपादक - दैनिक हम पांच छतरपुर म.प्र. , श्याम सरन खन्ना  संपादक - उत्तर केसरी,  मुरादाबाद , देवेन्द्र सोनी प्रधान संपादक - वेव न्यूज युवा प्रवर्तक इटारसी म.प्र. , ललित कोष्टा जी पत्रकार जबलपुर मध्यप्रदेश , तजिन्द्र शर्मा प्रधान संपादक - अंबाला हलचल समाचार पत्र , राजवीर सिंह वरिष्ठ पत्रकार अम्बाह मुरैना , रामलखन गुप्त वरिष्ठ पत्रकार चाकघाट रीवा मध्यप्रदेश , जनार्दन सिंह संपादक भोजपुरी राज्य संदेश लखनऊ , नीरज ज्योति संपादक _ उत्कर्ष रोहिला देहरादून , नेमा खगेश के शाह संपादक - गुजराती बोल, बड़ोदरा , विपिन सिंह ब्यूरो चीफ दैनिक चारधाम टाइम्स , रिपु सूदन नामदेव हास्य व्यंग्य कवि / लेखक प्रबंध संपादक वीरांगना झांसी न्यूज , श्रीमती कुमकुम नामदेव संपादक - वीरांगना झांसी न्यूज, गौतम जैन संपादक - बिजनेस दर्पण इंदौर , गोपाल गुप्ता जयपुर जनतंत्र की आवाज समाचार पत्र , नीरज कुमार तिवारी ब्यूरो चीफ - वाॅयस आॅफ अमेठी , किशन लाल अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार नवभारत बरगढ़ उड़ीसा , कैलाश कुमार ब्यूरो प्रमुख म.प्र.- आनंद पब्लिक समाचार , पूनम सिंह समाचार पत्र - चारधाम टाइम्स , महेश अग्रवाल जी समाचार पत्र - मंथन मुंबई, राधेश्याम तिवारी सम्पादक सिद्ध भूमि एक्सप्रेस साप्ताहिक पडरौना जिला -कुशीनगर उत्तर प्रदेश , आदेश शर्मा लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश समाचार संपादक हमराह टुडे न्यूज लखनऊ उत्तर प्रदेश , अजय कुमार पांडेय ब्यूरो चीफ - सदभावना का प्रतीक दैनिक, प्रतापगढ़ उ.प्र. , रवि प्रकाश खजूरिया संपादक - नई रोशनी जम्मू , अखिलेश कुमार अखिल संपादक - भारत पोस्ट दिल्ली , आदित्य प्रकाश श्रीवास्तव संपादक - कुशीनगर केसरी कुशीनगर उ.प्र. , संजय सक्सेना संपादक - दैनिक क्षितिज किरण जबलपुर , तेजेन्दर शर्मा अंबाला हलचल , तजिन्द्र शर्मा प्रधान संपादक - अंबाला हलचल समाचार पत्र को सम्मानित किया है।

            प्रेरणादायक हिंदी प्रचारिणी सभा के महासचिव प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ लाल सिंह किरार अम्बाह मुरैना, सलाहकार सोमनाथ शुक्ल प्रयागराज व संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा कवि संगम त्रिपाठी ने सभी कलमकारों व पत्रकारों से हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान में  प्रेरणादायक सहयोग की अपील की है।

         कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने सभी कलमकारों पत्रकारों को जो प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा को निरंतर जारी अभियान में सहयोग प्रदान कर रहे हैं उन्हें 14 सितंबर 2026 को अपने आयोजन में शामिल कर सम्मानित करने का निर्णय लिया है।

तुमसे मिलने को आतीं हैं ये पूनम की रातें, तुमको बहुत याद करतीं हैं ये पूनम की रातें



 *ये पूनम की रातें*


तुमसे मिलने को आतीं हैं ये पूनम की रातें।

तुमको बहुत याद करतीं हैं ये पूनम की रातें।


कभी पहनकर पायल आतीं,

कभी दुल्हन सी सज कर आतीं,

कभी प्यार के ताजमहल पर,

शरद पूर्णिमा बन कर आतीं।


आतीं ओढ़ चुनर चांदी की ये पूनम की रातें,

तुमसे मिलने को आतीं हैं ये पूनम की रातें।


चंदा सी गोरी सूरत है,

मस्त बहारों सी मूरत है,

तारों के अश्वों से इनका,

सजा हुआ किरणों का रथ है।


आसमान में रास रचातीं ये पूनम की रातें,

तुमसे मिलने को आतीं हैं ये पूनम की रातें।


खिड़की से झांका करतीं हैं 

आंगन से बातें करतीं हैं,

पत्तों की परछाई से,

श्रंगार गीत लिखती रहतीं हैं।


मधुर मिलन के चित्र बनातीं ये पूनम की रातें।

तुमसे मिलने को आतीं हैं ये पूनम की रातें।


गीतकार -अनिल भारद्वाज, एडवोकेट,उच्च न्यायालय ग्वालियर

शायरी, प्यार, जिंदगी व प्रेरणा से भरी कविताएं " ऐ साहिब! दिल की गहराइयों से" प्रकाशित, लेखक - सुशी सक्सेना


इंदौर

सुप्रसिद्ध कवियत्री सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश द्वारा लिखित एक नई पुस्तक "ऐ साहिब! दिल की गहराइयों से" प्रकाशित हुई है, जिसमें शायरी, प्यार, जिंदगी और प्रेरणा से भरी कविताएं शामिल हैं। यह पुस्तक कवियत्री के दिल की गहराइयों से निकली भावनाओं का एक संग्रह है, जो पाठकों को प्रेरित और प्रभावित करने की क्षमता रखती है। इस पुस्तक में शामिल कविताएं दिल को छू लेने वाली और भावपूर्ण हैं। कवियत्री ने अपने अनुभवों और भावनाओं को शब्दों में पिरोया है, जो पाठकों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं। 

सुशी सक्सेना साहित्य की हर विधा में उतनी ही सहजता से लिखती हैं कि, आप बस उनके शब्दों के पीछे भावनाओं का जो प्रवाह है उसमें बहते चले जाते हैं। यही शक्ति है एक उच्चस्तरीय बहुमुखी व्यक्तित्व की कि अपनी रचनाओं के माध्यम से आपको अपने प्रश्नों के उत्तर भी मिल जाते हैं और कभी एक नया दृष्टिकोण भी मिल जाता है।

सुशी सक्सेना जी की यह रचनाएं आपको उम्मीदों का दमन थामना सिखाती हैं। तो कभी हौसलों की उड़ान पर ले जाती है कि, अपनी समस्याओं से बाहर निकलो तो सारा आसमान तुम्हारा ही है। जीवन में आनेवाली परिस्थितियां हर किसी को विचलित करती हैं पर फीनिक्स की तरह उनसे ऊपर उठकर स्वयं को एक नया रूप, एक नया रंग देना, यह हमें खुद ही करना होता है, यह सुंदर संदेश देती हैं सुशी सक्सेना जी की रचनाएं।

सुशी सक्सेना एक प्रतिभाशाली कवियत्री हैं, जिन्होंने अपनी कविताओं से पाठकों के दिलों में जगह बनाई है। उनकी कविताएं भावपूर्ण और प्रेरणादायक हैं। "ऐ साहिब! दिल की गहराइयों से" पुस्तक का प्रकाशन एक महत्वपूर्ण घटना है, जो कविता प्रेमियों और प्रेरणा की तलाश करने वालों के लिए एक उपहार है।  कविताएं सरल और समझने योग्य भाषा में लिखी गई हैं। सुशी सक्सेना की यह पुस्तक निश्चित रूप से पाठकों के दिलों को छू जाएगी और उन्हें प्रेरित करेगी।

छछंद के समय में छंदयुक्त शायरी करते हैं सोमनाथ, पुस्तक विमोचन के अवसर पर बोले यश मालवीय


प्रयागराज

आज ग़ज़ल विधा को लेकर एक तरह से अराजकता फैली हुई है। जिसे ग़ज़ल का क, ख, ग तक नहीं आता वह भी अपने को ग़ज़ल का बड़ा शायर कहने लगा है। ऐसे में डॉ. सोमनाथ शुक्ल का ग़ज़ल संग्रह ‘शाम तक लौटा नहीं’ बहुत सुखद अनुभव देता है। छछंद के माहौल में छंदयुक्त ग़ज़लों का सामने आना हमारे पूरे साहित्यिक समाज के लिए बहुत उल्लेखनीय और ख़ास है। डॉ. शुक्ल ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से बेहद शानदार नज़ीर पेश किया है। यह बात गुफ़्तगू की ओर से रविवार को सिविल लाइंस स्थित प्रधान डाक में डॉ. सोमनाथ शुक्ल की पुस्तक ‘शाम तक लौटा नहीं’ के विमोचन अवसर वरिष्ठ साहित्यकार यश मालवीय ने कही। उन्होंने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल की ग़ज़लों को देखकर जहां खुशी का अनुभव होता है, वहीं यह भी कहना पड़ेगा कि हिन्दी ग़ज़ल अभी दुष्यंत कुमार तक ही पहुंची है, इसे अपने मीर, ग़ालिब अभी पैदा करना है।

 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि आज के भारतीय माहौल में डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने शानदार ग़ज़लें कही हैं। इनकी ग़ज़लें आज के समाज को रेखांकित करने साथ ही सचेत भी करती हैं।

गुफ़्तगू के अध्यक्ष डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने ग़ज़ल की बारीकियों और छंद को सीखने के बाद ही ग़ज़लें लिखी हैं। जिसकी वजह से इनकी ग़ज़लों में व्याकरण संबंधी त्रुटियां नहीं हैं। अजीत शर्मा ‘आकाश’ ने कहा कि डॉ. सोमनाथ एक परिपक्व ग़ज़लकार हैं। आज ऐसी ही ग़ज़लें लिखे जाने की आवश्यकता है। डॉ. वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से मानवता से प्रेम करने को उल्लेखित किया है। गुफ़्तगू के सचिव नरेश कुमार महरानी ने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने बहुत अच्छी ग़ज़लें कही हैं, इनकी प्रशंसा की जानी चाहिए।

डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने कहा कि यह पुस्तक मेरी पहला प्रयास है। मैंने अपने तौर पर पूरी कोशिश की है कि समाज को सामने अच्छी ग़ज़लें पेश कर सकूं। किताब कैसी है यह आप लोगों को ही बताना है। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया।

दूसरे दौर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अरविन्द कुमार सिह, विजय लक्ष्मी विभा, अनिल मानव, धीरेंद्र सिंह नागा, हकीम रेशादुल इस्लाम, संजय सक्सेना, शिबली सना, अफ़सर जमाल, शैलेंद्र जय, मंजूलता नागेश, मोहम्मद शाहिद सफ़र, हरीश वर्मा ‘हरि’, तहज़ीब लियाक़त, रचना सक्सेना, कविता श्रीवास्तव, एमपी श्रीवास्तव और शाहिद इलाहाबादी आदि ने कविताएं प्रस्तुत कीं। राजेश कुमार वर्मा ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

डॉ. सोमनाथ शुक्ल का ग़ज़ल संग्रह, शाम तक लौटा नहीं जनार्पित हुआ


प्रयागराज

गुफ्तगू पब्लिकेशन, इलाहाबाद से प्रकाशित डॉ सोमनाथ शुक्ल का ग़ज़ल संग्रह, शाम तक लौटा नहीं जनार्पित हुआ। संग्रह में संग्रहीत ग़ज़लों ने मन मोह लिया। आज जब ग़ज़ल विधा, पंचायत की ज़मीन जैसी हो गई है, ग़रीब की जोरू हो गई है या गाँव भर की भौजाई हो गई है, जो चाहे जैसे जैसे चाहे वैसे बरत रहा है, इस मेयार के ग़ज़ल संग्रह का प्रकाशन एक सुखद परिघटना है। ग़ज़ल हिन्दी या उर्दू की नहीं होती, हिन्दुस्तानी होती है। उसका हिन्दुस्तानी चेहरा, आज की कविता का भी चेहरा है। सच कहें तो ग़ज़ल है, तो हिन्दुस्तान है, जो दोनों भाषाओं को नज़दीक लाता है। शाम तक लौटा नहीं, यह उन्वान है किताब का। इस शीर्षक को समेटे ग़ज़ल का यह शेर देखें/ वो ख़फा था आज बेहद शाम तक लौटा नहीं रात सारे मंदिरों की सीढ़ियां देखी गईं।

संग्रह की ग़ज़लों का कथ्य मज़बूत है और शिल्प भी कसी मुठ्ठी जैसा। संवेदना के साथ इनका निर्वाह विलक्षण है। सारी ग़ज़लें अपने पाठक से एक संवाद करती सी दिखाई देती हैं, उनमें ज़िन्दगी के मुहावरे हैं, देश दुनिया और समाज की धड़कनें हैं, जिनमें हमारा समय बोलता है। जिसके बोलने में आम आदमी का दर्द उजागर होता है। एक रोशनी मिलती है, जो अंधेरों को भी एक जगमगाहट दे देती है। दुष्यन्त कुमार, और अदम गोंडवी की विरासत जहां महफूज़ महसूस होती है । रिश्तों का रूमान और रोजबरोज़ का जीवन संघर्ष जहां साथ साथ चलता है और भरपूर जी लेने के उपाय जहां मुहैया होते हैं। सामान्य व्यक्ति की जिजीविषा और उत्सवधर्मिता जहां हाथ में हाथ लेकर डोलते हैं, वहां सम्भव होती हैं यह ग़ज़लें। मैं संग्रह से एक पूरी ग़ज़ल भी यहां दे रहा हूँ, ग़ज़लकार को रचनात्मक सफ़र की शुभकामनाएं देते हुए/


खिले खिले से गुलों पर खुमार बाक़ी है

अभी दरख़्त पे रिमझिम फुहार बाक़ी है


किसी के तल्ख़ रुखों से चिटक गई थी जो

जिगर पे आज तलक वो दरार बाक़ी है 


कहां मिला है मुझे कुछ मैं ये नहीं कहता 

ख़ुशी नसीब हुई है क़रार बाक़ी है 


तमाम कर्ज़ ख़ुशी से अदा किए मैंने 

मगर हयात का मुझपे उधार बाक़ी है 


बिता के वक़्त बुरा भी संभल गए हम तो 

कहानियों में हमारा शुमार बाक़ी है।

*यश मालवीय*

डाॅ. सोमनाथ शुक्ल के ग़ज़ल संग्रह 'शाम तक लौटा नहीं' का विमोचन कार्यक्रम प्रयागराज में 


प्रयागराज

डाॅ. सोमनाथ शुक्ल के ग़ज़ल संग्रह का विमोचन कार्यक्रम 05 अक्टूबर को प्रयागराज के सिविल लाइन्स स्थित हेड पोस्ट आफिस के मनोरंजन सभागार में गुफ्तगू संस्था एवं डाक मनोरंजन क्लब के संयुक्त तत्वावधान में होना सुनिश्चित हुआ है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार यश मालवीय करेंगे। कार्यक्रम के  मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र होंगे। प्रमुख वक्ता के रूप में डाॅ. वीरेन्द्र कुमार तिवारी एवं अजीत शर्मा 'आकाश' शामिल होंगे। संचालन मनमोहन सिंह तन्हा करेंगे। कार्यक्रम संयोजक राजेश कुमार वर्मा हैं।

गुफ्तगू पब्लिकेशन से प्रकाशित यह ग़ज़ल संग्रह डाॅ. सोमनाथ शुक्ल की दूसरी किताब है। इसके पहले उनकी एक किताब 'सोमनाथ शुक्ल के सौ शेर' गुफ्तगू प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है। उनके द्वारा लिखे भजनों की एक सीडी रिलीज हो चुकी है। उनकी रचनाएँ विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। देश के प्रतिष्ठित मंचों द्वारा उन्हें उनके साहित्यिक योगदान हेतु सम्मानित किया गया है।

इस अवसर पर प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के संस्थापक संगम त्रिपाठी, गुफ्तगू मंच के संस्थापक इम्तियाज़ अहमद गा़जी़, मनमोहन सिंह तन्हा, प्रतिमा पाठक, ब्रिज बिहारी त्रिपाठी, अजय शुक्ल, परिवार के सभी सदस्यों एवं मित्रों ने डाॅ. सोमनाथ शुक्ल को बधाई प्रेषित की है।

दशहरे पर लघु कथा, दशहरे पर किलकारी- कहानीकार अनिल भारद्वाज


प्रतिष्ठित विप्र कुल के ठाकुर दास (उस्ताद जी) और कंचन के विवाह को एक दशक का समय बीत गया लेकिन अभी उनके घर के आंगन को संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि ठाकुर दास को तंत्र मंत्र और प्रेत सिद्धि की साधना के दौरान प्रेत की दो शर्तें स्वीकार करनी पड़ीं। पहली परहित में ही सिद्धियों का प्रयोग करना होगा , दूसरी बारह वर्ष तक संतान सुख से वंचित रहना होगा। दुखी कंचन के नित्य दुखद आग्रह को पति ने प्रेतराज के समक्ष रखा तो प्रेत ने भाव विभोर होकर उपाय बताया कि यदि कंचन बहरारे वाली दुर्गे माता का नित्य एक वर्ष तक दर्शन कर उपासना करें तो उसे 12 वर्षो पूर्व ही संतान की प्राप्ति हो जावेगी।

गांव से दस बारह किलोमीटर दूर घनघोर जंगल में बहरारे की माता के मंदिर था। उस मंदिर की महिमा अनोखी थी। नवरात्रि में अष्टमी तिथि तक माता का शिला रूप बढ़ कर देहरी तक आ जाता और मंदिर की छोटी सी किवड़िया भी बंद नहीं हो पाती और माता पर जो जल चढ़ता था वह भी एक छोटे से डेढ़ फुट गहरे आधा फीट चौड़े  कुंड में समा जाता और वह कुंड न तो कभी खाली होता और न ही ऊपर तक भर पाता। यह माता का ही प्राकृतिक चमत्कार था। संतान प्राप्ति के लिए सुहागिनें स्वास्तिक चिन्ह बनाकर माता से अर्जी लगातीं और उनकी सूनी गोद भर जाती।

कंचन बहरारे की माता के मंदिर पर रोज जाने लगी और माता की महिमा से कंचन ने 12 वे वर्ष में दशहरे के दिन एक बालक काशी प्रसाद को जन्म दिया और प्रेत ठाकुर दास की सेवा के लिए अपनी दो योगिनियां छोड़ कर विदा हो गया। तभी से ठाकुर दास और कंचन का कुल पीढ़ी दर पीढ़ी बहरारे वाली दुर्गे माता को कुलदेवी के रूप में पूजता चला आ रहा है। 

 *कहानीकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर मध्यप्रदेश*

तेरी लाल ध्वजा मैया, मन में लहर लहर लहराए, तेरी कृपा की किरणों से, ये जीवन झिलमिल हो जाए


*लाल ध्वजा मैया*


तेरी लाल ध्वजा मैया

मन में लहर लहर लहराए।

तेरी कृपा की किरणों से

ये जीवन झिलमिल हो जाए।


मेरी जगदंबे माता मैं करूं वंदना तेरी।

मां दर्शन दे मुझको बस यही प्रार्थना मेरी।


तेरी दया का द्वार खुले

किस्मत रंगमहल बन जाए।

तेरी लाल ध्वजा मैया

मन में लहर लहर लहराए।


मां दुर्गा सप्तशती तेरह अध्यायों वाली,

इनमें से झलक रही तेरी महिमा शेरावाली।


कुंजिका स्तोत्र तेरा

मैया कोई समझ न पाए।

तेरी लाल ध्वजा मैया

मन में लहर लहर लहराए।


तू बीस भुजाओं से रक्षा भक्तों की करती,

रोगों के असुरों का संहार इन्हीं से करती।


तेरे नाम शताशष्टक मां

विपदाओं से हमें बचाएं।

तेरी लाल ध्वजा मैया

मन में लहर लहर लहराए।


तेरी तंत्र साधना के हैं शक्तिपीठ इक्यावन,

बत्तीस नाम तेरे नौ रूप तेरे मनभाव।


तेरे रक्षा कवच को मां

कोई शक्ति भेद ना पाए।

तेरी लाल ध्वजा मैया

मन में लहर लहर लहराए ।


तू ही वैष्णो देवी तू शारदे मैहर वाली,

तू बहरारे वाली काली कलकत्ते वाली।


कोई दिल से पुकारें तो

मैया बांह पसारे आए।

तेरी लाल ध्वजा मैया

मन में लहर लहर लहराए।


दरबार तेरे सजते जब नौ दिन को तू आती,

घर अपने भक्तों के जब बैठ सिंह पर जाती।


तेरी पैजनियों की धुन

मैया छम छम छम छम आए।

तेरी लाल ध्वजा मैया

मन में लहर लहर लहराए ।


गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर मध्यप्रदेश

राष्ट्रभाषा समर्थक अनिल शुक्ल को प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने किया सम्मानित


जबलपुर -  प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने संस्कारधानी जबलपुर के राष्ट्रभाषा समर्थक विचारक पत्रकार अनिल शुक्ल को सम्मानित किया। अनिल शुक्ल हिंदी के प्रचार-प्रसार में निरंतर सहयोग प्रदान कर रहे हैं। अपनी भाषा व संस्कृति के प्रति उनके समर्पण भाव को देखते हुए उन्हें सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर रमेश तिवारी भी उपस्थित रहे। रमेश तिवारी सनातन धर्म एवं दर्शन के प्रबल समर्थक है।

प्रदीप मिश्र अजनबी, आचार्य विजय तिवारी किसलय, सोमनाथ शुक्ल, राजवीर शर्मा, रामलखन गुप्त, प्रतिमा पाठक, डॉ लाल सिंह किरार, गोपाल जाटव विद्रोही, राकेश आनंदकर, दादा भैरु सुनार आदि ने बधाई दी।

कवि संगम त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी समर्थक व प्रचारक का सम्मान करना प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा का प्रथम कर्तव्य है।

बहरारे वाली दुर्गे मां शिला से बाहर आ मेरी मां, दर्शन देने को मेरी मां शिला से बाहर आ मेरी मां


*बहरारे वाली दुर्गे मां*


बहरारे वाली दुर्गे मां शिला से बाहर आ मेरी मां।

दर्शन देने को मेरी मां शिला से बाहर आ मेरी मां।


नौ रूपों में से माता इक तो दिखा दे,

अंखियों में अपनी प्यारी सूरत बसा दे।

जीभर के देखूं मेरी मां शिला से बाहर आ मेरी मां।


भवनों में आती मैया खुशबू तुम्हारी,

हवनों में बन जाती आकृति तुम्हारी,

चरणों को छू लूं मेरी मां शिला से बाहर आ मेरी मां।


अपने आंचल में मैया मुझको छुपा ले,

अपनी गोदी में मैया मुझको बिठा ले।

सिर पर तू हाध रखने मां शिला से बाहर आ मेरी मां।


दुर्गे कहूं मां तुझको या मैया काली,

ऊंचे पहाड़ों की तू रहने वाली,

मेरे भी घर में रहने मां शिला से बाहर आ मेरी मां।


अब तो प्रकट होने मां शिला से बाहर आ मेरी मां।

बहरारे वाली दुर्गे मां शिला से बाहर आ मेरी मां।


गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय ग्वालियर मध्य प्रदेश

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने हिंदी सेवियों को दिया राष्ट्रभाषा सम्मान


 

जबलपुर -    प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने संस्कारधानी जबलपुर की कवयित्रियों राजकुमारी रैकवार राज, प्रभा बच्चन श्रीवास्तव व तरुणा खरे को राष्ट्रभाषा सम्मान प्रदान किया। 

           कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि राजकुमारी रैकवार राज, प्रभा बच्चन श्रीवास्तव व तरुणा खरे हिंदी प्रचार प्रसार का काम निरंतर कर रही हैं व प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा द्वारा 14 सितंबर 24 को जंतर-मंतर दिल्ली के आयोजन व हिंदी सम्मेलन में हिस्सा लिया था। उनके सतत प्रेरणादायक कार्य हेतु प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली महासचिव की अनुशंसा व डॉ सोमनाथ शुक्ल प्रयागराज सलाहकार प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा की सहमति पर इन्हें सम्मान प्रदान किया गया है। कवि संगम त्रिपाठी ने ऋषिराज रैकवार व बच्चन श्रीवास्तव को लेखनी भेंट किया।

        प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ लाल सिंह किरार अम्बाह मुरैना ने कहा कि हिंदी प्रचार प्रसार में जो भी प्रेरणादायक कार्य करेगा हिंदी सभा उन्हें सम्मानित करेगा ।

आचार्य विजय तिवारी किसलय, राजवीर शर्मा, रामलखन गुप्त, प्रतिमा पाठक, डॉ लाल सिंह किरार, गोपाल जाटव विद्रोही, राकेश आनंदकर आदि ने बधाई दी।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने शैलवी धुसिया को दिया राष्ट्रभाषा सम्मान


जबलपुर      

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने कुमारी शैलवी धुसिया को राष्ट्रभाषा सम्मान प्रदान किया। कुमारी शैलवी धुसिया ने 14 सितंबर 25 को हिंदी प्रचार प्रसार का काम किया व शैलवी धुसिया ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर जागरूकता संदेश सुना कर हिंदी के प्रति लोगों को जागरूक किया।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के सलाहकार डॉ सोमनाथ शुक्ल ने बधाई देते हुए बताया कि कुमारी शैलवी धुसिया सामाजिक कार्य के साथ ही स्वच्छता अभियान से भी जुड़ी हैं।

नन्ही परी को राजवीर शर्मा, रामलखन गुप्त, प्रतिमा पाठक, डॉ लाल सिंह किरार, गोपाल जाटव विद्रोही, राकेश आनंदकर, राजकुमारी रैकवार राज आदि ने बधाई दी।

प्रदीप मिश्र अजनबी महासचिव दिल्ली व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ लाल सिंह किरार अम्बाह मुरैना ने कहा कि लोगों को नन्ही परी से अपनी भाषा के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए।

डॉ गोविन्द पाण्डेय "प्रेम" को राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान सम्मानित, लोगो ने दी शुभकामनाएं


जबलपुर -   प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने डॉ गोविन्द पाण्डेय प्रेम जबलपुर को प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान प्रदान किया। साथ ही डॉ मोना ' मोहना' का राष्ट्रभाषा सम्मान भेंट किया। विभिन्न संस्थाओं के आयोजन के कारण डॉ गोविन्द पाण्डेय प्रेम जी दिल्ली विलंब से पहुंचने के कारण प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के हिंदी सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके थे।

              डॉ गोविन्द पाण्डेय प्रेम लगभग 20 डिग्री, डिप्लोमा, पी-एच. डी., ऑनरेरी डॉक्टरेट सहित वृत्ति- सेवानिवृत्त प्रोफेसर व रजिस्ट्रार, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर हैं । अनुभव- साहित्यकार के रूप में हिन्दी लगभग 50 वर्षों का अनुभव, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, पुस्तकों, आकाशवाणी व दूरदर्शन से अनेक कविताएं, गीत, ग़ज़ल, कहानियां व नाटक प्रकाशित व प्रसारित है। प्रकाशित पुस्तक- विज्ञान व रिसर्च में 14 और हिन्दी साहित्य में 5 पुस्तकें- अर्चन, एहसास, वर्तमान के आर-पार, तरंग, ठहाकों की महफ़िल प्रकाशन में- दो पुस्तकें प्रकाशित हैं। पुरस्कार व सम्मान- 53 ऑनरेरी डॉक्टरेट अवॉर्ड सहित हिन्दी साहित्य, विज्ञान एवं विविध क्षेत्रों में मिला है।

          डॉ गोविन्द पाण्डेय प्रेम जबलपुर को प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान व डॉ मोना ' मोहना' को राष्ट्रभाषा सम्मान प्रदान किए जाने पर डॉ लाल सिंह किरार अम्बाह मुरैना, प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली, डॉ सोमनाथ शुक्ल प्रयागराज, राजवीर शर्मा वरिष्ठ पत्रकार अम्बाह मुरैना, रामलखन गुप्त वरिष्ठ पत्रकार चाकघाट, राकेश आनंदकर अजमेर, प्रतिमा पाठक दिल्ली, रामगोपाल फरक्या खड़ावदा मंदसौर आदि ने बधाई दी है।

तू अंखियों की देवी मेरी मैया निरार वाली, तू ही करती मैया सबके नयनों की रखवाली



*अंखियों की देवी*


तू अंखियों की देवी मेरी मैया निरार वाली।

तू ही करती मैया सबके नयनों की रखवाली।


घनघोर जंगलों में 

तेरा मंदिर है माता,

आंखों के दुख लेकर 

जो तेरे दर पर आता,


उसे नैन ज्योति देतीं तेरी अखियां काजल वाली।

तू अंखियों की देवी मेरी मैया निरार वाली।


पलकों के अंधेरों को 

नजरों से दूर तू कर दे, 

इन बुझते चिरागों में 

तू किरन कृपा की भर दे।


नयनों की ज्योति तेरी मैया लाखों किरनों वाली।

तू अंखियों की देवी मेरी मैया निरार वाली।


मां आंख के परदे से 

ये अंधकार मिट जाए, 

अंखियां के झरोखों से 

मां रूप तेरा दिख जाए।


मैं तुझ पै चढ़ाऊंगा मैया आंखें चांदी वाली। 

तू अंखियों देवी मेरी मैया निरार वाली।


मां मैंने रो-रो कर 

ये गीत लिखा है तुझ पर,

दर्शन हो रोज तेरे 

मैया इतनी दया कर मुझ पर।


मेरे गीत गुनगुनाए तेरी पायल घुंघरु वाली।

तू अंखियों की देवी मेरी मैया निरार वाली।


*गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर*

वरिष्ठ कवि श्याम फतनपुरी को भेंट की गई प्रेरणा स्मारिका एवं स्मृतिचिन्ह


प्रयागराज

प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा द्वारा हिन्दी दिवस- 2025 पर नयी दिल्ली में दिनांक 13 एवं 14 सितम्बर को राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया गया । इस सम्मेलन में हिन्दी राष्ट्रभाषा बने इस विषय पर विचार-विमर्श, अभिव्यक्ति सभा, कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। देश भर के विभिन्न राज्यों से पधारे हिन्दी सेवियों, साहित्यकारों, पत्रकारों, उद्यमियों एवं समाज सेवकों नें इस सम्मेलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। 

प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा ने इस अवसर पर सभा में उपस्थित सभी जनो को स्मृति-चिन्ह एवं स्मारिका भेंट की। इसी क्रम में आज दिनांक 21 सितम्बर को प्रयागराज में प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के सलाहकार डाॅ. सोमनाथ शुक्ल ने प्रयागराज के वरिष्ठ कवि श्याम फतनपुरी को उनके हिन्दी के लिये दिये जाने वाले योगदान हेतु संस्था की स्मारिका एवं स्मृति-चिन्ह उनके निवास पर पहुँच कर उन्हें भेंट किया।

श्याम फतनपुरी हिन्दी के वरिष्ठ कवि हैं। उनकी सक्रिय उपस्थिति मंचों पर भी है। अब तक कविताओं की दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।  कई साझा काव्य संकलन एवं अनेकों रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। देश भर के ढेर सारे साहित्यिक मंचों द्वारा उन्हें उनके साहित्यिक योगदान के लिये सम्मानित किया गया है। वे हिन्दी की समृद्धि हेतु सतत प्रयत्नशील हैं।

इस अवसर पर प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के संस्थापक- संगम त्रिपाठी, महासचिव- प्रदीप मिश्र 'अजनबी', प्रेरणास्रोत- धर्म प्रकाश बाजपेयी एवं स्मारिका 'अक्षवी' की सम्पादक सीमा शर्मा 'मंजरी ने श्याम फतनपुरी को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।

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