हिंदी प्रचारिणी सभा ने डॉ जया सुभाष बागुल को दिया हिंदी रत्न सम्मान


जबलपुर

हिंदी के प्रचार-प्रसार व हिंदी साहित्य की सेवा में लगे कवि कवयित्रियों को निरंतर सम्मानित किया जा रहा है और इसी क्रम में गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर संस्था व कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने डॉ जया सुभाष बागुल जालना को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया है।

डॉ जया सुभाष बागुल जालना महाराष्ट्र डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के छत्रपति संभाजी नगर संचालित माडेल कालेज घनसावंगी में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत है। डॉ जया सुभाष बागुल हिंदी लेखिका हैं व हिंदी प्रचार प्रसार हेतु कार्य कर रही है।

कवि संगम त्रिपाठी ने दिनांक 06.06.2025 को जारी विज्ञप्ति में देश के हिंदी प्रेमियों से आव्हान किया है कि 13.09.2025 व 14.09.2025 को दिल्ली में आयोजित हिंदी अधिवेशन व हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान में साहित्यकार पत्रकार व समाज सेवी सहयोग प्रदान करें।'

डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज को "हिंदी रत्न सम्मान 2025" से किया गया सम्मानित

*एटा, उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का क्षण, साहित्य जगत में बजी खुशियों की घंटी*


जबलपुर

हिंदी साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में निरंतर योगदान देने वाले उत्तर प्रदेश के एटा जनपद निवासी डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज को जबलपुर स्थित प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था द्वारा "हिंदी रत्न सम्मान 2025" से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उन्हें साहित्य, भाषा और समाज सेवा में उनके अनवरत प्रयासों और उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया है।

समारोह का आयोजन जबलपुर, मध्य प्रदेश में साहित्यिक गरिमा और भावनात्मक उल्लास के वातावरण में किया गया, जिसमें देश भर से अनेक साहित्यकार, विद्वान और संस्कृति प्रेमी सम्मिलित हुए। यह सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्था के मार्गदर्शक डॉ. कवि संगम त्रिपाठी द्वारा भव्य समारोह में प्रदान किया गया।

डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज न केवल एक संवेदनशील कवि हैं, बल्कि हिंदी भाषा के संवर्धन हेतु जागरूक अभियानी भी माने जाते हैं। उनकी रचनाएं जनमानस के हृदय को छूने वाली होती हैं, जिनमें सामाजिक सरोकार, भारतीय संस्कृति की झलक और मानवीय संवेदनाओं की गहराई स्पष्ट रूप से झलकती है।

इस सम्मान की घोषणा होते ही एटा जनपद में उनके शुभचिंतकों, साहित्यिक साथियों एवं मित्रों में अपार हर्ष की लहर दौड़ गई। जगह-जगह मिठाइयां बांटी गईं और उन्हें बधाइयों का तांता लग गया। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उनके योगदान की सराहना की।

डॉ. भारद्वाज ने सम्मान प्राप्त करने के उपरांत कहा, "यह सम्मान न केवल मेरे लिए, बल्कि समस्त हिंदी प्रेमियों और साहित्य साधकों के लिए प्रेरणा स्रोत है। यह मुझे और अधिक ऊर्जा के साथ साहित्य सेवा में समर्पित रहने की प्रेरणा देता है।" हिंदी भाषा के इस सशक्त हस्ताक्षर को सशक्त हस्ताक्षर जबलपुर, लोक संचेतना फाउंडेशन द्वारा मिले इस सम्मान ने एटा जिले को गौरवान्वित कर दिया है। उनके इस उपलब्धि से क्षेत्रीय युवा साहित्यकारों को भी एक नई दिशा और उत्साह मिला है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने डॉ सतीश कुमार को दिया हिंदी रत्न सम्मान


जबलपुर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी प्रचार प्रसार में सतत् सक्रिय रचनाकारों को सम्मानित कर रही है। इसी दिशा में सशक्त हस्ताक्षर संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी व प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी कार्य कर रहे हैं। कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि डॉ सतीश कुमार झालावाड़ राजस्थान को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया गया है। डॉ सतीश कुमार हिंदी में निरंतर सृजन व प्रचार प्रसार कर रहे हैं। डॉ सतीश कुमार झालावाड़ की रचनाएं विभिन्न समाचार-पत्रों पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रही है और उन्हें कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी है।

श्रम को सम्मान देने वाला लेखन ही प्रगतिशील साहित्य है, स्वतंत्र अभिव्यक्ति को बाधित करने की निंदा

*बागो- बहार, बेताल पच्चीसी, लैला-मजनूं की कहानियों को साहित्य कहा जाता था*


देवास

प्रगतिशील साहित्य वही है जो लेखक को वंचितों, पीड़ितों के पक्ष में खड़ा करता है। आजादी के पूर्व और बाद में भी लेखकों ने सत्ता से सवाल किए थे। वर्तमान में ऐसे सवाल करने वालों की अभिव्यक्ति खतरे में है।

ये विचार प्रगतिशील लेखक संघ देवास इकाई द्वारा देवास में आयोजित विचार गोष्ठी में व्यक्त किए गए। संगठन के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने कहा कि लेखन से मानवीय पीड़ा के प्रति पाठक की संवेदना जागृत हो, यही प्रलेसं का प्रयास है। यदि हम अपने से कमज़ोर व्यक्ति के दुःख को महसूस कर सकेंगे, तभी हम जीवन के सौंदर्य का भी सुख ले सकेंगे।

उन्होंने कहा कि प्रगतिशील लेखक संघ सदैव शांति के पक्ष में रहा है। मखदूम मोइनुद्दीन, फ़ैज़, नागार्जुन, मुक्तिबोध, मंटो, कृश्न चंदर, भीष्म साहनी और साहिर लुधियानवी जैसे अनेक शायरों, लेखकों ने युद्धों की विभीषिका को अपनी रचनाओं में उकेरा है और आगाह किया है कि युद्ध कभी भी मानवता के हित में नहीं होता और विवेक का साथ कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए। सीमा के इस पार भी मेहनतकश मज़दूर और किसान मरते हैं और सीमा के उस पार भी। वर्तमान में देश में युद्धोन्माद फैलाया जा रहा है और सरकार से सवाल करने वाले लेखकों, कलाकारों, पत्रकारों पर प्रकरण दर्ज  किये जा रहे हैं। इंदौर निवासी हेमंत मालवीय द्वारा एक कार्टून बनाने पर मुकदमा दर्ज किया गया है। हाल ही में दिल्ली में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद द्वारा सवाल पूछने पर, नागपुर में फैज की नज़्म गाने पर पुष्पा विजय साथीदार और उनके साथियों पर एफआईआर की गई। लोकगायिका नेहा सिंह राठौर पर देश के अनेक शहरों में मुकदमे कायम किए गए हैं। प्रलेस ने सभी जगह इसका विरोध किया है। स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर दमन की यह कार्यवाही चिंता का विषय है।

प्रलेसं पदाधिकारी हरनाम सिंह ने संगठन के पुरखे प्रेमचंद के हवाले से कहा कि हमारे देश में समाज के कथित श्रेष्ठी वर्ग के लिए ही जो लिखा जा रहा था, बागो- बहार, बेताल पच्चीसी, लैला-मजनूं की कहानियों को साहित्य कहा जाता था। प्रेमचंद ने बताया कि तिलस्मी ,भूत- प्रेत, प्रेम- वियोग, आधारित कहानियां जीवन की सच्चाई को उजागर नहीं करती। साहित्य केवल मन बहलाव का माध्यम नहीं है। कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा जिसमें सच्चाई होगी, जो वंचितों, शोषितों के पक्ष में खड़ा होगा।

सारिका श्रीवास्तव ने पढ़ने पर जोर देते हुए कहा कि संगठन में महिलाओं की, युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए और देवास इकाई की रचनात्मक पहचान क़ायम रखने की कोशिश करनी चाहिए। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता इकाई के उपाध्यक्ष कैलाश सिंह राजपूत ने की। गोष्ठी को प्रलेसं के वरिष्ठ सदस्य मेहरबान सिंह, प्रोफेसर एस एम त्रिवेदी, मदनलाल जेठवा, डॉक्टर मुन्ना सरकार, ओ पी वागडे़, प्रोफेसर भागीरथ सिंह मालवीय, मांगीलाल काजोड़िया, राजेंद्र राठौड़, आदि ने भी संबोधित किया। युवा शायर सैयद गुलरेज अली, आरिफ आरसी, साहिल सुलेमान आलम एवं इस्माइल नजर ने अपनी- अपनी रचनाओं का वाचन किया।

*प्रेषक हरनाम सिंह 9229847950*

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने हिंदी प्रचारक आरती श्रीवास्तव को किया सम्मानित


जबलपुर 

सशक्त हस्ताक्षर संस्था व प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा रचनाकारों को सशक्त मंच प्रदान कर प्रेरणादायक कार्य कर रही है। निरंतर काव्य गोष्ठी के माध्यम से साहित्य, समाज व सांस्कृतिक क्षेत्र में सम्मानित करने के साथ ही सशक्त हस्ताक्षर संस्था प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संयोजन में हिंदी प्रेमियों को सम्मानित करने की दिशा में भी कार्य कर रही है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर रचनाकारों के दिलों में अपनी अमिट पहचान बनाई है जो कि संस्कारधानी जबलपुर मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है। प्यासा जबलपुरी बहुत ही सहज भाव से शहर व अंचल के रचनाकारों को एक सूत्र में बांधने का काम कर रहे हैं। प्यासा जबलपुरी का हिंदी प्रेम उनके द्वारा लिखित हिंदी आरती में भी झलकती है। हिंदी प्रेमियों के सम्मान की कड़ी में आरती श्रीवास्तव को हिंदी रत्न सम्मान प्यासा जबलपुरी ने प्रदान किया। इस अवसर पर ओमप्रकाश श्रीवास्तव, कवयित्री ज्योति मिश्रा मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

"योगी से एक सफ़ल नेता बनने तक की यात्रा" के तमाम पड़ावों को खंगालती हुई यह पुस्तक 


 //पुस्तक समीक्षा//


*योगी आदित्यनाथ*

     (एक युगनायक)

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"योगी से एक सफ़ल नेता बनने तक की यात्रा" के तमाम पड़ावों को खंगालती हुई यह पुस्तक 172 पृष्ठों में विस्तार पा गई है। 11 अध्यायों में विभाजित पुस्तक में योगी आदित्यनाथ को दुर्लभ चित्रों, चर्चित युक्तियों और काव्यमयी यशोगान के साथ भारतीय संस्कृति के उन्नायक और प्रखर राष्ट्रवाद के प्रेरक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यूनिक फील क्रियेशन्स, मुंबई ने इसे प्रकाशित किया है। इंदौर की युवा लेखिका सुशी सक्सेना और ग्वालियर के शुभांशु शर्मा के लेखकीय श्रम से पुस्तक का ढांचा उसी रूप में उठ खड़ा हुआ है, जिस रूप में इसकी कल्पना की गई होगी।

प्रारंभिक अध्यायों में जन्म से लेकर विद्यार्थी जीवन और फिर गोरक्षपीठ के कर्ता-धर्ता बनने से लेकर विरासत में मिले नेतृत्व को धार्मिक-सांस्कृतिक-सामाजिक और भव्य राजनैतिक परिदृश्य के मध्य विकसित होते हुए दिखाया गया है। संन्यासी जीवन की सभी कठोर शर्तों के पालन में कुछ भावुक पलों को भी दर्शाया गया है और पारिवारिक जीवन से दस उन घटनाओं को उठाया गया है। जिनसे उनका सबल और प्रबल व्यक्तित्व उभर कर सामने आता है। 2002 में हिन्दू वाहिनी के संगठन से लेकर सांसद और मुख्यमंत्री के रूप में किए गए समस्त कार्यों में हिंदू राष्ट्र स्वयं मुखरित हुआ है। भारत की उस गौरवशाली परंपरा के समर्थन में यह पुस्तक सामने आई है। जिससे दुनिया में हिंदू धर्म का परचम लहराया है और महाराज योगी आदित्यनाथ जी में वे सभी गुण दिखाएं गए है जो भारतीय संस्कृति का मूल है। 

पुस्तक का मध्य भाग भी अत्यंत रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी से भरा हुआ है। काशी, मथुरा, वृंदावन, गोरखपुर, अयोध्या, चित्रकुट एवं उत्तर प्रदेश के सभी हिंदू धर्म के देवालयों का पुनर्गठन एवं पुनर्निर्माण कर योगी सरकार ने संस्कृति के हाथ मजबूत किए हैं, साथ ही उनके इतिहास और वास्तु कला वैभव को भी लेखकों ने भावात्मक अनुकूलता के साथ प्रस्तुत किया है।

मध्यप्रदेश के दो युवा लेखकों ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर उन्हें आमजन तक पहुंचाने की मंशा से इस पुस्तक का लेखन किया है। पुस्तक का यह तीसरा भाग, जो जनकल्याणकारी योजनाओं से संबंधित है, विशेष उपयोगी तभी हो सकेगा, जब ये पुस्तक उत्तर प्रदेश के उन लक्षित आमजनों तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करेगी।

"प्रसिद्धि के बिना जीवन का कोई मोल नहीं है।" इस ध्येय वाक्य ने बांदा, उत्तर प्रदेश में जन्मीं इस लेखिका को ऊर्जावान बनाया है। कहा जा सकता है कि पिछली सभी किताबों से अलग कुछ हटकर इस बार किया गया है।

पाठकों को स्वयं अनुभूत होगा कि पुस्तक पढ़ना प्रारम्भ कर देने के बाद एक रोचक आकर्षण हमें बांध लेता है। और इसमें से लेखक गायब हो जाता है। प्रत्येक पृष्ठ पर योगी आदित्यनाथ छा जाते है। कौतुहल मिश्रित आश्चर्य के साथ पाठक इनके देवीय व्यक्तित्व से चमत्कृत होते चलते हैं। ऐसे भावुक प्रसंग भी जोड़े गए हैं जो योगी जी के संन्यास से संबंधित कठोर नियमों के पालन की गाथा कहते है। अपराध और भ्रष्टाचार में डूबे उत्तर प्रदेश को जिस तरह योगी सरकार की नीतियों ने सुशासन में बदल दिया है, हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना का समस्त वैभव, बल और पराक्रम इस युवक राज संन्यासी ने इस तरह दिखा दिया कि अपराधियों में खौंफ पैदा हो गया है। लगभग 30 पृष्ठों पर सिर्फ महिला सशक्तिकरण से संबंधित वे सारे कार्यकलाप हैं जो योगी सरकार की पहचान बन गए है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संयोजन में हिंदी प्रेमियों को दिया हिंदी रत्न सम्मान


 जबलपुर

संस्कारधानी जबलपुर की क्रियाशील संस्था सशक्त हस्ताक्षर के आयोजन एवं प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संयोजन में हिंदी प्रेमियों को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया गया। 

शशि प्रकाश सिन्हा झारखंड , डॉ जया सुभाष बागुल जालना , डॉ संगीता भारद्वाज भोपाल , डॉ सतीश कुमार झालावाड़ राजस्थान , संतोष कुमार मिश्र 'असाधु' जबलपुर , डॉ ओम ऋषि भारद्वाज एटा उत्तर प्रदेश , मदनमोहन पाण्डेय कुशीनगर उत्तर प्रदेश , डॉ आचार्य धनंजय पाठक, डाल्टनगंज, पलामू झारखण्ड , डॉ उर्मिला कुमारी 'साईप्रीत' कटनी मध्यप्रदेश , डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र 'आदित्य' लखनऊ , अशोक झारिया शफ़क़ बॉलीवुड राइटर (मुंबई) लखनादौन जबलपुर , डॉ शरद शर्मा मुरैना , डॉ. हरिदास बड़ोदे 'हरिप्रेम' मेहरा बैतूल , प्रकाश सिंह ठाकुर जबलपुर ,  इंद्र सिंह राजपूत इन्द्राना , आरती बड़ोदे 'प्रियाश्री' मेहरा बैतूल ,  रश्मि पांडेय शुभि जबलपुर , डॉ मनोरमा रमेश गुप्ता बांसुरी जबलपुर , उमा गोविंद सुहाने रायपुर , दीप्ति खरे मंडला मध्यप्रदेश , डॉ रामप्रवेश पंडित, पलामू झारखण्ड , निर्मला डोंगरे सिहोरा मध्यप्रदेश , कवि कृष्ण वियोगी आगरा , ऊषा जैन 'उर्वशी' कोलकाता , फराह नसीम केरल , आशीष उर्मलिया जबलपुर , गायत्री सराफ जबलपुर ,भूपेन्द्र श्रीवास्तव जबलपुर, तरुणा खरे जबलपुर, सिद्धेश्वरी सराफ ' शीलू' जबलपुर को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया गया।

इस अवसर पर जगतबहादुर सिंह अन्नू , रिंकुज विज ' रिंकू' रत्ना श्रीवास्तव, प्रदीप कुमार जानी, उमेश साहू ' ओज' , विजय तिवारी 'किसलय',  आनन्द ज्योति पाठक, गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी, कवि संगम त्रिपाठी, राजेश पाठक प्रवीण, महामहोपाध्याय आचार्य हरिशंकर दुबे, अरुण शुक्ल, मदन कुमार श्रीवास्तव, लखन रजक, विवेक शैलार , अमर सिंह वर्मा, भावना दीक्षित, राजकुमारी रैकवार राज, प्रभा बच्चन श्रीवास्तव, कविता राय, सलमा जमाल , डॉ शिवशरण श्रीवास्तव ' अमल' आदि उपस्थित रहे।

52 वर्षों से रचित कविताओं का संकलन, तब मै कविता लिखता हूँ, पुस्तक का हुआ विमोचन

*पहली कविता कवि गिरीश की दिवंगत माँ पर केन्द्रित है, लालटेन युग से एलईडी लाइट तक का सफर*


अनूपपुर

कवि एवं लेखक गिरीश पटेल द्वारा लिखित कविता संग्रह 'तब मै कविता लिखता हूँ' पुस्तक का विमोचन धनश्री पैलेस अनूपपुर में संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रमुख रूप से हिन्दी के प्रख्यात कवि, कहानीकार, आलोचक और लेखक उपस्थिति थे। कवि गिरीश पटेल के कविता संग्रह "तब मैं कविता लिखता हूँ" के विमोचन समारोह की अध्यक्षता प्रगतिशील लेखक संघ के प्रिय साथी सत्यम सत्येंद्र पाण्डेय सत्यम सागर ने की और मुख्य अतिथि के रूप में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. मुरली मनोहर सिंह उपस्थित हुए। शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय में हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ गंगाधर ढोके और गांधीवादी चिंतक संतोष कुमार द्विवेदी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। संचालन प्रगतिशील लेखक संघ के संभागीय संयोजक विजेंद्र सोनी और नामचीन शायर दीपक अग्रवाल ने किया।

कवि गिरीश की किताब और वर्तमान सामाजिक राजनीतिक परिदृश्य में कविता की उपस्थिति पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। शहडोल संभाग के तीनों जिलों से बड़ी संख्या में कवि, लेखक, पत्रकार और प्रबुद्ध नागरिकों की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा और सार्थकता प्रदान की। इसमें शहडोल से डॉक्टर जी डी सिंह और डॉक्टर बी पी पटेल की उपस्थिति उल्लेखनीय है। बिलासपुर से कवि तापस हाजरा, उमरिया से प्रसिद्ध नवगीतकार राजकुमार महोबिया, भूपेंद्र त्रिपाठी पाली से युवा शायर आयुष सोनी, शहडोल से मिथिलेश राय, विजय उपाध्याय, विजय नामदेव, सुश्री गोपी नवीन शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार रामावतार गुप्ता, कोतमा से शायर यासीन खान यासीन, अविनाश अग्रवाल, अमरेंद्र सिंह मौजूद रहे। अनूपपुर से सुधा शर्मा، डॉ.नीरज श्रीवास्तव, रामनारायण पांडे, मीना सिंह, पवन छिब्बर, श्रुति शिवहरे, संतोष सोनी, दीपक अग्रवाल एवं अन्य कवियों ने शिरकत की। 

कार्यक्रम का सफल संचालन विजेंद्र सोनी ने और दीपक अग्रवाल ने किया। अतिथियों का स्वागत चंद्रकांत पटेल एवं आभार प्रदर्शन नितिन पटेल ने किया। इस कार्यक्रम में पुस्तक में अंकित उदय प्रकाश, गौहर राजा, सेवाराम त्रिपाठी इत्यादि के संदेशों का वाचन पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष शिवकुमार गुप्ता, पूर्व उपाध्यक्ष जिवेन्द्र सिंह, सहित, एडवोकेट बासुदेव चटर्जी व अन्य लोगों ने किया। पत्रकारों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही, उन्हें भी सम्मानित किया गया ।

कवि एवं लेखक के पिछले 52 वर्षों से रचित कविताओं का संकलन पुस्तक में देखने को मिलता है। पुस्तक में इनकी पहली कविता अपने दिवंगत माँ पर केन्द्रित है। कवि ने 52 वर्षों में लालटेन युग से एलईडी लाइट की चकाचौंध तक का सफर तय करते हुए अनेक प्रकार के उतार-चढाव को काफी करीबी से देखा है। कवि प्रौढ़ शिक्षा से लेकर आन लाइन स्टडी तक से स्बरु है। प्रकृति को बहुत नजदीक से देखा और समझा है जो कि कविता संग्रह में स्पष्ट रूप से झलकता है।

रचनाओं की गहराईयां अथाह है, कल्पनाओं से ज्यादा हकीकत को दर्शाती है, समाज, देश और वैश्विक माहौल को कविता में दर्शाया गया है, जिसमें प्रगतिशील सोच झलकती है, शिक्षा को बढावा देती है। कविता संग्रह में बियाबान जंगलों से लेकर कनाडा, आस्ट्रेलिया, अमेरिका तक की विदेश यात्राएँ भी समाहित है। कविताओं की भाषा एकदम सहज, सरल, गागर मे सागर समा देने वाली हृदय स्पर्शी है। इस पुस्तक से साहित्यक गतिविधियों में संचार होगा, नई पीढी के छालों और युवाओं के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगी।

आपकी कृति समाजिक विरासत को संजोए रखने में लंबे समय तक योगदान देगी, अनेकों प्रतिभाओं की कलाओं को निखारने में पथ प्रर्दशक का कार्य करेगी। इस संकलन की कविताओं में तुकांत, अतुकांत, छायावादी और नई कविताएँ तो है ही इसके साथ ही व्यंग्यात्मक कविताओं का भी समावेश है। साथ ही इसमें उनके 16 गीत भी शामिल है। यह पुस्तक वैदिक प्रकाशन हरिद्वार के द्वारा प्रकाशित की गई है। यह पुस्तक आम पुस्तकों की तुलना में लंबाई और चौड़ाई में बड़ी है तथा सजिल्द है। इस पुस्तक के आवरण की पेंटिंग स्मिता सक्सेना के द्वारा की गई है। इस पुस्तक में 193 पृष्ठ हैं तथा इसके अक्षर आम पुस्तकों के अक्षरों के बनिस्बत ज्यादा बड़े है। ताकि आसानी से पढ़ा जा सके। 

सशक्त हस्ताक्षर संस्था का वार्षिकोत्सव का समारोह 11 मई को


जबलपुर 

साहित्य, समाज, संस्कृति के पथ पर गतिशील संस्था सशक्त हस्ताक्षर का तृतीय वार्षिकोत्सव दिनांक 11 मई 2025 कलाविथिका रानी दुर्गावती संग्रहालय भंवरलाल गार्डन के पास दोपहर 02.00 बजे से आयोजित होगा।

वार्षिकोत्सव समारोह के मुख्य अतिथि जगतबहादुर सिंह ' अन्नू' , अध्यक्षता रिकुंज विज ' रिंकू' , परमाध्यक्ष आचार्य डॉ हरिशंकर दुबे, विशिष्ट अतिथि -  रत्ना श्रीवास्तव, आनंद ज्योति पाठक, प्रदीप कुमार जानी, उमेश साहू 'ओज' ,  सारस्वत अतिथि राजेश पाठक प्रवीण, मंगल भाव - विजय तिवारी 'किसलय' ,  अरुण शुक्ल है।

संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी ने बताया कि प्रथम चरण में विराट कवि संगम काव्योत्सव द्वितीय चरण में उद्बबोधन, अलंकरण व कृति विमोचन सशक्त हस्ताक्षर स्मारिका का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया है। 

संस्था के सलाहकार कवि संगम त्रिपाठी ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि वार्षिकोत्सव को भव्य बनाने में संस्था के अध्यक्ष मदन श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष डॉ मुकुल तिवारी, सचिव गुलजारी लाल जैन, सहसचिव तरुणा खरे 'तनु' , संगठन सचिव अखिल खरे ' अखिल' , कवयित्री सिद्धेश्वरी सराफ ' शीलू' , लखन रजक, आशा मालवीय, योगेन्द्र मालवीय, इन्द्र सिंह राजपूत इन्द्राना, अमर सिंह वर्मा, विवेक शैलार, प्रकाश सिंह ठाकुर, पंडित दीनदयाल तिवारी ' बेताल', भावना दीक्षित कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग कर रहे हैं।

गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी ने बताया कि प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संयोजन में पाथेय, कादम्बरी, वर्तिका, त्रिवेणी परिषद, गुंजन कला सदन, हिन्दी सेवी महासंघ , गूंज, मित्रसंघ, मिलन, जागरण साहित्य समिति, राष्ट्रीय कवि संगम, अखिल भारतीय बुन्देली साहित्य संस्कृति परिषद, साहित्य संगम, अनेकांत, मध्यप्रदेश लेखिका संघ, विविधा कला सांस्कृतिक अकादमी, मंथन श्री, संस्कार भारती, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, सुप्रभातम, मध्यप्रदेश आंचलिक साहित्यकार परिषदव्यंगम्, श्री जानकीरमण महाविद्यालय, नमस्ते पहल, अभिव्यक्ति सिहोरा, अखिल भारतीय हिन्दी सेवा समिति, आभा साहित्य संघ ने कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की है

छंद साधिका योगिता चौरसिया वर्तिका को मिला काव्य शिखर अलंकरण सम्मान


जबलपुर

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रियाशील वर्तिका साहित्यिक, सांस्कृतिक ,समाजिक संस्था द्वारा  रानी दुर्गावती संग्रहालय कला वीथिका   सभागार जबलपुर में आयोजित भव्य समारोह में मंडला की कवयित्री ,छंद साधिका श्रीमती योगिता चौरसिया प्रेमाश्री को उनके सृजनात्मक, रचनात्मक समाजोन्मुखी  अवदान के परिप्रेक्ष्य में स्व.सिद्धनाथ सहाय वर्तिका काव्य शिरोमणि अलंकरण से सम्मानित किया गया।यह सम्मान प्रज्ञा पीठाधीश्वर विभानंद गिरी नई दिल्ली के सानिध्य में समारोह के मुख्य अतिथि, वरिष्ठ अधिवक्ता उमाकांत शर्मा, अध्यक्षता कर रहे महाकवि आचार्य भगवत दुबे के साथ विजय नेमा अनुज,सतीश श्रीवास्तव एवं अशोक मनोध्या ने प्रदान किया । वर्तिका के अध्यक्ष राजेश पाठक प्रवीण ने योगिता चौरसिया के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग्रामीण परिवेश में रहते हुए योगिता चौरसिया ने राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि अर्जित की है। उनकी  काव्यकृति  छंद कलश को मध्य प्रदेश शासन संस्कृति मंत्रालय द्वारा अटल बिहारी बाजपेयी स्मृति अखिल भारतीय स्तर के एक लाख  रुपये के सम्मान के लिए भी चयनित किया गया। वर्तिका के  समारोह  में देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार उपस्थित थे, जिन्होंने योगिता के सृजन की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी।

कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने योगिता चौरसिया को बधाई दी है और कहा कि आपको वर्तिका काव्य शिखर अलंकरण से सम्मानित किया जाना हमारे लिए गौरव की बात है। योगिता चौरसिया प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के सलाहकार मंडल में शामिल हैं और हिंदी प्रचार प्रसार में सहयोग प्रदान कर रही है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक ने कृष्ण पाठक को दिया हिंदी सेवी सम्मान


बिलासपुर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने केवल कृष्ण पाठक को हिंदी सेवी सम्मान प्रदान किया। सदन में राकेश कुमार खरे अध्यक्ष संकेत साहित्य समिति बिलासपुर छत्तीसगढ़ व राष्ट्रीय सलाहकार प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा, वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र कुमार शुक्ला ' अविचल ' , कमलेश पाठक उपस्थित रहे।

कवि संगम त्रिपाठी ने विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि केवल कृष्ण पाठक हिन्दी के सशक्त रचनाकार हैं व हम सभी के मार्गदर्शक हैं। कवि संगम त्रिपाठी ने केवल कृष्ण पाठक को श्याम की गीतिकाएं कृति भेंट की। श्याम की गीतिकाएं में केवल कृष्ण पाठक ने मंगल भाव लिखें है। इस अवसर पर पहलगाम की घटना पर परिचर्चा की गई व सम सामयिक विषय पर काव्य गोष्ठी संपन्न हुई। इस सभा की अध्यक्षता कमलेश पाठक ने की व आभार राकेश खरे ने अभिव्यक्त किया।

रामायण के वैश्विक स्तर पर प्रचार -प्रसार हेतु जबलपुर में रामायण केंद्र की हुई स्थापना


जबलपुर    

डॉक्टर राजेश श्रीवास्तव निदेशक,  रामायण केंद्र भोपाल के सफल निर्देशन एवं मार्गदर्शन में सनातन धर्म के प्राण स्वरूप महान धार्मिक ग्रंथ श्री रामचरितमानस एवं वाल्मीकि रामायण के वैश्विक स्तर पर प्रचार -प्रसार हेतु जबलपुर में रामायण केंद्र की स्थापना की गई है। यह केंद्र वस्तुतः भोपाल स्थित रामायण केंद्र से सम्बद्ध है। विगत दिवस गौरीघाट रोड स्थित वैशाली परिसर में आयोजित किये गए एक भव्य समारोह में इस  रामायण केंद्र के उद्घाटन की घोषणा के साथ-साथ वर्तमान समय में भारतीय संस्कृति के महान धार्मिक ग्रंथ रामायण की उपयोगिता और इसकी आवश्यकता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।  रामायण केंद्र जबलपुर के जिला संयोजक संतोष मिश्रा ने अवगत कराया कि भोपाल केंद्र से प्राप्त हुए अनुमोदन के अनुसार इस केंद्र के संचालन हेतु डॉक्टर विजेंद्र उपाध्याय जी को इस केंद्र के जिला अध्यक्ष एवं डॉक्टर विवेक चंद्रा जी को जिला मंत्री नियुक्त किया गया है। ज्ञात हो कि जबलपुर में वर्तमान में विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संगठन कार्यरत हैं जिन्हें एक छत्र के नीचे लाने एवं मार्गदर्शन समाज में फैली अंधविश्वास तथा कुरीतियों को दूर करने के उद्देश्य को लेकर इस केंद्र की स्थापना की गई है। वैशाली परिसर में आयोजित किये गए कार्यक्रम के दौरान रामायण केंद्र जबलपुर के जिला संयोजक संतोष मिश्रा ने यह सार्वजनिक तौर पर अपील किया है कि पूरे जबलपुर शहर के सनातन धर्म परिवार के सभी संगठन इससे जुड़े और अपने महान संस्कृति और गौरव को पुनर्स्थापित करने में अपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। 

कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि संतोष कुमार मिश्र 'असाधू'  जबलपुर रामचरितमानस में सात सोपान पर व्याख्यान दिया है और शोध पत्र भी राम राजा सरकार की नगरी ओरछा में प्रस्तुत किया है।

महामहोपाध्याय आचार्य हरिशंकर दुबे को किताबें की भेंट की- कवि संगम त्रिपाठी 


जबलपुर

महामहोपाध्याय आचार्य हरिशंकर दुबे जी को श्याम फतनपुरी की दो किताबें श्याम की मधुशाला व श्याम की गीतिकाएं कवि संगम त्रिपाठी ने भेंट की। दोनों कृतियों में महामहोपाध्याय आचार्य हरिशंकर दुबे जी ने अपनी लेखनी से मंगल भाव अभिव्यक्त किएं है। श्याम फतनपुरी प्रयागराज के सिद्धहस्त कवि है व अनेकों सम्मानों से सम्मानित किये जा चुके हैं। श्याम फतनपुरी ने श्याम की मधुशाला व श्याम की गीतिकाएं बड़े मनोभाव से छन्दबद्ध गेय काव्य विधा में लिखी है। इस अवसर पर कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के साथ गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर संस्था उपस्थित रहे।

रीवा समाजसेवियों ने श्रद्धांजलि व इस्लामिक आतंकवाद का पुतला दहन कर जताया विरोध


रीवा

रीवा शहर के सिरमौर चौक में रीवा के विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कश्मीर के पहलगाम में हुए इस्लामिक आतंकी हमले में अब तक 27 पर्यटकों की जान जा चुकी है और दो दर्जन से अधिक घायल हैं। घायल हुए लोगों के जल्द स्वस्थ होने की कामना व मृतक पर्यटकों के लिए श्रद्धांजलि प्रार्थना सभा का आयोजन  किया गया इस सदी का यह सबसे वीभत्स कायराना हमला है।

इस दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा और रीवा शहर की जनता के साथ इस्लामिक आतंकवाद के घिनौने स्वरूप का पुतला दहन शहर के बीचों बीच सिरमौर चौक में किया गया। इस दौरान jnct प्राचार्य 

मिहिर पांडेय, सोमिल तिवारी, सुधीर तिवारी, बजरंग दल जिला सह संयोजक पंडित बालकृष्ण द्विवेदी, डॉक्टर विकास श्रीवास्तव, कलुआ साकेत, जितेंद्र तिवारी, वरुण मिश्रा, नीरज तिवारी, विपिन पांडे, संचित द्विवेदी, राजराखन पटेल, इंजीनियर देवेंद्र सिंह, मनु शुक्ला, अर्पित शुक्ला ऋषभ तिवारी, अंकित तिवारी ,डॉ.शिवम पटेल वीरेंद्र पाण्डेय रोहित गुप्ता,मनोज बंसल, बंशीधर  साहू, प्रताप यादव,सुधाकर पाण्डेय उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम का संयोजन अवनीश तिवारी द्वारा किया गया ।

सशक्त हस्ताक्षर की सशक्त 35 वीं काव्य गोष्ठी संपन्न - कवि संगम त्रिपाठी 


जबलपुर

सशक्त हस्ताक्षर की 35 वीं काव्य गोष्ठी श्री जानकी रमण महाविद्यालय में सानंद सम्पन्न हुई। संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा ने अपनी वाणी से सभी अतिथियों ,कवि-कवयित्रियों का आत्मीय स्वागत किया। अतिथियों द्वारा माँ वीणा पाणि का पूजन होने के बाद सरस्वती वंदन आकाशवाणी में कम्पेयर लखन रजक ने की ၊

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ और ख्यातिलब्ध शायर सोहन परोहा सलिल जी, अध्यक्षता महामहोपाध्याय आचार्य डॉ. हरिशंकर दुबे, विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ समाजसेवक एड. राजीव लाल श्रीवास्तव, सारस्वत अतिथि राजेश पाठक प्रवीण,मंगलभाव, पत्रकार,सशक्त हस्ताक्षर के सलाहकार,कवि संगम त्रिपाठी व मदन श्रीवास्तव वरिष्ठ साहित्यकार अध्यक्ष सशक्त हस्ताक्षर की गरिमामय उपस्थिति रही।  इस अवसर पर एड. राजीव लाल श्रीवास्तव को शाल,कलमश्री,मानपत्र,पुष्प माल से सम्मानित किया गया।

काव्य गोष्ठी में भावों के अनेक रंग बिखरे ၊ गोष्ठी की शुरुआत सिहोरा से पधारे शिक्षक इन्द्रसिंह राजपूत ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी। महासचिव गुलजारी जैन ने समसामयिक घटना पर झकझोर देने वाली, अपना आक्रोश प्रगट करने वाली,व्यथा रचना के माध्यम से प्रकट की। बुंदेली-हिन्दी के सशक्त हस्ताक्षर  लखन रजक, ज्योति प्यासी, अरुण शुक्ल,प्रकाश सिंह ठाकुर ने अपनी प्रस्तुति से खूब तालियाँ बटोरी। कवि संगम त्रिपाठी, बुंदेली के प्रसिद्ध,म. प्र. साहित्य अकादमी से पुरुस्कृत पं. दीनदयाल तिवारी बेताल,वीर श्रीवास्तव,डॉ. रश्मि श्रीवास्तव,प्रभा बच्चन श्रीवास्तव ने शानदार गज़ल पढ़ी। संस्कारधानी के प्रसिद्ध शायर सुरेश दर्पण को सबने खूब सराहा ၊ अमर सिंह वर्मा, सिहोरा  से पधारे शिक्षक नारायण तिवारी ने भाव भरी गज़लें पढ़ी। बच्चन श्रीवास्तव, अनूप पाण्डे, सुमित्रा सेन, संदीप खरे युवराज ने सियासत पर व्यंग्यात्मक रचना पढ़ गोष्ठी को ऊँचाईयाँ दी। मंचस्थ अतिथियों ने भी एक से बढ़कर रचनाएँ पढ़कर सदन को चकित कर दिया। रमाकांत गौतम की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ၊ संचालन प्यासाजी एवं आभार प्रदर्शन सह सचिव बुंदेली हिंदी की प्रसिद्ध कवयित्री तरुणा खरे ने किया।

श्रद्धांजलि अर्पित कर, सशक्त हस्ताक्षर की बैठक संपन्न 


जबलपुर     

सशक्त हस्ताक्षर संस्था जबलपुर ने दिनांक 14. 04.2025 को होटल जश्न में शाम 05.00 बजे बैठक आयोजित की। बैठक में गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी, कवि संगम त्रिपाठी, सिद्धेश्वरी सराफ शीलू, लखन लाल रजक, जी. एल. जैन, आचार्य विजय तिवारी 'किसलय' , आशा मालवीय, योगेन्द्र मालवीय, मदन श्रीवास्तव, इन्द्र सिंह राजपूत, अमर वर्मा, विवेक शैलार, भावना दीक्षित प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

सशक्त हस्ताक्षर संस्था की इस बैठक में 11 मई 2025 को कला विथिका में दोपहर 02.00 बजे से  वार्षिकोत्सव आयोजित की गई है उसी संदर्भ में चर्चा की गई व रुपरेखा निर्धारण किया गया। बैठक में प्रमुख कवि कवयित्रियों ने रचना पाठ किया व अंत में सशक्त हस्ताक्षर के पदाधिकारी व युवा कवि अम्लान गुहा नियोगी के पिता कल्याण गुहा नियोगी जिनका कि आकस्मिक निधन 13.04.2025 को हो गया है उन्हें उपस्थित लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

ख्वाबों की सजती बारातें तुम्हें बुलातीं हैं, बिना नींद वाली ये रातें तुम्हें बुलातीं हैं।


*बिना नींद वाली रातें*


ख्वाबों की सजती बारातें तुम्हें बुलातीं हैं।

बिना नींद वाली ये रातें तुम्हें बुलातीं हैं।


अमलतास के संग पलाश ने 

पथ में स्वागत द्वार बनाए,

अमराई ने नये बौर से 

राहों में कालीन बिछाए।


ऋतु बसंत की ये सौगातें तुम्हें बुलाती है।


चांद उगेगा ना जाने कब 

यहां चांदनी तरस रही है,

विरहिन बदली के नैनों से 

याद किसी की बरस रही है।


अनगिन अश्कों की बरसातें तुम्हें बुलातीं हैं।


कुछ पल को सो जातीं आंखें 

तुम सपनों में आ जाते हो,

पलकों के खुलते ही जाने 

कितनी दूर चले जाते हो।


प्यार भरी शर्मीली बातें तुम्हें बुलातीं हैं।

बिना नींद वाली ये रातें तुम्हें बुलातीं हैं।


गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर मध्यप्रदेश।

मैंने मांगा वो तूने दिया है, तूने बाहों में भर कर उठाया, मुझको हर पल दिया सहारा


 *मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है*

 

मैंने मांगा वो तूने दिया है

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।


मुझको अपनों ने जब जब गिराया,

तूने बाहों में भर कर उठाया।

मुझको हर पल सहारा दिया है,

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।


जब तुम्हारी शरण में मैं आया

तुमने उजड़ा मेरा घर बसाया।

मेरे मधुबन को महका दिया है,

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।


मैं तो मन से करूं तेरी पूजा,

तेरे जैसा नहीं कोई दूजा

जो न मांगा था वो भी दिया है।

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।


ध्यान जब-जब किया मैंने तेरा,

दूर संकट किया तूने मेरा ।

मेरे हर कष्ट को हर लिया है ।

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।


तेरे बिन अब नहीं कोई मेरा,

मेरे दिल में है तेरा बसेरा ।

तूने सपने में दर्शन दिया है

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है ।


मैंने मांगा वो तूने दिया है

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।

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गीतकार -अनिल भारद्वाज

 एडवोकेट, ग्वालियर

वैश्विक अध्यात्म-पटल पर जबलपुर का नाम गौरवान्वित संतोष मिश्र "असाधु " सम्मानित


जबलपुर

मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर मुख्यालय में  जनरल मैनेजर के पद पर पदस्थ तथा प्रसिद्ध धार्मिक चिंतक, प्रगतिशील लेखक एवं  आध्यात्मिक विषयों के विशेषज्ञ संतोष कुमार मिश्र "असाधु" द्वारा " समुद्र लांघने हेतु केवल हनुमान जी ही सक्षम क्यों " विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया गया जिसे श्री राम चरित भवन , ह्यूस्टन (अमेरिका ) द्वारा दिनांक 02 से 05 अप्रैल 2025 तक आयोजित हुए चार-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर के भव्य कार्यक्रम में सात जजों की टीम के द्वारा संयुक्त रूप से " सर्वोत्कृष्ट शोध पेपर  "  की  घोषणा करते हुए रुपए 5100/- का कैश अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।

संतोष कुमार मिश्र "असाधु" द्वारा उक्त विषय पर अपना व्याख्यान भी दिया गया।  इस शोध पत्र में यह गूढ़ रहस्य भी उद्घाटित किया गया कि जिस सागर को देवताओं और असुरों ने मिलकर तथा अपने अथक परिश्रम से कई दिनों तक समुद्र मंथन कर के अमृत तत्व हासिल किया, उसी अमृत तत्व को  हनुमान जी ने अपने बल, बुद्धि एवं विवेक के द्वारा अकेले ही खोज निकाला। 

मात्र 100 योजन लम्बाई वाले उस समुद्र को जामवंत, अंगद, नील और द्विविद जैसे महाबलशाली वानर और रीछ आखिरकार पार करने में अपनें आप को क्यों नहीं सक्षम पा रहे हैं, इस संबंध में श्री मिश्र जी द्वारा की गई सूक्ष्म विवेचना एवं उनके समर्थन में प्रस्तुत किये गये वैज्ञानिक तथ्यों  के अभूतपूर्व ,अत्यंत रोचक, गूढ़ और प्रामाणिकता पूर्ण होने के कारण उक्त अधिवेशन में उपस्थित विद्वतजनों द्वारा इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा और सराहना की गई।

ज्ञातव्य हो कि विगत दिनों ओरछा तथा भोपाल में भी वृहद अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आयोजित हुए कार्यक्रम जिसमें विदेश के साथ-साथ इस देश के विभिन्न भागों से तथा प्रतिष्ठित  विद्वानों , शोधार्थी और जनप्रतिनिधि भारी संख्या में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहकर अपनी-अपनी प्रतिभागिता दर्ज कराई गई थी, उक्त दोनों कार्यक्रमों में संतोष कुमार मिश्र "असाधु" द्वारा वैश्विक स्तर पर जबलपुर का नाम गौरवान्वित किया गया था ।

इस कार्यक्रम का यू ट्यूब चैनल के माध्यम से देश-विदेश में सीधा प्रसारण किया गया जिसमें कई प्रसिद्ध धार्मिक , सामाजिक तथा मूर्धन्य विद्वानों ने अपनी गरिमामय उपस्थिति एवं प्रतिभागिता दर्ज कराई गई । डॉ ओम गुप्ता जी के निर्देशन में यह कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ ।

संतोष कुमार मिश्रा "असाधु" द्वारा प्रस्तुत यह शोध-पत्र उनके रामायण विषय पर सतत गहन अध्ययन और समाज में व्याप्त विभिन्न संशयों के निर्मूलन के उद्देश्य के साथ-साथ इस विश्व में धार्मिक जागरण एवं आपसी समन्वय स्थापित करने के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया। 

ज्ञातव्य हो कि इसके पूर्व भी संतोष मिश्र को रामायण विषय पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजित हुए अनेक कार्यक्रमों में सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाता रहा है। इस सम्मान से जबलपुर नगर का नाम पुनः अंतर्राष्ट्रीय पटल पर गौरवान्वित हुआ है। इस उपलब्धि पर श्री मिश्र को उनके मित्र,विभाग के सहकर्मियों , शुभचिंतकों तथा अन्य साहित्यिक तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा बधाई और शुभकामनाएं दी गई है। कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई दी व कहा कि यह संस्कारधानी जबलपुर के लिए गौरव का विषय है।

स्वप्न हुआ साकार राम मंदिर में आए राम, तीनों लोकों सा मनमोहक बना अयोध्या धाम


*श्रीराम नवमी*

   *राम मंदिर में आए राम*


स्वप्न हुआ साकार राम मंदिर में आए राम।

तीनों लोकों सा मनमोहक बना अयोध्या धाम

अयोध्या आए मेरे राम।


सरयू की लहरें लव कुश की तरह गुनगुनाती हैं।

बाग-बगीचों में खुशबू रामायण की आतीं हैं,


हनुमत लखन भरत शत्रु चारों प्रहरों के नाम,

सूर्योदय हैं राम यहां सीता जी जैसी शाम।

अयोध्या आए मेरे राम।


श्रुति मांडवी उर्मिला जैसा रूप अलौकिक लगता,

शीर्ष राम मंदिर दशरथ के राजमुकुट सा लगता।


कौशल्या कैकई सुमित्रा की ममता का धाम।

मनोकामना होगी पूरी चलो अयोध्या धाम।

अयोध्या आए मेरे राम।


दीवारों के चित्रों को नजरें छू कर आतीं हैं,

मन के कानों में तुलसी की चौपाई गातीं हैं।


घर लौटे पुष्पक से मर्यादा पुरुषोत्तम राम,

रामलला की जन्मभूमि भी बोले जय श्रीराम।

अयोध्या आए मेरे राम।


*गीतकार-अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर*

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