सरसों के फूलों पर ,मुस्कान सजाती जाना, अमराई के माथे पर, बौर सजाती जाना, तब बसंत महकेगा


*बसंत ऋतु पर गीत*  

       

        *तब बसंत महकेगा*    


तुम सरसों के फूलों पर ,मुस्कान सजाती जाना ,

तुम अमराई के माथे पर ,बौर सजाती जाना ,


तब पतझर की सूखी डाली,पै बसंत महकेगा ,

तब कोयल के रस भीने,स्वर से बसंत चहकेगा"।


मैं पलाश के पत्तों पर ,श्रंगार-गीत रच दूंगा ।


तुम अनब्याही अभिलाषा की,मांग सजाती जाना , 

तुम पंखुड़ियों से क्यारी की ,सेज सजाती जाना ,


तब तन पर यौवन की केसर,से बसंत बहकेगा,

तब कलियों के खुलते घूंघट, से बसंत झांकेगा।


मैं कोंपल की कोरों पर ,श्रंगार- गीत रच दूंगा।

 

तुम पुरवा के पांवों में , झंकार सजाती जाना,

तुम भंवरों के गुंजन में,झपताल सजाती जाना,


तब बंजारिन के इकतारे,से बसंत झनकेगा ,

तब पायलिया की रुन-झुन धुन से बसंत खनकेगा,


मैं मृदंग की थापों पर , श्रंगार-गीत रच दूंगा।


 गीतकार-अनिल भारद्वाज,एडवोकट, हाईकोर्ट ग्वालियर,

श्री नर्मदे हर सेवा न्यास ने संयुक्त रूप से नर्मदा जयंती महोत्सव का किया भव्य आयोजन, लोकसंस्कृति, आस्था का अनूठा संगम


अनूपपुर

पवित्र नगरी अमरकंटक में पुण्यसलिला मां नर्मदा के पावन जन्मोत्सव पर्व पर श्री नर्मदे हर सेवा न्यास के तत्वावधान में तीन दिवसीय नर्मदा जयंती महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। 3 फरवरी से 5 फरवरी तक चले इस उत्सव में धार्मिक, सांस्कृतिक और लोककला से जुड़े कार्यक्रमों ने लोगों को भाव-विभोर कर दिया।

महोत्सव के मुख्य आकर्षणों में रामघाट मैदान पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोकगीत और लोकनृत्य प्रतियोगिता प्रमुख रहे। अमरकंटक के पीएमश्री शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कल्याणिका केंद्रीय शिक्षा निकेतन, पीएमश्री नवोदय विद्यालय, सरस्वती शिशु विद्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं मां कल्याणिका पब्लिक स्कूल पेंड्रा के छात्र-छात्राओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और अपनी शानदार प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि हिमाद्रि मुनि महाराज प्रबंध न्यासी श्री कल्याण सेवा आश्रम अमरकंटक एवं कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रामलाल रौतेल (कैबिनेट मंत्री दर्जा) ने समस्त प्रतिभागियों को प्रोत्साहन राशि एवं सांत्वना पुरस्कार प्रदान कर उनका उत्साहवर्धन किया। लोकनृत्य प्रतियोगिता में कल्याणिका केंद्रीय विद्यालय अमरकंटक ने प्रथम स्थान, सरस्वती जनजातीय वनवासी छात्रावास ने द्वितीय स्थान और मां शारदा शक्ति कन्यापीठ ने तृतीय स्थान प्राप्त कर सम्मान अर्जित किया। तीन दिवसीय महोत्सव के दौरान 3 फरवरी को सुप्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गायक नीलकमल वैष्णव की लोकगीत संध्या ने श्रद्धालुओं को भक्तिरस में सराबोर कर दिया। 4 फरवरी को मंदिर प्रांगण में भव्य नर्मदा पूजन एवं हवन का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। 5 फरवरी को लोकगीत एवं नृत्य प्रतियोगिताओं के साथ आयोजन का भव्य समापन हुआ।

अमरकंटक महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न जिलों से आए लोककला समूहों और कलाकारों ने भी अपनी अनुपम प्रस्तुतियों और प्रदर्शनी से दर्शकों का मन मोह लिया। प्रदर्शनी में पहुंचे आगंतुकों को भी विशेष अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। नर्मदा सेवा न्यास प्रतिवर्ष इस पावन अवसर पर भव्य आयोजन करता है, जो आस्था, संस्कृति और लोककला का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। इस वर्ष भी हजारों श्रद्धालुओं और कलाकारों की उपस्थिति ने इस आयोजन को विशेष बना दिया। आयोजन समिति ने सभी प्रतिभागियों, आगंतुकों और श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए अगले वर्ष और भी भव्य उत्सव आयोजित करने का संकल्प लिया।

युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी जन्म शताब्दी दिवस समारोह का होगा भव्य आयोजन


दिल्ली -     डी पी वाजपेई शैक्षिक न्यास पूर्व प्रधानमंत्री, भारतीय राजनीति के अजातशत्रु, भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी का सौवां जन्मदिन समारोह 25 दिसंबर 2024 को सायं 4.00 बजे से दीनदयाल उपाध्याय कालेज, द्वारका सेक्टर- 3, दिल्ली में मना रहा हैं।

हमारी संस्था पूज्य अटल जी के पत्रकार, कवि और शिक्षक स्वरूपों की स्मृतियों के  संरक्षण पर विशेष बल देती रही है। इस शताब्दी वर्ष से, हम दो राष्ट्रीय पुरस्कार प्रारंभ कर रहे हैं। इसके लिए एक प्रवर परिषद गठित की गई है, जिसकी अनुशंसा पर पुरस्कारों का चयन किया गया है। जन्म शताब्दी दिवस समारोह में केंद्रीय मंत्री, असम विधान सभा के अध्यक्ष, माननीय सांसदों के साथ प्रमुख राजनीतिक विभूतियों के उपस्थित रहने की सहमति प्राप्त हुई है।

संस्थान द्वारा गठित प्रवर परिषद द्वारा विस्तृत विचार विमर्श एवं राष्ट्र के प्रति समर्पण  के साथ अपने अपने क्षेत्र में की गई सेवाओं के मूल्यांकन के पश्चात प्रवर परिषद की संस्तुति के आधार पर, युगपुरूष अटल बिहारी वाजपेयी सेवा संस्थान अटल बिहारी राष्ट्रवादी पुरस्कारों की घोषणा करता है।

 प्रथम राष्ट्रवादी पत्रकारिता पुरस्कारश्री अतुल तारे को इसके साथ साथ युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी समाजसेवी पुरस्कार प्रेम सिंह रावत, राम कुमार सोलंकी, भारतभूषण कुलरत्न , डॉ डी सी उपाध्याय,  गोपाल बिष्ट। युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी शिक्षक पुरस्कार प्रो बलराम पाणी, दिल्ली विश्वविद्यालय,  प्रो बृजेश पांडेय, जे एन यू , डॉ स्वदेश सिंह , दिल्ली विश्वविद्यालय,  डॉ एच सी जैन , दिल्ली विश्वविद्यालय , डॉ अनुराग मिश्रा , दिल्ली विश्वविद्यालय। युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी पत्रकारिता पुरस्कार राजशेखर व्यास पूर्व डायरेक्टर जनरल दूरदर्शन, सुरेश चौहान निदेशक,सुदर्शन चैनल,  स्वाति खानविलकर वरिष्ठ पत्रकार , गौतम कुमार मिश्र, दैनिक जागरण, पूनम गौड़, नव भारत टाइम्स को प्रदान करने का निर्णय किया गया है।

पुरस्कार समारोह का आयोजन दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज ऑडिटोरियम द्वारका सेक्टर- 3 में  किया जाएगा। उक्ताशय की जानकारी डी. पी. वाजपेयी राष्ट्रीय समन्वयक, युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी सेवा संस्थान ने दी है। कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु प्रदीप मिश्र अजनबी, राष्ट्रीय महासचिव, प्रेरणा हिन्दी प्रचारणी सभा, कार्य कर रहे हैं। प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग प्रदान करें।

साहित्य अकादमी, संस्कृत परिषद ने पांडुलिपि अनुदान के लिए चुनी वंदना खरे मुक्त


अनूपपुर

साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृत परिषद भोपाल कैलेंडर वर्ष 2022 एवं कैलेंडर वर्ष 2023 के पांडुलिपि अनुदान की  घोषणा हुई, जिसमें चचाई जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश से वन्दना खरे मुक्त को चुना गया है। रचनाकार अपनी कलम से हर तरह की रचना रचता है, और अपने भाव अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की पूरी-पूरी सच्चाई और ईमानदारी के साथ कोशिश भी करता है, पर कुछ रचनाएं ऐसी होती हैं जो दिल को छू लेती हैं, जिनको बहुत वाह वाही भी मिलती है, ऐसी ही एक रचना मांँ पर लिखी थी आंँचल पकड़ मांँ बड़ी हो गई, हाथ जो छोड़ा तुमने हमारा, देखो ना!! मैं खड़ी हो गई!! मैं बड़ी हो गई!!

 कुछ मुक्तक कुछ दोहे कुछ अतुकांत कुछ गीत कुछ गजलें कुछ कविताएं वन्दना खरे की कलम ने सब कुछ लिखने की कोशिश की है, देश प्रेम पर शहीदों पर बहुत कुछ अपने शब्दों को पिरोने  की कोशिश की है। इस उपलब्धि के लिए मेरी मांँ का आशीर्वाद शारदे मांँ का आशीर्वाद मेरी सफलता का यही राज है कि यह दो माँ का आशीर्वाद मुझे मिला। साहित्य अकादमी का बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार जो मुझ जैसी नन्ही कलम की कविताओं का संग्रह उन्हें पसंद आया और उन्होंने मुझे चुना ।

भगवद् गीता अर्जुन को युद्धभूमि में दी गई शिक्षा बस नहीं युवाओं को मिलती है शिक्षा- प्रशांत पाण्डेय


अनूपपुर

शिक्षक प्रशांत पाण्डेय ने बताया कि भगवद् गीता केवल अर्जुन को युद्धभूमि में दी गई शिक्षा नहीं है, युद्धभूमि में यह ज्ञान प्रदान करने का तात्पर्य है कि यह हर युग और हर व्यक्ति के लिए प्रासंगिक है। इसे शंखनाद के बाद कहा गया है, जो हर समय के लिए उपयुक्त है एवं मानव जीवन को नई दिशा देने का सामर्थ्य रखता है। विशेषकर आज की युवा पीढ़ी, जो कई मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक समस्याओं से जूझ रही है, उनके लिए भगवद्गीता अनेक लाभदायक समाधान प्रस्तुत करती है।

1. स्वधर्म पालन: गीता सिखाती है कि हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों को समझकर उसे पूर्ण निष्ठा से निभाना चाहिए।

2. समत्व भाव: सफलता और असफलता दोनों में समान दृष्टि रखना जीवन को संतुलित बनाता है।

3. स्वयं को पहचानें: आत्मा की पहचान और आत्म-साक्षात्कार जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने में मदद करता है।

4. कर्मयोग: गीता सिखाती है कि फल की चिंता किए बिना अपना श्रेष्ठ कर्म करना चाहिए।

5. आध्यात्मिकता का महत्व: जीवन में भौतिक उपलब्धियों से परे आत्मिक शांति और संतोष आवश्यक हैं।

6. साहस और धैर्य: कठिन परिस्थितियों में साहस और धैर्य बनाए रखना सफलता की कुंजी है।

7. निर्णय लेने की क्षमता: गीता से युवाओं को जीवन में सही निर्णय लेने की प्रेरणा मिलती है।

8. संदेह से बचें: संदेह करने वाले व्यक्ति का जीवन अस्थिर रहता है; इसलिए विश्वास और श्रम से आगे बढ़ें।

9. कृष्ण भक्ति: श्रीकृष्ण की भक्ति युवाओं को आत्मिक शांति, आनंद और सच्चे प्रेम का अनुभव कराती है। यह भक्ति जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण और समर्पण की भावना लाती है।

10. आदर्श नेतृत्व: गीता से नेतृत्व के गुण सीखकर युवा समाज के प्रेरणास्रोत बन सकते हैं।

गीता केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि जीवन जीने की संपूर्ण कला है।

 भविष्य की चिंता छोड़ कर आज को भरपूर जियें - हम रामजी के - रामजी हमारे

*संग्रह वृत्ति का त्याग कर , जीवन वृत्ति को अपनाएं - प्रेमभूषण*


अनूपपुर

श्रीराम सेवा समिति अनूपपुर द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के अष्टम दिवस व्यासपीठ से कथा कहते हुए परमपूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने सफल जीवन का अद्भुत संदेश देते हुए कहा कि संग्रह वृत्ति को त्याग कर जीवन वृत्ति को अपनाईये। यह मानुष तन बड़े भाग्य से मिला है। इसे रोने , दुखी होने, निंदा करने, संग्रह करने में व्यर्थ ना करके प्रभू शरण में आनंद का जीवन मार्ग अपनाएं 

प्रेमभूषण ने कथा को आगे बढाते हुए  कहा कि मां शबरी भगवान श्रीराम के आने की प्रतीक्षा कर रही हैं। गुरु मतंग ने शबरी से कहा था कि भगवान तुम्हारी झोपड़ी में आएंगे। गुरु आदेश से शबरी अंबा भगवान नाम का जप करती हुई संयम पूर्वक प्रतीक्षा कर रही हैं। परमपूज्य जी ने कहा कि कल्पना जब यथार्थ स्वरुप लेती है तब क्रियाशीलता रुक जाती है। 

दर्द जब गीत में बदलता है, हार जब जीत मे बदलता है।क्या कहें उस आलम को, जब कोई प्रीत, मीत में बदलता है।

भगवान को भूख नहीं लगती। वो केवल भक्तों के लिये लीला करते हैं। श्रीराम जी केवल लीला करते हैं।भगवान आनंद प्रदान करते हैं। आवश्यकता के अनुरुप रचना बना लेते हैं। सद् गुरुओं की रचना थी कि यदि राम पहले ही धनुष तोड़ देगें तो बाकी राजा बवाल करेंगे। इसलिए पहले सभी राजाओं को शक्ति का आंकलन करने दिया गया । यह सब प्रभू की रामलीला है। प्रभू जब जिससे जैसा चाहते हैं, तब उससे वैसा करवा लेते हैं।जीवन में सब कुछ हो लेकिन झूठ के मार्ग पर कभी ना चलें। एकबार झूठ का आश्रय लेने पर कभी भला नहीं हो सकता। सत्य का मार्ग कल्याणकारी , रसमय, शान्ति प्रदाता ,प्रगतिकारक है।

गुरु जी ने कहा कि समय बदल गया है। सोशल मीडिया पर नयी पीढी शुरु हुई है‌ । जो महा पुरुषों की निंदा करती है। इसे ज्ञान का प्रदर्शन मानते हैं । निंदा किसी की करने का हमे कोई अधिकार नहीं है। लोग पहले कुछ भी बोल लेते हैं, फिर माफी मांगते घूमते हैं।भगत का जीवन साधुमय जीवन हो। असत्य का जीवन नहीं होना चाहिए । उत्पात ,खट कर्म , उधम  का जीवन नहीं होना चाहिए ।जीव से संबंध मात्र को ही भगवान भक्ति मानते हैं । भक्त स्वयं को भक्त घोषित नहीं करता। जो भक्त है , वो है।

भगवान श्रीराम शबरी से कहते हैं कि धर्ममय प्रवृष्टि, प्रतिष्ठता , साधुता, सज्जनता, प्रचुर धन, बुद्दिमय चातुर्य, सर्व गुण सम्पन्नता हो लेकिन मेरे प्रति भक्ति ना हो तो वह मुझे प्रिय नहीं है। भगवान राम शबरी से नवधा भक्ति का मार्ग बतलाते हैं ।

प्रथम संतों की संगत, कथा प्रसंग सुनने की ललक , भगवत गुणगान, नाम जप, इंद्रिय निग्रह ,संतों का सम्मान, दृष्टि को सहज ,शुद्ध रखें। सरल निर्मल स्वभाव नवमी भक्ति है।समाज को अपनी दृष्टि से देख कर , हायपर हो कर किसी का कल्याण नहीं है। भक्तों को हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए। सबसे स्नेह रखिये, सबका आदर करिये। मन को शांत रखने का अभ्यास हो। यथालाभ का अर्थ सहज भाव से प्राप्ति । ऐसा नहीं हुआ तो दुख मिलेगा। भक्तों का दुखी होना उचित नहीं है। जिनमें यह नव गुण होते हैं, वे मुझे अतिशय प्रिय हैं । उन पर मेरी सकल कृपा रहती है। 

जो भगवान के भरोसे है, निर्मल सच्ची भक्ति रखता है, पूर्ण समर्पित है। हम रामजी के - रामजी हमारे हैं । वो हमको - हम उनको प्यारे हैं। प्रभू कहते हैं कि मेरे दर्शन का फल अनुपम है। जीवात्मा भी परमात्मा है। रोना  - धोना ,दुखी होना नहीं चाहिये। आनंद में रहिये।संग्रह की वृत्ति से हटकर जीने की वृत्ति अपनाइये। पुण्य करो, सत्कर्म करो, दान करो, जप करो, तप करो और इससे अपने जीवन की सच्ची पूंजी को बढाईये। अपने हाथ को पुण्य करो, दिव्य करो, पवित्र करो। उन्होंने कहा किभूल कर भी किसी को श्राप और आशीर्वाद नहीं देना चाहिए। आशीर्वाद देने से पुण्य नष्ट होता है। श्राप देने से स्वयं का अमंगल होता है। भगवान जीव का भला उसके सत्कर्मो के अनुरुप करते हैं। आपकी श्रद्धा, सेवा ,समर्पण,शीलता स्वत: आशीर्वाद प्राप्त करवा देता है। आशीर्वाद दिया नहीं जाता, स्वयमेव मिल जाता है। आज कथा दोपहर दो बजे से पांच बजे तक भगवान श्री राम राज्याभिषेक का महोत्सव मनाया जाएगा।

किसी अन्य के अधिकार का अतिक्रमण ही महाभारत कराता है - प्रेमभूषण महाराज

*अगर परमार्थ पथ की यात्रा करनी है तो स्वार्थ को गठरी बांध के  फेंकना होगा*


अनूपपुर

भगवान राम और भैया भारत के चरित्र से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी किसी अन्य के अधिकार का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। भरत जी, राम जी को ही अयोध्या का राजा मानते हैं और इसी कारण लाख समझाने पर भी उन्होंने राजगद्दी नहीं स्वीकार की। लेकिन दूसरी तरफ हम देखते हैं दुर्योधन ने युधिष्ठिर के अधिकार को नहीं स्वीकार किया और महाभारत हो गया। उक्त बातें अनूपपुर (मध्य प्रदेश) के अमरकंटक रोड स्थित कथा पंडाल में श्री राम कथा का गायन करते हुए सातवें दिन प्रेमभूषण महाराज ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए  कहीं।  

सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए लोक ख्याति प्राप्त प्रेमभूषण महाराज ने श्री राम सेवा समिति के पावन संकल्प से आयोजित नौ दिवसीय रामकथा गायन के क्रम में भगवान के चित्रकूट प्रवास और आगे के प्रसंगों का गायन करते हुए कहा कि रामचरितमानस में भरत चरित्र सुनने पर आपको धर्ममय और त्यागमय जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त होती है। भारत जी हमेशा यह प्रयास करते रहते हैं की हमारा कौन सा ऐसा कर्म हो जिससे प्रभु प्रसन्न रहें। आज का मनुष्य भरत चरित्र तो सुनता है लेकिन उस शिक्षा नहीं लेता है। भाई से भाई का प्रेम अब केवल किताबी बातें रह गई हैं। थोड़ी सी संपत्ति के विवाद में एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन जाते हैं। अगर समाज में व्यक्ति अपने-अपने धर्म का पालन करने लगे तो राष्ट्र का कल्याण हो जाएगा।

आज के मनुष्य के लिए यह स्थिति बड़ी ही चिंताजनक है। जब हम मनुष्य के लिए निर्धारित 16 संस्कारों की बात करते हैं तो हमें पता चलता है कि लोग इस व्यवहार को मनमुखी होकर उपयोग में ले रहे हैं। हमें अपने परिवार के लोगों के धरती से विदा होने पर उनका विधिवत् संस्कार करना चाहिए। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि 10 दिन के पिंडदान से उसे आत्मा के विभिन्न अंगों का निर्माण होता है और पुनः वह अपना स्वरूप प्राप्त कर लेता है। संस्कार संपन्न करने में किसी भी तरह की कोताही नहीं करनी चाहिए।

महाराज ने कहा कि मनुष्य का जीवन मिला है तो हमें जीने की ललक बढ़ाने की आवश्यकता है, भजन का स्वभाव बनाने की आवश्यकता है। जीवन का उद्देश्य भगवान का भजन ही होना चाहिए जैसे महाराजा दशरथ के जीने का उद्देश्य भगवान का दर्शन था और जाने का उद्देश्य भगवान के नाम का सिमरन था।  राम राम करते ही उनके प्राण पखेरू उड़ गए थे। उन्हें देवलोक में स्थान मिला । हमारे सदग्रंथ बताते हैं कि पुण्यशाली व्यक्ति को ही देव लोक में स्थान मिलता है। तो हमें भी अपने जीवन में पुण्य बढ़ाने के लिए ही प्रयास करना चाहिए।

प्रेमभूषण ने कहा कि अगर परमार्थ पथ की यात्रा करनी है तो स्वार्थ को गठरी बांध के  फेंकना होगा। क्योंकि स्वार्थ को सामने रखकर किया जाना वाला परमार्थ दोनों ही के लिए घातक होता है। 

वर्तमान समय में मनुष्य की गतिविधियां  और आचरण गलत दिशा में जा रही हैं। कई मामलों में  पशुओं से आधुनिक मनुष्यों की तुलना करना पशुओं की बेइज्जती होगी। पशु को जब तक भूख ना लगे वह कहीं मुंह नहीं मारता है। पशु कभी भी अपनी आवश्यकता  से अधिक भोजन भी नहीं करता है। ऐसे कई व्यवहार हैं  जो पशुओं को आज के मनुष्य से श्रेष्ठ साबित करते हैं।

भगवान और सनातन ग्रंथों का विरोध करने वाले  या निंदा को माध्यम बना कर अपनी छवि निखारने का प्रयास करने वालों लोगों के साथ जो होगा उसे दुनिया के लोग देखेंगे। ऐसे लाखों उदाहरण भरे पड़े हैं। 10 से 12 वर्ष के अंदर प्रकृति उनके साथ खुद न्याय करती है। मनुष्य को अपने जीवन में भगवान और भागवतों के साथ नहीं उलझना चाहिए। भगवान तो किसी का दोष माफ भी कर देते हैं। लेकिन, अगर उनके भक्तों के साथ किसी तरह का अन्याय होता है तो उसे भगवान कभी भी माफ नहीं करते हैं। यह हमारे विभिन्न सदग्रंथों में ही उदाहरण के साथ वर्णित है।

मनुष्य को यह प्रयास करना चाहिए कि उससे कभी भी किसी साधु संत और भगत का अपकार नहीं हो। अगर ऐसा होता है तो परिणाम भी झेलने के लिए तैयार रहना होगा। इन दिनों कुछ लोग यह प्रचारित कर रहे हैं कि सनातन धर्म खतरे में है। वास्तव में इस समय सनातन धर्म को अपने ही लोगों से खतरा है किसी बाहरी से नहीं। पुड़िया बेचने वाले, जटा से रुद्राक्ष निकालने वाले और न जाने क्या-क्या करने वाले लोग धर्म के नाम पर तरह-तरह की रोटी सेंक रहे हैं और यह बहुत खतरनाक स्थिति है।

प्रेमभूषण ने कहा कि सनातन धर्म में संकल्प की बड़ी मर्यादा है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के पहले संकल्पित होना होता है तभी शुभ कार्य का पुण्य फल प्राप्त होता है। यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि जब हम संकल्प लेते हैं तो उसे पूरा भी स्वयं अपने हाथों से करना चाहिए। किसी और को जिम्मेदारी देकर नहीं। भागवत पूजन विनोद का विषय नहीं है। जहां धर्म सिद्धांत है, वहां कोई अन्य विकल्प नहीं होना चाहिए। हमारी संस्कृति में धर्म ही मूल है।

हमारे ऋषि-मुनियों ने जीवन के हर पल को जीने की कला विभिन्न धर्म ग्रंथों में संकलित कर रखी है। श्रीरामचरितमानस इस कलयुग में कल्पतरु है जिसकी एक एक पंक्ति मानव जीवन को सही मार्ग दिखाने के लिए और भगवत दर्शन कराने के लिए बहुत ही सटीक है। कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। बड़ी संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी, भजनों का आनन्द लेते हुए झूमते नजर आए। इस आयोजन से जुड़ी समिति के सदस्यों ने  व्यास पीठ का पूजन किया और भगवान की आरती उतारी।

भगवान किसी को भी दुख और कष्ट नहीं दे सकते हैं- प्रेमभूषण महाराज

*बेईमानी का संग्रह टिकता नहीं है और ना ही उससे जीवन में कोई सुखी हो पाता है*


अनूपपुर

जिसके पास जो होता है दूसरे को वही वस्तु दे सकता है। अपने कष्ट और दुख के लिए हम बेवजह भगवान को दोष लगाते हैं। भगवान किसी को दुख या कष्ट दे ही नहीं सकते हैं, क्योंकि उनके पास ना तो दुख है, ना कष्ट है। भगवान के पास कोई बीमारी भी नहीं है तो वह देंगे कहां से? उक्त बातें अनूपपुर (मध्य प्रदेश) के अमरकंटक रोड स्थित कथा पंडाल में श्री राम कथा का गायन करते हुए छठे दिन प्रेमभूषण महाराज ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए  कहीं।  

सरस राम कथा गायन के लिए लोक ख्याति प्राप्त प्रेममूर्ति प्रेमभूषण महाराज ने श्री राम सेवा समिति के पावन संकल्प से आयोजित नौ दिवसीय रामकथा गायन के क्रम में श्री सीताराम विवाह से आगे के प्रसंगों का गायन करते हुए कहा कि मनुष्य अपने कर्म बिगाड़ करके ही जीवन में दुख कष्ट और बीमारी प्राप्त करता है। मनुष्य को खासकर अपने विवाह के बाद अपने कर्मों के प्रति सावधान जरूर हो जाना चाहिए। कर्म करने में लापरवाही का परिणाम भी सामने आता है। सीखने के लिए एक अवस्था होती है जीवन भर बार-बार गलती कर करके नहीं सीखा जा सकता है।

हमारे हाथ में केवल हमारा कर्म है। हमारे कर्म से ही हमारा प्रारब्ध बनता है। कोई भी व्यक्ति किसी और के भाग्य को बदल नहीं सकता है। क्योंकि उसका भाग्य तो उसके अपने ही कर्मों से बना होता है। कर्म का फल हर हाल में खाना होता है और सनातन धर्म विश्वास पर ही टिका है। भगवान को न मानने वाले या प्रकृति से छेड़छाड़ करने वाले लोगों को अगर यह लगता है कि उसका फल उन्हें नहीं भोगना होगा तो वह गलत सोचते हैं। अच्छे कर्म का अच्छा फल और बुरे कर्म का पूरा फल हर हाल में प्राप्त होता है। केवट जी को 17 जन्मों के बाद भगवान का पैर पखाड़ने का अवसर मिला था। धरती का संसार भगवान की रचना है और इसकी हर रचना पर भगवान की ही दृष्टि है। भगवान को वही जान पाता है जिसे भगवान जनाना चाहते हैं। और भगवान को जान जाने वाला भगवान का ही होकर ही रह जाता है।

प्रेम भूषण ने कहा कि मनुष्य मात्र की दिमागी कसरत है जाति-पाती के भेद। भगवान ने कभी भी, कहीं भी जात-पात भेद को बढ़ावा देने की बात नहीं करी है। श्रीरामचरितमानस में इस बात का बार-बार प्रमाण आया है। भगवान ने केवट जी, शबरी जी और निषाद जी को जो सौभाग्य प्रदान किया वह अपने आप में यह बताने के लिए पर्याप्त है कि भगवान कभी भी भगत में जात-पात का भेद नहीं देखना चाहते हैं। धरती के किसी भी मनुष्य के लिए भगवान का गुणगान करने के लिए जाति और कुल का कोई महत्व नहीं होता है। हमारे सनातन सद्ग्रन्थों में यह बार-बार बताया गया है कि जो कोई भी चाहे प्रभु को जप ले और अपना जीवन धन्य कर ले। कोई भी गा ले, फल अवश्य मिलेगा।

प्रेम भूषण महाराज ने कहा कि मनुष्य का पुनर्जन्म उसकी अपनी ही किसी एक ज्ञानेंद्रिय के  विकारों के कारण ही होता है। हमारी पांच ज्ञानेंद्रिय हमको भटकाती रहती हैं। जब हमारी ज्ञानेंद्रियां भगवतोन्मुख होने लगती हैं तभी हमारा कल्याण होना शुरू हो जाता है। जब हम नित्य भगवत दर्शन करते हैं, भगवान का दर्शन करते हैं तो हमारी जिह्वा भगवान में रम जाती है।  महाराज श्री ने कहा कि हमें जीवन में कुछ देर शांत बैठने का भी अभ्यास करना चाहिए। जब हम धीरे-धीरे इसका अभ्यास करते हैं तो हमें अपने अंदर से ऊर्जा का स्रोत पता चलने लगता है। हम अंतर से प्रकाशित होना शुरू कर देते हैं।

महाराज ने कहा की भूमि देवभूमि है, धर्म की भूमि है । यहां धर्म का पालन करने वाले ही सदा सुखी रहते हैं और अधर्म पथ पर चलने वाले लोगों को दुख भोगने ही पड़ते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में सनातन धर्म और परंपरा के साथ कई तरह के खिलवाड़ की घटनाएं हो रही है जो चिंता का विषय है। हमारी संस्कृति धर्म पर आधारित है जैसे तैसे नहीं चलती है। धर्म और परंपराओं का सब विधि से पालन होना चाहिए और तभी समाज का कल्याण संभव है। मनुष्य अपने परिवार के लोगों के लिए ही जीवन में गलत कार्य करता है धन उपार्जन करने के लिए। लेकिन उसे यह सोचने की आवश्यकता होती है कि कोई इसके फल में उसका साथ देने वाला नहीं है फल तो उसको स्वयं अकेले ही खाना पड़ता है।

बेईमानी का संग्रह टिकता नहीं है और ना ही उससे जीवन में कोई सुखी हो पाता है। अगर मनुष्य को जीवन में सुख चाहिए तो वह उसे सिर्फ अपने सत्कर्म से ही प्राप्त हो सकता है। अपने परिश्रम से अर्जित धन से जो व्यक्ति अपना जीवन व्यतीत करता है वही सुखी रह पाता है। भगवान अविकारी हैं और मनुष्य अर्थात जीव विकारों से परिपूर्ण है। भगवान और मनुष्य में यही मूल अंतर है। अपने कर्मों के माध्यम से जीव अगर अपने विकारों से रहित हो जाता है या विकारों को कम करना शुरू कर देता है तो वह भगवान के तुल्य होने लगता है। निरंतर सतकर्मों में रहने वाला व्यक्ति ही विकारों से छुटकारा पाता है। 

प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि जानबूझ कर किया गया अपकर्म या पाप मनुष्य का पीछा नहीं छोड़ता है और उसका फल हर हाल में भोगना ही पड़ता है। अगर ऐसा नहीं होता तो लोग रोज-रोज पाप करते और गंगा जी में नहा कर पाप धो लेते। फिर तो धरती पर कोई पापी बचता ही नहीं।  सनातन सदग्रंथों में हर बात की व्याख्या की गई है, हमें इन पर विश्वास रखते हुए जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। बड़ी संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी, भजनों का आनन्द लेते हुए झूमते नजर आए। इस आयोजन से जुड़ी समिति के सदस्यों ने  व्यास पीठ का पूजन किया और भगवान की आरती उतारी।

सशक्त हस्ताक्षर की 30 वीं काव्य गोष्ठी संपन्न, प्रकाश सिंह ठाकुर को किया सम्मानित


जबलपुर 

सशक्त हस्ताक्षर की 30 वीं कविगोष्ठी श्री जानकी रमण महाविद्यालय में सानंद सम्पन्न हुई ၊ संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा ने शब्द सुमनों से सभी अतिथियों, साहित्य मनीषियों का हृदय से स्वागत किया ၊ सरस्वती वंदना हिन्दी, बुंदेली की समर्थ कवयित्री तरूणा खरे ने की ၊

मुख्य अतिथि इंजी. डॉ. गायक, संज्ञीतज्ञ,समाज सेवक दुर्गेश ब्यौहार दर्शन, अध्यक्षता महामहोपाध्याय आचार्य डॉ. हरिशंकर दुबे, विशिष्ट अतिथि अरुण शुक्ल, मनीष तिवारी, प्रकाश सिंह ठाकुर, सारस्वत अतिथि मंचमणि राजेश पाठक प्रवीण,मंगलभाव अजय बोपचे सिवनी, व्ययंकार अभिमन्यु जैन, एच. पी. तिवारी की गरिमामय उपस्थिति रही ၊ इस अवसर पर सशक्त हस्ताक्षर द्वारा दुर्गेश ब्यौहार दर्शन,डॉ. हरिशंकर दुबे, प्रकाश सिंह ठाकुर को साहित्य क्षेत्र में विशेष योगदान करने पर सम्मानित किया गया ၊ मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए दुर्गेश जी ने भगवान श्रीराम को अपना धर्म,संस्कृति, मर्यादा का प्रेरणा स्त्रोत् बताया ၊

गोष्ठी का शुभारंभ युवा कवि विवेक शैलार ने की ၊ आपने शिकायत के लहजे में वियोग श्रृंगार पर श्रेष्ठ रचना प्रस्तुत की ၊ श्रीमती प्रतीक्षा सेठी,प्रकाशसिंह ठाकुर ने माँ पर तरन्नुम में उत्तम गज़ल पढ़ी ၊ आकाशवाणी कलाकार लखन रजक ने बुंदेली में ग्रामीण परिवेश पर सुंदर रचना पढ़ी ၊ सुशील श्रीवास्तव, पूर्णिका के जनक एड. सलपनाथ यादव प्रेम,महासचिव जी. एल. जैन,मथुरा जैन उत्साही, बालमुकुंद लखेरा ढीमरखेड़ा, मनीष तिवारी को सबने खूब सराहा ၊ अनीता उपाध्याय डिण्डौरी,डॉ. मुकुल तिवारी, केशरी प्रसाद पाण्डेय वृहद की कविताएं लाजवाब  रही ၊ वरिष्ठ कवि बुंदेली -हिंदी में निष्णात जयप्रकाश श्रीवास्तव की व्यंग्य से भरी कविता मुझे प्रणाम करो को सराहा गया ၊ श्रीमती जे. प्यासी ने विटप और विहग के बीच वार्तालाप कराया ၊ आकाशवाणी में बुदेली कार्यक्रम की कम्पेयर प्रभादेवी विश्वकर्मा शील, अध्यक्ष मदन श्रीवास्तव, सलाहकार कवि संगम त्रिपाठी,डॉ. भावना दीक्षित, सिद्धेश्वरी सराफ शीलू, संदीप खरे युवराज, कालीदास ताम्रकार काली,मीना भट्ट ने मंच को नयी ऊंचाईयाँ दी ၊ पूर्व जज पुरुषोत्तम भट्ट की गरिमामय उपस्थिति रही ၊ संचालन गणेश श्रीवास्तव प्यासा, आभार प्रदर्शन उपाध्यक्षा डॉ. मुकुल तिवारी ने किया ၊

कुछ आईएएस व आईपीएस भी बेईमान होते हैं, यह सुनकर आश्चर्य होता है - प्रेमभूषण महाराज

*जब किसी अयोग्य व्यक्ति को पद सौंपा जाता है तो उससे ईमानदारी की आशा नहीं करते*


अनूपपुर 

हमारे भारतवर्ष में आईएफएस, आईएएस और आईपीएस की नौकरी को सर्वोच्च बताया जाता है। इस पद को पाने के लिए विद्यार्थी अपना सर्वस्व त्याग करके तैयारी करते हैं। कठोर लगन के साथ की गई तैयारी फल परिणाम उन्हें इस परीक्षा में सफलता दिलाता है। इतना तपस्या करके पद प्राप्त करने वाले भी बेईमान हो जाएंगे यह कल्पना नहीं की जा सकती है। गहराई में जाकर देखें तो पता चलता है कि कुछ अयोग्य लोगों को इस पद पर बैठाने के कारण ही ऐसी घटनाएं होती हैं।

उक्त बातें अनूपपुर (मध्य प्रदेश) के अमरकंटक रोड स्थित कथा पंडाल में श्री राम कथा का गायन करते हुए चौथे दिन पूज्य प्रेमभूषण महाराज ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए  कहीं।  

सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए लोक ख्याति प्राप्त प्रेममूर्ति पूज्य प्रेमभूषण महाराज ने श्री राम सेवा समिति के पावन संकल्प से आयोजित नौ दिवसीय रामकथा गायन के क्रम में भगवान की बाल लीला और आगे के प्रसंगों का गायन करते हुए कहा कि प्रतिभा का हनन करके जब किसी अयोग्य व्यक्ति को पद सौंपा जाता है तो उसे ईमानदारी की आशा भी नहीं की जा सकती है। सर्वोच्च पद पर बैठे लोगों के सत्य आचरण का एक दूसरा भी कारण है और वह है संस्कार का अभाव। किसी को संस्कार सिखाया नहीं जा सकता संस्कार स्वयं ग्रहण करना पड़ता है। हमारे घर के बच्चे हमारे घर के वातावरण को देखकर ही संस्कार सीखते हैं। बच्चों से तीन चीज सीखने लायक है। अचिंत्य,  अपरिग्रहता और किसी से भी बैर नहीं।

महाराज ने कहा कि बच्चों के नामकरण में सावधानी रखना आवश्यक है। किसी भी व्यक्ति के जीवन पर उसके नाम का बहुत प्रभाव पड़ता है। हमारी सनातन संस्कृति में बच्चों के नामकरण की एक विधिवत परंपरा है। इस परंपरा का पालन करने वाले परिवार में बच्चों के साथ ही साथ बड़े भी सुखी रहते हैं। भगवान अथवा देवी देवताओं के नाम के अनुरूप नाम रखने से परिवार का कल्याण होता रहता है।

जो भी अपना कर्म बिगाड़ लेता है, वही भयभीत रहता है। भगवान कभी किसी को भयभीत नहीं करते हैं। बाबा भोलेनाथ कहते हैं कि भगवान का धरती पर अवतरण, लोगों को निर्भय करने के लिए ही हुआ। भयभीत वह मनुष्य रहता है जिसने अपने जीवन में गलत कार्य किए हों।

 सनातन धर्म के सद्ग्रन्थों में बार-बार कहा गया है कि जीवन में अपने श्रेष्ठ की अवहेलना करने वाले खुद ही परिणाम भुगतते हैं। राम चरित मानस से हमें यह भी सीख मिलती है कि हम  अपने श्रेष्ठ या सद्गुरु की  बात  पर भरोसा करना सीखें।  श्रेष्ठ या सद्गुरु ने अगर कोई निर्णय लिया है  तो यह उन्होंने किसी भी परिस्थिति में सबका हित को ध्यान में रखते हुए ही लिया होगा।  उन्होंने कहा कि इस का सबसे सुंदर उदाहरण  रामजी का महर्षि विश्वामित्र के साथ धनुष यज्ञ में जाने का प्रकरण है।  महर्षि ने जब राम जी से पूछा कि धनुष यज्ञ में चलना है क्या? तो  राम जी के पास दो विकल्प थे, आश्रम के यज्ञ की रक्षा हो चुकी थी, तो वह चाहते तो वापस अयोध्या जी भी लौट सकते थे। परंतु उन्होंने  प्रश्न का उत्तर देने की जगह सीधे  मिथिला जाने की सहमति दे दी।  इसका दूरगामी परिणाम हमें  श्री सीता राम जी के विवाह के रूप में देखने को मिला। जो श्रेष्ठ हैं उन्हें  हर बात पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए ।  जितना संभव हो सके मौन रहना चाहिए और आवश्यकता हो तभी बोलनी चाहिए।  श्रेष्ठ  का हर बात पर बोलना, मर्यादा नहीं है।

महाराज ने कहा कि पाँच साल तक के बालक- बालिकाओं में बड़ी निर्मलता होती है। बच्चों की बाललीला ब्रह्मभाव की होती है। बालकों को यदि हम कोई संदेश देना चाहें तो वे नहीं मानते हैं, लेकिन जैसा हम करते हैं बच्चे भी वैसा ही करते हैं। यदि हम क्रोध करेंगे तो वे क्रोध करेंगे और कीर्तन करेंगे वे भी कीर्तन करेंगे, इसलिए बच्चों को हम अपने आचरण से समझाएं तो वह अवश्य समझ सकते हैं।

जीवन में उपस्थित होने वाली परिस्थितियों को स्वीकारने वाला ही सुखी रह पाता है। जब हम किसी भी स्थिति को अस्वीकार करते हैं तो यही हमारे दुःख का कारण होता है। जैसे आधा गिलास पानी भरा है तो इसे स्वीकारना सकारात्मक भाव है। लेकिन आधा गिलास खाली है मानकर अस्वीकार भाव में जाना दुःख का कारण होता है। आनन्द स्वयं लेना पड़ता है, कोई आपको देगा नहीं।  

पूज्य श्री ने कहा कि हम  चाहे जिस किसी भी व्यवसाय में जुड़े हों, किसी भी पेशे से जुड़े हों हमारे पास भगवान के भजन, उन्हें स्मरण करने के लिए पर्याप्त समय होना आवश्यक है। यही हमारे जीवन का असली साधन भी है। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो फिर हम अपने आप को ही ठग रहे हैं।

भगवान राम जी के जीवन से हमें यही शिक्षा मिलती है कि बिना तपस्या के कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। मनुष्य को अपने जीवन में अगर कुछ चाहिए तो उसे तपना होगा। जब हमारी पीढ़ी में कोई तप करता है तो हमें कुछ प्राप्त होता है और जब कई पीढ़ियां तप करती चली जाती हैं तब राष्ट्र और समाज के लिए कुछ विशेष प्राप्त होता है।

पूज्य प्रेमभूषण महाराज ने कहा - "आप भले ही दुनिया को ठगने में माहिर हों, लेकिन आप अपने को न  ठगिये। आज आदमी इतना व्यस्त हो चुका है कि उसके लिए भगवान के स्मरण के लिये भी समय नहीं है। हमारे मंदिर, हमारे तीर्थ स्थल, सत्संग, यज्ञ और कथा श्रवण करने के लिए भी उनके पास समय का अभाव है।  व्यस्त रहना अच्छी बात है लेकिन, अस्त व्यस्त रहना अच्छी बात नहीं है। 

महाराज ने कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। बड़ी संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी, भजनों का आनन्द लेते हुए झूमते नजर आए। इस आयोजन से जुड़ी समिति के सदस्यों ने  व्यास पीठ का पूजन किया और भगवान की आरती उतारी।

हर किसी को 10 वर्ष का समय अपने को संभालने के लिए मिलता है - पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज

*इस संसार में कुछ भी अनिश्चित नहीं है। सब कुछ निश्चित है। भगवान की व्यवस्था है*


अनूपपुर 

संतो का वचन है कि हर किसी के जीवन में 10 वर्ष की विशेष दशा आती है। इन दस वर्षों में अगर आप सत्य के आश्रय में चाहे तो अपना जीवन सुधार सकते हैं और चाहें तो असत्य के आश्रम में जाकर अपना जीवन बिगाड़ सकते हैं। उक्त बातें अनूपपुर (मध्य प्रदेश) के अमरकंटक रोड स्थित कथा पंडाल में श्री राम कथा का गायन करते हुए तृतीय दिन पूज्य प्रेमभूषण महाराज ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए  कहीं।  

सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए लोक ख्याति प्राप्त प्रेममूर्ति पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने श्री राम सेवा समिति के पावन संकल्प से आयोजित नौ दिवसीय रामकथा गायन के क्रम प्रभु श्रीराम के प्राकट्य का प्रसंग सुनाते हुए  कहा कि भगवान में विश्वास रखने वाले सत्य के आश्रय में अपनी दशा को 10 वर्ष में संभाल कर पूरा जीवन सुख पूर्वक व्यतीत करते हैं। सत्य के अन्वेषण में लगा व्यक्ति सत्य की ओर बढ़ता बढ़ता चला जाता है और झूठ उससे दूर चला जाता है। यह प्रमाणित है कि असत्य (झूठ) का कोई अस्तित्व नहीं होता है। थोड़े से लाभ के लिए भी असत्य का आश्रय लेने वाले को गड्ढे में पहुंचना ही होता है।

महाराज ने कहा कि संसार में भगवान कुछ भी नहीं करते हैं । प्रकृति की व्यवस्था ही सब कुछ करती है। हमारे चित्त की गति जैसी होती है हमारी मैत्री भी वैसे ही लोगों से होती है। सत्संगी को सत्संगी का संगत अच्छा लगता है और कुसंगी को अपने जैसे लोगों का ही साथ अच्छा लगता है। अगर भगवान की ओर बढ़ना है तो पहले उनको मानना आवश्यक है। भगवान को मानने वाला ही भगवान को जान पाता है। मानना स्वयं पड़ता है , कोई हमें समझा नहीं सकता है , मनवा नहीं सकता है।

भगवान से हमें यह प्रार्थना करना चाहिए कि परिवार में थोड़ी कमी बने रहे जिससे हमें आपकी याद आती रहेगी। यह सत्य है कि भगवान राम सर्व समर्थ हैं लेकिन आज के युग में यह सोचना कि सब राम जी ही कर देंगे, पूरी तरह से गलत है। प्रयास और परिश्रम तो स्वयं ही करना पड़ता है। अखाद्य पदार्थ और मदिरा दोनों मनुष्य को पाप के मार्ग पर ले जाते हैं। ऐसे लाखों उदाहरण भरे पड़े हैं कि जिन सनातन परिवारों में मांस और मदिरा का सेवन शुरू हुआ उनके कुल में केवल उत्पाती लोगों का ही आगमन हुआ।

सनातन परिवार के लोगों से मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि इन अखाद्य वस्तुओं से अपने परिवार को बचाने के लिए संकल्पित हों। जिसके जीवन में जितना अधिक सदाचार होगा, उसकी परमात्मा के चरणों में उतनी ही प्रीति होगी। अपने जीवन का, अपने आय का दसवां भाग परमार्थ में लगाने वाले का न केवल यह जन्म सुधार जाता है बल्कि आने वाला जन्म भी सुंदर होता है।

पूज्य श्री ने कहा कि अपना भविष्य नहीं जानने में ही मनुष्य की भलाई है। मनुष्य के जीवन में सुख और दुख दोनों का ही आना-जाना लगा रहता है। ईश्वर की बनाई हुई व्यवस्था में यह एक बहुत ही अच्छी बात है कि मनुष्य अपने आने वाले कल के बारे में नहीं जानता है। यदि उसे अपने कल के बारे में आज ही पता चल जाए तो वह सर्वदा दुखी ही रहेगा।

इस संसार में कुछ भी अनिश्चित नहीं है। सब कुछ निश्चित है। भगवान की व्यवस्था है और वह संसार की भलाई के लिए ही है। धरती पर आने वाले मनुष्य का जाना भी तय है। और फिर नए स्वरूप में आना भी तय है। शरीर छोड़ने के बाद जीवात्मा को 12 दिनों में अपने स्वरूप की प्राप्ति हो जाती है, ऐसा गरुड़ पुराण में कहा गया है।

महाराज जी ने कहा कि भगवान के बनाये हुए संसार में घटनाओं का घटित होना एक निर्धारित और निश्चित सत्य है। हर मनुष्य अपने चित्त की स्थिति के अनुसार उन घटनाओं को स्वीकार करता है। हर व्यक्ति के चित्त की स्थिति सामान नहीं होती है। मनुष्य के आहार विहार और व्यवहार ही उसके मां को नियंत्रित करते हैं और उसी के अनुसार चित्त की गति भी होती है। हम जिस युग में जी रहे हैं वहां हर मनुष्य विकारों से दूर नहीं रह पाता है। कामनाओं के मैल मन में तरह-तरह के विकार पैदा करते रहते हैं और इससे मनुष्य का जीवन कष्टमय हो जाता है।

अगर हम सहज रहना चाहते हैं और सहज जीना चाहते हैं तो हमारे पास इस कलियुग के मल को काटने और धोने का एकमात्र साधन है श्री राम कथा। काम, क्रोध,लोभ, मद  और मत्सर आदि  विकार कलिमल कहे जाते हैं। इससे बचने का एकमात्र सहज साधन श्री राम कथा ही है। मानस जी में लिखा है इस कथा को जो सुनेगा, कहेगा और गाएगा वह सब प्रकार के सुखों को प्राप्त करते हुए अंत में प्रभु श्री राम के धाम को भी जा सकता है।

पूज्यश्री ने कहा कि जब मन पर कलिमल का प्रभाव हो तो चाह कर भी मनुष्य सत्कर्म के पथ पर आगे नहीं बढ़ पाता है। मनुष्य का मन और उसके बुद्धि उसके अपने कर्मों के अधीन है। हम जो भी कम करते हैं उसे हमारा क्रियमाण बनता है। यही कर्म फल एकत्र होकर संचित कर्म होता है और फिर कई जन्मों के लिए यह प्रारूप प्रारब्ध के रूप में जीव के साथ जुड़ जाता है। सत्कर्मों से जिसने भी अपने प्रारब्ध को बेहतर बना रखा है, इस जन्म में भी सत्कर्मों में उसी की गति बन पाती है । अन्यथा बार-बार विचार करने के बाद भी हम उस पथ पर अपने को आगे नहीं ले जा पाते हैं।

जीवन में सुख और शांति की अपेक्षा है तो घर में सत्संग का वातावरण बनाया जाय। घर में सत्संग का वातावरण होगा तो अगली पीढ़ी के बच्चों में वह अवतरित होगा। बच्चे कुसंगति को बहुत जल्दी अंगीकार करते हैं। अगर उन्हें कल कुसंगति से बचाना है तो उन्हें निरंतर सत्संग में गति करानी होगी। भारत की भूमि देवभूमि है धर्म की भूमि है यहां धर्म का पालन करने वाले ही सदा सुखी रहते हैं और अधर्म पथ पर चलने वाले लोगों को दुख भोगने पड़ते हैं। पूज्य महाराज जी ने कहा कि मनुष्य अपने जीवन में अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी तो तय कर देता है, लेकिन उसने जो परमार्थ कार्य किया है, उसे भी आगे बढ़ाने की कोई व्यवस्था नहीं सोचता है।

महाराज ने कहा कि भगवान की जीव भाव से सेवा करें। उन्हें छोटी सी कटोरी में भोग नहीं लगाएं। इसमें हमारी श्रद्धा का दर्शन होता है। कई लोगों को सांसारिक सामग्री पर तो भरोसा होता लेकिन लोग भगवान पर भरोसा नहीं करते। भगवान के भक्त को कोई कष्ट नहीं होता, बस वह भगवान पर भरोसा रखे और स्मरण करते रहे। लोग चाहते हैं कि भगवान मेरा बन जाएं लेकिन उलझे हुए हैं जगत के संबंधों को साधने में। सांसारिक ऐश्वर्य यहीं रह जाने वाला है साथ केवल भजन, सत्कर्म, यज्ञ एवं पुण्य ही जाएंगे और कुछ साथ नहीं जाने वाला। 

हमारी संस्कृति धर्म पर आधारित है जैसे तैसे नहीं चलती है। धर्म और परंपराओं का सब विधि से पालन होना चाहिए और तभी समाज का कल्याण संभव है।

मनुष्य अपने परिवार के लोगों के लिए ही जीवन में गलत कार्य करता है धन उपार्जन करने के लिए। लेकिन उसे यह सोचने की आवश्यकता होती है कि कोई दूसरा इसके फल में उसका साथ देने वाला नहीं है फल तो उसको स्वयं अकेले ही खाना पड़ता है।

बेईमानी का संग्रह टिकता नहीं है और ना ही उससे जीवन में कोई सुखी हो पाता है। अगर मनुष्य को जीवन में सुख चाहिए तो वह उसे सिर्फ अपने सत्कर्म से ही प्राप्त हो सकता है अपने परिश्रम से अर्जित धन से जो व्यक्ति अपना जीवन व्यतीत करता है वही सुखी रह पाता है।

कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। बड़ी संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी, भजनों का आनन्द लेते हुए झूमते नजर आए। इस आयोजन से जुड़ी समिति के सदस्यों ने  व्यास पीठ का पूजन किया और भगवान की आरती उतारी।

विप्र समाज का सदस्यता अभियान श्री फल जनेऊ के माध्यम से हुआ प्रारंभ

*ग्यारह हजार परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य का लिया संकल्प, महंतों ने लिया सदस्यता*


अमरकंटक

विप्र समाज अनूपपुर का प्रतिनिधि मंडलअध्यक्ष,सचिव,संत मंडल अपने शारदीय नवरात्रि के आयोजन के नवाचारी नियमानुसार परम हंस आश्रम धारक धारकुंडी आश्रम में अमरकंटक शांति कुटी मंहत स्वामी संत मंडल के अध्यक्ष रामभूषण दास और महंत स्वामी संत मंडल के सचिव बाबा लवलीन महाराज के अनुज्ञा लेकर आयोजन पर विहंगम अवलोकन कराते हुए बताया कि हम समाज अविरल पवित्र धारा को राजनीति एवं चंदा के धंधा के कुसंग से पृथक रहते हुए समाज के हित संस्कार हेतु कार्य किया जा रहा है जिसके तहत सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है जिसमें नारियल एवं एक जोड़ी जनेऊ लिया जाता है।  चर्चा को आगे बढ़ाते हुए संयोजक मानस विद्वान संयोजक पंडित राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि विप्र समाज अपने आयोजन को अमरकंटक से आशीष लेकर बरने खोडरी तक तथा व्यंकटनगर से बरगंवा बकही तक अभियान चलाएगा तथा 11 हजार परिवार तक पहुंच कर सुख दुख का साक्षी बनेगा।लक्ष्य पूरा होने पर जिलास्तर पर ब्राह्मण मिलन कार्यक्रम होगा और श्रीफल भेंट कर सम्मान किया जाएगा,आयोजन में सनातन धर्माचार्य मठाधीशों के आशीर्वाद से सनातन धर्म गुरु शंकराचार्य के उपस्थिति में कार्यक्रम के आयोजन का  प्रयास होगा, इस कार्यक्रम में भी चंदा का धंधा के बिना करने का संकल्प पारित किया गया है । अध्यक्ष संत मंडल ने विप्र समाज के उद्देश्यों से अभिभूत होकर पूर्ण सहयोग प्रदान करने का लेख अपने कर कमल के द्वारा लेख पुस्तिका में अंकित किया उन्होंने लिखा यह पुनीत और पवित्र काम है मां नर्मदा आप लोगों को आशीष प्रदान करें और अपने लक्ष्य को आप प्राप्त करें संत समाज से जिस तरह का सहयोग अपेक्षित है वह आप लोग को उपलब्ध होगा। 

*मां नर्मदा का लिए आशीर्वाद*                      

संत समाज का आशीर्वाद लेकर मां नर्मदे के चरणों के आंचल में विप्र समाज के प्रतिनिधि दल मां नर्मदे का दर्शन लाभ और आशीर्वाद प्राप्त कर वहां उपस्थित पुजारी के माध्यम से मां नर्मदा के चरणों से प्रसाद रूपी संकल्प के साथ आशीर्वाद स्वरुप नारियल और जनेऊ प्राप्त किए ।।                

*महंतो ने लिया सदस्यता*                      

विप्र समाज के संयोजक पंडित राम नारायण द्विवेदी के द्वारा विप्र समाज के उद्देश्यों का और सदस्यता अभियान की रूपरेखा की जानकारीऔर चर्चा जब  उपस्थित मां नर्मदा के महंतों के सामने किया गया तब उपस्थित महंत समाज के अध्यक्ष पंडित बंटी महाराज के द्वारा अपने समस्त पुजारी के साथ सदस्यता के रूप में नारियल और जानेऊ भेंट कर जिसमें पंडित उत्तम महाराज, पंडित नीलू महाराज ,पंडित वंदे महाराज, पंडित सुशील द्विवेदी, पंडित राजेश द्विवेदी, जीतेंद्र द्विवेदी ,पंडित कमलेश द्विवेदी, के भी विप्र समाज की सदस्यता हेतु पंडित बंटी महाराज अध्यक्ष ने मंदिर परिवार एवं ब्राह्मण समाज द्वारा श्रीफल जानेऊ एक साथ रखकर संयोजक रामनारायण द्विवेदी को भेंट किया और मां नर्मदे से कामना की द्विवेदी जी की इस पुनीत कार्य संपन्न हो, साथ ही  पूरा  अमरकंटक परिक्षेत्र का भी विप्र समाज  कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग देने का वचन प्रदान किया।।                    

*श्रवण उपाध्याय बने प्रभारी*            

अमरकंटक की यात्रा सदस्यता अभियान को पंडित श्रवण उपाध्याय पत्रकार को विप्र समाज के अमरकंटक सदस्यता प्रभारी नियुक्त किया गया उनसे यह उम्मीद की गई अमरकंटक आंचल में विप्र समाज के समस्त महंत संत समाज , आचार्य एवं समाज के अन्य प्रहरियों परिवारों से जुड़कर विप्र समाज के उद्देश्यों को प्रत्येक लोगों तक पहुंच कर उनके आशीष आशीर्वाद रूप में श्रीफल एवं जानेऊ प्राप्त कर इस सदस्यता अभियान को गति प्रदान करेंगे आज का पूरा अमरकंटक का जो कार्यक्रम निर्धारित किया गया आज की विप्र सदस्यता अभियान भी उपाध्याय जी  भूमिका सराहनीय रही ।।                   

*धारकुंडी आश्रम में हुआ प्रसाद*            

संत समाज के सचिव धारकुंडी आश्रम के महंत लवली महाराज की कृपा कृपा से उपस्थित अर्धशतक विप्रवारो का अत्यंत सरस स्वादिष्ट स्नेह रस मिश्रित उपस्थित प्रतिनिधि मंडल को भोजन प्रसाद ग्रहण कराया गया जिससे सभी उपस्थित विप्रोवर समाज द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया इस प्रसाद ग्रहण के अवसर पर इंदौर से आए संगीत भागवत कथा प्रवक्ता लवकेश शास्त्री पंचवेदी वाचक पंडित द्वारा भी आयोजन की उद्देश्यों से प्रभावित होकर सरस कंठ के माध्यम से प्रतिनिधियों के उत्सवर्धन हेतु संस्कृत के श्लोक के माध्यम से आशीर्वाद प्रदान किया और उन्होंने निवेदन किया जब भी जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजन करेंगे हमें भी आमंत्रित करें ,हम अपनी पूरी टीम के साथ अपनी सहभागिता प्रदान करेंगे।         

*आगामी आयोजन की कार्य योजना*      

संत समाज एवं मां नर्मदा के पुजारी महंतो के साथ विप्र समाज के प्रतिनिधि मंडल के संयोजक पंडित राम नारायण द्विवेदी पंडित चैतन्य मिश्रा, पंडित श्रवण उपाध्याय, पंडित शेषनारायण शुक्ला, पंडित संदीप मिश्रा, पंडित जितेंद्र पांडे आदि उपस्थित समाज से चर्चा करते हुए पूरब से पश्चिम उत्तर से दक्षिण जिले के चारों कोनों में संपर्क स्थापित कर छोटी-छोटी बैठकों के माध्यम से विप्र समाज को एकत्र कर 11 हजार सदस्यों को जोड़ने का लक्ष्य के अनुरूप राजेंद्रग्राम, जैतहरी, फुनगा,कोतमा, चचाई, देवहारा ,संजय नगर,बरगवां आदि स्थानों पर विप्र समाज के साथ चर्चा कर उन्हें भी चंदा से धंधा रहित और राजनीति रहित समाज की स्थापना के लिए प्रयास करने का संकल्प लिया गया।

कर्मयोगी संतोष गंगेले को कई प्रान्तों की सामाजिक संस्थाओं ने किया सम्मानित

*3 हजार विद्यालय, 25 लाख विद्यार्थियों के बीच 17 वर्षों से मोटरसाइकिल से यात्रा कर रहे समाजसेवी*


छतरपुर

भारत सहित विश्व के अनेक देशों में सनातन धर्म के विचार प्रसाद और भविष्यवाणी के विद्वान कथा व्यास आचार्य पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जो बागेश्वर धाम सरकार पीठाधीश्वर के रूप में भारत की सनातन संस्कृति को बचाने के लिए तन मन धन से कम कर रहे हैं उन्होंने बुंदेलखंड के समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी नौगांव बुंदेलखंड को सामाजिक क्षेत्र में काम करने के लिए अपने सिद्ध पीठ बागेश्वर धाम से अपने संत महात्माओं के साथ आशीर्वाद प्रदान किया और उन्होंने संदेश दिया है कि है समाज और राष्ट्र के लिए कार्य कर रहे हैं ऐसे कर्मयोगी व्यक्ति का समाज में सम्मान होना जरूरी है। 

मध्य भारत के अयोध्या के महान संत बधाई भवन के पीठाधीश्वर कथा व्यास महंत राजीव लोचन दास महाराज चित्रकूट धाम मुख्य द्वार के पीठाधीश्वर रामस्वरूप आनंद महाराज तुलसी पीठ चित्रकूट धाम के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य  के परम रामचंद्र दास महाराज दीनबंधु महाराज एवं वृंदावन केसरी देवकीनंदन अरविंद शास्त्री जैसे महान संतों का सामाजिक काम करने के लिए व्यास पीठ से आने को बार सम्मान मिल चुका है ।

*आखिर कौन है संतोष गंगेले कर्मयोगी*

मध्यप्रदेश छतरपुर जिले के कस्बा नौगांव से 2 किलोमीटर दूर छोटा सा ग्राम वीरपुरा पोस्ट नौगांव बुंदेलखंड के रहने वाले 67 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद भी समाज और राष्ट्र को संस्कृति और संस्कार बचाने 17 वर्षों से मोटरसाइकिल से कर रहे हैं ।   बुंदेलखंड की सामाजिक समरसता की यात्रा,कर्मयोगी संतोष गंगेले को कई संस्थाओं ने किया सम्मानित यह बात बहुत ही आश्चर्य जनक और अटपटी लगती है कि बुंदेलखंड क्षेत्र के समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी द्वारा 67 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद भी भीषण कड़ाके की ठंड बरसात और गर्मियों में समाज और राष्ट्र सेवा के लिए तन मन धन से समर्पित एक वरिष्ठ नागरिक जो वर्ष 1980 से प्रिंट मीडिया पत्रकारिता और सामाजिक संस्थाओं से जोड़कर समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए 43 वर्षों से कम कर रहे हैं 42 वर्ष की पत्रकारिता के दौरान उन्होंने कभी किसी भी सामाजिक संस्थाओं और विभागों व्यापारियों राजनेताओं से  विज्ञापन के नाम पर एक पैसा नहीं लिया है । पत्रकारिता को स्वच्छ सुंदर ईमानदार बनने के लिए कभी किसी से पत्रकारिता के नाम पर ₹1 वसूली ब्लैकमेल नहीं किया है। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका नाम पूरे बुंदेलखंड में गर्व से लिया जाता है । उन्होंने अपने जीवन में ऐसे महापुरुष पंडित माखनलाल चतुर्वेदी पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी महावीर प्रसाद द्विवेदी, महावीर प्रसाद द्विवेदी बारीन्द्र कुमार घोष,  गणेश शंकर विद्यार्थी राजा राममोहन राय एवं बाल गंगाधर तिलक जैसे महान साहित्यकार पत्रकारों की जीवनी पढ़कर उन्होंने पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में जीवन समर्पण कर दिया ।वर्ष 1984 में तहसील कार्यालय में अधिकृत लेखक के साथ-साथ,  बुंदेलखंड क्षेत्र कस्बा के पत्रकार संघ के अध्यक्ष बनने पर एक विशाल कार्यक्रम नौगांव नगर पालिका प्रांगण में शंकर लाल मेहरोत्रा डॉक्टर सुरेंद्र सिंह चौहान के सहयोग से जिला सत्र न्यायाधीश एम एस कुरैशी के मुख्य अतिथि में शपथ संकल्प कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें उन्होंने शपथ ली थी कि वह संपूर्ण जीवन में पत्रकारिता को कलंकित नहीं होने देंगे और समाज और राष्ट्र की सेवा करेंगे।

जिसका वह आज वर्ष 2024 तक पूर्ण रूप से अपने शपथ संकल्प को निभाते चले आ रहे हैं। अनेक सामाजिक संगठनों और संस्थाओं से जोड़ने के बाद उन्होंने समाज और राष्ट्र की सेवा करने के लिए अपने कुछ विषय चुने हैंः उन्होंने सबसे पहले समाज में व्याप्त कुरीतियों छुआछूत को समाप्त करने सामाजिक समरसता पर काम किया। क्षेत्र में शिक्षा के अधंकार को दूर करने के लिए शिक्षाप्रद विषय के साथ प्रत्येक विद्यार्थियों में भारतीय संस्कृति संस्कार जागने के लिए उन्होंने शपथ लेकर के अपनी जन्म भूमि ग्राम वीरपुर पोस्ट नौगांव जिला छतरपुर से राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर 2007 के अवसर पर जनमानस के बीच शपथ लेकर मोटर का साइकिल से बुंदेलखंड क्षेत्र में अलग जगाने के लिए शिक्षा स्वास्थ्य स्वच्छता समरसता समाज नशा मुक्ति अभियान तथा वाहन दुर्घटना रोकने के लिए यातायात नियम पालन करने का, मतदाताओं को मत का प्रभाव और महत्व समझाते हुए मतदाताओं को जगाने  संकल्प लिया। समाज में  होने वाली बहू बेटियों की अकाल मृत्यु आत्महत्या जैसे संगीत अपराध को को रोकने के लिए दहेज जैसे सामाजिक कलंक अभिशाप सामाजिक अपराध को दूर करने के लिए उन्होंने अपना विवाह स्वयं समान गरीब परिवार में बिना देश किया था और अपने बेटे और बेटियों का विवाह बिना दहेज करके समाज को एक उदाहरण प्रस्तुत किया जिसका छतरपुर जिला प्रशासन सहित राजनेताओं ने खुलकर उनके कार्यों की सराहना की और उन्हें अनेक सामाजिक संगठनों द्वारा सम्मानित भी किया गया। भारत सरकार द्वारा समय-समय पर होने वाले पंचायत नगर पालिका विधानसभा लोकसभा चुनाव में मतदाता जागरूकता अभियान तथा मतदाताओं को मत के प्रति जागरूक करने और प्रजातंत्र की रक्षा करने के लिए व्यक्तिगत रूप से समूचे क्षेत्र में उत्तर प्रदेश में मध्य प्रदेश के विभिन्न जिले जनपदों में विचार प्रसार किया वर्ष 2020 में जब कोविड-19 भारत देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस बीमारी को लेकर के भारत सरकार और प्रदेश सरकार लगातार जनमानस की जीवन बचाने के लिए लगी हुई थी तब बुंदेलखंड क्षेत्र के समाजसेवी एवं राष्ट्रीय आदर्श शिक्षा रत्न उपाधि से सम्मानित संतोष गंगेले कर्मयोगी नौगांव बुंदेलखंड जिला छतरपुर द्वारा अपनी जान की परवाह किए बगैर छतरपुर टीकमगढ़ पन्ना सतना दतिया एवं उत्तर प्रदेश क्षेत्र के महोबा बांदा हमीरपुर ललितपुर झांसी इन क्षेत्रों में कोविड-19 जन जागरण अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहे थे। गरीबों भूखे प्रयासों की मदद पीड़ित परेशानों के लिए दावों की व्यवस्था करने में पीछे नहीं रहे। शासन प्रशासन द्वारा अनेकों बार उनको चेतावनी दी गई और समझाइए कि आपकी उम्र बहुत ज्यादा हैं आप घर पर रहे लेकिन उन्होंने इस महामारी से निडरता के साथ समाज और राष्ट्र सेवा के लिए संकल्प लेकर निकले और लोगों की मदद की भोजन पानी की व्यवस्था कराई मास्क वितरण कार्य किया। सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से सेनीटाइज और शासन की औषधियां लोगों तक पहुंचने में मदद की। देश राष्ट्र और मानवता के लिए काम करने के लिए उनकी धर्मपत्नी रंजना देवी गंगेले एवं पुत्र राजदीप गंगेले रजिस्ट्री कार्यालय में लेखक के रूप में कार्य करते हैं एवं छोटा बेटा रत्नदीप गंगेले पूर्ण सहयोग करते हैं ।

इस सामाजिक कार्य के लिए उन्हें हिंदुस्तान के पांच राज्यों से 100 से अधिक सम्मान प्रमाण पत्र ,कोरोना योद्धा सम्मान से सम्मानित किया गया। बुंदेलखंड के महान समाजसेवी राष्ट्रीय आदर्श शिक्षा रत्न उपाधि से सम्मानित संतोष गंगेले कर्मयोगी बुंदेलखंड के हृदय स्थली नौगांव बुंदेलखंड से छतरपुर पन्ना टीकमगढ़ निवाड़ी उत्तर प्रदेश के महोबा हमीरपुर झांसी ललितपुर 8 जिलों में मोटरसाइकिल से लगातार कोरोना वायरस बीमारी से बचने के लिए माइक लेकर निजी धन खर्च करके जन जागरुक करते आ रहे हैं। प्रधानमंत्री के आवाहन पर  कोरोना महामारी अभियान में स्वास्थ्य कर्मचारियों पुलिस कर्मचारियों स्वच्छता मीडिया बंधुओं एवं समाजसेवियों का लगातार पुष्प माला पहनाकर पुष्प वर्षा करते हुए उनके मनोबल बढ़ाने में लाखों रुपए खर्च कर चुके हैं। लगातार भारत देश में विभिन्न राज्यों में अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।

एन आर बी फाउंडेशन एवं भव्य इंटरनेशनल अंतरराष्ट्रीय मैत्री सम्मेलन निदेशक डॉक्टर निशा माथुर के जयपुर में आयोजित कार्यक्रमों से अंतरराष्ट्रीय सम्मान फिल्म इंडस्ट्री के अभिनेता श्री राजा बुंदेला के द्वारा खजुराहो में अंतरराष्ट्रीय सम्मान, पंडित बालमुकुंद उपाध्याय एवं आदर्श युवा समिति आदर्श संस्कारशाला मथुरा वृंदावन द्वारा राष्ट्रीय आदर्श शिक्षा रत्न उपाधि से सम्मानित किया गया। डॉ अरविंद त्यागी द्वारा हिंदी भवन दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया ।

कोरोना वायरस कर्मवीर योद्धा सम्मान राष्ट्रीय समाज सेवी संस्था पंडित गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास दिल्ली के अध्यक्ष डॉटर राकेश मिश्रा जी सचिव आशा रावत जो कि कस्बा गांव के रहने वाले हैं उन्होंने सर्वप्रथम उनके सामाजिक कार्यों की राष्ट्रीय स्तर पर समीक्षा करके उन्हें सम्मान दिया है अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित राजेंद्र नाथ त्रिपाठी मध्य प्रदेश प्रभारी केडी सोनाकिया डीएसपी विश्व ब्राह्मण महासभा परिषद दिल्ली क्राइम कंट्रोल समिति राष्ट्रीय दिल्ली भारत विकास संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष राठौर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव गर्ग अनोखी आवाज नई दिल्ली नोएडा राष्ट्रीय हिंदी पत्रिका आज का प्रहरी संतोष दुबे नोएडा उत्तर प्रदेश दैनिक जबलपुर दर्पण के संपादक अनिल सेन द्वारा कर्मवीर कोरोना योद्धा सम्मान से सम्मानित किया। इसी प्रकार अखिल भारतीय क्षत्रिय मेवाड़ा कलाल युवा संगठन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र मेवाड़ा जोधपुर राजस्थान मीडिया हाउस इंदौर के संपादक रवि यादव अगर सोच समाचार पत्र सीहोर भोपाल के संपादक आशीष गुप्ता युवा अधिकार मिशन सुखी खबर न्यू दिल्ली के संपादक एवं पुलिस वाला पत्रिका न्यूज चैनल भोपाल अखंड भारत न्यूज न्यू दिल्ली अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद गाजियाबाद तथा खबर 29 भोपाल के संपादक द्वारा पुणे कोरोना वायरस कर्मवीर योद्धा सम्मान से सम्मानित किया गया है। स्थानीय और क्षेत्रीय सामाजिक संस्थाओं समाजसेवियों द्वारा उन्हें लगातार समाज सेवा करने के लिए जगह-जगह सम्मानित किया जा रहा है। महोबा जनपद मुख्यालय में संपन्न हुए प्रांतीय स्तर के दो पत्रकार सम्मेलन में उन्हें सम्मानित किया गया। समाजसेवी कर्म योगी संतोष गंगेले ने प्रदेश भ्रमण पर निकल कर जगह-जगह संगठन के कमेटियां गठित ही। पहला गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब मध्य प्रदेश का सम्मेलन सी फॉर होटल छतरपुर में 26 अक्टूबर 2013 को आलोक चतुर्वेदी के सहयोग से हुआ। जिसमे 21 सामाजिक नागरिको ,स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो,अधिकारियों, पत्रकारों को सम्मानित किया गया। दूसरा सम्मेलन 23 फरबरी 2014 जीरापुर राजगढ़ में हुआ। प्रांतीय सम्मलेन 26 अक्टूबर 2014 को गाँधी भवन भोपाल में आयोजित हुआ। तीसरा सम्मेलन 25 अक्टूबर 2015 को विदिशा में आयोजित किया गया। मध्य प्रदेश के मंत्री रामपाल सिंह ने इस अवसर पर बेव साईट का शुभारंभ किया तथा प्रदेश के एक समाजसेवा के लिए सम्मानित किया। सागर, विदिशा, सिहोर, इंदौर, उज्जैन, देवास, शाजापुर, आगर-मालवा, नलखेड़ा, खिलचीपुर,सिरोंज विदिशा गंजबासोदा, हरदा,बंडा, मुंगावली अशोकनगर,चंदेरी,टीकमगढ़, ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, गुना, राजगढ़ ब्यावरा,पचोर, मंडीदीप भोपाल में 10 दिसम्बर 2015 को आयोजित किया गया। मध्य प्रदेश के पत्रकारों और आम जन की समस्याओ को लेकर प्रदेश सरकार को सैकड़ो पत्र लिख कर सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया। श्री गंगेले का बुंदेलखंड पत्रकार गौरव सम्मान 1 जुलाई 2014 को आजाद भवन दिल्ली में सम्मानित किया गया. 31 मई 2015 को चंद्र लेख होटल मथुरा में प्रदेश गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। 7 मार्च 2015 को विदिशा जिला कलेक्टर ने सर्किट हॉउस में समाज सेवा के लिए सम्मानित किया गया। 5 सितंबर 2015 को गंजबासोदा विदिशा में सम्मानित किया। 12 सितम्बर 2015 को इंदौर में सम्मानित किया गया। 13 दिसम्बर 2015 को मानस भवन जबलपुर में समाज गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। राजस्थान के बसवा जिला दौसा में राष्ट्रीय पत्रकार 9 जनवरी 2017 को पत्रकारिता और देश सेवा के लिए भारत सरकार के राज्य मंत्री रामदास आठवले ने सम्मानित किया तथा समाजसेवा के लिए धन्यवाद पत्र भेजा। 30 मई 2018 को उत्तर प्रदेश पत्रकार संघ द्वारा महोबा में पत्रकारिता एवं समाज सेवा सम्मान सम्मानित किया गया साथ ही छतरपुर जिला के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने अनेक स्थानों पर सम्मानित किया। 1 सितम्बर 2019 को मथुरा उत्तरप्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षाविद सेमिनार में आदर्श शिक्षा रत्न उपाधि से सम्मानित किया गया। स्थानित, जिला और प्रदेश, उत्तर प्रदेश में सैकड़ो स्थानीय सम्मानों से सम्मानित होने के बाद 19 जनवरी 2020 को जयपुर राजस्थान में अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किया गया टीकमगढ़ में प्रांतीय सम्मेलन में पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी पत्रकार सम्मान समारोह से सम्मान किया गया कानपुर उत्तर प्रदेश में चंद्रगुप्त मौर्य राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित होने का भी अवसर मिला अनेको बार आकाशवाणी छतरपुर से बार्ता प्रसारित हो चुकी है।प्रदेश के अनेक जिला व तहसील स्तर पर सम्मान मिला। छतरपुर जिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संघ अध्यक्ष राम कृपाल चैरसिया व बुंदेलखंड बरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रताप सिंह ख्नन्हे राजा, ने संतोष गंगेले के सामाजिक कार्यो व जीवन की सराहना की है। नगर पालिका परिषद् नौगांव सामाजिक कार्य करने और ईमानदारी से पत्रकारिता के लिए नागरिक अभिनंदन कर चुकी है। 17 फरबरी 2016 को सामाजिक समरसता सम्मान समारोह का आयोजन कर भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए पहल की जिसकी प्रशासन व जन प्रतिनिधियो ने सराहना की है। मध्य प्रदेश सरकार जन सम्पर्क विभाग से राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार नियुक्त किये जा चुके है। ग्रामीण क्षेत्रो में पीड़ित परेशानो की मदद करते है। अपने जीवन में पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर उनके परिवार के स्वर्गवासी सभी सदस्यो के नाम से बृक्षारोपड किया गया है। उनके गृह निवास व कार्यालय में उन्होंने बृक्षारोपड किया है। सामाजिक समरसता के आने उदहारण उनके जीवन के मिल सकते है। वर्ष 2023 के अंत में छतरपुर जिला प्रशासन के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उनका पेंशनर एसोसिएशन संगठन के सैकड़ो पदाधिकारी के बीच ऑडिटोरियम हाल छतरपुर में मंच पर सम्मानित किया गया और मीडिया हाउस के द्वारा उनको बुंदेलखंड के कर्म योगी के रूप में सम्मानित किया गया है लगातार देश की अनेक सामाजिक संगठन उनको सम्मानित करने के लिए आमंत्रित करते हैं लेकिन वह उम्र दराज और वरिष्ठ नागरिक होने के नाते बाहर की यात्रा नहीं कर रहे हैं। पिछले 42 वर्षों के सामाजिक क्षेत्र में काम करने के साथ-साथ उन्होंने वर्ष 2004 से सोशल मीडिया प्लेटफार्म से जोड़ने के बाद क्षेत्र की समस्याओं को जनता की आवाज बनकर काम किया और वर्ष 2011 से फेसबुक के माध्यम से संपूर्ण बुंदेलखंड क्षेत्र की आवाज उठाते रहे वर्ष 2017 से व्हाट्सएप ईमेल जीमेल आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से उन्होंने शासन प्रशासन के बीच दूरी का काम करके जनमानस में अपनी पहचान बनाई इस काम के लिए देश के 100 से अधिक राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुके हैं और स्थानीय तथा जिला राज्य स्तर पर सामाजिक संस्थाओं से उनको अनेकों सम्मान प्राप्त हुए हैं !बुंदेलखंड क्षेत्र के समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी द्वारा जो सामाजिक कार्य किए गए हैं उनकी सभी समीक्षा विभिन्न राज्यों में की जा रही है और उन्हें समय-समय पर दिल्ली हरियाणा राजस्थान मुंबई उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश प्रति के कई महानगरों में आमंत्रित किया जाता है और मंच पर सम्मानित किया जा रहा है लेकिन शासकीय तौर पर और शासन प्रशासन तथा भारत सरकार द्वारा उनके कार्यों की समीक्षा अभी तक न करना यह अन्याय और एक तरह से मानवता का हनन है उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश की सरकारों के साथ-साथ भारत सरकार की जो सर्व कमेटियां गठित की गई है वह उनके कार्यों की समीक्षा नहीं कर रही है जिससे वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी ख्याति प्राप्त नहीं कर सके ।भारत सरकार को पद्म विभूषण सम्मान देना चाहिए। भारत देश के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संत धार्मिक तीर्थ स्थल गढा़गंज बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी द्वारा उनको सिद्ध पीठ स्थल पर संत महात्माओं के बीच राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया। भारत के 50 से अधिक कथा व्यास श्रीमद् भागवत कथा मंचों से उनको उनके सामाजिक कार्यों के लिए सम्मानित होने का अवसर मिला। एनआरबी फाउंडेशन एवं भव्य फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय मैत्री सम्मेलन जयपुर में डॉक्टर निशा माथुर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान दिया गया । पंडित बालमुकुंद उपाध्याय की पूर्ण स्मृति में आदर्श युवा समिति आदर्श संस्कारशाला के संचालक पंडित श्री अतुल उपाध्याय सुमन गोस्वामी दीपक गोस्वामी द्वारा 1 सितंबर 2019 को आदर्श शिक्षा रत्न राष्ट्रीय सम्मान से मथुरा वृंदावन में राष्ट्रीय प्रवक्ता सुश्री रितंभरा दीदी के कार्यक्रमों से समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी को सम्मानित होने का अवसर मिला । इस अवसर पर राष्ट्रीय स्तर के 111 अन्य समाजसेवियों को विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्य करने के लिए भी मंच पर सम्मानित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय रामलीला एसोसिएश के संचालक डॉक्टर वेद प्रकाश टंडन दिल्ली द्वारा 14 सितंबर 2024 को पद्म विभूषण से सम्मानित मानस मर्मज्ञ रमभद्राचार्य जी के परम शिष्य या रामचंद्र दास द्वारा तुलसी पीठ चित्रकूट में अंतर्राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया । नौगांव नगर पालिका अध्यक्ष अभिलाषा धीरेंद्र शिवहरे नौगांव द्वारा उनका नागरिक अभिनंदन भी किया जा चुका है। वर्ष 2007 से लगातार बुंदेलखंड क्षेत्र में अपनी मोटरसाइकिल से यात्रा करते हैं तथा विद्यार्थियों छात्राओं को एवं गरीब निर्धन और आशाएं लोगों के बीच भारतीय संस्कृति संस्कारों नैतिक शिक्षा व्यवहारिक जीवन और आत्मविश्वास जगाने के लिए 15 से ₹25000 मासिक खर्च करते हैं प्रतिदिन 100 से 200 किलोमीटर की मोटरसाइकिल यात्रा करके हजारों विद्यार्थियों से व्यक्तिगत संपर्क करते हैं अभी तक उनकी मोटरसाइकिल लाखों किलोमीटर की यात्रा हो चुकी है और 15 वर्षों में लाखों घर से अधिक  समाज और राष्ट्र क्षेत्र में विद्यार्थियों के जीवन के भविष्य बनाने में खर्च कर चुके हैं हजारों शिक्षण संस्थानों में पहुंचकर लाखों बच्चों से संपर्क करके उन्होंने भारत की संस्कृति सनातन धर्म और नैतिक शिक्षा की लग जागी है हजारों लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण काम किया है। भारत के प्रधानमंत्री एवं भारत के राष्ट्रपति महोदय को उनके कार्यों की समीक्षा करके उन्हें ऐसा उच्च शिक्षा का पद भारतीय संस्कृति संस्कार बचाने के लिए देना चाहिए जिससे कि वह समाज के उदाहरण बन सके एवं उन्हें राष्ट्रीय सम्मान से राष्ट्रपति भवन में सम्मान करना चाहिए।

बघेलखण्ड क्षेत्र से सम्बन्धित विचार अवलोकनीय, बघेली बोली क्षेत्र विषयक अनेक नव भेद

*बघेलखण्ड का संक्षिप्त परिचय एवं क्षेत्र सीमाएं व बघेलखण्ड का क्षेत्र*


बघेलखण्ड के क्षेत्रान्तर्गत प्रमुख रूप से रीवा , सतना ,, सीधी, शहडोल ,, उमरिया, अनूपपुर सिंगरोली जिले का भू -भाग आता है। बघेली बोली को लेकर क्षेत्र विषयक अनेक नव भेद है। बघेलखण्ड के क्षेत्र से सम्बन्धित विचार अवलोकनीय हैं यथा प्रसिद्ध भाषा विज्ञानी जार्ज ग्रियर्सन ने बघेली को बघेलखण्ड में बोली जाने वाली बोली कहा जाता है। किंतु आगे उन्होंने लिखा है। यह चंदभकार की छोटा नागपुर रियासत में और रीवा के दक्षिण में स्थित ब्रिटिश  जिले के मंडला में भी पर्याप्त शुद्धि के साथ बोली जाती हैं। और कुछ काम शुद्धि के साथ मिर्जापुर जिले के दक्षिण सोन भाग में एवं जबलपुर में, जहाँ यह धीरे- धीरे क्रमशः बिहारी था बुन्देली में विलीन होती जाती हैं।

इसी प्रकार फतेहपुर बादा था हमीरपुर ज़िले में भी बघेली का एक वह रूप बोला जाता है, जो कम अधिक मात्रा में बुन्देली भाषा से मिश्रित हैं। बघेल मंडला के दक्षिण तथा दक्षिण पश्चिमी में बोली जाने वाली कतिपय विश्रृंखलित बोलियो का मूलाधार भी जान पड़ती है। अवधी और बघेली के बीच की सीमा रेखा का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा है, यदि हम अवधी और बघेली की सीमा का निर्धारण करना चाहें तो फतेहपुर एवं बादा की बीच यमुना नदी एवं उसके आगे इलाहाबाद जिले की दक्षिण-- सीमा  रेखा होगी। यद्दपि उन्होंंने इसे  निर्णायक मानदंड के रूप में स्वीकार नहीं किया है। और इसे अनिशिचत माना है। डॉ. धीरेन्द्र वर्मा  के अनुसार बघेली का क्षेत्र इस प्रकार है। अवधी के दक्षिण में बघेली का क्ष्रेत्र हैं।

इसका केंद्र रीवा राज्य हैं, किन्तु यह मध्यप्रान्त के दमोह, जबलपुर , मंडला तथा बालाघाट के जिलों तक फैली हुई है।डाक्टर हरदेव बाहरी के मतानुसार ,,12 वी सती में सोलंकी राजपूत व्याघ्रदेव ने बघेल वंश की नीव डाली जिससे प्रदेश का नाम बघेलखण्ड और बोली बघेलखण्डी या बघेली पड़ गया।रीवा इसका केंद्र है, किन्तु बघेलखण्ड के बाहर भी बघेली बोली जाती हैं। इसका क्षेत्र उत्तर में मध्य उत्तर प्रदेश की सीमा से लेकर दक्षिण में बालाघाट तक, और पश्चिम में दमोह और बादा की पूर्वी सीमा से लेकर पूर्व में मिर्जापुर , छोटा नागपुर और बिलासपुर की पश्चिमी सीमाओं तक फैला हुआ है।

डॉ. उदयनारायण तिवारी ने बघेलो को वस्तुत बघेलखण्ड की बोली माना है, किंतु उन्होंने उसका प्रसार बघेलखण्ड के बाहर भी स्वीकार किया है। उन्हीं के शब्दों में बघेली  छोटा नागपुर के चन्दभकार तथा रीवा के दक्षिण मंडला जिले में भी बोली जाती हैं। यह मिर्जापुर तथा जबलपुर के कुछ भाग में बोली जाती हैं।इसी प्रकार  फतेहपुर बादा तथा हमीरपुर भी उसी के अंतर्गत  है  किंतु  इधर  की बघेली में पड़ोस की बोलियों का समिम्श्रण  हो जाता है। मंडला के दक्षिण पश्चिम की बघेली भी वस्तुत मिश्रित ही है।

डॉ. भगवती प्रसाद शुक्ल ने रीवा को केंद्र  मानते हुए बघेली का क्षेत्र इस प्रकार निरुपित किया है। उत्तर में यमुना नदी के दक्षिण बादा फतेहपुर हमीरपुर के परगने से लेकर, कसौदा और शंकरगढ़ तक पश्चिम में कोठी सोहावन से मैहर के आस पास तक दक्षिण पश्चिम में कटनी जबलपुर दमोह और बालाघाट के कुछ गांवो तक दक्षिण में अमरकंटक और मंडला तथा  दक्षिण पूर्व में सिंगरोली तथा देवसर तक।

उपयुक्त मतों पर दृष्टिपात करने पर हम देखते है कि प्रायः  सभी विद्वानो  के मत का आधार ग्रियर्सन का भाषा - सर्वेक्षण रहा है। प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर बोलचाल की भाषा को प्रमुख आधार मानते हुए मेरे विचार से बघेली का क्षेत्र  उत्तर में यमुना नदी के दक्षिण बादा , फतेहपुर हमीरपुर एवं इलाहाबाद  ज़िले की करछना तथा मेजा  तहसीलों से लेकर दक्षिण में अमरकंटक , मंडला  तथा बालाघाट के कुछ गांवो तक और पश्चिम में दमोह जिले की पूर्वी सीमा मैहर, तथा कोठी सोहावल से लेकर पूर्व में मिर्जापुर छोटा नागपुर तथा बिलासपुर की पश्चिमी सीमाओं तक फैला हुआ है।

बघेली के क्षेत्र की भाषागत सीमा इस प्रकार हैं,,,, बघेली के उत्तर में अवधी तथा उत्तर-पूर्व में भोजपूरीबका क्षेत्र है। इसके पूर्व दक्षिण में छ्त्तीसगढ बोली जाती है। दक्षिण में बालाघाट के आस पास के कुछ  हिस्सों  में मराठी का क्षेत्र है, और दक्षिण पश्चिम ,पश्चिम तथा  पश्चिम --उत्तर  में बुन्देलखण्डी  का क्षेत्र है।

अर्पणा दुबे

इंसान और जानवर भालू के बीच के अद्भुत प्रेम के संगम का अद्भुत एक नजारा 


अनूपपुर

अपनों के लिए सबसे अच्छे उपहार, भालुओं का पूरा परिवार कुटिया में देता है, जब दस्तक तो इंसान और जानवरों के बीच के अद्भुत प्रेम के संगम का एक नजारा दिखाई पड़ता है

मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ सीमा पर अनूपपुर जिले से 74 किलोमीटर दूर जनकपुर के पास उचेहरा गाँव के नज़दीक के जंगल में राजामाँड़ा नामक स्थान पर एक बाबा छोटी सी कुटिया बनाकर रहते हैं साथ ही एक उम्रदराज महिला भी रहती है । और यहां प्रतिदिन एक दो नहीं भालुओं का पूरा कुनबा जब दस्तक देता है तो यहां का नजारा देखने लायक होता है, बाहर से यहां पर पहुंचने वालों की सांस थम जाती हैं लेकिन उस बाबा और बुढ़िया मां के लिए मानो तो कोई मेहमान उनके यहां पधारा हो और उनकी सेवा भाव में मां बाबा लग जाते हैं, जंगल के जानवर और इंसानों के बीच यदि प्रेम का अद्भुत भाव देखना हो तो इससे बेहतर नजारा और कहीं नहीं मिल सकता है।

प्रतिदिन भालू का परिवार बाबा की इस कुटिया में पहुंचता है जिनकी सेवा मां बाबा सेवा करते हैं और उन्हें सीताराम के नाम से पुकारते हैं, कुटिया में पहुंचकर जंगली भालू का परिवार चुपचाप दिए गए भोजन को ग्रहण करता है और मां बाबा के इशारे पर पुनः जंगल की तरफ प्रस्थान कर जाता हैं। इस दृश्य को अनूपपुर प्रगतिशील लेखक संघ के गिरीश पटेल ने अपने कैमरे में कैद करके सोशल मीडिया में वीडियो और फ़ोटो साझा किया,निश्चित ही यह हमारे जल,जंगल,जमीन से जुड़ा हुआ एक बेहतरीन और अद्भुत वीडियो क्लिप है ।

मां मनोकामना को दी गई विदाई, फूलों से सजाई गई सड़के, भक्तों का लगा रहा दरबार


अनूपपुर 

बड़े ही उत्साह,उमंग और ढोल-धमाका के साथ 30 अक्टूबर 2024 को राम जानकी मंदिर के पास जय मां मनोकामना का आगमन हुआ था।काफी संख्या में भक्त जनों ने उनकी आगमनी की और उन्हें विराज मानकर तीन दिवस भक्तिमय वातावरण में उनकी पूजा एवं आराधना की।

धर्म प्रेमी,सामाजिक,जागरूक नागरिक शुभम ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि जय मां मनोकामना का पांचवें वर्ष में प्रवेश हुआ है। मां मनोकामना का भव्य दरबार सजाया गया था।निर्धारित कार्यक्रम अनुसार 30 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार को बाजे,गाजे के साथ मां का भव्य आगमन हुआ।दिनांक 31 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार को विशेष पूजन हवन एवं आरती रात्रि 12.00 से सुबह 5.00 बजे तक आयोजित की गई।दिनांक 01 नवम्बर 2024 दिन शुक्रवार प्रातः 11.00 बजे से कन्या भोजन एवं विशाल भंडारा,शाम 7 बजे ढोल बाजों के साथ मां की संध्या कालीन भव्य महा आरती एवं महाप्रसादी वितरण एवं भक्ति मयी संगीतों के साथ ममता भरा देवी जागरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया।जिसमें अनूपपुर शहर के काफी संख्या में भक्त जनों ने भाग लिया। 02 नवम्बर 2024 दिन शनिवार को नम आंखों से मां की विदाई की गई।इस अवसर पर नगर के विभिन्न मार्गो को फूल मालाओं से सजाया गया। जिस पर से मां मनोकामना को नम आंखों से विदाई दी गई। 

इस अवसर पर भारी संख्या में धर्म प्रेमी नाचते,गाते हुए उत्साह एवं उमंग के साथ ही नम आंखों से मां मनोकामना को विदाई दी।नगर के भक्त जनों ने तीन दिवस मां मनोकामना का आशीर्वाद प्राप्त किया। जिसमें काफी संख्या में पुरुष,महिलाएं,बच्चे सभी सपरिवार शामिल थे।

नीट की परीक्षा में सिमरन को मिली सफलता, एमबीबीएस के लिए हुआ चयन, पार्षद ने दी बधाई


अनूपपुर 

जिले के नगर परिषद बंनगवा वार्ड नंबर 4 की कुमारी सिमरन चंद्र पिता हरिशंकर चंद्र निवासी राज नगर वार्ड नंबर 4 का चयन श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा एमबीबीएस के लिए हुआ है। सिमरन चंद्र का प्रथम वर्ष में ही एमबीबीएस की नीट की परीक्षा में चयन हुआ है। सिमरन के परिजनों ने पुत्री के नीट में चयन के बाद मेडिकल कॉलेज मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए बिटिया की कड़ी मेहनत और उनके शिक्षक और गुरुजनों के सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया है बनगंवा नगर परिषद के वार्ड नंबर 04 की पार्षद श्रीमती आशा भीम जायसवाल ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा है की सिमरन हमारे नगर की गौरव है और कड़ी मेहनत से उन्होंने परिजनों के सपनों को पंख दिए हैं।

नगर में नेट की पेपर में पहली बार में ही क्वालीफाई करने और एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने के लिए ढेर सारी बधाइयां और शुभकामनाएं दी है। उन्होंने कहा कि हमारे राजनगर क्षेत्र के लिए सिमरन बच्चियों का आदर्श और उनके लिए प्रेरणादायक बनेगी, समाज के लिए सिमरन आगे चलकर सेवा कार्य करेंगे इसके लिए हम उनके परिजनों का आभार व्यक्त करते हैं। सिमरन का कहना है कि मैं एमबीबीएस कर परिजनों का सपना साकार करते हुए नगर और जनता की सेवा करना चाहती हूं इसलिए पिता और माता ने मुझे डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करने का दायित्व सौप है जिसके लिए मैं कड़ी मेहनत और लगन से उक्तदय को निर्वहन करने का पूरा प्रयास करूंगी, मेरे परिजनों और शिक्षकों ने पढ़ाई में मेरा भरपूर सहयोग दिया है जिसका नतीजा नीट का एग्जाम है, परिजनों के आशीर्वाद से जल्दी में डॉक्टर बनकर समाज सेवा का कार्य करूंगी।

प्रलेस द्वारा आयोजित, तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कविता रचना शिविर संपन्न 


अनूपपुर

प्रगतिशील लेखक संघ अनूपपुर द्वारा आयोजित कविता रचना शिविर अमरकंटक में विगत दिवस संपन्न हुआ । इस शिविर में 31 व्यक्तियों ने भाग लिया । कविता की संरचना , (ख़ासकर प्रगतिशील रचना) विषयवस्तु, प्रभाव, गुण गाह्यता और उसके उद्देश्य के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए भोपाल से भोपाल कुमार अंबुज, सुश्री आरती, अशोकनगर से हरिओम रजोरिया तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रोफेसर बसंत त्रिपाठी उपस्थित थे । इन्होंने इस रचना शिविर में अपने सारगर्भित विचारों से कविता संरचना की बारीकियों की ओर इंगित करते हुए इसकी संरचना पर पूर्ण प्रकाश डाला । यह शिविर 21-22एवं 23 अक्टूबर को सतत चला जिसमें प्रतिभागियों ने कविता संबंधित विषयों पर न केवल उस जानकारी को प्राप्त किया जो प्रशिक्षकों ने उन्हें दी बल्कि अनबूझ प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करके इस संबंध में और भी ज्ञान अर्जित किया । इन कार्यक्रमों के दौरान जहां प्रतिभागियों ने अपनी कविताएँ सुनाई वहीं उनकी कविताओं पर विशेषज्ञों ने अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उनकी रचनाओं की कमियों और सुंदर रचना के निर्माण की प्रक्रियाओं को समझाते हुए अच्छी रचनाओं की सराहना भी की । अंतिम दिवस उद्भट विद्वानों ने अपनी कविताएँ सुनाकर प्रतिभागियों को यह समझाया कि कविताएँ इस प्रकार होनी चाहिये कि जो विषयवस्तु को उभारते हुए सीधे पाठकों और श्रोताओं के मस्तिष्क पर असर करे और उस रचना के बारे में सोचने को मजबूर कर दे ।यह पूरा कार्यक्रम परिवार के सदस्यों के बीच चल रहे संवादों और वार्तालाप की तरह काफ़ी आत्मीय क्षणों के साथ ही अविस्मरणीय पल के रूप में यादगार बना जिसका श्रेय वहाँ उपस्थित विद्वानों सहित सभी प्रतिभागियों को जाता है जिन्होंने शालीन व सुचितापूर्ण वातावरण उत्पन्न किया । इस कार्यक्रम में चार प्रशिक्षक विद्वानों के अतिरिक्त, चार आयोजकों और 23 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया ।भाग ले रहे प्रतिभागी अनूपपुर, मनेंद्रगढ़, कोतमा अमरकंटक, शहडोल,उमरिया, करकेली, सीधी, भिंड,सेंदुरी, अशोकनगर तथा कादिरगंज बिहार से आए थे । कार्यक्रम के समाप्ति के दौरान एक दूसरे से विदा ले रहे सभी साथी भावुक हो गए थे । इस तरह से एक सफल और शानदार राज्य स्तरीय कविता रचना शिविर का समापन हुआ।

नेशनल स्कूल शतरंज प्रतियोगिता हेतु मध्य प्रदेश टीम से  गुरजस हुए चयनित


शहडोल 

जिले के शतरंज  खिलाडी गुरजस सिंह बग्गा का चयन नेशनल स्कूल  शतरंज प्रतियोगिता अंडर 17 के लिए मध्य प्रदेश टीम मे हुआ है गौरतलब है कि नेशनल के लिए प्रदेश भर से पांच खिलाड़ियों का चयन किया गया है इनमें से शहडोल संभाग से गुरुजस का नाम भी शामिल है नर्मदा पुरम में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता मे इन्होंने 6 में से 5 राउंड पर विजय श्री प्राप्त कर मध्य प्रदेश की टीम में अपना स्थान तय किया है  गुरजस के इस उपलब्धि ने  शहडोल संभाग का नाम रोशन किया है शहडोल नगर आगमन पर जिला शतरंज संघ के अध्यक्ष  रामसरोज मिश्रा, एडवोकेट मनीष सोनी,  संजीव गुप्ता द्वारा उनका स्वागत किया गया इसके बाद 7 ओसियन स्कूल अमलाई में उनका भव्य स्वागत किया गया उपरांत अमलाई बापू चौक में आतिशबाजी ढोल एवं नगाडो के बीच में अपने गांव का नाम रोशन करने वाले गुरजस सिंह बग्गा का स्वागत किया गया, रामसरोज मिश्रा,  मनीष सोनी, नमन श्रीवास्तव का शहीद भगत सिंह फाउंडेशन के  पंकज शर्मा एवं उनके सभी साथी, कैलाश लालवानी, नीरज गुप्ता, विजय तिवारी, सेवेन ओसियन स्कूल के प्रबंधक  राकेश सिंह, नरेंद्र सिंह बग्गा, रक्कू सिंह, काशी जायसवाल एवं अन्य वरिष्ठ पत्रकारों एवं अमलाई नगर के सभी नागरिकों द्वारा  भव्य स्वागत किया गया ततपश्चात बग्गा परिवार द्वारा स्वल्पाहार एवं मिष्ठान वितरण किया गया, सभी अतिथियों एवं नागरिकों द्वारा गुरजस र्सिंह बग्गा के उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी

मैया बहरारे वारी तेरी महिमा सबसे न्यारी, तेरी महिमा सबसे न्यारी तू ही करौली वारी


 *नवरात्रि*

दुर्गे मां की महिमा


मैया बहरारे वारी तेरी महिमा सबसे न्यारी।

तेरी महिमा सबसे न्यारी तू ही करौली वारी।


नवरात्रि जब जब आती,

तेरी शिला मूर्ति बढ़ जाती।

भक्तों को दर्शन देने,

तू देहरी तक आ जाती।


मैया छोटी सी किवड़िया बंद न हो पाती तुम्हारी।

मैया बहरारे वारी तेरी महिमा सबसे न्यारी।


जितना भी जल चढ़ता है,

इक कुंड में समाता है,

ये इक बिलस्त भर का है,

जो कभी नहीं भरता है।


मैया हम तेरे पुजारी तू है कुलदेवी हमारी।

मैया बहरारे वारी तेरी महिमा सबसे न्यारी।


इस शिला रूप में माते,

तेरे नौ रूप समाते,

मनवान्छित फल तू देती,

जब करूं तेरे जगराते।


मैया छवि तेरी प्यारी तू ही राखे लाज हमारी। 

मैया बहरारे वारी तेरी महिमा सबसे न्यारी।


गीतकार- अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट 

ग्वालियर म.प्र.

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