महामहोपाध्याय आचार्य हरिशंकर दुबे को किताबें की भेंट की- कवि संगम त्रिपाठी 


जबलपुर

महामहोपाध्याय आचार्य हरिशंकर दुबे जी को श्याम फतनपुरी की दो किताबें श्याम की मधुशाला व श्याम की गीतिकाएं कवि संगम त्रिपाठी ने भेंट की। दोनों कृतियों में महामहोपाध्याय आचार्य हरिशंकर दुबे जी ने अपनी लेखनी से मंगल भाव अभिव्यक्त किएं है। श्याम फतनपुरी प्रयागराज के सिद्धहस्त कवि है व अनेकों सम्मानों से सम्मानित किये जा चुके हैं। श्याम फतनपुरी ने श्याम की मधुशाला व श्याम की गीतिकाएं बड़े मनोभाव से छन्दबद्ध गेय काव्य विधा में लिखी है। इस अवसर पर कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के साथ गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर संस्था उपस्थित रहे।

रीवा समाजसेवियों ने श्रद्धांजलि व इस्लामिक आतंकवाद का पुतला दहन कर जताया विरोध


रीवा

रीवा शहर के सिरमौर चौक में रीवा के विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कश्मीर के पहलगाम में हुए इस्लामिक आतंकी हमले में अब तक 27 पर्यटकों की जान जा चुकी है और दो दर्जन से अधिक घायल हैं। घायल हुए लोगों के जल्द स्वस्थ होने की कामना व मृतक पर्यटकों के लिए श्रद्धांजलि प्रार्थना सभा का आयोजन  किया गया इस सदी का यह सबसे वीभत्स कायराना हमला है।

इस दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा और रीवा शहर की जनता के साथ इस्लामिक आतंकवाद के घिनौने स्वरूप का पुतला दहन शहर के बीचों बीच सिरमौर चौक में किया गया। इस दौरान jnct प्राचार्य 

मिहिर पांडेय, सोमिल तिवारी, सुधीर तिवारी, बजरंग दल जिला सह संयोजक पंडित बालकृष्ण द्विवेदी, डॉक्टर विकास श्रीवास्तव, कलुआ साकेत, जितेंद्र तिवारी, वरुण मिश्रा, नीरज तिवारी, विपिन पांडे, संचित द्विवेदी, राजराखन पटेल, इंजीनियर देवेंद्र सिंह, मनु शुक्ला, अर्पित शुक्ला ऋषभ तिवारी, अंकित तिवारी ,डॉ.शिवम पटेल वीरेंद्र पाण्डेय रोहित गुप्ता,मनोज बंसल, बंशीधर  साहू, प्रताप यादव,सुधाकर पाण्डेय उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम का संयोजन अवनीश तिवारी द्वारा किया गया ।

सशक्त हस्ताक्षर की सशक्त 35 वीं काव्य गोष्ठी संपन्न - कवि संगम त्रिपाठी 


जबलपुर

सशक्त हस्ताक्षर की 35 वीं काव्य गोष्ठी श्री जानकी रमण महाविद्यालय में सानंद सम्पन्न हुई। संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा ने अपनी वाणी से सभी अतिथियों ,कवि-कवयित्रियों का आत्मीय स्वागत किया। अतिथियों द्वारा माँ वीणा पाणि का पूजन होने के बाद सरस्वती वंदन आकाशवाणी में कम्पेयर लखन रजक ने की ၊

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ और ख्यातिलब्ध शायर सोहन परोहा सलिल जी, अध्यक्षता महामहोपाध्याय आचार्य डॉ. हरिशंकर दुबे, विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ समाजसेवक एड. राजीव लाल श्रीवास्तव, सारस्वत अतिथि राजेश पाठक प्रवीण,मंगलभाव, पत्रकार,सशक्त हस्ताक्षर के सलाहकार,कवि संगम त्रिपाठी व मदन श्रीवास्तव वरिष्ठ साहित्यकार अध्यक्ष सशक्त हस्ताक्षर की गरिमामय उपस्थिति रही।  इस अवसर पर एड. राजीव लाल श्रीवास्तव को शाल,कलमश्री,मानपत्र,पुष्प माल से सम्मानित किया गया।

काव्य गोष्ठी में भावों के अनेक रंग बिखरे ၊ गोष्ठी की शुरुआत सिहोरा से पधारे शिक्षक इन्द्रसिंह राजपूत ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी। महासचिव गुलजारी जैन ने समसामयिक घटना पर झकझोर देने वाली, अपना आक्रोश प्रगट करने वाली,व्यथा रचना के माध्यम से प्रकट की। बुंदेली-हिन्दी के सशक्त हस्ताक्षर  लखन रजक, ज्योति प्यासी, अरुण शुक्ल,प्रकाश सिंह ठाकुर ने अपनी प्रस्तुति से खूब तालियाँ बटोरी। कवि संगम त्रिपाठी, बुंदेली के प्रसिद्ध,म. प्र. साहित्य अकादमी से पुरुस्कृत पं. दीनदयाल तिवारी बेताल,वीर श्रीवास्तव,डॉ. रश्मि श्रीवास्तव,प्रभा बच्चन श्रीवास्तव ने शानदार गज़ल पढ़ी। संस्कारधानी के प्रसिद्ध शायर सुरेश दर्पण को सबने खूब सराहा ၊ अमर सिंह वर्मा, सिहोरा  से पधारे शिक्षक नारायण तिवारी ने भाव भरी गज़लें पढ़ी। बच्चन श्रीवास्तव, अनूप पाण्डे, सुमित्रा सेन, संदीप खरे युवराज ने सियासत पर व्यंग्यात्मक रचना पढ़ गोष्ठी को ऊँचाईयाँ दी। मंचस्थ अतिथियों ने भी एक से बढ़कर रचनाएँ पढ़कर सदन को चकित कर दिया। रमाकांत गौतम की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ၊ संचालन प्यासाजी एवं आभार प्रदर्शन सह सचिव बुंदेली हिंदी की प्रसिद्ध कवयित्री तरुणा खरे ने किया।

श्रद्धांजलि अर्पित कर, सशक्त हस्ताक्षर की बैठक संपन्न 


जबलपुर     

सशक्त हस्ताक्षर संस्था जबलपुर ने दिनांक 14. 04.2025 को होटल जश्न में शाम 05.00 बजे बैठक आयोजित की। बैठक में गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी, कवि संगम त्रिपाठी, सिद्धेश्वरी सराफ शीलू, लखन लाल रजक, जी. एल. जैन, आचार्य विजय तिवारी 'किसलय' , आशा मालवीय, योगेन्द्र मालवीय, मदन श्रीवास्तव, इन्द्र सिंह राजपूत, अमर वर्मा, विवेक शैलार, भावना दीक्षित प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

सशक्त हस्ताक्षर संस्था की इस बैठक में 11 मई 2025 को कला विथिका में दोपहर 02.00 बजे से  वार्षिकोत्सव आयोजित की गई है उसी संदर्भ में चर्चा की गई व रुपरेखा निर्धारण किया गया। बैठक में प्रमुख कवि कवयित्रियों ने रचना पाठ किया व अंत में सशक्त हस्ताक्षर के पदाधिकारी व युवा कवि अम्लान गुहा नियोगी के पिता कल्याण गुहा नियोगी जिनका कि आकस्मिक निधन 13.04.2025 को हो गया है उन्हें उपस्थित लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

ख्वाबों की सजती बारातें तुम्हें बुलातीं हैं, बिना नींद वाली ये रातें तुम्हें बुलातीं हैं।


*बिना नींद वाली रातें*


ख्वाबों की सजती बारातें तुम्हें बुलातीं हैं।

बिना नींद वाली ये रातें तुम्हें बुलातीं हैं।


अमलतास के संग पलाश ने 

पथ में स्वागत द्वार बनाए,

अमराई ने नये बौर से 

राहों में कालीन बिछाए।


ऋतु बसंत की ये सौगातें तुम्हें बुलाती है।


चांद उगेगा ना जाने कब 

यहां चांदनी तरस रही है,

विरहिन बदली के नैनों से 

याद किसी की बरस रही है।


अनगिन अश्कों की बरसातें तुम्हें बुलातीं हैं।


कुछ पल को सो जातीं आंखें 

तुम सपनों में आ जाते हो,

पलकों के खुलते ही जाने 

कितनी दूर चले जाते हो।


प्यार भरी शर्मीली बातें तुम्हें बुलातीं हैं।

बिना नींद वाली ये रातें तुम्हें बुलातीं हैं।


गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर मध्यप्रदेश।

मैंने मांगा वो तूने दिया है, तूने बाहों में भर कर उठाया, मुझको हर पल दिया सहारा


 *मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है*

 

मैंने मांगा वो तूने दिया है

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।


मुझको अपनों ने जब जब गिराया,

तूने बाहों में भर कर उठाया।

मुझको हर पल सहारा दिया है,

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।


जब तुम्हारी शरण में मैं आया

तुमने उजड़ा मेरा घर बसाया।

मेरे मधुबन को महका दिया है,

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।


मैं तो मन से करूं तेरी पूजा,

तेरे जैसा नहीं कोई दूजा

जो न मांगा था वो भी दिया है।

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।


ध्यान जब-जब किया मैंने तेरा,

दूर संकट किया तूने मेरा ।

मेरे हर कष्ट को हर लिया है ।

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।


तेरे बिन अब नहीं कोई मेरा,

मेरे दिल में है तेरा बसेरा ।

तूने सपने में दर्शन दिया है

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है ।


मैंने मांगा वो तूने दिया है

मेरे हनुमत तेरा शुक्रिया है।

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गीतकार -अनिल भारद्वाज

 एडवोकेट, ग्वालियर

वैश्विक अध्यात्म-पटल पर जबलपुर का नाम गौरवान्वित संतोष मिश्र "असाधु " सम्मानित


जबलपुर

मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर मुख्यालय में  जनरल मैनेजर के पद पर पदस्थ तथा प्रसिद्ध धार्मिक चिंतक, प्रगतिशील लेखक एवं  आध्यात्मिक विषयों के विशेषज्ञ संतोष कुमार मिश्र "असाधु" द्वारा " समुद्र लांघने हेतु केवल हनुमान जी ही सक्षम क्यों " विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया गया जिसे श्री राम चरित भवन , ह्यूस्टन (अमेरिका ) द्वारा दिनांक 02 से 05 अप्रैल 2025 तक आयोजित हुए चार-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर के भव्य कार्यक्रम में सात जजों की टीम के द्वारा संयुक्त रूप से " सर्वोत्कृष्ट शोध पेपर  "  की  घोषणा करते हुए रुपए 5100/- का कैश अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।

संतोष कुमार मिश्र "असाधु" द्वारा उक्त विषय पर अपना व्याख्यान भी दिया गया।  इस शोध पत्र में यह गूढ़ रहस्य भी उद्घाटित किया गया कि जिस सागर को देवताओं और असुरों ने मिलकर तथा अपने अथक परिश्रम से कई दिनों तक समुद्र मंथन कर के अमृत तत्व हासिल किया, उसी अमृत तत्व को  हनुमान जी ने अपने बल, बुद्धि एवं विवेक के द्वारा अकेले ही खोज निकाला। 

मात्र 100 योजन लम्बाई वाले उस समुद्र को जामवंत, अंगद, नील और द्विविद जैसे महाबलशाली वानर और रीछ आखिरकार पार करने में अपनें आप को क्यों नहीं सक्षम पा रहे हैं, इस संबंध में श्री मिश्र जी द्वारा की गई सूक्ष्म विवेचना एवं उनके समर्थन में प्रस्तुत किये गये वैज्ञानिक तथ्यों  के अभूतपूर्व ,अत्यंत रोचक, गूढ़ और प्रामाणिकता पूर्ण होने के कारण उक्त अधिवेशन में उपस्थित विद्वतजनों द्वारा इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा और सराहना की गई।

ज्ञातव्य हो कि विगत दिनों ओरछा तथा भोपाल में भी वृहद अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आयोजित हुए कार्यक्रम जिसमें विदेश के साथ-साथ इस देश के विभिन्न भागों से तथा प्रतिष्ठित  विद्वानों , शोधार्थी और जनप्रतिनिधि भारी संख्या में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहकर अपनी-अपनी प्रतिभागिता दर्ज कराई गई थी, उक्त दोनों कार्यक्रमों में संतोष कुमार मिश्र "असाधु" द्वारा वैश्विक स्तर पर जबलपुर का नाम गौरवान्वित किया गया था ।

इस कार्यक्रम का यू ट्यूब चैनल के माध्यम से देश-विदेश में सीधा प्रसारण किया गया जिसमें कई प्रसिद्ध धार्मिक , सामाजिक तथा मूर्धन्य विद्वानों ने अपनी गरिमामय उपस्थिति एवं प्रतिभागिता दर्ज कराई गई । डॉ ओम गुप्ता जी के निर्देशन में यह कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ ।

संतोष कुमार मिश्रा "असाधु" द्वारा प्रस्तुत यह शोध-पत्र उनके रामायण विषय पर सतत गहन अध्ययन और समाज में व्याप्त विभिन्न संशयों के निर्मूलन के उद्देश्य के साथ-साथ इस विश्व में धार्मिक जागरण एवं आपसी समन्वय स्थापित करने के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया। 

ज्ञातव्य हो कि इसके पूर्व भी संतोष मिश्र को रामायण विषय पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजित हुए अनेक कार्यक्रमों में सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाता रहा है। इस सम्मान से जबलपुर नगर का नाम पुनः अंतर्राष्ट्रीय पटल पर गौरवान्वित हुआ है। इस उपलब्धि पर श्री मिश्र को उनके मित्र,विभाग के सहकर्मियों , शुभचिंतकों तथा अन्य साहित्यिक तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा बधाई और शुभकामनाएं दी गई है। कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई दी व कहा कि यह संस्कारधानी जबलपुर के लिए गौरव का विषय है।

स्वप्न हुआ साकार राम मंदिर में आए राम, तीनों लोकों सा मनमोहक बना अयोध्या धाम


*श्रीराम नवमी*

   *राम मंदिर में आए राम*


स्वप्न हुआ साकार राम मंदिर में आए राम।

तीनों लोकों सा मनमोहक बना अयोध्या धाम

अयोध्या आए मेरे राम।


सरयू की लहरें लव कुश की तरह गुनगुनाती हैं।

बाग-बगीचों में खुशबू रामायण की आतीं हैं,


हनुमत लखन भरत शत्रु चारों प्रहरों के नाम,

सूर्योदय हैं राम यहां सीता जी जैसी शाम।

अयोध्या आए मेरे राम।


श्रुति मांडवी उर्मिला जैसा रूप अलौकिक लगता,

शीर्ष राम मंदिर दशरथ के राजमुकुट सा लगता।


कौशल्या कैकई सुमित्रा की ममता का धाम।

मनोकामना होगी पूरी चलो अयोध्या धाम।

अयोध्या आए मेरे राम।


दीवारों के चित्रों को नजरें छू कर आतीं हैं,

मन के कानों में तुलसी की चौपाई गातीं हैं।


घर लौटे पुष्पक से मर्यादा पुरुषोत्तम राम,

रामलला की जन्मभूमि भी बोले जय श्रीराम।

अयोध्या आए मेरे राम।


*गीतकार-अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर*

 पुत्र ने पिता के लिए हाई कोर्ट में की पैरवी, 11 साल बाद  पुलिस आरक्षक को मिली पुनः नौकरी

*न्याय मिलने के बाद पांडे परिवार में लौटी खुशियां*


अनूपपुर

सन 2013 में पुलिस विभाग के उमरिया थाना में आरक्षक पद पर पदस्थ अनूपपुर जिले के जमुना कॉलरी निवासी मिथिलेश पांडे को आय से अधिक संपत्ति के मामले में विभागीय जांच के उपरांत पुलिस विभाग ने उन्हें सेवा से पृथक कर दिया था इसके बाद आरक्षक मिथिलेश पांडे अपना पक्ष पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के समक्ष रखते रहे लेकिन उनके पक्ष को दरकिनार कर दिया गया,  दिसंबर 2013 में ही आरक्षक मिथिलेश पांडे ने पद से पृथक किए गए मामले को लेकर हाई कोर्ट जबलपुर का दरवाजा खटखटाया जहां पर उन्होंने अपील दायर करते हुए न्याय की मांग की।

 हाई कोर्ट में मामला लगने के बाद पुलिस विभाग को हाई कोर्ट से आदेश भी जारी किए गए लेकिन उस आदेश से विभाग संतुष्ट नहीं हुआ और निरंतर मामला चलता रहा। सन 2024 में पुलिस आरक्षक मिथिलेश पांडे के पुत्र अभिषेक पांडे वकालत की डिग्री हासिल करने के पश्चात जबलपुर हाई कोर्ट में प्रैक्टिस प्रारंभ की और इसके साथ ही सर्वप्रथम उन्होंने अपने पिता मिथिलेश पांडे का केस हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति माननीय संजय द्विवेदी के समक्ष प्रस्तुत किया   जिसे न्यायमूर्ति ने स्वीकार किया अधिवक्ता  अभिषेक पांडे ने अपने पिता के खिलाफ लगे तमाम आरोपों को हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति  के समक्ष जिरह के बाद आदेश को निरस्त करने में सफलता हासिल की। 17/5 /2024 को आरक्षक मिथिलेश पांडे क़ो  नौकरी पर वापस रखने हेतु न्यायमूर्ति माननीय संजय द्विवेदी की बेंच के द्वारा आदेश दिया गया इसके बाद अनूपपुर पुलिस अधीक्षक के द्वारा पुनः सेवा में बहाल किया गया। 5 अप्रैल 2025 को आरक्षक मिथिलेश पांडे अनूपपुर में अपनी उपस्थित दर्ज कराई है। 11 साल की लड़ाई के बाद पुत्र ने पिता को जीत दिलाई और पांडे परिवार में एक बार फिर से खुशियां लौट कर आई। इस अवसर पर आरक्षक मिथिलेश पांडे को उनके निवास पहुंचकर स्थानीय लोगों ने उन्हें बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

 *नवरात्रि*


दुर्गे मां की महिमा


मैया बहरारे वारी तेरी महिमा सबसे न्यारी।

तेरी महिमा सबसे न्यारी तू ही करौली वारी।


नवरात्रि जब जब आती,

तेरी शिला मूर्ति बढ़ जाती।

भक्तों को दर्शन देने,

तू देहरी तक आ जाती।


मैया छोटी सी किवड़िया बंद न हो पाती तुम्हारी।

मैया बहरारे वारी तेरी महिमा सबसे न्यारी।


जितना भी जल चढ़ता है,

इक कुंड में समाता है,

ये इक बिलस्त भर का है,

जो कभी नहीं भरता है।


मैया हम तेरे पुजारी तू है कुलदेवी हमारी।

मैया बहरारे वारी तेरी महिमा सबसे न्यारी।


इस शिला रूप में माते,

तेरे नौ रूप समाते,

मनवान्छित फल तू देती,

जब करूं तेरे जगराते।


मैया छवि तेरी प्यारी तू ही राखे लाज हमारी। 

मैया बहरारे वारी तेरी महिमा सबसे न्यारी।


गीतकार- अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट 

ग्वालियर म.प्र.

श्रद्धा महिला मण्डल ने खोला प्याऊ, बांटे मीठा व फल


अनूपपुर

श्रद्धा महिला मण्डल के सौजन्य से जागृति महिला समिति की अध्यक्षा विनिता शर्मा एवं उनकी सहयोगियों द्वारा हसदेव क्षेत्र के राजनगर आर.ओ. उपक्षेत्र के अंतर्गत राजनगर बस स्टैंड में प्याऊ का उद्घाटन किया गया, जिससे लोगों को गर्मी में राहत मिले और पूरे गर्मी के मौसम तक लोगों को ठंडा पेय जल पीने को मिले। यह प्याऊ पूरे गर्मी के मौसम तक संचालित किया जाएगा । प्रथम दिवस में पेय जल के साथ पेय पदार्थ शिकंजी,जलजीरा, गुड चना, अंगूर, संतरा, तरबूज, शहतूत व नाश्ता पैकेट, लस्सी आदि का वितरण किया गया ।इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जागृति महिला समिति की सरिता सिंह, उषा शर्मा, रजनी सिंह, पुष्पा नेताम, सुष्मिता मिश्रा, किरण मिश्रा, अस्मिता प्रधान, गरिमा द्विवेदी, रेखा कुमार आदि ने अपना बहुमूल्य समय व योगदान देकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया ।

 Summary


*Anupama, our journey companion*

*Second edition - February 2025*



The second edition of Anupama, our journey companion, has been successfully published. This edition will feature interviews on fashion, literature, and various other creative writings, along with much more exciting content for you to enjoy. It features contributions from numerous writers from India and abroad. The publication offers advice on health, beauty, fashion, and yoga. This collection of writings by various authors presents a diverse range of perspectives and writing styles, making it an engaging read. The language is simple and accessible, allowing readers of all ages to easily understand and enjoy it."

"We request everyone to read this issue of Anupama, our journey companion, at least once. This initiative has been started by Sushi Saxena, a budding writer in the literary field, and has been supported by advisors Anupama, Dolly Jha, Prashant Shrivastava, Kanika Sharma and buddhi prakash sen. Their invaluable contributions have helped reach this milestone of success, and they have pledged to make it extremely popular. This magazine provides an opportunity for artists of all kinds, big or small, old or new, to showcase their writing skills and be honored with a certificate of appreciation. It offers a wide range of essential information in the form of literature for people of all classes. Additionally, it features various types of writings, including stories, poems, essays, memoirs, travelogues, career guidance, parenting tips, beauty tips, healthcare, book reviews, and more. This publication has been brought to you by Unique Feel Publications. 

 

*Sushi Saxena Indore, Madhya Pradesh*

आचार्य विजय तिवारी 'किसलय' को हिन्दी सेवी सम्मान से किया गया सम्मानित


जबलपुर

प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी व सशक्त हस्ताक्षर संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी संयोजक हिंदी महाकुंभ ने दिनांक 28 मार्च 2025 को आचार्य विजय तिवारी 'किसलय' को हिन्दी सेवी सम्मान प्रदान किया। आचार्य विजय तिवारी 'किसलय' के सदन में कवि संगम त्रिपाठी व गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी ने सम्मानित किया। 

आचार्य विजय तिवारी 'किसलय' संस्कारधानी जबलपुर के वरिष्ठ साहित्यकार है व विभिन्न संस्थाओं में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनकी कृतियाँ किसलय के काव्य सुमन (काव्य संग्रह), किसलय मन अनुराग (दोहा कृति), किसलय के मन में आया (छांदस काव्य संग्रह), किसलय की आद्याक्षरी कवितायें प्रकाशित है, विभिन्न कृतियों एवं पत्रिकाओं का संपादन, अनेक सामूहिक काव्य, दोहा, कहानी, लघुकथा संग्रहों में प्रकाशन के साथ ही समाचार पत्रों में लगातार संपादकीय लेखों का प्रकाशन उनके द्वारा किए जा रहे हैं।

आचार्य विजय तिवारी 'किसलय' को स्थानीय व राष्ट्रस्तरीय विभिन्न संस्थाओं, संस्थानों व संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया हैं व उनकी निरंतर हिंदी के प्रचार-प्रसार की लगनशीलता प्रेरणादायक है।

नव सम्वत्सर बन आना, सभी मौसम, ऋतुओं को संग ले आना, प्रिये नव संवतसर बन के मेरे घर आना



 नव सम्वत्सर बन आना


सभी मौसम सभी ऋतुओं को संग ले आना।

प्रिये नव संवतसर बन के मेरे घर आना।

              

बन के सरसों के फूल यादें तेरी आतीं हैं।

मुझसे गेहूॅं की बालियों सी लिपट जातीं हैं।

अपनी यादों की पालकी में बैठ कर आना,

प्रिये नव संवतसर बन के मेरे घर आना।

       

जब भी आते थे तो फागुन की तरह आते थे,

गुलमोहर सी दहकती तड़प छोड़ जाते थे।

सुनहरे पल मिलन के अपने संग ले आना,

प्रिये नव संवतसर बन के मेरे घर आना।

           

याद आती है तेरे हाथों की बसंती छुअन,

विरह की तपती दुपहरी में झुलसता है बदन।

प्रीति की ठंडी-ठंडी छांव संग ले आना,

प्रिये नव संवतसर बन के मेरे घर आना।        


देखो इन मेरी बिना नींद वाली पलकें उठा,

प्यासे कजरारे नयन बन गये सावन की घटा।

झूमती गाती बहारों को संग ले आना,

प्रिये नव संवतसर बन के मेरे घर आना।

                   

गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर

अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष का सफर, सुनीता विलियम्स ने रचा इतिहास


*सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश*

नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर बोइंग कंपनी के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से जून 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुए थे। मिशन केवल 8 दिनों का था, लेकिन तकनीकी खराबियों के कारण दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को 9 महीने से अधिक समय तक अंतरिक्ष में ही रहना पड़ा। अंततः स्पेस-एक्स के क्रू-9 ड्रैगन कैप्सूल के जरिए 19 मार्च 2025 को वे सफलतापूर्वक फ्लोरिडा के तट पर अटलांटिक महासागर में स्प्लैशडाउन (समुद्र में लैंडिंग) कर पृथ्वी पर लौटे। इस मिशन में उनके साथ नासा के अंतरिक्ष यात्री निक हेग और रूसी कॉस्मोनॉट अलेक्जेंडर गोर्बनोव भी शामिल थे।

*तकनीकी खराबी के कारण मिशन में हुई देरी*

बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खामियां लॉन्च के बाद से ही सामने आने लगी थीं। जब स्पेसक्राफ्ट ISS के पास पहुंचा, तब 5 थ्रस्टर्स (रॉकेट के छोटे इंजन) काम करना बंद कर चुके थे और हीलियम गैस का रिसाव हो रहा था। लगातार एक के बाद एक खराबियां सामने आती गईं, जिसके चलते यह मिशन लंबा खिंच गया। नासा को चिंता थी कि अगर तकनीकी खामियों के साथ यह यान पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंटर करता, तो बड़ा खतरा हो सकता था। इसलिए, नासा ने स्पेस-एक्स के भरोसेमंद ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए वापसी कराने का फैसला किया। इस निर्णय पर बोइंग कंपनी नाराज भी दिखी, क्योंकि यह स्टारलाइनर की पहली मानवयुक्त उड़ान थी, जो पूरी तरह सफल नहीं हो पाई।

*स्पेस-एक्स ड्रैगन: भरोसेमंद और अत्याधुनिक अंतरिक्ष यान*

एलन मस्क की स्पेस-एक्स कंपनी द्वारा निर्मित ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को पहले भी नासा के कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम में शामिल किया गया था और यह पहले भी सफल मिशन अंजाम दे चुका है। इस यान की विशेषताएं इस प्रकार हैं- 

यह सात अंतरिक्ष यात्रियों को एक साथ ले जाने में सक्षम है।

यह पूरी तरह ऑटोनॉमस (स्वयं-नियंत्रित) है, लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे मैन्युअली भी ऑपरेट किया जा सकता है। 

इसमें आपातकालीन सुरक्षा प्रणाली मौजूद है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा बनी रहती है। 

यह यान बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है (री-यूजेबल), जिससे यह बेहद किफायती साबित हुआ है।

*वापसी का रोमांचक सफर*

18 मार्च 2025 को क्रू-9 ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को ISS से अनडॉक किया गया और 17 घंटे की यात्रा के बाद यह 27359 किमी/घंटा की रफ्तार से पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल हुआ। वायुमंडल में प्रवेश करते समय यान को भीषण गर्मी और दबाव सहना पड़ा, लेकिन स्पेस-एक्स की अत्याधुनिक हीट शील्ड ने इसे सुरक्षित रखा। 19 मार्च 2025 की सुबह 3:27 बजे (भारतीय समयानुसार) यह अमेरिका के फ्लोरिडा तट पर सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन (समुद्र में लैंडिंग) हुआ।

*सुनीता विलियम्स ने रचा इतिहास*

इस मिशन के साथ ही 59 वर्षीय भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने नया रिकॉर्ड बना दिया। वे 286 दिन अंतरिक्ष में बिताने वाली तीसरी महिला बन गई हैं। 

इससे पहले-

1. क्रिस्टीना कोच – 328 दिन (पहली महिला)

2. पेगी व्हिटसन – 289 दिन (दूसरी महिला)

*अंतरिक्ष मिशन के दौरान आने वाली चुनौतियां*

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें ये शामिल हैं:

हीलियम रिसाव – गैस लीक होने पर स्पेसक्राफ्ट का बैलेंस बिगड़ सकता है।

थ्रस्टर्स फेलियर – इंजन ठीक से काम न करें, तो यान दिशाहीन हो सकता है।

कंट्रोल लॉस – यान का सही तरह से मैनेउवर न होना।

ब्लैकआउट – पृथ्वी से संपर्क टूट जाना।

री-एंट्री के दौरान शील्ड फेलियर– पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय भीषण गर्मी से सुरक्षा जरूरी होती है।

डॉकिंग/अनडॉकिंग असफल होना- आईएसएस से सही ढंग से नहीं जुड़ पाना। 

स्प्लैशडाउन की समस्या- समुद्र में उतरते समय पैराशूट ठीक से काम न करे। यही वजह है कि नासा और स्पेस-एक्स जैसे संगठन हर संभावित खराबी को ध्यान में रखते हुए मिशन को अंजाम देते हैं।

*भविष्य की सीख और भारत के लिए संदेश*

खगोलविद अमर पाल सिंह के अनुसार, इस मिशन से हमें यह सीख मिलती है कि हर मिशन में टीम वर्क, सटीक योजना और वैज्ञानिक समर्पण बेहद जरूरी होता है। अगर भारत सरकार भी निजी अंतरिक्ष कंपनियों को इस क्षेत्र में अधिक अवसर दे, तो इसरो भी विश्व की अग्रणी स्पेस एजेंसियों के साथ मिलकर अंतरिक्ष अन्वेषण में नई ऊंचाइयों को छू सकता है। स्पेस-रेस अब सिर्फ देशों तक सीमित नहीं, बल्कि निजी कंपनियां भी इसमें अहम भूमिका निभा रही हैं। भारत को भी इस दिशा में और मजबूत कदम उठाने की जरूरत है।

*खगोल विद अमर पाल सिंह, नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर,उत्तर प्रदेश,भारत*

हृदय का मरूस्थल कोई स्थायी अवस्था नहीं है, हृदय का मरूस्थल - एक अनुभव


हृदय का मरूस्थल कोई स्थायी अवस्था नहीं है, बल्कि यह जीवन की कठिन परिस्थितियों की उपज होती है। यदि कोई व्यक्ति सही दिशा में प्रयास करे, तो वह फिर से अपने हृदय को संवेदनशील, प्रेमपूर्ण और ऊर्जावान बना सकता है। हर रेगिस्तान में कहीं न कहीं पानी का एक स्रोत अवश्य होता है, बस उसे खोजने की आवश्यकता होती है।

मनुष्य का हृदय भावनाओं का केंद्र होता है, जहाँ प्रेम, करुणा, सहानुभूति, और संवेदनशीलता के बीज अंकुरित होते हैं। लेकिन जब जीवन में निरंतर आघात, धोखा, असफलता, और उपेक्षा मिलती है, तो हृदय धीरे-धीरे एक मरूस्थल में परिवर्तित हो जाता है। एक ऐसा स्थान जहाँ संवेदनाएँ सूख जाती हैं, भावनाएँ निष्प्राण हो जाती हैं और व्यक्ति भीतर से शुष्क एवं निर्जीव महसूस करने लगता है। व्यक्ति भावनात्मक  रूप से सुन्न हो जाता है और दूसरों पर विश्वास खो देता है। 

जब कोई व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं को साझा करने के लिए किसी को नहीं पाता, तो धीरे-धीरे उसका हृदय एक रेगिस्तान की तरह खाली और सूना महसूस करने लगता है। समाज में कई बार लोग अपने दुख और दर्द को खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते। लगातार भावनाओं को दबाने से व्यक्ति भीतर से कठोर और संवेदनाहीन होता चला जाता है।

जीवन में हम सभी कभी न कभी दिल के मरूस्थल से गुजरते हैं। यह एक ऐसी जगह है जहां प्यार, स्नेह और खुशी की कमी होती है। यहां की रेत पर पैरों के निशान होते हैं, जो प्यार की खोज में यहां आते हैं और जाते हैं। दिल का मरूस्थल एक ऐसी जगह है जहां दिल की धड़कनें धीमी होती जाती हैं और प्यार की यादें धीरे-धीरे मिटती जाती हैं। यहां की हरियाली की कमी और आसमान की उदासी इस मरूस्थल को और भी वीरान बना देती है। लेकिन फिर भी, इस मरूस्थल में एक उम्मीद होती है। एक उम्मीद कि एक दिन, प्यार की बारिश, यहां जरूर होगी। एक उम्मीद कि इस मरूस्थल को हरा-भरा बना देगी और दिल के टुकड़े फिर से जुड़ जाएंगे।

*इस मरूस्थल से बाहर निकलने का मार्ग*

अपने दुख, दर्द, और भावनाओं को स्वीकार करना और किसी विश्वसनीय व्यक्ति से साझा करना दिल को हल्का कर सकता है। स्वयं से प्रेम करना और खुद को महत्व देना, इस रेगिस्तान में एक नखलिस्तान की तरह काम कर सकता है। संवेदनाओं को व्यक्त करने के लिए संगीत, चित्रकला, कविता, या लेखन का सहारा लिया जाए तो दिल फिर से जीवन से भर सकता है।जीवन में नई आशाओं और नए संबंधों की तलाश से यह भावनात्मक सूखा धीरे-धीरे हरियाली में बदल सकता है।

दिल का मरूस्थल हमें यह सिखाता है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। लेकिन हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। हमें हमेशा उम्मीद रखनी चाहिए कि एक दिन, सब कुछ ठीक हो जाएगा। इसलिए, अगर आप भी दिल के मरूस्थल से गुजर रहे हैं, तो हार न मानें। उम्मीद रखें और आगे बढ़ते रहें। एक दिन, आपको भी प्यार की बारिश का अनुभव होगा और आपका दिल फिर से हरा-भरा हो जाएगा।

*सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश*

शनिदेव की मदद से हनुमान जी को मिली थी विजय, चमत्कारिक है ऐंति के शनिदेव की ऐतिहासिक कथा 

( मनोज कुमार द्विवेदी की कलम से, अनूपपुर- मप्र )


अनूपपुर

कहा जाता है कि यदि त्रेतायुग में शनि महाराज हनुमान जी की मदद नहीं करते तो भगवान श्री राम कभी लंका विजय नहीं कर पाते। मुरैना के ऐंति पर्वत स्थित शनिदेव के विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर में श्रद्धा लुओं को यहाँ पहुँच कर आत्मिक शांति प्राप्त होती है। तुलसी मानस प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा उद्धृत यहाँ लगाए गये एक शिला पट्टिका में उल्लेख है कि त्रेतायुग में शनि महाराज की सहायता से हनुमान जी ने लंका में भगवान श्री राम की विजय का मार्ग प्रशस्त किया था। मुरैना के ऐंति गाँव में विश्वप्रसिद्ध शनि देव का ऐतिहासिक मन्दिर आज भी इसका गवाह है। लंका में जब राक्षसों ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई थी और हनुमान जी ने लंका दहन का प्रयास किया था तो वे सफल नहीं हो पाए थे। तब योगबल से हनुमान जी ने पता लगा लिया कि  उनके प्रिय सखा शनिदेव रावण के पैरों के नीचे आसन वने हुए हैं । उन्ही के प्रभाव से लंका में आग नहीं लग पा रही है।

 हनुमान जी ने अपने बुद्धि चातुर्य से शनि देव को रावण के पैरों के नीचे से मुक्त करवाया और तुरंत लंका छोड़ने को कहा। वर्षों तक रावण के पैरों के नीचे आसन बने रहने के कारण शनिदेव अत्यंत दुर्बल हो गये थे । लंकाधिपति की कैद से मुक्त होने के बाद कुछ दूर चल कर ही वे थक गये। उन्होंने हनुमान जी से कहा कि वे दुर्बल हो गये हैं और अधिक नहीं चल सकते। और जब तक वो लंका में हैं ,तब तक लंका दहन नहीं हो सकता। वो इतने कमजोर हो गये हैं कि तुंरत लंका नहीं छोड़ सकते। यह सुनकर हनुमान जी मानसिक परेशानी से घिर गये। तब शनिदेव ने कहा कि आप इतने बलशाली हैं कि मुझे आप भारत भूमि की ओर प्रक्षेपित कर दें। तब मैं लंका से दूर हो जाऊंगा और तब आप लंका दहन कर सकेगें। 

 वीर हनुमान जी ने ऐसा ही किया। उन्होंने शनिदेव को पूरे वेग से भारत की ओर फेंका। शनिदेव मुरैना जिले के ऐंति गाँव के समीप एक पर्वत में गिरे। जिसे अब शनिपर्वत कहा जाता है‌। इस पर्वत पर जहां वे गिरे वहाँ आज भी विशाल गड्ढा है। यहाँ शनिदेव ने घोर तपस्या करके अपनी शक्तियाँ प्राप्त कीं। चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने यहाँ शनि मन्दिर की स्थापना की। इस मन्दिर में पूर्वाभिमुख भव्य दिव्य शनि प्रतिमा स्थापित हैं। सूर्य और शनि देव के मध्य एक श्रृंगारिक सुन्दर से हनुमान जी की स्थापना भी विक्रमादित्य ने किया था। 

ऐंति से ही शनि शिंगणापुर की प्रतिमा हेतु शिला पहुँची थी। इसकी अलग कहानी है। 

 ऐंति के शनि मन्दिर में प्रत्येक अमावस्या को विशाल मेले का आयोजन होता है। जिसमें लाखों भक्त गण यहाँ शनिदेव की पूजा अर्चना और दर्शन के लिये आते हैं।


ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्र यमाग्रजं ।

छाया मार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैशचरं ।।

होली में सब रंग आएंगे, प्यासे तीर उमड़ आएंगे, पर ए रंगों की बरसात, मेरे सरताज ना आएंगे


*रंगों की बरसात*


होली में सब रंग आएंगे,

प्यासे तीर उमड़ आएंगे।

    पर ए रंगों की बरसात,

    मेरे सरताज ना आएंगे।

 

 सपनों में रंग डाला तुमको,

   प्यासी अंखियों के काजल से,

 भिगो दिया भीगी पलकों ने,

    तन के सिंदूरी बादल से ।

    

इंद्रधनुष कांधों पर रखकर,

रंगों के कहार आएंगे ,

   पर ए फागुन की सौगात ,

   मेरे सरताज ना आएंगे।


सखियों के अधरों से रह-रह,

    मधुर मिलन के चित्र झरेंगे,   

विरह वेदना के क्षण प्रतिपल,

    विरहिन के आंसू पोंछेंगे।

         

पूनम की गागर सिर पर रख,

धरती गगन फाग गाएंगे ,

   मगर ऐ सूनी-सूनी रात ,

   मेरे सरताज ना आएंगे ।


होली में सब रंग आएंगे,

प्यासे तीर उमड़ आएंगे ,

  मगर ऐ सतरंगी सौगात,

  मेरे सरताज ना आएंगे।


गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर

महाकवि आचार्य भगवत दुबे जी को हिंदी सेवी सम्मान प्रदान किया गया 


जबलपुर

संस्कारधानी के गौरव, दधीचि महाकाव्य के रचयिता,गद्य-पद्य में निष्णात, जिनके रचना संसार के खाते में 53 प्रकाशित पुस्तकें है, महाकवि आचार्य भगवत दुबे से प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के संस्थापक,  सशक्त हस्ताक्षर के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा, प्रसिद्ध कवयित्री ज्योति मिश्रा ने सौजन्य भेंट की। कवि संगम त्रिपाठी ने अंगवस्त्र,मोती की माला, कलमश्री,स्मृति चिन्ह प्रदान कर श्रद्धाभाव से सम्मानित किया। आचार्य जी ने भी प्रसन्न होकर कवि संगम त्रिपाठी का शाल से अभिनंदित किया और अपनी कृति 'पलक पांवड़े ' भेंट कर अपना आशीर्वाद दिया।

कवि संगम त्रिपाठी ने विज्ञप्ति में बताया कि संस्कारधानी जबलपुर के गौरव महाकवि आचार्य भगवत दुबे ने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान में मैं सदा आपके साथ हूं और हर तरह से सहयोग प्रदान करता रहूंगा। महाकवि आचार्य भगवत दुबे का हिंदी के प्रचार-प्रसार में सहयोग व समर्थन वंदनीय है।

एस एच एम वी फाउंडेशन द्वारा डाॅक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई 


जबलपुर

एस एच एम वी फाउंडेशन ने भाषा  सेवा के लिए अर्पित माहनुभावो को (गुंडाल राघवेंधर व कवि संगम त्रिपाठी जी) को गौरव डॉक्टरेट की मानद पत्र प्रदान किया गया है। एस एच एमी वी फॉउंडेशन भारत में कहीं सेवा कर रहे है। फॉउंडेशन का मुख्य उद्देश्य भारतीय भाषाओ का प्रचार करना, भारतीय कला और संस्कृति को आगे बढ़ाना संस्था का मुख्य उद्देश्य हैं।

डॉ गुंडाल राघवेंधर जी व डॉ कवि संगम त्रिपाठी जी को संस्था ने गौरव डॉक्टरेट की मानद पत्र प्रदान करके गौरव महसूस हो कर रही है। अपनी स्तर और भाषाओ को प्रचार करना, भाषा को बचाने का कार्य करके, बच्चों को सिखाना, पढ़ाना मुख्य लक्ष्य बनाकर हजारों लोगों को अपना भाषा सिखाया है। ये बहुत गर्व की बात है। आप लोग देश की सेवा कर रहे है। संस्था ने आपके देश सेवा के लिए गौरव डाक्टरेट की मानद उपाधि  फाउंडेशन द्वारा दिया जा रहा है।

संस्थापक डॉ गुंडाल विजय कुमार ने कहा है मेरा सौभाग्य है इन महान पुरुषों कों मेरा संस्था के तरफ से गौरव डाक्टरेट देने के लिए संस्था बहुत गौरव महसूस कर रहा है। मैं इन महान व्यक्ति को प्रणाम करता हूं।  इसी तरह आगे आने वाली पीढ़ीयो को भी अपना धर्म निभाना है। भाषा का सेवा करिए। डॉ धर्म प्रकाश वाजपेयी, प्रदीप मिश्र अजनबी, गणेश श्रीवास्तव, राजकुमारी रैकवार राज , आदि प्रमुख लोगों ने बधाई दिया है।

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