अटल तुम्हारी जय हो, अजर अमर हे अटल तुम्हारी जय हो, भारत मां की शान तुम्हारी जय हो



अटल तुम्हारी जय हो


अजर अमर हे अटल तुम्हारी जय हो।

भारत मां की शान तुम्हारी जय हो।


राष्ट्रभाषा की सुगंध से,

तुमने दुनिया को महकाया।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर,

हिंदी का परचम लहराया।


हिंदी के तूफान तुम्हारी जय हो।

अजर अमर हे अटल तुम्हारी जय हो।



भारत माता पूछ रही है,

तुम सा लाल कहां से लाए,

तुम जैसे अनमोल रतन को,

फिर से भारत रत्न दिलाए।


हंसमुख व्यक्ति महान तुम्हारी जय हो।

अजर अमर हे अटल तुम्हारी जय हो


तुम तो एक अजातशत्रु थे,

दुश्मन के भी अटल मित्र थे।

अद्भुत और प्रखर वक्ता थे,

राजनीति के वृत्तचित्र थे।


रणनीतिज्ञ महान तुम्हारी जय हो।

अजर अमर हे अटल तुम्हारी जय हो।


जन जन के जननायक थे तुम,

राष्ट्रभक्ति के गायक थे तुम।

भारत मां के वरदपुत्र तुम,

नीलकमल गीतों के थे तुम।


भारत की पहचान तुम्हारी जय हो।

अजर अमर हे अटल तुम्हारी जय हो।

  

-गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय पीठ ग्वालियर मध्यप्रदेश

हरनाम सिंह, मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ की राज्य कार्यकारिणी के ऊर्जावान सदस्य, लेखक, समालोचक हैं। इन्होंने गिरीश पटेल की पुस्तक “तब मैं कविता लिखता हूँ” को पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, इसे आप भी पढ़िए।

                                             -आनंद पाण्डेय 

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*अविभाजित काव्य चेतना का सहज कवि गिरीश पटेल*

————————————————-पुस्तक- “तब में कविता लिखता हूं" पर पाठकीय टिप्पणी*

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              गिरीश पटेल उस शख्सियत का नाम है जिसने व्यक्तिगत अनुभव, अनुभूतियों के माध्यम से समाज में व्याप्त विसंगतियों को अपनी रचनाशीलता के माध्यम से उठाया है। इस काव्य संग्रह को पढ़ने की सिफारिश जिन साहित्यकारों, ने की उनमें गौहर रज़ा, कुमार अंबुज, उदय प्रकाश, सेवा राम त्रिपाठी के अलावा डॉक्टर सुखदेव सिंह सिरसा भी हैं। जिसके चलते पुस्तक पढ़ने की जिज्ञासा बढ़ गई।

             अपनी शुभकामनाओं में डॉक्टर सिरसा ने कहा बे- मकसद शायरी गुनाह की तरह होती है। सांप्रदायिक नफरत हजूमी हिंसा और बाजार के आतंक ने हमारी संवेदना को सुन्न कर दिया है। आज प्रश्न एक चीख और उत्तर मौन में तब्दील हो गए हैं। इसी मौन को मुखर करने का माध्यम गिरीश पटेल का काव्य संग्रह *तब मैं कविता लिखता हूं* के रूप में सामने आया। 200 प्रृष्ठों में सिमटी सौ कविताएं गांव के गलियारों से होती हुई अंतरराष्ट्रीय फलक को छूती है।

               पुस्तक पढ़ने का प्रारंभ गौहर रज़ा साहब की पसंद की कविता *कौन हैं वे लोग*  से की जिसमें कोविड काल में सैकड़ो मीलों के अंतहीन फांसले  नापते उन मेहनतकशों की पीड़ा है, जो रातों-रात खानाबदोशों की कतार में खड़े कर दिए गए थे। कवि पूछता है कि आखिर किस अपराध की सजा भुगती  उन्होंने ? लेकिन जिस कविता को मैंने पसंद किया वह गिरीश पटेल की पहली कविता है जो उन्होंने 19 वर्ष की आयु में लिखी थी,*ऐ मॉं तेरे बिन* बेहद भावपूर्ण कविता जिसने अंतर्मन को भिगो दिया।

               *तंन्द्रा* कविता में वर्तमान समय की चुप्पी को मुर्गे की बांग के माध्यम से तोड़ा गया है। मुर्गा बांग देता रहा लोग सोते रहे। कविता *बहुत बड़ी चादर* में कोविड काल के दौरान लाशों के ढेर ही नहीं व्यापम की काली करतूतें, बिकाऊ मीडिया, बाबाओं का अधःपतन, कलबुर्गी, गौरी लंकेश की हत्या, पुरस्कार लौटाते लेखकों का सम्मान, ईवीएम की बाजीगरी, पुलवामा के शहीद सैनिकों के लाशें सभी ढक दिए गए हैं। राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए ज़मीर बेचते जज की लोलुपता कवि की नजर से नहीं बच सकी। पाकिस्तान के कायदे आजम जिन्ना को संबोधित करते कवि कहता है "कभी तुमने जो नफरत के बीज बोए थे मुसलमानों में, अब हम उसे बो रहे हैं हिंदुओं के दिल में।

            *सौंदर्य की प्रतिमा* का बिंब फटी बिवाई से गुजर कर गृहणी की दिनचर्या में अनंतहीन थकावट के रूप में सामने आता है। धन कुबरों की मुनाफे की हवस पर *और में चुप रहूं* कविता में कवि कहता है कि "तुम्हारा बस चले तो हवाओं को रोक दो, सूर्य को कर दो स्विच ऑफ, तुम चाहो तो बेचो सवेरा, और जिसे चाहो दे दो रात। *नज़रिया* कविता में आत्म अवलोकन करते कवि मानता है "जिस दिन लेखनी आंसुओं के मूल्य को आंक सकेगी, उस दिन लेखन धन्य हो जाएगा। संग्रह में किसानों के पसीने के साथ बैलों की मेहनत को भी स्वीकारा गया है। *चाहत* कविता में कवि मरणोपरांत वृक्ष बनने की कामना करता है। 

              कुछ कविताएं व्यंग्य शैली में भी लिखी गई है। *बेरोजगारी*,*दायित्व निर्वाह* इसी श्रेणी की कविताएं हैं। शीर्षक कविता *...तब मैं कविता लिखता हूं* का प्रारंभ तो मन की उमंग से होता है, आगे चलकर किसानों के दर्द से होते हुए कवि बताता है जब गुंडे राज चलाते हैं तब मैं कविता लिखता हूं। करोना काल को गिरीश जी ने शिद्दत के साथ याद रखा है। कई कविताओं में उस काल के हर पहलू से टटोलना का प्रयास किया गया है। सामाजिक राजनीतिक विसंगतियों पर सचेत करते हुए कविता *पौ फटने से पहले* मैं कवि कहता है यदि पकड़ना हो साजिश के सूत्र तो, उठना होगा मुंह अंधेरे पौ फटने से पहले। संगठन की ताकत को कविता *थोथा चना* में रेखांकित किया गया है।

               गीत अध्याय में पहला ही गीत *जोड़ सको तो जोड़ो* में कवि झूठें डर अहम् और धार्मिक विद्वेष को तोड़ने का आह्वान करता है। अफ्रीकी देशों में से चीता आगमन को जिस तरह उत्सव और उपलब्धि प्रचारित किया गया गिरीश जी चुटकी लेते लिखते हैं "चीते के आने से देश संवर जाएगा... भूखा पेट भर जाएगा"।

              कुल मिलाकर अपने समय को आइना दिखाती कविताएं नए प्रतीक और बिंब की मांग करती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य की कविताओं में कुछ और नए प्रयोग देखने को मिलेंगे।


 हरनाम सिंह

सशक्त हस्ताक्षर की 43 वीं गोष्ठी में काव्य धारा हुई प्रवाहित 


जबलपुर

सशक्त हस्ताक्षर की 43 वीं काव्य गोष्ठी चंचल बाई महाविद्यालय में सानंद सम्पन्न हुई ၊ सबसे पहले संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा ने सभी अतिथियों का अपनी वाणी से स्वागत किया ၊ सरस्वती वंदना तरुणा खरे ने पढ़ी ၊

      कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शिक्षाविद् डॉ. संध्या शुक्ल मण्डला,कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद्‌ अरविंद कुमार शुक्ल, विशिष्ट अतिथि सुशील श्रीवास्तव,डॉ. प्रतीक्षा सेठी, समाज सेवक विजय खरे, सारस्वत अतिथि राजेश पाठक प्रवीण, मंगलभाव सलाहकार कवि संगम त्रिपाठी, सी. पी. वैश्य की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुई ၊ महेश स्थापक, दिवाकर शर्मा, डॉ. आनंद त्रिपाठी,ऋषि राज रैकवार ने स्वागत में सहभागिता की ၊

         गोष्ठी की शुरुआत कवयित्री शिवानी भगत ने अकेलेपन पर भावुक अभिव्यक्ति दी ၊ उमा खरे, सुवीर श्रीवास्तव ने नज्म प्रस्तुत करके खूब तालियाँ बटोरी ၊ शिवानी खरे, तरुणा खरे,जी.एल.जैन, जयप्रकाश श्रीवास्तव ने अपनी सशक्त रचनाओं व प्रस्तुति से सबको प्रभावित किया ၊ इन्द्राना से पधारे प्रकाश सिंह ठाकुर ने तरन्नुम में अपना रचना प्रस्तुत की ၊ राजकुमारी राज ने हिन्दी के स्थान की बात की ၊ मदन श्रीवास्तव ने समाज में व्याप्त विडम्बनाओं में आग लगाने की बात की ၊ सुभाष मणि वैरागी,अमर सिंह वर्मा,सुशील श्रीवास्तव ने मंच को खूब संवारा ၊ रजक ने अपनी कुण्डलियों से भरपूर मनोरंजन किया ၊ सिद्धेश्वरी सराफ शीलू ने अपने गीत से शब्द, भावों, गेयता से अलग छाप छोड़ी ၊ भेडा़ घाट से पधारे कुंजीलाल चक्रवर्ती निर्झर ने जगन्नाथ प्रभु का भजन गाकर सभी का मनमोह लिया ၊ उर्मिला श्रीवास्तव ने दादी पर बहुत ही मार्मिक रचना प्रस्तुत की और परिवार में दादी के रहने के फायदे गिनाएँ,जब आज संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, उस पर अपनी वेदना प्रस्तुत की ၊ युवा कवि अम्लान गुहा नियोगी ने ओज से भरी रचना भारत माता, वंदेमातरम्‌ की आनं -वान-शान बढ़े और बढ़ाने की बात की ၊ डॉ. सुरेन्द्रलाल साहू निर्विकार ने दार्शनिक रचना प्रस्तुत की ၊ मनोज शुक्ल मनोज ने शानदार गीत पढ़ा ၊मंचीय कवयित्री वंदना सोनी विनम्र ने अपनी रचनाओं से मंच लूट लिया ၊ संदीप खरे युवराज ने क्रांति की अलख जगाने महारानी लक्ष्मी बाई की वीर रस से भरपूर रचना पढ़ी ၊ मंचासीन अतिथियों ने भी अपनी रचनाओं से मंच को पराकाष्ठा पर पहुँचाया ၊ संचालन गणेश श्रीवास्तव व आभार प्रदर्शन मदन श्रीवास्तव ने किया ၊

तानसेन आ जाओ तुमसे बहुत प्यार करता है, ये इमली का पेड़ तुम्हारी बहुत याद करता है


*तानसेन की इमली का पेड़*

 

तानसेन आ जाओ तुमसे बहुत प्यार करता है।

ये इमली का पेड़ तुम्हारी बहुत याद करता है।


ये मजार पर खड़ा तुम्हारा इंतजार करता है। 

ये इमली का पेड़ तुम्हारी याद बहुत करता है।


जब समाधि से तानों की 

आवाज तुम्हारी आती,

शिल्प कला से मिलने को

संगीत कला आ जाती।


संत मौहम्मद गौस मकबरा फिर गूंजा करता है।

ये इमली का पेड़ तुम्हारी याद बहुत करता है।


जब तुम राग बसंत सुनाते 

ये फागुन ले आता,

दीपक राग सुनाते तो गर्मी 

का मौसम लाता,


मेघ राग सुनते ही सावन की मल्हार गाता है,

ये इमली का पेड़ तुम्हारी याद बहुत करता है।


सदियों से तुमसे मिलने को 

कलाकार आते हैं, 

तुम्हें नमन कर इस इमली के 

पत्ते भी खाते हैं।


इसका रस‌ गाने वालों का स्वर मीठा करता है,

ये इमली का पेड़ तुम्हारी याद बहुत करता है।


आओगे इक दिन मजार से बाहर ये कहता है,

ये इमली का पेड़ तुम्हारी याद बहुत करता है।


*गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर*

अंतरराष्ट्रीय रामायण कॉन्फ्रेंस में इंजीनीयर संतोष कुमार मिश्र 'असाधु' का हुआ सम्मान

*साधक के चेतना की आकाशीय स्थिति की उपलब्धि का नाम है मोक्ष दायिनी काशी*


जबलपुर

विगत दिवस अंतर्राष्ट्रीय रामायण शोध संस्थान अयोध्या, शोध संस्थान वृंदावन एवं तारक सेवा मंडल बनारस के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर  ' भारत की अस्मिता: श्रीराम कथा ' विषय पर एक वृहद कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया जिसमें देश-विदेश से पधारे विद्वतजनों ने शिरकत की। इस कार्यक्रम में रामायण केंद्र जबलपुर इकाई के संयोजक एवं धर्म,आध्यात्म व दर्शन के क्षेत्र में देश-विदेश में तेजी से उभरते , प्रसिद्ध धार्मिक चिंतक इंजी. संतोष कुमार मिश्र 'असाधु ' जोकि वर्तमान में मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड जबलपुर में सुपरिटेंडिंग इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं,के द्वारा श्रीरामचरित मानस में तापस प्रसंग विषय पर एक बेहद महत्वपूर्ण शोधपत्र प्रस्तुत किया गया । अपने वक्तव्य के दौरान श्री मिश्र द्वारा  रामायण के सम्बन्ध में विभिन्न भ्रामक दुष्प्रचारो का खंडन करते हुए मोक्ष दायिनी काशी का संबंध किसी साधक के चेतना की आकाशीय स्थिति की उपलब्धि से प्रतिपादित किया गया। श्री मिश्र द्वारा किसी साधक के समाधि की गहराई में उसके चेतना के उत्थान की आकाशीय अवस्था में परा वाणी से उद्घाटित हुए प्रणव अर्थात ' राम नामक' शब्द को ही इस भवसागर का तारक मंत्र उदघोषित किया जिसकी वहां काफी सराहना की गई । जन जागृति की दिशा में इस तरह के अभिनव कार्य करते हुए श्री मिश्र ने संस्कारधानी जबलपुर का नाम अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर पुनः गौरवान्वित किया है। कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई दी और जारी विज्ञप्ति में बताया कि संतोष कुमार मिश्र ' असाधु'  अपनी भाषा व संस्कृति के प्रचार-प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रहे हैं।

शिक्षाविद,समाजसेवी,साहित्यकार पी.यादव ‘ओज अंतरराष्ट्रीय आइडल प्राइड अचीवर अवार्ड से हुए सम्मानित 


जी.एल.ए.विश्वविद्यालय,मथुरा एवं गोपाल किरण सेवी समाज संस्थान,ग्वालियर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार एवं सम्मान समारोह में प्रतिष्ठित शिक्षाविद,साहित्यकार एवं समाजसेवक पी.यादव ‘ओज’ को अंतरराष्ट्रीय आइडल प्राइड अचीवर अवार्ड 2025–26 से सम्मानित किया गया।यह सम्मान उन्हें शिक्षा,साहित्य और समाज सेवा के क्षेत्र में उनके दीर्घकालिक,निरंतर एवं अभूतपूर्व योगदान के लिए प्रदान किया गया।समारोह में देश-विदेश से आए शिक्षाविदों,शोधार्थियों,साहित्यकारों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की गरिमामयी उपस्थिति रही।श्री पी.यादव ‘ओज’ पिछले कई वर्षों से साहित्य सृजन,शैक्षिक नवाचार,मूल्यपरक लेखन तथा सामाजिक जागरूकता के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।उनकी रचनाएँ मानवीय संवेदना,सामाजिक सरोकार और दार्शनिक दृष्टि से समृद्ध मानी जाती हैं।शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उनके प्रयासों ने अनेक युवाओं और विद्यार्थियों को प्रेरित किया है।इस सम्मान की प्राप्ति पर पी यादव ‘ओज’ ने आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया तथा कहा कि यह सम्मान उन्हें और अधिक समर्पण,उत्तरदायित्व और सृजनशीलता के साथ कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करता है।आयोजक संस्थाओं ने उनके योगदान को समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया।यह सम्मान न केवल पी.यादव ‘ओज’ के व्यक्तिगत कृतित्व की पहचान है,बल्कि हिंदी साहित्य, शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र के लिए भी गौरव का विषय है। कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई दी और कहा कि पी यादव ' ओज' हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपना विशिष्ट योगदान दे रहे है।

राष्ट्रीय जल प्रहरी सम्मान से डॉ लाल सिंह किरार को किया गया सम्मानित 


अंबाह

देश की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय जल प्रहरी सम्मान 2025 (भारत सरकार जल शक्ति मंत्रालय द्वारा ) जिसमें भारत भर के 33 जल प्रहरी व्यक्तियों का चयनित किए गए जिन्हें जल संवर्धन संरक्षण व संचयन तथा प्राकृति जल स्त्रोतों को संरक्षित व संरक्षित करने तथा जन भागीदारी के सहयोग से जल इकाई का संवर्धन के लिए अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दे रहे  व्यक्तियों को 11 दिसंबर 2025 को न्यू महाराष्ट्र भवन ,के जी मार्ग नई दिल्ली के सभागार में संकल्प वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित तथा नमामि गंगे व जल जीवन मिशन के द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में जल प्रहरी सम्मान प्रदान किया गया जिसकी अध्यक्षता भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री श्री सी आर पाटिल तथा मुख्य अतिथि स्वामी चिंदानंद सरस्वती वह पर्यावरणविद डॉ अनिल प्रकाश जोशी रहे कार्यक्रम का सफल संचालन कार्यक्रम संयोजक अनिल सिंह सेंगर द्वारा किया गया जिसमे मध्य प्रदेश से अंबाह  के समाज सेवी व नवांकुर संस्था सक्षम रूरल एंड नेचर डेवलपमेंट फाउंडेशन या सक्षम फाउंडेशन के संयोजक डॉ लाल सिंह किरार को उनके द्वारा क्षेत्र में विगत वर्षों में जल संवर्धन संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों के लिए राष्ट्रीय जल प्रहरी सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया जिसके लिए उनके मित्रो सहयोगियों व समाज सेवी द्वारा शुभकामनाएं व बधाई दी हैं। कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि डॉ लाल सिंह किरार प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। डॉ लाल सिंह किरार साहित्य, समाज, शिक्षा व पर्यावरण के लिए प्रेरणादायक कार्य कर रहे हैं।

मां शारदा की ही नगरी में बसा है, मां सिंहवाहिनी का रैगवा धाम, धार्मिक कार्यक्रम हेतु निःशुल्क आश्रम

*श्री श्री 1008 श्री बलराम दास त्यागी महाराज की तपोस्थली में बना है मां सिंह वाहिनी का प्रसिद्ध मंदिर*


मैहर

मां शारदा के नाम से विख्यात पावन पवित्र स्थल धार्मिक नगरी मैहर संपूर्ण देश में लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। जहां पर हजारों श्रद्धालुओ का दर्शन हितार्थ हेतु आना-जाना बना हुआ है। मैहर जिला धार्मिक नगरी के नाम से इसलिए प्रसिद्ध है कि यहां मां शारदा मंदिर के साथ-साथ जिले के समीप अन्य छोटे-छोटे धार्मिक स्थल भी हैं जो श्रद्धालुओं के लिए दार्शनिक स्थल के नाम से प्रसिद्ध हैं। जैसा कि मां शेरावाली मंदिर, ओयलाधाम, बड़ी माई, गोलामठ, दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर, साईं मंदिर, राम मंदिर, के साथ अन्य धार्मिक स्थल हैं, लेकिन इनमें से ही एक ऐसा प्रसिद्ध स्थान है, जो नौ देवियों के स्वरूप में बसा एक मां शेरावाली का प्रसिद्ध मंदिर है। यह प्रसिद्ध मंदिर में मां शेरावाली के साथ अन्य सभी देवी देवताओं की प्रतिमा श्रद्धालुओं के लिए बहुत ही श्रद्धा व आस्था का केंद्र बनी हुई है। यह मंदिर में पहुंचने के लिए मैहर जबलपुर हाईवे मार्ग में मैहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी में ही मां शेरावाली रैगवा धाम के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को धार्मिक कार्यक्रम व भोजन प्रसाद बनाने की संपूर्ण व्यवस्था निशुल्क है। मां शारदा के दर्शन कर लौटने वाले श्रद्धालु सदैव ही मां शेरावाली रैगवा धाम मैं अपनी अर्जी लगाने व दर्शन प्राप्त करने का सदैव ही सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि जो भी श्रद्धालु आस्था और विश्वास के साथ अपनी अर्जी लेकर मां के दरबार में पहुंचता है तो उसकी मनोकामना अति शीघ्र ही मां भगवती पूरा करती हैं। 

श्री श्री 1008 बलराम दास त्यागी महाराज की तपोस्थली में बना यह प्रसिद्ध मां सिंह वाहिनी का  मंदिर की स्थापना मद्जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्य पद प्रतिष्ठित जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य महाराज श्री मठ पंचगंगा घाट कासी के करकमलों द्वारा सम्वत् 2064 सन् 25-06-2007 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दसमी (गंगादशहरा) को सम्पन्न हुआ।

आश्रम में ब्रम्ह लीन श्री श्री 1008 स्वामी बलरामदास, त्यागी महाराज तथा आश्रम  के परम प्रिय शिष्य देवलोक गवन ब्रम्हलीन महामण्डलेश्वर केशव-दास  के निर्मित समाधि स्थल में मैं भी लोग माथा टेक कर अपनी मन्नतें पूरी करते हैं।

कल्प भेंटवार्ता पत्रम से सम्मानित हुईं कुमारी मिहूं मनोज अग्रवाल

*"प्रतिभावान बेटियों से समाज आशान्वित है - कल्पकथा परिवार"* 



प्रभु श्री राधा गोपीनाथ जी की कृपा से संचालित कल्पकथा साहित्य संस्था परिवार की बाल साहित्यकार विशेष माह के दूसरे कल्प भेंटवार्ता  युटुब चैनल के लाईव कार्यक्रम में नागपुर महाराष्ट्र की कुमारी मिहूं मनोज अग्रवाल को भेंटवार्ता पत्रम से सम्मानित किया गया।

बाल प्रतिभा सम्मान एवं प्रोत्साहन श्रृंखला के कार्यक्रम में डॉ श्रीमती मंजू शकुन खरे जी के संचालन और चार चरणों के विशेष कार्यक्रम में आमंत्रित कक्षा दसवीं की विद्यार्थी मिहूं जी साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय होने के साथ - साथ संगीत और खेलों की अनेक विधाओं में पारंगत हैं, तथा उन्हें अनेकों राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

अपने माता - पिता मेघा अग्रवाल, मनोज अग्रवाल को प्रेरणा स्त्रोत बताने वाली अनेकों काव्य रचनाएँ सृजित कर चुकी मिहूं ने सीधे प्रसारण के आयोजन में व्यक्तिगत जीवन, साहित्यिक अभिरुचियों, दर्शक दीर्घा के प्रश्न, वस्तुनिष्ठ प्रश्न, आदि का सजगता से उत्तर देते हुए समाजसेवा, और पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को उत्तरदाई होने के सभी से आग्रह किया। 

कार्यक्रम के अंत में मिहू को कल्पकथा परिवार की ओर संस्थापक दीदी  राधा श्री शर्मा व पवनेश ने भेंटवार्ता पत्रम सम्मान से सम्मानित करते हुए कहा कि प्रतिभावान बेटियों से समाज आशान्वित है हमारी दृढ़ संकल्पित बेटियों से देश का भविष्य उज्जवल है। बाल प्रतिभाओं के लिए समर्पित कार्यक्रम में समूचा कल्पकथा परिवार कुमारी मिहूं मनोज अग्रवाल जी को स्वर्णिम सफलता एवं सुखद भविष्य हेतु बधाई देता  है। कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि कुमारी मिहूं की मां मेघा अग्रवाल हिंदी प्रचार प्रसार के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही है।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ आठिया की 11 पुस्तकों का लद्दाख के उपराज्यपाल ने किया विमोचन 

*इथोपिया, सूरीनाम के राजदूत द्वारा विश्व हिन्दी सेवी सम्मान से सम्मानित*


देवरी

विश्व हिंदी परिषद द्वारा 21-  22 नवंबर 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें सागर जिले से डॉ अवनीश मिश्रा , डॉ बी डी पाठक , महेंद्र लोधी, शिवम् शर्मा एवं डॉ सीताराम आठिया ने सहभागिता कर शोध पत्रों का वाचन किया। सम्मेलन के प्रथम दिवस डॉ. सीताराम आठिया की 11 पुस्तकों का विमोचन मुख्य अतिथि कवींद्र गुप्ता, उप राज्यपाल, लद्दाख, अजय मिश्रा पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री, बलदेव पुरुषार्थ संयुक्त सचिव आर्थिक कार्य विभाग वित्त मंत्रालय भारत सरकार, विश्व हिन्दी परिषद के महासचिव डॉ विपिन कुमार, देवी प्रसाद मिश्रा, राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्म भूषण डॉ यारलगड्डा लक्ष्मी प्रसाद, प्रो रामनारायण पटेल आचार्य दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रो सच्चिदानंद मिश्रा सचिव भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, डॉ शकुंतला सरुपपिया द्वारा किया गया। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में डॉ आठिया की लोकार्पित  11  पुस्तकें है। हिंदी सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्रियां, भारतीय दलित महिला साहित्यकार,  प्रवासी भारतीय महिला साहित्यकार , प्रशासन में महिलाओं की भूमिका, भारत रत्न प्राप्त विदुषी महिलाएं, हिंदी साहित्य के विविध आयाम और स्त्री विमर्श, भारतरत्न प्राप्त महापुरुषों की जीवनियां, भारत के महान व्यक्तित्व, हिंदी सिनेमा के प्रमुख अभिनेता, भारत की प्रथम महिला विदेश मंत्री, सुषमा स्वराज, भारत की प्रथम महिला आई पी एस किरण वेदी। उपरोक्त पुस्तके जेटी एस पब्लिकेशन दिल्ली, नीलम पब्लिकेशन मुंबई, कोलकाता प्रेस बुक, बीएमपी पब्लिकेशन फरीदाबाद, एविनसपब प्रकाशन बिलासपुर, एचएसआरए पब्लिकेशन बेंगलुरु से प्रकाशित की गई है। 

सम्मेलन के द्वितीय दिवस डॉ सीताराम आठिया को हिंदी में उत्कृष्ट कार्य हेतु सूरीनाम की राजदूत  सुनयना मोहन, इथोपिया के राजदूत गेबरू टेकलय के करकमलों द्वारा अंग वस्त्र पहनाकर विश्व हिन्दी सेवी सम्मान से सम्मानित किया गया।  इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश से अनेक प्रतिष्ठित विद्वान, कुलपति, साहित्यकार, प्रशासक एवं जनप्रतिनिधि, मीडिया व कला जगत की हस्तियां शामिल हुई जिनमे प्रमुख रूप से  पूर्व राज्यसभा सांसद आर. के. त्यागी,  हरियाणा की राज्यसभा सांसद व पूर्व राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष रेखा शर्मा, नीदरलैंड से डॉ. ऋतु शर्मा, नंदन पांडेय, चीन से डॉ.विवेकमणि त्रिपाठी, लंदन से सुश्री वंदना खुराना, अमेरिका से मयंक जैन, कादंबरी शंकर व डॉ दुर्गा सिन्हा, जापान से डॉ रमा पूर्णिमा आदि उपस्थित रहे।

बता दें कि मध्य प्रदेश के सागर जिले की देवरी तहसील में स्वास्थ्य विभाग में पर्यवेक्षक के पद पर कार्यरत डॉ सीताराम आठिया मूल रूप से एक सामाजिक कार्यकर्ता है। जिन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, समाजसेवा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कई नवाचार किए हैं जिनके लिए उन्हें सैकड़ों  राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं। 2023 के इसी विज्ञान भवन में विश्व हिन्दी परिषद द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में प्रथम बार आपने सहभागिता की और यही से उन्हें हिंदी सेवा और साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा मिली। तत्पश्चात एक वर्ष में आपने विभिन्न विश्वविद्यालयों में आयोजित राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों मे सहभागिता करके तथा अन्य संपादित आईएसबीएन पुस्तकों में करीब 100 शोध पत्र लिखे किंतु इससे वह संतुष्ट नहीं हुए। व्यापक पैमाने व्यापक पर साहित्य सेवा करने के उदेश्य से आपने 8 मार्च 2024 को दीपशिखा 501 पुस्तक श्रृंखला निशुल्क प्रकाशन योजना प्रारंभ की। जिसमें समस्त मानविकी विषयों पर आधारित 501 पुस्तकों के 101 शहरों से प्रकाशन का लक्ष्य रखा। मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही हैं कि मात्र पौने दो वर्ष की अल्पावधि में उनकी द्वारा 35 संपादित पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं और करीब 15 प्रकाशनाधीन हैं। उनकी इस निशुल्क प्रकाशन योजना से वर्तमान में 120 संपादक और करीब दस हजार साहित्यकार प्रोफेसर्स जुड़े हुए हैं। 

कवि संगम त्रिपाठी ने इस उपलब्धि पर डाॅ सीताराम आठिया को बधाई दी एवं बताया कि हिंदी प्रचार प्रसार में इनका सहयोग सराहनीय है।

बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड यूएसए द्वारा लेखिका एवं कवियत्री सुशी सक्सेना हुई सम्मानित


इंदौर 

मध्यप्रदेश भारत की सुप्रसिद्ध लेखिका एवं कवियत्री सुशी सक्सेना को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों और रचनात्मक योगदान के लिए बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, यूएसए (United States of America) द्वारा विशेष सम्मान से नवाज़ा गया। यह सम्मान उन्हें प्रेरणात्मक लेखन के क्षेत्र में निरंतर उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदान किया गया। इंदौर मध्यप्रदेश भारत की लेखिका सुशी सक्सेना ने साहित्य के क्षेत्र में तो महारत हासिल किए हैं साथ ही इन्होंने राजनीतिक और वैज्ञानिक विषयों पर भी पुस्तकें लिखी हैं।

"अनेक प्रकाशित कृतियों और साहित्यिक सम्मान के साथ सबसे सृजनशील एवं प्रख्यात लेखिका एवं कवयित्री सुशी सक्सेना को बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड यूएसए के इंटरनेशनल चेयरमैन्स आलोक कुमार एस और डाॅ अविनाश डी सकुंडे पुने भारत व नेहा कुमारी जी, नई दिल्ली भारत ने  प्रमाण-पत्र व विश्व-रिकॉर्ड से सम्मानित करते हुए गर्व महसूस किया और कहा....

यह प्रमाण-पत्र गर्वपूर्वक सुशी सक्सेना जी को उनके असाधारण रचनात्मक कौशल, समर्पण और साहित्य, विज्ञान एवं राजनीति के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के सम्मान में प्रदान किया जाता है। एक लेखिका और कवयित्री के रूप में उनकी अद्भुत यात्रा ने देशभर में अनगिनत लोगों के हृदयों और विचारों को स्पर्श किया है। गहन भावनाओं, प्रभावशाली अभिव्यक्तियों और चिंतनशील लेखन के माध्यम से वे आधुनिक भारत की सबसे सृजनशील और प्रभावशाली महिला साहित्यिक आवाज़ों में से एक बनी हैं। 

अपनी लेखनी के माध्यम से सुशी सक्सेना ने मानवीय अनुभवों के सार को अत्यंत सुंदरता से व्यक्त किया है। कविता, गद्य और प्रेरणादायक साहित्य, विज्ञान और राजनीति के क्षेत्र में उनकी रचनाएँ उनकी उस विलक्षण क्षमता को दर्शाती हैं, जिसमें वे कल्पना को सत्य से, भावनाओं को बुद्धि से, और सरलता को गहराई से जोड़ देती हैं। उन्होंने अब तक बारह पुस्तकें लिखी और प्रकाशित की हैं। उनकी रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और संकलनों में प्रकाशित होती रही हैं, जिनके लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सराहना और स्वर्ण पदक तथा "वंदे मातरम् पुरस्कार" जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया गया है। यह विश्व-रिकॉर्ड उनके जुनून, रचनात्मक प्रतिभा और लेखन कला के प्रति आजीवन समर्पण का प्रमाण है — जो आने वाली पीढ़ियों को शब्दों की शक्ति और सौंदर्य को सहेजने और समझने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

सम्मान प्राप्त करने पर सुशी सक्सेना ने कहा कि, यह उपलब्धि उनके लिए अत्यंत गौरव का विषय है और यह उन्हें भविष्य में और अधिक सार्थक एवं प्रेरणादायक साहित्य, विज्ञान और राजनीतिक क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित करती है। बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड यूएसए द्वारा दिया गया यह सम्मान सुशी सक्सेना की साहित्यिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है और साहित्य जगत में उनकी सशक्त पहचान को और अधिक सुदृढ़ करता है।

भारतीय संविधानिक महासंघ की बैठक संपन्न,कार्यकारिणी घोषित, संविधान दिवस मनाने का हुआ निर्णय 


छिंदवाड़ा

भारतीय संविधानिक महासंघ की बैठक छिंदवाड़ा जिले के विभिन्न संगठनों को आमंत्रित किया गया था जिसमें अनु, जन जाति, अनु जाति, पिछड़ा वर्ग, एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को समता बौद्ध विहार परासिया रोड छिंदवाड़ा में दोपहर 2 बजे से बैठक का आयोजन किया गया था ।भारतीय संविधानिक महासंघ  ओर संविधान दिवस के उपलक्ष्य पर महासंघ बनाने हेतु एक विशेष बैठक का आयोजन किया  गया। जिसमें सर्वप्रथम कार्यक्रम अध्यक्षता आर के चौहान की अनुमति से कार्यक्रम की शुरुआत भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष मोमबत्ती जलाकर एवं पुष्पमाला अर्पित की गई तत्पश्चात अतिथियों का  पुष्पमाला से हार्दिक स्वागत किया गया । 30 नवंबर को छिंदवाड़ा में वृहद स्तर पर संविधान दिवस मनाया जाएगा। इस संबंध में सभी वक्ताओं ने अपना- अपना विचार रखे। सभी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि हमारा लक्ष्य संविधान के मूल्यों — समानता, न्याय और बुनियादी अधिकारों — को समझना और समाज में एकता को मजबूत बनाना है। इस बैठक में हम कार्यक्रम का रूपरेखा तय करेंगे, वक्ताओं के कर्तव्य बाँटेंगे और विभिन्न समाजिक समूहों के बीच समन्वय बढ़ाने के व्यावहारिक कदम उठाएँगे।

हम विशेष रूप से सभी समाज प्रतिनिधियों, समाजसेवियों, युवा और महिलाओं से आग्रह करते हैं कि वे मिलकर संवाद करें, मतभेदों को परे रखते हुए साझा समाधान और एकजुटता का संकल्प लें। केवल संयुक्त प्रयास से ही सामाजिक असमानताओं का प्रभावी मुकाबला सम्भव है।

यह संगठन गैर राजनीतिक संगठन रहेगा। सर्व समिति से सभी पदाधिकारी का चयन किया गया जिसमें  संरक्षक एडवोकेट बलदास डेहरिया सुश्री कमला डेहरिया आरके चौहान अध्यक्ष  एस. बी. सोनटक्के ,उपाध्यक्ष अनीस अंसारी,रामदास उइके,हरिराम पाल, चन्द्रभान देवरे,अनिल यादव, महासचिव - एड .देवेन्द्र वर्मा,सचिव, देवेन्द्र खांडेकर,मदन बरखाने, राजेश दोडके, कोषाध्यक्ष शिव मंडराह, सह कोषाध्यक्ष - आजम खान,सदस्य गण गायकवाड,प्रदीप बिस्केले,विनीत पाटिल ,शैलेन्द्र आरसे, संदेश बघेलकर,नाभिर मंसूरी, प्रचार प्रसार प्रभारी मोहरु पटेल, जिला मिडिया प्रभारी आकाश कोचे,संगठन मत्री किशोर वंशकार, कार्यालय मंत्री पुरुषोत्तम मंडराह,सह कार्यालय मंत्री-" भीमराव सोमकुंवर, दीपक बागडे चिकित्सा प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. अकील मंसूरी, विधी प्रकोष्ठ प्रभारी - श्याम अहिरकार, सह विधी प्रकोष्ठ प्रभारी - सुजीत पहाडे  कार्यकारिणी घोषित की गई उक्त कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सुश्री कमला डेहरिया सुनीता बामनिया मोहिता जगदेव सविता कनौजिया सहित विभिन्न संगठनों के जिला अध्यक्ष एवं पदाधिकारी की गरिमामयी उपस्थिति रही।

वन विभाग की आपत्ति से गावों को बिजली और खेतों को पानी पहुंचाना हुआ कठिन

*अंधकार के खिलाफ आदिवासियों का युद्ध*


उमरिया

जिले के पाली विकास खंड के चांदपुर ग्राम पंचायत के बाघन्नारा  एक राजस्व गाँव है जहाँ पर बहुतायत संख्या में बैगा समुदाय के लोग निवास रत है, लेकिन वन विभाग की दखलंदाजी के चलते इस गाँव में आज भी बिजली पहुचना आसमान से तारे तोडकर लाने के समान है। गाँव के बैगा समुदाय के लोग और ग्राम पंचायत के सरपंच लगातार गाँव को अंधकार से मुक्ति दिलाने के अथक प्रयास में लगे हुए हैं और वन विभाग के वन मंडलाधिकारी हर बार एक नयी पेंच फंसाकर मामले को जहाँ से तहां पहुंचा देते हैं।

मध्यप्रदेश के गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए केन्द्र के बहु प्रशंसित सरकार ने वर्ष 2015 में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की गयी थी, जिसका उद्देश्य बिजली विहीन गांवों में बिजली पहुचाना था, लेकिन दीनदयाल उपाध्याय जी की यह योजना को इस गाँव के दीन - हीन दिखाई नहीं दिये, इसके बाद वर्ष 2017 में सौभाग्य योजना लागू कर देश के सभी घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए चलायी गयी, लेकिन यह योजना भी इन दीन -हीन बैगाओ के दूर्भाग्य के सामने यह सौभाग्य योजना भी दुर्भाग्य में बदल गयी है। इसके साथ ही इसी वर्ष  प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) यह भी केन्द्र सरकार के व्दारा संचालित कर गरीब परिवारों तक बिजली पहुंचाने के उद्देश्य से लागू किया गया था । मालुम हो की इसके अलावा मुख्यमंत्री ग्राम सड़क विद्धूती करण योजना वर्ष 2016 में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी लागू कर गाँव गाँव बिजली पहुंचाने का काम अपने एजेण्डा में लेकर काम किया, किन्तु पाली विकास खंड के आदिवासी बैगा बाहुल्य गाँवों बाघन्नारा, गांधी ग्राम सांस, चिनकी, आदि गांवों में आज भी अंधेरे से जुझ रहे हैं। यद्यपि इन योजनाओं के तहत मध्यप्रदेश के गाँव गाँव बिजली पहुंचाने के लिए कई कार्य किये गए हैं, जिसके तहत गाँव गाँव बिजली लाइने पहुंचाने, नये बिजली घर बनाने, और गरीबों तक बिजली पहुंचाने का काम हुआ है, परन्तु उमरिया जिले के आदिवासियों के किस्मत में वन विभाग ने जो कील ठोकी है उससे उन गाँवों के आदिवासियों की तो दुर्दशा है ही उमरिया जिले के प्रशासनिक अधिकारी भी वन विभाग के सामने नत मस्तक होकर आदिवासियों को उनके हालात में जीने को छोड़ दिया है। 

यह वही पाली विकास खंड है जहाँ पर एक वर्ष के अन्दर आधे दर्जन से अधिक प्रायवेट कंपनिया कोल उत्खनन के लिए वनो के अन्दर और बाहर अपना जाल फैला रही है, उनके लिए  वन विभाग की तरह से न तो किसी तरह की चिंताये जतायी गयी, तब वन कटने की बाधा सामने आयी, न वन्य प्राणियों के जीवन पर खतरा आया और न ही अन्य पर्यावरणीय मुद्दे सामने आये, लेकिन गाँव में बिजली पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिकल डिस्टीब्यूशन सिस्टम का हवाला देकर आपत्ति दर्ज कर आदिवासियों को मूलभूत प्रकाश जैसे अधिकार से वंचित किया जा रहा है। वन विभाग के इस दोहरे मापदंड का कारण तो साफ साफ समझ में आता है, पर जिनके पास खुद के तन ढकने को कपड़े न हो, पेट भरने के लिए सरकार की पांच किलो राशन के लिए आश्रित हो वह वन विभाग के आला अधिकारियों की मुराद तो पूरी नहीं ही कर सकते।

हिंदी राष्ट्रभाषा प्रचारक संघ के अग्रदूत संगम त्रिपाठी के सम्मान में वही काव्य धारा 


बिलासपुर 

संकेत साहित्य समिति बिलासपुर इकाई द्वारा समिति के महासचिव नरेंद्र कुमार शुक्ल ' अविचल' के निज निवास गीतांजलि सिटी फेज ll में जबलपुर से पधारे कवि संगम त्रिपाठी के सम्मान में सरस काव्य संध्या का आयोजन किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता अमृतलाल पाठक मुख्य अतिथि राजेंद्र मौर्य विशिष्ट अतिथि कवि संगम त्रिपाठी एवं कार्यक्रम का सफल संचालन शिशिर मौर्य के द्वारा किया गया अतिथियों का स्वागत संकेत साहित्य समिति के अध्यक्ष राकेश खरे ' राकेश' द्वारा किया गया श्री त्रिपाठी का सम्मान साल श्रीफल से किया गया नरेंद्र कुमार शुक्ल अविचल, राकेश खरे" राकेश" अशोक कुमार शर्मा, केवल कृष्ण पाठक, अमृतलाल पाठक, कवि संगम त्रिपाठी, राजेंद्र मौर्य ने अपनी -अपनी कविताओं का पाठ किया मुख्य अतिथि राजेंद्र मौर्य द्वारा लिखित काव्य संग्रह रामायण के राम एवं चावुक पुस्तक कवि संगम त्रिपाठी जी को भेंट किया काव्य धारा ठंड की ठिठुरन में देर रात तक चली नरेन्द्र कुमार शुक्ल ' अविचल'द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रेषित कर कार्यक्रम का समापन किया गया

सशक्त हस्ताक्षर की काव्य गोष्ठी व सम्मान समारोह संपन्न


   

        जबलपुर -   सशक्त हस्ताक्षर का 42 वाँ मासिक काव्य महोत्सव चंचल बाई पटेल महाविद्यालय में सानंद सम्पन्न हुआ ၊ सर्वप्रथम संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा ने सभी अतिथियों, कवि-कवयित्रियों,काव्यप्रेमी मनीषियों का अपने शब्द सुमनों से अभिनंदन किया ၊ सरस्वती वंदना प्रसिद्ध मंचीय कवयित्री वंदना सोनी विनम्र द्वारा की गयी ၊

      कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शिक्षिका श्रीमती विनीता श्रीवास्तव, अध्यक्षता महामहोपाध्याय आचार्य डॉ. हरिशंकर दुबे,विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेन्द्रलाल साहू र्निविकार,डॉ. कामना कौस्तुभ,युवा कवि अम्लान गुहा नियोगी, सारस्वत अतिथि राजेश पाठक प्रवीण,मंगलभाव प्राचार्य डाॅ. वंदना पाण्डे, मनोज शुक्ल मनोज की गरिमामय उपस्थिति रही ၊ ज्ञानेन्द्र श्रीवास्तव,बच्चन श्रीवास्तव,योगेन्द्र मालवीय,चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव, अरुण शुक्ल,चंद्रकांत जैन,अमरनाथ सोनी का स्वागत में विशेष सहयोग रहा ၊

        काव्य गोष्ठी का शुभारंभ श्रीमती शिवानी भगत ने माँ पर सुंदर अभिव्यक्ति देकर की ၊ अरविंद मोहन नायक, ओज के कवि उमेश साहू ओज, इन्द्राना से प्रकाश सिंह ठाकुर,भेड़ाघाट से कुंजीलाल चक्रवर्ती निर्झर ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मनमोह लिया ၊ अमरसिंह वर्मा,लखन लाल रजक,सुशील श्रीवास्तव ने भी खूब तालियाँ बटोरी ၊ यशोवर्धन पाठक ने व्यंग्य पढ़ा ၊  श्रीमती प्रभा बच्चन श्रीवास्तव की प्रस्तुति बहुत ही प्रभाव पूर्ण रही ၊ श्रीमती आशा मालवीय शीतऋतु पर बालगीत प्रस्तुत किया ၊ मदन श्रीवास्तव ने शानदार गज़ल पढ़ी ၊ पं. दीनदयाल तिवारी बेताल, डॉ. मुकुल तिवारी, शायर सुरेश दर्पण ने विशेष प्रस्तुति से सबको तलियाँ बजाने हेतु मजबूर कर दिया ၊ श्रीमती तरूणा खरे तनु ने कृष्ण भक्ति पर एवं श्रीमती प्रीति नामदेव भूमिजा ने उनके समाज के शिरोमणि संत तुकाराम पर सुंदर भजन  प्रस्तुत किया ၊ राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरुष्कृत डॉ. संध्या जैन श्रुति की प्रस्तुति उनके व्यक्तित्व के अनुरूप श्रेष्ठ रही ၊ वंदना सोनी विनम्र ने अपनी प्रस्तुतियों से मंच लूट लिया ၊ कालीदास ताम्रकार काली,राजेन्द्र मिश्रा,प्रभावशील प्रभा विश्वकर्मा शील,संदीप खरे युवराज को खूब सराहा गया ၊ मचंस्थ अतिथियों ने भी मंच को नयी ऊँचाईयाँ  दी ၊ संचालन गणेश श्रीवास्तव प्यासा व  आभार प्रदर्शन अमर सिंह वर्मा ने किया ၊ सफल आयोजन की कवि संगम त्रिपाठी सलाहकार सशक्त हस्ताक्षर संस्था ने बधाई दी।

भ्रष्टाचार साबित, फिर भी कुर्सी पर काबिज, नही हुई कार्यवाही, एक तरह के अपराध, मगर बदले दण्ड के मापदंड 

*अभियुक्त की कुर्सी न बदलने से बढी दस्तावेजों में हेराफेरी की आंशका*


उमरिया

जिले में जिले की कमान सम्हाल रहे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की स्वेच्छाचारी कार्य शैली से जिले में व्यापक पैमाने पर भष्ट्राचार और अराजकता अपनी जडे जमा चुकी है। विदित हो की उमरिया जिले के पाली विकास खंड में दो समांतर भष्ट्राचार के मामले पिछले एक वर्ष के अन्दर उजागर हुए, जिनकी गूंज पाली विकास खंड से लेकर राजधानी  की गलियों में सुनाई दी, जिस पर जांच के आदेश राजधानी से ही प्रसारित किये गए। दोनों मामले में से एक में जांच का जिम्मा कलेक्टर उमरिया को और दूसरे मामले की जांच ग्रामीण विकास विभाग से जुडी होने के कारण अपर कलेक्टर मुख्य कार्य पालन अधिकारी जिला पंचायत उमरिया को भष्ट्राचार की जांच सौंपी गई थी, जांच में भष्ट्राचार की पुष्टि हुई है और इसमें से एक मामले में जांच कर कार्यवाही की गयी, यद्यपि एफ आई आर में उच्च न्यायालय से रोक होने के कारण प्राथमिकी दर्ज नही हो सकी, जबकि दूसरे मामले में अपर कलेक्टर मुख्य कार्य पालन अधिकारी जिला पंचायत उमरिया ने मामले में अपराध की पुष्टि होने के बाद अपने मातहतों को बचाने का काम किया गया। इस मामले में पुलिस में एफ आई आर तो दर्ज हुई लेकिन इसके बाद भष्ट्राचार के लिये दोषी कर्मचारियों को सीधे - सीधे बचाने के लिए विभागीय कोई कार्यवाही नहीं की गयी। पहला मामला पाली विकास खंड कार्यालय में हुए प्रधानमंत्री आवास योजना में हूई व्यापक आर्थिक  गडबडी का था, जिस पर प्रधानमंत्री आवासों को खुर्द बुर्द कर हितग्राहियों के नाम पर इस मद की राशि हडपने का अपराध सिद्ध होने पर प्रधानमंत्री आवास योजना के ब्लॉक समन्वयक मोहम्मद इब्राहिम नोमानी और पतरू राम भगत पंचायत समन्वयक पाली को मुख्य आरोपी मानते हुए मामले की प्राथमिकी थाना पाली में अपराध क्र 600 /24  भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 120 बी और 34 के तहत अपराध कायम कर विवेचना कर न्यायालय में है, दूसरा मामले में खंड शिक्षा कार्यालय में भी व्यापक स्तर पर शासकीय धन राशि का गबन किया गया था। जिस मामले में खंड शिक्षा कार्यालय में पदस्थ लेखापाल धनकर को मुख्य दोषी पाया गया था। इस मामले में उमरिया जिले के कलेक्टर धरणेन्द्र जैन ने खंड शिक्षा कार्यालय में लेखापाल के पद पर पदस्थ धनकर सहित दो को निलंबित कर एक कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया, वही पर खंड शिक्षा अधिकारी राणा प्रताप सिंह को भोपाल से निलंबित कराने के लिए कलेक्टर उमरिया ने ऐडी चोटी एक कर निलंबित कराया, और उन्हें पद मुक्त कराया गया था। यद्यपि उनके निलंबन को बाद में विभागीय सचिव भोपाल ने शून्य घोषित कर दिया।

जनपद पंचायत पाली में प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए आवास घोटाले मामले में पुलिस में प्राथमिकी तो दर्ज करायी गयी, किन्तु जिनके सिर पर घोटाले के आरोप साबित हुए है, शासकीय धन राशि के गबन करने के प्रमाणित पुष्टि हुई, उनके ऊपर किसी भी तरह की विभागीय कार्यवाही न करते हुए उन्हें निलंबित न कर उनकी उसी कुर्सी पर पदासीन रखा गया है।  दोनों मामले में एक समान आर्थिक अपराध साबित होने के बाद भी कार्यवाही में भिन्नता प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यशैली पर तीखे सवाल खड़े कर दी है कि आखिर कार वजह क्या है कि आवास घोटाले के आरोपियों को चिरंजीवी होने का आशीर्वाद जिला पंचायत के मुखिया ने दे दी है। यह मामला कलेक्टर उमरिया के संज्ञान में होने के बाबजूद उन्होंने भी इससे मुंह मोड रखा है। खेद जनक कहा जाता है कि जब आये दिन जिला पंचायत के मठाधीशों पर भष्ट्राचार के तीखे आरोप लगाये जा रहे हैं, तब आवास घोटाले मामले में दोषी अधिकारियों के साथ जिला पंचायत की यह सांठगांठ कर उन्हें अभय दान देने की जिला पंचायत की उदारता पर संदेह होना आश्चर्य का विषय नहीं है। चूंकि आर्थिक अपराध के मामले में कर्मचारी आचार संहिता में  कर्मचारियों को उसी कुर्सी पर बैठाये रखना कदाचरण की श्रेणी में आता है, फिर भी  इस संवेदनशील मामले में इन कर्मचारियों को पद से पृथक न करना वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता उजागर करती है। इस मामले में सबसे पेचीदगी यह सामने आयी है कि न्यायालीन अभियुक्तों के पास कमान होने से न्यायालीन दस्तावेजों में भी हेराफेरी की आंशका बढ गयी है। इस संवेदनशील मामले में प्रदेश स्तर के आला अधिकारियों से अपेक्षा है कि उक्त प्रकरण में न्यायोचित कार्यवाही कर आम जनता में न्याय का संदेश देगे।

किताबों की दुनिया में सुशी सक्सेना की पुस्तकों पर चर्चा कार्यक्रम का  सफलता पूर्वक हुआ आयोजन


मध्यप्रदेश

बीती रात्रि 9 बजे किताबों की दुनिया में सुशी सक्सेना की पुस्तकों पर चर्चा कार्यक्रम का सफलता पूर्वक आयोजन संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम श्रीराम सेवा साहित्य संस्थान भारत के मंच पर किया गया। इस कार्यक्रम में लेखिका सुशी सक्सेना और संस्थापिका दिव्यांजली वर्मा मौजूद थे। इस अवसर पर साहित्य, कला और संस्कृति जगत से जुड़े अनेक विद्वान, लेखक और पाठक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान सुशी सक्सेना की पुस्तकों पर चर्चा की गई जो कि साहित्य, विज्ञान और राजनीतिक विषयों पर आधारित हैं। सुशी सक्सेना की रचनाओं में नारी जीवन, सामाजिक यथार्थ, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवीय संवेदनाओं के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा हुई। उनकी लेखनी सरल भाषा में गहरी बात कहने की क्षमता रखती है, जो हर वर्ग के पाठक से सीधा संवाद करती है। कार्यक्रम के दौरान लेखिका ने अपनी लोकप्रिय पुस्तकों के अंशों का वाचन किया गया और कुछ कविताएं सुनाईं। श्रोताओं ने उत्साहपूर्वक अपनी प्रतिक्रियाएँ साझा कीं। 


अंत में दिव्यांजली वर्मा ने कार्यक्रम का समापन करते हुए सभी उपस्थित महानुभावों को विदाई दी और सुशी सक्सेना की लेखन शैली और उनके साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए ऐसे आयोजनों की निरंतरता की कामना की। इस कार्यक्रम ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि साहित्य के क्षेत्र में सुशी सक्सेना की रचनाएँ पाठकों के दिलों में विशेष स्थान रखती हैं।

आता जब मौसम सुहानी सर्दियों का, झूमने लगता है मौसम सर्दियों का


*गरमा गरम यादें*


आता जब मौसम सुहानी सर्दियों का।

झूमने लगता है मौसम सर्दियों का।


हर घड़ी ये जिद्द करता तुमसे मिलने की,

मचलने लगता है मौसम सर्दियों का।


लिपटतीं जब तुम्हारी गरमा-गरम यादें,

बहकने लगता है मौसम सर्दियों का।


जब महावट बन तुम्हारे ख्वाब घिर आते,

बरसने लगता है मौसम सर्दियों का।


कंपकंपाती उंगलियां से जब तुम्हें छूता,

बहकने लगता है मौसम सर्दियों का।


तुम्हारे आने की जब भी खबर मिलती है,

संवरने लगता है मौसम सर्दियों का।


आहटें आतीं तुम्हारी तुम नहीं आते,

सिसकने लगता है मौसम सर्दियों का।


गीत जो तुम पर लिखे है उन्हें सुन कर,

थिरकने लगता है मौसम सर्दियों का।


गीतकार - अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर

मनुष्यों के वर्ण भले ही अलग-अलग क्यों ना हों तथापि उन सभी की जातियां एक होती हैं- संतोष मिश्र

हिंदुओं की जाति और वर्ण व्यवस्था के विषय पर इंजी. संतोष कुमार मिश्र ' असाधु' द्वारा प्रस्तुत अभिनव शोध पत्र


जबलपुर

नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हिंदुत्व के विमर्श: चुनौतियां , समाधान और भविष्य के ज्वलंत मुद्दों पर श्री लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विशविद्यालय नई दिल्ली,हिंदू अध्ययन केद्र , दिल्ली यूनिवर्सिटी, विश्व संवाद केंद्र एवं  भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद ,नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 7 एवं 8 नवंबर 2025 को एक वृहद संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश-विदेश से लगभग 450 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए। इस परिप्रेक्ष्य में रामायण केंद्र जबलपुर इकाई के संयोजक एवं धर्म,आध्यात्म व दर्शन के क्षेत्र में देश-विदेश में तेजी से उभरते , प्रसिद्ध धार्मिक चिंतक इंजी. संतोष कुमार मिश्र 'असाधु ' जोकि वर्तमान में मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड जबलपुर में अधीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत हैं,के द्वारा हिंदुओं के मध्य जाति और वर्ण व्यवस्था के विषय पर एक बेहद महत्वपूर्ण शोधपत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें यह साफ़-साफ़ बताया गया कि जाति प्रथा वस्तुतः किसी व्यक्ति के कर्म आश्रित एक बाह्य पदवी मात्र है जबकि वर्ण व्यवस्था उसके आंतरिक आत्मिक-प्रकाश का विज्ञान है। आपको यह जानकर अत्यंत आश्चर्य होगा कि हमारे सनातन धर्म के प्राचीन धर्म-शास्त्रों के अनुसार मनुष्यों के मध्य में कोई जाति भेद कदापि नहीं होता है अपितु मनुष्य स्वयं में ही एक जाति है। स्कंदपुराण एवं मनुस्मृति का संदर्भ देते हुए श्री मिश्र जी ने बताया कि जन्म से सभी मनुष्य शूद्र वर्ण के होते हैं और संस्कार होने पर ही वे द्विज और उच्च वर्ण की स्थिति प्राप्त कर लेते हैं। वर्ण व्यवस्था वास्तव में ईश्वरकृत एक दोषरहित तथा अनादिकालीन ब्रह्मांडीय व्यवस्था है ,जिसके सृजनकर्ता और संरक्षक स्वयं ईश्वर होते हैं। यही मूल कारण है कि वर्ण व्यवस्था में न तो कोई छुआछूत होता है और ना ही कोई ऊंच या नीच, यह वस्तुतः व्यक्ति के गुण और कर्म के अनुरूप बनाई गई है। यह व्यवस्था ऋग्वेद के पुरुष सूक्तं में वर्णित एक विराट पुरुष के अखण्ड शरीर के विभिन्न भागों में व्याप्त आत्मिक चेतना की मात्रा जोकि उसके आभा मंडल के रूप में प्रतिबिंबित होती है, उसका ही आध्यात्मिक तौर पर संकेत किया गया है। हिन्दुओं के मध्य में अंधविश्वास, जातीय आधार पर छुआछूत और ऊंच-नीच जैसी दुष्प्रचारित बुराईयों को दूर कर उनकी एकता की दिशा में इस ज्वलंत विषय पर अपने शोधपत्र का प्रस्तुतीकरण किया गया जिसकी वहां काफी सराहना की गई । जन जागृति की दिशा में इस तरह के अभिनव कार्य करते हुए श्री मिश्र जी ने संस्कारधानी जबलपुर का नाम अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर पुनः गौरवान्वित किया है। 

         कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई देते हुए बताया कि इंजिनियर संतोष कुमार मिश्र ' असाधु ' अध्यात्म, धर्म, संस्कृति व साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।


प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री पी. यादव ‘ओज’ को मिला श्रेष्ठ बाल कहानीकार सम्मान-2025


बाल साहित्य की समृद्ध परंपरा को नई दिशा देने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकार,कवि और शिक्षाविद् श्री पी. यादव ‘ओज’ को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए श्रेष्ठ बाल कहानीकार सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया।यह सम्मान प्रिंस जी वेलफेयर ट्रस्ट,आगरा द्वारा प्रदान किया गया। श्री ओज ने अपनी रचनाओं के माध्यम से न केवल बच्चों के मनोविश्व को सशक्त किया है,बल्कि उनके भीतर नैतिकता, मानवता, संवेदना और सकारात्मकता के बीज भी रोपे हैं।उनकी कहानियाँ जैसे-आशा की किरण,कठिन राह,प्रायश्चित,समर्पण,सेवा का प्रसाद आज भी पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।साहित्यिक जगत में ‘ओज’ जी को यह सम्मान उनके सृजनात्मक दृष्टिकोण,सरल भाषा-शैली और जीवन-संबंधी यथार्थपरक प्रस्तुति के लिए दिया गया है।उनके लेखन में बाल मन की कल्पना के साथ-साथ समाज सुधार और चरित्र निर्माण का सशक्त संदेश निहित रहता है।यह सम्मान न केवल श्री पी. यादव ‘ओज’ के सृजनात्मक जीवन का गौरव है,बल्कि हिंदी बाल साहित्य की बढ़ती प्रतिष्ठा और दिशा का भी प्रतीक है।श्री पी. यादव ‘ओज’ का लेखन आने वाली पीढ़ियों के लिए नैतिक मूल्यों और सृजनात्मक ऊर्जा का अमिट स्रोत है।

            कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई देते हुए कहा कि पी यादव ' ओज' साहित्य के विकास व राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में जो काम कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है।

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