वेदस्मृति कृती को प्रदान किया गया हिंदी सेवी सम्मान


पुणे 

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने वेदस्मृति 'कृती' को हिंदी सेवी सम्मान प्रदान किया। हिंदी सेवी सम्मान सशक्त हस्ताक्षर संस्था जबलपुर संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी के संयोजन में दिया गया। वेदस्मृति 'कृती' प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा की सदस्य हैं और हिंदी को समृद्ध बनाने हेतु कार्य कर रही है। वेदस्मृति 'कृती' रचनात्मक कार्य कर रही है और विभिन्न संस्थाओं से जुड़ी हैं। साहित्य एवं शिक्षा जगत में उनकी सेवा भावना प्रेरणादायक है। 

वेदस्मृति 'कृती' को विभिन्न साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्थाओं ने अनेकों बार सम्मानित किया है। उनका लेखन साहित्य व समाज को नई दिशा देने में सक्षम है। उनका लेखन सामाजिक कुरीतियों, पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं आध्यात्मिक और आत्मिक विकास पर  केंद्रित होता है।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर 10 जुलाई 2025 को दिखाई देगा बक मून/ फुल मून 


(सुशी सक्सेना)

10 जुलाई को रात्रि के आसमान में चांद बड़ा और चमकीला भी दिखाई देगा। क्या होता है बक मून इस बाबत , वीर बहादुर सिंह ,नक्षत्र शाला ( तारामण्डल ) गोरखपुर के खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि जुलाई में होने वाले इस फुल मून/ पूर्णिमा को होने वाले पूर्ण चंद्र को खगोल विज्ञान भी भाषा में बक मून नाम दिया जाता इसको एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना जाता है जोकि प्राकृतिक चक्रों और उनके महत्व को दर्शाती है।

खगोल विद अमर पाल सिंह के अनुसार गुरुवार को बक मून क्षितिज पर काफी नीचा होने की वजह से उसका आकार भी काफी बड़ा नजर आएगा। वैसे तो यह बक मून 10 जुलाई की रात्रि को उदय होगा और पूरी रात्रि आकाश में अपनी छटा बिखेरता हुआ दिखाई देगा। लेकिन भारतीय समयानुसार 11 जुलाई की सुबह लगभग 2:08 am IST बजे यह अपने चरम बिंदु पर होगा। 

*कैसे पड़ा इसका नाम*

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि इस नाम के पीछे एक छोटी सी कहानी है। कि सुपरमून को बकमून क्यों कहा जाता हैं?  खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि असल में यह नाम नेटिव अमेरिकन है, बकमून इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पारंपरिक रूप से उत्तरी अमेरिका में नर हिरणों की सींगें पूरी तरह से उगने के समय से मेल खाता है,  इन सींगों को बक कहते हैं. जोकि कई बार गिरते और उगते रहते हैं लेकिन जुलाई माह में इनकी ग्रोथ पूरी होती है, इसलिए इसको बक मून कहते हैं, कुछ लोगों द्वारा इस पूर्णिमा को नवीनीकरण, नई शक्ति एवं दृढ़ संकल्प के प्रतीक के तौर पर भी देखा जाता है जो इसके सार्वभौमिक महत्व को भी प्रदर्शित करता है।

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि अलग-अलग संस्कृतियों में इसके अलग -अलग नाम दिए गए हैं इस बक मून को अलग-अलग संस्कृतियों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है,भारत में यह पूर्णिमा गुरु शिष्य परंपरा के अटूट रिश्ते को प्रदर्शित करती है ,इसीलिए यह गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। वहीं अमेरिका में कुछ जनजातियां इसे जुलाई में आने वाले बड़े तूफानों से जोड़कर भी देखती हैं, इसलिए इसे थंडर मून भी कहा जाता है, कुछ अन्य लोगों द्वारा इसे सैल्मन मून, रास्पबेरी मून, क्लेमिंग मून, वाइर्ट मून, हर्ब मून और मीड मून के नाम से भी जाना जाता है और हमें यह भी पता चलता है कि यह नाम अमेरिका की एक पत्रिका ओल्ड फार्मर्स अल्मनैक के अनुसार इस शब्द की उत्पत्ति संभवतः अमेरिकन जनजातियों के एक समूह से ही हुई मानी जाती है। वैसे इस बक  मून को  घास की कटाई के बाद एंग्लो सैक्सन इसी मून को  'हे मून'  कहते थे, और इसीलिए इसका 'थंडर मून' नाम जुलाई में आने वाले तूफानों की एक बृहद निशानी भी माना जाता था।

*कहां और कैसे देखें बक मून को*

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि बकमून को देखने के लिए जरूरी है कि रात्रि का आसमान साफ हो, बादल या कोहरा एवम् प्रकाश प्रदूषण न हो, देखने के लिए बेहतर होगा कि किसी साफ़ स्वच्छ और कम रोशनी वाले स्थान पर जाया जाए। वैसे आप इसको अपनी साधारण आंखों से ही देख सकते हैं और इसको देखने के लिए किसी भी ख़ास उपकरणों की आवश्यकता नहीं है, यह खगोलीय घटना कई देशों के साथ ही सम्पूर्ण भारत में प्रत्येक जगह से दिखाई देगी, आप सीधे तौर से अपने घरों से ही इस खगोलीय घटना का लुत्फ़ उठा सकते हैं,

*अमर पाल सिंह,( खगोलविद), नक्षत्र शाला,(तारामण्डल) गोरखपुर उत्तर प्रदेश, भारत*

प्रलेस संघ म.प्र. राज्य सचिव मंडल की साहित्यकार कवि आरती जनकवि सरोज सम्मान से होगीं सम्मानित


अनूपपुर

प्रगतिशील लेखक संघ के शहडोल संभागीय अध्यक्ष विजेंद्र सोनी एडवोकेट ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि प्रगतिशील लेखक संघ मध्य प्रदेश राज्य सचिव मंडल की वरिष्ठ साहित्यकार कवि आरती को जनकवि सरोज सम्मान से 2025 से अभिनंदित होंगी। वर्ष 2025 के जनकवि मुकुट बिहारी सरोज सम्मान से कवि, लेखक और सम्पादक आरती को अभिनंदित किया जाएगा। यह जानकारी  जनकवि मुकुट बिहारी सरोज स्मृति न्यास के अध्यक्ष महेश कटारे 'सुगम' तथा सचिव  मान्यता सरोज ने दी है।

विन्ध्य के एतिहासिक कस्बे गोविंदगढ़ में जन्मी और रीवा में पढ़ी लिखी आरती समकाल की महत्वपूर्ण तथा उल्लेखनीय कवि तथा साहित्यकर्मी हैँ।  उनके कविता संग्रह "मायालोक से बाहर" 2014 में "रचना समय" में और "मूक बिम्बों से बाहर" अभी हाल ही में "राधाकृष्ण प्रकाशन" से प्रकाशित हुए हैं ।  वे  "समय के साखी" साहित्यिक पत्रिका का 2008 से निरंतर संपादन  कर रही हैं और केदारनाथ अग्रवाल, नागार्जुन, भवानी प्रसाद मिश्र, डॉ रामविलास शर्मा, फिदेल कास्त्रो, रविंद्रनाथ टैगोर, लेव तोलस्तोय व रसूल हमजातोव की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक मेरा दागिस्तान पर संग्रहणीय  विशेषांकों का संपादन कर चुकी हैं । इनके अलावा साहित्य भंडार से प्रकाशित 'नरेश सक्सेना का व्यक्तित्व एवं कृतित्व पुस्तक ,  2000 के बाद की कविताओं का संकलन तथा का संपादन और "राजपाल एंड सन्स" से  "इस सदी के सामने" नाम से प्रकाशित हो चुका है । मणिपुरी पर केंद्रित यात्रा संस्मरण "मणिपुर डायरी" प्रकाशनाधीन। आरती साहित्य-समाज के जरूरी पहलुओं पर लेखन और प्रकाशन से जुड़ी हैं।

देश के प्रमुख साहित्य सम्मानों में से एक जनकवि मुकुट बिहारी सरोज सम्मान सम्मान एक ऐसा सम्मान है जिसे पिछले 22 वर्षों से  किसी मठ, प्रतिष्ठान,  व्यावसायिक संस्थान या सरकार के सहयोग के बिना सरोज जी के प्रशंसकों तथा ग्वालियर के सजग  साहित्यिक सामाजिक समुदाय  द्वारा बिना किसी विराम के लगातार दिया जा रहा है । हिंदी के अलावा यह सम्मान अब तक उर्दू, संथाली, बुन्देली, अंग्रेजी, ओरांव, असमिया भाषा के कवियों को दिया जा चुका है । न्यास की विज्ञप्ति के अनुसार सुश्री आरती को दिया जाने वाला यह 21वां सरोज सम्मान है तथा इससे सम्मानित होने वाले वे 22वीं कवि हैं।

रसोई की खुशबू व दादी-नानी के व्यंजन घरेलू नुस्खों की अनमोल विरासत, सब की सहेली


अनुपमा (सब की सहेली) 

छठा अंक -  व्यंजन एवं घरेलू नुस्खे विशेषांक

अनुपमा (सब की सहेली) पत्रिका का छठा अंक व्यंजन एवं घरेलू नुस्खे विशेषांक का सफल प्रकाशन किया गया। जैसा की छठे अंक  विशेषांक का उद्देश्य था उसी के अनुरूप अपने सृजन के माध्यम से इस अंक में रसोई की खुशबू और दादी-नानी के घरेलू नुस्खों की अनमोल विरासत समर्पित है। यह विशेषांक केवल स्वाद और स्वास्थ्य का संगम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत दस्तावेज है। इस विशेषांक के माध्यम से हम आपके लिए लाए हैं ऐसे व्यंजन, जो सिर्फ स्वाद से ही नहीं, अपितु पोषण से भी भरपूर हैं। साथ ही, हमनें संजोए हैं कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे, जो पीढ़ियों से आजमाए जाते रहे हैं और आज भी आधुनिक चिकित्सा के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। आशा है कि यह विशेषांक आपके जीवन में स्वाद, स्वास्थ्य और स्नेह की मिठास घोलने में सहायक सिद्ध होगा।

व्यंजन एवं घरेलू नुस्खे विशेषांक पर आधारित अनुपमा (सब की सहेली) पत्रिका का यह अंक एक अद्वितीय और आकर्षक प्रकाशन है। यह अंक सभी के लिए उपयोगी है, बल्कि आम पाठकों के लिए भी बेहद रुचिकर और जानकारी पूर्ण है। अनुपमा एक ऐसी पत्रिका है जिसमें नये पुराने छोटे बड़े सभी तरह के कलाकारों को अपनी लेखनी चलाने का अवसर प्रदान किया जाता है और उन्हें सम्मान पत्र से सम्मानित किया जाता है।

सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने उमा सुहाने को दिया हिंदी रत्न सम्मान


जबलपुर

हिंदी के प्रचार-प्रसार व हिंदी साहित्य की सेवा में लगे कवि कवयित्रियों को निरंतर सम्मानित किया जा रहा है और इसी क्रम में गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर संस्था व कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने उमा सुहाने रायपुर को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया है।

उमा गोविंद सुहाने भगवती कला केन्द्र की संचालिका है व हिंदी लेखिका संघ, वैश्य महासभा, गहोई समाज से जुड़ी हैं। इन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड व वर्ल्ड वाइड रिकार्ड सम्मान प्राप्त हुआ है। अंतरा शब्द शक्ति, अंतरा गौरव, शब्द कोविद, दिव्य रश्मि कला साहित्य मणि अलंकरण, प्रसंग अलंकरण सहित अन्य विभिन्न संस्थाओं से सम्मान पत्र मिले हैं।

कवि संगम त्रिपाठी ने  जारी विज्ञप्ति में देश के हिंदी प्रेमियों से आव्हान किया है कि 13.09.2025 व 14.09.2025 को दिल्ली में आयोजित हिंदी अधिवेशन व हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान में साहित्यकार पत्रकार व समाज सेवी सहयोग प्रदान करें।

डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड को मिला हिंदी रत्न सम्मान


जबलपुर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी के प्रचार-प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रहे मनीषियों को सम्मानित कर रही है और इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा अभियान को गतिशील बनाए रखना है। इसी तारतम्य में सशक्त हस्ताक्षर संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी के सहयोग से डाॅ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया गया।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि डॉ रामप्रवेश पंडित साहित्य की धारा से जुड़े हैं। इनकी रचनाएं जनसंदेश का काम कर रही है। डॉ रामप्रवेश पंडित विभिन्न संस्थाओं से जुड़े हैं और सामाजिक सांस्कृतिक व शैक्षणिक कार्य में निरंतर प्रेरणादायक कार्य कर रहे है।

डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड के स्थापित गीतकार हैं। इनकी वाणी वंदना किताब चर्चित कृति है। 14 सितंबर 2024 को इन्होंने प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय सम्मेलन व जंतर-मंतर में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु प्रदर्शित सभा में शामिल हुए थे। डॉ रामप्रवेश पंडित जी का हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा के प्रति समर्पण भाव अवर्णनीय है।

 डॉ मनोरमा गुप्ता ' बांसुरी' को मिला हिंदी रत्न सम्मान 


जबलपुर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी के प्रचार-प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रहे कवियों , कवयित्रियों व हिंदी प्रेमियों को सम्मानित कर रही है और इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा अभियान को गतिशील बनाए रखना है। इसी तारतम्य में सशक्त हस्ताक्षर संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी के सहयोग से डाॅ मनोरमा गुप्ता ' बांसुरी ' को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया गया।

डॉ मनोरमा गुप्ता ' बांसुरी ' जबलपुर साहित्य की धारा से जुड़ी हैं और हिंदी प्रचार प्रसार में सलंग्न है। इनकी रचनाएं जनसंदेश का काम कर रही है। डॉ मनोरमा गुप्ता ' बांसुरी ' विभिन्न संस्थाओं से जुड़ी हैं और सामाजिक सांस्कृतिक व शैक्षणिक कार्य में निरंतर सहयोग प्रदान कर रही है। अब तक इनकी चार साझा संग्रह प्रकाशित हो चुकी है और हिंदी प्रचार प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रही है।

कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने हिंदी प्रेमियों से आव्हान किया है कि हिंदी प्रचार प्रसार में सहयोग प्रदान करें और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान में शामिल हो।

पद्मश्री कवि सुरेन्द्र शर्मा के निधन पर प्रेरणा ने दी श्रद्धांजलि


जबलपुर

दुर्ग के बेमेतरा छत्तीसगढ़ में जन्मे आदरणीय सुरेन्द्र दुबे जी जो कामिक कविताओं के व्यंग्यवादी लेखक,कुशल वक्ता  जिनको लोगों को हँसाने में महारत हासिल थी। जो पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। आप अत्यंत मृदु भाषी और सरल, सज्जन व्यक्ति थे। आपको 2008 में काका हाथरसी रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया और आपके द्वारा  साहित्य के क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए 2010 में भारत का चौथा सर्वोच्च पुरस्कार पद्मश्री से आपको सम्मानित किया गया। आपकी रचनाएं आजीवन लोगों को हँसातीं रहीं पर आज आप जाते- जाते सबको रुला गए। आपके जाने से हिंदी साहित्य जगत को जो नुकसान हुआ है उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता है। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आपको अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को यह असहनीय दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।

पद्म श्री सुरेन्द्र शर्मा वरिष्ठ कवि के असामायिक निधन पर कवि संगम त्रिपाठी, डॉ मुकुल तिवारी, तरुणा खरे 'तनु', प्रीति नामदेव ' भूमिजा ' , इंद्रजीत सिंह राजपूत, संध्या शुक्ला, गुलजारी लाल जैन, विजय शंकर पाण्डेय, पवनेश मिश्रा, उमा सुहाने, पप्पू सोनी, रामगोपाल फरक्या, दुर्वा दुर्गेश वारिक, हरिश परमार,  सन्द्रा लोटवान, गोवर्धन दास, डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र 'आदित्य', सुरेन्द्र दुबे वरिष्ठ पत्रकार , हरिश परमार, मंजू अशोक राजाभोज ने श्रद्धांजलि दी।

राजेश सोनार ने कवि संगम त्रिपाठी को अपनी किताब भेंट की


बिलासपुर 

राजेश कुमार सोनार ने अपनी किताब अनुभूतियों के स्वर कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा को भेंट की। राजेश कुमार सोनार बिलासपुर छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध गीतकार हैं।  उनकी रचनाएं समाचार पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है व साझा संकलन में अभी तक पच्चीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। राजेश कुमार सोनार बिलासपुर के विभिन्न संस्थाओं से जुड़े हैं व निरंतर साहित्य साधना कर रहे हैं। अनुभूतियों के स्वर किताब में राजेश कुमार सोनार ने समसामयिक विषयों पर रचनाओं को संचित किया है। उनकी यह कृति जनमानस में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में कामयाब होगी ऐसी आशा है।

संकेत साहित्य समिति की काव्य फुहार व सम्मान समारोह संपन्न, किया गया सम्मान


बिलासपुर

संकेत साहित्य समिति बिलासपुर छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में दिनांक 24 जून 2025 को राजकिशोर नगर में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। काव्य गोष्ठी में मुख्य अतिथि कवि संगम त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि गोपाल चंद्र मुखर्जी व कार्यक्रम अध्यक्ष अमृत लाल पाठक रहे।

अतिथियों व कविओं ने सरस्वती पूजन किया। सभी अतिथियों व कविओं का स्वागत राकेश खरे अध्यक्ष संकेत साहित्य समिति ने किया। काव्य गोष्ठी में नरेन्द्र कुमार शुक्ला ' अविचल ' , मुरली धर गोंडने ' नीर' , दिनेश्वर राव जाधव, अमृत लाल पाठक, विजय तिवारी, गोपाल चंद्र मुखर्जी, राकेश कुमार खरे, कवि संगम त्रिपाठी राजेश सोनार, राजकुमार द्विवेदी ' बिंब , डॉ शिवशरण श्रीवास्तव ' अमल ' , जगतारन डटरे , अंजनी कुमार तिवारी ' सुधाकर ' व वंदना खरे ने काव्य पाठ किया।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने वरिष्ठ साहित्यकार, समाजसेवी, काव्य मनीषी विजय तिवारी सचिव भारतेन्दु साहित्य संस्था को हिंदी सेवी सम्मान प्रदान किया। अंजनी कुमार तिवारी ' सुधाकर ' के संचालन में कवियों व कवयित्री ने काव्य की फुहार की। वर्षा ऋतु के फुहार के संग काव्य फुहार यादगार बन गया। आभार राकेश कुमार खरे ने अपने अंदाज में दिया व उपस्थित जनों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी।

रामायण केन्द्र का शुभारंभ व शोधपरक पुस्तक विवादित पन्ने का हुआ विमोचन


जबलपुर -    

रामायण केंद्र ,जबलपुर इकाई द्वारा " कला वीथिका" में एक वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से भगवान श्रीराम के आदर्शो एवं आचरण को समाज के कोने-कोने तक पहुंचाने का दायित्व रामायण केंद्र द्वारा लिया गया। इस कार्यक्रम में इंजी. संतोष मिश्र "असाधु" द्वारा रामायण से संबंधित लिखित शोधपरक पुस्तक "विवादित पन्ने" का विमोचन भी विशेष रूप से आकर्षण का केन्द्र रहा । जबलपुर शहर में शुभारंभ होने वाले रामायण केंद्र,जबलपुर इकाई के महत्वाकांक्षी योजनाओं के परिप्रेक्ष्य में डॉ विजेंद्र उपाध्याय जिला अध्यक्ष द्वारा प्रकाश डाला गया। इस कार्यक्रम में महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद जी की विशेष उपस्थिति एवं संबोधन ने इसे और अधिक आकर्षक बना दिया। मुख्य अतिथि के रुप में जगत बहादुर सिंह अन्नू, महापौर जबलपुर पूरे समय तक कार्यक्रम में पूरी सक्रियता से उपस्थित रहें। इस इकाई के शुभारंभ हेतु रामायण केंद्र भोपाल के निदेशक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजेश श्रीवास्तव जी का नगर आगमन हुआ । उनके साथ अरुण गुप्ता भी, अध्यक्ष भोपाल केंद्र इकाई द्वारा उनके स्तर से भोपाल में संचालित किए जा रहे गतिविधियों के बारे में अवगत कराया। महामहोपाध्याय हरिशंकर दुबे ने कहा जिसमें राम का वास है वो रामायण है। राजेश श्रीवास्तव ने कहा  रामचरितमानस एवं रामायण में एक और अंतर है, रामचरितमानस एक सरोवर है और रामायण एक मंदिर। हमें मंदिर में जाने से पूर्व सरोवर में स्नान करना चाहिए।मुख्य अतिथि के रुप में जगत बहादुर सिंह अन्नू, महापौर ने कहा मनुष्य के तौर पर आप पैदा हुए और श्रीराम के सानिध्य में रहे ,इस से बढ़कर कुछ नही हो सकता। महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि आध्यात्मिक दृष्टि से काम करना हो तो रामचरितमानस अवश्य पढ़ना चाहिए। तंत्र ,मंत्र और यन्त्र नयी पीढी तक पहुंचना चाहिए। अंत में अल्का श्रीवास्तव ने बच्चों व युवा पीढ़ी को रामायण केंद्र से जुड़ने कि बात की गई और अपना अनुभव साँझा किया। राजेश पाठक 'प्रवीण ' ने पूरे कार्यक्रम का संचालन सफलता पूर्वक किया और डॉ. नेहा शाक्य  कार्यक्रम में सबके प्रति आभार व्यक्त किया । इस कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि इसे यू ट्यूब चैनल में लाइव प्रसारित किया गया जिसे 500 से अधिक लोगों ने देखा। रामायण केन्द्र  शुभारंभ के सफल आयोजन हेतु कवि संगम त्रिपाठी ने बधाई दी है।

21 जून समर सोल्स्टिस यानी 'गर्मी का सबसे लंबा दिन, आखिर क्यू होता है सबसे लंबा दिन


*सुशी सक्सेना*

प्रत्येक वर्ष की तरह, वर्ष 2025 में भी समर सोल्स्टिस यानी 'गर्मी का सबसे लंबा दिन' जून महीने में आएगा। इस दिन सूरज सबसे ज्यादा देर तक आकाश में दिखाई देगा और रात भी सबसे छोटी होगी। यह घटना सिर्फ उत्तरी गोलार्ध (नॉर्दर्न हेमिस्फियर) में होती है, यह खगोलीय घटना 21 जून, 2025  को भारत में  सुबह 8:12 बजे होगी। 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता है, और इसके बाद धीरे धीरे दिन छोटे होते जाते हैं, और रातों की लम्बाई बढ़ती जाती है।

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि दुनियाभर की कई संस्कृतियों में समर सोल्स्टिस को उत्सव और रिवाजों के रूप में भी मनाया जाता है। कुछ लोगों द्वारा इसे प्रकाश, एवं उन्नति और जीवन के एक प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इस खगोलीय घटना को समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म संक्रान्ति कहा जाता है, जो कि जून में घटित होती है, यह पृथ्वी की गतियों के कारण कभी कभी 20 या 21 जून को पड़ता है इस बार यह 21 जून को होगा,जिस कारण से खास कर के उत्तरी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों में निवास करने वाले लोगों के लिए यह दिन सबसे लम्बा दिन होता है, और दक्षिणी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों के लिए सबसे छोटा दिन भी होता है, समर सोल्स्टिस के बाद सूरज की दिशा धीरे-धीरे दक्षिण की ओर झुकने लगती है और दिन छोटे होते चले जाते हैं। दिसंबर में जब विंटर सोल्स्टिस आता है, तब दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होती है।

*क्यों होता है ऐसा*

खगोलविद अमर पाल ने बताया कि हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है, और इस झुकाब के साथ ही सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण भी करती है, सूर्य का एक संपूर्ण चक्कर लगाने में लगने वाले समय को हम एक बर्ष कहते हैं, जो कि साधारणतया 365 दिनों में या लीप वर्ष होने पर 366 दिनों में पूर्ण होता है, इस वार्षिक गति के दौरान कभी पृथ्वी सूर्य से दूर तो कभी पास से गुजरती है, जैसा कि हम जानते हैं कि पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगाने वाला पथ  दीर्घब्रत्ताकार ( एलिप्टिकल) या अण्डाकार जैसा है, जिस कारण से पृथ्वी को सूर्य के पास और सूर्य से दूर से होके गुजरना पड़ता है, इस दौरान पृथ्वी को अपने अक्ष पर घूमते हुए सूर्य का चक्कर भी लगाना पड़ता है इसी दौरान जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के ट्रॉपिक ऑफ कैंसर ( कर्क रेखा) पर लगभग सीधी पड़ती हैं उसी कारण पृथ्वी के कुछ हिस्सों में दिन की अवधि में भी बढ़ोत्तरी होती है, जिस कारण से ख़ासकर के उत्तरी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों में 21 जून का दिन सबसे बड़ा दिन होता है, इसकी वजह से भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित जगहों जैसे उत्तरी अमेरिका, यूरोप, रूस, एशिया और आधा अफ्रीका महाद्वीप में आने वाले कई देशों में सबसे लंबा दिन देखने को मिलता है। खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि इस खगोलीय घटना के बाद से यानी 21 जून के बाद से सूर्य दक्षिण की ओर बढ़ने लगेगा। इसे सूर्य का दक्षिणायन होना माना जाता है। इस तारीख के बाद से दिन छोटे होने लगेंगे और रातें लंबी होनी शुरू हो जाएंगी। 21 सितंबर आते-आते दिन और रात एक बराबर हो जाते हैं।

*क्या होता है समर सॉलिसटाईस*

 खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि सॉलिस्टीस मूलतः लैटिन भाषा से लिया गया शब्द है, जो कि दो प्रमुख शब्दों से मिलकर बना हुआ है,सोल मतलब होता है सूर्य और स्टाइस मतलब होता है इस्थिर रहना, जिसका अर्थ  हुआ कि सूर्य का इस्थर सा होना, इस कारण से इसे ही नाम दिया गया है समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म संक्रान्ति, जो कि एक महत्त्वपूर्ण खगोलीय घटना होती है, इस दौरान पृथ्वी का अक्ष सूर्य की तरफ़ ज्यादा झुका होता है, जिस कारण से पृथ्वी का एक गोलार्ध सीधे सूर्य की ज्यादा रोशनी प्राप्त करता है, जिस दिन यह अपने चरम पर होता है, इसे ही खगोल विज्ञान की भाषा में ग्रीष्म संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है , इस दौरान दिन की अवधि लगभग 13 घण्टे तक होती है। 

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि ग्रीष्म कालीन संक्रांति को गौर से देखें तो हम पाते हैं कि प्राचीन कालीन संस्कृतियों में कुछ विशेष खगोलीय जानकारी रखने वाले खगोलशास्त्रियों को भी पता था कि आकाश में सूर्य का पथ, दिन की लंबाई तथा सूर्योदय और सूर्यास्त का स्थान, सम्पूर्ण वर्ष भर नियमित रूप से बदलते रहते हैं। मुख्यतः इन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने सूर्य की वार्षिक प्रगति का अनुसरण करने के लिए इंग्लैंड में स्टोनहेंज और पेरू में माचू पिच्चू जैसे कुछ और भी विशेष स्मारकों का निर्माण किया था।

आज हम जानते हैं कि संक्रांति पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुकाव तथा सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने के कारण होती है। खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि कुछ व्यक्तियों का प्रशन हो सकता है कि हमारी पृथ्वी का सूर्य से दूरी के कारण ऐसा होना चाहिए। तो बता दें कि यह पृथ्वी का झुकाव है जिसके कारण ऐसा होता है,न कि सूर्य से हमारी पृथ्वी की दूरी , जो सर्दी और गर्मी का कारण बनती है। हक़ीक़त में, पृथ्वी सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्तीय पथ पर घूमते हुए जनवरी में सूर्य के सबसे करीब होती है, और जुलाई में, उत्तरी गोलार्ध की गर्मियों के दौरान सूर्य से सबसे दूर होती है। 

*खगोल विद, अमर पाल सिंह, नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत*

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने डॉ शरद कुमार शर्मा को किया सम्मानित 


जबलपुर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी के संयोजन में सशक्त हस्ताक्षर संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी ने डॉ शरद कुमार शर्मा मुरैना को सम्मानित किया। डॉ वीरेन्द्र कुमार शर्मा को उनके हिंदी सेवा के लिए हिंदी रत्न सम्मान दिया गया है।

डॉ. शरद कुमार शर्मा ग्राम बड़मन तहसील कैलारस जिला मुरैना मध्य प्रदेश के निवासी हैं। आपके पिता प्रभाकर शर्मा और माता माया देवी शर्मा हैं। आपने अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी रीवा से एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई की है एवं गजरा राजा मेडिकल कॉलेज से एम . एस. की पढ़ाई कर कोलोरेक्टल सर्जरी में 2 इंटरनेशनल फैलोशिप की है। आप 20 वर्षों से लिख रहे हैं। आप थीसिस बुक एवं 6 रिसर्च पेपर लिख चुके हैं जो की इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित हो चुके हैं। आप पेशे से एक सर्जन डॉक्टर एवं लेजर द्वारा बवासीर भगंदर रोग विशेषज्ञ हैं। इनका मानना है कि आप कलम से भारत की सनातन संस्कृति का अखिल विश्व मैं परचम लहरा सकते हैं। आप वीर रस एवं हास्य विधा में लिखते हैं। आप सैकड़ों कवि सम्मेलनों में भाग ले चुके हैं और मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस एवं अपने जन्म दिवस के अवसर पर पांच अखिल भारतीय कवि सम्मेलन करवा चुके हैं आप हिंदी साहित्य सेवा समिति एवं हिंदी प्रचारिणी समिति से जुड़े हुए हैं अब तक पांच साझा संकलन और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपको कई सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

भारत विकास परिषद की प्रांतीय कार्यशाला दायित्व ग्रहण के साथ होटल स्टार में सम्पन्न

*दायित्व उसी को देना चाहिए जिसमें दायित्व को निर्वहन करने की क्षमता हो* 


रीवा

भारत विकास परिषद विन्ध्य प्रान्त की प्रांतीय परिषद की कार्यशाला एवं दायित्व ग्रहण का कार्यक्रम स्थानीय ‘‘होटल स्टार‘‘ में रीजनल अंकेक्षक सी.ए. सत्यम केशरवानी के मुख्य आतिथ्य में तथा प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप प्रान्तीय संरक्षक राकेश अग्रवाल, प्रान्तीय सलाहकार प्रो0 बी.पी. सूरी तथा पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष मेघा पवार उपस्थित रही। कार्यशाला का संचालन प्रांतीय महासचिव योगेश जैन  एवं रीवा शाखा सचिव राजेन्द्र ताम्रकार ने किया। कार्यशाला का शुभारंभ आमंत्रित अतिथियों द्वारा भारत माता एवं स्वामी विवेकानन्द के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं पुष्प अर्पण कर हुआ तत्पश्चात् सामूहिक वन्देमातरम का गायन हुआ। इसके पश्चात् अतिथियों का तिलक लगाकर एवं श्रीफल भेट कर स्वागत किया गया । तथा स्वागत उद्बोधन शाखा अध्यक्ष कमल सूरी ने दिया। कार्यशाला के प्रथम सत्र् में रीजनल अंकेक्षक सी.ए. सत्यम केशरवानी ने भारत विकास परिषद विध्यप्रांत 2025-26 की कार्यकारिणी को दायित्व ग्रहण कराते हुए संगठन के प्रति निष्ठापूर्वक कार्य करने की शपथ दिलाई।

कार्यशाला के द्वितीय सत्र् में प्रांतीय संरक्षक राकेश अग्रवाल ने विन्ध्य प्रांत की नवीनतम कार्यकारिणी को शुभकामनायें देते हुए कहा कि- दायित्व उसी को देना चाहिए जिसमें दायित्व को निर्वहन करने की क्षमता हो तथा दायित्व ग्रहणकर्ता को भी चाहिए यदि दायित्व उसके अनुकूल नही है तो उसे पूर्णरूप से मनः स्थिति बनाकर ग्रहण नहीं करना चाहिए। ताकि उचित व्यक्ति को दायित्व मिले  और वह संगठन के प्रति निष्ठा से कार्य कर सके।

प्रांतीय सलाहकार प्रो0 बी0पी0 सूरी ने कहा कि- कोई भी संगठन बिना जनता के सहयोग के नही चलता जिसके लिए सतत् सम्पर्क की आवश्यकता होती है भारत विकास परिषद के पॉच सूत्रों में प्रथम सूत्र सम्पर्क है इसलिए सदस्यो नगर के गणमान्य नागरिकों, चिकित्सकों, शिक्षाविदों, प्रशासनिक एवं वरिष्ठ व्यक्तियों के सतत् सम्पर्क में रहकर संगठन के विकास के लिए कार्य करना चाहिए। रीजनल अंकेक्षक सी.ए. सत्यम केशरवानी ने प्रांन्त एवं शाखाओं लेन-देन के लिए रखे जाने वाले लेखा पत्रों के रख-रखाव की जानकारी प्रदान की तथा प्रतिवर्ष शाखाओ को आडिट रिपोर्ट तैयार करने और बैंक खातों के लेन-देन की जानकारी प्रदान की।

प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र तिवारी ने  सोशल मीडिया के माध्यम से संदेशों की आदान प्रदान की जानकारी प्रदान करते हुए शाखाओं द्वारा  वर्ष भर किये जाने वाले कार्यो के संबंध में जानकारी प्रदान की।  कार्यशाला में प्रांतीय उपाध्यक्ष आलोक टिकरिया ने पालको के प्रवास एवं दायित्व पर प्रकाश डाला तथा प्रातीय उपाध्यक्ष  गोपाल दूत ने शाखा विस्तार एवं दृढीकरण , प्रांतीय संस्कार संयोजक सुरेश विश्नोई ने संस्कार प्रकल्प में, प्रांतीय सम्पर्क संयोजक प्रदीप जैन ने सम्पर्क प्रकल्प में, प्रांतीय सेवा संयोजक उज्जवल पवार ने सेवा प्रकल्प में,  प्रांतीय पर्यावरण संयोजक संजय गुप्ता ने  पर्यावरण प्रकल्प में तथा प्रातीय महिला सहभागिता संयोजक अनुराधा श्रीवास्तव ने महिला सहभागिता प्रकल्प में तथा  प्रांतीय वित्त सचिव आलोक खोडियार ने  ए.पी.ओ, पेनकार्ड, सदस्यता शुल्क एफ्लेशन शुल्क एवं बी.व्ही.पी. एप के बारे में जानकारी प्रदान की। कार्यशाला के अंत में जिज्ञासा समाधान का सत्र् रखा गया  तथा कार्यक्रम संयोजक राजेन्द्र सिंह बघेल ने सभी आमंत्रित अतिथियों, प्रातीय पदाधिकारियों, एवं उपस्थित शाखाओं के पदाधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यशाला में मुख्य रूप से छतरपुर से अध्यक्ष अनुपम टिकरिया, सचिव उमेश लालवानी, कोषाध्यक्ष रामनारायण अग्रवाल, सेवा प्रमुख राजीव रूसिया, कटनी से प्रांतीय समग्र ग्राम विकास प्रमुख प्रमोद त्रिसोलिया, संयोजक सेवा प्रकोष्ठ धन्य कुमार गांधी, कोषाध्यक्ष मनीष गेलानी, पन्ना से संरक्षक डॉ. दुर्गा त्रिपाठी, अध्यक्ष कैलाश सोनी, उपाध्यक्ष डॉ. निशा जैन, महिला प्रमुख निधि राय, संस्कार प्रमुख अजय राय, मऊगंज से संस्कार प्रमुूख नृपेन्द्र सिंह, सिंगरौली से प्रांतीय संयोजक  गुरूवन्दन छात्र अभिनन्दन डॉ. ओ0पी0 राय,  प्रांतीय स्वास्थ्य शिविर एवं रक्तदान प्रमुख मिथिलेश मिश्रा, सचिव राजेन्द्र त्रिपाठी, सीधी से सचिव उत्कर्ष गुप्ता, महिला प्रमुख रचना मिश्रा, संस्कार प्रमुख नीति केशरवानी, सम्पर्क प्रमुख रामजी शुूक्ला, सेवा प्रमुख विक्रम शर्मा, अनूपपुर से राजकिशोर तिवारी अध्यक्ष, सचिव आनन्द पाण्डेय, शहडोल मुख्य शाखा से  प्रांतीय संयोजक स्थापना प्रदीप गुप्ता,  अध्यक्ष शैलेष ताम्रकार , सचिव डॉ. प्रशांत खरिया,  शहडोल स्वामी विवेकानन्द शाखा से  अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव, श्रृजा गुप्ता, शक्ति जौहरी नीति सिंघल, सतना शाखा से  प्रांतीय संयोजक जयन्ती एवं त्योहार बलराम गुप्ता, अध्यक्ष विजय गुप्ता, श्रेया ताम्रकार, सोनिया खण्डेलवाल,  अनमोल केशरवानी, डॉ. अमित अग्निहोत्री, रीवा  शाखा से उपाध्यक्ष अतुल जैन, दीपचन्द्र विश्वकर्मा, कोषाध्यक्ष दलवीर द्विवेदी, संस्कार प्रमुख ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह,डॉ. लोकेश त्रिपाठी, महिला प्रमुख रेखा चित्रांशी, अंजना सूरी, अखिलेश गुप्ता, ज्ञानेन्द्र पाठक, सिद्धार्थ श्रीवास्तव, गीतू खन्ना,  सोनल सूरी, गायत्री सिंह सेंगर, वन्दना पटेल, कौशलेश तिवारी रामू, अनुपमा सिंह, शशि चढ्डा आशीष पाठक, सुनील गुप्ता, सहित अन्य सदस्यगण उपस्थित रहे।

हिंदी प्रेमी डॉ आचार्य धनंजय पाठक हुए सम्मानित 


जबलपुर 

हिंदी के प्रचार-प्रसार व हिंदी साहित्य की सेवा में लगे कवि कवयित्रियों को निरंतर सम्मानित किया जा रहा है और इसी क्रम में गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर संस्था व कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने डॉ आचार्य धनंजय पाठक डाल्टनगंज पलामू झारखण्ड को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया है। कवि संगम त्रिपाठी ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि हिंदी प्रचारकों व हिंदी प्रेमियों को सम्मानित करना हमारा कर्तव्य है और इसे हम निरंतर जारी रखेंगे। हिंदी के प्रचार-प्रसार में जो भी व्यक्ति अपना योगदान देना चाहते हैं वे संपर्क स्थापित कर सकते है।

मदन मोहन पाण्डेय शिक्षाविद् को हिंदी रत्न सम्मान मिला 


जबलपुर 

हिंदी के प्रचार-प्रसार व हिंदी साहित्य की सेवा में लगे कवि कवयित्रियों को निरंतर सम्मानित किया जा रहा है और इसी क्रम में गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर संस्था व कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने मदन मोहन पाण्डेय शिक्षाविद् कुशीनगर उत्तर प्रदेश को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया है।

मदन मोहन पाण्डेय सेवानिवृत्त प्राचार्य कुशीनगर की पन्द्रह साझा संग्रह एवं पांच एकल संग्रह प्रकाशित है। मदन मोहन पाण्डेय की कविताएं कहानी व लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। कवि संगम त्रिपाठी ने जारी विज्ञप्ति में देश के हिंदी प्रेमियों से आव्हान किया है कि 13.09.2025 व 14.09.2025 को दिल्ली में हिंदी अधिवेशन व प्रदर्शन में शामिल हो।

हिंदी प्रचारिणी सभा ने डॉ जया सुभाष बागुल को दिया हिंदी रत्न सम्मान


जबलपुर

हिंदी के प्रचार-प्रसार व हिंदी साहित्य की सेवा में लगे कवि कवयित्रियों को निरंतर सम्मानित किया जा रहा है और इसी क्रम में गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर संस्था व कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने डॉ जया सुभाष बागुल जालना को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया है।

डॉ जया सुभाष बागुल जालना महाराष्ट्र डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के छत्रपति संभाजी नगर संचालित माडेल कालेज घनसावंगी में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत है। डॉ जया सुभाष बागुल हिंदी लेखिका हैं व हिंदी प्रचार प्रसार हेतु कार्य कर रही है।

कवि संगम त्रिपाठी ने दिनांक 06.06.2025 को जारी विज्ञप्ति में देश के हिंदी प्रेमियों से आव्हान किया है कि 13.09.2025 व 14.09.2025 को दिल्ली में आयोजित हिंदी अधिवेशन व हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान में साहित्यकार पत्रकार व समाज सेवी सहयोग प्रदान करें।'

डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज को "हिंदी रत्न सम्मान 2025" से किया गया सम्मानित

*एटा, उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का क्षण, साहित्य जगत में बजी खुशियों की घंटी*


जबलपुर

हिंदी साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में निरंतर योगदान देने वाले उत्तर प्रदेश के एटा जनपद निवासी डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज को जबलपुर स्थित प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था द्वारा "हिंदी रत्न सम्मान 2025" से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उन्हें साहित्य, भाषा और समाज सेवा में उनके अनवरत प्रयासों और उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया है।

समारोह का आयोजन जबलपुर, मध्य प्रदेश में साहित्यिक गरिमा और भावनात्मक उल्लास के वातावरण में किया गया, जिसमें देश भर से अनेक साहित्यकार, विद्वान और संस्कृति प्रेमी सम्मिलित हुए। यह सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्था के मार्गदर्शक डॉ. कवि संगम त्रिपाठी द्वारा भव्य समारोह में प्रदान किया गया।

डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज न केवल एक संवेदनशील कवि हैं, बल्कि हिंदी भाषा के संवर्धन हेतु जागरूक अभियानी भी माने जाते हैं। उनकी रचनाएं जनमानस के हृदय को छूने वाली होती हैं, जिनमें सामाजिक सरोकार, भारतीय संस्कृति की झलक और मानवीय संवेदनाओं की गहराई स्पष्ट रूप से झलकती है।

इस सम्मान की घोषणा होते ही एटा जनपद में उनके शुभचिंतकों, साहित्यिक साथियों एवं मित्रों में अपार हर्ष की लहर दौड़ गई। जगह-जगह मिठाइयां बांटी गईं और उन्हें बधाइयों का तांता लग गया। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उनके योगदान की सराहना की।

डॉ. भारद्वाज ने सम्मान प्राप्त करने के उपरांत कहा, "यह सम्मान न केवल मेरे लिए, बल्कि समस्त हिंदी प्रेमियों और साहित्य साधकों के लिए प्रेरणा स्रोत है। यह मुझे और अधिक ऊर्जा के साथ साहित्य सेवा में समर्पित रहने की प्रेरणा देता है।" हिंदी भाषा के इस सशक्त हस्ताक्षर को सशक्त हस्ताक्षर जबलपुर, लोक संचेतना फाउंडेशन द्वारा मिले इस सम्मान ने एटा जिले को गौरवान्वित कर दिया है। उनके इस उपलब्धि से क्षेत्रीय युवा साहित्यकारों को भी एक नई दिशा और उत्साह मिला है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने डॉ सतीश कुमार को दिया हिंदी रत्न सम्मान


जबलपुर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी प्रचार प्रसार में सतत् सक्रिय रचनाकारों को सम्मानित कर रही है। इसी दिशा में सशक्त हस्ताक्षर संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी व प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी कार्य कर रहे हैं। कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि डॉ सतीश कुमार झालावाड़ राजस्थान को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया गया है। डॉ सतीश कुमार हिंदी में निरंतर सृजन व प्रचार प्रसार कर रहे हैं। डॉ सतीश कुमार झालावाड़ की रचनाएं विभिन्न समाचार-पत्रों पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रही है और उन्हें कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी है।

श्रम को सम्मान देने वाला लेखन ही प्रगतिशील साहित्य है, स्वतंत्र अभिव्यक्ति को बाधित करने की निंदा

*बागो- बहार, बेताल पच्चीसी, लैला-मजनूं की कहानियों को साहित्य कहा जाता था*


देवास

प्रगतिशील साहित्य वही है जो लेखक को वंचितों, पीड़ितों के पक्ष में खड़ा करता है। आजादी के पूर्व और बाद में भी लेखकों ने सत्ता से सवाल किए थे। वर्तमान में ऐसे सवाल करने वालों की अभिव्यक्ति खतरे में है।

ये विचार प्रगतिशील लेखक संघ देवास इकाई द्वारा देवास में आयोजित विचार गोष्ठी में व्यक्त किए गए। संगठन के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने कहा कि लेखन से मानवीय पीड़ा के प्रति पाठक की संवेदना जागृत हो, यही प्रलेसं का प्रयास है। यदि हम अपने से कमज़ोर व्यक्ति के दुःख को महसूस कर सकेंगे, तभी हम जीवन के सौंदर्य का भी सुख ले सकेंगे।

उन्होंने कहा कि प्रगतिशील लेखक संघ सदैव शांति के पक्ष में रहा है। मखदूम मोइनुद्दीन, फ़ैज़, नागार्जुन, मुक्तिबोध, मंटो, कृश्न चंदर, भीष्म साहनी और साहिर लुधियानवी जैसे अनेक शायरों, लेखकों ने युद्धों की विभीषिका को अपनी रचनाओं में उकेरा है और आगाह किया है कि युद्ध कभी भी मानवता के हित में नहीं होता और विवेक का साथ कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए। सीमा के इस पार भी मेहनतकश मज़दूर और किसान मरते हैं और सीमा के उस पार भी। वर्तमान में देश में युद्धोन्माद फैलाया जा रहा है और सरकार से सवाल करने वाले लेखकों, कलाकारों, पत्रकारों पर प्रकरण दर्ज  किये जा रहे हैं। इंदौर निवासी हेमंत मालवीय द्वारा एक कार्टून बनाने पर मुकदमा दर्ज किया गया है। हाल ही में दिल्ली में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद द्वारा सवाल पूछने पर, नागपुर में फैज की नज़्म गाने पर पुष्पा विजय साथीदार और उनके साथियों पर एफआईआर की गई। लोकगायिका नेहा सिंह राठौर पर देश के अनेक शहरों में मुकदमे कायम किए गए हैं। प्रलेस ने सभी जगह इसका विरोध किया है। स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर दमन की यह कार्यवाही चिंता का विषय है।

प्रलेसं पदाधिकारी हरनाम सिंह ने संगठन के पुरखे प्रेमचंद के हवाले से कहा कि हमारे देश में समाज के कथित श्रेष्ठी वर्ग के लिए ही जो लिखा जा रहा था, बागो- बहार, बेताल पच्चीसी, लैला-मजनूं की कहानियों को साहित्य कहा जाता था। प्रेमचंद ने बताया कि तिलस्मी ,भूत- प्रेत, प्रेम- वियोग, आधारित कहानियां जीवन की सच्चाई को उजागर नहीं करती। साहित्य केवल मन बहलाव का माध्यम नहीं है। कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा जिसमें सच्चाई होगी, जो वंचितों, शोषितों के पक्ष में खड़ा होगा।

सारिका श्रीवास्तव ने पढ़ने पर जोर देते हुए कहा कि संगठन में महिलाओं की, युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए और देवास इकाई की रचनात्मक पहचान क़ायम रखने की कोशिश करनी चाहिए। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता इकाई के उपाध्यक्ष कैलाश सिंह राजपूत ने की। गोष्ठी को प्रलेसं के वरिष्ठ सदस्य मेहरबान सिंह, प्रोफेसर एस एम त्रिवेदी, मदनलाल जेठवा, डॉक्टर मुन्ना सरकार, ओ पी वागडे़, प्रोफेसर भागीरथ सिंह मालवीय, मांगीलाल काजोड़िया, राजेंद्र राठौड़, आदि ने भी संबोधित किया। युवा शायर सैयद गुलरेज अली, आरिफ आरसी, साहिल सुलेमान आलम एवं इस्माइल नजर ने अपनी- अपनी रचनाओं का वाचन किया।

*प्रेषक हरनाम सिंह 9229847950*

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