किताबों की दुनिया में सुशी सक्सेना की पुस्तकों पर चर्चा कार्यक्रम का  सफलता पूर्वक हुआ आयोजन


मध्यप्रदेश

बीती रात्रि 9 बजे किताबों की दुनिया में सुशी सक्सेना की पुस्तकों पर चर्चा कार्यक्रम का सफलता पूर्वक आयोजन संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम श्रीराम सेवा साहित्य संस्थान भारत के मंच पर किया गया। इस कार्यक्रम में लेखिका सुशी सक्सेना और संस्थापिका दिव्यांजली वर्मा मौजूद थे। इस अवसर पर साहित्य, कला और संस्कृति जगत से जुड़े अनेक विद्वान, लेखक और पाठक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान सुशी सक्सेना की पुस्तकों पर चर्चा की गई जो कि साहित्य, विज्ञान और राजनीतिक विषयों पर आधारित हैं। सुशी सक्सेना की रचनाओं में नारी जीवन, सामाजिक यथार्थ, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवीय संवेदनाओं के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा हुई। उनकी लेखनी सरल भाषा में गहरी बात कहने की क्षमता रखती है, जो हर वर्ग के पाठक से सीधा संवाद करती है। कार्यक्रम के दौरान लेखिका ने अपनी लोकप्रिय पुस्तकों के अंशों का वाचन किया गया और कुछ कविताएं सुनाईं। श्रोताओं ने उत्साहपूर्वक अपनी प्रतिक्रियाएँ साझा कीं। 


अंत में दिव्यांजली वर्मा ने कार्यक्रम का समापन करते हुए सभी उपस्थित महानुभावों को विदाई दी और सुशी सक्सेना की लेखन शैली और उनके साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए ऐसे आयोजनों की निरंतरता की कामना की। इस कार्यक्रम ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि साहित्य के क्षेत्र में सुशी सक्सेना की रचनाएँ पाठकों के दिलों में विशेष स्थान रखती हैं।

आता जब मौसम सुहानी सर्दियों का, झूमने लगता है मौसम सर्दियों का


*गरमा गरम यादें*


आता जब मौसम सुहानी सर्दियों का।

झूमने लगता है मौसम सर्दियों का।


हर घड़ी ये जिद्द करता तुमसे मिलने की,

मचलने लगता है मौसम सर्दियों का।


लिपटतीं जब तुम्हारी गरमा-गरम यादें,

बहकने लगता है मौसम सर्दियों का।


जब महावट बन तुम्हारे ख्वाब घिर आते,

बरसने लगता है मौसम सर्दियों का।


कंपकंपाती उंगलियां से जब तुम्हें छूता,

बहकने लगता है मौसम सर्दियों का।


तुम्हारे आने की जब भी खबर मिलती है,

संवरने लगता है मौसम सर्दियों का।


आहटें आतीं तुम्हारी तुम नहीं आते,

सिसकने लगता है मौसम सर्दियों का।


गीत जो तुम पर लिखे है उन्हें सुन कर,

थिरकने लगता है मौसम सर्दियों का।


गीतकार - अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर

मनुष्यों के वर्ण भले ही अलग-अलग क्यों ना हों तथापि उन सभी की जातियां एक होती हैं- संतोष मिश्र

हिंदुओं की जाति और वर्ण व्यवस्था के विषय पर इंजी. संतोष कुमार मिश्र ' असाधु' द्वारा प्रस्तुत अभिनव शोध पत्र


जबलपुर

नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हिंदुत्व के विमर्श: चुनौतियां , समाधान और भविष्य के ज्वलंत मुद्दों पर श्री लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विशविद्यालय नई दिल्ली,हिंदू अध्ययन केद्र , दिल्ली यूनिवर्सिटी, विश्व संवाद केंद्र एवं  भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद ,नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 7 एवं 8 नवंबर 2025 को एक वृहद संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश-विदेश से लगभग 450 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए। इस परिप्रेक्ष्य में रामायण केंद्र जबलपुर इकाई के संयोजक एवं धर्म,आध्यात्म व दर्शन के क्षेत्र में देश-विदेश में तेजी से उभरते , प्रसिद्ध धार्मिक चिंतक इंजी. संतोष कुमार मिश्र 'असाधु ' जोकि वर्तमान में मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड जबलपुर में अधीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत हैं,के द्वारा हिंदुओं के मध्य जाति और वर्ण व्यवस्था के विषय पर एक बेहद महत्वपूर्ण शोधपत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें यह साफ़-साफ़ बताया गया कि जाति प्रथा वस्तुतः किसी व्यक्ति के कर्म आश्रित एक बाह्य पदवी मात्र है जबकि वर्ण व्यवस्था उसके आंतरिक आत्मिक-प्रकाश का विज्ञान है। आपको यह जानकर अत्यंत आश्चर्य होगा कि हमारे सनातन धर्म के प्राचीन धर्म-शास्त्रों के अनुसार मनुष्यों के मध्य में कोई जाति भेद कदापि नहीं होता है अपितु मनुष्य स्वयं में ही एक जाति है। स्कंदपुराण एवं मनुस्मृति का संदर्भ देते हुए श्री मिश्र जी ने बताया कि जन्म से सभी मनुष्य शूद्र वर्ण के होते हैं और संस्कार होने पर ही वे द्विज और उच्च वर्ण की स्थिति प्राप्त कर लेते हैं। वर्ण व्यवस्था वास्तव में ईश्वरकृत एक दोषरहित तथा अनादिकालीन ब्रह्मांडीय व्यवस्था है ,जिसके सृजनकर्ता और संरक्षक स्वयं ईश्वर होते हैं। यही मूल कारण है कि वर्ण व्यवस्था में न तो कोई छुआछूत होता है और ना ही कोई ऊंच या नीच, यह वस्तुतः व्यक्ति के गुण और कर्म के अनुरूप बनाई गई है। यह व्यवस्था ऋग्वेद के पुरुष सूक्तं में वर्णित एक विराट पुरुष के अखण्ड शरीर के विभिन्न भागों में व्याप्त आत्मिक चेतना की मात्रा जोकि उसके आभा मंडल के रूप में प्रतिबिंबित होती है, उसका ही आध्यात्मिक तौर पर संकेत किया गया है। हिन्दुओं के मध्य में अंधविश्वास, जातीय आधार पर छुआछूत और ऊंच-नीच जैसी दुष्प्रचारित बुराईयों को दूर कर उनकी एकता की दिशा में इस ज्वलंत विषय पर अपने शोधपत्र का प्रस्तुतीकरण किया गया जिसकी वहां काफी सराहना की गई । जन जागृति की दिशा में इस तरह के अभिनव कार्य करते हुए श्री मिश्र जी ने संस्कारधानी जबलपुर का नाम अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर पुनः गौरवान्वित किया है। 

         कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई देते हुए बताया कि इंजिनियर संतोष कुमार मिश्र ' असाधु ' अध्यात्म, धर्म, संस्कृति व साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।


प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री पी. यादव ‘ओज’ को मिला श्रेष्ठ बाल कहानीकार सम्मान-2025


बाल साहित्य की समृद्ध परंपरा को नई दिशा देने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकार,कवि और शिक्षाविद् श्री पी. यादव ‘ओज’ को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए श्रेष्ठ बाल कहानीकार सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया।यह सम्मान प्रिंस जी वेलफेयर ट्रस्ट,आगरा द्वारा प्रदान किया गया। श्री ओज ने अपनी रचनाओं के माध्यम से न केवल बच्चों के मनोविश्व को सशक्त किया है,बल्कि उनके भीतर नैतिकता, मानवता, संवेदना और सकारात्मकता के बीज भी रोपे हैं।उनकी कहानियाँ जैसे-आशा की किरण,कठिन राह,प्रायश्चित,समर्पण,सेवा का प्रसाद आज भी पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।साहित्यिक जगत में ‘ओज’ जी को यह सम्मान उनके सृजनात्मक दृष्टिकोण,सरल भाषा-शैली और जीवन-संबंधी यथार्थपरक प्रस्तुति के लिए दिया गया है।उनके लेखन में बाल मन की कल्पना के साथ-साथ समाज सुधार और चरित्र निर्माण का सशक्त संदेश निहित रहता है।यह सम्मान न केवल श्री पी. यादव ‘ओज’ के सृजनात्मक जीवन का गौरव है,बल्कि हिंदी बाल साहित्य की बढ़ती प्रतिष्ठा और दिशा का भी प्रतीक है।श्री पी. यादव ‘ओज’ का लेखन आने वाली पीढ़ियों के लिए नैतिक मूल्यों और सृजनात्मक ऊर्जा का अमिट स्रोत है।

            कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई देते हुए कहा कि पी यादव ' ओज' साहित्य के विकास व राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में जो काम कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है।

मनीषियों ने भव्य समारोह में डॉ. रामप्रवेश पंडित की 'वाणी वंदना' का किया लोकार्पण


औरंगाबाद -    हिन्दी साहित्य भारती के तत्वावधान में आयोजित इसके जिला महामंत्री सह विमला पांडेय मेमोरियल ज्ञान निकेतन विद्यालय के शिक्षक डॉ राम प्रवेश पण्डित रचित काव्य संग्रह "वाणी वंदना" का भव्य लोकार्पण विमला वीपीएम ज्ञान निकेतन मेदिनीनगर के सभागार में संपन्न हुआ। लोकार्पण झारखण्ड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी,राँची विश्विद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डॉ जंग बहादुर पांडेय,पलामू के समाजसेवी ज्ञानचंद पांडेय,ज्ञान निकेतन विद्यालय के अध्यक्ष बलिराम शर्मा व विद्यालय प्रभारी मनोज श्रीवास्तव,गढ़वा के साहित्यकार सुरेंद्र कुमार मिश्र व डॉ राम विनय तिवारी, मेदिनीनगर के ज्योतिर्विद विजयानन्द सरस्वती,पलामू के काष्ठ कलाविद प्रेम प्रकाश भसीन,संस्था के राँची जिलाध्यक्ष बलराम पाठक,साहित्य प्रेमी हेमंत मिश्र,कवि राकेश कुमार,अनुज कुमार पाठक,नीरज कुमार पाठक,रमेश कुमार सिंह,सत्येंद्र चौबे सुमन व विजय कुमार पाठक 'द्विज' द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।समारोह की अध्यक्षता संस्था के प्रांतीय मार्गदर्शक श्रीधर प्रसाद द्विवेदी,संचालन संस्था के केंद्रीय कार्यकारिणी मंत्री कवि राकेश कुमार एवं विषय-प्रवेश प्रखर वक्ता परशुराम तिवारी ने किया जबकि संस्था के जिला मार्गदर्शक सत्येंद्र चौबे 'सुमन' द्वारा सरस्वती वंदना,संगठन मंत्री नीरज कुमार पाठक द्वारा स्वागत उद्बोधन व जिला मार्गदर्शक रमेश कुमार सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।मुख्य अतिथि श्री इंदर सिंह नामधारी ने कहा कि नेहरू जी के आह्वान पर मैं इंजीनियर बना। लेकिन साहित्य के प्रति मेरा प्रेम छात्र जीवन से था। मैंने पहली बार नौवीं कक्षा में पढ़ते हुए वीर कुंवर सिंह पर कविता लिखी थी। इसे पुनः सुनकर आज मुझे अफसोस होता है कि क्यों मैं साहित्य रचना की ओर नहीं बढ़ा। उन्होंने वाणी वंदना के रचनाकार डॉ राम प्रवेश पंडित की एक कविता के 'भुंजग प्रयात' का उल्लेख करते हुए कहा कि कहा इस पुस्तक से मैं बहुत प्रभावित हूं। रांची विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष जंग बहादुर पाण्डेय ने अपने संबोधन में कहा कि 'वाणी वंदना' में कवि रामप्रवेश पंडित की काव्य प्रतिभा की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति हुई है। कवि की वाणी में जो रस है,वह वाणी वंदना में सहज परिलक्षित है। यह रामप्रवेश के कवि कर्म की सफलता  जीवंत मिसाल है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीधर प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि डा.रामप्रवेश पंडित ने काव्य संग्रह 'वाणी वंदना' में विविध छंदों में साधिकार काव्य रचना किया है। इस संग्रह के दोहों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पुस्तक की सभी रचनाएं मां शारदा को नमन करते हुए संयम,प्रेम व कर्म का संदेश देते हुए वाणी के महत्त्व को प्रतिपादित किया है।समाजसेवी ज्ञानचंद पाण्डेय ने रामप्रवेश पंडित को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने विद्या की देवी पर काव्य रचा है,अब धन व शक्ति की देवी पर भी रचें। वीपीएम स्कूल के अध्यक्ष बलिराम शर्मा ने रामप्रवेश पंडित को शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र का हीरा बताते हुए उन्हें पांच हजार रुपए पुरस्कार देने की घोषणा की। प्रख्यात साहित्यकार श्री सुरेन्द्र कुमार मिश्र ने कहा कि 'वाणी वंदना' को पढ़कर लगता है कि रामप्रवेश पंडित 'ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय' वाला पंडित हैं। मां सरस्वती प्रतिभा के सदुपयोग पर प्रसन्न होती हैं और इसमें कोई शक नहीं कि रामप्रवेश पंडित जी काव्य प्रतिभा व उनका सृजन दोनों प्रशंसनीय है। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक व प्रसिद्ध ज्योतिर्विद विजयानंद पाठक सरस्वती ने रामप्रवेश पंडित की 'वाणी वंदना' की एक कविता को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी रचनाएं व्यक्ति से समष्टि की ओर बढ़ने की वकालत करती हैं। वस्तुत: यह 'वाणी वंदना' लोक कल्याण के लिए है। विषय प्रवेश कराते हुए प्रखर वक्ता परशुराम तिवारी ने कहा कि राम प्रवेश पण्डित ने वाणी की देवी मां सरस्वती के नाम पर पुस्तक का शीर्षक 'वाणी वंदना' रखकर एक बड़ा संदेश दिया है। वाणी से ही प्रेम के बीज अंकुरित होते हैं और वाणी से ही युद्ध होता है। काष्ठ कलाकार प्रेम भसीन ने वाणी वंदना के दो पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा कि राम प्रवेश पंडित की कविताएं प्रेम का संदेश देने वाली हैं। हिंदी साहित्य भारती के रांची जिला अध्यक्ष बलराम पाठक ने कहा कि 'वाणी वंदना' से यह सुनिश्चित हो गया कि रामप्रवेश पंडित अद्भुत काव्य प्रतिभा के स्वामी हैं। डॉ.रामप्रवेश पंडित के गुरु राम विनय तिवारी ने कहा कि रामप्रवेश पंडित की कविताएं स्वत: स्फूर्त निकली हैं इसलिए यह उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है। जिलाध्यक्ष अनुज कुमार पाठक के नेतृत्व में कोषाध्यक्ष डॉ धनंजय पाठक,मीडिया प्रभारी प्रेम प्रकाश दुबे सहित जिला कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों द्वारा अतिथियों का स्वागत किया जाएगा। कवयित्री अनुपमा तिवारी, रीना प्रेम दूबे, वंदना श्रीवास्तव,अंजनी कुमार दूबे, राजीव द्विवेदी सागर,सुनील कुमार विश्वकर्म,सिद्धेश्वर सिंह व प्रेम प्रकाश दूबे सहित अनेक कवियों ने 'वाणी वंदना' से एक एक कविता का पाठ किया। आज के समारोह में  प्रशांत पण्डित,अखिलेश पण्डित, माया पंडित,सुमित कुमार,उप प्राचार्य अनीश पाण्डेय,आर के दूबे,रघुवंश सिंह, संतोष पाठक,श्रीकांत शर्मा,अखिलेश दूबे, विजय दूबे उपेन्द्र सिंह,राज कुमार शर्मा,सुमित दूबे, आशुतोष पाण्डेय व जावेद सहित अनेक साहित्य प्रेमी मौजूद थे। अंत में रचनाकार डॉ राम प्रवेश पंडित ने लोकार्पण समारोह में मिले स्नेह,सम्मान व आशीर्वाद के लिए सबके प्रति आभार प्रकट किया। कवि संगम त्रिपाठी ने डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड को प्रेरणा परिवार की ओर से बधाई दी व कहा कि उनकी कृति वाणी वंदना अनमोल संग्रह है।

 साहित्यकार पी. यादव ‘ओज’ को मिला श्रेष्ठ बाल कहानीकार सम्मान-2025


बाल साहित्य की समृद्ध परंपरा को नई दिशा देने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकार,कवि और शिक्षाविद् पी. यादव ‘ओज’ को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए श्रेष्ठ बाल कहानीकार सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया।यह सम्मान प्रिंस वेलफेयर ट्रस्ट,आगरा द्वारा प्रदान किया गया।श्री ओज ने अपनी रचनाओं के माध्यम से न केवल बच्चों के मनोविश्व को सशक्त किया है,बल्कि उनके भीतर नैतिकता,मानवता, संवेदना और सकारात्मकता के बीज भी रोपे हैं।उनकी कहानियाँ जैसे-आशा की किरण,कठिन राह,प्रायश्चित,समर्पण,सेवा का प्रसाद आज भी पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।साहित्यिक जगत में ‘ओज’ जी को यह सम्मान उनके सृजनात्मक दृष्टिकोण,सरल भाषा-शैली और जीवन-संबंधी यथार्थपरक प्रस्तुति के लिए दिया गया है।उनके लेखन में बाल मन की कल्पना के साथ-साथ समाज सुधार और चरित्र निर्माण का सशक्त संदेश निहित रहता है।यह सम्मान न केवल पी. यादव ‘ओज’ के सृजनात्मक जीवन का गौरव है,बल्कि हिंदी बाल साहित्य की बढ़ती प्रतिष्ठा और दिशा का भी प्रतीक है।श्री पी. यादव ‘ओज’ का लेखन आने वाली पीढ़ियों के लिए नैतिक मूल्यों और सृजनात्मक ऊर्जा का अमिट स्रोत है।

            कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई देते हुए कहा कि पी यादव ' ओज' साहित्य के विकास व राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में जो काम कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा डॉ श्रीदेवी एस को दिया राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान 


जबलपुर -   प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी के प्रचार-प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रहे कवियों कवयित्रियों व राष्ट्रभाषा प्रचारकों को सम्मानित कर रही है और इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा अभियान को गतिशील बनाए रखना है। इस तारतम्य में प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के महासचिव प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली ने डाॅ श्रीदेवी एस तिरुचिरापल्ली को प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान प्रदान किया।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि डॉ श्रीदेवी एस तिरुचिरापल्ली साहित्य की धारा से जुड़ी हैं व सेंट जोसेफस काॅलेज तिरुचिरापल्ली में हिंदी विभागाध्यक्ष है। इनकी रचनाएं जनसंदेश का काम कर रही है। डॉ श्रीदेवी एस तिरुचिरापल्ली विभिन्न संस्थाओं से जुड़ी हैं और सामाजिक सांस्कृतिक व शैक्षणिक कार्य में निरंतर प्रेरणादायक कार्य कर रही है।

शिक्षाविद डॉ श्रीदेवी एस तिरुचिरापल्ली हिंदी प्रचार प्रसार हेतु अमूल्य योगदान दे रही है व विभिन्न संस्थाओं द्वारा उन्हें लगातार सम्मानित किया जा रहा है। 

डॉ श्रीदेवी एस तिरुचिरापल्ली  को डाॅ लाल सिंह किरार, नीतिन शर्मा नीति, भैरु सुनार सोनिया नायडू , सीमा शर्मा मंजरी, प्रतिमा पाठक, रामगोपाल फरक्या, गोपाल जाटव विद्रोही, मेघा अग्रवाल आदि ने बधाई दी है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा डॉ. रामप्रवेश पंडित पलामू को दिया राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान


जबलपुर

         प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी के प्रचार-प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रहे मनीषियों को सम्मानित कर रही है और इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा अभियान को गतिशील बनाए रखना है। इस तारतम्य में प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के महासचिव प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली ने डाॅ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड को प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान प्रदान किया।

         प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि डॉ रामप्रवेश पंडित साहित्य की धारा से जुड़े हैं। इनकी रचनाएं जनसंदेश का काम कर रही है। डॉ रामप्रवेश पंडित विभिन्न संस्थाओं से जुड़े हैं और सामाजिक सांस्कृतिक व शैक्षणिक कार्य में निरंतर प्रेरणादायक कार्य कर रहे है।

          डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड के स्थापित गीतकार हैं। इनकी वाणी वंदना किताब चर्चित कृति है। 14 सितंबर 2024 को इन्होंने प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय सम्मेलन व जंतर-मंतर में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु प्रदर्शित सभा में शामिल हुए थे। डॉ रामप्रवेश पंडित जी का हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा के प्रति समर्पण भाव अवर्णनीय है।

         शिक्षाविद डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड हिंदी प्रचार प्रसार हेतु अमूल्य योगदान दे रहे है व विभिन्न संस्थाओं द्वारा उन्हें लगातार सम्मानित किया जा रहा है। 

          डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड को डाॅ लाल सिंह किरार, नीतिन शर्मा नीति, डॉ धनंजय पाठक, सीमा शर्मा मंजरी, प्रतिमा पाठक, मेघा अग्रवाल आदि ने बधाई दी है।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने रामअवतार स्वामी को दिया, प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान 


जबलपुर   

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान रामअवतार स्वामी टोंक उनियारा राजस्थान को प्रदान किया गया।

दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जिसकी अपनी राष्ट्रभाषा नहीं है। हमारे राष्ट्रभाषा अभियान व हिंदी प्रचार प्रसार में जो योगदान हिंदी प्रेमियों ने दिया वह ऐतिहासिक है। कवि संगम त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा हो यही कामना है। हम सभी भाषाओं का समान रूप से सम्मान करते हैं। 

कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने विज्ञप्ति में बताया कि हिंदी अभियान को सशक्त बनाने में रामअवतार स्वामी जी ने अमूल्य योगदान दिया है और विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से हिंदी प्रचार प्रसार कर रही हैं।

रामअवतार स्वामी जी के द्वारा हिंदी के प्रचार-प्रसार में अमूल्य योगदान हेतु उन्हें प्रदीप मिश्र अजनबी महासचिव दिल्ली, डॉ. लाल सिंह किरार राष्ट्रीय अध्यक्ष अम्बाह मुरैना मध्यप्रदेश, डॉ. सोमनाथ शुक्ल सलाहकार प्रयागराज एवं समस्त पदाधिकारियों व सदस्यों ने धन्यवाद ज्ञापित किया है।

कवियत्री मेघा अग्रवाल को मिला निराला सम्मान


शिवपुरी

माँ शिवरानी स्मृती शिक्षा साहित्य संस्था करैरा जिल्हा शिवपुरी ( झाँसी) की ओर से कवि सम्मेलन में रमेशचंद्र बाजपाई की ओर से नागपुर की कवयित्री मेघा अग्रवाल को निराला सम्मान से सम्मानित किया गया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संत अनुरुद्धवन महाराज धूमेश्वर सरकार, डॉ बृजलता मिश्र झांसी एवं अध्यक्षता डॉ उमाशंकर खरे पृथ्वीपुर ने किया। पूरन चंद्र शर्मा दतिया, डॉ राज गोस्वामी दतिया, डॉ अरविन्द श्रीवास्तव असीम झांसी, श्रीमती उपासना दीक्षित दिल्ली, श्रीमती रेखा शर्मा स्नेहा लीचीपुरम मुजफ्फरपुर, संतोष पटेरिया महोबा रहे। 

 करैरा जिला शिवपुरी में आयोजित इस आयोजन में प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली, सीमा शर्मा मंजरी मेरठ, मेघा अग्रवाल नागपुर व अन्य उपस्थित कवि व कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया।

मेघा अग्रवाल नागपुर को निराला सम्मान मिलने पर कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई दी है। विदित हो कि मेघा अग्रवाल नागपुर महाराष्ट्र हिंदी प्रचार प्रसार में सहयोग प्रदान कर रही है।

सुन तो लेते हैं मगर कुछ नहीं कहते आंसू, फिर भी कुछ कहने को आ जाते हैं बहते आंसू


*ये बहते आंसू*


सुन तो लेते हैं मगर कुछ नहीं कहते आंसू 

फिर भी कुछ कहने को आ जाते हैं बहतेआंसू।


कभी गम में कभी खुशी में या कभी यूं ही,

टपकने लगते हैं पलकों से ये बहते आंसू।


कभी-कभी तो दिल को भी पता नहीं चलता,

सूख जाते हैं आ के गालों पर बहते आंसू।


कभी सावन कभी भादों कभी महावट बन,

झर लगा देते हैं दिन-रात ये बहते आंसू।


कभी खुद पर कभी किस्मत पर कभी ईश्वर पर, 

रोया करते हैं फूट-फूट के बहते आंसू।


टूटे अरमानों की लाशों पर सर को पटक पटक,

सिसकियां भर के रोया करते हैं बहते आंसू।


मिलन के मीठे पल हो या हो घड़ी बिछड़न की,

पलकों के बांध तोड़ जाते हैं बहते आंसू।


बहुत कुछ कहना चाहते हैं कह नहीं पाते,

धीरे-धीरे से मुस्कुराते हैं बहते आंसू।


गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाई कोर्ट ग्वालियर मध्य प्रदेश

कवयित्री डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता द्वारा खण्ड काव्य भक्त राज ध्रुव का किया अलौकिक सृजन 


*भक्त राज ध्रुव* (खण्ड काव्य)

        भारत की जानी-मानी कवयित्री डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता द्वारा खण्ड काव्य भक्त राज ध्रुव का सरल भाव से जो सृजन किया गया है वह अलौकिक है। भक्त सरल स्वभाव के होते हैं और उनका सरल भाव से लेखनी को सशक्त बनाना भक्ति की अपार महिमा को अलंकृत कर पाना सहज नहीं है यह कार्य एक साधना से कम नहीं है. जिसे डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता ही कर सकती है ......जो इन पंक्तियों में स्पष्ट रूप से दर्शित है.....


जिस मां ने तुमको जन्म दिया, कष्ट अपार सहा उसने।

जिसकी स्नेहिल ममता से ही, तुमसे विष्णु गए मिलने।।


उक्त पद परम पद को चिन्हित करता है। भक्त राज ध्रुव खण्ड काव्य कवयित्री के लेखन का अमृत कलश है जो मां गंगा व पवित्र सई नदी के तट रायबरेली से प्रकाशित हो सम्पूर्ण विश्व पटल पर आभा बिखेरती हुई ध्रुव तारे सा चमकने का सामर्थ्य रखती है और जो भी इस खण्ड काव्य का रसपान करेगा वह स्वयं धन्य हो जाएगा सिर्फ आवश्यकता है ऐसे भक्ति मार्ग को प्रशस्त करने हेतु इस पौराणिक खण्ड काव्य को अमर बेल सा जन-मानस के मन मस्तिष्क में अंकुरित करना है ऐसा मेरा मानना है।

          हम सभी का परम कर्तव्य है कि डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता द्वारा रचित खण्ड काव्य भक्त राज ध्रुव को जन - जन तक पहुंचाएं .... भक्त राज ध्रुव कृति अपनी संस्कृति, भाषा व साहित्य को समृद्ध बनाने में प्रेरणादायक सिद्ध होगी।

कवि संगम त्रिपाठी 

संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा 

जबलपुर मध्यप्रदेश

जल न पाए जो कच्ची उम्र में अंगारों से, अपनी ही आग में जलते हैं ये मिट्टी के दिये


*मिट्टी के दिये*


जल न पाए जो कच्ची उम्र में अंगारों से , 

अपनी ही आग में जलते हैं ये मिट्टी के दिये।


अपना साया भी अंधेरे में साथ देता नहीं , 

हमसफर बन के साथ चलते हैं मिट्टी के दिये।


कुछ नहीं मांगते इंसां या देवता से कभी,

फिर भी त्यौहार मनाते हैं ये मिट्टी के दिये।


इतना स्वार्थी है जमाना कि जलाता है इन्हें,

सिसकियां तक नहीं भरते हैं ये मिट्टी के दिये।

 

इनके घर में हो अंधेरा तो कोई बात नहीं है , 

सब के घर रोशनी करते हैं ये मिट्टी के दिये । 


जिसने इनको बनाया जिंदा जलाया जिसने,  

दोनों को राह दिखाते हैं ये मिट्टी के दिये।


ठोकरों में पड़ीं कल तक जो शिला पत्थर की,

उनको भगवान बनाते हैं ये मिट्टी के दिये।


छूट कर गिर न पड़ें हैं इनकी हिफाजत रखना , 

अनिल के दिल से भी नाजुक हैं ये मिट्टी के दीये।


कभी आंगन कभी मरघट कभी समाधि पर , 

किसी की याद में जलते हैं ये मिट्टी के दिए।

    

 गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय ग्वालियर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने हिंदी के कलमकारों व पत्रकारों को दिया प्रेरणा सम्मान


जबलपुर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान के तहत हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु निरंतर कार्य कर रही है और इस यज्ञ को सारे देश में प्रचारित प्रसारित करने में अहम योगदान देने वाले कलमकारों व पत्रकारों को प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा सम्मानित करती है। इस कड़ी में श्री राकेश आनन्दकर अजमेर ( राजस्थान ) स्वतन्त्र पत्रकारिता , अनिल मिश्रा प्रधान सम्पादक छत्तीसगढ़ उजाला रायपुर छत्तीसगढ़ , श्रीराम राय शिक्षक कवि स्पर्श औरंगाबाद, बिहार , रोहित मिश्रा 'राष्ट्रवादी' संपादक - रोहित संवाद बाराबंकी , अजय जैन ' विकल्प' इंदौर संपादक - हिंदी भाषा डाट काम , अनिता के. शाह वडोदरा गुजरात सह संपादक - गुजराती बोल , दिनेश प्रकाश बहुगुणा 'नया अध्याय' साप्ताहिक समाचार पत्र न्यूज पोर्टल एवं यूट्यूब चैनल देहरादून उत्तराखण्ड , आनंद पाण्डेय दैनिक रेवांचल टाइम्स संभाग ब्यूरो शहडोल , सतीश कुमार पांडे प्रियांशी विचारधारा  जबलपुर जोन प्रभारी जिला उमरिया म.प्र. बिरसिंहपुर पाली , शिवशंकर तिवारी ' सोहगौरा' वरिष्ठ पत्रकार प्रतापगढ़ (उ.प्र.) , अंशिका नीरज टाइम्स देहरादून , प्रतिमा पाठक प्रभारी दिल्ली समाचार पत्र - अमर भास्कर , अनिल सेन संपादक - जबलपुर दर्पण , संतोष कुमार पाण्डेय ब्यूरो चीफ न्यू गीतांजलि टाइम्स महासचिव - राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत जनपद सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश , विपेक्षा संपादक - विवृति दर्पण देहरादून , विनोद निराश संपादक - उत्कर्ष ज्योति , लेखक श्रवण खोड जोधपुर राजस्थान अन्तर्राष्ट्रीय प्रेस रिपोर्टर , विजय दुसेजा बिलासपुर छत्तीसगढ़ हमर संगवारी समाचार पत्र , कमलेश घोष संपादक - दैनिक हम पांच छतरपुर म.प्र. , श्याम सरन खन्ना  संपादक - उत्तर केसरी,  मुरादाबाद , देवेन्द्र सोनी प्रधान संपादक - वेव न्यूज युवा प्रवर्तक इटारसी म.प्र. , ललित कोष्टा जी पत्रकार जबलपुर मध्यप्रदेश , तजिन्द्र शर्मा प्रधान संपादक - अंबाला हलचल समाचार पत्र , राजवीर सिंह वरिष्ठ पत्रकार अम्बाह मुरैना , रामलखन गुप्त वरिष्ठ पत्रकार चाकघाट रीवा मध्यप्रदेश , जनार्दन सिंह संपादक भोजपुरी राज्य संदेश लखनऊ , नीरज ज्योति संपादक _ उत्कर्ष रोहिला देहरादून , नेमा खगेश के शाह संपादक - गुजराती बोल, बड़ोदरा , विपिन सिंह ब्यूरो चीफ दैनिक चारधाम टाइम्स , रिपु सूदन नामदेव हास्य व्यंग्य कवि / लेखक प्रबंध संपादक वीरांगना झांसी न्यूज , श्रीमती कुमकुम नामदेव संपादक - वीरांगना झांसी न्यूज, गौतम जैन संपादक - बिजनेस दर्पण इंदौर , गोपाल गुप्ता जयपुर जनतंत्र की आवाज समाचार पत्र , नीरज कुमार तिवारी ब्यूरो चीफ - वाॅयस आॅफ अमेठी , किशन लाल अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार नवभारत बरगढ़ उड़ीसा , कैलाश कुमार ब्यूरो प्रमुख म.प्र.- आनंद पब्लिक समाचार , पूनम सिंह समाचार पत्र - चारधाम टाइम्स , महेश अग्रवाल जी समाचार पत्र - मंथन मुंबई, राधेश्याम तिवारी सम्पादक सिद्ध भूमि एक्सप्रेस साप्ताहिक पडरौना जिला -कुशीनगर उत्तर प्रदेश , आदेश शर्मा लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश समाचार संपादक हमराह टुडे न्यूज लखनऊ उत्तर प्रदेश , अजय कुमार पांडेय ब्यूरो चीफ - सदभावना का प्रतीक दैनिक, प्रतापगढ़ उ.प्र. , रवि प्रकाश खजूरिया संपादक - नई रोशनी जम्मू , अखिलेश कुमार अखिल संपादक - भारत पोस्ट दिल्ली , आदित्य प्रकाश श्रीवास्तव संपादक - कुशीनगर केसरी कुशीनगर उ.प्र. , संजय सक्सेना संपादक - दैनिक क्षितिज किरण जबलपुर , तेजेन्दर शर्मा अंबाला हलचल , तजिन्द्र शर्मा प्रधान संपादक - अंबाला हलचल समाचार पत्र को सम्मानित किया है।

            प्रेरणादायक हिंदी प्रचारिणी सभा के महासचिव प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ लाल सिंह किरार अम्बाह मुरैना, सलाहकार सोमनाथ शुक्ल प्रयागराज व संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा कवि संगम त्रिपाठी ने सभी कलमकारों व पत्रकारों से हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान में  प्रेरणादायक सहयोग की अपील की है।

         कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने सभी कलमकारों पत्रकारों को जो प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा को निरंतर जारी अभियान में सहयोग प्रदान कर रहे हैं उन्हें 14 सितंबर 2026 को अपने आयोजन में शामिल कर सम्मानित करने का निर्णय लिया है।

तुमसे मिलने को आतीं हैं ये पूनम की रातें, तुमको बहुत याद करतीं हैं ये पूनम की रातें



 *ये पूनम की रातें*


तुमसे मिलने को आतीं हैं ये पूनम की रातें।

तुमको बहुत याद करतीं हैं ये पूनम की रातें।


कभी पहनकर पायल आतीं,

कभी दुल्हन सी सज कर आतीं,

कभी प्यार के ताजमहल पर,

शरद पूर्णिमा बन कर आतीं।


आतीं ओढ़ चुनर चांदी की ये पूनम की रातें,

तुमसे मिलने को आतीं हैं ये पूनम की रातें।


चंदा सी गोरी सूरत है,

मस्त बहारों सी मूरत है,

तारों के अश्वों से इनका,

सजा हुआ किरणों का रथ है।


आसमान में रास रचातीं ये पूनम की रातें,

तुमसे मिलने को आतीं हैं ये पूनम की रातें।


खिड़की से झांका करतीं हैं 

आंगन से बातें करतीं हैं,

पत्तों की परछाई से,

श्रंगार गीत लिखती रहतीं हैं।


मधुर मिलन के चित्र बनातीं ये पूनम की रातें।

तुमसे मिलने को आतीं हैं ये पूनम की रातें।


गीतकार -अनिल भारद्वाज, एडवोकेट,उच्च न्यायालय ग्वालियर

शायरी, प्यार, जिंदगी व प्रेरणा से भरी कविताएं " ऐ साहिब! दिल की गहराइयों से" प्रकाशित, लेखक - सुशी सक्सेना


इंदौर

सुप्रसिद्ध कवियत्री सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश द्वारा लिखित एक नई पुस्तक "ऐ साहिब! दिल की गहराइयों से" प्रकाशित हुई है, जिसमें शायरी, प्यार, जिंदगी और प्रेरणा से भरी कविताएं शामिल हैं। यह पुस्तक कवियत्री के दिल की गहराइयों से निकली भावनाओं का एक संग्रह है, जो पाठकों को प्रेरित और प्रभावित करने की क्षमता रखती है। इस पुस्तक में शामिल कविताएं दिल को छू लेने वाली और भावपूर्ण हैं। कवियत्री ने अपने अनुभवों और भावनाओं को शब्दों में पिरोया है, जो पाठकों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं। 

सुशी सक्सेना साहित्य की हर विधा में उतनी ही सहजता से लिखती हैं कि, आप बस उनके शब्दों के पीछे भावनाओं का जो प्रवाह है उसमें बहते चले जाते हैं। यही शक्ति है एक उच्चस्तरीय बहुमुखी व्यक्तित्व की कि अपनी रचनाओं के माध्यम से आपको अपने प्रश्नों के उत्तर भी मिल जाते हैं और कभी एक नया दृष्टिकोण भी मिल जाता है।

सुशी सक्सेना जी की यह रचनाएं आपको उम्मीदों का दमन थामना सिखाती हैं। तो कभी हौसलों की उड़ान पर ले जाती है कि, अपनी समस्याओं से बाहर निकलो तो सारा आसमान तुम्हारा ही है। जीवन में आनेवाली परिस्थितियां हर किसी को विचलित करती हैं पर फीनिक्स की तरह उनसे ऊपर उठकर स्वयं को एक नया रूप, एक नया रंग देना, यह हमें खुद ही करना होता है, यह सुंदर संदेश देती हैं सुशी सक्सेना जी की रचनाएं।

सुशी सक्सेना एक प्रतिभाशाली कवियत्री हैं, जिन्होंने अपनी कविताओं से पाठकों के दिलों में जगह बनाई है। उनकी कविताएं भावपूर्ण और प्रेरणादायक हैं। "ऐ साहिब! दिल की गहराइयों से" पुस्तक का प्रकाशन एक महत्वपूर्ण घटना है, जो कविता प्रेमियों और प्रेरणा की तलाश करने वालों के लिए एक उपहार है।  कविताएं सरल और समझने योग्य भाषा में लिखी गई हैं। सुशी सक्सेना की यह पुस्तक निश्चित रूप से पाठकों के दिलों को छू जाएगी और उन्हें प्रेरित करेगी।

छछंद के समय में छंदयुक्त शायरी करते हैं सोमनाथ, पुस्तक विमोचन के अवसर पर बोले यश मालवीय


प्रयागराज

आज ग़ज़ल विधा को लेकर एक तरह से अराजकता फैली हुई है। जिसे ग़ज़ल का क, ख, ग तक नहीं आता वह भी अपने को ग़ज़ल का बड़ा शायर कहने लगा है। ऐसे में डॉ. सोमनाथ शुक्ल का ग़ज़ल संग्रह ‘शाम तक लौटा नहीं’ बहुत सुखद अनुभव देता है। छछंद के माहौल में छंदयुक्त ग़ज़लों का सामने आना हमारे पूरे साहित्यिक समाज के लिए बहुत उल्लेखनीय और ख़ास है। डॉ. शुक्ल ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से बेहद शानदार नज़ीर पेश किया है। यह बात गुफ़्तगू की ओर से रविवार को सिविल लाइंस स्थित प्रधान डाक में डॉ. सोमनाथ शुक्ल की पुस्तक ‘शाम तक लौटा नहीं’ के विमोचन अवसर वरिष्ठ साहित्यकार यश मालवीय ने कही। उन्होंने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल की ग़ज़लों को देखकर जहां खुशी का अनुभव होता है, वहीं यह भी कहना पड़ेगा कि हिन्दी ग़ज़ल अभी दुष्यंत कुमार तक ही पहुंची है, इसे अपने मीर, ग़ालिब अभी पैदा करना है।

 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि आज के भारतीय माहौल में डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने शानदार ग़ज़लें कही हैं। इनकी ग़ज़लें आज के समाज को रेखांकित करने साथ ही सचेत भी करती हैं।

गुफ़्तगू के अध्यक्ष डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने ग़ज़ल की बारीकियों और छंद को सीखने के बाद ही ग़ज़लें लिखी हैं। जिसकी वजह से इनकी ग़ज़लों में व्याकरण संबंधी त्रुटियां नहीं हैं। अजीत शर्मा ‘आकाश’ ने कहा कि डॉ. सोमनाथ एक परिपक्व ग़ज़लकार हैं। आज ऐसी ही ग़ज़लें लिखे जाने की आवश्यकता है। डॉ. वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से मानवता से प्रेम करने को उल्लेखित किया है। गुफ़्तगू के सचिव नरेश कुमार महरानी ने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने बहुत अच्छी ग़ज़लें कही हैं, इनकी प्रशंसा की जानी चाहिए।

डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने कहा कि यह पुस्तक मेरी पहला प्रयास है। मैंने अपने तौर पर पूरी कोशिश की है कि समाज को सामने अच्छी ग़ज़लें पेश कर सकूं। किताब कैसी है यह आप लोगों को ही बताना है। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया।

दूसरे दौर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अरविन्द कुमार सिह, विजय लक्ष्मी विभा, अनिल मानव, धीरेंद्र सिंह नागा, हकीम रेशादुल इस्लाम, संजय सक्सेना, शिबली सना, अफ़सर जमाल, शैलेंद्र जय, मंजूलता नागेश, मोहम्मद शाहिद सफ़र, हरीश वर्मा ‘हरि’, तहज़ीब लियाक़त, रचना सक्सेना, कविता श्रीवास्तव, एमपी श्रीवास्तव और शाहिद इलाहाबादी आदि ने कविताएं प्रस्तुत कीं। राजेश कुमार वर्मा ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

डॉ. सोमनाथ शुक्ल का ग़ज़ल संग्रह, शाम तक लौटा नहीं जनार्पित हुआ


प्रयागराज

गुफ्तगू पब्लिकेशन, इलाहाबाद से प्रकाशित डॉ सोमनाथ शुक्ल का ग़ज़ल संग्रह, शाम तक लौटा नहीं जनार्पित हुआ। संग्रह में संग्रहीत ग़ज़लों ने मन मोह लिया। आज जब ग़ज़ल विधा, पंचायत की ज़मीन जैसी हो गई है, ग़रीब की जोरू हो गई है या गाँव भर की भौजाई हो गई है, जो चाहे जैसे जैसे चाहे वैसे बरत रहा है, इस मेयार के ग़ज़ल संग्रह का प्रकाशन एक सुखद परिघटना है। ग़ज़ल हिन्दी या उर्दू की नहीं होती, हिन्दुस्तानी होती है। उसका हिन्दुस्तानी चेहरा, आज की कविता का भी चेहरा है। सच कहें तो ग़ज़ल है, तो हिन्दुस्तान है, जो दोनों भाषाओं को नज़दीक लाता है। शाम तक लौटा नहीं, यह उन्वान है किताब का। इस शीर्षक को समेटे ग़ज़ल का यह शेर देखें/ वो ख़फा था आज बेहद शाम तक लौटा नहीं रात सारे मंदिरों की सीढ़ियां देखी गईं।

संग्रह की ग़ज़लों का कथ्य मज़बूत है और शिल्प भी कसी मुठ्ठी जैसा। संवेदना के साथ इनका निर्वाह विलक्षण है। सारी ग़ज़लें अपने पाठक से एक संवाद करती सी दिखाई देती हैं, उनमें ज़िन्दगी के मुहावरे हैं, देश दुनिया और समाज की धड़कनें हैं, जिनमें हमारा समय बोलता है। जिसके बोलने में आम आदमी का दर्द उजागर होता है। एक रोशनी मिलती है, जो अंधेरों को भी एक जगमगाहट दे देती है। दुष्यन्त कुमार, और अदम गोंडवी की विरासत जहां महफूज़ महसूस होती है । रिश्तों का रूमान और रोजबरोज़ का जीवन संघर्ष जहां साथ साथ चलता है और भरपूर जी लेने के उपाय जहां मुहैया होते हैं। सामान्य व्यक्ति की जिजीविषा और उत्सवधर्मिता जहां हाथ में हाथ लेकर डोलते हैं, वहां सम्भव होती हैं यह ग़ज़लें। मैं संग्रह से एक पूरी ग़ज़ल भी यहां दे रहा हूँ, ग़ज़लकार को रचनात्मक सफ़र की शुभकामनाएं देते हुए/


खिले खिले से गुलों पर खुमार बाक़ी है

अभी दरख़्त पे रिमझिम फुहार बाक़ी है


किसी के तल्ख़ रुखों से चिटक गई थी जो

जिगर पे आज तलक वो दरार बाक़ी है 


कहां मिला है मुझे कुछ मैं ये नहीं कहता 

ख़ुशी नसीब हुई है क़रार बाक़ी है 


तमाम कर्ज़ ख़ुशी से अदा किए मैंने 

मगर हयात का मुझपे उधार बाक़ी है 


बिता के वक़्त बुरा भी संभल गए हम तो 

कहानियों में हमारा शुमार बाक़ी है।

*यश मालवीय*

डाॅ. सोमनाथ शुक्ल के ग़ज़ल संग्रह 'शाम तक लौटा नहीं' का विमोचन कार्यक्रम प्रयागराज में 


प्रयागराज

डाॅ. सोमनाथ शुक्ल के ग़ज़ल संग्रह का विमोचन कार्यक्रम 05 अक्टूबर को प्रयागराज के सिविल लाइन्स स्थित हेड पोस्ट आफिस के मनोरंजन सभागार में गुफ्तगू संस्था एवं डाक मनोरंजन क्लब के संयुक्त तत्वावधान में होना सुनिश्चित हुआ है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार यश मालवीय करेंगे। कार्यक्रम के  मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र होंगे। प्रमुख वक्ता के रूप में डाॅ. वीरेन्द्र कुमार तिवारी एवं अजीत शर्मा 'आकाश' शामिल होंगे। संचालन मनमोहन सिंह तन्हा करेंगे। कार्यक्रम संयोजक राजेश कुमार वर्मा हैं।

गुफ्तगू पब्लिकेशन से प्रकाशित यह ग़ज़ल संग्रह डाॅ. सोमनाथ शुक्ल की दूसरी किताब है। इसके पहले उनकी एक किताब 'सोमनाथ शुक्ल के सौ शेर' गुफ्तगू प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है। उनके द्वारा लिखे भजनों की एक सीडी रिलीज हो चुकी है। उनकी रचनाएँ विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। देश के प्रतिष्ठित मंचों द्वारा उन्हें उनके साहित्यिक योगदान हेतु सम्मानित किया गया है।

इस अवसर पर प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के संस्थापक संगम त्रिपाठी, गुफ्तगू मंच के संस्थापक इम्तियाज़ अहमद गा़जी़, मनमोहन सिंह तन्हा, प्रतिमा पाठक, ब्रिज बिहारी त्रिपाठी, अजय शुक्ल, परिवार के सभी सदस्यों एवं मित्रों ने डाॅ. सोमनाथ शुक्ल को बधाई प्रेषित की है।

दशहरे पर लघु कथा, दशहरे पर किलकारी- कहानीकार अनिल भारद्वाज


प्रतिष्ठित विप्र कुल के ठाकुर दास (उस्ताद जी) और कंचन के विवाह को एक दशक का समय बीत गया लेकिन अभी उनके घर के आंगन को संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि ठाकुर दास को तंत्र मंत्र और प्रेत सिद्धि की साधना के दौरान प्रेत की दो शर्तें स्वीकार करनी पड़ीं। पहली परहित में ही सिद्धियों का प्रयोग करना होगा , दूसरी बारह वर्ष तक संतान सुख से वंचित रहना होगा। दुखी कंचन के नित्य दुखद आग्रह को पति ने प्रेतराज के समक्ष रखा तो प्रेत ने भाव विभोर होकर उपाय बताया कि यदि कंचन बहरारे वाली दुर्गे माता का नित्य एक वर्ष तक दर्शन कर उपासना करें तो उसे 12 वर्षो पूर्व ही संतान की प्राप्ति हो जावेगी।

गांव से दस बारह किलोमीटर दूर घनघोर जंगल में बहरारे की माता के मंदिर था। उस मंदिर की महिमा अनोखी थी। नवरात्रि में अष्टमी तिथि तक माता का शिला रूप बढ़ कर देहरी तक आ जाता और मंदिर की छोटी सी किवड़िया भी बंद नहीं हो पाती और माता पर जो जल चढ़ता था वह भी एक छोटे से डेढ़ फुट गहरे आधा फीट चौड़े  कुंड में समा जाता और वह कुंड न तो कभी खाली होता और न ही ऊपर तक भर पाता। यह माता का ही प्राकृतिक चमत्कार था। संतान प्राप्ति के लिए सुहागिनें स्वास्तिक चिन्ह बनाकर माता से अर्जी लगातीं और उनकी सूनी गोद भर जाती।

कंचन बहरारे की माता के मंदिर पर रोज जाने लगी और माता की महिमा से कंचन ने 12 वे वर्ष में दशहरे के दिन एक बालक काशी प्रसाद को जन्म दिया और प्रेत ठाकुर दास की सेवा के लिए अपनी दो योगिनियां छोड़ कर विदा हो गया। तभी से ठाकुर दास और कंचन का कुल पीढ़ी दर पीढ़ी बहरारे वाली दुर्गे माता को कुलदेवी के रूप में पूजता चला आ रहा है। 

 *कहानीकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर मध्यप्रदेश*

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