डॉ सोमनाथ शुक्ल मां भारती सेवा सम्मान से सम्मानित


जबलपुर

डॉ सोमनाथ शुक्ल प्रयागराज हिंदी प्रचारक / कवि को संगम अकादमी पब्लिकेशन कोटा राजस्थान ने मां भारती सेवा सम्मान 2025 से सम्मानित किया है। कवि संगम त्रिपाठी ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि डॉ सोमनाथ शुक्ल साहित्य व समाज के कार्यों हेतु समर्पित भाव से काम कर रहे हैं। हिंदी प्रेमी डॉ सोमनाथ शुक्ल को विभिन्न संस्थाओं ने सम्मानित किया है। सोमनाथ शुक्ल को इष्ट मित्रों व शुभचिंतकों ने बधाई दी है।

बॉलीवुड फ़िल्मों के विख्यात पटकथा लेखक दीपक किंगरानी को संवाद लेखन पर मिलेगा “नेशनल अवॉर्ड” 

*दीपक पर फिल्मों का भूत सवार था, कई फिल्मों व वेब सीरीज़ में काम किया*


अमेरिका 

दीपक किंगरानी, छत्तीसगढ़ के भाटापारा के रहने वाले हैं और उनका जन्म वहीं पर एक सिंधी परिवार में हुआ। उनके पिता पत्रकार थे और उनके यहाँ पोहे का व्यवसाय होता था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा वहीं पर हुई, आगे की पढ़ाई उन्होंने रायपुर से तथा इंजीनियरिंग ग्वालियर के एम आई टी एस कॉलेज से की। वे इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। ग्वालियर कॉलेज में ही कुणाल( हमारा पुत्र ) से मेल-जोल हुआ जो गहरी दोस्ती में बदल गया ।

               बचपन से ही दीपक को फिल्में बहुत आकर्षित करती थीं। पाठ्य-पुस्तकों में अध्ययन के दौरान पुस्तक में लिखे हुए अक्षर ग़ायब हो जाते और उसकी जगह किसी हीरो का चित्र दिखाई देने लगता और धीरे-धीरे वह धुंधला पड़ जाता, जब दोबारा स्पष्ट होता तो उस हीरो की जगह दीपक को अपना चित्र दिखाई देने लगता और वह टकटकी लगाए उसे ही देखता रहता, जब बगल वाला दोस्त चिकोटी काटता और कहता “ सो रहा है क्या, इतनी देर से किताब का पन्ना ही नहीं पलट रहा “। दीपक कोई जवाब नहीं देता और हल्के से मुस्कुरा भर देता। धीरे-धीरे दीपक पर फ़िल्मों का भूत सवार होने लगा और कॉलेज के दिनों में वह परवान चढ़ गया।ग्वालियर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान जब दोस्त उनसे पूछते कि “इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग” के बाद तू क्या करेगा” तो जवाब मिलता कि “फ़िल्मों में हीरो बनूँगा”। दोस्त खी खी करके हँसने लगते, कोई मुँह पर हाथ रख कर व्यंग्यात्मक हँसी हँसता तो कोई अट्टहास करता। दीपक अपने कानों पर हाथ रखकर आँखें बंद कर लेता। कॉलेज में एक दिन किसी सीनियर ने किसी बात पर नाराज़ होकर दीपक के बाल पकड़ लिए, दीपक ने कहा “सर आप को जो भी करना हो करिए पर मेरे बाल छोड़ दीजिए प्लीज़”। सीनियर ने उसकी बात को अनसुना करते हुए बालों को और ज़ोर से खींचा, अब तो दीपक की सहनशक्ति जवाब दे गई, उसने ज़ोर से चिल्ला कर कहा “छोड़ो मेरे बाल, बालों को कुछ हो गया तो मैं हीरो कैसे बनूँगा”। यह सुनकर सीनियर ने व्यंग्यात्मक लहजे में हँसते हुए कहा “हीरोssssहुंह”। इतना सुनते ही दीपक ने, जिसका डील-डौल काफी अच्छा था, सीनियर को उठाकर पटक दिया। अब तो कॉलेज में कुहराम मच गया। कोई जूनियर अपने सीनियर के साथ ऐसा कैसे कर सकता था। कुछ सीनियर्स ने मध्यस्थता करते हुए इस मामले को निपटाया। कॉलेज में पढ़ते वक़्त दीपक को कभी-कभी पुस्तकों के अक्षर धूमिल होते दिखते और फिर किसी हीरो का चेहरा उभर आता, बहुत यत्न करने पर ही वह चेहरा ग़ायब होता पाता और अक्षर वापस आ पाते। यह क्रम थोड़े-थोड़े दिनों पर चलता ही रहता। दीपक ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग करने के बाद। फ़िल्मों की ओर दौड़ लगाई पर क्या वहाँ काम मिलना इतना आसान था? हाँ कुछ लोगों से मुलाकात पर उन्हें यह आश्वासन मिला कि उन्हें फ़िल्म इंस्टीट्यूट में दाख़िला ज़रूर मिल जाएगा पर इसके पहले कि वह फ़िल्म इंस्टीट्यूट में प्रवेश लेता, उसे एक अमेरिकन कंपनी कॉग्निजेंट से ऑफ़र आया, कॉफ़ी ऊहापोह के बाद दीपक ने यह कंपनी जॉइन कर ली, कुछ समय बाद उसकी पोस्टिंग नीदरलैंड में हो गई। दीपक यह सोचने लगा कि शायद उसकी नियति यही है इसलिए उसे अब अपने कार्य पर ही ध्यान केंद्रित करना होगा। 

               इस कंपनी में कार्य करते हुए 6 साल बीत गए। एक दिन दीपक कोई ज़रूरी फ़ाइल देख रहा था कि उसके अक्षर धुंधले पड़ने लग गए और थोड़ी ही देर में एक हीरो का चेहरा उभर आया जो जल्दी ही दीपक के चेहरे में परणित हो गया, दीपक बेचैन हो गया, अरे यह फिर से मुझे क्या हो रहा है? कुछ दिनों बाद फिर वही दृश्य, फिर-फिर वही दृश्य। अब यह घटना जल्दी-जल्दी घटने लग गई, इसमें परिवर्तन भी हो गया। अब फ़ाइल खोलते ही न अक्षर दिखाई पड़ते न हीरो का चेहरा बल्कि ख़ुद का चेहरा दिखाई पड़ता। दीपक की बेचैनी दिनोंदिन बढ़ने लगी, काम से मन उचटने लगा। एक दिन बॉस ने बुलाकर पूछा कि “आप का काम कुछ समझ नहीं आ रहा है, ये सब फ़ाइल्स अधूरी क्यों है?” जवाब में दीपक ने अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया “सर मुझसे काम नहीं हो सकेगा, मैं जाना चाहता हूँ” बॉस कभी इस्तीफ़े के काग़ज़ को देखता तो कभी दीपक को।बॉस जैसे निस्पंद हो गए। दीपक ने नौकरी छोड़ दी और मुंबई, भारत वापस आ गया, फ़िल्म डिविज़न में दर-दर की ठोकरें खाने।अभी दीपक का एक पैर मुंबई में रहता है और दूसरा डेनमार्क में जहाँ उसकी पत्नी श्वेता जॉब करती है व बेटी के साथ रहती है। दीपक के संघर्ष के दिन शुरू हो गए थे, इस समय हबीब खान ने दीपक को सहारा दिया, बराबर हौसला देते रहे और तारीफ़ भी करते रहे, डूबते को तिनके का सहारा, दीपक में आत्मविश्वास पनपने लगा, रूमी जाफ़री भी हौसला अफजाई करते रहे, आख़िरकार वह दिन आ ही गया जब दीपक की पटकथा पर पहली फ़िल्म रिलीज़ हुई सन् 2013 में “वार छोड़ न यार” इस फ़िल्म में दीपक ने अभिनय भी किया था, अच्छी फ़िल्म होने के बावजूद यह फिल्म विशेष सफल नहीं हो पाई पर बॉलीवुड में दीपक की पहचान बन गई।2019 में दीपक की दूसरी फिल्म आई जिसमें पटकथा और संवाद लेखन सब उन्हीं का था-पागलपंती, इसमें अनिल कपूर, जॉन अब्राहम व अरशद वारसी मुख्य किरदार में थे। 2020 में एक वेब सीरीज़ आई स्पेशल ऑप्स जो आतंकवाद पर आधारित थी, इसमें मुख्य किरदार के के मेनन ने निभाया है, इसे बहुत सराहा गया, एक साल बाद इस सिरीज़ का दूसरा भाग (1.5) आया, जिससे दीपक विख्यात हो गए। इस सिरीज़ से दीपक को अगली फ़िल्म “सिर्फ़ एक ही बंदा काफ़ी है” की पटकथा और संवाद लेखन का काम मिला। इसी फ़िल्म पर उन्हें संवाद लेखन का “नेशनल अवॉर्ड”-2025, में दिया जा रहा है जो कि बहुत बड़ी उपलब्धि है।यह फिल्म 2023 में रिलीज़ हुई थी और इसमें मुख्य किरदार में मनोज वाजपेयी थे।2023 में उनकी एक और फ़िल्म आई-“मिशन रानीगंज” जिसमें अक्षय कुमार हीरो थे, यह भी ग़ज़ब की फिल्म थी, बहुत शानदार। 2024 में इनकी एक और फिल्म आई “भैया जी” जिसमें मनोज वाजपेयी हैं।2025 अभी हाल ही में स्पेशल ऑप्स का तीसरा सीज़न आया (2) इस बार तो इस सीरीज़ ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया। यह सीरीज़ ‘हुलू’ और ‘हॉटस्टार’ पर देखी जा सकती है। यदि आप समय निकाल सकें तो मेरा आप सभी से आग्रह है कि यह सीरीज़ और फिल्म “सिर्फ़ एक ही बंदा काफ़ी है” ज़रूर देखिये, बहुत ही शानदार फ़िल्म है, इसे आप Z5 पर देख सकते हैं। 

                   अभी कुछ दिन पहले दीपक न्यूयार्क में अपनी बेटी के साथ आए हुए थे, वो कुणाल से मिलने हमारे घर पर आए तो कुणाल ने ग्वालियर इंजीनियरिंग कॉलेज के 16-17 दोस्तों को डिनर पर बुलाया था। कॉलेज से निकलने के बाद शायद ये दोस्त पहली बार एक साथ मिले थे, हमारे घर में उत्सव का माहौल हो गया था। इस अवसर पर हमने अपनी सद्यः प्रकाशित कविता संग्रह “तब मैं कविता लिखता हूँ” उन्हें भेंट की।

                   कुणाल के विवाह में हमारी मुलाकात दीपक से 13 साल पूर्व महाबलेश्वर में हुई थी। एकदम सीधा-सादा बंदा, सरल और सहज, यह दीपक के फिल्म लाइन में संघर्ष के दिन थे। और अभी जब दीपक से मुलाकात हुई तो उसमें कोई फर्क नहीं, कोई घमंड नहीं, कोई लाग-लपेट नहीं, आते ही पैर छूकर गले से लग जाना उनकी सादगी को बयान करता है, उन्हें सलाम।दीपक हमारे घर पर दो दिनों तक रहे यह समय कब छू मंतर हो गया, हमें पता ही नहीं चला, हम लोग उन्हें न्यूयार्क एयरपोर्ट पर छोड़ने गए तो दीपक ने पैर छूने के लिए झुकने की नाकाम कोशिश की, चूँकि उनकी कमर दौड़-धूप के कारण बुरी तरह अकड़ चुकी थी इसलिए यह बड़ा कठिन था, हमने उन्हें गले लगा लिया, न मालूम कब तक, मिलने के लिए। हमें लगा हमारा एक और बेटा फिर हमसे दूर जा रहा है, बहुत दूर। उसे विदा कर हम अपनी कार में बैठे तो सभी ने एक-दूसरे की आँखों में देखा जो नम थीं ।

इनकी एक और फिल्म आई “भैया जी” जिसमें मनोज वाजपेयी हैं।2025 अभी हाल ही में स्पेशल ऑप्स का तीसरा सीज़न आया (2) इस बार तो इस सीरीज़ ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया। यह सीरीज़ ‘हुलू’ और ‘हॉटस्टार’ पर देखी जा सकती है। यदि आप समय निकाल सकें तो मेरा आप सभी से आग्रह है कि यह सीरीज़ और फिल्म “सिर्फ़ एक ही बंदा काफ़ी है” ज़रूर देखिये, बहुत ही शानदार फ़िल्म है, इसे आप Z5 पर देख सकते हैं। 

              अभी कुछ दिन पहले दीपक न्यूयार्क में अपनी बेटी के साथ आए हुए थे, वो कुणाल से मिलने हमारे घर पर आए तो कुणाल ने ग्वालियर इंजीनियरिंग कॉलेज के 16-17 दोस्तों को डिनर पर बुलाया था। कॉलेज से निकलने के बाद शायद ये दोस्त पहली बार एक साथ मिले थे, हमारे घर में उत्सव का माहौल हो गया था। इस अवसर पर हमने अपनी सद्यः प्रकाशित कविता संग्रह “तब मैं कविता लिखता हूँ” उन्हें भेंट की।

              कुणाल के विवाह में हमारी मुलाकात दीपक से 13 साल पूर्व महाबलेश्वर में हुई थी। एकदम सीधा-सादा बंदा, सरल और सहज, यह दीपक के फिल्म लाइन में संघर्ष के दिन थे। और अभी जब दीपक से मुलाकात हुई तो उसमें कोई फर्क नहीं, कोई घमंड नहीं, कोई लाग-लपेट नहीं, आते ही पैर छूकर गले से लग जाना उनकी सादगी को बयान करता है, उन्हें सलाम।दीपक हमारे घर पर दो दिनों तक रहे यह समय कब छू मंतर हो गया, हमें पता ही नहीं चला, हम लोग उन्हें न्यूयार्क एयरपोर्ट पर छोड़ने गए तो दीपक ने पैर छूने के लिए झुकने की नाकाम कोशिश की, चूँकि उनकी कमर दौड़-धूप के कारण बुरी तरह अकड़ चुकी थी इसलिए यह बड़ा कठिन था, हमने उन्हें गले लगा लिया, न मालूम कब तक, मिलने के लिए। हमें लगा हमारा एक और बेटा फिर हमसे दूर जा रहा है, बहुत दूर। उसे विदा कर हम अपनी कार में बैठे तो सभी ने एक-दूसरे की आँखों में देखा जो नम थीं ।

*गिरीश पटेल*

महाप्रयाण महंत श्रीराम बालक दास को श्रद्धालु, धर्मप्रेमियों ने पुण्य स्मरण करते हुये श्रद्धा सुमन अर्पित किये

*मंदिर के नवीन महंती पर अर्जुन दास जी को विधि - विधान पूर्वक अभिषिक्त किया गया*


शहडोल-बुढार

श्रीराम जानकी मंदिर के साकेतवासी महन्त श्री राम बालक दास जी के सोलहवीं पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, और विशाल भंडारा में सभी धर्मों के धर्मावलंबियों ने मंदिर पहुंचकर अपनी सहभागिता निभाई, वहीं मंदिर के नवीन महन्त का दात्यिव अर्जुन दास  को सौंपा गया।

श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या न्यास के अध्यक्ष कमलनयन दास तथा डॉ. रामानंद दास की गौरवमयी उपस्थिति में श्रीराम जानकी मंदिर के पूज्य साकेतवासी महन्त श्रीराम बालक दास महाराज के 16वीं कार्यक्रम अवसर पर उनके छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर धर्मप्रेमियों तथा श्रद्धालुओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये, और श्रद्धांजलि सभा में महन्त के निष्ठा व समर्पण को पुण्य स्मरण किये।

महंत के महाप्रयाण उपरान्त सन्त परंपरा के अनुरूप 16वीं का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न धर्मो के धर्मावलंबियों ने मंदिर पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित किये। इस अवसर पर आयोजित भंडारा में सन्त, महात्माओं, ब्राह्मणों तथा धर्म प्रेमी सम्मिलित रहे।

रामानंद सम्प्रदाय से श्रीराम जानकी मंदिर सबब्ध है और सन्त परंपरानुरूप साकेतवासी महन्त श्रीराम बालक दास महाराज के परम शिष्य अर्जुन दास को मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में पधारे पूज्य सन्त व महात्माओं व धर्मप्रेमियों की उपस्थिति में महन्त पद पर विधि - विधान पूर्वक वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन अर्चन कर महन्ती पद पर अभिषिक्त किया गया।

श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या न्यास के अध्यक्ष कमलनयन दास महाराज ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुये कहाकि - श्रीराम जानकी मंदिर बुढार के साकेतवासी महन्त नारायण दास शास्त्री महाराज ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में श्रीराम बालक दास को अपने जीवन काल में महन्ती पद पर पदारूण कराया था, तब से मन्हत ठाकुर की पूजा अर्चना तथा मंदिर की सेवा में तत्पर थे, उनके साकेतवास हो जाने कारण क्षेत्र के श्रद्धालु धर्मप्रेमियों के आशा एवं आकांक्षा तथा मंशानुरूप उनके परम शिष्य अर्जुन दास को महन्त पद पर आसीन करने की वैदिक परंपरा को मणिराम छावनी अयोध्या की ओर से सहमति प्रदान की गयी, और महन्ती पद पर आसीन कराया गया।

मुख्यमंत्री ने कलेक्टर डॉ. केदार सिंह व हर्षल पंचोली को सिल्वर व कान्स पदक से किया सम्मानित

*सम्पूर्णता अभियान सम्मान समारोह के तहत जिले के कलेक्टर हुए सम्मानित* 


अनूपपुर

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में सम्पूर्णता अभियान सम्मान समारोह के अंतर्गत कुशाभाउ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेशन सेंटर भोपाल में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें अनूपपुर जिले के कलेक्टर हर्षल पंचोली को कांस्य पदक से सम्मानित किया गया है। जिसे मुख्यमंत्री द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तन्मय वशिष्ठ शर्मा को प्रदाय किया गया। 

उल्लेखनीय है कि आकांक्षी ब्लॉक पुष्पराजगढ़ में आकांक्षी जिला विकास कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास-पोषण, कृषि-मृदा स्वास्थ्य के तहत विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये और उनके प्रभावी क्रियान्वयन से लक्ष्यों को शत प्रतिशत पूर्ण करने के लिए प्रयास किये गए और सफलता भी प्राप्त हुई। अभियान के तहत ब्लॉक में लक्षित जनसंख्या के विरुद्ध मधुमेह की जाँच किए गए लोगों का प्रतिशत, ब्लॉक में लक्षित जनसंख्या के विरुद्ध उच्च रक्तचाप की जाँच किए गए लोगों का प्रतिशत, आईसीडीएस कार्यक्रम के अंतर्गत नियमित रूप से पूरक पोषण ले रही गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत तथा मृदा नमूना संग्रह लक्ष्य के विरुद्ध सृजित मृदा स्वास्थ्य कार्डों का प्रतिशत 100-100 प्रतिशत रहा। 

वही शहडोल जिले ने एक बार फिर अपनी उपलब्धियों से प्रदेशभर में पहचान बनाई है। केंद्र सरकार के नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिला एवं विकासखंडों में जुलाई 2024 से सितंबर 2024 तक चलाए गए ‘संपूर्णता अभियान’ में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए शहडोल जिले के कलेक्टर डॉ. केदार सिंह और उनकी टीम को सिल्वर मेडल एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान राजधानी भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में आयोजित राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में प्रदान किया गया।

नीति आयोग ने इस अभियान के दौरान विभिन्न जिलों और विकासखंडों में निर्धारित 6 प्रमुख इंडिकेटर्स (सूचकांकों) पर कार्य करने का लक्ष्य रखा था। शहडोल जिले के पाली-1 (गोहपारू) विकासखंड ने इसमें बेहतरीन प्रदर्शन किया और 6 में से 5 इंडिकेटर्स में शत-प्रतिशत सैचुरेशन हासिल किया। इसी उपलब्धि के चलते जिले को इस राष्ट्रीय स्तर की पहल में विशेष पहचान मिली और कलेक्टर डॉ. केदार सिंह तथा उनकी टीम का नाम सिल्वर मेडल अवॉर्ड के लिए चयनित किया गया।


सशक्त हस्ताक्षर संस्था की काव्य गोष्ठी कान्हा के जन्मोत्सव पर संपन्न



जबलपुर - सशक्त हस्ताक्षर की 39 वीं काव्य गोष्ठी श्री जानकी रमण महाविद्यालय में सानंद सम्पन्न हुई। संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा ने अपनी वाणी से सभी का स्वागत किया। सरस्वती वंदना सुशील श्रीवास्तव ने की।

कार्यक्रम के मुख्यअतिथि रत्नेश सोनकर महानगर अध्यक्ष,भाजपा, अध्यक्षता रत्ना श्रीवास्तव, विशिष्ट अतिथि गीतकार अभय तिवारी,चम्पादेवी श्रीवास्तव, सारस्वत अतिथि राजेश पाठक प्रवीण,मंगलभाव व्यंग्यकार अभिमन्यु जैन,अमरसिंह वर्मा की गरिमामय उपस्थिति रही ၊ इस अवसर पर रत्नेश सोनकर जी को सशक्त जनसेवा सम्मान, चम्पा देवी को सशक्त समाज सेवा सम्मान के साथ शाल,कलमश्री,अंग वस्त्र,मानपत्र से सम्मानित किया गया।

काव्य गोष्ठी का शुभारंभ इन्द्राना से आये इन्द्रसिंह राजपूत ने की।  ज्योति खरे,अर्चना वर्मा,सरोज खरे, भेड़ाघाट से पधारे कुंजीलाल चक्रवर्ती निर्झर ने शानदार प्रस्तुतियाँ दी। अमरसिंह वर्मा,चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव, गुलजारी लाल जैन,विवेक चौकसे,अनिल सक्सेना ने अपनी कविताओं से खूब गुदगुदाया। चंद्रकला सक्सेना,वर्षा श्रीवास्तव,सुशील श्रीवास्तव, जयप्रकाश श्रीवास्तव को खूब सराहा गया ၊निर्मला उत्तम श्रीवास्तव, कालीदास ताम्रकार काली,डॉ. विजय तिवारी किसलय, गीतकार अभय तिवारी  ने खूब तालियाँ बटोरी ၊ पं. दीनदयाल तिवारी बेताल,लखन रजक, इन्द्राना से पधारे प्रकाशसिंह ठाकुर, डॉ. मुकुल तिवारी ने मंच को नयी ऊँचाईयाँ दी। कवि संगम त्रिपाठी ने हिन्दी के उत्थान की बात कही। विजय विश्वकर्मा, सिहोरा कछारगाँव से पहुंचे अखिलेश खरे अखिल खरे  की रचनाओं ने बहुत प्रभावित किया। अरुण शुक्ल,डॉ. विनोद श्रीवास्तव, एड. शशि खरे, आजाद कृष्ण श्रीवास्तव की गरिमामय उपस्थिति रही। संचालन गणेश श्रीवास्तव, आभार प्रदर्शन डॉ. मुकुल तिवारी ने किया।


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78 साल बाद आज़ादी की असली परिभाषा, आज़ादी की नई परिभाषा


*आज़ादी की नई परिभाषा*

आज 15 अगस्त है। झंडा फहराएगा, राष्ट्रगान गूंजेगा, और लाखों दिलों में देशभक्ति की लहर दौड़ पड़ेगी। लेकिन 78 साल बाद आज़ादी की असली परिभाषा क्या है?

हमारे दादा-दादी के लिए आज़ादी का मतलब था — विदेशी शासन से मुक्ति। हमारे माता-पिता के लिए — गरीबी, अशिक्षा और पिछड़ेपन से लड़ाई।और हमारे लिए आज़ादी का मतलब है —फ्री इंटरनेट से लेकर फ्री सोच तक, जात-पात और भेदभाव से आज़ादी, वैश्विक मंच पर खुद को साबित करने की आज़ादी।

आज का भारत डिजिटल इंडिया है — एआई, स्टार्टअप, स्पेस टेक्नॉलॉजी, और ग्लोबल मार्केट में नई पहचान। लेकिन साथ ही ये सच भी है कि आज़ादी सिर्फ़ टैंकों और बंदूकों से नहीं बचती — इसे बचाने के लिए ज़रूरी है सही सोच, ईमानदार नेतृत्व और जागरूक नागरिक।

अगर हम सोशल मीडिया पर अफवाहों के गुलाम हैं, तो क्या ये सच में आज़ादी है? अगर महिलाएं सड़कों पर सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, तो क्या ये पूरी आज़ादी है? अगर किसान का बेटा पढ़ाई छोड़कर मज़दूरी करने को मजबूर है, तो क्या हम सफल हैं? आज ज़रूरत है कि हम “फ्रीडम” को सिर्फ़ सरहदों की रक्षा नहीं, बल्कि सोच, समाज और अवसरों की समानता तक ले जाएं। अगले 25 साल — यानी भारत@100 — में हमें एक ऐसा देश बनाना है जहाँ: हर बच्चा सपनों के लिए पढ़े, मजबूरी के लिए नहीं। हर महिला बिना डर के घर लौटे। हर नागरिक वोट देते वक्त नेता नहीं, नीति चुने। और हम खुद को “विकसित” कहने में हिचकिचाएं नहीं।

15 अगस्त सिर्फ़ जश्न नहीं, ये रिमाइंडर है —कि हमारे पूर्वजों ने हमें ये मौका दिया, और हमारी ज़िम्मेदारी है इसे आगे बढ़ाने की। आज का तिरंगा हमें सिर्फ़ अतीत का गर्व नहीं देता, बल्कि आने वाले कल की चुनौती भी सौंपता है। तो चलिए, इस 15 अगस्त पर हम कसम खाएं —कि अगली पीढ़ी को हम सिर्फ़ आज़ाद नहीं, बल्कि बेहतर भारत सौंपेंगे। 


*सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश*

वैज्ञानिकों पर एक अनोखी पुस्तक "माइंड्स दैट शेप्ड द वर्ल्ड" हुई प्रकाशित 

*सुशी सक्सेना*


एक अनोखी पुस्तक "माइंड्स दैट शेप्ड द वर्ल्ड" प्रकाशित हो गई है। यह पुस्तक भारत और विदेश के विभिन्न वैज्ञानिकों पर आधारित है। यह पुस्तक खगोल विद अमर पाल सिंह तारामंडल गोरखपुर और लेखिका सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश द्वारा संकलित और संपादित है, जिसमें विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वैज्ञानिकों के बारे में बताया गया है।

इस पुस्तक में वैज्ञानिकों के जीवन और उनकी खोजों के बारे में जानकारी और ज्ञान प्रदान किया गया है। इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों को महत्वपूर्ण ज्ञान के साथ-साथ वैज्ञानिकों की जीवन कहानियों से प्रेरणा भी मिलेगी। 

पुस्तक जीवन में लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान भी प्रदान करेगी। इस पुस्तक का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। यह पुस्तक उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो वैज्ञानिकों के जीवन और उनकी खोजों में रुचि रखते हैं। यह छात्रों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए भी उपयुक्त है। पुस्तक वैज्ञानिकों के जीवन और उपलब्धियों का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करती है, जो विज्ञान की दुनिया के बारे में अधिक जानने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए एक अमूल्य संसाधन है।

पुस्तक की भाषा सरल और सुलभ है, जिसे विभिन्न आयु वर्ग के पाठक इसे आसानी से समझ सकते हैं।वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझाने के लिए पुस्तक में कई चित्र और डायग्राम शामिल हैं, जो पाठकों के लिए समझ को और भी आसान बना देते हैं।

नवविवाहिता श्रेया की ब्लैकमेलिंग से तंग आकर सौरभ ने की आत्महत्या, परिजनों ने लगाए आरोप


शहडोल

जिले के जयसिंहनगर क्षेत्र से एक रूह कंपा देने वाला मामला सामने आया है। नवविवाहित युवक सौरभ तिवारी ने विवाह के महज ढाई महीने के भीतर हैदराबाद में आत्महत्या कर ली, और अपनी मौत से पहले अपनी पत्नी श्रेया पांडेय और उसके परिवार की असलियत उजागर कर गया। 10 लाख की फिरौती या फंसाने की धमकी सौरभ को दी थी जिससे ज़िंदगी दांव पर थी, परिजनों ने साफ तौर पर आरोप लगाया है कि श्रेया पांडेय अपने पति से कहती थी की 10 लाख मेरे खाते में डाल दो, नहीं तो मैं तुम और तुम्हारे पूरे परिवार को रेप और दहेज के झूठे केस में फंसा दूंगी। कॉल डिटेल में छिपा है मौत का राज अवैध संबंध का खुलासा, सौरभ ने आत्महत्या से पहले अपने माता-पिता को बताया था कि श्रेया का व्यवहार असामान्य है।

उसका फोन रात 2 बजे तक बिजी रहता था, और पूछने पर वो कहती "जिससे प्यार करती हूँ, उसी से बात करती हूँ – तुम्हें कोई हक नहीं मेरे निजी जीवन में दखल देने का, अब परिवार ने श्रद्धा के दो मोबाइल नंबरों की जानकारी पुलिस को देकर कॉल डिटेल निकलवाने की माँग की है। "कॉल रिकॉर्ड ही साबित कर देगा कि वो किन-किन से बात करती थी और क्या बातें होती थीं, सौरभ पति की मौत सुनकर लाश आने से पहले घर से श्रेया रात के अंधेरे में घर पहुंची, अपना पूरा सामान बैगों में भरकर फरार हो गई। परिजनों ने कहा कि"जिसकी शादी में सात फेरे लिए, उसकी लाश तक का इंतज़ार नहीं किया वो पहले ही सब कुछ प्लान कर चुकी थी!"

सौरभ तिवारी की मौत अब केवल एक आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या के समान साज़िश बन चुकी है। परिवार ने पुलिस अधीक्षक शहडोल को आवेदन देकर सभी मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल रिपोर्ट (CDR) निकलवाने की मांग व सौरभ की मृत्यु की मैसेजिंग, ऑडियो कॉल रिकॉर्ड, स्क्रीनशॉट जांच व श्रद्धा पांडेय, उसके माता-पिता व भाई पर 306, 384, 120-B, 506 जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करने की मांग की है। इस मामले ने पूरे क्षेत्र में काफी रोष और आक्रोश फैला है। कई सामाजिक संगठनों और युवा मंचों ने इसे "नवयुवकों को ब्लैकमेल कर मरने को मजबूर करने वाला संगठित अपराध" बताया है और कड़ी कार्यवाही की माँग की है। अब जनता पूछ रही है क्या सच्चा प्यार यूँ 10 लाख की डील बन गया, क्या बेटियाँ अब डराने का हथियार बन गईं।

सशक्त हस्ताक्षर की 38 वीं काव्य गोष्ठी संपन्न, कवियों, कवयित्रियों का किया गया अभिनंदन


जबलपुर

संस्कारधानी की सबसे गतिशील संस्था जो साहित्य, समाज, संस्कृति के लिए समर्पित है, की 38 वीं काव्य गोष्ठी, श्री जानकी रमण महाविद्यालय सानंद सम्पन्न हुई ၊ संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा ने अपनी वाणी से सभी अतिथियों, कवियों, कवयित्रियों का अभिनंदन किया ၊ सरस्वती वंदना भेड़ाघाट से पधारें लोक कवि,गायक कुंजीलाल चक्रवर्ती निर्झर ने की ၊

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध शायर सोहन परोहा सलिल, अध्यक्षता महामहोपाध्याय आचार्य डॉ. हरिशंकर दुबे, विशिष्ट अतिथि प्राचार्य डॉ. अभिजात कृष्ण त्रिपाठी,इंजीनियर देवेन्द्र श्रीवास्तव देवेश, सारस्वत अतिथि राजेश पाठक प्रवीण,मंगलभाव सहेन्द्र श्रीवास्तव, संध्या जैन श्रुति की गरिमामय उपस्थिति रही ၊ इस अवसर पर सोहन परोहा सलिल,देवेन्द्र श्रीवास्तव देवेश को साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु सशक्त साहित्य सेवा सम्मान,गोपाल प्रसाद रैकवार को सशक्त सेवा सम्मान,मोती व पुष्पमाल, शाल, सशक्त अंगवस्त्र,कलमश्री, मानपत्र से सम्मानित किया गया ၊ इसी क्रम में प्राचार्य डॉ. अभिजात कृष्ण त्रिपाठी, सहेन्द्र श्रीवास्तव को भी सम्मानित किया गया ၊

सभी सम्मानीय, उपस्थित कवि -कवयित्रियों  ने एक से बढ़कर एक रचनाएँ प्रस्तुत की ၊ काव्य पाठ कुंजीलाल चक्रवर्ती निर्झर,पं. दीनदयाल तिवारी बेताल,संदीप खरे युवराज, कछारगाँव से अखिलेश खरे अखिल ने उत्कृष्ट रचनाएँ प्रस्तुत  कर सबका मन मोह लिया ၊ अजय मिश्रा, रविन्द्र मुर्हार,अरुण शुक्ल, विनय शर्मा, संजय गर्ग,पराग तैलंग, आकाशवाणी जबलपुर में बुंदेली कार्यक्रम के कम्पेयर लखन लाल रजक ने अपनी उत्तम प्रस्तुतियों से सबका दिल जीत लिया ၊ अरविंद मोहन नायक, एल.जैन,संजय पाण्डेय,विवेक शैलार को सबने सराहा ၊ संतोष नेमा संतोष, सहेन्द्र श्रीवास्तव, ज्योति प्यासी, आरती श्रीवास्तव, इन्द्राना से आये प्रकाश सिंह ठाकुर ने खूब तालियाँ बटोरी ၊ मंचस्थ अतिथियों, सोहन परोहा सलिल,डॉ. हरिशंकर दुबे,राजेश पाठक प्रवीण,डॉ. विजय तिवारी किसलय, देवेन्द्र श्रीवास्तव देवेश, कवि संगम त्रिपाठी ने गोष्ठी को चरमानंद पर पहुंचाया ၊ धनंजय कुमार श्रीवास्तव,चंद्रकांत जैन की गरिमामय उपस्थित रही ၊संचालन गणेश श्रीवास्तव प्यासा, व आभार प्रदर्शन महासचिव गुलजारी लाल जैन ने किया ၊

41 बर्ष बाद अंतरिक्ष में भारत के नए कदम और चुनौतियां, शुभांशु शुक्ला ने रचा नया इतिहास

*जोखिमों व तकनीकियों से भरी हो सकती है अंतरिक्ष की यात्रा*


सुशी सक्सेना 

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि जैसा कि सर्वविदित है कि हमारे देश भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच कर एक नया इतिहास रच दिया है, शुभांशु शुक्ला,जोकि भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन भी हैं उन्होंने धरती पर सफलतम वापसी की है एवम् उनकी वापसी को लेकर सम्पूर्ण देश को गर्व है। शुभांशु और एक्सिओम-4 मिशन के उनके अन्य तीन साथी 10 मिनट की देरी से सोमवार शाम 4.45 बजे (भारतीय समयानुसार) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से धरती के लिए रवाना हुए। अंतरिक्ष यात्रियों का यह दल लगभग 18 दिनों तक आई० एस० एस० पर अनुसंधानयुक्त वैज्ञानिक प्रयोग करने के साथ ही, मंगलबार को 22.5 घंटे का पुनः प्रवेश सफर पूरा करने के बाद मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे (भारतीय समयानुसार) कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर उतरा, इसके साथ ही एक्सिओम-4 मिशन पूरा करने मे सफलता हासिल हुई।

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि स्पेसएक्स, ‘ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट और एक्सिओम स्पेस के एएक्स-4 मिशन के चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने कैलिफोर्निया के सैन डिएगो तट के पास प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन करके एक कीर्तिमान स्थापित किया ।

शुभांशु के अलावा धरती पर लौटे ड्रैगन यान में एक्सिओम-4 की मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू सवार थे। पृथ्वी पर आने से पहले शुभांशु और उनके तीनों साथियों ने आईएसएस में पहले से मौजूद दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों को गले लगाया और हाथ मिलाने के बाद धरती पर वापसी के लिए ड्रैगन में सवार हो कर पृथ्वी पर सकुशल वापसी की। खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा करीब 18 दिन में 60 से ज़्यादा वैज्ञानिक प्रयोग किए। जिनमें लगभग 7 प्रयोग भारत के थे। शुंभाशु ने अपने इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष में करीब 18 दिन का समय बिताया है। इस दौरान उन्होंने आई ०एस० एस० की माइक्रो ग्रैविटी प्रोगशाला में, कई महत्त्वपूर्ण प्रयोग भी किए, जोकि इसरो की टीम द्वारा सुपुर्द किए गए थे, कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं  जैसे माइक्रो एल्गी, मसल्स लॉस, प्लांट ग्रोथ इत्यादि।

*जोखिमों व तकनीकियों से भरी हो सकती है अंतरिक्ष की यात्रा*

खगोल विद अमर पाल सिंह ने इस बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए कहा कि अगर किसी भी मिशन में कोई भी समस्या होती है तब कोई भी मिशन कितना जटिल हो सकता है, अमर पाल सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों को इस दौरान कई प्रकार की स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, जो कि बहुत ही अलग हो सकती हैं, जैसे कि अगर आचनक से हीलियम या ऑक्सीजन गैस का रिसाव होना हो या थ्रस्टर्स का ठीक से काम न कर पाना हो या यान का ठीक से मेनूओवर न होना हो या सम्पर्क का ब्लैकआउट हो जाना हो या पृथ्वी पर वापसी के समय पैराशूट का ठीक से न कार्य करना हो या डॉकिंग या अंडॉकिंग का ठीक से न हो पाना हो या स्प्लैश डाउन लैंडिंग में कोई दिक्कत हो या री यूसेबल स्पेस फ़्लाइट में कहीं भी सफ़र के दौरान कोई तकनीकी खामी हो सकती हैं या अन्य जैसे कि यान का पृथ्वी के वायुमंडल को उच्च गति से पार करते समय यदि मॉड्यूल में कोई भी तकनीकी खराबी आती है तो उस से पार पाना नामुमकिन सा ही होता है, या फिर आई०एस ०एस० पर डॉकिंग / अनडॉकिंग के समय दिक्कत हो सकती हैं और इसी तरह से दुबारा भी स्पेस क्राफ्ट को हजारों किलोमीटर प्रति घंटे से पृथ्वी के वायुमंडल में री एंटर ( पुनः दाख़िल) होते समय भी घर्षण के कारण भीषण गर्मी की बेरहम मार और वायुमंडलीय दबाव झेलना पड़ता है जिस दौरान अचानक कैप्सूल की शील्ड भी ख़राब हो सकती हैं अगर इस दौरान कोई भी तकनीकी खराबी या अन्य और खामी आती हैं तो यह अपने आप में एक बड़ी चुनौती बन जाती हैं , इसीलिए पहले से ही समस्त उपकरणों को भली भांति ऑन बोर्ड कम्प्यूटर तंत्रों से जांच कर लिया जाता है और उच्च गुणवत्ता वाले विशेष उपकरणों का ही उपयोग किया जाता है, जिस से किसी भी स्तर पर और कोई भी तकनीकी खामी होने की कतई भी गुंजाइश नहीं हो, क्योंकि कोई भी मानवीय जान किसी भी मिशन में हम जानबूझ कर ऐसे दाव पर नहीं लगा सकते, जिसकी सफलता सत प्रतिशत निश्चित न हो।

यह अंतरिक्ष यान एक साथ 7 अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने में सक्षम है और पूरी तरह से स्वयं चालित (ऑटोनॉमस) है, लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे मैन्युअली;( मानव नियंत्रण) द्वारा भी नियंत्रित किया जा सकता है, इसमें आधुनिक सुरक्षा सुविधाएं हैं, जो किसी भी आपातकालीन स्थितियों में अंतरिक्ष यात्रियों को हमेशा सुरक्षित रखने में सक्षम हैं ,अब तक के हुए कई प्रमुख मिशन में इस स्पेस एक्स ड्रैगन को कई सफ़ल मिशन में उपयोग किया जा चुका है, 2012 में यह (आई एस एस) तक कार्गो ( महत्वपूर्ण वस्तुएं) ले जाने वाला प्रथम निजी अंतरिक्ष यान बना, और 2020 में क्रू ड्रैगन ने नासा के लिए पहला मानव मिशन पूरा किया। इसके बाद से यह कई कॉमर्सियल ( व्यापारिक) और (साइंटिफिक) वैज्ञानिक मिशनों का हिस्सा रहा है,अब यह यान नियमित रूप से अंतरिक्ष यात्रियों और वैज्ञानिक उपकरणों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ( आई०एस० एस०) तक सफलतापूर्ण पहुंचाता है और वापस भी लेकर आता है। इसकी दोबारा उपयोग (री इयूसेबल) की क्षमता ने ही इसे  अति खास बना दिया है।

शुभांशु शुक्ला ने भी राकेश शर्मा जी की उस 41 बर्ष पूर्व की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भारत आज भी सारे जहां से अच्छा दिखता है, और इसीलिए हम कह सकते हैं कि निःसंदेह यह अंतरिक्ष यात्रा भी इस अंतरिक्ष युग में भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। 

*खगोल विद ,अमर पाल सिंह, नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर ,उत्तर प्रदेश ,भारत*

रामायण केंद्र, जबलपुर द्वारा "गुरु-तत्व" पर एक परिसंवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन


जबलपुर

रामायण केंद्र जबलपुर द्वारा वैशाली परिसर स्थित मंदिर  प्रांगण में "गुरु-तत्व" विषय पर एक परिसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  इस कार्यक्रम की शुरुआत में सबसे पहले मंदिर के राम दरबार में दीप-प्रज्वलन किया गया।  तदोपरांत प्रबुद्व वक्ताओं के द्वारा अपने -अपने विचार व्यक्त किए गए। इस अवसर पर महिला प्रकोष्ठ की जिला अध्यक्ष अलका श्रीवास्तव ने बताया कि मनुष्य से मनुष्यता तक की जो यात्रा है वह गुरु के बिना पूर्ण नहीं हो सकती। डॉक्टर राजेंद्र नेमा ने कहा कि जिस तरह अर्जुन और संजय को दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई थी वो एक सामान्य मनुष्य को तब तक प्राप्त नहीं हो सकती जब तक उस पर गुरु की कृपा न हो। कार्यक्रम में शर्मा जी द्वारा कहा गया कि गुरु की कृपा हर किसी पर नहीं हो सकती और यदि आप पर गुरु की कृपा है तो उनके सतत संपर्क में आप रहिए बिना गुरु कृपा कुछ संभव नहीं है। इस विषय में डॉ.विजेंद्र उपाध्याय ने कहा कि मनुष्य अहंकार के कारण कुछ देख नही पाता, इसलिए हमें गुरु की शरण में जाकर अहंकार के अंधकार से प्रकाश की ओर जाना चाहिए। रामायण केंद्र के संयोजक इंजीनियर संतोष कुमार मिश्र "असाधु" ने कहा कि हमारे यहाँ गुरु बहुत सारे है पर उनमें से सही गुरु का चयन करना बहुत मुश्किल कार्य है। भगवान दत्तात्रेय के तो कुल 24 गुरु हुए हैं इसलिए गुरु की संख्या अनंत हो सकती है और सबके भीतर वही एक गुरु तत्व मौजूद है फिर भी अज्ञानतावश वह सदैव इधर-उधर भटकता रहता है। डॉ. विवेक चंद्रा जी ने कहा की गुरु एक शिक्षक,मार्गदर्शक होता है जो सांसारिक माया से दूर करने करने में सहयोग करता है। कार्यक्रम की मंच संचालिका डॉ. नेहा शाक्य ने कहा की गुरु वह है जो तीनों प्रकार के दुःख अर्थात आध्यात्मिक, अधिदैविक, अधिभौतिक दुखों से मुक्ति दिलाये। श्री अवध नारायण श्रीवास्तव जी ने कहा की गुरु जो कहे उसके अनुरूप हमें जीवन जीना चाहिए और अपने गायन के माध्यम से गुरु की महिमा का बखान किया । विवेक अग्रवाल ने कहा की गुरु ही हमें भव सागर से पार करवाते है। इस कार्यक्रम का सफल संचालन एवं आभार डॉ. नेहा शाक्य ने किया। कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि रामायण केन्द्र जबलपुर अपनी संस्कृति को समृद्ध बनाने हेतु निरंतर प्रेरणादायक कार्य कर रही है।

वेदस्मृति कृती को प्रदान किया गया हिंदी सेवी सम्मान


पुणे 

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने वेदस्मृति 'कृती' को हिंदी सेवी सम्मान प्रदान किया। हिंदी सेवी सम्मान सशक्त हस्ताक्षर संस्था जबलपुर संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी के संयोजन में दिया गया। वेदस्मृति 'कृती' प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा की सदस्य हैं और हिंदी को समृद्ध बनाने हेतु कार्य कर रही है। वेदस्मृति 'कृती' रचनात्मक कार्य कर रही है और विभिन्न संस्थाओं से जुड़ी हैं। साहित्य एवं शिक्षा जगत में उनकी सेवा भावना प्रेरणादायक है। 

वेदस्मृति 'कृती' को विभिन्न साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्थाओं ने अनेकों बार सम्मानित किया है। उनका लेखन साहित्य व समाज को नई दिशा देने में सक्षम है। उनका लेखन सामाजिक कुरीतियों, पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं आध्यात्मिक और आत्मिक विकास पर  केंद्रित होता है।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर 10 जुलाई 2025 को दिखाई देगा बक मून/ फुल मून 


(सुशी सक्सेना)

10 जुलाई को रात्रि के आसमान में चांद बड़ा और चमकीला भी दिखाई देगा। क्या होता है बक मून इस बाबत , वीर बहादुर सिंह ,नक्षत्र शाला ( तारामण्डल ) गोरखपुर के खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि जुलाई में होने वाले इस फुल मून/ पूर्णिमा को होने वाले पूर्ण चंद्र को खगोल विज्ञान भी भाषा में बक मून नाम दिया जाता इसको एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना जाता है जोकि प्राकृतिक चक्रों और उनके महत्व को दर्शाती है।

खगोल विद अमर पाल सिंह के अनुसार गुरुवार को बक मून क्षितिज पर काफी नीचा होने की वजह से उसका आकार भी काफी बड़ा नजर आएगा। वैसे तो यह बक मून 10 जुलाई की रात्रि को उदय होगा और पूरी रात्रि आकाश में अपनी छटा बिखेरता हुआ दिखाई देगा। लेकिन भारतीय समयानुसार 11 जुलाई की सुबह लगभग 2:08 am IST बजे यह अपने चरम बिंदु पर होगा। 

*कैसे पड़ा इसका नाम*

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि इस नाम के पीछे एक छोटी सी कहानी है। कि सुपरमून को बकमून क्यों कहा जाता हैं?  खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि असल में यह नाम नेटिव अमेरिकन है, बकमून इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पारंपरिक रूप से उत्तरी अमेरिका में नर हिरणों की सींगें पूरी तरह से उगने के समय से मेल खाता है,  इन सींगों को बक कहते हैं. जोकि कई बार गिरते और उगते रहते हैं लेकिन जुलाई माह में इनकी ग्रोथ पूरी होती है, इसलिए इसको बक मून कहते हैं, कुछ लोगों द्वारा इस पूर्णिमा को नवीनीकरण, नई शक्ति एवं दृढ़ संकल्प के प्रतीक के तौर पर भी देखा जाता है जो इसके सार्वभौमिक महत्व को भी प्रदर्शित करता है।

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि अलग-अलग संस्कृतियों में इसके अलग -अलग नाम दिए गए हैं इस बक मून को अलग-अलग संस्कृतियों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है,भारत में यह पूर्णिमा गुरु शिष्य परंपरा के अटूट रिश्ते को प्रदर्शित करती है ,इसीलिए यह गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। वहीं अमेरिका में कुछ जनजातियां इसे जुलाई में आने वाले बड़े तूफानों से जोड़कर भी देखती हैं, इसलिए इसे थंडर मून भी कहा जाता है, कुछ अन्य लोगों द्वारा इसे सैल्मन मून, रास्पबेरी मून, क्लेमिंग मून, वाइर्ट मून, हर्ब मून और मीड मून के नाम से भी जाना जाता है और हमें यह भी पता चलता है कि यह नाम अमेरिका की एक पत्रिका ओल्ड फार्मर्स अल्मनैक के अनुसार इस शब्द की उत्पत्ति संभवतः अमेरिकन जनजातियों के एक समूह से ही हुई मानी जाती है। वैसे इस बक  मून को  घास की कटाई के बाद एंग्लो सैक्सन इसी मून को  'हे मून'  कहते थे, और इसीलिए इसका 'थंडर मून' नाम जुलाई में आने वाले तूफानों की एक बृहद निशानी भी माना जाता था।

*कहां और कैसे देखें बक मून को*

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि बकमून को देखने के लिए जरूरी है कि रात्रि का आसमान साफ हो, बादल या कोहरा एवम् प्रकाश प्रदूषण न हो, देखने के लिए बेहतर होगा कि किसी साफ़ स्वच्छ और कम रोशनी वाले स्थान पर जाया जाए। वैसे आप इसको अपनी साधारण आंखों से ही देख सकते हैं और इसको देखने के लिए किसी भी ख़ास उपकरणों की आवश्यकता नहीं है, यह खगोलीय घटना कई देशों के साथ ही सम्पूर्ण भारत में प्रत्येक जगह से दिखाई देगी, आप सीधे तौर से अपने घरों से ही इस खगोलीय घटना का लुत्फ़ उठा सकते हैं,

*अमर पाल सिंह,( खगोलविद), नक्षत्र शाला,(तारामण्डल) गोरखपुर उत्तर प्रदेश, भारत*

प्रलेस संघ म.प्र. राज्य सचिव मंडल की साहित्यकार कवि आरती जनकवि सरोज सम्मान से होगीं सम्मानित


अनूपपुर

प्रगतिशील लेखक संघ के शहडोल संभागीय अध्यक्ष विजेंद्र सोनी एडवोकेट ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि प्रगतिशील लेखक संघ मध्य प्रदेश राज्य सचिव मंडल की वरिष्ठ साहित्यकार कवि आरती को जनकवि सरोज सम्मान से 2025 से अभिनंदित होंगी। वर्ष 2025 के जनकवि मुकुट बिहारी सरोज सम्मान से कवि, लेखक और सम्पादक आरती को अभिनंदित किया जाएगा। यह जानकारी  जनकवि मुकुट बिहारी सरोज स्मृति न्यास के अध्यक्ष महेश कटारे 'सुगम' तथा सचिव  मान्यता सरोज ने दी है।

विन्ध्य के एतिहासिक कस्बे गोविंदगढ़ में जन्मी और रीवा में पढ़ी लिखी आरती समकाल की महत्वपूर्ण तथा उल्लेखनीय कवि तथा साहित्यकर्मी हैँ।  उनके कविता संग्रह "मायालोक से बाहर" 2014 में "रचना समय" में और "मूक बिम्बों से बाहर" अभी हाल ही में "राधाकृष्ण प्रकाशन" से प्रकाशित हुए हैं ।  वे  "समय के साखी" साहित्यिक पत्रिका का 2008 से निरंतर संपादन  कर रही हैं और केदारनाथ अग्रवाल, नागार्जुन, भवानी प्रसाद मिश्र, डॉ रामविलास शर्मा, फिदेल कास्त्रो, रविंद्रनाथ टैगोर, लेव तोलस्तोय व रसूल हमजातोव की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक मेरा दागिस्तान पर संग्रहणीय  विशेषांकों का संपादन कर चुकी हैं । इनके अलावा साहित्य भंडार से प्रकाशित 'नरेश सक्सेना का व्यक्तित्व एवं कृतित्व पुस्तक ,  2000 के बाद की कविताओं का संकलन तथा का संपादन और "राजपाल एंड सन्स" से  "इस सदी के सामने" नाम से प्रकाशित हो चुका है । मणिपुरी पर केंद्रित यात्रा संस्मरण "मणिपुर डायरी" प्रकाशनाधीन। आरती साहित्य-समाज के जरूरी पहलुओं पर लेखन और प्रकाशन से जुड़ी हैं।

देश के प्रमुख साहित्य सम्मानों में से एक जनकवि मुकुट बिहारी सरोज सम्मान सम्मान एक ऐसा सम्मान है जिसे पिछले 22 वर्षों से  किसी मठ, प्रतिष्ठान,  व्यावसायिक संस्थान या सरकार के सहयोग के बिना सरोज जी के प्रशंसकों तथा ग्वालियर के सजग  साहित्यिक सामाजिक समुदाय  द्वारा बिना किसी विराम के लगातार दिया जा रहा है । हिंदी के अलावा यह सम्मान अब तक उर्दू, संथाली, बुन्देली, अंग्रेजी, ओरांव, असमिया भाषा के कवियों को दिया जा चुका है । न्यास की विज्ञप्ति के अनुसार सुश्री आरती को दिया जाने वाला यह 21वां सरोज सम्मान है तथा इससे सम्मानित होने वाले वे 22वीं कवि हैं।

रसोई की खुशबू व दादी-नानी के व्यंजन घरेलू नुस्खों की अनमोल विरासत, सब की सहेली


अनुपमा (सब की सहेली) 

छठा अंक -  व्यंजन एवं घरेलू नुस्खे विशेषांक

अनुपमा (सब की सहेली) पत्रिका का छठा अंक व्यंजन एवं घरेलू नुस्खे विशेषांक का सफल प्रकाशन किया गया। जैसा की छठे अंक  विशेषांक का उद्देश्य था उसी के अनुरूप अपने सृजन के माध्यम से इस अंक में रसोई की खुशबू और दादी-नानी के घरेलू नुस्खों की अनमोल विरासत समर्पित है। यह विशेषांक केवल स्वाद और स्वास्थ्य का संगम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत दस्तावेज है। इस विशेषांक के माध्यम से हम आपके लिए लाए हैं ऐसे व्यंजन, जो सिर्फ स्वाद से ही नहीं, अपितु पोषण से भी भरपूर हैं। साथ ही, हमनें संजोए हैं कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे, जो पीढ़ियों से आजमाए जाते रहे हैं और आज भी आधुनिक चिकित्सा के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। आशा है कि यह विशेषांक आपके जीवन में स्वाद, स्वास्थ्य और स्नेह की मिठास घोलने में सहायक सिद्ध होगा।

व्यंजन एवं घरेलू नुस्खे विशेषांक पर आधारित अनुपमा (सब की सहेली) पत्रिका का यह अंक एक अद्वितीय और आकर्षक प्रकाशन है। यह अंक सभी के लिए उपयोगी है, बल्कि आम पाठकों के लिए भी बेहद रुचिकर और जानकारी पूर्ण है। अनुपमा एक ऐसी पत्रिका है जिसमें नये पुराने छोटे बड़े सभी तरह के कलाकारों को अपनी लेखनी चलाने का अवसर प्रदान किया जाता है और उन्हें सम्मान पत्र से सम्मानित किया जाता है।

सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने उमा सुहाने को दिया हिंदी रत्न सम्मान


जबलपुर

हिंदी के प्रचार-प्रसार व हिंदी साहित्य की सेवा में लगे कवि कवयित्रियों को निरंतर सम्मानित किया जा रहा है और इसी क्रम में गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर संस्था व कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने उमा सुहाने रायपुर को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया है।

उमा गोविंद सुहाने भगवती कला केन्द्र की संचालिका है व हिंदी लेखिका संघ, वैश्य महासभा, गहोई समाज से जुड़ी हैं। इन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड व वर्ल्ड वाइड रिकार्ड सम्मान प्राप्त हुआ है। अंतरा शब्द शक्ति, अंतरा गौरव, शब्द कोविद, दिव्य रश्मि कला साहित्य मणि अलंकरण, प्रसंग अलंकरण सहित अन्य विभिन्न संस्थाओं से सम्मान पत्र मिले हैं।

कवि संगम त्रिपाठी ने  जारी विज्ञप्ति में देश के हिंदी प्रेमियों से आव्हान किया है कि 13.09.2025 व 14.09.2025 को दिल्ली में आयोजित हिंदी अधिवेशन व हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान में साहित्यकार पत्रकार व समाज सेवी सहयोग प्रदान करें।

डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड को मिला हिंदी रत्न सम्मान


जबलपुर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी के प्रचार-प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रहे मनीषियों को सम्मानित कर रही है और इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा अभियान को गतिशील बनाए रखना है। इसी तारतम्य में सशक्त हस्ताक्षर संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी के सहयोग से डाॅ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया गया।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि डॉ रामप्रवेश पंडित साहित्य की धारा से जुड़े हैं। इनकी रचनाएं जनसंदेश का काम कर रही है। डॉ रामप्रवेश पंडित विभिन्न संस्थाओं से जुड़े हैं और सामाजिक सांस्कृतिक व शैक्षणिक कार्य में निरंतर प्रेरणादायक कार्य कर रहे है।

डॉ रामप्रवेश पंडित पलामू झारखण्ड के स्थापित गीतकार हैं। इनकी वाणी वंदना किताब चर्चित कृति है। 14 सितंबर 2024 को इन्होंने प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय सम्मेलन व जंतर-मंतर में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु प्रदर्शित सभा में शामिल हुए थे। डॉ रामप्रवेश पंडित जी का हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा के प्रति समर्पण भाव अवर्णनीय है।

 डॉ मनोरमा गुप्ता ' बांसुरी' को मिला हिंदी रत्न सम्मान 


जबलपुर

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी के प्रचार-प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रहे कवियों , कवयित्रियों व हिंदी प्रेमियों को सम्मानित कर रही है और इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा अभियान को गतिशील बनाए रखना है। इसी तारतम्य में सशक्त हस्ताक्षर संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी के सहयोग से डाॅ मनोरमा गुप्ता ' बांसुरी ' को हिंदी रत्न सम्मान प्रदान किया गया।

डॉ मनोरमा गुप्ता ' बांसुरी ' जबलपुर साहित्य की धारा से जुड़ी हैं और हिंदी प्रचार प्रसार में सलंग्न है। इनकी रचनाएं जनसंदेश का काम कर रही है। डॉ मनोरमा गुप्ता ' बांसुरी ' विभिन्न संस्थाओं से जुड़ी हैं और सामाजिक सांस्कृतिक व शैक्षणिक कार्य में निरंतर सहयोग प्रदान कर रही है। अब तक इनकी चार साझा संग्रह प्रकाशित हो चुकी है और हिंदी प्रचार प्रसार में सतत प्रेरणादायक कार्य कर रही है।

कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने हिंदी प्रेमियों से आव्हान किया है कि हिंदी प्रचार प्रसार में सहयोग प्रदान करें और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अभियान में शामिल हो।

पद्मश्री कवि सुरेन्द्र शर्मा के निधन पर प्रेरणा ने दी श्रद्धांजलि


जबलपुर

दुर्ग के बेमेतरा छत्तीसगढ़ में जन्मे आदरणीय सुरेन्द्र दुबे जी जो कामिक कविताओं के व्यंग्यवादी लेखक,कुशल वक्ता  जिनको लोगों को हँसाने में महारत हासिल थी। जो पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। आप अत्यंत मृदु भाषी और सरल, सज्जन व्यक्ति थे। आपको 2008 में काका हाथरसी रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया और आपके द्वारा  साहित्य के क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए 2010 में भारत का चौथा सर्वोच्च पुरस्कार पद्मश्री से आपको सम्मानित किया गया। आपकी रचनाएं आजीवन लोगों को हँसातीं रहीं पर आज आप जाते- जाते सबको रुला गए। आपके जाने से हिंदी साहित्य जगत को जो नुकसान हुआ है उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता है। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आपको अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को यह असहनीय दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।

पद्म श्री सुरेन्द्र शर्मा वरिष्ठ कवि के असामायिक निधन पर कवि संगम त्रिपाठी, डॉ मुकुल तिवारी, तरुणा खरे 'तनु', प्रीति नामदेव ' भूमिजा ' , इंद्रजीत सिंह राजपूत, संध्या शुक्ला, गुलजारी लाल जैन, विजय शंकर पाण्डेय, पवनेश मिश्रा, उमा सुहाने, पप्पू सोनी, रामगोपाल फरक्या, दुर्वा दुर्गेश वारिक, हरिश परमार,  सन्द्रा लोटवान, गोवर्धन दास, डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र 'आदित्य', सुरेन्द्र दुबे वरिष्ठ पत्रकार , हरिश परमार, मंजू अशोक राजाभोज ने श्रद्धांजलि दी।

राजेश सोनार ने कवि संगम त्रिपाठी को अपनी किताब भेंट की


बिलासपुर 

राजेश कुमार सोनार ने अपनी किताब अनुभूतियों के स्वर कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा को भेंट की। राजेश कुमार सोनार बिलासपुर छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध गीतकार हैं।  उनकी रचनाएं समाचार पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है व साझा संकलन में अभी तक पच्चीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। राजेश कुमार सोनार बिलासपुर के विभिन्न संस्थाओं से जुड़े हैं व निरंतर साहित्य साधना कर रहे हैं। अनुभूतियों के स्वर किताब में राजेश कुमार सोनार ने समसामयिक विषयों पर रचनाओं को संचित किया है। उनकी यह कृति जनमानस में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में कामयाब होगी ऐसी आशा है।

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