साहित्यकार पी. यादव ‘ओज’ को 2025 का मिला प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान


दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला प्रांगण में आयोजित हिंदी पखवाड़ा–2025 के अवसर पर साहित्यकार,शिक्षाविद एवं समाजसेव पी. यादव ‘ओज’ को उनके हिंदी भाषा,साहित्य और समाज कल्याण के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान हेतु  ' प्रेरणा राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान–2025 '  से सम्मानित किया गया।यह प्रतिष्ठित सम्मान राष्ट्रीय प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा,भारत द्वारा प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन अत्यंत गरिमामय वातावरण में हुआ,जिसमें देशभर के प्रतिष्ठित साहित्यकार,विद्वान,शिक्षाविद और पत्रकार उपस्थित रहे।संस्था के संस्थापक संगम त्रिपाठी ने ‘ओज’  के हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और साहित्यिक विकास में दिए गए उल्लेखनीय योगदान की सराहना करते हुए विशेष बधाइयां एवं शुभकामनाएं भी दी।इस गौरवमयी सम्मान को प्राप्त कर ओज ने राष्ट्रीय प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा का हृदय से आभार व्यक्त किया।साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह सम्मान मेरी नहीं,हिंदी की अस्मिता का सम्मान है। हिंदी हमारी आत्मा की भाषा है,और जब तक यह जीवंत रहेगी,भारत की सांस्कृतिक पहचान अडिग रहेगी। गौरतलब है कि ओज के साहित्यिक संग्रह-‘प्रेरणा-दीप’, ‘अंतर्नाद’,‘नयंश’,‘नव परिमल’ ने हिंदी साहित्य को नई दिशा प्रदान की है।वहीं उनका गद्य-संग्रह ‘इंद्रधनुष’ मानवीय मूल्यों,सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्रचेतना का सशक्त दस्तावेज़ माना जाता है।

एक कदम गांधी के साथ, वाराणसी राजघाट से दिल्ली राजघाट तक पदयात्रा

*शामिल होंगे प्रबुद्ध गांधीजन, बुद्धिजीवी, प्रतिनिधि व समाजकर्मी*


अनूपपुर

सर्व सेवा संघ, समस्त गांधीजन और लोकतांत्रिक संगठनो के सहभाग से एक कदम गांधी के साथ - पदयात्रा  गांधी जयंती, 2 अक्टूबर से संविधान दिवस, 26 नवंबर 2025 तक होगी। यात्रा की शुरुआत राजघाट वाराणसी से होगी और 26 नवंबर को सुबह 7:00 बजे राजघाट दिल्ली में सर्वधर्म- प्रार्थना के बाद संविधान मार्च के रूप में जंतर- मंतर तक जाएगी जहां एक सभा के साथ कार्यक्रम संपन्न होगा।

*पदयात्रा का मार्ग*

बनारस राजघाट से शुरू होकर गोपीगंज, प्रयागराज, कुंडा (प्रतापगढ़) रायबरेली, लखनऊ, उन्नाव, कानपुर, अकबरपुर (कानपुर देहात), औरैया, इटावा, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा-वृन्दावन, होडल, पलवल, बल्लभगढ़, फरीदाबाद, बदरपुर बार्डर, निजामुद्दीन, राजघाट, दिल्ली होते हुए जंतर-मंतर पहुंचेगी। 1 हजार किलोमीटर की इस यात्रा में कुल 110 पड़ाव होंगे।

*पुरी यात्रा में शामिल रहेंगे*

सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, मंत्री अरविंद कुशवाहा एवं अरविंद अंजुम, आंदोलन समिति के संयोजक डॉ विश्वजीत, युवा प्रकोष्ठ के संयोजक भूपेश भूषण, विनोबा आश्रम गागोदा की सरिता बहन के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल अध्यक्ष राम धीरज भाई पूरी यात्रा में रहेंगे।

*शामिल होंगे प्रबुद्ध गांधीजन, बुद्धिजीवी, प्रतिनिधि व समाजकर्मी*

इस यात्रा में जगह-जगह देश के विभिन्न इलाके के प्रबुद्ध गांधीजन, लोकतांत्रिक चेतना से प्रेरित एवं सक्रिय नागरिक, जन आंदोलनों के प्रतिनिधि बुद्धिजीवी, साहित्यकार,नाटककार, पत्रकार, जन आंदोलनो के प्रतिनिधि एवं समाजकर्मी शामिल होंगे। गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही, सेवाग्राम आश्रम की अध्यक्ष आशा बोथरा, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के संयोजक आनंद कुमार समाजवादी जन परिषद के महासचिव अफलातून, जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय के प्रफुल्ल सामंतरा, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण, भारत जोड़ो अभियान के योगेंद्र यादव, नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर, संयुक्त किसान संघर्ष समन्वय समिति के सुनीलम,सोशलिस्ट पार्टी के संदीप पांडे, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के जयंत दीवान यात्रा के उद्देश्यों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए शामिल होंगे।

*पदयात्रा का उद्देश्य*

सूफी और संतों की उदारवादी परंपरा तथा स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्शों की विरासत, सामाजिक सद्भावना, संविधान एवं लोकतंत्र के लिए जागरूक करना और किसानो, मजदूरों, नौजवानों, महिलाओं, दलितों, आदिवसियों एवं समाज के सभी कमजोर वर्गों के संवैधानिक अधिकारों व मानवीय गरिमा को सुनिश्चित करने तथा भयमुक्त वातावरण निर्माण के लिए लोगों से संवाद करना है। यह यात्रा शोषण एवं शासन विहीन शांतिमय-अहिंसक वैश्विक समाज के लिए संकलबद्ध है। ये आदर्श मानवता के आदर्श हैं और उन्हें हासिल करने में एक लंबा समय लगेगा। इसका यह अर्थ नहीं है कि आज की चुनौतियां को नजरअंदाज कर दिया जाए।

बेरोजगारी, खेती-किसानी, गरीबी, शिक्षा  और स्वास्थ्य के व्यापरीकरण,पर्यावरण के मुद्दों पर हस्तक्षेप करना एवं किसानो, मजदूरों व व्यापारियों की समस्याओं को दूर करने की चेतना जागृत करने कोशिश इस यात्रा का महत्वपूर्ण दायित्व है। जिन अधिकारों (वोट देने का अधिकार) को प्राप्त किया है और जो संविधान प्रदत्त है, उसे न केवल मजबूती से कायम रखना है बल्कि  व्यापक जन अधिकारों को भी स्थापित करना है। पदयात्रा के दौरान हम इन विषयों पर भी  लोगों से बातचीत करेंगे।

यात्रा को सफल बनाने में  सक्रिय समूह के प्रतिनिधियों एवं आयोजकों ने सभी सचेत नागरिकों और लोकतांत्रिक संगठनों से  पड़ावों की व्यवस्था में  सहयोग एवं सहभाग का आह्वान किया है। आयोजकों ने साथ ही पदयात्रियों के स्वागत करने और इसके उद्देश्यों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में भागीदारी निभाने की भी अपेक्षा की है। मध्य प्रदेश के अनूपपुर शहडोल रीवा सतना भोपाल के साथियों का भी प्रतिनिधित्व हो रहा है सर्व सेवा संघ युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक भूपेश भूषण, विवेक यादव, आसमा आदिवासी, सहित सर्वोदय मंडल एवं राष्ट्रीय युवा संगठन के साथी प्रदेश भर से सम्मिलित हो रहे हैं।        

दिल्ली प्रेरणा हिंदी सम्मेलन में ' विश्व पटल पर हिन्दी ' पुस्तक का होगा विमोचन


        जबलपुर -  प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा का राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन 13 सितंबर 2025 को 18 पूसा रोड करोलबाग नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। हिंदी सम्मेलन में देश भर से कवि कवयित्री पत्रकार साहित्यकार भाग लेने आ रहे हैं।

इस अवसर पर ' विश्व पटल पर हिन्दी ' पुस्तक का विमोचन किया जाएगा। विश्व पटल पर हिन्दी किताब के संपादक द्वय, डॉ ओम ऋषि भारद्वाज एटा उत्तर प्रदेश व डॉ निधि बोथरा जैन इस्लामपुर पश्चिम बंगाल हैं। यह बहुत ही गौरव का विषय है कि हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी सम्मेलन में विश्व पटल पर हिन्दी पुस्तक का विमोचन किया जाएगा।

          प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा का हिंदी सम्मेलन डॉ धर्म प्रकाश वाजपेई सिविल सेवा गुरु के मार्गदर्शन में संपन्न होगा। प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रदीप मिश्र "अजनबी " महासचिव दिल्ली के कुशल निर्देशन में यह बहुआयामी आयोजन किया जा रहा है।

सभी हिन्दी सेवियों से, प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के ' हिन्दी को राष्ट्रभाषा ' घोषित कराने के संकल्प से, जुड़ने का आवाह्न है।

विश्व क्रांति के प्रेरक फिदेल कास्त्रो जन्म शताब्दी का शुभारंभ, वाम दलों ने याद किया कामरेड कास्त्रों के योगदान को

*कम्युनिस्ट दिल से राजनीति करते हैं, दुनिया में क्यूबा भरोसे और विश्वास का प्रतीक बनकर उभरा*


( नई दिल्ली से लौटकर हरनाम सिंह )


            क्यूबा के दिवंगत राष्ट्रपति, क्रांति के महानायक, साम्राज्यवाद को चुनौती देने वाले फिदेल कास्त्रो की जन्म शताब्दी समारोह में देश के वाम दलों सहित अनेक विद्वजनों ने उन्हें याद किया। वक्ताओं ने उत्पीड़ित मानवता के पक्ष में फिदेल के योगदान को स्मरण करते हुए अपने कई संस्मरण सुनाए। आयोजन में क्यूबा की जनता के साथ एक जुटता व्यक्त करने के लिए बनी कमेटी द्वारा फिदेल कास्त्रों शताब्दी फुटबॉल कप प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।

                शताब्दी समारोह अंतर्गत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मुख्यालय अजय भवन में पार्टी महासचिव डी राजा और अनेक सदस्यों ने फिदेल के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की। परिसर में क्यूबा क्रांति के चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। तत्पश्चात हरकिशन सिंह सुरजीत भवन स्थित सभागृह में शताब्दी समारोह का विधिवत उद्घाटन हुआ।

              प्रथम वक्ता क्यूबा के राजदूत एलजान्द्रों सिमकांस मारिन ने अपने संबोधन में कहा की क्रांति के पूर्व क्यूबा पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर था। गोरिल्ला युद्ध के बाद स्वतंत्र क्यूबा न केवल आत्मनिर्भर है, अपितु दुनिया में अपना योगदान भी दे रहा है। क्यूबा विश्व के क्रांतिकारी आंदोलनों का समर्थन करता रहेगा। क्यूबा को नष्ट करने के तमाम प्रयासों के बावजूद वह आज भी जिंदा है।

               राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि कम्युनिस्ट दिल से राजनीति करते हैं, क्योंकि दिल बांई ओर होता है। दुनिया में क्यूबा भरोसे और विश्वास का प्रतीक बनकर उभरा है। भारत सरकार को क्यूबा के शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल को अपनाना चाहिए। श्री झा ने गाजा में इजरायली दरिंदगी की निंदा करते हुए कहा कि भारत की राजनीति में इजरायल बेजा दखल दे रहा है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन के बच्चों के मारे जाने पर ट्वीट किया तो इजराइली राजदूत ने एतराज जताया।

             सी पी आई के महासचिव डी  राजा ने फिदेल कास्त्रो के साथ हुई अपनी अनेक मुलाकातों को याद किया। उन्होंने बताया कि हरकिशन सिंह सुरजीत, प्रकाश करात के साथ फिदेल कास्त्रो से अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला था। डी राजा ने कहा कि फिदेल के निधन पर देश के कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि हवाना गए थे। उनमें भाजपा के राजनाथ सिंह भी थे। वहां हमने देखा की जनता अपने महानायक से कितना प्यार करती है। भारत की विदेश नीति अब अमेरिकी परस्त होती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ में क्यूबा हो अथवा फिलिस्तीन भारत अमेरिका के साथ ही दिखता है। अमेरिका क्यूबा में प्रतिक्रांतिकारी तत्वों की मदद कर उसे अस्थिर बनाने का षड्यंत्र करता है। क्यूबा में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क है। वह समाजवाद का आदर्श प्रतीक है। क्यूबा अकेला नहीं है भारत की जनता उसके साथ है।

                 समाजवादी पार्टी के जावेद अली ने बताया कि उन्हें भी अनेक बार क्यूबा जाने का अवसर मिला है। वहां की जनता का फिदेल के प्रति प्यार दिखता है। फिलिस्तीन और पर भारत सरकार के रुख को देखते हुए क्यूबा के प्रति भी सरकार की नीतियां आश्वस्त नहीं करती। अमेरिका की टेरिफ नीति को लेकर सारा देश परेशान है। पर भारत सरकार मौन है ऐसे में फिदेल याद आते हैं, जिन्होंने सिखाया है कि अमेरिका के बिना भी जीवित रहा जा सकता है और साम्राज्यवाद से लड़ा भी जा सकता है। पीड़ित मानवता के लिए कास्त्रों एक रोशनी है।

               फारवर्ड ब्लाक के जीएस देवराजन ने 1997 में एक विद्यार्थी प्रतिनिधि मंडल के साथ क्यूबा यात्रा का जिक्र करते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में फिदेल का लंबा भाषण गिनीज रिकॉर्ड बुक में दर्ज है। उनका भाषण वामपंथियों के दिलों में रहना चाहिए। कास्त्रों ने कहा था कि समाजवाद का आयात नहीं किया जा सकता। वे दूरदर्शी नेता थे उन्होंने सोवियत संघ में पेरोस्त्राइका का विरोध किया था। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने  इराक के सद्दाम हुसैन को कुवैत पर हमला न करने के लिए सचेत किया था। वे जानते थे कि इससे अमेरिका को उस क्षेत्र में दखल देने का अवसर मिलेगा। कास्त्रों ने चे ग्वेरा को भी बोलीविया में  जाने से मना किया था। क्यूबा में धर्म कोई समस्या नहीं है। 10 अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने 638 बार फिदेल कास्त्रो  की हत्या का षड़यंत्र किया था। क्यूबा ने बता दिया है कि एक छोटा देश भी अपनी समाजवादी नीतियों से अमेरिका का मुकाबला कर सकता है।

             सीपीआई एमएल लिबरेशन के प्रोफेसर गोपाल प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने क्यूबा क्रांति की कहानियां सुनकर ही ऊर्जा प्राप्त की है। दिल्ली से भी कम आबादी वाला देश दुनिया के सबसे ताकतवर देश का मुकाबला कर रहा है। अमेरिका आज पूरी दुनिया को धमका रहा है। ऐसे में अपने आदर्श नायक को याद करना जरूरी है। फिदेल ने अपने देश की परिस्थितियों के अंतर्विरोधों से ही लोकतांत्रिक समाजवादी ढांचा तैयार करना सिखाया है। विपरीत परिस्थितियों में भी वाम आंदोलन में जान फूंकी जा सकती है।

                कार्यक्रम के अंतिम वक्ता सीपीएम के महासचिव एम ए बेबी ने कहा कि हम क्यूबा की जनता के साथ एक जुटता व्यक्त करते हैं, जो मानवता स्वाधीनता, स्वाभिमान, सामानता सिखाता है। अमेरिका दुनिया का सुपर पावर है पर वह भी क्यूबा जैसे छोटे देश को नहीं मिटा पाया। इसके पूर्व होचीमिन्ह के नेतृत्व में वियतनाम भी अमेरिका को पराजित कर चुका है। फुटबॉल कास्त्रों का प्रिय खेल था। उन्हीं की स्मृति में आयोजन समिति ने फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित की थी।

              कार्यक्रम में अल्जीरिया, वेनेजुएला, चीन, होंडूरास, कंबोडिया तिमोर, रिपब्लिक ऑफ़ डोमिनिक  ब्राज़ील आदि देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। आयोजन की जानकारी सोनिया गुप्ता ने दी तथा संचालन अरुण कुमार ने किया। समारोह के अंत में फुटबॉल प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।

तथाकथित आधुनिक भारत में जातिवाद का सच्चा स्वरूप, हिंदू व हिंदुस्तान के अस्तित्व पर घोर संकट 

 *जातिवाद भारतीय राजनीति का मुख्य आधार जिस पर नेता व पार्टी रोटी सेंकती है*


(एक यथार्थ समाजशास्त्रीय अध्ययन) 

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सैकड़ों वर्षों से सनातनी,जातिवाद का दंश झेलते आ रहें हैं। आजादी के बाद भी,गांधी और नेहरू की कांग्रेस ने सत्ता पर काबिज रहने और हिंदुओं में द्वेष फैलाने और उनके विनाश हेतु संविधान में जातिगत आरक्षण की कील ठोक दी है। उद्देश्य बताया गया कि आरक्षण से पिछड़े, दलितों, वंचितों को अवसर मिलेगा और वे आर्थिक रूप से विकास के मुख्य धारा में आ जायेंगे। लेकिन आज 10 बर्षो के लिए निर्धारित संवैधानिक आरक्षण, चिरंजीवी हीं नहीं हो गया बल्कि आजादी के 78 साल बाद इसका दायरा और भी बढ़ता जा रहा है। स्पष्ट है आरक्षण का उद्देश्य वंचितों को उपर उठाने का नहीं था। यदि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया गया होता तो आज भारत विश्व में सबसे विकसित राष्ट्र होता लेकिन उद्देश्य तो हिंदुओं को बांटकर *"गजवा-ए-हिंद"* करना था।सच पुछिये तो जातिवाद भारतीय राजनीति का मुख्य आधार बन चूका है जिसपर जातिवादी पार्टियां और नेता अपनी रोटी सेंक सेंक कर सत्ता का सुख भोगते हैं। अबतक का इतिहास कहता है कि जातिवादी राजनीति का लाभ सिर्फ और सिर्फ तथाकथित नेता और उसका परिवार हीं उठाता रहा है लेकिन इसका दुष्परिणाम सभी हिन्दू और हिंदुस्तान झेल रहा है।


मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद विपक्षियों के पास सत्ता तक पुनः पहुंच बनाने के टूल्स के रूप में एक मात्र,जातिवादी राजनीति हीं नजर आ रहा है तभी तो हिंदुओं में बहुसंख्यक तबका-- पिछड़े और दलीत को साधने की राजनीति हेतु जातिय जनगणना को मुद्दा बनाया गया  लेकिन मोदी सरकार ने आने वाले जनगणना में जातिगत जनगणना कराने की बात कहकर उन्हें मुद्दा विहीन कर दिया। 

लेकिन यूपी और बिहार में एमवाई अर्थात मुस्लिम और यादव की राजनीति करने वाले सपा के अखिलेश यादव और लालू लाल- तेजस्वी यादव को यूपी के इटावा में घटित यादव जाति के कथावाचकों की जातिय धूर्तता और अभद्र व्यवहार पर ब्राह्मणों द्वारा की गई प्रतिक्रिया, एक अवसर के रूप में दिखने लगा है। ये जातिवादी नेताओं को ये नहीं दिख रहा कि कथावाचन जैसे पवित्र पथपर आसीन व्यक्ति ने महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार क्यों किया! यदि इनकी मंशा ठीक होती तो नकली आधार कार्ड बनाकर अपनी जाति ब्राह्मण क्यों दर्शाया!! अर्थात ये कथावाचक नहीं धूर्त हैं।


जब यह माना जाता है कि सनातन में कथावाचन करने हेतु जातिय बंधन नहीं है तो जाति छुपाने की क्या आवश्यकता थी!!

ब्राम्हणों द्वारा बनाये गये सन्मार्ग पर चलकर अन्य जातियों के भी साध्वी,संत की श्रेणी में आ गये हैं जिनका विरोध ब्राह्मणों ने किया हो, ऐसा तो नहीं सुना जैसे ---

राम रहीम(जाट), रामपाल(जाट), आसाराम(धोबी, सिन्धी), स्वामी नित्यानंद(दलील), स्वामी चिन्मयानंद (दलील),राधे मां(खत्री,सिंधी), साध्वी ऋतम्भरा(लोधी), साध्वी उमा भारती (लोधी), ब्रह्मकुमारी लेखराज बचानी(सिंधी बनिया),संत गणेश्वर (दलील,पाशी), साध्वी प्रभा(यादव), साक्षी महाराज (कुर्मी, पटेल), साध्वी प्रज्ञा (मल्लाह, दलील), साध्वी चिदर्पिता (मोर्य), स्वामी रामदेव (यादव), आदि, आदि।

लेकिन यूपी में हीं इस तरह का वाकया क्या यह सिद्ध नहीं करता कि इसके पीछे हिंदुओं में जातिगत जहर बोने का सुनियोजित षड्यंत्र है!! वैसे भी बिहार में चुनाव सर पर है तो एमवाई समीकरण साधना राजद की मजबूरी है और यूपी में जातिवादी राजनीति के लिए "बांटोगे तो कटोगे" की काट खोजना सपा की मजबुरी है।

खैर आइये *जातिवाद* का समाजशास्त्रीय सच आपके समक्ष रखता हूॅं -------------

हिंदूओं में जातिवाद से सामान्यत: तात्पर्य  "जाति व्यवस्था" में कालांतर एवं परिस्थिति वश उपजे- नियमों, कायदे, कानुनों के नाकारात्मक पक्षों को विशेष अर्थों में संक्षिप्तिकरण से है जिसका उपयोग निहित स्वार्थ के मद्देनजर किया जाता है |यहाँ स्पष्ट कर दूं कि सिक्के के दो पहलू की तरह  हर व्यवस्था के साकारात्मक एवं नाकारात्मक पक्ष होते हैं लेकिन जातिवाद में जातिव्यवस्था के साकारात्मक पक्ष से कोई लेना देना नहीं होता |

वैदिक काल से हीं हिंदू समाज, खुली व्यवस्था के तहत्, चार वर्णों में विभाजित था क्रमशः- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र |जिससे समाज अपनी चार मूलभूत आवश्यकताओं क्रमशः- ज्ञान, रक्षा, आजीविका एवं श्रम की आपूर्ति करता था |सामाजिक प्रतिस्पर्धा से उत्पन्न, विसंगतियों के चलते ताकि मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति में बाधा न हो इसे जन्मना बनाया गया |फिर यही वर्ण समूहों ने भोगोलिक विस्तार, विभिन्न व्यवसायिक क्षेत्र विस्तार, रक्तशुध्दि की अवधारणा, प्रजातिय भेद आदि को समाहित करते हुए विभिन्न जातियों का स्वरूप लेता गया |

लेकिन इन विभिन्न जातियों के बीच मानवीय एवं सामाजिक सहयोगात्मक संबंध परस्पर निर्भरता एवं सामाजिक समरसता को परिलक्षित करता था |पुनः उत्तर वैदिक काल एवं मध्य काल के आरम्भ से ही विदेशी आक्रमणकारियों का आना शुरू हो गया |चूकि समाज की सुरक्षा का भार एक छोटे समूह,सिर्फ क्षत्रियों पर हीं अवलंबित होने के कारण और अन्य वर्ण की उदासीनता के चलते , आक्रमणकारियों को हिंदूस्तान में सत्ता स्थापित करने में आसानी हुई और बहुसंख्यक हिन्दूओं पर शासन करने का अवसर मिला जिसे स्थायित्व देने हेतु विदेशी आक्रमणकारियों ने बहुसंख्यक हिंदूओं में परस्पर फूट और घृणा के संचार हेतु जातिगत घृणा, व्यवसायिक भेदभाव, छूआछूत, सामाजिक दूराव आदि जैसे हिन्दू संगठनात्मक पहलूओं को कमजोर करने के अनेकों साजिश का सहारा लिया और कामयाब भी हुए जिसमें प्रमुख था - असली मनुस्मृति में परस्पर विभिन्न वर्णों के बीच भेद और घृणा उत्पन्न करने वाले श्लोकों की रचना कर ठूसना| असली मनुस्मृति में मात्र 630 श्लोक हीं थे जिसमें मुगलों और बाद में अंग्रेजों ने कृत्रिम घृणात्मक श्लोक भरे जबकि मनुस्मृति में चारों वर्णों को समान महत्व दिया गया था ||आज मनुस्मृति में हजारों श्लोक मिलेंगे| ये कहाँ से आये ❓ये जबरदस्त शाजिस थी जिसका लाभ मुगलों और अंग्रेजों की तरह,आज के जातिवादी राजनितिज्ञ भी उठा रहे हैं |

 आरम्भ में शक आये, हुण आये लेकिन भारतीय संस्कृति ने उनका अलग अस्तित्व नहीं रहने दिया, उन्हें अपने में आत्मसात कर लिया लेकिन अरबों , मुगलों और फिर अंग्रेजों को आत्मसात नहीं कर पाये |इन लोगों ने हीं  भारत में स्थायी शासन एवं सत्ता के क्रम में हिंदूओं के जातिव्यवस्था में परस्पर घृणा, छूआछूत जैसे अमानवीय व्यवहार को षणयंत्र के तहत्, सत्ता से चिपके हिंदूओं को माध्यम बना उल्लू सीधा किये |

जिस तरह अरबों,मुगलों और अंग्रेजों ने "जातिवाद"को हिंदूओं के सामाजिक संगठन को क्षतविक्षत करने हेतु,अपने स्वार्थ में उपयोग किया वही काम आजादी के 78 साल बाद भी राजनीतिक दलों एवं राजनीतिक नेताओं द्वारा किया जा रहा है😡😡 |आजादी के बाद इतने बरसों में जातिव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन आ चूका है लेकिन जनता को मूर्ख बनाने का सिलसिला आज भी कायम है | आजाद भारत में,जातिव्यवस्था का सहारा लेकर सत्ता सुख भोगने और वोट की राजनीति करने में जातिवाद एक सबसे शसक्त जरिया बन चुका है |

 आइये देखते हैं जातिवाद कहाँ है !!! --

स्कूलों में है❓--नहीं

ट्यूशन में है❓-- नहीं

राशन की दूकान में है- नहीं

बैंक में है❓-- नहीं

होटलों में है❓-- नहीं

थियेटरों में है❓--नहीं

पान की दूकान पर है❓-- नहीं

बस, ट्रेन, हवाईजहाज में है❓-- नहीं

सब्जी मंडी में है❓-- नहीं

विभिन्न राजनीति दलों में है❓-- नहीं

शमशान में है❓-- नहीं

बाजार में है❓-- नहीं

किसी व्यवसाय में है❓-- नहीं

विभिन्न उत्सवों के आयोजन के अवसर पर पार्टी होती है उसमें ❓-- नहीं

चाय की दुकान पर है❓-- नहीं

शहरों, देहातों में छूआछूत आदि दिखता है❓-- नहीं

जब उपरोक्त कहीं जातिवाद दिखता नहीं है तो फिर !!!!!! 

ये कहाँ दिखता है❓--

जी, ये दिखता है ➡️

ये दिखता है संबिधान में, 

ये दिखता है सरकारी नौकरियों में, 

ये दिखता है सरकारी लाभकारी योजनाओं में, 

ये दिखता है शिक्षा के क्षेत्र में, 

ये दिखता है सबर्णों को प्रताड़ित करने में (st/sc act), 

ये दिखता है राजनीतिक दलों एवं नेताओं के मुख में, 

ये दिखता है मिडिया के विभिन्न चैनलों में-- एक दलित या आरक्षित वर्ग की महिला या युवती के साथ बलात्कार हो जाय तो सारे मिडिया वाले और नेताओं का तांता लग जाता है और वहीं सैकड़ों सबर्ण महिला या युवती के साथ हो तो नेता और मिडिया गुंगे हो जाते हैं |

अब जातिवाद के नाम पर इस देश में कितना अमानवीय व्यवहार स्वीकृत है इसको ऐसे समझें--

हरिजन अपने को हरिजन कहे तो सरकारी नौकरी से लेकर सैकड़ों सरकारी सुविधाएं और यदि आप हरिजन को हरिजन कहें तो आपको संभवतः 10 साल के पहले हाईकोर्ट से बेल भी न मिले |

मैं तो राहत की सांस ले रहा हूॅं इस बात को लेकर कि जब इंदिरा गांधी ने 1984 में सोवियत इंटरकाॅसमाॅस कार्यक्रम के तहत सोयुज टी-11 पर यात्रा करने वाले प्रथम भारतीय राकेश शर्मा को चुना,जो एक ब्राह्मण थे तब इस अवसर पर आरक्षण की बात नहीं की गई !! आश्चर्य है, मोदी ने जब एक ब्राह्मण, हिमांशु शुक्ला को अंतरीक्ष सेंटर पर जाने वाले प्रथम भारतीय के रूप में चुना तो ये जातिवादी नेता चुप क्यों थे!! यहां आरक्षण की बात क्यों नहीं किये!!

*आज के भारत का ये है सच्चा जातिवाद*

परिणाम- देश में भ्रष्टाचार से लेकर हर प्रकार की प्रगति में बाधा हीं बाधा|

तो *ये है इस तथाकथित आधुनिक भारत में जातिवाद का सच्चा स्वरूप* जिससे न राष्ट्र का भला संभव है और न जनता का | हाँ अगर इससे किसी के अस्तित्व पर घोर संकट दिख रहा है तो वो है-- *हिंदू और हिंदूस्तान*

----- प्रोफेसर राजेन्द्र पाठक (समाजशास्त्री), बक्सर, बिहार

 *बैठकी*

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रेल जिहाद की तरह,ये हवाई जिहाद तो नहीं- प्रोफेसर राजेंद्र पाठक



बैठकी जमते हीं मास्टर साहब बोल पड़े --"सरजी, हमारे देश में आप्रेशन सिंदूर के बाद लगातार हो रहे विमान, हेलिकॉप्टर हादसे, देश में शांतिदूतों द्वारा चलायें जा रहे रेल जिहाद की तरह हवाई जिहाद तो नहीं चलाया जा रहा!!--मास्टर साहब बैठते हीं मुद्दा रख दिये।

मास्टर साहब! इ त बड़ा गंभीर बात उठवनीं!!--मुखियाजी सोफे पर बैठते हुए।

मुखियाजी,अहमदाबाद प्लेन क्रेश को लेकर मेरे मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर विमान बोइंग 787, टेकऑफ़ के बाद एक मिनट के अंदर जोरदार धमाके के साथ जमीन पर आ गिरा। ये विमान दुनिया का सबसे सुरक्षित विमान माना जाता रहा है फिर भी इस तरह का हादसा दुनिया ने पहली बार देखा है। इसका दोनों इंजन का एक साथ फेल होना शक पैदा करता है।तब जबकि प्लेन में एक लाख छब्बीस हजार लीटर तेल भरा हो,सुमित सभरवाल जैसा अनुभवी पायलट हो, विमान भी मात्र 11 साल पुराना हो जो कमर्शियल एवियेशन में नया माना जाता है। इतना सब होने के बावजूद, दोनों इंजन का फेल होना वो भी मात्र एक मिनट के भीतर!! पंच नहीं रहा है सरजी!"--मास्टर साहब मायुस दिखे। 

मास्टर साहब,जैसी की सूचना है पायलट ने विमान हादसा के चंद सेकेंड पहले विमान को थ्रस्ट नहीं मिलने की सूचना दी थी अर्थात इंजन द्वारा विमान को हवा में आगे बढ़ाने का बल नहीं मिल रहा। इसके बाद "मेडे" का अंतिम मैसेज दिया और विमान हादसे का शिकार हो गया।--डा. पिंटू दुखी थे।

डा. साहब, एक पक्षी के टकराने से इंजन बंद नहीं हो सकता दुसरी बात की एक साथ दोनों इंजन बंद नहीं हो सकते। विमान उड़ान के 625 फीट के बाद हीं नीचे गिरना क्यों शुरू हुआ!! फ्यूल टैंक के मेन स्विच से इंजन तक के सप्लाई पाइप में जितना फ्यूल समा सकता है वो अधिकतम 40 सेकेंड तक इंजन को चालू रख सकता है जिससे लगभग 625 फीट की उड़ान संभव है जैसा कि मुझे मिडिया से जानकारी मिली है। जांच के दौरान फ्यूल टैंक और मेन स्विच आदि की भी जांच होती है अतः बाहरी आतंकी मकसद की बात नहीं हो सकती। फ्यूल सप्लाई लाइन ग्राउंड स्टाफ का दायित्व होता है। तो कहीं ऐसा तो नहीं कि जांच के दौरान हीं फ्यूल सप्लाई लाइन का मेन स्विच बंद कर दिया गया हो!!--उमाकाका हाथ चमकाये।

ए भाई,जब मेन सप्लाई लाइन बंद रही त इंजनवा,पइपवा में बांचल तेलवे तक नु चली,फेर इंजन बंद होइये जायी!--मुखियाजी समझते हुए।

इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में.......

मुखियाजी एआई171 का 625 फीट की उंचाई पर क्रैश होना शक तो पैदा करता हीं है। जांच एजेंसियों को फोरेंसिक पड़ताल करनी चाहिए कि ग्राउंड इंजिनियरों में से किसने आखिरी बार उस मेन वाल्व क्षेत्र को छुआ था!! टुल बाक्स का निरीक्षण  किसी अनआथोराइज व्यक्ति ने तो नहीं किया!! फ्लाइट डाटा रिकार्डर से देखा जाय कि क्या टेकऑफ़ से पहले  फ्यूल लाइन प्रेशर "जीरो" था!! क्या पायलट को कोई फ्यूल प्रेशर एलर्ट मिला था!!

जांच एजेंसियों को ब्लैक बाक्स मिल गया है। देखिये क्या क्या जानकारियां मिलती हैं!!--सुरेंद्र भाई मुरझाये से।

सरकार तो इस हादसा के लिए कुल आठ एजेंसियों को लगा दी है लेकिन अमरीका सहित अन्य देशों की जांच एजेंसियां भी लगीं हैं। देखिये क्या निष्कर्ष निकलता है!! सरकार ने तो अपने एजेंसियों को तीन महीनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है।--उमाकाका शांत लगे। 

काकाजी,इस विमान हादसे को पाकिस्तान के साथ हुए आप्रेशन सिंदूर के समय तुर्की की भूमिका के आलोक में भी देखना महत्वपूर्ण है। भारत सरकार ने तुर्की का पाकिस्तान प्रेम के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस प्रोवाइडर तुर्की की कंपनी सेलेबी एवियशन का सेक्योरिटी क्लियरेंस रद्द कर दिया। ये कंपनी देश के प्रमुख और अतिसंवेदनशील 9 एयरपोर्ट पर ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस, कार्गो सेवा और एयरसाइड आप्रेशन जैसे हाइ सेक्योरिटीज वाले कार्य करती रही है। सरकार के इस कदम के खिलाफ  ये कंपनी विभिन्न हाइकोर्टो में चली गई वहां उसे सरकार के विरुद्ध राहत भी मिली है। इस कंपनी के हजारों कर्मचारी हैं जिसमें अधिकांश शांतिदूतों के समुदाय से हैं जिनपर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर विश्वास करना, आत्महत्या से कम नहीं। मुझे तो अहमदाबाद विमान हादसे में इस कंपनी और इसके कर्मचारियों का हाथ होने की पुरी आशंका नजर आती है।--डा.पिंटु चिंतित लगे।

हां डा.साहब,जब भारत पाकिस्तान के बीच आप्रेशन सिंदूर के दौरान तनाव चल रहा था तो यह मांग उठी थी कि तुर्की की कंपनी सेलेबी जो एयर इंडिया की मेंटेनेंस का काम देखती थी उसे फौरन हटाया जाय।उस वक्त तुर्की के सामानों के बहिष्कार करने का मुद्दा भी गर्म था। सोसल मीडिया के माध्यम से मुझे जानकारी मिली कि कंपनी मुंबई हाईकोर्ट गयी जहां जज ने शायद क्लीन चिट दे दी या स्टे लगा दिया।

लेकिन यहां मुझे एक बात समझ में नहीं आयी की जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का हो वहां सरकार के निर्णय के विरुद्ध न्यायालय को याचिका स्वीकार करने का क्या औचित्य बनता है!! राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार देखेगी या न्यायपालिका!! न्यायालय को तो तुरंत इसे खारिज कर देना चाहिए था। अगर जांचोपरांत इस कंपनी और इसके शांतिदूत कर्मचारियों का हाथ हुआ तो क्या वो जज 275 जिंदगियां और अरबों रुपयों के नुकसान की भरपाई करेगा!!--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।

कुंवर जी, भारतीय न्याय-व्यवस्था पर तो अब विश्वास हीं उठ गया है। कौन ऐसा कोर्ट है जहां घुसखोरी नहीं चलती! छोड़िये न!देखा नहीं देश की जनता ने,जिस जज के घर पर नोटों के बंडल से भरी जली बोरियां मिलीं उस पर एक एफआईआर तक नहीं हुआ। हर कोर्ट में जज से दो मीटर दूर बैठा पेशकार हर केस के तारिख पर दो-चार सौ जेब में रखता है।जज जानता नहीं है!! हमारे देश में जजों की तानाशाही चलती है। ये देश, कानून सबसे उपर हैं। भ्रष्ट व्यक्तित्व से देशभक्ति की अपेक्षा भी मूर्खता है।--मास्टर साहब मुंह बनाये।

ए सरजी,रउवो कुछ कहीं!!--मुखियाजी मेरी ओर देखकर।

इसमें दो मत नहीं कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश में विमान दुर्घटनाओं की स्थिति नाजुक दिखने लगी है। तकनीकी गड़बड़ी, इमरजेंसी लैंडिंग,इधर दो दिनों के भीतर ही पांच विमानों में खराबी कुछ तो जरूर इशारा करती है।अहमदाबाद विमान हादसा हो या केदारधाम हेलिकॉप्टर हादसा, या अन्य, सरकार को सुरक्षात्मक पहलुओं पर किसी तरह का समझौता नहीं करना चाहिए और जांचोपरांत सख्त से सख्त कदम उठाना चाहिए। इसमें दो मत नहीं कि देश के भीतर बैठे देशद्रोहियों से निपटना बहुत कठीन है तथापि इतना तो अब ध्यान रखना हीं होगा कि सुरक्षा के क्षेत्र में शांतिदूतों की सेवायें लेने में सतर्कता अति आवश्यक हो चला है। हमारे देश में जिस तरह रेल जिहाद की घटनायें दिख रही हैं तो ऐसे में हवाई जिहाद को भी नकारा नहीं जा सकता।--मैं चुप हुआ।

मुखियाजी, अहमदाबाद विमान दुर्घटना में सबकुछ जलकर खत्म हो गया। यहां तक कि लाशों को पहचानने के लिए डीएनए टेस्ट का सहारा लेना पड़ा है लेकिन उसी में जहां धातु भी गर्मी से पिघल गया, एक भागवत गीता की पुस्तक बगैर जले सही सलामत मिली जो हमारे सनातन धर्म की महानता का सूचक है। इसे शांतिदूतों को भी समझना चाहिए। इस हादसे ने  275 लोगों की जान ले ली है जिनकी आत्मा की शांति के लिये मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूॅं।खैर,इतना तो हम सबों को विश्वास है कि इस हादसे में यदि कोई षड्यंत्र होगा तो मोदी सरकार उसे छोड़ेगी नहीं। अच्छा अब चला जाय।--कहकर उमाकाका उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी....!!!!!

प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)

राष्ट्रीय प्रशासनिक कार्यालय में विश्व मानव अधिकार कानून व अपराध नियंत्रण ट्रस्ट भारत की मासिक बैठक संपन्न


महमूदाबाद, सीतापुर

विश्व मानव अधिकार कानून एवं अपराध नियंत्रण ट्रस्ट भारत की मासिक बैठक महमूदाबाद स्थित राष्ट्रीय प्रशासनिक कार्यालय परिसर (एम.एस.के.डी. पब्लिक स्कूल, मोहल्ला रमुवापुर) में आयोजित की गई। बैठक का शुभारंभ भारत माता, डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं महात्मा बुद्ध की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। बैठक की अध्यक्षता मण्डल कार्यालय प्रभारी लखनऊ सुधीर कुमार वर्मा ने की तथा संचालन राष्ट्रीय संरक्षक एस.एस. दिनकर के निर्देशन में हुआ।

मुख्य अतिथि किशन कुमार (तहसील प्रभारी, बिसवाँ) ने मानव अधिकारों पर विचार साझा करते हुए कहा कि संगठन को सक्रिय, समर्पित एवं समाजसेवी प्रवृत्ति के सदस्यों की आवश्यकता है। निष्क्रिय सदस्यों को शीघ्र निष्कासित किया जाना चाहिए। संगठन के सक्रिय पदाधिकारी अनुज कुमार जैन ने आश्वस्त किया कि संगठन द्वारा चलाई जा रही मानवाधिकार जन पहल, चौपाल, गोष्ठी और बैठकों के माध्यम से आमजन की समस्याओं के समाधान हेतु मीडिया और प्रशासनिक स्तर पर ठोस प्रयास किए जाएंगे।

अपने संबोधन में सुधीर कुमार वर्मा ने स्पष्ट कहा कि जो पदाधिकारी बैठक और कार्यक्रमों में लगातार अनुपस्थित रहते हैं, उन्हें संगठन से निष्कासित कर उनकी सदस्यता समाप्त की जाएगी। उन्होंने कहा कि संगठन का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना है — “न कोई बड़ा, न छोटा, न कोई जाति, न कोई धर्म – सिर्फ इंसानियत सर्वोपरि हो। सभी सदस्यों को यह निर्देश भी दिया गया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर आदि पर भड़काऊ या आपत्तिजनक पोस्ट से बचें, जिससे संगठन की गरिमा और व्यक्तिगत सुरक्षा प्रभावित न हो।

बैठक में निर्णय लिया गया कि हर माह के दूसरे रविवार को प्रातः 11 बजे नियमित मासिक बैठक आयोजित की जाएगी। यह भी स्पष्ट किया गया कि जो पदाधिकारी लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहेंगे, उन्हें संस्था से निष्कासित कर दिया जाएगा। इस अवसर पर राष्ट्रीय महासचिव रवि लाल रस्तोगी, जिला संरक्षक रामानंद शुक्ला, वरिष्ठ ब्लॉक उपाध्यक्ष महमूदाबाद मुकेश चंद्र वर्मा, ब्लॉक प्रभारी पहला कैलाश वर्मा, रामखेलावन, सूर्य प्रकाश वर्मा (अनिल वर्मा), प्रताप नारायण वर्मा, रामजतन भगत, आशुतोष सिंह, बाबूराम, दुर्गेश सहित अनेक पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे। बैठक का समापन सकारात्मक वातावरण और संगठनात्मक एकजुटता के संकल्प के साथ किया गया।

पुस्तक योगी आदित्यनाथ (एक युग नायक) का विमोचन कार्यक्रम सफलता पूर्वक हुआ सम्पन्न


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन के शुभ अवसर पर श्रीराम सेवा साहित्य संस्थान के मंच पर लेखिका सुशी सक्सेना की पुस्तक योगी आदित्यनाथ (एक युग नायक) का विमोचन कार्यक्रम किया गया। इस कार्यक्रम में लेखिका सुशी सक्सेना और संस्थापिका दिव्यांजली वर्मा के साथ प्रकाशक प्रशांत श्रीवास्तव, डौली झा, सुभांषू शर्मा और इंडियन आइरिस के संस्थापक नारायण सिंह राव 'सैलाब' मौजूद थे। कार्यक्रम में पुस्तक योगी आदित्यनाथ ( एक युग नायक) पर चर्चा की गई।

पाठकों को स्वयं अनुभूत होगा कि पुस्तक पढ़ना प्रारम्भ कर देने के बाद एक रोचक आकर्षण हमें बांध लेता है। और इसमें से लेखक गायब हो जाता है। प्रत्येक पृष्ठ पर योगी आदित्यनाथ छा जाते है। कौतुहल मिश्रित आश्चर्य के साथ पाठक इनके देवीय व्यक्तित्व से चमत्कृत होते चलते हैं। ऐसे भावुक प्रसंग भी जोड़े गए हैं जो योगी जी के संन्यास से संबंधित कठोर नियमों के पालन की गाथा कहते है। अपराध और भ्रष्टाचार में डूबे उत्तर प्रदेश को जिस तरह योगी सरकार की नीतियों ने सुशासन में बदल दिया है, हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना का समस्त वैभव, बल और पराक्रम इस युवक राज संन्यासी ने इस तरह दिखा दिया कि अपराधियों में खौंफ पैदा हो गया है। लगभग 30 पृष्ठों पर सिर्फ महिला सशक्तिकरण से संबंधित वे सारे कार्यकलाप हैं जो योगी सरकार की पहचान बन गए है। कुल मिलाकर योगी जी की योजनाएं और सुधार उत्तर प्रदेश के साथ साथ देश के विकास और लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। अंत में दिव्यांजली वर्मा जी ने कार्यक्रम का समापन करते हुए सभी उपस्थित महानुभावों को विदाई दी। सुशी सक्सेना जी का कहना है कि वे बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्हें एक युग नायक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऊपर कुछ लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

मधुबन विधानसभा से कांग्रेस के पुष्कर सिंह ने की दावेदारी


मधुबन

पूर्वी चंपारण- कांग्रेस पार्टी के मीडिया विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष मधुबन विधानसभा के राजेपुर नवादा गांव निवासी पुष्कर सिंह ने पूर्वी चंपारण जिले के मधुबन विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में दावेदारी पेश की। उक्त बातें पुष्कर सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर के कहा है। प्रेस विज्ञप्ति में पुष्कर सिंह ने आगे कहा की मधुबन विधानसभा कांग्रेस का परंपरागत सीट रहा है। इस विधानसभा ने बिहार सरकार को स्वास्थ्य मंत्री भी दिया है। पुष्कर सिंह ने कहा कि बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश कुमार एवं बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारु ने साफ साफ कहा है कि क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को ही कांग्रेस पार्टी टिकट देगी एवं जिस विधानसभा में कांग्रेस पार्टी मजबूत होगी, वहाँ कांग्रेस पार्टी चुनाव जरूर लड़ेगी। ज्ञात हो कि मधुबन विधानसभा सीट शिवहर लोकसभा के अंतर्गत आता है। इस विधानसभा के निवासी पुष्कर सिंह पिछले 13 वर्षों से एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस के विभिन्न पदो सहित कांग्रेस के मीडिया डिपार्टमेंट के विभिन्न पदों पर रहकर कार्य कर चुके है। फिलहाल वो मीडिया डिपार्टमेंट में प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर है। पुष्कर सिंह का कहना है कि मुझे अपने प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार एवं प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावारु पर पूर्ण विश्वास है कि मधुबन विधानसभा सीट गठबंधन में कांग्रेस के खाता में आएगी एवं मुझे पार्टी यहां से टिकट जरूर देगी, इसलिए मैं अपने कार्यकर्ताओं के साथ क्षेत्र में कार्य कर रहा हूँ।

श्री कल्याणिका देवस्थानम डोल आश्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे 

*बाबा कल्याण दास से मिलकर लिया आशीर्वाद, अमरकंटक आने का दिया आश्वासन*


अनूपपुर

परम तपस्वी बीतराग बाबा कल्याण दास महाराज के उत्तराखंड स्थित डोल आश्रम में तीन दिनों तक चले वार्षिक उत्सव कार्यक्रम में उत्तराखंड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी आश्रम पहुंचकर पूजन अर्चन धार्मिक विधि विधान के कार्यक्रम में शामिल हुए एवं दर्शन किया । उल्लेखनीय है कि 10 मई 25 शनिवार से  वैशाख शुक्ल त्रयोदशी 12 मई 25 दिन सोमवार वैशाख शुक्ल पूर्णिमा तक तीन दिनों के वार्षिक उत्सव कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी श्री कल्याणिका देवस्थानम आश्रम डोल  पहुंचे तथा उन्होंने आश्रम परिसर में आयोजित वार्षिक उत्सव के परंपरागत धार्मिक आयोजन में शामिल होकर दर्शन किया एवं पूजन अर्चन अभिषेक में उपस्थित रहे इस दौरान आश्रम परिसर में जश्न का माहौल रहा तथा कई धार्मिक कार्यक्रम संपन्न हुए कार्यक्रम के अंत में विशाल भंडारा भोजन प्रसादी कराया गया । 

उत्तराखंड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परम तपस्वी बाबा कल्याण दास जी महाराज से मिलकर उनके कुशल क्षेम जाना। तथा बाबा कल्याण दास जी महाराज से आशीर्वाद लिया बाबा कल्याण दास जी महाराज ने आश्रम के गतिविधियों के विस्तार से जानकारी दी तथा उन्होंने मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन एवं धार्मिक तीर्थ स्थल पवित्र नगरी अमरकंटक आने का आमंत्रण दिया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया । मुख्यमंत्री ने कहा कि अमरकंटक में जब भी कार्यक्रम होगा आमंत्रित करेंगे मैं निश्चित तौर पर रहूंगा ।

महाकुंभ 2025 व मकर संक्रांति का एक वैज्ञानिक आधार, एक संक्षिप्त खगोलीय विश्लेषण

*आधुनिक खगोल विज्ञान का वैक्यूम क्लीनर, जो पृथ्वी पर आने वाली धूमकेतुओं से भी बचाता है*


*सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश*

प्रयागराज

यह बात आज से लगभग हजारों वर्षों पहले की है, जब से मानव सभ्यता का प्रादुर्भाब हुआ है तब से आज तक मानव सभ्यताओं ने जाने या अनजाने में ही सही लेकिन आकाश को अपने अपने नजरियों से निहारा तो है ,चाहें हम बात करें उन प्राचीन कालीन मानव सभ्यताओं की जिन्होने रात्रि के आकाश में टिमटिमाते आकाश दीपों को देख कर और उनसे निर्मित कुछ विशिष्ट आकार प्रकार की आकृतियों  को अपने अपने हिसाब से समय, देश काल और परिस्थितियों में अनेकों कहानियों को भी गढ़ा ,जिस से आगे आने वाली पीढ़ियों को भी निरन्तर इस गूढ़ ज्ञान की धारा का विशेष लाभ ,खगोलीय ज्ञान और भान के रूप में होता रहे और जिस ज्ञान की अविरल धारा को आगे चलकर खगोल विज्ञान कहा गया ,इस प्रकार हम पाते हैं कि तमाम भारतीय प्राचीन कालीन पर्व और त्यौहारों में भी विज्ञान सम्मिलित है जिनमें कुछ प्राचीन तो कुछ आधुनिक वैज्ञानिक आधार भी प्राप्त होते हैं, आज हम एक प्राचीन कालीन पहलू पर बात करेंगे, जैसा कि हम जानते हैं कि परिवर्तन ब्रह्मांडीय नियम है जो होता है ,होता था ,और होता रहेगा, और होना अपरिहार्य है, उसी कड़ी में मानव सभ्यताओं ने भी समय के साथ अपने आप को भी ढाला है और  इस बदलाव रूपी ऊबड़ खाबड़ ढलान से गुजरते हुए प्राचीन कालीन सभ्यताओं से भी समय के साथ में, आगे चल कर केबल कुछेक रीति रिवाजें , संस्कृति ,परंपराएं और रूढ़ी वादियां छूट गईं और कुछ समय विशेष के साथ रूढ़ हो गईं और कुछ समय के साथ परिभाषित होकर परिवर्तित हो गईं और कुछ ख़ास ने मानवीय परंपराओं का रूप ले लिया उनमें से एक विशेष है मकर संक्रांति और महाकुम्भ महोत्सव का संयोजन, खगोल विद अमर पाल सिंह आपको बताने जा रहे हैं इन दोनों से सम्बन्धित कुछ ख़ास बातें , जोकि जनहित में अति महत्वपूर्ण हैं।

महाकुंभ और मकर संक्रांति दोनों का गहरा वैज्ञानिक और खगोलीय महत्व भी है, जो आकाशीय पिंडों की गतिविधियों और पृथ्वी पर उनके प्रभाव में निहित है। इन घटनाओं के पीछे का वैज्ञानिक आधार कुछ इस प्रकार है: खगोल विद अमर पाल सिंह के अनुसार मकर संक्रांति: वैज्ञानिक व्याख्या, यह एक खगोलीय घटना है , खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि मकर संक्रांति के पीछे का विज्ञान_ पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन के कारण हम  दिन ब रात का अनुभव करते हैं, लेकिन ये दिन ब रात सम्पूर्ण पृथ्वी पर सब जगह एक जैसा नहीं होता है , जितनी सूर्य की किरणें प्रथ्वी के जिस भाग पर पड़ रही होती हैं उसी हिसाब से दिन तय होता है, जैसे प्रथ्वी को दो गोलार्धों में बांटा गया है एक उत्तरी गोलार्ध ब दूसरा दक्षिणी गोलार्ध जिनमें जिस पर पड़ने बाली सूर्य की किरणें प्रथ्वी पर दिन तय करती हैं, और इसका अपने अक्ष पर 23.5 अंश झुके होने के कारण दोनो गोलार्धों में मौसम भी अलग अलग होता है, अगर हम बात करें उत्तरायण ब दक्षिणायन की तो हम पाते हैं कि यह एक खगोलीय घटना है, 14/15 जनवरी के बाद सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर या जाता हुआ होता है,जिसमें सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश ( दक्षिण से उत्तर की ओर गमन प्रतीत ) करता है, इसे उत्तरायण या सूर्य उत्तर की ओर के नाम से भी जाना जाता है, वैज्ञानिकता के आधार पर इस घटना के पीछे का मुख्य कारण है पृथ्वी का छः महीनों के समय अवधि के उपरांत उत्तर से दक्षिण की ओर बलन करना,जो कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है ,जो लोग उत्तरी गोलार्ध में रहते हैं उनके लिए सूर्य की इस राशि परिबर्तन के कारण 14/15 जनवरी का दिन मकर संक्रांति के तौर पर मनाते हैं,और उत्तरी गोलार्ध में निवास करने वाले व्यक्तियों द्वारा ही समय के साथ धीरे धीरे मकर मण्डल के आधार पर ही मकर संक्रांति की संज्ञा अस्तित्व में आई है, मकर संक्रांति का अर्थ है सूर्य का क्रांतिवृत्त के दक्षिणायनांत या उत्तरायनारंभ बिंदु पर पहुंचना,  प्राचीन काल से सूर्य मकर मण्डल में प्रवेश करके जब क्रांतिवृत्त के सबसे दक्षिणी छोर से इस दक्षिणायनांत या उत्तरायनारंभ बिंदु पर पहुंचता था, तब वह दिन ( 21 या 22  दिसंबर) सबसे छोटा होता था, अमर पाल सिंह ने बताया कि मगर अब सूर्य जनवरी के मध्य में मकर मण्डल में प्रवेश करता है, वजह यह है कि अयन चलन के कारण दक्षिणायनांत (या उत्तरायनारंभ) बिंदु अब पश्चिम की ओर के धनु मण्डल में सरक गया है, अब बास्तबिक मकर संक्रांति (दक्षिणायनांत या उत्तरायनारंभ बिंदु) का आकाश के मकर मण्डल से कोई लेना देना नहीं रह गया है, मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक होता है जो सूर्य की उत्तर की ओर यात्रा (उत्तरायण) का संकेत देता है, यह परिवर्तन शीतकालीन संक्रांति के बाद होता है जब उत्तरी गोलार्ध में दिन लंबे होने लगते हैं, जो गर्मी और नवीनीकरण की शुरुआत का भी प्रतीक है,

सौर विकिरण में परिवर्तन

सूर्य के कर्क रेखा की ओर बढ़ने से उत्तरी गोलार्ध में सौर ऊर्जा बढ़ती है, जो जलवायु और कृषि चक्र को तो प्रभावित करती ही है और साथ साथ यह संक्रमण जैविक लय को प्रभावित करता है, जोकि इस समय ख़ासकर उत्तरी गोलार्ध में निवास करने वाले लोगों में कायाकल्प और जीवन शक्ति को प्रोत्साहित करता है,

जैसे कि विटामिन डी का अवशोषण आदि 

इस अवधि के दौरान, लोग पारंपरिक रूप से धूप सेंकते हैं या धूप में अधिक समय बिताते हैं, जिससे शरीर को अधिक विटामिन डी का उत्पादन करने में मदद मिलती है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा के लिए एक हद तक आवश्यक होता है।इसके साथ ही अगर हम बात करें संस्कारों में निहित वैज्ञानिक आधारों की तो हम पाते हैं कि कुछ संस्कारों का वैज्ञानिक आधार भी प्राप्त होता है, खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि जैसे कि तिल और गुड़ का सेवन केवल सांस्कृतिक ही नहीं है ,बल्कि ये खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं जो ठंड के महीनों के दौरान शरीर को गर्म और ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करते हैं, अब हम बात करते हैं महाकुम्भ और इसमें निहित वैज्ञानिक आधारों की तो हम पाते हैं कि खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि महाकुंभ और इसकी वैज्ञानिक व्याख्या में हम पाते हैं कि यह अति प्राचीन एवं बृहद त्यौहार भी खगोलीय संरेखण पर आधारित हैं।

जैसा हम जानते हैं कि आज की अंतर्राष्ट्रीय खगोल वैज्ञानिक संघ की ग्रहीय परिभाषा के अनुसार आज हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं , जिनका सूर्य से दूरी के क्रम में नाम निम्नानुसार है बुद्ध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और बरुण हैं,उनमें से सबसे बड़ा ग्रह है बृहस्पति, जिसे गुरु भी कहा जाता है,प्राचीन कालीन सभ्यताओं ने भी पांच ग्रहों को अपनी साधारण आंखों से ही पहचान लिया था, जिनमें से बृहस्पति भी एक था, आज के समय में भी अगर आप भी थोड़ा अधिक प्रयास करेंगे तो अलग अलग रात्रि के दौरान दिखाई देने वाले इन पांचों ग्रहों को विभिन्न समय पर आप भी पहचान सकते हैं , बृहस्पति जोकि शुक्र ग्रह के बाद सबसे ज्यादा चमकीला पिण्ड है, यह मुख्य रूप से लगभग 75 प्रतिशत हाइड्रोजन और 24 प्रतिशत हीलियम ब अन्य से बना हुआ है, दूरबीन से देखने पर इस पर बाहरी वातावरण में दृश्य पट्टियां भी दिखाई देती हैं और एक लाल धब्बा भी है जिसे ग्रेट रेड स्पॉट कहा जाता है , जिसे गैलीलियो ने 17वीं सदी में अपनी दूरबीन से देखा था, और सर्व प्रथम 1610 में गैलीलियो गैलिली ने इसके चार बड़े चंद्रमाओं को भी खोजा था, जिनके नाम हैं, गैनिमेड, यूरोपा, आयो, कैलिस्टो, खगोलीय अनुसंधान से प्राप्त जानकारी से यूरोपा पर निकट या दूर भविष्य में ही सही लेकिन इस पर जीवन की प्रबल संभावना है क्योंकि इस पर पानी का भण्डार जो मौजूद है, अगर हम बृहस्पति ग्रह की तुलना अपनी पृथ्वी से करें तो हम पाते हैं कि इसमें लगभग 1331 पृथ्वियां समा सकती हैं, और इसका चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की तुलना में 14 गुना ज्यादा शक्तिशाली है, और यह सूर्य से लगभग 77 करोड़ 80 लाख किलोमीटर दूर है, और सूर्य का एक चक्कर लगाने में 11.86 वर्ष का समय लगता है जोकि लगभग 12 बर्ष के बराकर होता है, बृहस्पति का अक्षीय झुकाब केबल 3.13 डिग्री है जिस कारण इस पर कोई मौसम परिवर्तन नहीं होता है, यह बहुत तेज़ गति से घूर्णन करता है अपने अक्ष पर 09 घंटा 56 मिनट्स में एक बार घूमता है, इसका मतलब होता है कि इसका दिन लगभग 10 घंटे का ही होता है।

अमर पाल सिंह ने बताया कि इसे आधुनिक खगोल विज्ञान में वैक्यूम क्लीनर भी कहा जाता है, जोकि पृथ्वी पर आने वाली धूमकेतुओं से भी बचाता है,  बृहस्पति ग्रह जिसे गुरु भी कहा जाता है का हमारे देश में एक विशेष स्थान है क्योंकि भारत में कुम्भ मेला आयोजित होता है, कुम्भ का शाब्दिक अर्थ होता है कलश, कलश का मतलब होता है घड़ा, सुराही या पानी रखने वाला बर्तन और मेला का मतलब होता है कि जहां पर मिलन होता है, इस मेला के दौरान शिक्षा, प्रवचन, सामूहिक सभाएं, मनोरंजन और यह सामुदायिक वाणिज्यिक उत्सव भी हैं, बड़ी बात यह है कि यह त्यौहार दुनिया की सबसे बड़ी सभा माना जाता है, इस उत्सव को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है, खगोलीय गणनाओं के हिसाब से यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारंभ होता है और जब एक ख़ास खगोलीय संयोजन घटित होता है तभी यह मेला घटित होता, महाकुंभ तब आयोजित होता है जब सूर्य मकर राशि में, चंद्रमा मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में होता है, इस बार वर्ष 2025 में प्रयागराज में पूर्ण कुम्भ मेला आयोजित किया जा रहा है, महाकुम्भ मेला प्रयाग में प्रत्येक 144 वर्ष अर्थात 12 पूर्ण कुम्भ मेलों के बाद आयोजित होता है, महाकुम्भ मेला अगली बार 2157 में लगेगा, जब गुरु कुम्भ राशि में सूर्य मेष राशि में और चन्द्रमा धनु राशि में होता है तब कुम्भ मेला हरिद्वार में लगता है, और जब गुरु वृषभ राशि में सूर्य, चन्द्रमा मकर राशि में होते हैं तब प्रयागराज में कुम्भ मेला आयोजित होता है, और जब गुरु सिंह राशि में सूर्य,चन्द्रमा कर्क राशि में होते हैं तो नासिक में कुम्भ मेला आयोजित होता है और जब गुरु सिंह राशि में सूर्य, चन्द्रमा मेष राशि में होते हैं तो कुम्भ मेला उज्जैन में आयोजित होता है जब गुरु सिंह राशि में होते हैं तो त्रांबकेशर नासिक और उज्जैन में आयोजित होता है जिसे सिंहस्थ कुंभ मेला भी कहा जाता है,

निष्कर्ष के तौर पर कह सकते हैं कि दोनों घटनाएँ, मकर संक्रांति और महाकुंभ, महत्वपूर्ण खगोलीय गतिविधियों के साथ संरेखित होती हैं जो मौसमी परिवर्तनों, मानव शरीर विज्ञान और पर्यावरण को प्रभावित करती हैं। जोकि हमारे पूर्वजों के विशिष्ट प्राचीन ज्ञान को भी दर्शाते हैं जो खगोलीय ज्ञान को स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने वाली प्रथाओं के साथ एकीकृत भी करता है।

अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के 'नियमन रिपोर्ट्स' में अंकित की साहसिक पत्रकारिता पर लेख प्रकाशित

*हार्वर्ड ने किया अंकित पचौरी की मानवीय पत्रकारिता को सलाम*


भोपाल

मध्यप्रदेश के पत्रकार अंकित पचौरी ने अपनी साहसिक पत्रकारिता से न केवल समाज को जागरूक किया है, बल्कि अब उनकी आवाज़ अंतरराष्ट्रीय मंचों तक गूंज रही है। अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता प्रकाशन ‘नियमन रिपोर्ट्स’ में उनकी प्रेरणादायक और संघर्षशील पत्रकारिता को स्थान दिया गया है। इस लेख ने न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश का मान बढ़ाया है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ‘नियमन रिपोर्ट्स’ ने अपने लेख में अंकित पचौरी की उन रिपोर्टों को प्रमुखता से शामिल किया है, जिनमें उन्होंने वंचित और हाशिए पर खड़े समुदायों की समस्याओं को न केवल उजागर किया बल्कि समाधान की दिशा में भी कदम बढ़ाए। रिपोर्ट में विशेष रूप से उस घटना का उल्लेख है जब अंकित ने मध्यप्रदेश की एक दलित महिला और उसकी लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मी बच्ची के शिक्षा के अधिकार के लिए अभियान चलाया। यह मुद्दा पहले मुख्यधारा की मीडिया में नजरअंदाज कर दिया गया था, लेकिन अंकित की रिपोर्टिंग ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया।

*सामाजिक न्याय के लिए समर्पित पत्रकारिता*

पिछले एक दशक से अंकित पचौरी ‘द मूकनायक’ जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से दलितों, आदिवासियों और अन्य उपेक्षित समुदायों की आवाज़ को बुलंद कर रहे हैं। उनकी रिपोर्टिंग ने न केवल इन समुदायों के अधिकारों को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बनाया है, बल्कि सरकार और प्रशासन को भी इनके मुद्दों पर ध्यान देने के लिए मजबूर किया है। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने डिजिटल मीडिया को एक ऐसा माध्यम बनाया है, जिसके जरिए वे सामाजिक न्याय के लिए एक मजबूत आवाज़ बन चुके हैं।

*‘नियमन रिपोर्ट्स’ का विशेष उल्लेख*

‘नियमन रिपोर्ट्स’ ने लिखा है कि अंकित की पत्रकारिता एक ऐसा उदाहरण है, जो दिखाती है कि साहस, दृढ़ता और मानवीय संवेदनाएं किस तरह पत्रकारिता को समाज के लिए बदलाव का जरिया बना सकती हैं। लेख में उनके पिछले तीन वर्षों की उन रिपोर्टों का उल्लेख किया गया है, जिनमें उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक असमानता और जातिगत अन्याय जैसे मुद्दों पर गहराई से काम किया।

*अंकित का योगदान और प्रेरणा*

हार्वर्ड के इस लेख में यह भी बताया गया है कि अंकित ने किस तरह डिजिटल मीडिया को सशक्त हथियार बनाकर समाज के कमजोर वर्गों की आवाज़ को मुख्यधारा में लाने का काम किया। उनकी कहानियां न केवल उन वर्गों के संघर्ष को उजागर करती हैं, बल्कि उन्हें सशक्त करने का मार्ग भी दिखाती हैं।

*अंतरराष्ट्रीय पहचान से प्रदेश का मान बढ़ा*

मध्यप्रदेश के एक छोटे से शहर से निकलकर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले अंकित पचौरी का नाम आज हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा बन चुका है, जो पत्रकारिता के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का सपना देखता है। उनकी इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि सही दृष्टिकोण और अथक परिश्रम से सीमाएं तोड़ी जा सकती हैं।

गांधी विरासत को बचाने राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का 50 वां दिन पूरा

*न्याय के दीप जलाएं-100 दिनी सत्याग्रह*


शहड़ोल

गांधी विरासत को बचाने के लिए राजघाट परिसर, वाराणसी के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 50 वां दिन है। इस सत्याग्रह का मध्यांतर है अर्थात 50 दिन पूरे हो गए। इस 100 दिनी सत्याग्रह में अब तक उड़ीसा, झारखंड,पश्चिम बंगाल, बिहार,उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि राज्यों की प्रत्यक्ष भागीदारी हो चुकी है। इसके अलावा कई समविचारी संगठनों ने इसमें अपनी भागीदारी निभाई है।

आज सत्याग्रह में उपवास पर मध्य प्रदेश के शहडोल जिले से भूपेश भूषण और राजेश मानव बैठे हैं। भूपेश भूषण गांधी विचार की सर्वोच्च संस्था सर्व सेवा संघ के युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक  एवं राजेश मानव गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं। भूपेश भूषण मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के रामपुर गांव के  एवं राजेश मानव मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के सीमांत गांव दरसिला के निवासी हैं। ये दोनो सामाजिक क्षेत्र में सतत साथ-साथ सक्रिय रहे हैं। देश भर में सामाजिक कार्यों में भूपेश और राजेश की जोड़ी प्रतिष्ठित है। जहां भी समाज में अन्याय, शोषण एवं अत्याचार के विरुद्ध कोई कार्य हो या गांधी विचार के आधार पर नए मानवीय समाज निर्माण का काम हो,वहां भूपेश-राजेश न हों,ऐसा ज्यादातर नहीं होता। किशोरावस्था में ही ये दोनो जिला सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष गणेश शर्मा के संसर्ग में गांधी विचार से परिचित एवं प्रेरित होकर सामाजिक जीवन में सक्रिय हो गए। राष्ट्रीय युवा संगठन के राष्ट्रीय शिविर – सोमैया कॉलेज, विद्या विहार मुंबई में प्रोफेसर ठाकुरदास के आह्वान पर सर्वोदय विचार एवं कार्यपद्धति के प्रति इन दोनो ने साथ साथ संकल्प लिया। पिछले 28 वर्षों से ये लगातार सर्वोदय के लिए समाज परिवर्तन की दिशा में अग्रसर हैं। सत्य और अहिंसा प्रेरित शिक्षण-संगठन-रचना एवं संघर्ष के हर मोर्चे में इनकी दमदार और अग्रणी भागीदारी रहती है। इन्हें गांधी विचार के सर्वांग पक्ष को समझने में देश भर के  ख्यात गांधीवादी चिंतक  जैसे -कुमार प्रशांत, प्रो. ठाकुरदास बंग, नारायण देसाई, सिद्धराज ढड्ढा, अमरनाथ भाई, एस. जगन्नाथन, मनमोहन चौधरी, गंगा प्रसाद अग्रवाल, मेधा पाटकर, पी.वी. राजगोपाल, एस एन सुब्बाराव, संतोष कुमार द्विवेदी का सानिध्य एवं सहयोग प्राप्त हुआ। इन्होंने देश के विभिन्न गांधीवादी संस्था एवं संगठनों के साथ, जैसे राष्ट्रीय युवा संगठन, गांधी स्मारक निधि, एकता परिषद, बनवासी सेवा आश्रम, कस्तूरबा ट्रस्ट, संयुक्त किसान मोर्चा, प्रगतिशील लेखक संघ में राष्ट्रीय एवं प्रांतीय पदाधिकारी एवं सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दी है।

इन्होंने उड़ीसा के साइक्लोन ,गुजरात के भूकंप, तमिलनाडु के सुनामी, नेपाल के भूकंप में पीड़ितों के बीच राहत-बचाव एवं पुनर्निर्माण का कार्य किया। साथ ही अनेक राष्ट्रीय सत्याग्रह एवं अभियान में भाग लिया। "एक है धरती – एक हैं लोग" के तहत दिल्ली से अयोध्या तक जनमत संग्रह एवं जनजागरण अभियान, जल- जंगल-जमीन के मुद्दे पर "घेरा डालो घेरा डालो" आंदोलन, आकाशकोट ग्रामस्वराज्य अभियान, आदि में इनकी अग्रणी भूमिका रही।

सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल* सत्याग्रह स्थल पर कहा कि अन्याय और अविचार के खिलाफ चल रहे सत्याग्रह ने आज पचासवां दिन पूरा कर लिया है। यह सत्याग्रह केवल सर्व सेवा संघ की विरासत बचाने के लिए नहीं है बल्कि  पुरखों को जो लांछित किया है और उनके बारे में झूठ फैलाया गया है , उसकी सच्चाई बताने के लिए है। साथ ही विकास के नाम पर कॉरपोरेट पूंजी को बढ़ावा देने वाले सरकारी विनाश नीति के बारे में लोगों को जागरूक करना  है। लोकतंत्र और संविधान  को नष्ट करने की साजिश चल रही है, उसके बारे में भी जनता को सचेत करना है। शिक्षा के क्षेत्र में धार्मिक कट्टरता को अग्रधिकार दिया जा रहा है जो काफी खतरनाक है। सरकार की विभाजनकारी और कॉर्पोरेट परस्त नीतियों की हकीकत बताना और लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ गांधी, विनोबा जयप्रकाश के विचार को जन -जन तक पहुंचाने का यह एक प्रयास है। उन्होंने अपील किया कि किसानों को, मजदूरों को, वंचितों को न्याय मिले, इसलिए  इसबार के दीपोत्सव को न्याय के दीपोत्सव के रूप में मनाएं।

आज के सत्याग्रह में उपवासकर्ता भूपेश भूषण और राजेश मानव के अलावा वरिष्ठ गांधीवादी अलख भाई ,सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण के सुशील कुमार भारत जोड़ो अभियान के शाहिद कमाल, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज, शक्ति कुमार,जागृति राही, सिस्टर फ्लोरिन,नंदलाल मास्टर,तारकेश्वर सिंह,सुरेंद्र नारायण सिंह, पूनम,पिंकी सिंह,चंद्रावती यादव,दुर्गा यादव,रवि प्रकाश गुप्ता, दिनेश केवट, अवधेश कुमार, हरेंद्र कुमार बिहारी, मदन सिंह यादव, अशोक यादव, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मनियारा,बलराम सेन, प्रणव सेन,लली कुमारी,प्रहलाद सिंह, ईश्वर चंद्र आदि ने शामिल होकर अपना समर्थन दिया। आज के सत्याग्रह में पश्चिम बंगाल झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की भागीदारी हुई।

प्रलेसं का राष्ट्रीय सेमिनार के आयोजन में देश के कई विद्वान करेंगे शिरकत

*विभिन्न प्रांतो से अनेक प्रबुद्धजन करेंगे भागीदारी, होगा एक दिवसीय सेमिनार*


चंडीगढ़

अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा पंजाब कला परिषद के सहयोग से वर्तमान समय के सम-सामयिक विषयों पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है, जिसमें देश के विभिन्न प्रांतो से अनेक प्रबुद्धजन भागीदारी करेंगे।

आयोजन समिति की ओर से प्रलेसं के राष्ट्रीय महासचिव सुखदेव सिंह सिरसा एवं पंजाब कला परिषद के सवरन जीत सवी ने बताया कि एक दिवसीय सेमिनार 26 अक्टूबर को चंडीगढ़ के कला परिषद सभागार में आयोजित होगा। उद्घाटन सत्र में भारतीय लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और साहित्य विषय पर योजना आयोग की पूर्व सदस्य, पद्मश्री प्रो. सईदा हमीद (दिल्ली), दलित अधिकार के क्षेत्र में सक्रिय लेखक प्रो. कांचा इलैया (हैदराबाद), राज्य सभा टीवी के पूर्व निदेशक लेखक,उर्मिलेश (दिल्ली) एवं प्रलेसं के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी लक्ष्मीनारायणा (आंध्र प्रदेश) संबोधित करेंगे।

अन्य सत्रों में भारतीय लोकतंत्र के सम्मुख चुनौतियां विषय पर महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रलेसं के कार्यकारी अध्यक्ष विभूति नारायण राय (दिल्ली), विभिन्न वैचारिक विषयों के लेखक,"और वर्चस्व की सत्ता" उपन्यास के लेखक वीरेंद्र यादव (लखनऊ), समय के साखी पत्रिका  की संपादक डा. आरती (भोपाल), प्रलेसं सचिव मंडल सदस्य मोहनदास वल्लिकावु (केरल) के वक्तव्य होंगे।

सामाजिक परिवर्तन की दिशाएं और साहित्य विषय पर साहित्य की विभिन्न विधाओं के लेखक , संपादक, अनुवादक रणेन्द्र (राँची),म.प्र.सतना निवासी कवि, आलोचक, शिक्षक डा. आशीष त्रिपाठी (वाराणसी), प्रलेसं सचिव मंडल सदस्य और उर्दू की प्रोफेसर डा. अर्जुमंद आरा (दिल्ली), कला, संस्कृति और लेखन के विभिन्न मोर्चो पर सक्रिय और प्रलेस के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी (इंदौर) एवं समापन सत्र में पहचान की राजनीति और साहित्य विषय पर पंजाबी लेखक खालिद हुसैन, डा. वंदना चौबे (वाराणसी), लेखिका-कवयत्री डा. कुसुम माधुरी टोपो (छत्तीसगढ़)एवं प्रलेसं सचिव मंडल सदस्य राकेश वानखेड़े (महाराष्ट्र) अपने विचार व्यक्त करेंगे।

इस सेमिनार में मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के कई पदाधिकारी शिरकत करेंगे। इनमें भोपाल से आरती, शैलेंद्र शैली, सत्यम, अनूपपुर से विजेंद्र सोनी, शिवपुरी से जाहिद खान, ग्वालियर से जितेंद्र बिसारिया, जबलपुर से तरुण गुहा नियोगी एवं इंदौर से विनीत तिवारी, सारिका श्रीवास्तव एवं हरनाम सिंह भाग लेंगे।

संगम नगरी में कवि संगम त्रिपाठी को साहित्य विभूति सम्मान से किया सम्मानित


प्रयागराज

अवध साहित्य अकादमी पत्रकार भवन गॅधियांव करछना प्रयागराज ने कवि संगम त्रिपाठी को साहित्य विभूति सम्मान 2024 से सम्मानित किया।

सम्मान समारोह 21 सितंबर 2024 को हिन्दुस्तानी एकेडमी सभागार सिविल लाइन्स प्रयागराज उत्तर प्रदेश में भव्य समारोह में कार्यक्रम संपन्न हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि आचार्य ओम नीरव वरिष्ठतम साहित्यकार लखनऊ उत्तर प्रदेश, अध्यक्षता - कुशलेन्द्र श्रीवास्तव वरिष्ठ साहित्यकार गाडरवारा मध्यप्रदेश व अति विशिष्ट अतिथि डॉ शंभु नाथ त्रिपाठी ' अंशुल' व शीलधर मिश्र रहे।

इस भव्य समारोह में श्याम फतनपुरी - श्याम की गीतिकाए व श्याम की मधुशाला, डॉ कैलाश नाथ मिश्र - महमहाती गीतिकाए, पंकज बुरहानपुरी - तुम होते तो, शिक्षाप्रद कहानियों का संकलन - संपादक सर्वेश कान्त वर्मा ' सरल"  विश्वनाथ त्रिपाठी - राधा माधव, डॉ सतीश चन्द्र मिश्र - यत्र तत्र सर्वत्र व मां की छाया में, डॉ योगेंद्र कुमार मिश्र विश्वबंधु आसपास लघुकथा संग्रह व उद्गागार देह मुक्तक संग्रह एवं सोलह नई कहानियां साझा काव्य संग्रह का विमोचन हुआ।

डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय प्रयागराज उत्तर प्रदेश के संचालन में सम्मानित किए गए कवि संगम त्रिपाठी को सोमनाथ शुक्ल, विजय शुक्ल, डॉ विजयानन्द, राम लखन गुप्ता, डॉ अजय मालवीय ' बहार' इलाहाबादी ने बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा की अंतरराष्ट्रीय कवि गोष्ठी दिल्ली में संपन्न


दिल्ली -  प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा की अंतरराष्ट्रीय कवि गोष्ठी दिनांक 15.09.2024 को दिल्ली में आयोजित की गई।कवि गोष्ठी में मुख्य अतिथि डॉ देवी पन्थी एसोसिएट प्रोफेसर त्रिभुवन विश्वविद्यालय एवं चारु साहित्य प्रतिष्ठान नवलपरासी नेपाल व अध्यक्षता डॉ घनश्याम न्योपाने परिश्रमी नेपाल एसोसिएट प्रोफेसर त्रिभुवन विश्वविद्यालय एवं कुलपति बर्दघाट प्रज्ञा प्रतिष्ठान नवलपरासी नेपाल व विशिष्ट अतिथि प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली रहे।

प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के अंतर्राष्ट्रीय कवि गोष्ठी में डाॅ अणिमा श्रीवास्तव पटना बिहार, कवि संगम त्रिपाठी जबलपुर मध्यप्रदेश, डॉ देवी पन्थी नेपाल, डॉ घनश्याम न्योपाने परिश्रमी नेपाल, गोपाल जाटव विद्रोही मन्दसौर मध्यप्रदेश, सरदार अमरसिंह कटिहार बिहार, डॉ विश्व भूषण गुप्त बरौनी बेगूसराय बिहार, डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव पटना बिहार, श्रीमती राजकुमारी रैकवार राज जबलपुर, श्रीमती तरुणा खरे जबलपुर मध्यप्रदेश, संत शरण श्रीवास्तव जबलपुर मध्यप्रदेश, कुंवर प्रताप सिंह प्रतापगढ़ राजस्थान, प्रभा बच्चन श्रीवास्तव जबलपुर मध्यप्रदेश, प्रदीप मिश्र अजनबी दिल्ली, दादा भैरु सुनार मनासा मध्यप्रदेश, हरेंन्द्र हर्ष बुलंदशहर उत्तर प्रदेश ने काव्य पाठ किया। कवि गोष्ठी का संचालन भैरु सुनार मनासा मध्यप्रदेश व आभार डॉ विश्व भूषण गुप्त बरौनी बेगूसराय बिहार ने अभिव्यक्त किया। हिन्दी पखवाड़े के समापन के अवसर यह सफल अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी सम्पन्न हुई।

14 सितंबर को जंतर मंतर में हिंदी सेवियों की ऐतिहासिक सभा


दिल्ली -  प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा जंतर मंतर में 14 सितंबर 2024 को ऐतिहासिक सभा आयोजित कर रही है जिसमें आजादी के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु हिंदी सेवियों की ऐतिहासिक सभा प्रदर्शित की गई है।

संस्था के संपादक कवि संगम त्रिपाठी ने बताया कि इस सभा में हिंदी सेवी हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु चिंतन करेंगे। प्रदीप मिश्र अजनबी महासचिव दिल्ली के संचालन में ऐतिहासिक काव्य पाठ भी किया जाएगा।

देश के विभिन्न प्रांतों से हिंदी सेवियों के दिल्ली पहुंचने का सिलसिला जारी हो गया है। जंतर मंतर में सभा के पश्चात प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा का राष्ट्रीय सम्मेलन डॉ धर्म प्रकाश वाजपेई सिविल सेवा संस्थान 18 पूसा रोड करोलबाग नई दिल्ली में दोपहर 03.00 बजे से आयोजित है। राष्ट्रीय सम्मेलन में सम्मान समारोह, किताब विमोचन व काव्य पाठ के साथ ही हिंदी प्रचार प्रसार व राष्ट्रभाषा बनाने की दिशा में विचार विमर्श किया जाएगा।

एस एच एम वी फाउंडेशन ने देश के शिक्षाविदों को किया सम्मानित किया


हैदराबाद - एस एच एम वी फाउंडेशन ने शिक्षक दिवस के अवसर पर देश के शिक्षाविदों को सम्मानित किया। फाउंडेशन ने डॉ राम चन्द्र स्वामी बीकानेर राजस्थान, पोरंकी नागराजु आंध्रप्रदेश, आशीष अम्बर दरभंगा बिहार, नवनीता दुबे नूपुर मंडला, डॉ अमरपाल सिंह वडोदरा गुजरात, डॉ बन्सीलाल हेमलाल गाडीलोहार नाशिक, अनुजा दुबे 'पूजा' वरुड महाराष्ट्र, डॉ हर्षिता भट्ट रुद्रपुर उत्तराखंड, डॉ बिश्वम्भर दयाल अवस्थी खुर्जा बुलंदशहर उत्तर प्रदेश, श्रीनिवास यन आंध्रप्रदेश, किंजल ईलेश मेहता गोंदिया महाराष्ट्र, डॉ संजीदा खानम शाहीन जोधपुर राजस्थान, रामदयाल बैरवा अजमेर, मानवेंद्र सिंह रोहतक हरियाणा, डी. ए. प्रकाश खाण्डे अनूपपुर मध्यप्रदेश, डॉ प्रोफेसर अमलपुरे सूर्यकांत विश्वनाथ महाराष्ट्र, डॉ कादम्बिनी मिश्रा जबलपुर मध्यप्रदेश, डॉ हरिदास बड़ोदे 'हरिप्रेम'मेहरा आमला बैतूल मध्यप्रदेश, डॉ आकांक्षा रुपा चचरा कटक उड़ीसा, डॉ राधा वाल्मीकि पंतनगर उत्तराखंड, डॉ संध्या यादव वाराणसी उत्तर प्रदेश, कल्पना मिश्रा लखनऊ उत्तर प्रदेश, कर्नल आदि शंकर मिश्र लखनऊ उत्तर प्रदेश, श्रवण कुमार साहू गरियाबंद छत्तीसगढ़, मंजू अशोक राजाभोज भंडारा महाराष्ट्र, डॉ पुष्पा गोविंदराव गायकवाड देंगलूर महाराष्ट्र, हरि शंकर द्विवेदी मिर्जापुर, संतोष कुमार पाठक गढ़वा झारखण्ड, आरती श्रीवास्तव जबलपुर मध्यप्रदेश, कवि मुकेश कुमावत मंगल, त्रिभुवन लाल साहू जांजगीर चांपा छ.ग., प्रोफेसर महबूब सुभानी बैंगलोर कर्नाटक, आत्म प्रकाश कुमार गांधीनगर गुजरात, डॉ राम प्रवेश पंडित मेदिनीपुर झारखण्ड को सम्मान प्रदान किया।

          फाउंडेशन के संस्थापक डॉ विजय कुमार, कवि संगम त्रिपाठी संयोजक व श्रीकांत रेड्डी उपाध्यक्ष ने बधाई दी।

रंगसाड़ी द्वारा साड़ी प्रीमियर लीग का पहला संस्करण प्रीमियर लीग सीजन- 1 का हुआ आयोजन


*सुशी सक्सेना*

नोएडा, दिल्ली एनसीआर, रंगसाड़ी की ओर से साड़ी प्रीमियर लीग का पहला संस्करण जो कि एक अद्वितीय आयोजन है। यह आयोजन नोएडा के क्लब 26 में 5 मई, 2024 को आयोजित की गई, जो फैशन और सहकर्मिता की दुनिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। "साड़ी में खिलाड़ी" थीम के अंतर्गत, साड़ी प्रीमियर लीग ट्रेडिशन और प्रतिस्पर्धा का मेल दिखता हैं, जहां 14 टीम थी और हर टीम में पांच सदस्य थे और उनकी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए चर्चित चुनौतियों की एक श्रृंगारिक सीरीज को प्रस्तुत किया गया था। इस आयोजन का उद्देश्य साड़ी की परंपरा को जन जन तक ले कर जाना है।

मुख्य अतिथि के रूप में सुश्री मीनाक्षी वर्मा, IAS, दिल्ली, ने अपनी उपस्थिति के साथ इस अवसर को गौरवित किया। इस आयोजन में जूरी की भूमिका श्रुति सिंह, डॉ। संगीता तनेजा, मोहिनी प्रिया, सुमिता वाई गोयल, ज्योति जैन, नेहा सिकारिया, प्रीति नवीन, शिल्पी बहादुर, गुलरोज मोंगिया, और मनीषा गुप्ता ने जैसी प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने जूरी की प्रक्रिया को विश्वसनीयता पर निभाई।

इस आयोजन को संभव बनाने में योगदान देने के लिए आर्टिस्टिक इल्लुशन, हेल्थ बेकर्स, स्पाइसी शुगर, सफायर ज्वेल्स, रंगली रंगलियोट, डी'वीयू, और एक्यू बाय एकेएस के जेनरस गिफ्टिंग पार्टनरों का धन्यवाद। महत्वपूर्ण प्रारंभिक रूप से अनुराग्यम, रेमंड, तानेरा साड़ी, स्टूडियो वोवन वाल्स, चाटोरे नुक्कड़, और नेशनल नेटवर्क ने साड़ी प्रीमियर लीग की सफलता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एक विशेष बात, इस आयोजन के दौरान एक पत्रिका लॉन्च किया गया, जो 50 महिला उद्यमियों की प्रशंसा करने के लिए समर्पित थी, जो रंगसाड़ी के समर्थन को बढ़ावा देती है और उनकी कामयाबियों को मनाती है।

साड़ी प्रीमियर लीग का पहला संस्करण फैशन की दुनिया में रचनात्मकता और समावेशीता के लिए एक नया मानक स्थापित कर चुका है, और रंगसाड़ी इस सफलता पर आगे बढ़ने के लिए उत्सुक है।

हर वर्ग की महिलाओं ने अपने बचपन को दोबारा जीवंत किया और पूरे आयोजन में रंग भर दिया। विजेताओं को क्राउन, ट्रॉफी, उपहार और पदक से सम्मानित किया गया।

रंगसाड़ी की संस्थापिका डॉ. निधि बंसल ने समृद्धि और आकर्षण के साथ इस घटना का आयोजन किया। उन्होंने सभी सदस्यों, टीमों, जूरी, मेहमानों, और समर्थकों को उनके योगदान के लिए हार्दिक धन्यवाद किया।

अनुराग्यम डांस लीग सीजन 3 का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुआ भव्य आयोजन


नई दिल्ली

सुशी सक्सेना, मीडिया प्रभारी अनुराग्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अनुराग्यम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुराग्यम डांस लीग सीजन 3 का यूट्यूब लाइव पर भव्य आयोजन किया। देश विदेश से लाखों लोगों ने 25 नृत्यकारों का इस भव्य आयोजन में हौसला बढ़ाया। अनुराग्यम एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो दिल्ली से अपने सभी भव्य आयोजनों को समय समय पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कला, संस्कृति, साहित्य, साइंस एवं टेक्नोलॉजी को आयाम देता है। अनुराग्यम डांस लीग सीजन 3 का मुख्य कार्यभार आयोजन सचिव ममता रजक एवं अनुराग्यम के संस्थापक सचिन चतुवेर्दी का रहा। 

संचालिका सीमा वालिया ने देश विदेश के सामने अनुराग्यम की ओर से इस भव्य आयोजन का संचालन किया। सीमा वालिया ने अनुराग्यम और अनुराग्यम डांस लीग सीजन 3 का उल्लेख करते हुए इस भव्य आयोजन के चार प्रमुख जजों का स्वागत किया। सीमा गर्ग, जश टिसवार्ड, अपर्णा चित्तोरिया और बीनू सिंह ने अपने इस कार्य भार को इन 25 बहुमुखी प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाते हुए इन सबका जजमेंट किया।

25 बहुमुखी प्रतिभागियों में ग्रुप ए से श्रीवाली शेट्टीगर, सानवी गुप्ता, देबांग्शी दास, अर्निमा मोल्फा, अमृता पाल, दिविशा रतनानी, लक्षिता बैद और श्रेयान्वी मिश्रा। ग्रुप बी से अवनि न्यूगी, चतुर्य कामू, देबोलीना बैग, वाणिका कौशिक, फॉस्टिना परनबी सरकार, आशना दिल्लीवार, सौमिली सेनगुप्ता। ग्रुप सी से ओइसिकी सिन्हा, शॉन अहमद, सृष्टि बेनीवाल, दिशिका छाबड़ा, दिविषा जैन, तारुषी राजोरा। ग्रुप डी से मातंगी शंकर, श्रीमती. शीतल, मेघना गुहा, एस हरिका सत्य उपस्थित थे।

राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए इंजीनियर अंकिता बाहेती (दोहा क़तर), अर्चना श्रीवास्तव (मलेशिया), मीनू बाला (पंजाब), संगीता वर्षांय (अलीगढ़), ज्योति माथुर (ऑस्ट्रेलिया), वेरोनिका आर. पिंगोल (होंग कोंग), अभिषेक शुक्ला (उत्तर प्रदेश), ध्रुव तिवारी (छत्तीसगढ़) और सुशी सक्सेना (मध्य प्रदेश) से सभी कोऑर्डिनेटरों ने अपना पूर्ण सहयोग दिया।

अंत में डॉ. तरूणा माथुर जी, प्रिंसपल इन्वेस्टिगेटर, अनुराग्यम ने सभी प्रतिभागियों, जजों, कोऑर्डिनेटरों एवं समस्त अनुराग्यम परिवार को धन्यवाद दिया। अनुराग्यम डांस लीग की संयोजक डॉ निधि बंसल जी और सह संयोजक दीपाली जैन जी ने अनुराग्यम और अनुराग्यम डांस लीग सीजन 3 के बारे में उल्लेख किया और सभी प्रतिभागियों एवं जजों को धन्यवाद दिया।

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