*बैठकी*
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रेल जिहाद की तरह,ये हवाई जिहाद तो नहीं- प्रोफेसर राजेंद्र पाठक
बैठकी जमते हीं मास्टर साहब बोल पड़े --"सरजी, हमारे देश में आप्रेशन सिंदूर के बाद लगातार हो रहे विमान, हेलिकॉप्टर हादसे, देश में शांतिदूतों द्वारा चलायें जा रहे रेल जिहाद की तरह हवाई जिहाद तो नहीं चलाया जा रहा!!--मास्टर साहब बैठते हीं मुद्दा रख दिये।
मास्टर साहब! इ त बड़ा गंभीर बात उठवनीं!!--मुखियाजी सोफे पर बैठते हुए।
मुखियाजी,अहमदाबाद प्लेन क्रेश को लेकर मेरे मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर विमान बोइंग 787, टेकऑफ़ के बाद एक मिनट के अंदर जोरदार धमाके के साथ जमीन पर आ गिरा। ये विमान दुनिया का सबसे सुरक्षित विमान माना जाता रहा है फिर भी इस तरह का हादसा दुनिया ने पहली बार देखा है। इसका दोनों इंजन का एक साथ फेल होना शक पैदा करता है।तब जबकि प्लेन में एक लाख छब्बीस हजार लीटर तेल भरा हो,सुमित सभरवाल जैसा अनुभवी पायलट हो, विमान भी मात्र 11 साल पुराना हो जो कमर्शियल एवियेशन में नया माना जाता है। इतना सब होने के बावजूद, दोनों इंजन का फेल होना वो भी मात्र एक मिनट के भीतर!! पंच नहीं रहा है सरजी!"--मास्टर साहब मायुस दिखे।
मास्टर साहब,जैसी की सूचना है पायलट ने विमान हादसा के चंद सेकेंड पहले विमान को थ्रस्ट नहीं मिलने की सूचना दी थी अर्थात इंजन द्वारा विमान को हवा में आगे बढ़ाने का बल नहीं मिल रहा। इसके बाद "मेडे" का अंतिम मैसेज दिया और विमान हादसे का शिकार हो गया।--डा. पिंटू दुखी थे।
डा. साहब, एक पक्षी के टकराने से इंजन बंद नहीं हो सकता दुसरी बात की एक साथ दोनों इंजन बंद नहीं हो सकते। विमान उड़ान के 625 फीट के बाद हीं नीचे गिरना क्यों शुरू हुआ!! फ्यूल टैंक के मेन स्विच से इंजन तक के सप्लाई पाइप में जितना फ्यूल समा सकता है वो अधिकतम 40 सेकेंड तक इंजन को चालू रख सकता है जिससे लगभग 625 फीट की उड़ान संभव है जैसा कि मुझे मिडिया से जानकारी मिली है। जांच के दौरान फ्यूल टैंक और मेन स्विच आदि की भी जांच होती है अतः बाहरी आतंकी मकसद की बात नहीं हो सकती। फ्यूल सप्लाई लाइन ग्राउंड स्टाफ का दायित्व होता है। तो कहीं ऐसा तो नहीं कि जांच के दौरान हीं फ्यूल सप्लाई लाइन का मेन स्विच बंद कर दिया गया हो!!--उमाकाका हाथ चमकाये।
ए भाई,जब मेन सप्लाई लाइन बंद रही त इंजनवा,पइपवा में बांचल तेलवे तक नु चली,फेर इंजन बंद होइये जायी!--मुखियाजी समझते हुए।
इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में.......
मुखियाजी एआई171 का 625 फीट की उंचाई पर क्रैश होना शक तो पैदा करता हीं है। जांच एजेंसियों को फोरेंसिक पड़ताल करनी चाहिए कि ग्राउंड इंजिनियरों में से किसने आखिरी बार उस मेन वाल्व क्षेत्र को छुआ था!! टुल बाक्स का निरीक्षण किसी अनआथोराइज व्यक्ति ने तो नहीं किया!! फ्लाइट डाटा रिकार्डर से देखा जाय कि क्या टेकऑफ़ से पहले फ्यूल लाइन प्रेशर "जीरो" था!! क्या पायलट को कोई फ्यूल प्रेशर एलर्ट मिला था!!
जांच एजेंसियों को ब्लैक बाक्स मिल गया है। देखिये क्या क्या जानकारियां मिलती हैं!!--सुरेंद्र भाई मुरझाये से।
सरकार तो इस हादसा के लिए कुल आठ एजेंसियों को लगा दी है लेकिन अमरीका सहित अन्य देशों की जांच एजेंसियां भी लगीं हैं। देखिये क्या निष्कर्ष निकलता है!! सरकार ने तो अपने एजेंसियों को तीन महीनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है।--उमाकाका शांत लगे।
काकाजी,इस विमान हादसे को पाकिस्तान के साथ हुए आप्रेशन सिंदूर के समय तुर्की की भूमिका के आलोक में भी देखना महत्वपूर्ण है। भारत सरकार ने तुर्की का पाकिस्तान प्रेम के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस प्रोवाइडर तुर्की की कंपनी सेलेबी एवियशन का सेक्योरिटी क्लियरेंस रद्द कर दिया। ये कंपनी देश के प्रमुख और अतिसंवेदनशील 9 एयरपोर्ट पर ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस, कार्गो सेवा और एयरसाइड आप्रेशन जैसे हाइ सेक्योरिटीज वाले कार्य करती रही है। सरकार के इस कदम के खिलाफ ये कंपनी विभिन्न हाइकोर्टो में चली गई वहां उसे सरकार के विरुद्ध राहत भी मिली है। इस कंपनी के हजारों कर्मचारी हैं जिसमें अधिकांश शांतिदूतों के समुदाय से हैं जिनपर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर विश्वास करना, आत्महत्या से कम नहीं। मुझे तो अहमदाबाद विमान हादसे में इस कंपनी और इसके कर्मचारियों का हाथ होने की पुरी आशंका नजर आती है।--डा.पिंटु चिंतित लगे।
हां डा.साहब,जब भारत पाकिस्तान के बीच आप्रेशन सिंदूर के दौरान तनाव चल रहा था तो यह मांग उठी थी कि तुर्की की कंपनी सेलेबी जो एयर इंडिया की मेंटेनेंस का काम देखती थी उसे फौरन हटाया जाय।उस वक्त तुर्की के सामानों के बहिष्कार करने का मुद्दा भी गर्म था। सोसल मीडिया के माध्यम से मुझे जानकारी मिली कि कंपनी मुंबई हाईकोर्ट गयी जहां जज ने शायद क्लीन चिट दे दी या स्टे लगा दिया।
लेकिन यहां मुझे एक बात समझ में नहीं आयी की जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का हो वहां सरकार के निर्णय के विरुद्ध न्यायालय को याचिका स्वीकार करने का क्या औचित्य बनता है!! राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार देखेगी या न्यायपालिका!! न्यायालय को तो तुरंत इसे खारिज कर देना चाहिए था। अगर जांचोपरांत इस कंपनी और इसके शांतिदूत कर्मचारियों का हाथ हुआ तो क्या वो जज 275 जिंदगियां और अरबों रुपयों के नुकसान की भरपाई करेगा!!--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।
कुंवर जी, भारतीय न्याय-व्यवस्था पर तो अब विश्वास हीं उठ गया है। कौन ऐसा कोर्ट है जहां घुसखोरी नहीं चलती! छोड़िये न!देखा नहीं देश की जनता ने,जिस जज के घर पर नोटों के बंडल से भरी जली बोरियां मिलीं उस पर एक एफआईआर तक नहीं हुआ। हर कोर्ट में जज से दो मीटर दूर बैठा पेशकार हर केस के तारिख पर दो-चार सौ जेब में रखता है।जज जानता नहीं है!! हमारे देश में जजों की तानाशाही चलती है। ये देश, कानून सबसे उपर हैं। भ्रष्ट व्यक्तित्व से देशभक्ति की अपेक्षा भी मूर्खता है।--मास्टर साहब मुंह बनाये।
ए सरजी,रउवो कुछ कहीं!!--मुखियाजी मेरी ओर देखकर।
इसमें दो मत नहीं कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश में विमान दुर्घटनाओं की स्थिति नाजुक दिखने लगी है। तकनीकी गड़बड़ी, इमरजेंसी लैंडिंग,इधर दो दिनों के भीतर ही पांच विमानों में खराबी कुछ तो जरूर इशारा करती है।अहमदाबाद विमान हादसा हो या केदारधाम हेलिकॉप्टर हादसा, या अन्य, सरकार को सुरक्षात्मक पहलुओं पर किसी तरह का समझौता नहीं करना चाहिए और जांचोपरांत सख्त से सख्त कदम उठाना चाहिए। इसमें दो मत नहीं कि देश के भीतर बैठे देशद्रोहियों से निपटना बहुत कठीन है तथापि इतना तो अब ध्यान रखना हीं होगा कि सुरक्षा के क्षेत्र में शांतिदूतों की सेवायें लेने में सतर्कता अति आवश्यक हो चला है। हमारे देश में जिस तरह रेल जिहाद की घटनायें दिख रही हैं तो ऐसे में हवाई जिहाद को भी नकारा नहीं जा सकता।--मैं चुप हुआ।
मुखियाजी, अहमदाबाद विमान दुर्घटना में सबकुछ जलकर खत्म हो गया। यहां तक कि लाशों को पहचानने के लिए डीएनए टेस्ट का सहारा लेना पड़ा है लेकिन उसी में जहां धातु भी गर्मी से पिघल गया, एक भागवत गीता की पुस्तक बगैर जले सही सलामत मिली जो हमारे सनातन धर्म की महानता का सूचक है। इसे शांतिदूतों को भी समझना चाहिए। इस हादसे ने 275 लोगों की जान ले ली है जिनकी आत्मा की शांति के लिये मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूॅं।खैर,इतना तो हम सबों को विश्वास है कि इस हादसे में यदि कोई षड्यंत्र होगा तो मोदी सरकार उसे छोड़ेगी नहीं। अच्छा अब चला जाय।--कहकर उमाकाका उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी....!!!!!
प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)