सूचना अधिकार अधिनियम कानून का एसईसीएल के अधिकारी कर रहे हैं खुकेआम उल्लंघन
सूचना अधिकार अधिनियम कानून का एसईसीएल के अधिकारी कर रहे हैं खुकेआम उल्लंघन
शहडोल
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 नागरिकों को सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का अधिकार देता है, लेकिन साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के सोहागपुर एरिया में यह कानून मजाक बनकर रह गया है। यहां अधिकारी नियम-कानूनों को ताक पर रखकर “अंधेर नगरी, चौपट राजा” की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
सोहागपुर एरिया के अधिकारी मानो आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हों। सूचना के अधिकार के तहत जब कोई व्यक्ति जानकारी मांगता है, तो उसे या तो टालमटोल का सामना करना पड़ता है या फिर किसी न किसी बहाने से आवेदन को लंबित कर दिया जाता है। कई मामलों में तो प्रथम दृष्टया जवाब देना तक उचित नहीं समझा जाता।
ऐसा ही एक ताजा मामला अखिलेश सिंह द्वारा मांगी गई सूचना से जुड़ा है। पहली बार सूचना मांगने पर उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद जब वे लगातार कार्यालय के चक्कर लगाते रहे, तब आंशिक जानकारी देकर यह कहकर टाल दिया गया कि शेष जानकारी 15 दिनों के भीतर दे दी जाएगी। लेकिन 15 दिन बीत जाने के बावजूद अब तक पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
चौंकाने वाली बात यह है कि समय-सीमा समाप्त होने के बाद भी जब प्रकरण प्रथम अपीली अधिकारी तक पहुंचता है, तब भी कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आती। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या सोहागपुर एरिया में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी इतने अकर्मण्य हो चुके हैं कि उन्हें भारत सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों और राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत अधिनियमों का भी कोई भय नहीं है।
सूत्रों की मानें तो ऐसे कई प्रकरण हैं, जिनमें सोहागपुर एरिया के कार्मिक विभाग और महाप्रबंधक कार्यालय के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों द्वारा सूचना के अधिकार को दूसरे दर्जे पर रखकर उसकी अनदेखी की जा रही है। न सुनवाई हो रही है और न ही जिम्मेदारी तय की जा रही है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सूचना का अधिकार अधिनियम केवल सोहागपुर एरिया के लिए टाइम पास या मजाक बनकर रह गया है? या फिर संबंधित अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई भी होगी? यह देखना अब प्रशासन और प्रबंधन के विवेक पर निर्भर करता है।


















