विश्व क्रांति के प्रेरक फिदेल कास्त्रो जन्म शताब्दी का शुभारंभ, वाम दलों ने याद किया कामरेड कास्त्रों के योगदान को
*कम्युनिस्ट दिल से राजनीति करते हैं, दुनिया में क्यूबा भरोसे और विश्वास का प्रतीक बनकर उभरा*
( नई दिल्ली से लौटकर हरनाम सिंह )
क्यूबा के दिवंगत राष्ट्रपति, क्रांति के महानायक, साम्राज्यवाद को चुनौती देने वाले फिदेल कास्त्रो की जन्म शताब्दी समारोह में देश के वाम दलों सहित अनेक विद्वजनों ने उन्हें याद किया। वक्ताओं ने उत्पीड़ित मानवता के पक्ष में फिदेल के योगदान को स्मरण करते हुए अपने कई संस्मरण सुनाए। आयोजन में क्यूबा की जनता के साथ एक जुटता व्यक्त करने के लिए बनी कमेटी द्वारा फिदेल कास्त्रों शताब्दी फुटबॉल कप प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
शताब्दी समारोह अंतर्गत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मुख्यालय अजय भवन में पार्टी महासचिव डी राजा और अनेक सदस्यों ने फिदेल के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की। परिसर में क्यूबा क्रांति के चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। तत्पश्चात हरकिशन सिंह सुरजीत भवन स्थित सभागृह में शताब्दी समारोह का विधिवत उद्घाटन हुआ।
प्रथम वक्ता क्यूबा के राजदूत एलजान्द्रों सिमकांस मारिन ने अपने संबोधन में कहा की क्रांति के पूर्व क्यूबा पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर था। गोरिल्ला युद्ध के बाद स्वतंत्र क्यूबा न केवल आत्मनिर्भर है, अपितु दुनिया में अपना योगदान भी दे रहा है। क्यूबा विश्व के क्रांतिकारी आंदोलनों का समर्थन करता रहेगा। क्यूबा को नष्ट करने के तमाम प्रयासों के बावजूद वह आज भी जिंदा है।
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि कम्युनिस्ट दिल से राजनीति करते हैं, क्योंकि दिल बांई ओर होता है। दुनिया में क्यूबा भरोसे और विश्वास का प्रतीक बनकर उभरा है। भारत सरकार को क्यूबा के शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल को अपनाना चाहिए। श्री झा ने गाजा में इजरायली दरिंदगी की निंदा करते हुए कहा कि भारत की राजनीति में इजरायल बेजा दखल दे रहा है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन के बच्चों के मारे जाने पर ट्वीट किया तो इजराइली राजदूत ने एतराज जताया।
सी पी आई के महासचिव डी राजा ने फिदेल कास्त्रो के साथ हुई अपनी अनेक मुलाकातों को याद किया। उन्होंने बताया कि हरकिशन सिंह सुरजीत, प्रकाश करात के साथ फिदेल कास्त्रो से अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला था। डी राजा ने कहा कि फिदेल के निधन पर देश के कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि हवाना गए थे। उनमें भाजपा के राजनाथ सिंह भी थे। वहां हमने देखा की जनता अपने महानायक से कितना प्यार करती है। भारत की विदेश नीति अब अमेरिकी परस्त होती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ में क्यूबा हो अथवा फिलिस्तीन भारत अमेरिका के साथ ही दिखता है। अमेरिका क्यूबा में प्रतिक्रांतिकारी तत्वों की मदद कर उसे अस्थिर बनाने का षड्यंत्र करता है। क्यूबा में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क है। वह समाजवाद का आदर्श प्रतीक है। क्यूबा अकेला नहीं है भारत की जनता उसके साथ है।
समाजवादी पार्टी के जावेद अली ने बताया कि उन्हें भी अनेक बार क्यूबा जाने का अवसर मिला है। वहां की जनता का फिदेल के प्रति प्यार दिखता है। फिलिस्तीन और पर भारत सरकार के रुख को देखते हुए क्यूबा के प्रति भी सरकार की नीतियां आश्वस्त नहीं करती। अमेरिका की टेरिफ नीति को लेकर सारा देश परेशान है। पर भारत सरकार मौन है ऐसे में फिदेल याद आते हैं, जिन्होंने सिखाया है कि अमेरिका के बिना भी जीवित रहा जा सकता है और साम्राज्यवाद से लड़ा भी जा सकता है। पीड़ित मानवता के लिए कास्त्रों एक रोशनी है।
फारवर्ड ब्लाक के जीएस देवराजन ने 1997 में एक विद्यार्थी प्रतिनिधि मंडल के साथ क्यूबा यात्रा का जिक्र करते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में फिदेल का लंबा भाषण गिनीज रिकॉर्ड बुक में दर्ज है। उनका भाषण वामपंथियों के दिलों में रहना चाहिए। कास्त्रों ने कहा था कि समाजवाद का आयात नहीं किया जा सकता। वे दूरदर्शी नेता थे उन्होंने सोवियत संघ में पेरोस्त्राइका का विरोध किया था। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इराक के सद्दाम हुसैन को कुवैत पर हमला न करने के लिए सचेत किया था। वे जानते थे कि इससे अमेरिका को उस क्षेत्र में दखल देने का अवसर मिलेगा। कास्त्रों ने चे ग्वेरा को भी बोलीविया में जाने से मना किया था। क्यूबा में धर्म कोई समस्या नहीं है। 10 अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने 638 बार फिदेल कास्त्रो की हत्या का षड़यंत्र किया था। क्यूबा ने बता दिया है कि एक छोटा देश भी अपनी समाजवादी नीतियों से अमेरिका का मुकाबला कर सकता है।
सीपीआई एमएल लिबरेशन के प्रोफेसर गोपाल प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने क्यूबा क्रांति की कहानियां सुनकर ही ऊर्जा प्राप्त की है। दिल्ली से भी कम आबादी वाला देश दुनिया के सबसे ताकतवर देश का मुकाबला कर रहा है। अमेरिका आज पूरी दुनिया को धमका रहा है। ऐसे में अपने आदर्श नायक को याद करना जरूरी है। फिदेल ने अपने देश की परिस्थितियों के अंतर्विरोधों से ही लोकतांत्रिक समाजवादी ढांचा तैयार करना सिखाया है। विपरीत परिस्थितियों में भी वाम आंदोलन में जान फूंकी जा सकती है।
कार्यक्रम के अंतिम वक्ता सीपीएम के महासचिव एम ए बेबी ने कहा कि हम क्यूबा की जनता के साथ एक जुटता व्यक्त करते हैं, जो मानवता स्वाधीनता, स्वाभिमान, सामानता सिखाता है। अमेरिका दुनिया का सुपर पावर है पर वह भी क्यूबा जैसे छोटे देश को नहीं मिटा पाया। इसके पूर्व होचीमिन्ह के नेतृत्व में वियतनाम भी अमेरिका को पराजित कर चुका है। फुटबॉल कास्त्रों का प्रिय खेल था। उन्हीं की स्मृति में आयोजन समिति ने फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित की थी।
कार्यक्रम में अल्जीरिया, वेनेजुएला, चीन, होंडूरास, कंबोडिया तिमोर, रिपब्लिक ऑफ़ डोमिनिक ब्राज़ील आदि देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। आयोजन की जानकारी सोनिया गुप्ता ने दी तथा संचालन अरुण कुमार ने किया। समारोह के अंत में फुटबॉल प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।