तितरीपोंडी में घटिया नाली निर्माण! टाइड फंड के 4.87 लाख की बर्बादी, उपयंत्री नेहा सिंह पर उठे सवाल
*ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की कोशिश*
अनूपपुर
कोतमा के ग्राम पंचायत तितरीपोंडी में नाली निर्माण कार्य इन दिनों विवादों के घेरे में है। लक्ष्मण सिंह के घर से लेकर आंगनवाड़ी केंद्र तक लगभग ₹4,87,000 की लागत से बन रही नाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह राशि केंद्र सरकार की टाइड फंड योजना के तहत स्वीकृत हुई थी, जिसका उद्देश्य गांव की साफ-सफाई और आधारभूत ढांचे को मजबूत करना था। लेकिन हकीकत इससे उलट दिख रही है। स्थानीय लोगों की मानें तो नाली निर्माण में बहुत ही कम मात्रा में रॉड और सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है। जिस कार्य की मजबूती आने वाले वर्षों तक टिके रहने की होनी चाहिए थी, वह अभी से ही दम तोड़ता नजर आ रहा है। निर्माण की गुणवत्ता इतनी खराब है कि नाली वर्षा ऋतु से पहले ही टूटने की कगार पर है।
इस पूरे निर्माण कार्य की निगरानी ग्राम पंचायत की उपयंत्री नेहा सिंह द्वारा की जा रही है, जिन पर गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है। लेकिन हैरानी की बात है कि उन्हीं की निगरानी में यह कार्य इतनी लापरवाही से किया जा रहा है, जिससे शक होता है कि कहीं यह सब ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की साजिश तो नहीं। गांव के लोगों में इस घटिया निर्माण को लेकर भारी नाराज़गी है। ग्रामीणों का कहना है कि जब सरकार द्वारा लाखों की राशि विकास कार्यों के लिए दी जा रही है, तो उसका सही उपयोग क्यों नहीं हो रहा? स्थानीय निवासी ने कहा, "यह नाली दो महीने भी नहीं टिकेगी, सारा पैसा मिट्टी में मिलाया जा रहा है। यह खुली लूट है और प्रशासन मौन है।"
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि नाली निर्माण में न मापदंडों का पालन किया जा रहा है, न ही किसी तरह की पारदर्शिता है। निर्माण स्थल पर न तो कोई सूचना बोर्ड है, न ही कोई तकनीकी अधिकारी नियमित निरीक्षण के लिए आता है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि यह काम सिर्फ कागजों में ही पूरा किया जा रहा है, जबकि जमीन पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। उपयंत्री नेहा सिंह की भूमिका पर भी बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। जहां एक ओर उन्हें विकास कार्यों की गुणवत्ता की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वहीं दूसरी ओर उन्हीं की देखरेख में इस तरह का भ्रष्टाचार सामने आना गंभीर चिंता का विषय है। क्या नेहा सिंह खुद इस खेल में शामिल हैं या फिर उनकी लापरवाही का फायदा कोई और उठा रहा है?
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करेगा? या फिर लाखों रुपये का यह टाइड फंड भी अन्य योजनाओं की तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा। ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर से मांग की है कि पूरे निर्माण कार्य की जांच कराई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। यदि समय रहते यह मामला नहीं संभाला गया, तो गांव में जनआंदोलन की स्थिति बन सकती है