नल-जल योजना के कार्य में घोर लापरवाही नेशनल हाईवे पर फैली मिट्टी से युवक घायल

नल-जल योजना के कार्य में घोर लापरवाही नेशनल हाईवे पर फैली मिट्टी से युवक घायल

*नियमों की अनदेखी, चेतावनी व बैरिकेट गायब,  जिम्मेदार मौन*


अनूपपुर

जिले के ग्राम पंचायत कदमटोला में ‘हर घर नल-जल योजना’ के तहत की जा रही खुदाई अब लोगों के लिए खतरा बनती जा रही है। ठेकेदार द्वारा पाइपलाइन बिछाने से पहले मिट्टी निकाली जा रही है, लेकिन वह मिट्टी अनियंत्रित रूप से नेशनल हाईवे 78 के किनारे और कई स्थानों पर सड़क के ऊपर तक फैला दी गई है। इस मिट्टी को हटाने या चेतावनी देने के लिए न तो कोई बोर्ड लगाया गया है, न ही बैरिकेडिंग की गई है और न ही रात के समय संकेत देने वाली कोई व्यवस्था की गई है। यह सीधी-सीधी लापरवाही है, जो अब दुर्घटनाओं का कारण बन रही है।

बीती रात ग्राम निवासी शंकर महरा इस लापरवाही का शिकार हो गए। वह मोटरसाइकिल से लौट रहे थे, जब अंधेरे में उन्हें सड़क पर फैली मिट्टी नहीं दिखी और उनका वाहन फिसल गया। गिरने से उन्हें गंभीर चोटें आईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। शंकर की हालत अब स्थिर बताई जा रही है, लेकिन यह घटना पूरे गांव को हिला देने वाली है। ग्रामीणों का कहना है कि यह तो एक उदाहरण है, लेकिन यदि यह स्थिति बनी रही तो आने वाले दिनों में किसी की जान भी जा सकती है।

यह कार्य जिस तरह से किया जा रहा है, वह भारत सरकार के सड़क निर्माण और सुरक्षा से जुड़े सभी नियमों का खुला उल्लंघन है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी राजमार्ग या सार्वजनिक मार्ग पर निर्माण कार्य करते समय कार्यस्थल को पूरी तरह सुरक्षित करना अनिवार्य होता है। चेतावनी बोर्ड, बैरिकेड्स, रिफ्लेक्टर लाइट्स और रात के समय प्रकाश व्यवस्था जैसी सुरक्षा आवश्यकताएं पूरी न करना गैरकानूनी है। इसके अलावा, खुदाई से निकली मिट्टी को कभी भी मुख्य मार्ग पर इस तरह बिखेरना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि निर्माण कार्य के कारण किसी व्यक्ति को चोट आती है या जान जाती है, और यदि सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हुआ है, तो संबंधित ठेकेदार और अधिकारी आपराधिक उत्तरदायित्व के दायरे में आएंगे। यह दुर्घटना न केवल मानव जीवन की उपेक्षा है, बल्कि यह सरकारी योजनाओं को लापरवाही के जरिए बदनाम करने जैसा कृत्य है।

ग्रामीणों का गुस्सा अब बढ़ता जा रहा है। लोगों का कहना है कि कई दिनों से यह स्थिति बनी हुई है, लेकिन न तो पंचायत और न ही प्रशासन की ओर से कोई सुध ली जा रही है। अगर यह अनदेखी जारी रही तो ग्रामीणों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। शंकर महरा घायल हुए हैं, लेकिन अगर प्रशासन और संबंधित विभागों ने अब भी ध्यान नहीं दिया, तो यह लापरवाही किसी मासूम की जान तक ले सकती है। यह खबर सिर्फ एक दुर्घटना का ब्योरा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है, समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो इसकी कीमत किसी की जान से चुकानी पड़ सकती है।

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