सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाओं पर हाईकोर्ट सख्त, 7 दिन में विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात करने का आदेश

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाओं पर हाईकोर्ट सख्त, 7 दिन  में विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात करने का आदेश


अनूपपुर

जिले के कोतमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। देवशरण सिंह एवं एक अन्य याचिकाकर्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने मध्यप्रदेश शासन को कड़े निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पाया कि स्वास्थ्य केंद्र में कुल 15 स्वीकृत डॉक्टरों में से केवल 8 कार्यरत हैं और विशेषज्ञ डॉक्टरों जैसे शल्य चिकित्सक, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के सभी पद पूरी तरह से खाली हैं। कोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया है कि एक सप्ताह के भीतर कम से कम एक विशेषज्ञ चिकित्सक, एक शल्य चिकित्सक और एक महिला डॉक्टर की नियुक्ति की जाए। साथ ही बाकी रिक्तियों को भी चार सप्ताह के भीतर भरा जाए।

*उपकरणों व संसाधनों की व्यवस्था भी अनिवार्य*

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल डॉक्टरों की नियुक्ति ही पर्याप्त नहीं है। विशेषज्ञ सेवाओं के लिए आवश्यक मेडिकल उपकरणों और संसाधनों की अगले 15 दिनों के भीतर व्यवस्था की जानी चाहिए, अन्यथा याचिकाकर्ता याचिका को पुनर्जीवित कर सकते हैं।

*कर चुके हैं आमरण अनशन*

उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता देवशरण सिंह एवं एक अन्य ने पूर्व में कोतमा स्वास्थ्य केंद्र की अव्यवस्थाओं के खिलाफ आमरण अनशन भी किया था। उस समय प्रशासन ने  आंदोलन समाप्त करवाया, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में कोई सुधार नहीं किया गया। इसी के विरोध में अंततः अनशनकारियों ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिससे यह जनहित याचिका दायर की गई।

*कोर्ट का आदेश*

कोर्ट ने कहा कि आदिवासी बहुल और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी न केवल संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह जीवन के मूलभूत अधिकार पर भी आघात है। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं हर नागरिक को सुलभ हों। यह आदेश रिट याचिका क्रमांक 16295/2025 में पारित किया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अभिषेक पांडे ने पक्ष रखा, जबकि शासन की ओर से  रितिक पाराशर उपस्थित हुए। इस आदेश से कोतमा और आसपास के हजारों नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की उम्मीद जगी है। ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोर्ट के इस कदम का स्वागत किया है।

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