शिक्षकों की कमी, बाउंड्री वॉल की जर्जरता, नामांकन शुल्क में धांधली पर आर-पार की लड़ाई

शिक्षकों की  कमी, बाउंड्री वॉल की जर्जरता, नामांकन शुल्क में धांधली  पर आर-पार की लड़ाई 

*महाविद्यालय की त्रुटियों और शुल्क विसंगति को लेकर प्राचार्य को सौंपा ज्ञापन*


​उमरिया

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), उमरिया इकाई ने आज रणविजय प्रताप सिंह महाविद्यालय में व्याप्त शैक्षणिक और प्रशासनिक अनियमितताओं के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्राचार्य महोदय को ज्ञापन सौंपा। अभाविप ने महाविद्यालय प्रशासन और विश्वविद्यालय की लचर कार्यप्रणाली पर कड़ा विरोध जताते हुए शीघ्र सुधार न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। जिला संयोजक आकाश तिवारी के नेतृत्व में सौंपे गए इस ज्ञापन में महाविद्यालय की बदहाल स्थिति और छात्रों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को प्रमुखता से उठाया गया।

*​शिक्षकों का घोर अभाव*

महाविद्यालय में जहाँ 65 का स्टाफ होना चाहिए, वहाँ केवल 11 लोग कार्यरत हैं। शिक्षकों की इस भारी कमी से पठन-पाठन पूरी तरह ठप है।नामांकन शुल्क में अवैध वसूली: विश्वविद्यालय द्वारा UTD के छात्रों से ₹500 नामांकन शुल्क लिया जा रहा है, जबकि संबद्ध महाविद्यालयों के छात्रों से ₹750 वसूले जा रहे हैं। अभाविप ने इस ₹250 की अतिरिक्त वसूली को अन्यायपूर्ण बताते हुए छात्रों को रिफंड करने की मांग की है।सुरक्षा से खिलवाड़ (टूटी बाउंड्री वॉल): महाविद्यालय की बाउंड्री वॉल कई जगह से क्षतिग्रस्त है, जिससे परिसर में असामाजिक तत्वों का प्रवेश होता है। यह छात्रों और संपत्ति की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।

*​संसाधनों की कमी*

विज्ञान प्रयोगशालाओं में उपकरण और रसायनों का अभाव है, तथा पुस्तकालय में नई पुस्तकों की भारी कमी है। मूलभूत सुविधाओं का टोटा: परिसर में पीने के साफ पानी र शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है।

*​परीक्षा परिणाम में देरी*

CCE और प्रैक्टिकल के अंक समय पर अपलोड न होने से परिणाम लटक जाते हैं। अभाविप ने मांग की है कि परीक्षा फॉर्म भरने से पहले ही ये अंक पोर्टल पर अपडेट किए जाएं।

*​छात्र हितों से समझौता नहीं*

इस अवसर पर अभाविप के जिला संयोजक आकाश तिवारी ने कहा, महाविद्यालय प्रशासन छात्रों के भविष्य के प्रति उदासीन है। एक तरफ शिक्षकों की कमी से पढ़ाई नहीं हो रही, वहीं दूसरी तरफ फीस के नाम पर छात्रों से भेदभाव किया जा रहा है। टूटी बाउंड्री वॉल सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह है। यदि प्रशासन ने हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया और जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, तो विद्यार्थी परिषद लोकतांत्रिक ढंग से उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगी, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

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