मध्यप्रदेश को मिली तीन नई ट्रेनों की सौगात, पर शहडोल को नहीं मिला स्थान, स्थानीय जनता में आक्रोश
अनूपपुर
मध्यप्रदेश को भारतीय रेलवे द्वारा तीन नई ट्रेनों की सौगात दी गई है, जिससे प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों को बेहतर रेल कनेक्टिविटी मिलने जा रही है। ये तीनों ट्रेनें आगामी जून माह से संचालन में लाई जाएंगी, जिनमें रीवा-जबलपुर-पुणे, जबलपुर-बालाघाट-रायपुर, और ग्वालियर-भोपाल-बेंगलुरु शामिल हैं। इन सभी ट्रेनों के टाइम टेबल को अंतिम रूप दिया जा चुका है और जल्द ही इन्हें जनता के लिए शुरू कर दिया जाएगा।
हालांकि, इस विकास में एक महत्वपूर्ण शहर शहडोल संभाग संसदीय क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य से बसा हुआ को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। इस उपेक्षा से यहां की जनता में रोष व्याप्त है। सोशल मीडिया पर "शहडोल को क्यूँ नहीं?" जैसी आवाजें उठने लगी हैं। वायरल हो रही एक तस्वीर में रेलवे स्टेशन पर लगे बोर्ड पर साफ-साफ लिखा है, "मध्य प्रदेश को 3 नई ट्रेन, शहडोल को कुछ नहीं।" यह बयान न केवल शहडोलवासियों की पीड़ा को दर्शाता है, बल्कि प्रशासन और रेलवे की अनदेखी पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। शहडोल जैसे संभागीय मुख्यालय को नई ट्रेनों से नहीं जोड़े जाने से यहाँ के व्यापारियों, विद्यार्थियों, नौकरी पेशा लोगों और यात्रियों को निरंतर परेशानी का सामना करना पड़ता है। रेलवे स्टेशन पर गंदगी का आलम पहले ही जनता की नाराजगी का कारण बना हुआ है, और अब ट्रेन सुविधा की अनदेखी ने समस्या को और गहरा कर दिया है।
शहरवासियों का कहना है कि जब पूरे प्रदेश को नई रेल सुविधाएं मिल रही हैं, तो शहडोल जैसे महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को नजरअंदाज करना किसी अन्याय से कम नहीं है। यहाँ से भोपाल, इंदौर, रायपुर, और नागपुर जैसे प्रमुख शहरों के लिए सीधी ट्रेनें चलनी चाहिए थीं।
इस मुद्दे पर अब तक किसी जनप्रतिनिधि की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, जिससे जनता में और अधिक निराशा देखी जा रही है। शहडोल को रेल नेटवर्क में उचित स्थान दिलाने के लिए स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि रेलवे मंत्रालय और क्षेत्रीय सांसद तत्काल इस मुद्दे को संज्ञान में लें और नई ट्रेनों के रूट में शाहडोल को भी शामिल किया जाए।