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एसईसीएल की छाया में मज़दूरों की खुलेआम हत्या – नीलकंठ बना शोषण का अड्डा!
*नियम कानून का क़त्ल, इंसानियत की मौत,नीलकंठ कंपनी में मज़दूर बनते हैं ग़ुलाम*
अनूपपुर
एसईसीएल के अंतर्गत काम कर रही नीलकंठ कंपनी ने ठेका मजदूरों को नर्क जैसी हालत में झोंक दिया है और सब कुछ प्रशासन की नाक के नीचे कंपनी का नाम भले ही नीलकंठ हो, मगर इसकी करतूतें विषकंठ से कम नहीं। यहां मजदूरों को मानव नहीं, सिर्फ नंबर समझा जाता है, सुरक्षा, स्वास्थ्य, वेतन, पहचान ये सब शब्द नीलकंठ की डिक्शनरी में ही नहीं हैं । नीलकंठ कंपनी को देखकर लगता है जैसे यह किसी खनन कंपनी की आड़ में चल रही शोषण की संगठित फैक्ट्री है, जहाँ इंसान को सिर्फ़ उतना ही ज़िंदा रखा जाता है, जितना मुनाफ़ा लाने के लिए ज़रूरी हो बाकी सब उसकी ज़िंदगी से धीरे-धीरे काट दिया जाता है ट्रेनिंग, सुरक्षा, मेडिकल, सम्मान, अधिकार।
*अनुबंध श्रम अधिनियम, 1970*
इस अधिनियम की धारा 29 कहती है कि हर ठेका मज़दूर का रिकॉर्ड फॉर्म “ए” और फॉर्म “डी” में दर्ज होना चाहिए यदि कोई श्रमिक अपने हक (जैसे, मजदूरी, मुआवजा, या बीमा) के लिए कानूनी कार्रवाई करता है, तो ये फॉर्म महत्वपूर्ण सबूत के रूप में काम करते हैं, ये फॉर्म सुनिश्चित करते हैं कि श्रमिकों को उनके अधिकार जैसे न्यूनतम मजदूरी, ओवरटाइम, और अन्य सुविधाएं, समय पर और पूरी तरह मिलें लेकिन नीलकंठ के यहाँ मज़दूरों की मौजूदगी काग़ज़ पर शून्य है, वो हाड़ तोड़ मेहनत करते हैं, लेकिन रिकॉर्ड में भूत हैं और जब दस्तावेज़ों में नाम नहीं होगा, तो वो न बोनस के अधिकारी बनते हैं, न ग्रेच्युटी के, न पीएफ के, न मुआवज़े के यह सिर्फ़ नियम की अनदेखी नहीं, एक सुनियोजित लूट है, जिसमें मज़दूर की मेहनत का हिसाब किसी और की जेब में जाता है
*क्या कहता है माइन्स एक्ट*
यह कानून स्पष्ट कहता है कि खदान क्षेत्र में कार्यरत प्रत्येक श्रमिक को बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है, प्रशिक्षित बिना किसी को खदान में नहीं उतारा जा सकता, यह सुरक्षा का बुनियादी नियम है, परंतु नीलकंठ कंपनी में बिना बीटीसी के ही मज़दूरों को खदानों में झोंक दिया जाता है यह न केवल गैरकानूनी है, बल्कि मज़दूरों की जान को जानबूझकर जोखिम में डालने के बराबर है। धारा 40, माइन्स एक्ट के अनुसार हर मज़दूर का स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिए, लेकिन नीलकंठ में ये शब्द केवल मज़ाक बन चुके हैं सिलिकोसिस, फेफड़ों की बीमारियाँ, कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ इन मज़दूरों के जीवन में आम हो गई हैं, लेकिन कंपनी को इससे कोई मतलब नहीं। मेडिकल सुविधा, एम्बुलेंस, कैंटीन सब सिर्फ़ नियमों की किताब में हैं, ज़मीनी सच्चाई में नहीं । ठेकेदार को श्रमिकों के लिए चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित करनी होती हैं नीलकंठ एसईसीएल से एचपीसी रेट पर करोड़ों की रकम हर महीने वसूलती है, लेकिन मज़दूरों के पुराने दर पर ही भुगतान किया जाता है ये सीधे तौर पर न्यूनतम वेतन अधिनियम का उल्लंघन है सरकार द्वारा तय किए गए न्यूनतम मानकों से कम वेतन देना अपराध है, लेकिन यहाँ यह अपराध प्रतिदिन और खुलेआम किया जा रहा है ।
*मजदूरी भुगतान अधिनियम*
कानून कहता है कि हर मज़दूर को वेतन की पर्ची देना अनिवार्य है, लेकिन नीलकंठ में किसी को नहीं दिया जाता मेडिकल कार्ड भी नहीं बनाया जाता, जिससे मजदूरों पर आश्रित परिवारों को सही मेडिकल सुविधा मिल सके, सही इलाज करा सके, यह एक रणनीतिक तरीका है, मज़दूर को हर उस दस्तावेज़ से दूर रखा जाए जो उसके अधिकारों को साबित कर सके
*प्रशासन की चुप्पी, मिलीभगत*
यह सब प्रशासन की आँखों के सामने हो रहा है। कलेक्टर , एसडीएम, श्रम अधिकारी, डीजीएमएस, खनिज निरीक्षक ये सभी जानते हैं कि नीलकंठ में श्रम कानूनों का खुला चीरहरण हो रहा है, फिर भी कोई जांच, कोई छापा, कोई एफआईआर नहीं क्या यह चुप्पी दबाव की है या दाम की? क्या मज़दूरों की जान अब आंकड़ों में दर्ज होने लायक भी नहीं रही, कई बार लगता है कि कानून अब सिर्फ़ ग़रीबों पर चलाने के लिए बना है अगर कोई मज़दूर बीमार पड़ जाए, तो इलाज नहीं अगर वह दुर्घटना का शिकार हो जाए, तो मुआवज़ा नहीं और अगर वह मर जाए तो बस एक संवेदना का झूठा बयान, और उसकी जगह दूसरा मज़दूर लगा दिया जाता है यह सब देखकर सवाल उठता है।
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करोड़ों की गांजा तस्करी मामले में पुलिस का बड़ा खुलासा, दो दर्जन लोगों से पूछताछ, दो गिरफ़्तार
*लावारिस रूप से खेत मे सवा 3 करोड़ का मिला था गांजा*
शहडोल
19 मई को शहडोल जिले के जयसिंहनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत गिरुडी खुर्द गांव से खेत में लावारिस रूप से करीब सवा 3 करोड़ का गांजा पुलिस ने जप्त किया था, इस मामले में लगातार इतनी बड़ी कार्यवाही करने के बावजूद शहडोल पुलिस पर उंगलियां उठ रही थी, पुलिस खुद कटघरे में खड़ी नजर आ रही थी,यह भी आरोप थे कि पुलिस द्वारा गांजा जप्त कम किया गया है,जबकि मौके पर गांजा अधिक था, कुछ आरोपियों को भी छोड़ देने की खबर चारों तरफ फैल रही थी। करीब 10 दिन बाद शहडोल पुलिस ने इस मामले से पर्दा उठाते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, पुलिस ने अपने प्रेस नोट में यह भी बताया है कि करीब दो दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ की गई इसमें दो लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें एक पुराना गांजा तस्कर तथा एक भारतीय जनता पार्टी के नेता सातिका तिवारी का रिश्ते का भाई है।
जिस गांव में गांजा पकड़ा गया था उस गांव में पंचायत की पूरी कमान सातिका तिवारी के पुत्र व उपसरपंच के हाथों में रही है, यही नहीं आसपास के दर्जन भर गांव में सातिका तिवारी का सिक्का चलता है और यहां उसके बिना जानकारी के पत्ता भी नहीं हिलता। इस मामले में कई लोगों के नाम आधे अधूरे तौर पर सामने आए थे, नेताजी को शायद पहले से ही यह जानकारी थी कि उनके भाई का गिरेबान पुलिस के हाथों में आएगा,जिसके संरक्षण में राजू नशे का कारोबार करता था, भाई के और खुद का नाम सामने आने के डर से ही सातिका अनाप- सनाप बयान जारी कर रहे थे।
गोलई उर्फ कन्हैया लाल गुप्ता निवासी ब्यौहारी और राजेश तिवारी उर्फ राजू ग्राम टिहकी दोनों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने अभी इस मामले में पूछताछ की बातें कहीं है, यह भी बताया जा रहा है कि इसमें अभी और लोगों के गिरफ्तार होने या नाम आने बाकी है। पुलिस से जुड़े सूत्र यह भी बताते हैं कि तथाकथित आरोपी की धरपकड़ के लिए उसके साथ ही सातिका तिवारी के घर पर भी पुलिस पहुंची थी, हालांकि इसका उल्लेख प्रेस नोट में नहीं किया गया है, लेकिन दूसरों पर उंगली उठाने वाले और समाज को दिशा दिखाने का ढोंग करने वाले भारतीय जनता पार्टी के तथाकथित नेता के भाई को पुलिस ने गिरफ्तार करके पारदर्शिता का उदाहरण पेश किया है। यह बताया जा रहा है कि लगातार पुलिस पर नेता गिरी के रसूक से दबाव बनाया जा रहा था लेकिन पुलिस उसे दबाव में नहीं आई और अंत में तमाम आरोपियों को सामने रखते हुए पुलिस ने प्रेस नोट जारी किया जिसमें सातिका तिवारी के तथाकथित भाई का नाम सामने आया है।
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महारत्न कंपनी की साख को पलीता लगाता कोल् प्रबंधन नगरपालिका के रहमो करम से संचालित विद्युत व्यवस्था
अनूपपुर
जिले के जमुना कोतमा क्षेत्र के जन नायक तथा एचएमएस के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्रीकांत शुक्ला ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि महारत्न कंपनी की साख को क्षेत्र का प्रबंधन मटिया मेट करने में तुला हुआ है। वैसे तो सारी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह है, लेकिन विकराल गर्मी के आलम में क्षेत्र की विद्युत व्यवस्था का बहुत बुरा हाल है, जमुना वर्कशॉप में कंपनी का लिफ्टर 8 माह से ब्रेक डाउन खड़ा है, यदि क्षेत्र में कही भी बिजली का ब्रेकडाउन होता है, तो क्षेत्र का प्रबंधन नगर पालिका के दरवाजे में लिफ्टर के लिए नाक रगड़ता है, नगरपालिका का भी अपना काम होता है काम से फुरसत होने पर लिफ्टर 4 से 6 घंटे बाद मिलता है, तब तक कामगार या कंपनी का कार्य बाधित रहता है।
बड़े खेद के साथ श्रीकान्त शुक्ला ने कहा कि क्षेत्र में सक्रिय कुछ प्रबंधन से जुड़े अधिकारी न सिर्फ महारत्न कंपनी को बदनाम कर रहे है, बल्कि क्षेत्र के मुखिया महाप्रबंधक को भी बदनाम कर रहे है, ऐसे निकम्मे अधिकारियों को चुल्लू भर पानी में डूब मरने की आवश्यकता है, जी ब्लॉक में बिजली का ब्रेक डाउन 9.30 बजे हुआ और 2 बजे तक इसलिए नहीं बन पाया कि नगरपालिका अपना लिफ्टर किसी वजह से नहीं दे पाया है। क्षेत्रीय अध्यक्ष ने सख्त लहजे में कहा है कि प्रबंधन को आगाह कराया है कि यदि लिफ्टर को 7 दिवस के अंदर ठीक नही कराया जाता तो को एचएमएस को मजबूरन महाप्रबंधक का अनिश्चित कालीन के लिए घेराव किया जाएगा, जिसकी संपूर्ण जवाबदारी संबंधित विभाग की होगी।
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चोरी का सर्विस केबल कुंआ व बाडी से बरामद, पुलिस ने आरोपियो को भेजा जेल
अनूपपुर
संतोष सिंह धुर्वे पिता सुरेश सिंह धुर्वे उम्र 33 वर्ष निवासी ग्राम टकहुली थाना जैतहरी लाईन मैन म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं.लिमि.जैतहरी जिला अनूपपुर का आवेदन पत्र सहायक अभियंता म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं.लिमि. जैतहरी द्वारा हस्ताक्षरित लाकर पेश किया कि 21 मई 2025 की मध्य रात्रि के दौरान ग्राम पोंडी निवासी छोटू सिंह पिता गुलाब सिंह गोड एवं हरिचन्द्र सिंह पिता मोलसिंह गोड के द्वारा 7 स्पान एल.टी.पोल के केबल तार को चोरी कर लिया गया है, उपभोक्ता का प्राप्त आवेदन पश्चात चोरी हुये केबल का नजरी नक्सा बनाकर अवगत कराया गया है, कि सब स्टेशन वेंकटनगर से निकली 11 के.व्ही. पोडी फीडर मे दरोगा सिंह गोड के नाम अनुदान योजना मे लगा ट्रांसफार्मर अन्तर्गत लगे 10 पी.सी. पोल 10 स्पान मे से 7 स्पान का केबल तार चोरी हो गया है, इस घटना से शासन व कंपनी को लगभग 142582 रू की आर्थिक क्षति हुई है। आरोपियों पर कार्यवाही की जाए, शिकायत पर अपराध धारा 303(2), 3(5) बीएनएस एवं 136 विद्युत अधिनियम पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया। विवेचना के दौरान उपरोक्त दोनो आरोपीगणो को अभिरक्षा मे लेकर पुछताछ किया गया, जिससे पता चला कि चोरी किया तार का सिंघौरा मे ज्ञान सिंह के कुआ मे एंव छोटू सिंह उर्फ कृष्णा की बाडी मे पैरा के निचे छुपाकर रखा गया हैं, कुआ से 350 मीटर एवं छोटू सिंह की बाडी से 100 मीटर कुल 450 मीटर सर्विस केबल कीमत 142582 (एक लाख बयालिस हजार पांच सौ बयासी) रूपये एंव घटना मे प्रयुक्त प्लास बरामद कर आरोपियो के कब्जे से जप्त कर उपरोक्त आरोपियो को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहाँ से जिला जेल भेजा गया।
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जहरीले सांप के काटने से 6 साल के बालक की मौत, रात में मां ने देखे थे घर के अंदर दो जहरीले सांप
शहडोल
जिले में उमस भरे मौसम में सर्पदंश के मामले लगातार सामने आ रहे हैं,अब जैतपुर के एक गांव में 6 वर्षीय बालक को जहरीले सांप ने काट लिया जिससे उसकी मौत हो गई,माता-पिता सदमे में है, और गांव में शोक की लहर है। जानकारी के बाद मौके पर पहुंची पुलिस अपनी जांच कर रही है।
पुलिस ने बताया की जैतपुर थाना क्षेत्र के दरशिला चौकी के रैकोबा गांव में रहने वाले प्रकाश सिंह के 6 वर्षीय पुत्र दक्ष उर्फ डुग्गू गोंड़ की जहरीले सांप के काटने से मौत हुई है। बालक के पिता ने बताया कि उनका पुत्र दादी के साथ बीती रात्रि सो रहा था, और माता-पिता घर के आंगन में सोए हुए थे। रात्रि तकरीबन 12:00 बजे बालक की मां बाथरूम गई तो उसने घर के आंगन में एक जहरीले सांप को देखा, और इसकी जानकारी घर के अन्य लोगों को दी, इसके बाद बालक का पिता प्रकाश एवं पड़ोसी रिश्तेदार घर पहुंचे तो घर में दो जहरीले सांप दिखाई दिए,जो घर के आंगन एवम एक अंदर के कमरे में मौजूद था ,सभी लोगों ने मिलकर दोनों जहरीले सांप को घर से बाहर निकाल दिया और सो गए।
बालक के पिता प्रकाश ने पुलिस को बताया कि जब सुबह 5:00 बजे हम सब उठ तो बालक भी हमारे साथ उठा और आंगन में खेलने लगा, तभी कुछ देर बाद उसने दादी को आकर बताया कि उसके पैर में लकड़ी छुप गई है। लेकिन उस दौरान किसी ने उसे पर ध्यान नहीं दिया, और कुछ देर बाद बालक खेलते खेलते बेहोश हो गया ,तब जाकर परिजन चिंतित हुए और पैर में देखा तो सर्प दंश के निशान दिखाई दिए। इसके बाद बालक को परिजनों अस्पताल लेकर दौड़े लेकिन रास्ते में ही बालक ने दम तोड़ दिया। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि रात्रि में जो दो सांप घर में दिखे थे उनमें से किसी सांप ने बालक के पैर में काट लिया और उस दौरान उसे जानकारी नहीं लगी। और परिजन भी नहीं समझ पाए सुबह जब उसे दिक्कत हुई तब जाकर इसकी जानकारी परिजनों को लगी जब तक काफी देरी हो चुकी थी। चौकी प्रभारी दरशिला राजकुमार ठाकुर ने बताया की मामले में मर्ग कायम कर जांच की जा रही है। बालक की सर्प काटने से मौत हुईं है।
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"ऑपरेशन सिंदूर" विषय पर युवा टीम का पोस्टर मेकिंग गतिविधि का सफल आयोजन
उमरिया
ग्रीष्मकालीन के प्रशिक्षण शिविर में विद्यार्थियों की रचनात्मक प्रतिभा को प्रोत्साहित करने हेतु एक पोस्टर मेकिंग गतिविधि का युवा टीम उमरिया द्वारा आयोजन किया गया। इस गतिविधि का मुख्य विषय था "ऑपरेशन सिंदूर"। कार्यक्रम में कक्षा तीसरी से लेकर ग्यारहवीं तक के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति द्वारा देशभक्ति का अनुपम परिचय दिया।प्रतियोगिता के दौरान विद्यार्थियों ने देश की सैन्य शक्ति, शौर्य और बलिदान को दर्शाते हुए सुंदर, प्रेरणादायक और आकर्षक पोस्टर तैयार किए। बच्चों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों में न केवल रचनात्मकता बल्कि गहरी देशभक्ति की भावना भी झलक रही थी। इन चित्रों ने यह संदेश दिया कि “भारत मां के सपूत कभी पीछे नहीं हटते।”
इस रचनात्मक गतिविधि का संचालन युवा टीम संयोजक हिमांशु तिवारी की देखरेख में किया गया। उन्होंने कहा कि न केवल विद्यार्थियों की कलाकृतियों का मूल्यांकन किया, बल्कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक और सामरिक पृष्ठभूमि से भी बच्चों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन भारतीय सशस्त्र सेनाओं द्वारा 6-7 मई की रात को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चलाया गया एक सटीक और साहसिक सैन्य हवाई अभियान था, जो भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और सुरक्षा के प्रति सजगता का प्रमाण है। बच्चों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताओं का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को देश की सैन्य शक्ति और बलिदान की भावना से परिचित कराना है। भारतीय थल, वायु और नौसेना की वीरता आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है।इस अवसर ने विद्यार्थियों को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर न केवल उनकी रचनात्मकता को मंच प्रदान किया, बल्कि उन्हें भारतीय सेना के पराक्रम पर गर्व करने का अवसर भी दिया।
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अवैध कब्जा कर दुकान दिया किराए से, संपत्ति कर की चोरी, कलेक्टर से हुई शिकायत
अनूपपुर
भारतीय गण वार्ता (भगवा) पार्टी के जिलाध्यक्ष कमलेश द्विवेदी ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि नंदलाल उर्फ नंदू सोनी पिता गोपीलाल सोनी निवासी वार्ड नं. 01 लाईनपार जैतहरी अनूपपुर द्वारा ग्राम जैतहरी स्थित आराजी खसरा नंबर 547 (S) रकवा 0.0320 हेक्टेयर में अवैध रूप से दो मंजिला मकान का निर्माण करके किराए से दिया गया है। जबकि उक्त भूमि रामनाथ पिता बजरंगी के नाम से राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। जबकि रामनाथ पिता बजरंगी लाबल्द फौत है भूमिस्वामी के कोई भी वारिस नहीं है।नंदलाल सोनी के घर के बगल में उक्त आराजी है,जिसमें नंदलाल सोनी द्वारा बगैर नगरपरिषद् जैतहरी के अनुमति अवैध रूप से कब्जा करके उक्त आराजी पर पक्का मकान बनाकर किराये से दिया गया है तथा लाखों रुपये शासन की सम्पत्ति कर की चोरी की जा रही है।
वही म.प्र.भू-राजस्व संहिता 1959 के अनुसार यदि किसी आराजी के भूमि स्वामी यदि लाबल्द फौत है तो उसे शिकस्त कर म.प्र. दर्ज अभिलेख होना चाहिए। नंदलाल उर्फ नंदू सोनी भूमिहीन भी नहीं है,ऐसी स्थिति में वार्ड नं. 01लाईनपार जैतहरी के बेसकीमती जमीन पर शासन की ओर से आंगनवाड़ी भवन या इसी जमीन के सामने पड़ी खाली जमीन को अधिग्रण करके सिविल न्यायालय जैतहरी का निर्माण कराकर जनहित में उपयोग किया जा सकता है।उक्त व्यक्ति के द्वारा बस स्टैंड के पास भी एक जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करके दुकान बनाकर किराया से दिया गया है और शासन के लाखों रुपये के सम्पत्तिकर की चोरी कर रहा है।इसी भूमि की अभिलेख में हेराफेरी करने पर उक्त व्यक्ति के खिलाफ नगर परिषद् जैतहरी द्वारा थाना जैतहरी में एफआईआर दर्ज कराया गया था, जिसमें यह व्यक्ति उच्च न्यायालय जबलपुर से अग्रिम जमानत पर है।
उक्त प्रकरण में जिला कलेक्टर से मांग की गई है कि उक्त आराजी खसरा नंबर को शिकस्त कर म.प्र. शासन दर्ज अभिलेख किया जाये व अवैध कब्जे से मुक्त कराकर जनहित में उपयोग तथा आज तक शासन के टैक्स् चोरी की रकम को वसूल करते हुए इसके विरुद्ध वैधानिक दण्डात्मक कार्यवाही की जाए।
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रेलवे स्टेशन की बदहाली, गंदगी, बदबू और अव्यवस्था से आमजन परेशान, रेलवे प्रबंधन मौन
अनूपपुर
रेलवे स्टेशन और रेलवे कॉलोनी इन दिनों गंदगी के ढेर में तब्दील हो चुके हैं। नालियों का पानी जाम है, चारों ओर दुर्गंध फैली हुई है, और रेलवे परिसर में स्वच्छता पूरी तरह नदारद है। स्थानीय निवासियों और यात्रियों को गंभीर असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन रेलवे प्रबंधन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। नगर पालिका परिषद कोतमा के सफाई कर्मचारियों द्वारा स्टेशन परिसर में सफाई करने पर भी रेलवे प्रशासन ने रोक लगा दी है। ऐसे में न सफाई हो रही है और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। स्टेशन परिसर के अंदर व आसपास बदबू और गंदगी से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है।
स्थानीय नागरिकों ने डीआरएम बिलासपुर से इस संबंध में कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। रेलवे प्रबंधन की उदासीनता से नाराज़ लोगों ने सोशल मीडिया पर भी आवाज़ उठाई है। एक यूजर ने लिखा, "इस गर्मी के मौसम में पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है और आप बात कर रहे हैं सफाई की!" — यह बयान स्थिति की गंभीरता को उजागर करता है। स्टेशन पर न तो यात्रियों के लिए साफ पेयजल की व्यवस्था है और न ही बैठने के लिए साफ जगह। रेल कर्मचारियों की कॉलोनी की हालत भी दयनीय है, जिससे रेलवे परिवारों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय प्रशासन और रेलवे विभाग से आमजन की मांग है कि कोतमा स्टेशन की सफाई व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाए और जल्द से जल्द स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जाए। अन्यथा, जनता को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
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दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे से नागरिक परेशान, नही हो रही कार्यवाही
अनूपपुर
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे कोतमा की कीमती जमीन पर लगातार बढ़ रहे अवैध कब्जों ने नगरवासियों की नींद उड़ा दी है। रेलवे कॉलोनी के पास बने बहु-मंजिला इमारतें न सिर्फ नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं, बल्कि शहर की यातायात व्यवस्था को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर चुकी हैं।।स्थानीय नागरिकों का कहना है कि रेलवे की जमीन पर बिना किसी वैध अनुमति के आलीशान इमारतें खड़ी की जा रही हैं, जिससे सड़कों की चौड़ाई घट गई है और दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है। आवागमन में बाधा के कारण स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और कार्यालय जाने वाले कर्मचारियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
रेलवे परिसर में पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं होने से लोग अपनी गाड़ियाँ सड़कों किनारे खड़ी करने को मजबूर हैं। इसका फायदा उठाकर असामाजिक तत्व सक्रिय हो गए हैं और वाहन चोरी की घटनाएँ बढ़ने लगी हैं। स्थानीय लोग भय के साए में जीने को मजबूर हैं। रेलवे कॉलोनी के पीछे खाली पड़ी ज़मीन अब नशेड़ियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बनती जा रही है। यहां खुलेआम नशे का कारोबार, ड्रग्स और इंजेक्शन का उपयोग होता देखा जा सकता है। बच्चों और महिलाओं का इस रास्ते से गुजरना तक मुश्किल हो गया है। कई बार स्थानीय निवासियों ने पुलिस और रेलवे प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हो सकी।
शहरवासियों ने रेलवे और नगर प्रशासन से सवाल किया है कि आखिर इतनी गंभीर समस्या के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? लोगों की मांग है कि इन अवैध कब्जों को तुरंत हटाया जाए, पार्किंग की उचित व्यवस्था की जाए और असामाजिक तत्वों पर सख्त कार्यवाही हो।