स्टॉपडेम बंधान कार्य में गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप, 30 हजार का हुआ फर्जी भुगतान, जांच की उठी मांग
*स्टॉपडेम बंधान कार्य तीन स्थानों पर भुगतान चार स्थानों का*
अनूपपुर
जिले के कोतमा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत गोहंड्रा में स्टॉपडेम बंधान कार्य को लेकर एक बार फिर गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत गोहंड्रा के सरपंच सूरज अगरिया एवं सचिव चितामणि केवट पर शासकीय राशि के दुरुपयोग और फर्जी भुगतान के आरोप लगाए गए हैं।
सोशल मीडिया में वायरस लगातार हो रहा है कि वर्ष 2024 में ग्राम पंचायत द्वारा चेक डेम में ईंट, रेत और सीमेंट सामग्री से स्टॉपडेम बंधान का कार्य कराया गया था, जिसका विधिवत भुगतान भी किया गया। लेकिन वर्ष 2025 की बरसात के दौरान प्रभावित किसानों द्वारा पानी की निकासी के लिए नीचे की ओर एक-एक फीट जगह छोड़ते हुए केवल अस्थायी फोड़ किया गया, जबकि ऊपर का जोड़ाई कार्य पूर्व की तरह यथावत रहा।
इस वर्ष 2025 में नीचे के बंधान हेतु स्टॉपडेम के पास ईंट बनाने वाले मजदूरों और स्थानीय किसानों द्वारा स्वयं बंधान कार्य किया गया। इस कार्य में ग्राम पंचायत की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं रही। इसके बावजूद आरोप है कि स्टॉपडेम बंधान कार्य तीन स्थानों पर होना दर्शाया गया, जबकि भुगतान चार स्थानों का किया गया, जो स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।
ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2025 में ग्राम पंचायत द्वारा एक भी स्टॉपडेम बंधान कार्य नहीं कराया गया, बल्कि यह कार्य किसानों और ईंट बनाने वाले मजदूरों के सहयोग से किया गया। यदि ग्राम पंचायत द्वारा कार्य कराया गया है, तो यह स्पष्ट किया जाए कि कितने मजदूरों द्वारा कार्य किया गया, कौन-कौन से मिस्त्री एवं मजदूर लगे थे तथा उनका नाम, ऑनलाइन भुगतान विवरण एवं भुगतान पत्रक सार्वजनिक किया जाए। सामग्री सप्लायर साकेत ट्रेडर्स के प्रोपराइटर द्वारिका प्रसाद ने बताया कि मेरे से सिर्फ बिल लिया गया है सामग्री नहीं ली गई है।
आरोप है कि सरपंच एवं सचिव द्वारा अपने व्यक्तिगत हित लाभ के लिए एक वेंडर के माध्यम से 30,680 रुपये का भुगतान किया गया, जो गंभीर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार को दर्शाता है। ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ग्रामवासियों का कहना है कि यदि समय रहते इस प्रकरण की जांच नहीं हुई, तो वे उच्च अधिकारियों एवं संबंधित विभागों से शिकायत कर आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
इनका कहना है।
आरोप लगाते रहते हैं जनप्रतिनिधियों को सब सुनना पड़ता है।
*सूरज अगरिया, सरपंच ग्राम पंचायत गोहंड्रा*
