संभाग के शहडोल व अनूपपुर जिले से रेवांचल मीडिया की "उड़ान" पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है, पत्रिका का सही उद्देश्य यही है कि सम्भाग के सभी शिक्षण संस्थानों के शिक्षा का स्तर, गतिविधियां, उपलब्धियां व विशेषताओं की जानकारी एक ही मंच पर उपलब्ध कराई जाए। यह पत्रिका विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों के लिए एक उपयोगी स्रोत बनेगी। शिक्षा के सबंध जिले में चल रहे विद्यालय के बारे में प्रकाश डालने का एक छोटा सा पहल किया गया है। विद्यालयों में शिक्षा स्तर कैसा है, क्या-क्या सुविधाए है, छात्र-छात्राओं को किस माध्यम से शिक्षा प्रदान किया जा रहा है, खेलकूद व मनोरंजन के लिये कैसी सुविधाएं है, विद्यालय में शिक्षा प्रदान करने, छात्रों को प्रेरित करने, अनुशासन सिखाने और उनके सर्वांगीण विकास के मार्गदर्शन शिक्षको की भूमिका कैसी है, आदि बहुत सी बातों पर प्रकाश डालने का छोटा सा प्रयास किया गया है।
"विद्यालय केवल चार दीवारों वाला भवन नहीं हैं, बल्कि समाज निर्माण की कार्यशाला हैं।” शिक्षा और विद्यालय के बिना कोई भी समाज प्रगति की ओर नहीं बढ़ सकता। यह एक ऐसा पवित्र स्थल है, जहाँ बालक अपने जीवन की पहली शिक्षा प्राप्त करता है। यहाँ वह न केवल हिंदी, गणित, विज्ञान व अंग्रेजी भाषा सीखता है, बल्कि अनुशासन, सहयोग, संवेदना व जिम्मेदारी का भी पाठ पढ़ता है। यदि शिक्षा बीज है और विद्यालय भूमि, तो शिक्षक वह माली है जो इन दोनों को मिलाकर एक सशक्त वृक्ष बनाता है। शिक्षक का कार्य केवल पढ़ाना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के भीतर जिज्ञासा, आत्मविश्वास और मानवीय मूल्य जगाना है। वह जीवन के मूल्यों जैसे अनुशासन, सहयोग, सम्मान, सहानुभूति और जिम्मेदारी भी सीखता है।
विद्यालय को केवल शिक्षा का माध्यम नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन का केंद्र बनना चाहिए। यदि विद्यालयों में नैतिकता, पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता और नागरिक उत्तरदायित्व के विषयों पर समुचित शिक्षा दी जाए, तो आने वाली पीढ़ी एक बेहतर, संवेदनशील और जागरूक नागरिक बन सकेगी।
शिक्षा के क्षेत्र में समाज को शिक्षित करने की दिशा में जितना श्रेय शासकीय विद्यालयों को जाता है, उतना ही श्रेय निजी विद्यालय को भी जाता है, शिक्षा के क्षेत्र में दोनो विद्यालयों का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। शहरों से लेकर गांव-गांव तक निजी विद्यालयों का जाल बिछ चुका है। जिसके कारण ज्यादातर लोग साक्षर हो रहे हैं, धीरे धीरे साक्षरता दर बढ़ती जा रही है। समय के अनुसार शिक्षा में बदलाव देखने को मिल रहा है। जैसे-जैसे समय बदला पढ़ाई का स्तर भी बदलता गया पहले के समय में 70 से 80 प्रतिशत वाले विद्यार्थी टॉप कर जाते थे, आजकल 95 से 99 प्रतिशत वाले ही टॉप सूची में आ पाते है। आजकल शिक्षा का स्वरूप और भी बदल गया है। सरकार कक्षा एक से पहले आंगनबाड़ी में बच्चों को शिक्षा की शुरुआत करवाती है, वही निजी विद्यालयों में कक्षा एक से पहले नर्सरी, केजी एक, केजी दो व प्ले स्कूल का चलन आ चुका है। शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा की पढ़ाई जरूरी हो गया है। अंग्रेजी भाषा को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाना, सभी जगह अंग्रेजी का महत्व बढ़ जाने के कारण निजी विद्यालयों में हिंदी माध्यम की जगह ज्यादातर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होने लगी है। आज के समय में हिंदी माध्यम के निजी विद्यालय बहुत ही संघर्षपूर्ण स्थिति से गुजर रहे हैं। बहुत से विद्यालय बन्द होने की कगार में पहुँच गए हैं।
शिक्षा का उद्देश्य केवल अंकों की प्राप्ति या परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना नहीं है। सच्ची शिक्षा वह है जो व्यक्ति के भीतर छिपे हुए गुणों को उजागर करे, उसकी सोच में विस्तार लाए, उसे नैतिकता, सहनशीलता और करुणा का पाठ पढ़ाए। आज के युग में जब प्रतियोगिता, तकनीक और भौतिकता के दबाव में जीवन संकुचित होता जा रहा है, शिक्षा को और भी अधिक मानवीय बनाने की आवश्यकता है। आधुनिक शिक्षा पद्धति में तकनीक का समावेश तो हुआ है, शिक्षा का लक्ष्य केवल रोजगार तक सीमित न रहकर, चरित्र निर्माण और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना जागृत करना चाहिए।
संभाग के सरकारी और निजी स्कूल शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल लर्निंग, खेलकूद, सांस्कृक्तिक कार्यक्रम और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कई विद्यालयों ने हाल के वर्षों में राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। शिक्षक समुदाय भी नई शिक्षण पद्धतियों को अपनाते हुए विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान देने पर जोर दे रहा है। संभाग के शहडोल अनूपपुर के विद्यालयों व कोचिंग सेंटर से निकलने वाले छात्र-छात्राएं संभाग, जिले, विद्यालय व अपने परिवार का नाम रोशन कर रहे है, नजी, सांसद, विधायक, कमिश्नर, कलेक्टर, आईजी, एसपी, डीएफओ, सांसद, न्यायचीस, डॉक्टर, राज्य प्रशासनिक सेवा में महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित कर रहे हैं। बहुत से छात्न-छात्ताएं फिल्मी दुनिया में तथा विदेशों में अपनी सेवाएं देकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
शिक्षा के क्षेज में सम्भाग ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की है। यहाँ के विज्ञान, कला व बाणिज्य आधुनिक प्रयोगशालाएँ, पुस्तकालय और शोध सुविधाएँ छानों को उत्कृष्ट वातावरण प्रदान कर रही है। साथ ही व्यावसायिक शिक्षा, तकनीकी कोर्स, कंप्यूटर प्रशिक्षण और कौशल विकस कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित किया जा रहा है।
"उड़ान" पनिका इन सभी संस्थानों की विशेष उपलब्धियों को उजागर करने का माध्यम बनेगी चाहे वह किसी विद्यालय की सफलता की कहानी हो, किसी शिक्षक का नवाचार हो, या किसी कॉलेज का समाज सेवा से जुड़ा योगदान। इस गच के माध्यम से हम शिक्षा जगत के उन प्रेरक चेहरों को सामने लाएँगे जो दूसरों के लिए आदर्श बन सकते हैं। हमारा उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि शिक्षा के प्रति नई सोच जगाना है, ताकि हर विद्यार्थी यह महसूस करे कि सीखना केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि जीवनभर की प्रक्रिया है।
अंत में, हम सभी शिक्षकों, विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षा प्रेमियों से अपील करते है कि वे "उड़ान के इस प्रयास में सहयोग करें। आइए, हम मिलकर ऐसी शैक्षिक सस्कृति का निर्माण करे जहाँ हर बच्चे को अपने सपनों को उड़ान देने का अवसर मिले।