प्रभारी लैम्पस प्रबंधकों के हठधर्मिता, वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की उड़ा रहे धज्जियां, विभाग को लग रहा पलीता

प्रभारी लैम्पस प्रबंधकों के हठधर्मिता, वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की उड़ा रहे धज्जियां, विभाग को लग रहा पलीता


उमरिया

मध्यप्रदेश शासन सहकारिता विभाग इन दिनों विक्रेताओं के वेतन वृद्धि के मामले में चर्चाओं मे छाया हुआ है। मामले के बिषय में बताया जाता है कि विक्रेताओं का शोषण समितियों में बैठे प्रभारी लेम्पस प्रबंधकों की खाओ उडाओ , हडपो की नीति ने हठधर्मिता का रूप लेकर सहकारिता विभाग की छबि को पलीता लगा कर रख दिया है । पिछले  दशक से सहकारी समितियों में चुनाव न होने के कारण समितियों में एक छत्र लैम्पस प्रबंधकों का राज छाया हुआ है, दर असल में समितियों में निर्वाचित संचालक मंडल न होने की स्थिति में स्थानीय स्तर पर लैम्पस प्रबंधकों के काम काज की निगरानी होती नहीं है, इन समितियों के संचालन के लिए लैम्पस प्रबंधकों और एक प्रशासक को समितियों के संचालन की जिम्मेदारी होती है । सहकारिता विभाग में अमले की कमी के कारण सहकारी बैंक में पदस्थ शाखा  प्रबंधकों को इसकी कमान सौंपी गयी है,जिससे शाखा प्रबंधक बैंक सम्हाले की लैम्पस प्रबंधकों की तानाशाही पर रोक लगाये, इससे लैम्पस प्रबंधकों की स्वेच्छाचारी चरम पर बनी हुई है।सर्व विदित है कि  लंबे अरसे से  न्यूनतम  वेतन  के कारण विक्रेताओं  का शोषण हो रहा था, इससे मुक्ति दिलाने के लिए  मध्यप्रदेश की यशस्वी सरकार ने विक्रेताओं के खुशहाली के लिए उनके  वेतन वृद्धि करते हुए हर वर्ष तीन लाख अडतालीस हजार वित्तीय अनुदान, एवं अन्य मदों से आय के स्त्रोत देते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने विभाग को निर्देश जारी किये गए थे, इस आदेश के परिपालन में प्रदेश के आला अधिकारियों ने लगातार  आदेश जारी करते हुए मातहत अधिकारियों को निर्देश जारी कर युक्त - युक्त वेतन दिलाने के आदेश जारी किये गए है। फिर भी विक्रेताओं के वेतन वृद्धि के  आदेश लागू नहीं किये गए हैं, जिसके लिए मूल रूप से लैम्पस प्रबंधकों के ऊपर विभागीय अधिकारियो के ऊपर अधिकारियों का नियंत्रण न होने के कारण सरकार के व्दारा जारी दिशा निर्देशो का  पालन नहीं हो पा रहा है।

सहकारिता विभाग में मची अंधेर गर्दी की इंतिहा तो तब हो गयी जब प्रभारी लैम्पस प्रबंधकों ने वरिष्ठ अधिकारियों के जारी आदेश में लैम्पस प्रबंधकों के लिए जो वेतन वृद्धि की थी, उसे तो लागू कर ली गई, लेकिन विक्रेताओं के वेतन वृद्धि के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को आज भी पसीने छूट रहे हैं। वित्त विभाग के व्दारा जारी निर्रदेशो का अवलोकन करने पर पाया जाता है कि वित्तीय मामलों में आदेश के अंश  भाग को स्वयं के लिए लागू किया जाना आर्थिक कदाचरण, अनियमितता की श्रेणी में आता है, ऐसे मामलों में  दोषी पाये जाने पर जिम्मेदार  अधिकारियों के विरुद्ध भी समान रूप से दोषी माने जायेंगे।।ऐसा माना जाता है कि विक्रेताओं के वेतन वृद्धि नियमानुसार न करने के पीछे समितियों में फल रहा भष्ट्राचार, और लैम्पस प्रबंधकों के मकड़जाल मे फंसे अधिकारी कडाई से अनुशासन का पालन नहीं करा पा रहे।

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