रेलवे स्टेशन बदहाल, टिकट काउंटर से प्लेटफॉर्म तक गंदगी, यात्रियों को बैठना भी मुश्किल
*नही है रोशनी, पानी, शौचालय, चारो तरफ घास*
अनूपपुर
जिले के मौहरी और हरद के बीच स्थित धुरवासिन रेलवे स्टेशन बदहाली की कगार पर है। स्टेशन परिसर में फैल रही गंदगी, दुर्गंध और अव्यवस्थाओं से यात्री बेहद परेशान हैं। प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान के दावों के विपरीत यहां स्टेशन प्रबंधन की लापरवाही साफ दिखाई देती है। स्टेशन परिसर के चारों ओर बड़ी-बड़ी गाजर घास, झाड़ियाँ और कचरे के ढेर जमा हैं। स्थानीय यात्रियों के अनुसार इन झाड़ियों में सांप-बिच्छू जैसे जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बना रहता है। साफ-सफाई न होने से यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर बैठना तक मुश्किल हो गया है।
कोतमा–बिजुरी–चिरमिरी क्षेत्र से कोयले के माध्यम से सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व मिलता है, लेकिन धुरवासिन स्टेशन को बुनियादी सुविधाएँ तक नहीं मिल रहीं। इस स्टेशन पर दर्जनों गांवों — कोटमी, तितरीपोड़ी, रक्सा, कोलमी, पडोर, देखल, धुरवासिन, फूनगा, बिजौरी, छोहरी आदि के लोग यात्रा के लिए निर्भर हैं, लेकिन सुविधा नाम की कोई व्यवस्था मौजूद नहीं है।
स्टेशन पर लगे दो हैंडपंपों से जंगयुक्त लाल पानी निकल रहा है, जिससे यात्री पीने के पानी के लिए अपने घरों से बोतल लेकर आने को मजबूर हैं। वहीं स्टेशन परिसर में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कुछ ही बल्ब जलते हैं, जिससे रात में असुरक्षा का वातावरण बनता है। ग्रामीणों ने बताया कि सुबह कोतमा से आने वाला कर्मचारी टिकट जारी करता है, पर शाम को वह चंदिया–चिरमिरी ट्रेन से वापस लौट जाता है। इसके कारण रात में यात्रा करने वाले यात्रियों को टिकट तक उपलब्ध नहीं हो पाता।
स्टेशन पर शौचालय की सुविधा बिल्कुल नहीं है। मजबूरन यात्रियों को झाड़ियों में ही पेशाब करना पड़ता है, जहाँ सांप-बिच्छू का खतरा रहता है। स्टेशन में यात्री प्रतीक्षालय भी उपलब्ध नहीं है, जिससे बरसात और गर्मी के दिनों में यात्रियों की परेशानी और बढ़ जाती है। ग्रामीणों ने रेलवे प्रबंधन से धुरवासिन स्टेशन की स्थिति सुधारने तथा तत्काल साफ-सफाई, रोशनी और पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है।
