कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, सप्त दिवसीय पंचकोशी आरंभ
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अनूपपुर
पवित्र नगरी अमरकंटक में कार्तिक मास की पूर्णिमा के पावन अवसर पर आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। पतित पावनी पुण्यसलिला मां नर्मदा जी के कोटि तीर्थ, कुंड एवं रामघाट में सुबह से ही श्रद्धालुओं, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
भोर की पहली किरण के साथ ही भक्तों द्वारा पुण्य स्नान, पूजन-अर्चन और दीपदान का क्रम प्रारंभ हो गया। श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा उद्गम स्थल परिसर में दर्शन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मन्नत मांगी। घाटों पर दीपों की जगमगाहट और श्रद्धा से भरे स्वर वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर रहे थे। नर्मदा मंदिर में भी भक्तगण भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। दर्शन के लिए श्रद्धालु कतारबद्ध होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा में हैं। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु अमरकंटक पहुंचे हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, भगवान भोलेनाथ और कार्तिकेय देव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन किया गया स्नान, दर्शन और दीपदान अत्यंत फलदायी और शुभ फल प्रदान करने वाला माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा के इस पुण्य पर्व पर अमरकंटक के घाटों, मंदिरों और मार्गों में भक्ति और उत्सव का अद्भुत दृश्य देखने को मिला।
*सप्त दिवसीय पंचकोशी मेंकल धाम परिक्रमा प्रारंभ*
अनूपपुर जिले में कार्तिक मास की पूर्णिमा के पावन अवसर पर पवित्र नगरी अमरकंटक स्थित पतित पावनी मां नर्मदा जी के उद्गम स्थल कुंड से सप्त दिवसीय पंचकोशी मैंकल धाम परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ बुधवार, 5 नवंबर 2025 को धार्मिक विधि-विधान, पूजन-अर्चन एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। इस अवसर पर तपस्वी संत 1008 भगवान दास महाराज के संयोजकत्व एवं नेतृत्व में हजारों की संख्या में भक्त, श्रद्धालु, अनुयायी और समर्थक सम्मिलित हुए। परिक्रमा यात्रा का आयोजन पंचकोशी मां नर्मदा मैकल परिक्रमा समिति, अमरकंटक के तत्वावधान में किया जा रहा है। यह सप्त दिवसीय पवित्र परिक्रमा परमहंस संत 1008 सीताराम महाराज के संरक्षण एवं आशीर्वाद में प्रारंभ की गई। यात्रा संयोजक तपस्वी संत 1008 बाबा भगवान दास जी महाराज (गणेश धुना आश्रम, अमरकंटक) हैं।
पंचकोशी मैंकल परिक्रमा का यह धार्मिक आयोजन अमरकंटक धाम की दिव्यता और माँ नर्मदा के आशीष से ओत-प्रोत रहा। यह पवित्र परिक्रमा पांच कोस (लगभग 20 किमी) की दूरी को सप्त दिवस में पूर्ण करेगी। यात्रा 5 नवंबर (कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा, अश्विनी नक्षत्र) से प्रारंभ होकर 11 नवंबर (अगहन कृष्ण पक्ष सप्तमी, पुख नक्षत्र) को गणेश धुना आश्रम में हवन, पूजन-अर्चन और विशाल भंडारे के साथ संपन्न होगी। इस दिव्य यात्रा में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु शामिल हुए हैं।
