सीएमएचओ की मिलीभगत व निष्क्रियता झोला छाप डॉक्टर बांट रहे हैं मौत, फर्जी दवाखाना की बाढ़
*झोलाछाप रामनाथ के इलाज से नाबालिक हुआ अपंग*
अनूपपुर
जब से अनूपपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग की कमान डॉ. आर के वर्मा के हाथ लगी है, तब से जिले में झोलाछाप डॉक्टर कुकुरमुत्ते की तरह निकलने लगे है, कारण इसका यह माने की या तो डॉ. वर्मा की निष्क्रियता या भारी भरकम मिलीभगत प्रदर्शित करता है, आपको बता दें कि अनूपपुर जिला मुख्यालय से शुरू होकर जिले के कोतमा,बिजुरी, निगवानी, कोठी,भालूमाड़ा, पसान, जमुना, सहित अनूपपुर, राजेन्द्रग्राम, जैतहरी ब्लॉक में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानों में झोलाछाप डॉक्टर मरीज का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी दस्त खांसी बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने के लिए तैयार हो जाते हैं। और जब केस बिगड़ता है, तब आनन फानन मैं मरीज को उसकी हालत पर छोड़कर वहां से नौ दो ग्यारह हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला विकासखंड जैतहरी के ग्राम पंचायत अमगवा से आया है, जहां ग्राम के ही निवासी भीखम चौधरी के नाबालिक पुत्र भूपेंद्र चौधरी का स्वास्थ्य अगस्त 2024 में खराब हुआ था। जिसका उपचार ग्राम सेदुरी निवासी अपने आप को डॉक्टर कहने वाला झोलाछाप रामनाथ राठौर के द्वारा किया गया। झोलाछाप डॉक्टर रामनाथ के द्वारा किए गए उपचार के उपरांत नाबालिक भूपेंद्र चौधरी की तबीयत और बिगड़ने लगी तो उक्त डॉक्टर के द्वारा यह कहकर इलाज किया कि वह जल्द ही इसका स्वास्थ्य हो जाएगा। लेकिन उसके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ, बल्कि नाबालिक भूपेंद्र चौधरी का स्वास्थ्य बद से बदतर होता चला गया और धीरे-धीरे दाएं पैर से लकवा ग्रस्त हो गया। जब यह जानकारी झोलाछाप डॉक्टर रामनाथ राठौर को प्राप्त हुई, तब उसके द्वारा नाबालिग भूपेंद्र चौधरी के पिता भी भीखम चौधरी को यह आश्वासन दिया गया कि आपके पुत्र का उपचार अच्छे से अच्छे अस्पताल में मेरे द्वारा कराया जाएगा आप निश्चित रहे। इसके बाद भीखम चौधरी अपने पुत्र भूपेंद्र चौधरी को बेहतर उपचार के लिए एम्स रायपुर लेकर गए पर वहां कुछ आराम नहीं मिला और ना ही झोलाछाप डॉक्टर रामनाथ राठौर के द्वारा दिए गए गए इलाज के दुष्परिणाम के कारण पिछले एक वर्ष से लेकर आज तक भीखम चौधरी अपने पुत्र का लगातार इलाज करवा रहा है, मगर उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं है, भूपेंद्र चौधरी आज भी लकवा ग्रस्त है और वह चलने में असमर्थ हो चुका है। जब रामनाथ राठौर से इलाज के लिए बात की जाती है तो धमकी भरे लहजे में परिवार को धमकाता है और कहता है, मेरा जो करते बन कर लो। रामनाथ जैसे झोलाछाप डॉक्टर अगर यूं ही अपनी चलती फिरती मौत की दुकान चलाते रहेंगे, तब तक इसी लोग अपंग होते रहेंगे, तो फिर कैसे होगा भारत सरकार का सपना हर घर स्वास्थ्य निरोगी। कब लगाम लगेगी ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर जो गुंडागर्दी पर भी उतारू रहते हैं। आज 13 वर्ष का नाबालिक मासूम भूपेंद्र चौधरी जो अपने पैर से चलकर दुनिया देखने की आस लगाया था, भविष्य में कुछ करने की सोच रखने वाला अपने घर में अपंग बैठा हुआ है। ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की मेहरबानी की बदौलत। अब देखना यह होगा प्रशासन इन झोलाछाप डॉक्टरों पर क्या कदम उठाता है और कितनी सख्त कार्रवाई कर इस मासूम को न्याय दिलाता है।
*इनका कहना है*
मै जांच करवा कर कार्यवाही की लिए निर्देशित करता हूँ।
*कमलेश पुरी, अनुविभागीय अधिकारी, अनूपपुर*
ऐसे झोलाछाप को चिन्हित किया जा रहा है, आपके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कार्यवाही की जाएगी।
*डॉ मोहन सिंह श्याम, विकास खंड चिकित्सा अधिकारी, जैतहरी*

