अमृत तालाब निर्माण में भारी अनियमितताएं, सरपंच, सचिव पर लग रहा भ्रष्टाचार का आरोप
*अधिकारी, सरपंच, सचिव व ठेकेदार की मिलीभगत*
अनूपपुर
जिले के कोतमा जनपद के ग्राम पंचायत पैरिचुआ में लाखों रुपये की लागत से बनाए जा रहे अमृत तालाब निर्माण कार्य पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्राम पंचायत निर्माण एजेंसी होने के बावजूद यह कार्य ठेकेदार वंश गोपाल को सौंप दिया गया है, जो अपने मनमाने तरीके से निर्माण कार्य कर रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस परियोजना में जमकर भ्रष्टाचार और अनियमितताएं की जा रही हैं, और पंचायत अधिकारी भी इस पूरे खेल में शामिल हैं।
जिस स्थान पर अमृत तालाब का निर्माण किया जा रहा है, वहां से महज 20 मीटर की दूरी पर पहले से ही लाखों रुपये की लागत से चेक डैम बनाया गया था। चेक डैम का उद्देश्य बरसात के पानी को रोककर किसानों के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना था। लेकिन अब उसी क्षेत्र में फिर से अमृत तालाब बनवाने का कार्य शुरू किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह कार्य केवल फाइलों में पैसा निकालने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि जहां तालाब बन रहा है, वहां पहले से पर्याप्त जलस्रोत मौजूद हैं।
ग्राम पंचायत पैरिचुआ के समीप चौडार नाला सदैव बहाव में रहता है, जिससे आस-पास के खेतों में सिंचाई की कोई समस्या नहीं रहती। बावजूद इसके, महज 30 मीटर की दूरी पर नया अमृत तालाब बनाया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस योजना का चयन पूरी तरह अव्यवहारिक और भ्रष्ट मंशा से किया गया है। पहले से बने चेक डैम के पास मिट्टी डालकर, एक तरफ मेढ़ खड़ी कर, उसे ही तालाब का रूप दे दिया गया है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत एजेंसी और ठेकेदार की मिलीभगत से शासन की राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए पंचायत स्वयं कार्य न करके उसे ठेका सौंप चुकी है, जबकि अमृत तालाब योजना के नियमों के अनुसार निर्माण कार्य ग्राम पंचायत के माध्यम से कराया जाना चाहिए। सरपंच और सचिव पर आरोप है कि उन्होंने ठेकेदार वंश गोपाल के साथ मिलकर अमृत तालाब का कार्यभार सौंपा है। बताया जा रहा है कि निर्माण स्थल पर गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा। तालाब के किनारों की खुदाई ठीक से नहीं की जा रही और घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।
इंजीनियर और एसडीओ की मिलीभगत से ही यह फर्जी निर्माण संभव हो पा रहा है। पूर्व में बने नाले और चेक डैम के पानी को रोककर उसे अमृत तालाब का नाम दिया जा रहा है, जबकि वास्तविकता में नया निर्माण नहीं किया जा रहा। इस मिलीभगत से जहां शासन को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है, वहीं किसानों को अमृत तालाब योजना से मिलने वाला वास्तविक लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।स्थानीय ग्रामीणों ने कलेक्टर और जनपद सीईओ से मांग की है।
