01.
कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्य विभाग अनूपपुर
कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्य विभाग अनूपपुर में सहायक आयुक्त के पद पर सरिता नायक कार्य कर रही हैं। यह विभाग जनजातीय समुदायों के शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक उत्थान से संबंधित हैं। शिक्षा के क्षेत्र में इस कार्यालय का बहुत बड़ा महत्व है। इसके बिना एक। शिक्षित समाज की कल्पना नही की जा सकती है। यह विभाग शिक्षक, छात्र-छात्राओं के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी कहलाती हैं। जिससे समाज को एक महत्वपूर्ण दिशा मिलती है। सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग, जनजातीय समुदायों के विकास, उनके हितों के संरक्षण और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने का कार्य करता है। यह विभाग छात्रावासों और अन्य शैक्षणिक/आवासीय संस्थाओं का संचालन करता है और जाति प्रमाण पत्र, छात्रवृत्ति (जैसे MPTAAS) और अन्य योजनाओं से संबंधित कार्यों की देखरेख करता है। विभिन्न योजनाओं के लिए समन्वय और निगरानी करना, और समीक्षा बैठकों के माध्यम से प्रगति सुनिश्चित करना।
*विद्यालयों में निर्माण कार्य व सुविधाओं पर एक नजर*
कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत जिले में 4 जनपद ने वर्ष 2022-23 में विकासखण्ड स्तरीय आधुनिक पुस्तकालय का निर्माण 1 करोड़ की लागत से कराया गया है। जिससे वहाँ के छात्र-छात्राओं शिक्षित करने में इस पुस्तकालय का महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है। पुस्तकालय से विद्यार्थियों को अवश्य ही लाभ होगा।
जिले में कई विद्यालयों में विभिन्न समस्याओं को देखते हुए वर्ष 2022-23 में 13 विद्यालयों में 1 करोड़ 73 लाख 40 हजार की लागत से अतिरिक्त कक्ष, शौचालय एवं पुस्तकालय का निर्माण कराया गया हैं जिससे उन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र- छात्राओं बहुत सारी आवश्यक सुविधाएं प्राप्त हो गई। वर्ष 2023-24 में जिले के 18 विद्यालयों में 2 करोड़ 70 लाख की लागत से प्रयोगशाला का निमार्ण कराया गया हैं। इस प्रयोगशाला के बन जाने के कारण हजारो विद्यार्थियों को प्रयोगशाला न होने के कारण जो समस्या होती थी वह पूरी तरह समाप्त हो गयी।
जिले के 14 विद्यालयों में वर्ष 2023-24 में 1 करोड़ 95 लाख की लागत से विद्यालय स्तरीय पुस्तकालय का निर्माण कराया गया हैं। पुस्तकालय का निर्माण हो जाने से अवश्य ही शिक्षा का स्तर मजबूत होगा, बच्चों लाभ मिलेगा। इसी वर्ष अतिरिक्त कक्ष जिले के 56 विद्यालयों में 6 करोड़ 72 लाख की लागत से अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कराया गया हैं। जिले में कई भवन की स्थित सही न होने के कारण 14 विद्यालय व छात्रावास का 1 करोड़ 88 लाख का मरम्मत कार्य कराया गया हैं।
वर्ष 2024-25 में 27 विद्यालयों की स्थित अच्छी नही थी, जिस कारण से 6 करोड़ 28 लाख की लागत से मरम्मत कार्य होने से विद्यालय में शिक्षकों व विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था वह पूरी तरह सही हो गई।
जिले के शासकीय कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ सड़क न होने के कारण वहाँ पर पढ़ने वाले छात्राओं को आने जाने में असुविधा का सामना करना पड़ रहा था, विभाग द्वारा 2024-25 में 2 करोड़ 62 लाख 50 हजार की लागत से एप्रोच रोड निर्माण कार्य कराया गया।
जिले के विभिन्न विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र- छात्राओं के शिक्षा का स्तर सुधारने में लिए 81 निशुल्क कोचिंग सेंटर खुलवाया गया। इस कोचिंग सेंटर के खुल जाने से आने वाले वर्षो शासकीय विद्यालयो में पढ़ने वाले बच्चे अच्छे नम्बर लाकर विद्यालय व जिले का नाम रोशन करेंगे। सुरक्षा की दृष्टि से जिले के 136 विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरा व 136 बायोमैट्रिक सिस्टम लगवाया गया है।
यह विभाग जनजातीय कार्य विभाग के कर्मचारियों और संस्थानों के प्रशासनिक नियंत्रण करता है। अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान के लिए योजनाएं बनाता है और उनका संचालन करता है। छात्रावासों और अन्य शैक्षणिक व आवासीय संस्थाओं का संचालन करता है।
*विभाग के महत्वपूर्ण कार्य*
आदिवासी उपयोजना क्षेत्र में प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक की शालाएँ, विशिष्ट शैक्षणिक संस्थाएँ और आवासीय संस्थाएँ संचालित करना। क्रीड़ा परिसरों का संचालन। आर्थिक उत्थान के लिए योजनाओं का संचालन। अनुपूरक कल्याणकारी योजनाएँ चलाना। जाति प्रमाण पत्र और प्रोफाइल पंजीयन जैसी प्रक्रियाओं की निगरानी करना। शैक्षणिक और आवासीय संस्थानों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखना। आदिवासी उपयोजना कार्यक्रम और विशेष घटक योजना के तहत अन्य विभागों के साथ तालमेल बिठाना। योजनाओं के बजट प्रावधान और उनके कार्यान्वयन की निगरानी करना। शैक्षणिक संस्थाओं के बोर्ड परीक्षा परिणामों और अन्य विभागीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए नियमित बैठकें आयोजित करना।
02.
*कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्य विभाग शहडोल*
कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्य विभाग शहडोल में आनंद राय सिन्हा सहायक आयुक्त पद पर कार्य कर रहे हैं। इनके कार्यकाल में इस विभाग में बहुत ही महत्वपूर्ण व विकास के कार्य हुए हैं, इनकी कार्यकुशलता से विभाग नित नए आयाम स्थापित किए हैं। विद्यालयो से लेकर छात्रवासों तक के संचालन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। लापरवाही विभागीय कार्य पूरी तरह चुस्त दुरुस्त रखने के लिए कर्मचारी लापरवाही न करे उन पर पैनी निगाहे रखी जाती है। सभी लोगो के कार्य पारदर्शी हो इस पर विशेष ध्यान रखा जाता है।
शहडोल मध्यप्रदेश के दक्षिण-पूर्व में स्थित जिले के साथ-साथ संभागीय मुख्यालय भी है। शहडोल वनाच्छादित आदिवासी बाहुल्य जिला है, जिसमें 04 विकास खण्ड आदिवासी खण्ड एवं 01 विकास खण्ड सामान्य है। जिले अंतर्गत शैक्षणिक गुणवत्ता के दृष्टिगत 04 आदिवासी खण्ड अंतर्गत शैक्षणिक प्रबंधन / जिला प्रमुख सहायक आयुक्त के नियंत्रणधीन है. जिसमें कुल 1440 शैक्षणिक संस्थान (1-12) है। 986 प्राथमिक विद्यालय, 310 माध्यमिक विद्यालय, 80 हाईस्कूल एवं 64 हायर सेकेण्डरी स्कूल सम्मिलित है। शैक्षणिक प्रबंधन एवं गुणवत्ता के तहत जिले में 04 आवासीय कन्या शिक्षा परिसर, 03 एकलव्य आवासीय परिसर, 01 मॉडल स्कूल, 04 संदीपनी विद्यालय तथा 01 संभागीय आवासीय अनुसूचित जाति ज्ञानोदय विद्यालय के भव्य परिसर संचालित हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा हेतु केन्द्र प्रवर्तित कौशल विकास केन्द्र अंतर्गत कम्प्यूटर सेंटर ग्राम कोटमा में संचालित है। जिला स्तरीय क्रीडा परिसर भी मुख्यालय से 05 कि०मी० दूरी पर स्थित है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 में जिले के कक्षा 10वीं एवं 12वीं बोर्ड का परीक्षाफल मध्यप्रदेश के टॉप 10 जिलों में रहा है। उक्त दोनों कक्षाओं का परीक्षाफल 83% रहा है। एकलव्य आवासीय विद्यालय जैतपुर का CBSE बोर्ड अंतर्गत 10/12वीं का परीक्षाफल 100% रहा है। ऐसे ही मध्यप्रदेश बोर्ड अतर्गत भी कक्षा 10वीं के 24 विद्यालयों का 12वीं के 02 विद्यालयों का परीक्षाफल 100% रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा मिनी ब्राजील के नाम से मशहूर ग्राम विचारपुर, जिला शहडोल के फुटबॉल खिलाड़ियों का जिक्र मन की बात कार्यक्रम में किया गया। विभाग अंतर्गत 02 फुटबाल खिलाडियों का चयन विशेष प्रशिक्षण के लिये जर्मनी हेतु किया गया, जो क्रमशः विरेन्द्र बैगा (शा.उमावि भुईबाध) एवं मनीश घसिया (ज्ञानोदय विद्यालय विचारपुर) में अध्ययनरत हैं। विगत वर्षों में शैक्षणिक अधोसंरचना के रूप में भव्य कैंपस का निर्माण हुआ-जैसे शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शहडोल, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बरमनिया, शासकीय आवासीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीधी आदि। जिले में 04 संदीपनी उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों का नव निर्माण अपनी पूर्णता पर है, जो क्रमशः छतवर्ड, गोहपारू, जयसिंहनगर एवं कटकोना बुढ़ार हैं।
जनजातीय कार्य विभाग का शिक्षा और समाज पर मिश्रित प्रभाव पड़ा है, जिसमें सकारात्मक पहलुओं में शिक्षा के अवसरों में वृद्धि, छात्रवृत्ति, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) जैसे स्कूल और कौशल विकास शामिल हैं। एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) जैसे कार्यक्रमों से दूरदराज के इलाकों में आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है, जिससे उच्च शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।
छात्रों को स्कूल छोड़ने से रोकने और उनकी पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए छात्रवृत्तियां और फेलोशिप प्रदान की जाती हैं, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच को बेहतर बनाती हैं। विभिन्न योजनाएं युवाओं को कौशल विकास और स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
स्थानीय पाठ्यक्रम में स्थानीय प्रासंगिक सामग्री को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि छात्रों को सहज और आत्मविश्वास से भरा महसूस हो। शिक्षा और आर्थिक अवसरों में सुधार से जनजातीय समुदायों का सशक्तिकरण हो रहा है। उच्च शिक्षा और स्वरोजगार योजनाओं से आदिवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास से जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। कुछ पहल, जैसे कि संग्रहालयों का निर्माण, स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले जनजातीय सेनानियों की वीरता को संरक्षित करती है और युवा पीढ़ी को प्रेरित करती है।
03. कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी अनूपपुर
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय अनूपपुर में तुलाराम आर्मो सहायक संचालक के साथ-साथ जिला शिक्षा अधिकारी के प्रभार पर भी कार्य कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान देता है, जैसे जिले में सभी शैक्षिक गतिविधियों की निगरानी और प्रबंधन करना, शिक्षकों और संस्थानों की देखरेख करना, और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए नीतियां लागू करना। यह सरकारी स्कूलों के लिए संसाधनों के वितरण और प्रशासनिक कार्यों जैसे शिक्षकों के अवकाश, स्थानांतरण और पदोन्नति के मामलों का भी प्रबंधन करता है। शिक्षकों की ट्रेनिंग, पाठ्य पुस्तकों का वितरण, कुछ छात्रावास का संचालन, ड्रेस, सायकिल, लैपटॉप, स्कूटी वितरण सहित और भी बहुत सारे कार्यो का संचालन यहाँ से किया जाता है।
जिले के हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल का परीक्षा संचालन करने का कार्य, शासकीय स्कूलों के कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक छात्र-छात्राओं को निःशुल्क पाठ्य पुस्तको का वितरण, शासकीय स्कूलों के कक्षा 9 वीं के पात्र छात्र-छात्राओं को निःशुल्क सायकिल वितरण, कक्षा 1 से 12 वीं तक के पात्र विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति एम-1 क्लिक के माध्यम से प्रदाय, कक्षा 12 वीं के 75 से 100 प्रतिशत वाले छात्र/छात्राओं को लैपटाप वितरण, हायर सेकेण्डरी स्कूलों के कक्षा 12 वीं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले एक बालक एवं एक बालिका को निःशुल्क स्कूटी क्रय करने हेतु मोटराइज्ड स्कूटी हेतु 90000 रू. एवं इलेक्ट्रिक स्कूटी हेतु 120000 रू. प्रदाय किया जाता है।
समग्र शिक्षा अभियान सेकेण्डरी एजुकेशन अंतर्गत मास्टर ट्रेनर के द्वारा कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के अध्यापन कराने वाले विषय शिक्षकों का एक दिवसीय मासिक ऑनलाईन प्रशिक्षण कराया जाता है। समग्र शिक्षा अभियान सेकेण्डरी एजुकेशन अंतर्गत शासकीय स्कूलों के कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के छात्रों को सुविधा भत्ता प्रदाय किया जाता है।
*विभाग के कार्य का संक्षिप्त विवरण*
स्कूल शिक्षा विभाग अंतर्गत 03 मॉडलस्कूल, 05 बालिका छात्रावास एवं 01 बालक छात्रावास, 12 पीएमश्री स्कूल एवं 01 सांदीपनि स्कूल संचालन किया जा रहा है। जिला अंतर्गत 65 विद्यालय में आई.सी.टी. लैब का संचालन तथा 08 विद्यालय में आई.सी.टी. लैब की स्वीकृति है।जिला अंतर्गत 54 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास संचालित है। जिला अंतर्गत 84 विद्यालयों में डिजिटल स्मार्ट क्लास संचालित है। जिला अंतर्गत 36 विद्यालयों में व्यवसायिक शिक्षा संचालित है। इसके अलावा जिले में संचालित निजी विद्यालय का नियमो से संचालन करवाना एक महत्वपूर्ण कार्य होता है।
04.
*जिला शिक्षा केन्द्र अनूपपुर*
जिला शिक्षा केंद्र अनूपपुर में परियोजना समन्वयक के पद पर आशुतोष कुशवाहा कार्य कर रहे हैं। यह केंद्र शिक्षा के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिले में शिक्षा व्यवस्था के प्रशासनिक, वित्तीय और शैक्षणिक प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है। इसके मुख्य कार्यों में स्कूलों का निरीक्षण, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन, शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना, शिक्षा से संबंधित कर्मचारियों के सेवा मामलों का प्रबंधन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना शामिल है। यह शैक्षिक सुधारों और सामुदायिक भागीदारी को भी बढ़ावा देता है।
*जिला शिक्षा केन्द्र के कार्य*
जिले के सभी स्कूलों और शिक्षा से जुड़े अन्य संस्थानों पर प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण रखना। केंद्र द्वारा प्रायोजित और राज्य सरकार की शिक्षा योजनाओं को लागू करना। शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और सुधार के लिए कार्यक्रम बनाना और लागू करना। शिक्षकों को नवीन शिक्षण विधियों और नवाचारों से अवगत कराने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना, DIET जैसे संस्थानों की भूमिका इसमें महत्वपूर्ण होती है। स्कूलों का नियमित निरीक्षण करना और शैक्षिक तथा अन्य गतिविधियों का मूल्यांकन करना। स्कूली शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करना। विभाग के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों का प्रबंधन और नियंत्रण करना। शिक्षा में सुधार के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देना और शैक्षिक संसाधनों तथा डिजिटल शिक्षण प्लेटफार्मों को विकसित करना सहित और भी बहुत सारे महत्वपूर्ण कार्य होते हैं।
05.
*विद्यालय व शिक्षा में संपादकीय*
शिक्षा के क्षेत्र में समाज को शिक्षित करने की दिशा में निजी विद्यालय का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। शहरों से लेकर गांव-गांव तक निजी विद्यालयों का जाल बिछ चुका है। जिसके कारण ज्यादातर लोग साक्षर हो रहे है, धीरे धीरे साक्षरता दर बढ़ती जा रही है। समय के अनुसार शिक्षा में बदलाव देखने को मिलता है। पहले की शिक्षा विद्यालय में कक्षा एक से शुरू होकर बारह तक उसके बाद आगे की पढ़ाई कॉलेज में हुआ करती थी। उसके बाद कुछ लोग नौकरी मे, व्यापार में, कृषि में और अन्य कार्यो में कही न कही लग जाते थे, जैसे-जैसे समय बदला पढ़ाई का स्तर भी बदलता गया पहले 70 से 80 प्रतिशत वाले विद्यार्थी टॉप कर जाते थे, लेकिन आजकल 97 से 99 प्रतिशत के विद्यार्थी टॉप सूची में आ पाते हैं। आजकल की शिक्षा स्वरूप और भी बदल गया है। सरकार कक्षा एक से पहले आंगनबाड़ी में बच्चों को शिक्षा की शुरुआत करवाती है, वही निजी विद्यालयों में कक्षा एक से पहले नर्सरी, केजी एक, केजी दो व प्ले स्कूल का चलन आ चुका है। पहले कक्षा 06 से ABCD की पढ़ाई शुरू होती थी वही ABCD की पढ़ाई आजकल नर्सरी से शुरू हो जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा क्रांति आई है वो है अंग्रेजी का सबसे ज्यादा महत्व दिया जाना, सभी जगह अंग्रेजी का महत्व बढ़ जाने के कारण निजी विद्यालयों में हिंदी माध्यम की जगह ज्यादातर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होने लगी है। आज के समय मे हिंदी माध्यम के विद्यालय बहुत ही संघर्षपूर्ण स्थित से गुजर रहे हैं। बहुत से विद्यालय बन्द होने की कगार में पहुँच गए हैं। सरकार भी धीरे-धीरे अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय खोल रही है।