[25/10, 3:31 pm] Anand Pandey Journlist: सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग, जनजातीय समुदायों के विकास, उनके हितों के संरक्षण और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए जिम्मेदार है। यह विभाग छात्रावासों और अन्य शैक्षणिक/आवासीय संस्थाओं का संचालन करता है और जाति प्रमाण पत्र, छात्रवृत्ति (जैसे MPTAAS) और अन्य योजनाओं से संबंधित कार्यों की देखरेख करता है। प्रत्येक जिले में एक सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग होता है, जैसे कि खरगोन के श्री इकबाल हुसैन आदिल या झाबुआ के विभाग के अधिकारी।
कार्य और जिम्मेदारियाँ
प्रशासनिक नियंत्रण: यह विभाग जनजातीय कार्य विभाग के कर्मचारियों और संस्थानों के प्रशासनिक नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है।
शैक्षणिक और आर्थिक विकास: यह अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान के लिए योजनाएं बनाता है और उनका संचालन करता है।
संस्थाओं का संचालन: विभाग छात्रावासों और अन्य शैक्षणिक व आवासीय संस्थाओं का संचालन करता है।
योजनाओं का क्रियान्वयन: यह जाति प्रमाण पत्र जारी करने, छात्रवृत्ति (जैसे MPTAAS) प्रदान करने और अन्य संबंधित योजनाओं को लागू करने का कार्य करता है।
[25/10, 3:32 pm] Anand Pandey Journlist: सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग, जनजातीय समुदायों के विकास, उनके हितों के संरक्षण और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए जिम्मेदार है। यह विभाग छात्रावासों और अन्य शैक्षणिक/आवासीय संस्थाओं का संचालन करता है और जाति प्रमाण पत्र, छात्रवृत्ति (जैसे MPTAAS) और अन्य योजनाओं से संबंधित कार्यों की देखरेख करता है। प्रत्येक जिले में एक सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग होता है, जैसे कि खरगोन के श्री इकबाल हुसैन आदिल या झाबुआ के विभाग के अधिकारी।
कार्य और जिम्मेदारियाँ
प्रशासनिक नियंत्रण: यह विभाग जनजातीय कार्य विभाग के कर्मचारियों और संस्थानों के प्रशासनिक नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है।
शैक्षणिक और आर्थिक विकास: यह अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान के लिए योजनाएं बनाता है और उनका संचालन करता है।
संस्थाओं का संचालन: विभाग छात्रावासों और अन्य शैक्षणिक व आवासीय संस्थाओं का संचालन करता है।
योजनाओं का क्रियान्वयन: यह जाति प्रमाण पत्र जारी करने, छात्रवृत्ति (जैसे MPTAAS) प्रदान करने और अन्य संबंधित योजनाओं को लागू करने का कार्य करता है।
[25/10, 3:33 pm] Anand Pandey Journlist: सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग की गतिविधियाँ जनजातीय समुदायों के शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक उत्थान से संबंधित हैं, जिसमें शिक्षा, कल्याणकारी योजनाओं का संचालन और विभागीय संस्थानों का प्रशासनिक नियंत्रण शामिल है। विभाग की कुछ प्रमुख गतिविधियों में शामिल हैं: शैक्षणिक संस्थानों का संचालन, विभिन्न योजनाओं के लिए समन्वय और निगरानी करना, और समीक्षा बैठकों के माध्यम से प्रगति सुनिश्चित करना।
गतिविधियों की विस्तृत जानकारी
शैक्षणिक विकास:
आदिवासी उपयोजना क्षेत्र में प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक की शालाएँ, विशिष्ट शैक्षणिक संस्थाएँ और आवासीय संस्थाएँ संचालित करना।
क्रीड़ा परिसरों का संचालन।
आर्थिक विकास और कल्याण:
आर्थिक उत्थान के लिए योजनाओं का संचालन।
अनुपूरक कल्याणकारी योजनाएँ चलाना।
जाति प्रमाण पत्र और प्रोफाइल पंजीयन जैसी प्रक्रियाओं की निगरानी करना।
प्रशासनिक और समन्वय कार्य:
शैक्षणिक और आवासीय संस्थानों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखना।
आदिवासी उपयोजना कार्यक्रम और विशेष घटक योजना के तहत अन्य विभागों के साथ तालमेल बिठाना।
योजनाओं के बजट प्रावधान और उनके कार्यान्वयन की निगरानी करना।
समीक्षा और बैठकें:
शैक्षणिक संस्थाओं के बोर्ड परीक्षा परिणामों और अन्य विभागीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए नियमित बैठकें आयोजित करना।
बैठकों के दौरान विभिन्न कार्यों, जैसे कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के कार्यान्वयन पर चर्चा और निर्देश देना।
[25/10, 3:37 pm] Anand Pandey Journlist: शिक्षा में संपादकीय का अर्थ शिक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और अकादमिक प्रकाशनों में प्रकाशित राय और विश्लेषण है, जिसमें मौजूदा चुनौतियों, जैसे कि कोचिंग पर अत्यधिक निर्भरता और शिक्षा प्रणाली में असमानता, और समाधानों की चर्चा शामिल है। इसमें शिक्षा के बदलते स्वरूप, जैसे कोविड-19 के दौरान और बाद में सकारात्मक मनोविज्ञान और आईसीटी के उपयोग पर भी विचार किया जाता है। संपादकीय अक्सर पाठ्यक्रम सुधार, शिक्षक प्रशिक्षण और परीक्षा-आधारित शिक्षा से आगे बढ़कर समग्र व्यक्तित्व विकास पर जोर देते हैं।
शिक्षा में संपादकीय के मुख्य विषय
कोचिंग संस्कृति की समस्या: कई संपादकीय में यह मुद्दा उठाया गया है कि कोचिंग संस्थानों पर अत्यधिक निर्भरता ने छात्रों के बीच असमानता बढ़ाई है, क्योंकि गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे महंगी कोचिंग का खर्च नहीं उठा पाते।
समावेशी शिक्षा की आवश्यकता: संपादकीय इस बात पर जोर देते हैं कि शिक्षा को सभी छात्रों की विविध आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए, न कि एक समान गति और पाठ्यक्रम को थोपने पर आधारित होना चाहिए। खेल-आधारित शिक्षण और बच्चों की रुचियों को महत्व देने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है।
सकारात्मक मनोविज्ञान का प्रभाव: कोविड-19 महामारी जैसे समय में, संपादकीय शिक्षा में सकारात्मक मनोविज्ञान के महत्व पर जोर देते हैं। इसमें आशा और आत्म-प्रभावकारिता को बढ़ावा देने वाले हस्तक्षेपों को शामिल करने की बात कही गई है।
आईसीटी और प्रौद्योगिकी: शिक्षा में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के उपयोग पर संपादकीय में चर्चा होती है, जो जुड़ाव बढ़ाने, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और छात्रों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है।
समग्र विकास पर जोर: संपादकीय अक्सर प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में सफलता से आगे बढ़कर शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य पर प्रकाश डालते हैं, जो कि व्यक्तित्व विकास और समाज में योगदान है।
सरकारी नीतियों और सुधारों की मांग: संपादकीय में अक्सर सरकारी नीतियों, जैसे कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), के प्रभावी कार्यान्वयन की वकालत की जाती है और इसमें सुधारों के लिए सुझाव दिए जाते हैं, जैसे कि शिक्षक प्रशिक्षण में निवेश और स्कूली शिक्षा को सशक्त बनाना।
[25/10, 3:46 pm] Anand Pandey Journlist: शिक्षा में संपादकीय का अर्थ शिक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और अकादमिक प्रकाशनों में प्रकाशित राय और विश्लेषण है, जिसमें मौजूदा चुनौतियों, जैसे कि कोचिंग पर अत्यधिक निर्भरता और शिक्षा प्रणाली में असमानता, और समाधानों की चर्चा शामिल है। इसमें शिक्षा के बदलते स्वरूप, जैसे कोविड-19 के दौरान और बाद में सकारात्मक मनोविज्ञान और आईसीटी के उपयोग पर भी विचार किया जाता है। संपादकीय अक्सर पाठ्यक्रम सुधार, शिक्षक प्रशिक्षण और परीक्षा-आधारित शिक्षा से आगे बढ़कर समग्र व्यक्तित्व विकास पर जोर देते हैं।
शिक्षा में संपादकीय के मुख्य विषय
कोचिंग संस्कृति की समस्या: कई संपादकीय में यह मुद्दा उठाया गया है कि कोचिंग संस्थानों पर अत्यधिक निर्भरता ने छात्रों के बीच असमानता बढ़ाई है, क्योंकि गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे महंगी कोचिंग का खर्च नहीं उठा पाते।
समावेशी शिक्षा की आवश्यकता: संपादकीय इस बात पर जोर देते हैं कि शिक्षा को सभी छात्रों की विविध आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए, न कि एक समान गति और पाठ्यक्रम को थोपने पर आधारित होना चाहिए। खेल-आधारित शिक्षण और बच्चों की रुचियों को महत्व देने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है।
सकारात्मक मनोविज्ञान का प्रभाव: कोविड-19 महामारी जैसे समय में, संपादकीय शिक्षा में सकारात्मक मनोविज्ञान के महत्व पर जोर देते हैं। इसमें आशा और आत्म-प्रभावकारिता को बढ़ावा देने वाले हस्तक्षेपों को शामिल करने की बात कही गई है।
आईसीटी और प्रौद्योगिकी: शिक्षा में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के उपयोग पर संपादकीय में चर्चा होती है, जो जुड़ाव बढ़ाने, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और छात्रों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है।
समग्र विकास पर जोर: संपादकीय अक्सर प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में सफलता से आगे बढ़कर शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य पर प्रकाश डालते हैं, जो कि व्यक्तित्व विकास और समाज में योगदान है।
सरकारी नीतियों और सुधारों की मांग: संपादकीय में अक्सर सरकारी नीतियों, जैसे कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), के प्रभावी कार्यान्वयन की वकालत की जाती है और इसमें सुधारों के लिए सुझाव दिए जाते हैं, जैसे कि शिक्षक प्रशिक्षण में निवेश और स्कूली शिक्षा को सशक्त बनाना।