मीना बाजार में रातभर चला ‘कानून का मज़ाक, एसपी, राजस्व विभाग की मौजूदगी में भी गूंजती रही मनमानी

मीना बाजार में रातभर चला ‘कानून का मज़ाक, एसपी, राजस्व विभाग की मौजूदगी में भी गूंजती रही मनमानी

*एसडीएम के दावे ध्वस्त, एसपी की मौजूदगी भी बेअसर*



अनूपपुर

अनूपपुर जिले के बिजुरी में संचालित मीना बाजार में रात को कानून और प्रशासन की साख को खुली चुनौती दे डाली। सरकारी आदेशों के बावजूद मेला देर रात तड़के 4 बजे तक बेखौफ चलता रहा, जबकि पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी समय दर समय वहां मौजूद रहकर भी मूकदर्शक बने रहे। यह नज़ारा न केवल प्रशासन की लचर कार्यशैली को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि प्रभावशाली संचालक के सामने सिस्टम पूरी तरह नाकाम व बेबश लाचार हो गया। बिजुरी नगर निरीक्षक व उनकी पूरी पुलिस टीम मीना बाजार संचालक के सामने बेबस व नतमस्तक नजर आई।


*एसडीएम के दावे ध्वस्त, एसपी की मौजूदगी भी बेअसर*

दिन में ही कोतमा के एसडीएम ने भरोसा दिलाया था कि मेला नियमतः रात 10 बजे तक ही संचालित होगा, नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाएगा। लेकिन रात होते-होते यह दावा हवा हो गया। न केवल समय-सीमा की धज्जियां उड़ाई गईं, बल्कि प्रशासनिक आदेशों को संचालक ने पैरों तले रौंद डाला। बावजूद इसके प्रशासन बेबश तमाशबीन बना रह गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि अनूपपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) खुद रात में मेला प्रांगण पहुंचे, पर उनकी मौजूदगी भी सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई। पुलिस बल और राजस्व अधिकारी ड्यूटी पर मौजूद रहे, लेकिन कानून लागू करने में पूरी तरह विफल साबित हुए। लिहाजा मेला रातभर धड़ल्ले से चलता रहा, मानो कानून का राज समाप्त हो चुका हो।

*जनता में गुस्सा, जब पहरेदार ही सोए हैं तो कानून कौन निभाए?*

स्थानीय निवासियों में प्रशासन की इस नाकामी को लेकर गहरा आक्रोश है। लोग सवाल कर रहे हैं, जब कानून के रखवाले ही नियम तोड़ने वालों के आगे झुक जाएं, तो आम जनता से अनुशासन की उम्मीद कैसे की जा सकती है? देर रात तक खुले रहने वाले इस मेले ने शहर की शांति-व्यवस्था और सुरक्षा और पर गंभीर खतरे खड़े किए। नागरिकों का कहना है कि प्रशासन की इस लाचारी ने कानून पर जनता का भरोसा डगमगा दिया है।

*प्रशासनिक ढिलाई पर उठे सवाल*

जानकारों का मानना है कि इस घटना ने प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी और प्रभावशाली लोगों के दबाव को उजागर कर दिया है। नियमों को तोड़ने वालों पर कार्यवाही न होना कानून की गिरती साख को दर्शाता है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन इस घटना को सबक मानकर भविष्य में कड़ाई दिखाएगा, या फिर ऐसी घटनाएं सिस्टम की असहायता की मिसाल बनती रहेंगी। बिजुरी का मीना बाजार सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि यह इस सच्चाई की परत खोलता है कि जहां कानून के रखवाले ही बेबस दिखें, वहां नियम महज़ किताबों तक सीमित रह जाते हैं और जनता की उम्मीदें मद्धम पड़ने लगती हैं।

*इस मामले में कलेक्टर अनूपपुर हर्षल पंचोली ने कहा है कि आज बंद करवा दूंगा मैं*

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