मां नर्मदा के पावन तट पर, शांति कुटी आश्रम में आरंभ हुई सप्त दिवसीय श्री नर्मदा महापुराण कथा
*भक्ति, संगीत और आस्था का अद्भुत संगम, गूंज उठा आश्रम “हर हर नर्मदे” के जयघोष से*
अनूपपुर
नर्मदा उद्गम की पवित्र भूमि अमरकंटक में स्थित श्री शांति कुटी आश्रम का वातावरण इन दिनों अलौकिक आध्यात्मिक आभा से आलोकित है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से सप्तदिवसीय श्री नर्मदा महापुराण कथा का मंगलारंभ हुआ है, जो 29 अक्टूबर (अष्टमी तिथि) तक चलेगी।
कथा का यह दिव्य आयोजन मीरा गोस्वामी, शरद गोस्वामी, प्राची वैभव मिश्रा एवं उमा वीरेंद्र मिश्रा द्वारा अपने भ्राता स्वर्गीय देवकीनंदन गोस्वामी की पावन स्मृति में संपन्न कराया जा रहा है। इस कथा का संगीतमय, रसपूर्ण अमृतवर्षा सागर (म.प्र.) के मगरोन से पधारे सुप्रसिद्ध कथा वाचक एवं गौसेवक पंडित बृजेश दुबे महाराज अपने मधुर कंठ से कर रहे हैं।
कथा के प्रारंभ से पूर्व आश्रम से एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई — गाजे-बाजों, शंखध्वनि और जयघोषों के साथ भक्तों की टोलियाँ मां नर्मदा के उद्गम स्थल की ओर बढ़ीं। सुहावने भक्ति वातावरण में सजी महिलाएँ पारंपरिक वेशभूषा में कलश धारण कर नाचती-गाती, भजनों की मधुर लहरियों में लीन रहीं। नर्मदा कुंड मंदिर पहुंचकर विधिपूर्वक कलश पूजन एवं नर्मदा पुराण की आराधना संपन्न हुई। तत्पश्चात शोभायात्रा पुनः आश्रम लौटी, जहाँ आरती और मंगलध्वनि के साथ कथा का शुभारंभ हुआ।
आश्रम प्रांगण में हर दिशा से भक्ति की सुगंध, दीपों की आभा और मां नर्मदा की कृपा झलक रही है। कथा श्रवण के समय भक्तजन भाव-विभोर होकर मां के चरणों में अपने हृदय अर्पित कर रहे हैं। यह सप्तदिवसीय श्री नर्मदा महापुराण कथा 29 अक्टूबर को पूर्णाहुति, हवन और महाभंडारे के साथ संपन्न होगी।
गोस्वामी परिवार ने नगरवासियों, भक्तजनों और तीर्थयात्रियों से करबद्ध निवेदन किया है कि वे समय पर उपस्थित होकर इस संगीतमय आध्यात्मिक कथा अमृत का श्रवण करें और अपने जीवन को नर्मदा मय बना लें। “नर्मदा उद्गम की धरती पर गूंजी भक्ति की स्वर-लहरियाँ — शांति कुटी आश्रम में आरंभ श्री नर्मदा महापुराण कथा।
