धान पर संकट, फसले हो रही है बर्बाद, बरसात ने तोड़ा पांच साल का रिकॉर्ड, 131 मिमी ज्यादा बारिश

धान पर संकट, फसले हो रही है बर्बाद, बरसात ने तोड़ा पांच साल का रिकॉर्ड, 131 मिमी ज्यादा बारिश

*दैनिक मजदूरी पर निर्भर लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट हो सकता है खड़ा*


उमरिया 

जिले मे बारिश का कहर लगातार जारी है और अब अक्टूबर के पहले सप्ताह में भी राहत की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। बीते 24 घंटों में जिले में 11.7 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिससे इस वर्ष कुल वर्षा का आंकड़ा 1346.7 मिमी तक जा पहुंचा है। यह औसतन सामान्य वर्षा 1215.7 मिमी से 131 मिमी अधिक है। मौसम विभाग के अनुसार, वर्ष 2024-25 की बारिश ने पिछले पांच वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और आने वाले महीनों में यह आंकड़ा और भी ऊपर जा सकता है। अब तक सबसे अधिक वर्षा वर्ष 2019-20 में 1505.5 मिमी दर्ज की गई थी, और यदि यही रुझान बना रहा, तो यह रिकॉर्ड भी टूट सकता है।

इस वर्ष जिले के अधिकांश किसान जून से ही सक्रिय हो गए थे और बारिश की अच्छी शुरुआत से उत्साहित होकर कर्ज लेकर बड़े पैमाने पर खरीफ की फसलें बोईं। उरद, सोयाबीन, तिल को किसान उम्मीद से लहलहाते देख रहे थे, लेकिन अब वही फसलें पानी मे गलकर बर्बाद हो चुकी हैं। वहीं, रबी फसलों की तैयारी पूरी तरह से ठप हो गई है। अलसी, सरसों, चना, मसूर जैसी दालों की बुआई करने तक का अवसर किसानों को नहीं मिल पाया। सबसे चिंताजनक स्थिति धान की फसल को लेकर है, जो जिले के लिए प्रमुख नकदी फसल मानी जाती है। बारिश और तेज हवाओं के कारण कई क्षेत्रों में धान की फसल गिरकर जमीन से चिपक गई है, जिससे कटाई मुश्किल हो गई है। कई खेतों में बालियां पक चुकी हैं, लेकिन अधिक नमी के कारण कटाई संभव नहीं है। ऊपर से फसल में रोग लगने की आशंका भी तेजी से बढ़ रही है। किसान अब ईश्वर और मौसम पर ही निर्भर हैं कि कब राहत मिले।

*बरसात का रिकॉर्ड, अब तक की स्थिति*

वर्ष                        वर्षा (मिमी में)

2019-20                   1505.5

2020-21                   1359.3

2021-22                   1002.1

2022-23                   1215.7

2023-24                   1053.0

2024-25 (अब तक)    1346.7

मौसम विभाग हर वर्ष 1 जून से 31 मई तक वर्षा का आंकड़ा रिकॉर्ड करता है। इस लिहाज से वर्षा सत्र अभी पूरा आठ महीने शेष है। यदि मौसम का यही रुख रहा तो यह साल जिले में अब तक की सबसे ज्यादा बारिश वाला वर्ष बन सकता है।

गांवों से मिल रही जानकारी के अनुसार, लगातार हो रही बारिश से किसान मानसिक और आर्थिक दोनों रूप से गहरे संकट में हैं। कई किसानों ने अपने खेतों में फिर से बोवाई की कोशिश की, लेकिन मूसलधार बारिश ने उनके प्रयासों को भी बर्बाद कर दिया। जिन किसानों ने धान की रोपाई समय पर की थी, अब वही सबसे अधिक चिंता में हैं क्योंकि धान की कटाई का समय नजदीक है, और बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही। यदि मौसम अब भी साथ दे दे, तो धान से रिकॉर्ड पैदावार हो सकती है, लेकिन अगर बारिश यूं ही जारी रही, तो साल भर की मेहनत पानी में बह जाएगी।

केवल किसान ही नहीं, बल्कि जिले का व्यापारिक और निर्माण क्षेत्र भी बारिश की मार से कराह रहा है। खेतों में जलभराव के कारण कृषि उपकरणों की बिक्री रुक गई है। वहीं, निर्माण कार्य पूरी तरह बंद पड़े हैं। पेंट, चूना, हार्डवेयर और भवन निर्माण सामग्री से जुड़े कारोबारी भारी नुकसान झेल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साधन लगभग शून्य हो गए हैं, जिससे दैनिक मजदूरी पर निर्भर लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

उमरिया जिले की अर्थव्यवस्था में धान उपार्जन की मजबूत भूमिका है। हर साल हजारों किसान अपनी धान उपज से लाखों-करोड़ों की आमदनी करते हैं। यह पैसा जब बाजार में आता है तो व्यापार में उछाल आता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। लेकिन इस बार हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि धान का सही समय पर उपार्जन भी संदेह के घेरे में है। इससे न केवल किसान, बल्कि व्यापारी, मजदूर, परिवहन सेवा और अन्य छोटे कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।

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