कुत्तों को सुप्रीम कोर्ट से राहत क्या मिली कि चूहे भी सिर चढ़कर हरकतें करने लगे- आवारा कलम, दिनेश अग्रवाल
*(बिल)*
शहडोल
कुत्तों को सुप्रीम कोर्ट से राहत क्या मिली कि चूहे भी सिर चढ़कर हरकतें करने लगे, उस इंदौर के एम वाय अस्पताल में चूहों ने कुतर-कुतर कर दो नवजात शिशुओं की जान ले ली,साफ-सफाई में सिरमौर बने इंदौर के भीतर इतने चूहे हैं कि वे इंसानी औलादों का मर्डर करने लगे? ये भी अब सुनने में आ रहा है कि नगर निगम हजारों चूहों को मारने का प्लान बना रही है । शायद , गणेश विसर्जन का उसे इंतजार हो। गणेश उत्सव पंडालों में इतनी प्रसादी इन चूहों का पेट नहीं भर सकी जो वे नामी-गिरामी एम वाय अस्पताल को अपना बिल बनाने पहुंच गये। मतलब भगवान गणेश बिराजे हैं तो चूहों की दादागिरी चलेगी वह भी हिंसात्मक?
सुना तो पहले भी बहुत था कि चूहा और अफसर किसी भी हालत में कहीं भी अपना बिल बना लेते हैं । महानगर निगम अगर गणेश वाहनों का सफाया करने पर अमादा है तो वह सतर्क रहे ताकि वह चूहा भक्तों को हैण्डिल कर सके वर्ना चूहा भक्त हाई कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दे सकते हैं। कुत्तों के समर्थकों ने भी तो ऐसा ही किया था।
कोर्ट में बात यदि गई तो वहां पूंछा जा सकता है कि शिशुओं को चूहों ने क्या एनस्थीसिया देने के बाद कुतरा था--? जिससे वे रोये नहीं और एन आई सी यू वार्ड की ब्रिगेड को पता ही नहीं चला अथवा उस वार्ड में कोई ब्रिगेड ही तैनात नहीं थी, सारे बच्चे राम-भरोसे गहन चिकित्सा ईकाई में पड़े थे। यह अव्यवस्था यदि है तो सड़क पर पड़े और अस्पताल में पड़े बच्चे में क्या फर्क है?