राशन कार्ड बनाने के नाम पर ग्रामीणों से की जा रही है,उपसरपंच पर ग्रामीणों ने लगाया आरोप
*सरपंच व पटवारी को अपने प्रभाव में लेकर उपसरपंच पर रहा है वसूली*
अनूपपुर
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्वारा भ्रष्टाचार एवं ठगी की घटनाएँ अक्सर सामने आती रहती हैं। यह समस्या विशेष रूप से तब और गंभीर हो जाती है जब गरीब और अशिक्षित ग्रामीणों को उनके मूलभूत अधिकारों और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर ठगा जाता है। ऐसा ही एक चौंका देने वाला मामला ग्राम पंचायत सिंघौरा से सामने आया है, जहाँ के उपसरपंच जगनारायण यादव उर्फ बबलू यादव पर राशन कार्ड बनाने के नाम पर निर्धन ग्रामीणों से रिश्वत लेने और उन्हें ठगने के गंभीर आरोप लगे हैं
*उपसरपंच द्वारा ठगी की कहानी*
ग्राम सिंघौरा की निवासी शारदा यादव ने उपसरपंच जगनारायण यादव उर्फ बबलू यादव पर राशन कार्ड बनाने के नाम पर 3,500 रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। शारदा के अनुसार, उपसरपंच ने उनसे पैसा लेकर राशन कार्ड बनवाने का वादा किया था, लेकिन न तो उनका राशन कार्ड बना और न ही ली गई राशि वापस की गई। शारदा का कहना है कि उपसरपंच लगातार आज दूंगा कल दूंगा कहकर टालमटोल कर रहा है शारदा यादव ने बताया कि मेरे अलावा और गांव के अन्य ग्रामीणों से भी राशन कार्ड और अन्य कामों के नाम पर पैसा लिया है। उपसरपंच अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए सरपंच सचिव पटवारी को अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर ग्रामीणों को आसानी से अपने प्रभाव में ले लेता है और उन्हें लोभ देकर पैसे ऐंठता है
इसी गाँव में पूर्व पटवारी अजय बघेल पर भी ग्राम सिंघौरा के निवासी गेंद लाल यादव से 5,000 रुपये राशन कार्ड बनाने के लिए है कार्ड के अलावा किसानों के नक्शा तरबिन सीमांकन नामांतरण आदि में भी पूर्व पटवारी द्वारा मोटी रकम ली है पटवारी और उपसरपंच के दोनों साथ मिलकर गरीबी रेखा कार्ड में भी लाखों रुपए लिए है इससे स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार का मामला है जहाँ कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि मिलकर गरीब ग्रामीणों का शोषण कर रहे हैं ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण स्थानीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि अक्सर भ्रष्टाचार करने में सफल हो जाते हैं।
राशन कार्ड जैसी योजनाएँ विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए बनाई गई हैं इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार केवल वास्तविक जरूरतमंद व्यक्ति ही राशन कार्ड के पात्र होते हैं लोभ देकर ठगी: जनप्रतिनिधि ग्रामीणों को तुरंत काम कराने का लालच देकर रिश्वत की माँग करते हैं जानबूझकर देरी काम में जानबूझकर देरी करके ग्रामीणों को विवश किया जाता है कि वे रिश्वत दें अधिकारियों की सांठगांठ: विभिन्न स्तरों के अधिकारी और जनप्रतिनिधि मिलीभगत से काम करते हैं, जिससे भ्रष्टाचार का चक्र बना रहता है डराना-धमकाना: अगर कोई ग्रामीण विरोध करने की कोशिश करता है, तो उसे डरा-धमकाकर चुप करा दिया जाता है।