क्षमा का दिव्य संदेश, पर्यूषण पर्व के समापन पर आदिनाथ भगवान की निकाली गई शोभायात्रा
अनूपपुर
नर्मदा के पावन उद्गम स्थल, देवत्व और साधना की भूमि अमरकंटक सोमवार को क्षमा, करुणा और मैत्री के दिव्य भाव से अभिभूत हो उठा। दिगंबर जैन समाज के दशलक्षणा पर्यूषण पर्व के समापन अवसर पर आदिनाथ भगवान की भव्य शोभायात्रा नगर की गलियों से गुजरी, तो सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक माधुर्य से गूंजायमान हो उठा। भोर की पावन बेला सुबह की सुनहरी किरणों के साथ दिगंबर जैन मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान आरंभ हुए। प्रातः 8 बजे भगवान आदिनाथ का अभिषेक संपन्न हुआ।
8:30 बजे शांति धारा का आयोजन हुआ। 10 बजे क्षमावाणी सभा में जैन समाज ने क्षमा, करुणा और मैत्री के संदेश को आत्मसात किया सभा में उपस्थित समाज जनों ने हाथ जोड़कर एक-दूसरे से क्षमा याचना की और जीवन में सद्भाव व अहिंसा का संकल्प लिया। दोपहर 1 बजे जैन सर्वोदय तीर्थ क्षेत्र से निकली शोभायात्रा मानो एक चलायमान मंदिर प्रतीत हो रही थी। रथनुमा वाहन पर मंदिर प्रतिकृति में विराजमान भगवान आदिनाथ की प्रतिमा, चारों ओर सजावट, और आगे-आगे धर्म ध्वज लिए श्रद्धालु – यह दृश्य भक्तिरस से ओतप्रोत कर देने वाला था।
ढोल-नगाड़ों की गूंज, बैंड-बाजों की ध्वनि और भजन-कीर्तन की लहरियों ने नगर के कोने-कोने में धार्मिक उल्लास बिखेर दिया। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में मंगलगीत गाती चल रही थीं, वहीं पुरुष भक्तजन नृत्य करते हुए भगवान के चरणों में अपनी भक्ति अर्पित कर रहे थे।नगर भ्रमण करते हुए यह भव्य शोभायात्रा 3:30 बजे पुनः जैन मंदिर परिसर में संपन्न हुई।
रात्रि 8 बजे संगीतमय आरती का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालु दीपों की ज्योति के साथ भगवान की महिमा गा रहे थे। आरती उपरांत क्षमावाणी का आयोजन हुआ, जहाँ भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने वातावरण को भावविभोर कर दिया।