रेलवे रिजर्वेशन केंद्र ठप्प, सर्वर की समस्या से 1 सप्ताह से बंद पीआरएस, तीर्थयात्रियों को हो रही परेशानी
*रेलवे के दावे खोखली, स्थानीय जनप्रतिनिधि सवालों के घेरे में*
अनूपपुर
मध्यप्रदेश की पावन धरा, मां नर्मदा, सोन और जोहिला नदियों के उद्गम स्थल, पवित्र नगरी अमरकंटक में इन दिनों एक गंभीर समस्या यात्रियों और श्रद्धालुओं को झकझोर रही है। डाकघर परिसर में स्थित रेलवे का रिजर्वेशन केंद्र (पीआरएस) पिछले पंद्रह दिनों से अधिक समय से बंद पड़ा है। इस केंद्र पर आने वाले देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालु और पर्यटक टिकट न मिलने से मायूस होकर लौट रहे हैं। सर्वर की समस्या का बहाना बनाकर रेलवे ने अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया, जिससे यात्रियों का भरोसा टूटता जा रहा है।
*यात्रियों की परेशानी, बढ़ा आर्थिक बोझ*
रेलवे रिजर्वेशन न होने के चलते यात्रियों को अब पेंड्रा रोड या अनूपपुर जैसे दूरस्थ स्टेशनों का रुख करना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें न सिर्फ अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ रहा है, बल्कि समय भी बर्बाद हो रहा है। स्थानीय नागरिक बताते हैं कि कई बार तीर्थयात्री अंतिम समय में टिकट न मिलने से अपनी यात्रा स्थगित करने को मजबूर हो जाते हैं।
“तीर्थयात्रा पर आए श्रद्धालु कहते हैं कि जब अमरकंटक जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त धार्मिक स्थल पर ही टिकट की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी, तो यह रेलवे के दावों पर सवाल खड़ा करता है।”
*धार्मिक आयोजनों के बीच संकट*
इस समय अमरकंटक के अनेक आश्रमों और कथा स्थलों में श्रीमद्भागवत महापुराण, शिव महापुराण और नर्मदा महापुराण की कथाएँ चल रही हैं। इन आयोजनों में प्रतिदिन 300 से 400 भक्त सम्मिलित हो रहे हैं। सात दिवसीय कथा उपरांत जब श्रद्धालु अपने गृह क्षेत्र लौटने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें टिकट न मिलने के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। रेलवे की इस लापरवाही से उनकी आस्था को ठेस पहुँच रही है और वे विवश होकर आसपास के बड़े स्टेशनों पर निर्भर हो रहे हैं।
*रेलवे के दावे और जमीनी हकीकत*
रेलवे प्रशासन अक्सर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सुविधा हेतु आधुनिक सेवाएँ उपलब्ध कराने का दावा करता है। अमृत महोत्सव के नाम पर योजनाएँ और घोषणाएँ भी होती रही हैं। लेकिन अमरकंटक जैसी जगह, जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के विभिन्न हिस्सों से पहुँचते हैं, वहाँ पर रिजर्वेशन सुविधा का लगातार बंद रहना इन दावों की पोल खोल रहा है। स्थानीय डाकघर के उपडाकपाल ने कई बार रेलवे बिलासपुर को स्थिति से अवगत कराया है, लेकिन विभाग ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
*स्थानीय जनप्रतिनिधि सवालों के घेरे में*
जनता का कहना है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन भी इस विषय पर सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे। जबकि अमरकंटक की पहचान देशभर में नर्मदा उद्गम स्थल के रूप में है और यहाँ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें लाखों रुपये खर्च करती हैं। फिर भी, ऐसी छोटी मगर अहम सुविधा का बाधित रहना, यात्रियों की परेशानियों को और बढ़ा देता है।“अमरकंटक में कोई अधिकृत रेलवे एजेंट नहीं होने से समस्या और गंभीर हो गई है।”
*त्वरित हस्तक्षेप की मांग*
अमरकंटक के नागरिकों, साधु-संतों और तीर्थयात्रियों ने एकजुट होकर रेलवे प्रशासन, बिलासपुर मंडल, अनूपपुर जिला प्रशासन और शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। सभी का कहना है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह समस्या अमरकंटक की छवि और यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के अनुभव को गहराई से प्रभावित करेगी। जनआवाज़ साफ है, अमरकंटक में पीआरएस सेवा तत्काल बहाल होनी चाहिए।