दशकों से अधुरें पडे शासकीय भवनों से विभाग ने मुंह मोडा, करोड़ों रूपये लागत के बाद समस्यायें जस की तस

दशकों से अधुरें पडे शासकीय भवनों से विभाग ने मुंह मोडा, करोड़ों रूपये लागत के बाद समस्यायें जस की तस


उमरिया

उमरिया जिले में शासकीय कार्यों में मची अंधेर गर्दी का आलम यह है की कोई भी व्यवस्था सुचारू रूप से चलती दिखाई नहीं देती है। विकास कार्य शुरू तो हो जाते हैं, लेकिन वह पूरे कब होगें, की भूमि पूजन और शिलान्यास के पश्चात भष्ट्राचार की बलि वेदी पर चढ़ जायेगें। किसी भी गुणवत्ता के साथ पूरे हो जाये तो वह मेहरबानी मानी जानी चाहिए। ऐसे सैकड़ों शासकीय भवन गाँव गाँव में देखने को मिल जायेगें जो दशकों पहले शुरू हुये थे लेकिन आज भी पूरे होने की राह जोट रहे हैं। ऐसा ही एक संवेदनहीन मामला जिले के करकेली जनपद पंचायत के कल्दा ग्राम पंचायत के ईशनपुरा प्राथमिक विद्यालय का देखने  में आया है, जो की पिछले पंच वर्षीय वर्ष 2011-12 में ग्राम पंचायत को कार्य एजेंसी बनाकर प्रांरभ किया गया था, जो आज भी अधूरा बना हुआ है और खंडहर होने की राह पकड़ लिया है। इस निर्माण धीन विद्यालय को पूरा कराने की चिंता किसी को नहीं है, न निर्माण एजेंसी को और न ही राशि आंबटित करने वाले विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को और न ही कार्य की देख रेख करने वाले अधिकारियों को सब के सब इस ओर से निश्चित नजर आ रहें हैं और जिस भवन में नौनिहाल शिक्षार्थियों को शिक्षा ग्रहण करना था वह आज भी इंतजार करते करते विद्यालय से जैसे -तैसे अपनी पढाई पूरी कर दुसरे विद्यालयों में चले गए, या की पढ़ाई छोड़ अपने राह पर चल पडे हैं।

अभी हाल में ही अति वर्षा के कारण पुरानी और जर्जर भवनों से हटकर विद्यालय और आंगनबाडी के नौनिहालों को जहाँ- तहाँ शरण लेना पडा है।तब भी उमरिया जिले के आलाकमान अधिकारियों को अधूरें बने भवनों की सुध नहीं आयी। उमरिया जिले का दुर्भाग्य ही ऐसा है की यहाँ के प्रशासनिक अधिकारियों को अपने से निर्णय लेने की, कुछ बेहतर करने का सलीका आता ही नहीं है। भोपाल से आये सरकारी फरमानो के पालन के अलावा जो चीजें पीछे छूट गयी है, उन्हें भी पीछे पलट कर देखें और उसे ठीक करने की कोशिश करें।

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