विश्व आदिवासी दिवस पर रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल पर श्रद्धांजलि समारोह

विश्व आदिवासी दिवस पर रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल पर श्रद्धांजलि समारोह

*ग्राम व नगर से बड़ी संख्या में आदिवासी भाई-बहनों ने की भागीदारी*


अनूपपुर

जिले के कोतमा नगर के कुदराटोला (गोहनड़ा) में आयोजित कार्यक्रम में जनपद-पंचायत के अध्यक्ष  जीवन सिंह धुर्वे मुख्य अतिथि रहे, सामाजिक संगठन एवं महिला प्रकोष्ठ ने सांस्कृतिक कार्यक्रम कराये तथा जल, जंगल व जमीन के संरक्षण पर जोर दिया गया। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कुदराटोला (गोहन्द्रा) में आयोजित श्रद्धांजलि एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में आसपास के ग्रामों व नगर से बड़ी संख्या में आदिवासी भाई-बहनों ने भाग लिया। समारोह का आयोजन रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल पर किया गया, जहाँ आदिवासी संस्कृति, परंपरा और स्वाभिमान को प्रदर्शित करने वाले कार्यक्रम आयोजित किए गए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में  जीवन सिंह धुर्वे अध्यक्ष जनपद-पंचायत, कोतमा विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता ध्यान सिंह श्याम अध्यक्ष गोंड़ समाज महासभा, अनूपपुर द्वारा की गई, जबकि  विद्यावती श्याम अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ ने आयोजन की प्रमुख महिला उपस्थिति और समर्थन प्रदान किया। सामाजिक सेवियों व स्थानीय सरपंचों ने भी समारोह में भाग लेकर कार्यक्रम को शोभा दी।कार्यक्रम की शुरुआत रानी दुर्गावती प्रतिमा पर पुष्पांजलि और श्रद्धांजलि अर्पित कर हुई। आयोजकों ने कहा कि आदिवासी जीवन शैली, कला, वेश-भूषा और सांस्कृतिक विविधताओं को संजोकर रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। आयोजन के दौरान जल, जंगल और जमीन के संरक्षण पर विशेष चर्चा हुई तथा आगे चलकर सामुदायिक स्तर पर संरक्षणात्मक पहलों को सक्रिय करने का संकल्प लिया गया।

इस अवसर पर क्षेत्र के कई गणमान्य लोग और समाजसेवी उपस्थित रहे आयोजकों ने बताया कि आसपास के गांवों व नगरों से आने वाली समस्त आदिवासी बहनों-भाइयों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। कार्यक्रम में आदिवासी सांस्कृतिक प्रस्तुति, गीत-नृत्य और पारम्परिक वेशभूषा की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। महिला प्रकोष्ठ के सदस्यों ने नृत्य और लोकगीत प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। साथ ही स्थानीय स्तर पर महिलाओं के सशक्तिकरण और बच्चों की शिक्षा पर भी चर्चा हुई। मुख्य अतिथि जीवन सिंह धुर्वे ने अपने संबोधन में कहा “आदिवासी समाज की संस्कृति और अंतरंग परंपराओं का संरक्षण न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह पर्यावरण-सुरक्षऔर जीवन के टिकाऊ मूल्यों का प्रतीक भी है। हमें युवा पीढ़ी को इन रीतियों और ज्ञान से जोड़ना होगा।” कार्यक्रम के आयोजकों ने भी इस अवसर पर सामुदायिक विकास, स्वच्छता व जल संरक्षण के लिये आगामी योजनाओं का ऐलान किया।

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