बसों का बेलगाम आतंक, प्रशासन मूकदर्शक, यात्री बसो में किराया सूची गायब, विभाग मौन
अनूपपुर
जिले में यात्री बस संचालन पर जिम्मेदार विभागों की पकड़ पूरी तरह ढीली पड़ चुकी है। परिवहन व्यवस्था के नाम पर खुलेआम लूट मची है और आरटीओ व यातायात विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं। न तो नियमों का पालन हो रहा है, न ही यात्रियों के अधिकारों की रक्षा। परिणामस्वरूप बस संचालक यात्रियों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं।
जिले में चलने वाली अधिकांश यात्री बसों में किराया सूची प्रदर्शित नहीं की गई है, जबकि परिवहन नियमों के तहत यह अनिवार्य है। स्थिति यह है। कि अनूपपुर से राजेंद्रग्राम की दूरी 31 किलोमीटर की दूरी और किराया 50 रुपए इसी प्रकार अनूपपुर से अमरकंटक की दूरी 69 किलोमीटर है और किराया 100 रूपए वसूला जा रहा है, जो निर्धारित किराए से कहीं अधिक है। इतना ही नहीं, किराया लेने के बाद भी यात्रियों को टिकट नहीं दी जाती। टिकट मांगने पर डुप्लीकेट टिकट में राशि लिखकर थमा दी जाती है, जिस पर न तो बस ट्रांसपोर्ट कंपनी का नाम होता है और न यात्री कहां से यात्रा प्रारंभ कर रहा है और कहां तक जाने वाला है उसको भी नहीं दर्शाया जाता , साथ ही किसी प्रकार की आधिकारिक मुहर। यह न केवल यात्रियों के साथ धोखाधड़ी है, बल्कि सरकारी राजस्व की भी सीधी चोरी है।
बसों के चालक और परिचालक बिना यूनिफॉर्म के ड्यूटी पर रहते हैं, जो नियमों का खुला उल्लंघन है। यात्रियों का कहना है कि विरोध करने पर बस कर्मी अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं और बस से उतर जाने की धमकी देते हैं। यात्रियों ने मांग की है कि तत्काल सभी बसों में किराया सूची अनिवार्य रूप से प्रदर्शित की जाए, टिकट प्रणाली को पारदर्शी बनाया जाए, दोषी बस संचालकों और कर्मचारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, और आरटीओ व यातायात विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। अन्यथा यह खुली लूट आने वाले समय में और विकराल रूप ले सकती है।