सोशल मीडिया में पुलिस पर सवाल, 52 हजार के लेनदेन का ऑडियो वायरल, गांजा तस्कर से जुड़ा मामला
*जांच के बाद खुल सकती है सच्चाई*
शहडोल
जिले के जयसिंहनगर क्षेत्र में पुलिस और तस्करों के बीच कथित मिलीभगत का एक बड़ा मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ऑडियो ने पूरे मामले को संदेहास्पद बना दिया है। इस वायरल ऑडियो में दो व्यक्तियों की बातचीत सुनाई देती है, जिसमें एक व्यक्ति पुलिस और तस्करों के बीच दलाली करने वाला बताया जा रहा है, जबकि दूसरा व्यक्ति किसी आरोपी का परिजन या परिचित प्रतीत होता है। बातचीत के दौरान कथित दलाल अपने खाते में पुलिस को देने के लिए 52 हजार रुपये लिए जाने की पुष्टि करता है। लेकिन काम न होने के चलते दूसरा व्यक्ति पैसे की वापसी की मांग करता है।
ऑडियो क्लिप के अनुसार, यह पूरा विवाद जयसिंहनगर पुलिस द्वारा हाल ही में पकड़े गए एक कथित गांजा तस्कर से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। पुलिस ने उस समय आरोपी के घर से करीब 13 किलो गांजा जब्त करने का दावा किया था, साथ ही एक मोटरसाइकिल से भी कुछ मात्रा में गांजा बरामद करने की बात कही थी। वायरल बातचीत में कथित दलाल यह स्वीकार करता है कि पुलिस के लिए पैसे लिए गए थे ताकि इस मामले को हल्का किया जा सके या आरोपी को राहत दिलाई जा सके। लेकिन ऐसा न हो पाने पर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस होती है। हालांकि हाल ए हलचल इस वायरल ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है।
सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे प्रकरण के पीछे जयसिंहनगर थाने में पदस्थ एक आरक्षक नीरज का नाम उछल रहा है। बताया जा रहा है कि नीरज पर लंबे समय से आरोप हैं कि उसकी नजदीकियां नशे के कारोबार करने वालों से हैं। यही कारण है कि कुछ समय पूर्व उसे लाइन अटैच किया गया था, लेकिन कुछ ही समय बाद वह फिर से जयसिंहनगर थाने में सक्रिय हो गया। स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि थाने में चाहे कोई भी थाना प्रभारी पदस्थ हो, लेकिन वास्तविक दबदबा नीरज का ही रहता है।
वायरल ऑडियो की पृष्ठभूमि यह भी इंगित करती है कि पुलिस और तस्करों के बीच कई स्तर पर पैसों का लेनदेन होता है। इस ऑडियो में कथित दलाल साफ तौर पर 52 हजार रुपये पुलिस के लिए लेने और बाद में काम न होने की वजह से पैसे लौटाने की बात करता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह रकम वास्तव में पुलिस तक पहुंची या नहीं। इस मामले में पुलिस का पक्ष सामने नहीं आया है।
इस वायरल ऑडियो ने पुलिस की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों एक आरक्षक को लाइन अटैच किए जाने के बाद भी दोबारा थाने में तैनाती मिल जाती है और क्यों हर बड़े मामले में उसका नाम चर्चा में आता है। फिलहाल वायरल ऑडियो ने पुलिस और तस्करों की संभावित सांठगांठ को लेकर कई परतें खोल दी हैं, जिनका खुलासा जांच के बाद ही हो सकेगा।