स्थानांतरण के बाद भी सहायक संचालक का कुर्सी ने नही छूट रहा मोह, वसूली के लग रहे हैं आरोप
शहडोल
मध्य प्रदेश शासन कृषि मंत्रालय सचिव कृषि के हस्ताक्षर से जारी स्थानान्तरण आदेश दिनांक 17 जून 2025 को जारी हुआ था, सूची में 13 सहायक संचालक कृषि के स्थानान्तरण किये गये हैं। सरल क्रमांक 04 में रमेन्द्र कुमार सिंह सहायक संचालक कार्यालय उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग शहडोल का स्थानांतरण कार्यालय उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग मुरैना हुआ था। जो भारमुक्त न होकर जनप्रतिनिधयों को राजनैतिक दबाव दिया जाकर स्थानान्तरण निरस्त कराने एवं भारमुक्त न करने के संबंध में दबाव बनाया जा रहा है। रमेन्द्र सिंह कृषि कार्यालय शहडोल में 7 से 8 वर्षो से पदस्थ है, जिले में खाद बीज के व्यापारियों से अवैधानिक रुप से भारी भरकम राशि की वसूली की जा रही है, जो दुकानदार पैसा नहीं देते उनकी खाद बीज सामग्री जब्त कर कार्यवाही की जाती है, जो पैसा देता है उनके यहाँ नमूना नहीं लिया जाता है और उनको छोड दिया जाता है। पूरे जिले में इस तरह की अवैध वसूली कई वर्षों से कर हैं, इनकी पूरे जिले में गहरी पैठ बन चुकी हैं, रूपयो के दम पर नेताओ व जनप्रतिनिधियों से अच्छी जान पहचान बन जाने के कारण इनके ऊपर कोई भी कार्यवाही नही हो पाती, अवैध वसूली की मोह के चक्कर में भारमुक्त नहीं होना चाहते। स्थानांतरण होने के बाद पुराने जगह में जमे अधिकारी नई जगह जाने में परहेज कर कर रहे हैं जिसे देखते हुए संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विभाग भोपाल के पत्र क्रमांक 2063 दिनांक 30 जून 2025 स्थानांतरित अधिकारियों की जानकारी मांगी गई थी और पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि स्थानांतरित अधिकारियों को तत्काल भारमुक्त करके जानकारी भेजी जाए, 15 दिन बीत जाने के बाद भी भारमुक्त नहीं हुए हैं। खाद बीज दुकानदार नाम न छापने पर बताते हैं कि रमेन्द्र सिंह दुकानदारों से कार्यवाही न करने के नाम पर हर माह छोटी व बड़ी दुकानदारो से एक मोटी रकम वसूलते हैं। जो रकम देने में आना कानी करते हैं उन लोगो पर विभागीय कार्यवाही करवा देते हैं। अगर इनका पुराने से लेकर आज तक का रिकॉर्ड खंगाला जाए तो कुछ ही दुकानों पर कार्यवाही हुई है, बाकी सबको पूरी तरह अभयदान दिया हुआ है। दुकानदार जितना रकम कृषि विभाग के अधिकारियों को देते हैं उससे दुगना गरीब किसानों से वसूलते है। ऐसे अधिकारियों को जल्द से जल्द प्रशासन को भारमुक्त करके किसी अन्य अधिकारी को चार्ज दे देना चाहिए, और इनके कार्यकाल की जांच कराया जाना चाहिए। तो सब कुछ सामने आ जायेगा।