फर्जी इकरारनामा बनाकर हड़पी भूमि, नकली दस्तावेज़, फर्जी गवाह व कब्जे की कहानी, प्रशासन मौन
*तीन मंजिला इमारत बनाकर किराये पर देकर कमा रहा हैं रुपया*
अनूपपुर
जिला अनूपपुर के जैतहरी क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक शातिर व्यक्ति नंदलाल सोनी ने फर्जी इकरारनामा तैयार कर बेशकीमती जमीन हड़पने की साजिश रच डाली। यह विवाद खसरा नंबर 547 की भूमि से जुड़ा है, जो न तो किसी की वसीयत में दर्ज है और न ही उसका कोई उत्तराधिकारी मौजूद है। फिर भी नंदलाल ने न केवल इस भूमि पर कब्जा कर लिया, बल्कि दो और तीन मंजिला इमारत भी बनवा दी और उसे किराए पर देकर अवैध रूप से कमाई भी कर रहा है।
मामले की शुरुआत 16 मार्च 2019 को तैयार किए गए एक कथित भूमि विक्रय इकरारनामा से होती है, जिसमें प्रथम पक्ष के रूप में एक वृद्ध रामनाथ पिता स्व. बजरंगी, निवासी पेण्ड्रा रोड, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) को दर्शाया गया है। लेकिन मजे की बात यह है कि उक्त व्यक्ति के स्थानीय होने का कोई वैध प्रमाण नहीं है। न तो उसका पता प्रमाणित है, न ही कोई पहचान पत्र, और न ही यह साबित हो सका कि वह उस दिन जैतहरी में मौजूद था या नहीं। इतना ही नहीं, नंदलाल ने इस फर्जी दस्तावेज़ में दो गवाहों के हस्ताक्षर भी करवा लिए जिनमें से एक अरुण गुप्ता और दूसरा अजय खटवानी बताए गए हैं। बाद में जब इनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें इस इकरारनामे की कोई जानकारी नहीं है, न ही उन्होंने जानबूझकर किसी विक्रय में गवाही दी है। इससे स्पष्ट होता है कि यह इकरारनामा पूरी तरह से कूट रचित व अवैध है।
इसके बावजूद नंदलाल सोनी ने उक्त भूमि पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया और बगैर किसी पंजीयन (रजिस्ट्री) के दो से तीन मंजिला मकान खड़ा कर लिया, जिसे वह अब किराए पर देकर आर्थिक लाभ उठा रहा है। यह पूरा मामला न केवल जमीन कब्जा करने का है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर सवालिया निशान भी खड़े करता है।
क्या रजिस्ट्री विभाग और नगर पंचायत को इसकी जानकारी नहीं है।बिना वैध दस्तावेज़ के बिजली, पानी और अन्य सुविधाएं कैसे स्वीकृत हुईं। क्या प्रशासन इस जालसाजी पर कोई सख्त कदम उठाएगा या नंदलाल जैसे लोग यूं ही सालों तक सरकारी जमीनों पर कब्जा कर पैसा कमाते रहेंगे। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए। साथ ही, इस जमीन को शासन के नाम पर पुनः दर्ज कर अवैध निर्माण गिराया जाए। यदि अब भी शासन-प्रशासन ने आंखें मूंदी रखीं, तो ऐसे मामलों की बाढ़ आ जाएगी, और भू-माफियाओं को खुली छूट मिल जाएगी।