आधे से ज्यादा रुपये की हो गई निकासी, खेत, तालाब के नाम पर सिर्फ खोद दिया सिर्फ गड्ढा
*सकोला पंचायत बनी भ्रष्टाचार की मिसाल, किसान के नाम पर निकासी*
अनूपपुर
जिले के जनपद पंचायत अनूपपुर की ग्राम पंचायत सकोला में मनरेगा के अंतर्गत स्वीकृत खेत तालाब योजना, अब एक और सरकारी छलावे का उदाहरण बन गई है, जिसमें योजना तो कागजों में पूरी हो गई, पर ज़मीन पर किसान के हिस्से सिर्फ़ एक गड्ढा और भारी निराशा आई।किसान गुलाब सिंह के नाम स्वीकृत इस योजना की लागत ₹4,09,523 थी, जिसमें से ₹2,35,000 की निकासी आज तक हो चुकी है।लेकिन जो ‘तालाब’ बना है, वह मात्र 5x10 मीटर का एक अधूरा गड्ढा है न तो उसमें पानी रुकेगा, न किसान की उम्मीद।अब यह सवाल रह नहीं गया कि योजना अधूरी क्यों है। असल सवाल यह है कि जब योजना का भौतिक कार्य हुआ ही नहीं, तो भुगतान कैसे और क्यों हुआ, इसका जवाब सीधे तौर पर उन अधिकारियों की ओर जाता है, जिनका कर्तव्य था रोकना, पर उन्होंने आँखें मूंद लीं।
रोजगार सहायक रमेश विश्वकर्मा योजना का प्रस्ताव, मजदूरी का सत्यापन, मस्टर रोल की पुष्टि इनकी निगरानी में होता है। सब इंजीनियर लव श्रीवास्तव, जिनकी तकनीकी जांच पर पूरा भुगतान आधारित होता है। एसडीओ की जिम्मेदारी निरीक्षण और अनुमोदन की होती है, उन्होंने हस्ताक्षर कर दिए बिना यह सुनिश्चित किए कि खेत तालाब का कार्य हुआ है या नही। APO ने कार्य अधूरा होने के बावजूद भुगतान की प्रक्रिया आगे बढ़ाई, मास्टर जनरेट किया, और कोई आपत्ति नहीं उठाई।मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत सब जानकर भी चुप है, जब ज़मीन पर कुछ नहीं है और पैसे निकल चुके हैं, जब सवाल उठ रहा है न कोई जांच न कार्यवाही मौन रहकर भ्रस्टाचार में सहमति।
गुलाब सिंह के खेत में तालाब नहीं बना, लेकिन इस योजना ने प्रशासनिक व्यवस्था का असली चेहरा जरूर दिखा दिया, जहां योजनाएं चंद लोगों की धन उगाही की स्कीम बन चुकी हैं, और किसानों की ज़रूरतें कागज़ के बोझ तले दम तोड़ रही हैं।