स्टोर इंचार्ज पर दवाइयों की कालाबाजारी के लगे आरोप, सीएमएचओ कार्यालय में लंबे समय है पदस्थ

स्टोर इंचार्ज पर दवाइयों की कालाबाजारी के लगे आरोप, सीएमएचओ कार्यालय में लंबे समय है पदस्थ

*बुढार स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ, वेतन वहीं से फिर भी वर्षों से शहडोल में ही “अटैच”*


शहडोल

जिले के स्वास्थ्य विभाग में एक बार फिर नियमों की अनदेखी और पद के दुरुपयोग का गंभीर मामला सामने आया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) कार्यालय शहडोल में पदस्थ स्टोर इंचार्ज जगदीश प्रसाद गर्ग बीते 15 वर्षों से अधिक समय से “अटैच” चल रहे हैं। जबकि सरकारी नियमों के अनुसार कोई भी कर्मचारी 3 वर्ष से अधिक समय तक किसी एक स्थान पर पदस्थ नहीं रह सकता। गर्ग की मूल पदस्थापना बुढार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में है और वेतन भी वहीं से निकलता है, बावजूद इसके वे वर्षों से शहडोल में ही “जुगाड़” के बल पर जमे हुए हैं। विभाग के उच्चाधिकारियों की मौन सहमति या मिलीभगत की आशंका भी इससे गहराती जा रही है।

प्रदेश शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी कर्मचारी की अटैचमेंट स्थिति 3 साल से अधिक नहीं रह सकती, लेकिन जगदीश गर्ग के मामले में इन नियमों को व्यक्तिगत लाभ के लिए शिथिल कर दिया गया है। वर्ष दर वर्ष उनका नाम तबादला सूची से बाहर रखा गया और वे सीएमएचओ कार्यालय में ही स्टोर और क्रय प्रक्रिया जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को “मैनेज” करते रहे। गर्ग पर सबसे गंभीर आरोप यह है कि स्टोर में आने वाली दवाइयों और उपकरणों की कालाबाजारी की जा रही है। कई बार ऐसे मामलों की जानकारी सामने आई है कि सरकारी अस्पतालों में आने वाली दवाइयां स्थानीय मेडिकल दुकानों में बिकती पाई गईं, लेकिन आज तक किसी स्तर पर गहन जांच नहीं हो पाई।

सूत्रों के अनुसार, गर्ग ने वर्षों में स्टोर का पूरा तंत्र अपने नियंत्रण में ले लिया है, और कौन सी दवा कब आएगी, कहां रखी जाएगी, कब निकाली जाएगी – इन सभी पर उनका एकछत्र अधिकार बना हुआ है। यदि किसी स्तर पर पारदर्शिता लाने की कोशिश होती भी है तो उसे कागजी खानापूर्ति में तब्दील कर दिया जाता है। इस तरह की अनियमितता और पद का अनुचित लाभ लेने के कारण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। समय पर दवाइयों की आपूर्ति नहीं हो पाती, ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में ज़रूरी संसाधनों की कमी बनी रहती है, और अंततः आम नागरिक इसका खामियाजा भुगतते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब कुछ वर्षों से चल रहा है और जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी, यहां तक कि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस पूरे मामले से भलीभांति परिचित हैं, लेकिन किसी ने आज तक इसकी गंभीरता से जांच नहीं करवाई।

अब जब यह मामला सार्वजनिक हो चुका है, स्वास्थ्य विभाग के अफसरों, खासकर सीएमएचओ और जिला कलेक्टर को तत्काल इसकी जांच करानी चाहिए। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो संबंधित अधिकारी और कर्मचारी दोनों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, यह भी देखा जाना चाहिए कि इस अटैचमेंट के पीछे किस स्तर के अधिकारियों की सहमति रही है।जगदीश प्रसाद गर्ग का मामला सिर्फ एक कर्मचारी के पद के दुरुपयोग का नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग में फैले उस “जुगाड़ तंत्र” का उदाहरण है, जो वर्षों से व्यवस्था को खोखला करता आ रहा है। अगर ऐसे मामलों पर समय रहते लगाम नहीं लगाई गई, तो आमजन तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना सिर्फ एक छलावा बनकर रह जाएगा।

Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget