नर्मदा मंदिर परिसर की दीवारों से मिटे नाम, परंपरा के नाम पर गलत संदेश पर लगी रोक

नर्मदा मंदिर परिसर की दीवारों से मिटे नाम, परंपरा के नाम पर गलत संदेश पर लगी रोक

*श्रद्धा के नाम पर हो रहे विकृतिकरण पर लगी रोक*


अनूपपुर/अमरकंटक

पावन नर्मदा उद्गम स्थली अमरकंटक में स्थित मंदिर परिसर की दीवारों पर भक्तों द्वारा सिंदूर से लिखे गए नाम अब अतीत का हिस्सा बन चुके हैं। संस्कृति और श्रद्धा के नाम पर फैल रही इस अनौचित्यपूर्ण प्रवृत्ति पर अब प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट की सख्ती का असर साफ दिख रहा है। प्रकाशित एक समाचार के बाद संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों ने त्वरित कार्यवाही करते हुए मंदिर परिसर की दीवारों की पुताई और रंगाई करवा दी है।

मंदिर परिसर के विभिन्न क्षेत्रों जैसे अमरकंठ महादेव, मां पार्वती मंदिर, भगवान विष्णु तथा गोरखनाथ मंदिर के पिछले हिस्सों में दूर-दराज से आने वाले तीर्थयात्री व श्रद्धालु पूजन-अर्चन के पश्चात दीवारों पर सिंदूर से अपने प्रियजनों के नाम हृदय की आकृति में अंकित कर रहे थे। यह दृश्य जहां एक ओर श्रद्धा का प्रदर्शन प्रतीत होता था, वहीं दूसरी ओर यह पवित्र स्थल की गरिमा और सौंदर्य को ठेस पहुंचा रहा था। इससे संस्कृति और परंपरा को लेकर भ्रम फैल रहा था। पूर्व में प्रकाशित समाचारों में स्पष्ट रूप से प्रशासन का ध्यान इस ओर आकर्षित किया गया था और आग्रह किया गया था कि इस पर शीघ्र रोक लगाई जाए, ताकि यह नकारात्मक परंपरा कोई सामाजिक स्वीकृति न पा सके। नतीजतन, प्रशासन और नर्मदा मंदिर ट्रस्ट ने गंभीरता दिखाते हुए तत्काल कार्रवाई की और दीवारों पर फैले सिंदूर, नामों और आकृतियों को मिटा कर समूचे परिसर की सौंदर्यवृद्धि की।

जिला प्रशासन एवं मंदिर ट्रस्ट ने इस घटना को केवल एक सजावटी समस्या न मानते हुए, इसे धार्मिक स्थल की मर्यादा से जुड़ा विषय माना।  ऐसी गतिविधियों पर नियंत्रण हेतु मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाएगी और साथ ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से लगातार श्रद्धालुओं को जागरूक किया जाएगा। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि जब समाज, मीडिया और प्रशासन एक स्वर में किसी विषय पर चिंतन करते हैं, तो उसके सकारात्मक परिणाम भी शीघ्र सामने आते हैं। धार्मिक स्थलों की गरिमा, शुचिता और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में  यह एक आवश्यक एवं सराहनीय कदम है।

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