कपिलधारा मार्ग की जर्जर हालत बनी संकट का कारण, श्रद्धालुओं व पर्यटक हो रहे हैं परेशान
*जिम्मेदार मौन, जल्द बनाने की उठी मांग*
अनूपपुर/अमरकंटक
पवित्र नगरी अमरकंटक, जो प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम है, इन दिनों एक गंभीर अव्यवस्था की मार झेल रही है। यहां का प्रमुख पर्यटन एवं तीर्थ स्थल कपिलधारा जाने वाला मार्ग बांधा तिराहा से कपिलधारा तक लगभग 5 किलोमीटर लंबी सड़क आजकल अपनी बदहाली की करुण गाथा स्वयं कह रही है। इस मार्ग की हालत इतनी दयनीय हो चुकी है कि राहगीरों के लिए पैदल चलना तक दुश्वार हो गया है। सड़क पर गड्ढों की भरमार है, कहीं-कहीं तो यह स्पष्ट ही नहीं हो पाता कि सड़क में गड्ढा है या गड्ढों में कहीं सड़क बची है। जलजमाव की स्थिति ने राहगीरों, विशेषकर दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह मार्ग और भी खतरनाक बना दिया है। कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें बाइक सवार गिरकर घायल हुए हैं।
*आस्था व प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर कपिलधारा*
कपिलधारा और दूधधारा जैसे जलप्रपात न केवल अमरकंटक के सौंदर्य प्रतीक हैं, बल्कि यह स्थल श्रद्धा का केंद्र भी हैं। यहां पहुंचने वाला हर पर्यटक प्राकृतिक शांति और धार्मिक अनुभूति का अनुभव करना चाहता है। परंतु, मार्ग की दुर्दशा उनके इस अनुभव को बाधित कर रही है। विशेषकर श्रावण मास में, जब कांवड़ यात्रा के दौरान हजारों श्रद्धालु यहां प्रतिदिन पहुंचते हैं, मार्ग की बदहाली और भी ज्यादा तकलीफदेह हो जाती है।
*प्रशासन व विभागीय उदासीनता पर उठ रहे सवाल*
यह मार्ग लोक निर्माण विभाग, पुष्पराजगढ़ उपखंड के अधीन आता है, जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी अमरकंटक के उपयंत्री के पास है। बावजूद इसके, विगत कई महीनों से इस मार्ग की मरम्मत को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई है। यह तथ्य और भी चिंताजनक हो जाता है जब यह ज्ञात हो कि अमरकंटक में आए दिन अति विशिष्ट व्यक्तियों का आगमन होता है और लाखों पर्यटक-तीर्थयात्री यहां भ्रमण हेतु आते हैं।
*तीव्र मांग तत्काल सुधार की आवश्यकता*
पश्चिम बंगाल के कोलकाता, वर्धमान और उत्तर प्रदेश के कानपुर व बनारस से आए श्रद्धालु तीर्थयात्रियों सहित स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि मार्ग की तत्काल मरम्मत सुनिश्चित की जाए। अन्यथा, यह मार्ग एक बड़े जनआक्रोश का कारण बन सकता है। निष्कर्षत, कपिलधारा मार्ग केवल एक सड़क नहीं, यह आस्था और पर्यटन को जोड़ने वाली जीवनरेखा है। इसकी मरम्मत और रख-रखाव में लापरवाही न केवल दुर्घटनाओं का कारण बन रही है, बल्कि अमरकंटक की छवि को भी धूमिल कर रही है। अब समय आ गया है कि प्रशासन त्वरित संज्ञान लेकर ठोस कदम उठाए।