सचिव को लोकायुक्त ने 1 हजार की रिश्वत लेते किया ट्रैप, एनओसी जारी करने के लिए मांगा था रुपए
*500 रुपए पहले ले चुका था रिश्वत, गोहपारू जनपद का मामला*
शहडोल
जिले के गोहपारू जनपद की ग्राम पंचायत गोहपारू के सचिव और जनपद पंचायत अंतर्गत खोहरी ग्राम पंचायत के प्रभारी सचिव मंगल यादव को लोकायुक्त रीवा की टीम ने रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ लिया है। सचिव पर आरोप है कि वह एक युवक से दुकान में विद्युत मीटर लगवाने के लिए आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करने के बदले 1500 रुपए की रिश्वत की माँग कर रहा था। शिकायतकर्ता धीरेन्द्र कुमार सिंह, उम्र 26 वर्ष, निवासी ग्राम टेटकी, थाना गोहपारू ने लोकायुक्त रीवा कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी कि पंचायत सचिव मंगल यादव उनसे दुकान के लिए विद्युत कनेक्शन हेतु आवश्यक एनओसी देने के बदले 1500 रुपये की मांग कर रहा है। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार पाटीदार के निर्देश पर मामले की प्राथमिक जांच कराई गई।
सत्यापन के दौरान यह सामने आया कि सचिव ने पहले ही शिकायतकर्ता से 500 रुपये रिश्वत के तौर पर स्वीकार कर लिए थे, और शेष 1000 रुपये की राशि 22 जुलाई को पंचायत भवन के सामने बुलाकर लेने वाला था। लोकायुक्त टीम ने योजनाबद्ध तरीके से जाल बिछाया और जैसे ही आरोपी सचिव ने शिकायतकर्ता से रिश्वत की शेष राशि ली, टीम ने मौके पर दबिश देकर उसे रंगेहाथ पकड़ लिया। पकड़े जाने के बाद आरोपी सचिव को जयसिंहनगर रेस्ट हाउस लाया गया, जहां उससे पूछताछ की जा रही है और आगे की कानूनी कार्यवाही जारी है। लोकायुक्त की इस कार्रवाई के बाद गोहपारू पंचायत और आसपास के क्षेत्रों में हड़कंप मच गया है।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मंगल यादव लंबे समय से पंचायत से संबंधित छोटे-छोटे कार्यों के एवज में लोगों से अवैध वसूली करता रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, नामांतरण जैसे सामान्य दस्तावेजों के लिए भी सचिव द्वारा परेशान किया जाता था और बार-बार रिश्वत की माँग की जाती थी। अब जब सचिव को रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा गया है, तो ग्रामीणों ने राहत की साँस ली है और प्रशासन से आरोपी पर कठोर कार्रवाई की माँग की है। लोगों का कहना है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही जरूरी है ताकि प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बनी रहे और आम जनता को बेवजह परेशान न होना पड़े।
इस ट्रैप की कार्रवाई में उप पुलिस अधीक्षक प्रवीण सिंह परिहार के नेतृत्व में 12 सदस्यीय लोकायुक्त टीम ने हिस्सा लिया। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) के तहत मामला दर्ज किया गया है और विधिवत कानूनी कार्यवाही की जा रही है।