रात के अंधेरे में बदमाशो ने कर्मचारी बंधक बनाकर चोरी करके ले गए ट्रांसफार्मर, सुरक्षा कर्मी सोते रहे
*प्रबंधन की कार्यशैली पर उठ रहे हैं सवाल*
अनूपपुर
जिले का कोतमा क्षेत्र "कोयला उत्पादन" के लिए नहीं, डकैती और लापरवाही के लिए जाना जा रहा है यहां अब सिर्फ खनन नहीं हो रहा, बल्कि व्यवस्था का कब्रिस्तान भी तैयार हो चुका है जहां पुलिस का लॉ एंड ऑर्डर दम तोड़ रहा है और प्रबंधन का जमीर पहले ही मर चुका है।
बीती रात की वारदात ने साबित कर दिया कि इस क्षेत्र में अपराधी राजा हैं और कर्मचारी उनके सामने निरीह प्रजा एसईसीएल के पंखा घर में तैनात राममनोहर, जो सिर्फ ड्यूटी निभा रहा था, उसकी किस्मत में ऐसा मंजर लिखा था जो एक आम आदमी की कल्पना से परे है रात के सन्नाटे में अचानक 15-16 बदमाश ऐसे घुसे जैसे उन्हें किसी सुरक्षा की कोई परवाह ही नहीं चारों ओर से घेरकर कर्मचारी को पटक दिया, मोबाइल छीना और कोठरी में बंद कर दिया, ये कोई चोरी नहीं थी, ये थी पूरी प्लानिंग के साथ की गई डकैती थी।
राममनोहर पूरी रात उस कोठरी में बंद रहा, ना खाना, ना पानी, ना मदद और उस दौरान बाहर अपराधी ट्रांसफॉर्मर तक उखाड़ ले गए सरकारी संपत्ति लुट गई, सिस्टम लुटता रहा, और पुलिस प्रशासन कुछ नही कर पाई। सुबह जब कर्मचारी किसी तरह बाहर निकला, तो नजारा ऐसा था जैसे किसी युद्ध के बाद का मैदान, सामान बिखरा पड़ा, ट्रांसफॉर्मर गायब हो चुका था।
पुलिस ने घटना के बाद वही पुराना राग अलापा “जांच चल रही है”, “जल्द कार्रवाई होगी”, “अज्ञात लोगों की तलाश है” लेकिन सवाल यह है कि जब अपराधी योजनाबद्ध तरीके से घुसते हैं, कर्मचारियों को बंधक बनाते हैं, और घंटों लूट मचाते हैं, तब पुलिस कहां होती है, क्या गश्त सिर्फ फाइलों में होती है। खान प्रबंधन जिनके मातहत ये पूरा सिस्टम चलता है, वो सिर्फ प्रेस नोट में निंदा कर देने से मुक्त हो जाएंगे?सीसीटीवी हैं तो फुटेज कहां है, सुरक्षाकर्मी हैं तो सो क्यों रहे थे, या फिर सब कुछ पहले से तय था। जब कोई कर्मचारी ड्यूटी पर होता है तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है। यह घटना केवल एक कर्मचारी पर हमला नहीं है, यह पूरे सरकारी सिस्टम पर हमला है यह उस लोकतंत्र की बेइज्जती है, जिसमें आम कर्मचारी भी सुरक्षित नहीं।