अवैध शराब का फैला साम्राज्य, दम तोड़ता कानून व्यवस्था, प्रशासन मौन, ठेकेदार को मिली खुली छूट

अवैध शराब का फैला साम्राज्य, दम तोड़ता कानून व्यवस्था, प्रशासन मौन, ठेकेदार को मिली खुली छूट

*शराब के नशे में डूब रही युवा पीढ़ी, झोली भर रहा माफिया*


अनूपपुर

जिले के फुनगा चौकी क्षेत्र में इन दिनों एक ऐसा अवैध व्यापार फल-फूल रहा है, जो न केवल कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहा है, बल्कि समाज की जड़ें भी खोखली कर रहा है शराब की यह अवैध आपूर्ति अब इतनी आम और बेशर्मी से हो रही है कि यह धंधा किसी ‘गुप्त तंत्र’ की तरह नहीं, बल्कि सार्वजनिक समानांतर कारोबार का रूप ले चुका है और सबसे अधिक हैरानी की बात यह है कि यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है।

जिले के ही जमुना कालरी स्थित एक स्वीकृत अंग्रेजी शराब दुकान से फुनगा, देवरी, अमलई, दैखल और पयारी जैसे गांवों में प्रतिदिन भारी मात्रा में शराब अवैध रूप से पहुंचाई जा रही है, यह आपूर्ति न किसी वैध लाइसेंस के तहत होती है, न किसी वैध विक्रय केंद्र के माध्यम से क्षेत्रीय सूत्रों का कहना है कि यह एक संगठित माफिया नेटवर्क है, जो स्थानीय स्तर पर दलालों कथित संरक्षक अधिकारियों और मुनाफाखोर तत्वों के गठजोड़ से चल रहा है

यह सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं है, बल्कि राज्य सरकार के राजस्व पर खुला हमला है, प्रत्येक अवैध बिक्री सरकार को आबकारी शुल्क, GST, लाइसेंस फीस और करों के रूप में मिलने वाली आय से वंचित करती है, जब इन गांवों में बेची जा रही शराब से सरकारी खजाने को लाभ नहीं हो रहा, तो साफ है कि लाखों का फायदा प्रतिदिन माफिया नेटवर्क की जेब में जा रहा है और यह नुकसान सीधा शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कों और जनसेवा की योजनाओं में महसूस किया जा सकता है।

1 जुलाई 2024 से लागू हुई भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) अब ऐसे अपराधों पर पुराने कानूनों से कहीं अधिक कठोरता से प्रहार करती है BNS की धाराएं 111 (संगठित आपराधिक गिरोह), 113 (विषैली वस्तुओं का वितरण), 120 (राजस्व हानि) और 136 (सरकारी कार्य में बाधा) जैसे प्रावधान अब किसी को भी सीधे जेल पहुंचाने में सक्षम हैं, बशर्ते इन्हें लागू करने की इच्छाशक्ति हो।

दुर्भाग्य से, अनूपपुर का प्रशासन अब तक खामोश तमाशबीन की भूमिका में है गांवों में लोग प्रशासन की निष्क्रियता से त्रस्त हैं युवा पीढ़ी शराब के नशे में डूब रही है, महिलाएं असुरक्षा महसूस कर रही हैं, और सामाजिक संरचना भीतर ही भीतर टूट रही है घरों में कलह, स्कूलों में उपेक्षा और गलियों में चलती बोतलों की दुकान यह सब सिर्फ नशे का दुष्परिणाम नहीं, प्रशासनिक उदासीनता का नतीजा है और इस उदासीनता का सबसे बड़ा प्रश्न यही है, जिन अधिकारियों को जनता के टैक्स से वेतन मिलता है, वे आखिर किस काम के लिए वेतन ले रहे हैं, जब ज़मीन पर उनका दायित्व पूरी तरह दम तोड़ चुका है? क्या ये पद सिर्फ वेतन लेने और कुर्सी गरम करने के लिए हैं, या फिर वास्तव में जनता की सुरक्षा, कानून का पालन और जिम्मेदार शासन देने के लिए।

अब समय है कि शासन और प्रशासन केवल कागजी खानापूर्ति से आगे बढ़कर जमुना कालरी की दुकान और उससे जुड़ी संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला की स्वतंत्र जांच करवाए जो भी अधिकारी, विक्रेता, दलाल या राजनैतिक तत्व इस धंधे से जुड़े हों उन पर भारतीय न्याय संहिता के तहत कठोरतम कार्रवाई की जाए। फुनगा की आवाज़ अब केवल शिकायत नहीं, आरोप और आक्रोश बन चुकी है, अगर इसे अब भी अनसुना किया गया, तो आने वाले समय में यह मामला केवल अवैध शराब तक सीमित नहीं रहेगा, यह पूरे अनूपपुर जिले की कानून व्यवस्था पर एक गंभीर धब्बा बन जाएगा।

*इनका कहना है*

पीडीएस गोदाम के पास शराब बिकने पर अभी हमने एक हफ्ता पहले ही वहां कार्यवाही की है और अगर फिर भी बंद नहीं हुआ है तो पुनः कार्रवाई करेंगे।

*अनुराग अवस्थी, फुनगा, चौकी प्रभारी*

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