बढ़ता अतिक्रमण सवालों के घेरे में पटवारी अश्विनी, करोड़ों की जमीन कौड़ियों में बेची, नर्मदा मैया के अस्तित्व पर संकट
अनूपपुर/अमरकंटक
पवित्र नगरी अमरकंटक, जो मां नर्मदा की उद्गम स्थली है, वहां अतिक्रमण का जाल दिन-ब-दिन फैलता जा रहा है। इस संवेदनशील और प्राकृतिक दृष्टि से अति-महत्वपूर्ण क्षेत्र में बढ़ते अतिक्रमण के लिए ज़िम्मेदार माना जा रहा है क्षेत्रीय पटवारी अश्विनी तिवारी को, जिन पर आरोप है कि उन्होंने करोड़ों की शासकीय भूमि को कौड़ियों के भाव बेचने में अतिक्रमणकारियों का साथ दिया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अमरकंटक के वार्ड क्रमांक 07 में एसईसीएल रेलवे गेस्ट हाउस के सामने की भूमि पर अवैध कब्जा कर वहां पूरी जमीन पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि इस स्पष्ट अतिक्रमण के बावजूद आज दिनांक तक संबंधित पटवारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जब कार्रवाई की मांग की जाती है तो पटवारी द्वारा यह कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है कि "ऊपर के अधिकारियों को भी खिलाना पड़ता है।" यह कथन प्रशासन की निष्क्रियता और भ्रष्ट तंत्र को उजागर करता है। अमरकंटक न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका प्राकृतिक सौंदर्य और जल स्रोत, विशेषकर मा नर्मदा का जल स्तर, लगातार घट रहा है। इसका एक प्रमुख कारण अंधाधुंध अतिक्रमण और प्रशासन की निष्क्रियता मानी जा रही है। स्थानीय जनता की मांग है कि ऐसे भ्रष्ट और अतिक्रमण को बढ़ावा देने वाले पटवारी को तत्काल प्रभाव से अमरकंटक से हटाया जाए और निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। अब प्रश्न यह है कि क्या मा नर्मदा की उद्गम स्थली की रक्षा के लिए प्रशासन कोई ठोस कदम उठाएगा, या फिर यह पवित्र नगरी भी भ्रष्टाचार की बलि चढ़ती रहेगी।