विकास के नाम पर खुलेआम डकैती, एक ही काम के 2 बार निकाल लिए रुपए
*पंचायत का कारनामा, विकास के नाम पर सिर्फ घोटाला*
अनूपपुर
ग्राम पंचायत पयारी क्रमांक-1 ने विकास कार्यों की आड़ में जिस बेशर्मी से सरकारी खजाने को लूटा है, वह न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि कानूनी अपराध की खुली किताब भी है। मनरेगा और 15वें वित्त आयोग जैसी योजनाओं को इन भ्रष्टाचारियों ने अपनी जेब भरने का ज़रिया बना लिया है। पंचायत ने विकास नहीं किया जनता के हक पर दिनदहाड़े डकैती डाली है।
वर्ष 2019-20 में छोटेलाल महरा के घर के पास ₹14,630 की लागत से एक शोक फिट का निर्माण हुआ था। इसके बावजूद, महज दो साल के भीतर, वहीं दोबारा निर्माण कार्य दिखाकर 15वें वित्त आयोग के फंड से ₹25,000 और उड़ा दिए गए। संतोष महरा के घर के पास भी यही घोटाला रचा गया पुराने निर्माण स्थल पर दोबारा काम दिखाकर फर्जी बिल बना दिया गया।
पंचायत का यह कारनामा किसी झूठे वादे जैसा नहीं, बल्कि सरकारी पैसों की सीधी लूट है। जिस जगह गड्ढा पहले ही खोदा जा चुका था, वहाँ फिर से गड्ढा खोदकर ये विकास का ढोल पीट रहे हैं। असलियत यह है कि ये लोग गड्ढे नहीं खोद रहे, जनता के विश्वास को गड्ढे में डाल रहे हैं। यह कोई चूक नहीं, यह सुनियोजित साजिश है, सरकारी तिजोरी से पैसे निकालने का, और गाँववालों के साथ धोखा करने का।
मनरेगा मजदूरी में भी इन्हीं कलाकारों ने खेल कर दिया। जहाँ मज़दूरी भुगतान ₹10,000 होना था, वहाँ ₹17,290 का फर्जी भुगतान करवा लिया। कागजों पर गाँव चमकाया जा रहा है और जमीन पर सड़ांध फैल रही है। पयारी न. 1 पंचायत अब विकास का नहीं, घोटालों का पर्याय बन चुकी है।
यह पंचायत नहीं, सरकारी डकैती का अड्डा है। यह सचिवालय नहीं, साजिश का केंद्र है। जनता की गाढ़ी कमाई को ऐसे लूटा गया है जैसे कोई डकैत बैंक लूट कर भागता है। पंचायत प्रतिनिधियों और जिम्मेदार अफसरों ने मिलकर यह साबित कर दिया कि उनका कोई ईमान बचा ही नहीं है। इन्हें न गरीबों की चिंता है, न विकास की। इन्हें चिंता है तो बस अपनी जेबें भरने की।
पंचायत के सरपंच से लेकर उपयंत्री तक, हर वह शख्स जो इस घोटाले में शामिल है, जनता के गुनहगार है। अब सवाल पूछे जाने चाहिए सिर्फ जांच नहीं, गिरफ्तारी होनी चाहिए। फर्जीवाड़ा करने वालों को जेल भेजकर उदाहरण पेश करना चाहिए, वरना गाँव-गाँव में यह लूट जारी रहेगी।।