बिना ठेकेदार के हो रहा एफएसटीपी निर्माण, नगरपालिका के संसाधनों का ठेकेदार कर रहा है उपयोग

बिना ठेकेदार के हो रहा एफएसटीपी निर्माण, नगरपालिका के संसाधनों का ठेकेदार कर रहा है उपयोग

*अध्यक्ष की कार्यप्रणाली संदेहास्पद, नपा की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल*


अनूपपुर

नगर पालिका कोतमा में फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) का निर्माण इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। हैरानी की बात यह है कि जिस कार्य के लिए बाकायदा ठेका दिया गया है, वहां ठेकेदार की गैरमौजूदगी के बावजूद नगर पालिका खुद अपने लेबर और जेसीबी मशीनों से निर्माण कार्य करा रही है। यह स्थिति न केवल निर्माण कार्य की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि प्रशासनिक नियमों की अनदेखी की भी आशंका जताई जा रही है। निर्माण स्थल पर ना तो संबंधित ठेकेदार मौजूद है और ना ही उसकी ओर से कोई सुपरवाइजरी टीम। इसके बावजूद नगर पालिका द्वारा मजदूरों और मशीनों से कार्य कराया जा रहा है।

*गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह*

अभी एफएसटीपी का कार्य पूरा होते ही दीवारों में क्रैक साफ देखने को मिलने लगा । ऊपर छत पर जो सीट का सैड लगाए गए हैं वह केवल दिखावा के लिए लगाए गए हैं, जबकि इस तरह के कई बार निर्माण किया जा चुका है, किंतु रात में चोरों द्वारा पूरी सेट को खोलकर ले जाया जाता है। 

*प्लांट केवल कागजी खानापूर्ति हेतु*

फिजिकल स्लाज ट्रीटमेंट प्लांट नगर पालिका द्वारा केवल खाना पूर्ति के लिए बनाया जा रहा है, स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम नगर में स्वच्छता का सर्वे करने आने वाली है, उसके पूर्व ही मात्र दिखावा के लिए यह प्लांट बैठाया जा रहा है।  निर्धारित स्थान में प्लांट बैठाने से पास से निकलने वाले नदी को भी नगर के गंदगी का रिसाव होने से नदी के पानी को भी प्रभावित कर सकता है, इस विषय पर नगर पालिका एवं स्वच्छता टीम को ध्यान देना चाहिए। 

*नपा के संसाधन से ठेकेदार को लाभ*

फिजिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट  निर्माण के लिए नगर पालिका द्वारा ठेका दिया गया है, जिसमें लगभग 7 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा, किंतु परिषद द्वारा स्वयं का संसाधन लगाकर प्लांट  निर्माण करने से नागरिकों ने सबसे बड़ा सवाल खड़ा किया कि नगर पालिका अध्यक्ष अजय शराफ की भूमिका को लेकर उठ रहा है। पूरे मामले पर उनकी चुप्पी संदेह को और गहरा रही है। अजय शराफ, जो पहले पारदर्शिता और जवाबदेही की बात करते थे, अब इस गंभीर विषय पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। उनकी निष्क्रियता ने जनप्रतिनिधित्व की जवाबदेही पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। नगरवासियों और कुछ पार्षदों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि कार्य स्वीकृत प्रक्रिया के बाहर कराया जा रहा है तो यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि भ्रष्टाचार की भी आशंका को जन्म देता है।

*इनका कहना है*

आपके माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई मैं इसे दिखवाता हूं । 

*आर एस मंडलोई, संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन शहडोल*

7:30 लाख रुपया का टेंडर मिला था, जिसमें हमने 2 महीने पहले ही हैंडओवर कर दिया है, अब नगर पालिका क्या करती है इसकी जानकारी मुझे नहीं हैं, पहले भी ट्रीटमेंट प्लांट बना था, जिसमें दो बार चोरी हुई और चोरों ने पूरा सेट और सामान चुरा ले गए, अब उसकी रिपोर्ट हुई कि नहीं मुझे जानकारी नहीं ।

*अंजनी सिंह ठेकेदार*

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