प्रगतिशील लेखक संघ के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हुआ कविता पाठ
अनूपपुर
प्रगतिशील लेखक संघ के स्थापना दिवस ( 9-10 अप्रैल ) पर एक कार्यक्रम प्रलेस के राष्ट्रीय सदस्य विजेंद्र सोनी के निवास पर विगत दिवस आयोजित हुआ।इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए विशेष रूप से सागर से राहुल भाईजी पहुँचे जो कि प्रदेश शांति समिति के अध्यक्ष हैं । यह कार्यक्रम उन्हीं की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ । इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना के बारे में विचार प्रस्तुत किए गए। सर्वप्रथम प्रलेस अध्यक्ष गिरीश पटेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रलेस के स्थापना दिवस के बारे में हम अक्सर यह विचार प्रस्तुत करते हैं कि सन् 1935 में लंदन के एक रेस्टोरेंट में सज्जाद ज़हीर, मुल्क राज आनंद, ज्योतिर्मय घोष और उनके कुछ भारतीय और अंग्रेज साथियों ने मिलकर प्रलेस की रूपरेखा बनाई, फिर जब ये भारत पहुँचे तो उन्होंने पूरे भारत में लेखकों से संपर्क कर चर्चा की और इसके फल स्वरूप 1936 के 9-10 अप्रैल को लखनऊ में एक वृहद सम्मेलन आयोजित किया जिसकी अध्यक्षता प्रेमचंद ने की । पर इतना जानना ही काफी नहीं होगा वास्तव में हमें यह जानना चाहिए कि प्रगतिशील लेखक संघ का तात्पर्य क्या है और इसके उद्देश्य क्या थे तथा अपने उद्देश्य में यह संघ कितना सफल हुआ । यह मूलतः वामपंथियों का संगठन है । वामपंथी , दक्षिणपंथी के इस विचार से सहमत नहीं हैं कि परंपरा,प्रथााओं और प्राकृतिक संतुलन से सारी समस्याओं का हल निकल जाएगा ।इसके लिए वैज्ञानिक और तर्क सम्मत विचार धारा ही कारगर होगी। प्रलेस अनुपपुर के संरक्षक राजेंद्र कुमार बियानी ने कहा कि प्रकृति संतुलन तो बनाती है जैसे गर्मी का पड़ना, पानी का भाप बनना,बादल होना और बारिश होना । विजेंद्र सोनी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ऐसा नहीं कि प्रगतिशील लेखक संघ के गठन के बाद ही लेखकों के विचार प्रगतिशील हुए । पहले भी प्रगतिशील लेखक थे जैसे कबीर, रैदास, रहीम मीरा आदि इसी तरह पृथ्वी की आकर्षण शक्ति न्यूटन के उद्भव के पहले भी थी तथा पृथ्वी गैलीलियो के पूर्व से चक्कर लगा रही है । उपाध्यक्ष बालगंगाधर सेंगर ने धर्मांन्धता और तरह-तरह के आडम्बरों की चर्चा करते हुए प्रगतिशील आंदोलन की भूमिका के बारे में अपने विचार व्यक्त किए । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राहुल भाईजी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जब प्रगतिशील लेखक संघ का गठन हुआ उस समय देश परतंत्र था और देश बड़े संकट पूर्ण दौर से गुजर रहा था, ऐसे में प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्यों के ऊपर बड़ी ज़िम्मेदारी थी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया ।
इसके पश्चात भूपेश भूषण, रामनारायण पाण्डेय, विजेंद्र सोनी, संरक्षक पवन छिब्बर और गिरीश पटेल ने कविता पाठ किया ।इस कार्यक्रम में राहुल भाईजी, राजेंद्र कुमार बियानी, गिरीश पटेल, विजेंद्र सोनी, रामनारायण पाण्डेय, आनंद पाण्डेय, भूपेश शर्मा, बालगंगाधर सेंगर, रावेंद्रकुमार सिंह भदौरिया,पवन छिब्बर तथा डॉक्टर असीम मुखर्जी ने शिरकत की ।