पंचायत का यह कैसा स्वच्छता अभियान, सामूहिक कचरा घर को बना दिया भूसा गोदाम
*निजी भूमि पर करा दिया कचरा घर का निर्माण*
अनूपपुर
जिले के अंतर्गत ग्राम पंचायत मुड़धोवा गांव राजाकछार में 7 लाख की सरकारी योजना पर निजी व्यक्ति का कब्जा, जिम्मेदार मीटिंग और तबीयत खराब की दे रहे दुहाई, सरकार की मंशा है कि नगरीय क्षेत्र के साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी स्वच्छता के लिए एक स्थायी ढांचा खड़ा किया जाए। जिसमें कचरे का नियमानुसार निपटान हो सके और ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाते हुए स्वस्थ्य जीवन की परिकल्पना किया जा सके। लेकिन यहां जिम्मेदारों की लापरवाही ने स्वच्छता अभियान का मखौल उड़ाते हुए लाखों की लागत से बने कचरा संग्रहण को निजी उपयोग का केन्द्र बन गया है। स्वच्छ भारत मिशन को जमीनी स्तर पर पलीता लगाने वाली एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। जनपद पंचायत बदरा अंतर्गत ग्राम पंचायत मुड़धोवा के राजाकछार गांव में वर्ष 2023-24 में 7 लाख रुपए की लागत से बनाए गया है। सूत्रों के मेरी जानकारी के अनुसार कचरा संग्रहण केंद्र पर गांव के ही एक निजी व्यक्ति ने कब्जा कर उसे भूसे का गोदाम बना दिया है। जिसके कारण अब यहां कचरा संग्रहण जैसी व्यवस्था नहीं संचालित हो रही, बल्कि यहां से भूसा विक्रय का काम किया जा रहा है। ग्रामीणों ने जब इस मुद्दे को उठाया तो उन्हें सिर्फ आश्वासन और बहाना ही मिले। जिम्मेदार अधिकारियों से जब जवाब मांगा गया तो पंचायत से लेकर जनपद के तक जिम्मेदारों ने बहाने बनाकर अपना पल्ला झाड़ लिया। सबसे आश्चर्य की बात है कि जब यह निर्माण पंचायत स्तर पर कराया जा रहा था तो जनपद पंचायत स्तर के अधिकारी ने किस आधार पर इस प्रपोजल को स्वीकृति प्रदान की और तब किसी ने इस पर कब्जा कर गोदाम बनाया तो जिम्मेदारों ने इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की, यानी मैदान क्षेत्र से अधिकारियों को कोई मतलब नहीं, सब एसी कक्ष के भीतर ही कागजों में व्यवस्थाओं की मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
*निजी भूमि पर कचरा घर का निर्माण*
यह आश्चर्य की बात है कि शासकीय सार्वजनिक निर्माण कार्य सरकारी भूमिखंड पर ही होते हैं। लेकिन राजाकछार में बनाया गया 7 लाख का सामूहिक कचरा घर निजी भूमि पर खड़ा किया गया है। यहां पंचायत के सचिव, सरपंच एवं इंजीनियर ने शासकीय भूमि की पैमाईश नहीं की और ना ही जांच की। राशि आई और बिना जमीन देखे निर्माण कार्य करा दिया गया। बताया जाता है कि निर्माण के दौरान भी आपत्ति उठाई गई, लेकिन जिम्मेदारों ने आंखें मूंद ली और जिसकी जमीन थी उसने रौब से उस पर निर्माण कार्य कर लिया। हालात यह है कि सम्बंधित भूमि निजी स्वामी का होने के कारण भूमि स्वामी अपना कब्जा दिखा रहा है। जिसके कारण यहां कचरा संग्रहण जैसा कोई काम नहीं हो पा रहा है।
जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं?
कानून कहता है कि सरकारी संपत्ति पर कब्जा करना भारतीय दंड संहिता की धारा 447 और 420 के तहत दंडनीय अपराध है। बावजूद इसपर कोई एफआईआर नहीं, कोई पंचनामा नहीं, न ही कोई नोटिस जारी किया गया है। आखिर जनपद पंचायत सीइओ या एसडीएम सहित जिला पंचायत कार्यालय ने इस लापरवाही पर जिम्मेदार पंचायत प्रतिनिधियों व सचिव पर कार्रवाई क्यों नहीं की यह भी बड़ा सवाल है? जब यह कचरा केंद्र बन रहा था, तो हम सबको उम्मीद थी कि अब गांव की सफाई व्यवस्था सुधरेगी। लेकिन अब यहां भूसा भरा है। बाहर कचरे के ढेर लगे हैं, जिससे मच्छर और बदबू की भरमार है। ग्रामीणों में आक्रोश है उनका कहना है कि अगर अधिकारी कार्रवाई नहीं करते तो वे आंदोलन करेंगे।
*इनका कहना है*
मैं जबलपुर मीटिंग में आया हूं। दोपहर 1 बजे बाद बात करता हूं।
*विमल साहू, तत्कालीन सचिव*
अभी मेरी तबीयत खराब है, शनिवार को आपसे बात करेंगे।
*राजूराम जोशी, सचिव*
आज मीटिंग में हूं, परसों बात करूंगी
*उषा किरण गुप्ता, सीइओ जनपद पंचायत बदरा*