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थाना पहुंचते-पहुंचते बलेनो बनी डिजायर, नामजद आरोपी का नाम दबाने में जुटी है पुलिस

*पिपरिया में हुई वृद्ध की मौत का मामला*

अनूपपुर

पिपरिया में हुए एक सड़क हादसे ने न केवल एक वृद्ध की जान ले ली, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, हादसे में शामिल गाड़ी एक मारुति बलेनो थी, लेकिन जब मामला कोतमा थाना पहुंचा तो वह गाड़ी मारुति डिजायर बन चुकी थी। इस घटना के बाद क्षेत्र में चर्चा है कि पुलिस जानबूझकर मामले को मोड़ने की कोशिश कर रही है ताकि एक कुख्यात शराब माफिया बाबू खान का नाम उजागर न हो। प्रत्यक्षदर्शियों और सूत्रों के अनुसार, अवैध शराब से लदी बलेनो को शराब ठेकेदारों के आदमी पीछा करते हुए पिपरिया तक पहुंचे थे, जहां गाड़ी ने वृद्ध को टक्कर मार दी।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिस गाड़ी से दुर्घटना हुई वह बाबू खान के नेटवर्क से जुड़ी थी, लेकिन पुलिस ने न तो एफआईआर में उसका नाम दर्ज किया और न ही गाड़ी के असली मालिक की पहचान उजागर की। यह वही बाबू खान है, जिसका नाम पूर्व में भी अवैध शराब के कारोबार में आ चुका है, लेकिन हर बार कोतमा पुलिस ने उसे बचा लिया। सूत्र बताते हैं कि बाबू खान के पास कई ऐसी गाड़ियां हैं जो उसके नाम पर नहीं हैं। कोतमा थाने में बरसों से खड़ी सफारी हो या होली पर पकड़ी गई स्कॉर्पियो – हर बार कोई न कोई तकनीकी खामी पुलिस कार्रवाई को रोक देती है।

बाबू खान की जड़ें उत्तर प्रदेश के गाजीपुर और बनारस से जुड़ी बताई जाती हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब जांच टीम कोतमा, शहडोल, बनारस और गहमर तक भेजी जा रही है। सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट रहा है। सभी पूछ रहे हैं – अगर हादसा बलेनो से हुआ, तो डिजायर थाने कैसे पहुंची? गाड़ी का नाम बदलने के पीछे कौन है? आरोपी का नाम एफआईआर में क्यों नहीं है। इस पूरे मामले ने कोतमा पुलिस की निष्पक्षता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। अब देखना यह होगा कि सोशल मीडिया के बढ़ते दबाव और जनता की जागरूकता के बीच पुलिस क्या कदम उठाती है – कार्रवाई या फिर एक और लीपापोती।

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रामनगर ओसीएम में खनन माफिया का राज, दिहाड़ी मजदूरों से करवा रहर है गैरकानूनी कार्य

*कोयला छंटवाने और स्टीम कोल की चोरी से उजागर होता भ्रष्टाचार*

अनूपपुर

एसईसीएल के हसदेव क्षेत्र अंतर्गत राजनगर ओपन कास्ट माइंस (ओसीएम) से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ खनन क्षेत्र में न केवल मानवाधिकारों की अनदेखी की जा रही है, बल्कि सरकारी कोयले की चोरी और भ्रष्टाचार का खेल भी खुलेआम खेला जा रहा है। राजनगर ओसीएम में गैरकानूनी रूप से काम कराए जा रहे दिहाड़ी मजदूरों को भारी खतरों वाले कोयला छंटाई कार्य में झोंका गया है। इन मजदूरों को बिना किसी प्रशिक्षण, सुरक्षा उपकरण या तकनीकी देखरेख के भारी मशीनों के आस-पास खड़ा कर कोयले की छंटाई करवाई जा रही है। यह कार्य खतरनाक परिस्थितियों में होता है, जिसमें जान जोखिम में रहती है, लेकिन प्रबंधन और प्रशासनिक तंत्र मौन है।

*दुर्घटना में जिम्मेदार कौन*

सबसे बड़ा सवाल यही है की अगर किसी मजदूर के साथ कोई दुर्घटना होती है, तो प्रबंधन उसका ज़िम्मेदार कौन होगा? इन मजदूरों को नियुक्त करने या उनसे यह काम करवाने की कोई आधिकारिक अनुमति ही नहीं ली गई है। ऐसे में प्रबंधन ना तो इन्हें अपना कर्मचारी मानेगा, ना ही अधिकृत मजदूर। उल्टा, अगर कोई हादसा होता है तो यही मजदूर “कोयला चोर” करार दिए जाएँगे, और प्रबंधन सारा दोष उनके सिर मढ़कर अपना पल्ला झाड़ लेगा। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि पूरी तरह अमानवीय और गैरकानूनी भी।

*गैरकानूनी नियुक्ति, गैरकानूनी काम*

खास बात यह है कि कोल इंडिया के नियमों के अनुसार “कोयला छांटने” जैसा कोई पद या कार्य आधिकारिक रूप से स्वीकृत ही नहीं है। फिर भी, यह कार्य राजनगर ओसीएम में निरंतर जारी है, जो कि पूरी तरह अवैध और गैरकानूनी है। यह इस बात का संकेत है कि खदान प्रबंधन और कुछ ठेकेदारों के बीच मिलीभगत से नियमों को ताक पर रखकर निजी हित साधे जा रहे हैं।

*स्टीम कोल की सुनियोजित लूट*

राजनगर ओसीएम से निकले ROM (Run of Mine) कोयले में अलग-अलग ग्रेड के कोयले का मिश्रण होता है, जिसमें Steam कोल् यानी कोयले के बड़े बड़े बड्ढे जो की देर तक जलते हैं जो की कीमती और मांग वाले होते है। आरोप है कि ROM से पहले ही अच्छे ग्रेड के Steam Coal को छांटकर मनचाहे ठेकेदारों और कंपनियों को बेचा जा रहा है। ये कंपनियाँ सस्ती दरों पर इस कोयले को पाती हैं और कागज़ों में इसे कम गुणवत्ता वाला दिखा कर मुनाफा बटोरती हैं।

*सरकारी राजस्व को भारी नुकसान*

इस पूरी प्रक्रिया में सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। पारदर्शिता और निगरानी के अभाव में खदानों से निकला कोयला अवैध रूप से निजी हाथों में पहुंचता है, जबकि आम जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिलता। यह खनन क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियंत्रित व्यवस्था का गंभीर संकेत है।

*प्रशासनिक चुप्पी व जवाबदेही का अभाव*

जब इस मामले पर खदान प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन से सवाल किए गए, तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। यह चुप्पी कहीं न कहीं मिलीभगत को दर्शाती है, जिससे यह संदेह और गहरा हो जाता है कि यह सारा तंत्र योजनाबद्ध तरीके से खड़ा किया गया है।

इनका कहना है।

मैं प्राइवेट कर्मचारियों के लिए पहले से ही मना करके रखा था फिर भी अगर यह कार्य हो रहा है तो आप मुझे फोटो उपलब्ध कारण मैं जल्दी ही इसकी कार्रवाई करवाता हूं 

*उमेश शर्मा, महाप्रबंधक हसदेव क्षेत्र एसईसीएल*

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पशु डॉक्टर रामपाल ने पशुओं से बनाई दूरी, इंसानों का कर रहा है इलाज, विभाग ने जारी किया नोटिस 

अनूपपुर 

जिले के सिंधौरा /पोड़ी पशु चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सक डॉ रामपाल पाटिल पर स्थानीय पशुपालकों ने गंभीर आरोप लगाए हैं , ग्रामीणों का कहना है कि रामपाल पशुओं के इलाज की जगह मनमानी करते हुए आदमियों का इलाज कर रहे हैं, जिससे पशुपालक समुदाय भारी नुकसान झेल रहा है। ग्रामीण संतोष दुबे ने अपनी शिकायती पत्र से  बताया कि जब पशुपालक उन्हें फोन करते हैं, तो वे कॉल उठाना भी जरूरी नहीं समझते। कभी मिल भी जाएं तो खुद को "कलेक्टर साहब का आदमी" बताकर बातों को टाल देते हैं। यह रवैया न केवल चिकित्सीय नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि इससे स्थानीय किसानों के पशु असमय मर रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।

पोंडी पशु औषधालय में मानव उपचार की शिकायत, विभाग ने जारी किया कारण बताओ नोटिस। पशुपालकों द्वारा बार-बार बुलाए जाने के बावजूद डॉ पनिका पशुओं के इलाज में टालमटोल करते हैं, जिससे क्षेत्र के पशुपालकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए विकासखण्ड पशु चिकित्सा अधिकारी, जैतहरी द्वारा रामपाल को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है। जारी पत्र में रामपाल को निर्देशित किया गया है कि वे तीन दिवस के भीतर  शिकायत पत्र में उल्लेखित शिकायतों पर बिंदुवार प्रतिवेदन प्रस्तुत करें तथा विगत माह की रोगी पंजी लेकर कार्यालय में उपस्थित हों। निर्धारित समयावधि में उत्तर न देने की स्थिति में उनके विरुद्ध एकपक्षीय अनुशासनात्मक कार्यवाही की चेतावनी दी गई है।

यह मामला अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है, और सभी की नजरें अब रामपाल द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले उत्तर तथा विभागीय कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि श्री पाटिल का व्यवहार अक्सर अभिमानपूर्ण रहता है और वह समय पर पशुओं की जांच या इलाज नहीं करते। वहीं दूसरी ओर, मनमाने ढंग से मानव मरीजों का इलाज कर पशु चिकित्सालय की मूल भावना का उल्लंघन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी से मांग की है कि इस मामले में संज्ञान लेकर संबंधित चिकित्सक पर उचित कार्यवाही की जाए, ताकि भविष्य में पशुपालकों को इस प्रकार की समस्याओं से न गुजरना पड़े।

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नीलकंठ कंपनी मजदूरो का कर रही है शोषण, आमाडाड़ ओसीपी को  पहुंचाया जा रहा है नुकसान, प्रबंधन मौन

अनूपपुर

कोल इंडिया की सह कंपनी एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र के आमाडाड़ ओसीपी में नीलकंठ कंपनी द्वारा कोयला एवं ओ.बी. उत्पादन का ठेका लिया गया है जो कि कोल इंडिया कंपनी के नियमों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से कोयला एवं ओ.बी. का उत्पादन किया जा रहा है। उक्त मनमानी को लेकर कोयला मजदूर सभा द्वारा कई बार जमुना कोतमा क्षेत्र के महाप्रबंधक को शिकायत कर कार्यवाही की मांग भी की गई।

कार्यवाही न होने के कारण कोयला मजदूरों का शोषण लगातार किया जा रहा है साथ ही कोल इंडिया की  कंपनी एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र के आमाडाड़ ओसीपी प्रबंधन को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। कोयला मजदूर सभा के नेता श्रीकांत शुक्ला ने पत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज कराया कि नीलकंठ कंपनी के द्वारा कोयला श्रमिकों का सादे कागज में सुपरवाईजर द्वारा नाम लिखकर कुछ कर्मचारियों का हस्ताक्षर कराकर एम.टी. के. ऑफिस में देकर फार्म डी में उपस्थिति दर्ज करवाई जा रही है, जबकि फार्म डी में उपस्थित इन और आउट करवाने के लिए संबंधित कर्मचारियों को खुद उपस्थित होना चाहिए। कुछ श्रमिकों की हाजिरी भी नहीं लगती और ना ही उनका कोई रिकॉर्ड दर्ज किया जा रहा है। कंपनी के सभी कर्मचारियों का फॉर्म ए भरा जाए जिसमें कि कर्मचारियों का पूरा विवरण उपलब्ध रह सके।

ठेकेदारी मजदूरों का व्हीटीसी, पी एम ई करवाया जाए, साथ ही पीएफ काटा जाए एवं पीएफ की कॉपी मजदूरों को उपलब्ध करवाया जाए। मजदूरों का परिचय पत्र बनवाया जाए जिसमें व्हीटीसी पी एम ई फॉर्म ए नंबर एवं पीएफ नंबर दर्शाया जाए। सभी मजदूरों को वेतन पर्ची  दिलाया जाए, कोयला मजदूरों एवं उनके आश्रित परिवारों का मेडिकल कार्ड बनवाया जाए एवं कालरी हॉस्पिटल में दवाई करवाई जाए जिसका भुगतान कंपनी के बिल से काटा जाए।  ठेका श्रमिकों को हाई पावर कमेटी की सिफारिश के अनुसार भुगतान नहीं दिया जा रहा है जबकि हाई पावर कमेटी की सिफारिश के अनुसार मजदूरों का एचपीसी रेट 90% कर्मचारियों को नहीं दिया जा रहा है। जबकि एस ई सी एल कंपनी से एचपीसी के रेट से नीलकंठ कंपनी भुगतान ले रहा है। जिससे कि ठेकेदारी कोयला मजदूरों का लगभग 1 करोड़ 30 लाख रुपए हर महीने मजदूरी कम दी जा रही है।  मजदूरों का शोषण कर कोल इंडिया कंपनी के मजदूरी नियमों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। प्रबंधन से मांग की गई है कि नियमों की अनदेखी पर रोक लगाते हुए कंपनी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए।

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पटवारी पर आदिवासी महिला की जमीन हड़पने का आरोप, बंटवारे के नाम पर कर दी रजिस्ट्री दूसरे के नाम

*अनपढ़ होने का उठाया फायदा, पुलिस अधीक्षक से हुई शिकायत*

शहडोल

ज़िले के गोहपारू विकासखंड अंतर्गत ग्राम मोहतरा में राजस्व विभाग की एक और शर्मनाक लापरवाही और भ्रष्ट आचरण का मामला सामने आया है। एक आदिवासी महिला द्वारा अपनी भूमि के बंटवारे के लिए दस्तावेज पटवारी को सौंपे गए थे, लेकिन विश्वासघात ऐसा हुआ कि महिला की भूमि किसी और के नाम पर रजिस्ट्री कर दी गई और चुपचाप नामांतरण की कार्रवाई भी कर दी गई। यह मामला न केवल एक महिला के साथ धोखा है, बल्कि आदिवासी अधिकारों की खुली अवहेलना और प्रशासनिक मशीनरी की संवेदनहीनता का भी प्रमाण है।

*बंटवारे की जगह किसी और के नाम रजिस्ट्री*

पूरा मामला गोहपारू तहसील के ग्राम मोहतरा निवासी सुमदिय सिंह गोंड पत्नी समयलाल सिंह गोंड से जुड़ा है। पीड़िता ने जिले के पुलिस अधीक्षक को दिए गए शिकायत पत्र में बताया कि उसने अपनी भूमि  खसरा नंबर 785/1/1, रकबा 0.392 हेक्टेयर और 961/1, रकबा 0.072 हेक्टेयर  का बंटवारा कराने के लिए संबंधित हल्का पटवारी अकबर खान को सभी जरूरी दस्तावेज सौंपे थे। लेकिन, उस पर विश्वास करना भारी पड़ा। पीड़िता का आरोप है कि पटवारी ने उसके दिए गए दस्तावेजों में छेड़छाड़ करते हुए उक्त भूमि की रजिस्ट्री किसी अन्य व्यक्ति  ग्राम चन्दौल निवासी शेर सिंह पिता दाद्दा सिंह के नाम पर कर दी। वह भी दिनांक 5 मार्च 2025 को, बिना महिला को सूचित किए। यह साफ तौर पर सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ और आदिवासी अधिकारों का खुला उल्लंघन है।

*अनपढ़ होने का उठाया फायदा*

सुमदिय सिंह ने बताया कि वह पढ़ी-लिखी नहीं है, और इसी कमजोरी का लाभ उठाकर पटवारी ने उसे धोखे में रखकर गोहपारू-जयपुर रोड पर स्थित अपने कार्यालय में बुलाया और कुछ कागज़ों पर हस्ताक्षर करवाए। महिला को यह विश्वास था कि यह कार्य सिर्फ बंटवारे से संबंधित है, लेकिन सच्चाई यह थी कि उसकी ज़मीन अब किसी और के नाम चढ़ चुकी थी। पीड़िता के अनुसार, उसकी जिस भूमि का पटवारी ने रजिस्ट्री और नामांतरण कर दिया, उस पर उसका मकान भी बना हुआ है, जिसमें उसका बड़ा बेटा अपने पूरे परिवार के साथ वर्षों से निवास करता है। अब स्थिति यह है कि उसकी ज़मीन सरकारी रिकॉर्ड में किसी और के नाम दर्ज हो चुकी है।

*नही दी नामांतरण की नकल*

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब पीड़िता ने गोहपारू तहसील से नामांतरण की नकल पाने के लिए आवेदन दिया, तो उसे कोई जवाब नहीं मिला। आज तक वह नकल उसे नहीं दी गई है। यह दिखाता है कि न केवल पटवारी स्तर पर गड़बड़ी हुई है, बल्कि तहसील कार्यालय में भी इस मामले को दबाने की कोशिश हो रही है।

*आदिवासियों के अधिकारों पर हमला*

यह मामला केवल एक महिला के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समुदाय के भूमि अधिकारों पर एक संगठित हमला प्रतीत होता है। जिस प्रशासन से सुरक्षा की उम्मीद की जाती है, वही अब शोषण का माध्यम बन गया है। इस घटना से यह स्पष्ट है कि राजस्व विभाग में बैठे कुछ अधिकारी न केवल अपनी जिम्मेदारी से विमुख हैं, बल्कि कानून और नैतिकता की खुली धज्जियाँ भी उड़ा रहे हैं।

*प्रशासन पर सवाल*

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या ऐसे मामलों में शासन-प्रशासन की कोई जिम्मेदारी तय की जाएगी? क्या पटवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी? क्या संबंधित तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक से जवाबदेही तय की जाएगी? या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह “जांच जारी है” की चादर में दबा दिया जाएगा?

*कठोर कार्रवाई की मांग*

स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि इस मामले में कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह पूरे क्षेत्र में आदिवासी, निर्धन और अशिक्षित लोगों के बीच एक भय का वातावरण पैदा कर देगा। लोग पटवारी और राजस्व कर्मचारियों पर विश्वास खो देंगे, और भूमि से जुड़े मामलों में भ्रष्टाचार और भी बढ़ता जाएगा, ऐसे मामलो में कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।

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भू माफिया मनोज तांगड़ी व अन्य राजस्व अधिकारियों से मिलकर मचा रखा है जमीन खरीदी बिक्री का तांडव- मनीष

शहडोल

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी (विधि विभाग) के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष श्रीवास्तव "एडवोकेट" ने कहा कि संभागीय मुख्यालय सहित समीपस्थ ग्रामों और जिले के गोहपारू, जयसिंहनगर,ब्योहारी बुढार एवं धनपुरी व अन्य क्षेत्रों में भी निजी,कृषि एवं सरकारी जमीनों को अन्य खसरा नंबरों का दिखाकर लगातार सरकारी जमीनों पर प्लाटिंग कर कब्जा दिला रहा है विख्यात भू माफिया नवयुवक  वार्ड नंबर 28 ईरानी बाड़ा के पास, शहडोल का निवासी मनोज तांगड़ी।

इस भू माफिया और इसके साथियों के द्वारा संभागीय मुख्यालय की नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर 28 के विभिन्न खसरा नंबरों पर खासकर 120 एवं 52 नंबर तथा वार्ड नंबर 29 के विभिन्न खसरा नंबरों साथ ही सिंदरी ग्राम पंचायत के खसरा नंबर 909, 910, 911, 912, 913, 914,915 एवं 832 में रफा के स्तर पर प्लाटिंग की जा रही है,इनमें से अधिकांश खसरा नंबर आदिवासी समुदाय बैगा जाति एवं शासकीय हैं इसके द्वारा खसरा नंबर 909 का बात कर आदिवासियों की जमीनों एवं सरकारी जमीन पर कब्जा दिया जा रहा है उसमें भवन निर्माण भी हो रहे हैं।

मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि जिले की लगभग सभी तहसीलों के राजस्व अधिकारियों की मिली भगत से इसका मनोबल इतना बढ़ गया है कि संभागीय मुख्यालय के आसपास के ग्रामों के साथ-साथ गोहपारू, जयसिंहनगर और ब्योहारी तहसीलों में तक जाकर तांगड़ी और इसके साथी कृषि एवं सरकारी जमीनों पर प्लाटिंग का अंधाधुंध फर्जी बाड़ा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि संभाग के कमिश्नर और जिले के कलेक्टर से बार-बार विभिन्न शिकायतें होने के बाद भी इन पर कार्यवाही न करना और अधीनस्थ अनुविभागी अधिकारी, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक के भरोसे रहकर मनोज तांगड़ी और इसके साथियों को एक तरह से संरक्षण देना है क्या ऐसा कारण है जो इनका संरक्षण दिया जा रहा है और उनके कार्यों और क्रियाकलापों की जांच नहीं की जा रही है।

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45 वर्षीय मुन्ने लाल लापता,  पार्क प्रबंधक एवं पुलिस जुटी जांच में 

उमरिया

पार्क अधिकारियों और स्थानीय जनों से जो अपुष्ट खबर सामने आ रही है, उसके मुताबिक स्थानीय मुन्ने लाल मंगलवार से लापता है,परिजनों ने इसकी पतासाजी को लेकर गांव में और दूसरे रिश्तेदारों के इधर तलाशी भी की, परन्तु पिछले तीन दिनों से 45 वर्षीय मुन्ने लाल का कही कुछ पता नही चला है। सुबह से फर्जी खबर वायरल हो रही थी कि युवक का शव कलवाह परिक्षेत्र अंदर जंगल मे देखा गया है, जिसकी पुष्टि के लिए मानपुर एवम कलवाह टीम ने सर्च ऑपरेशन भी किया पर फिलहाल घटना स्थल या उसके आसपास के क्षेत्रों में कही भी इंसानी शव नही देखा गया है। पार्क टीम चेचपुर गांव से सटे कलवाह और मानपुर के जंगल मे हाथियों की मदद से एक बार और सूक्ष्मता से सर्च ऑपरेशन करेगी, जिसकी विधिवत तैयारी की जा रही है, मौके पर पार्क टीम के अलावा सम्बन्धित परिक्षेत्र अधिकारी भी पहुंच चुके है। इस पूरे मामले में यह भी खबर है कि लापता मुन्ने लाल पिता राजा बैगा उम्र 45 वर्ष मानसिक रूप से कमज़ोर भी है,जिस वजह से ग्रह ग्राम चेचपुर ग्राम पंचायत-समरकोइनीसे अन्यत्र चले जाने की संभावना से भी इंकार नही किया जा सकता, मौके पर पहुंची मानपुर पुलिस इस द्रष्टिकोण से भी लापता युवक के पतासाजी का प्रयास कर रही है।

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युवाओं की टोली ने कमिश्नर सुरभि गुप्ता को भेंट किया सकोरा, कार्यों की दी जानकारी

उमरिया

ग्रीष्म काल को दृष्टिगत रखते हुए उमरिया युवा टीम द्वारा पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। गर्मी में मानव हो या फिर पशु-पक्षी सभी को ठंडे जल की तलाश रहती है। लोगों के लिए तो जगह-जगह प्याऊ व नल के साथ ही पानी की उचित व्यवस्था मिल ही जाती है, लेकिन पक्षियों व पशुओं को पानी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में लोगों की जिम्मेदारी है कि वे पक्षियों के लिए दाना व पानी की उचित व्यवस्था कर अपने जिम्मेदारी का निर्वाहन करें। ताकि खुले आसमान और धूप में विचरण करने वाले पंछियों को राहत मिल सके। पक्षियों के संरक्षण के उद्देश्य उमरिया जिले की सक्रिय युवाओं की टोली युवा टीम उमरिया ने पक्षियों के लिए कदम बढ़ाया है। युवाओं की टोली ने कमिश्नर शहडोल संभाग श्रीमती सुरभि गुप्ता को सकोरा भेंट किया तथा पक्षी मित्र हिमांशु तिवारी ने युवा टीम द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी । कमिश्नर सुरभि गुप्ता ने कहा कि युवा टीम उमरिया युवाओं की टोली का यह अत्यंत सराहनीय प्रयास है। युवाओं के इस प्रयास में हम सभी को अपनी सहभागिता निभाकर पक्षियों के लिए सकोरे बांधने चाहिए जिससे विलुप्त हो रहे पक्षियों का संरक्षण हो सके।

कमिश्नर सुरभि गुप्ता ने कहा इस पुनीत कार्य के लिए लोगो को जागृत करने व परिवार के साथ पक्षियों व पशुओं के लिए दाना पानी की व्यवस्था करने का संकल्प लें इससे पुण्य तो मिलेगा ही। साथ ही बच्चे पक्षियों की जान बचाने के लिए आगे आएंगे।ऐसे में हमारी यह जिम्मेदारी ही नही अपितु कर्तव्य भी है कि हम पक्षियों के लिए दाना व पानी की उचित व्यवस्था कर अपने मानव धर्म का निर्वहन करें। ताकि खुले आसमान और धूप में विचरण करने वाले पंछियों को राहत मिल सके। इस अवसर पर पक्षी मित्र हिमांशु तिवारी, पर्यावरण मित्र खुशी सेन,शिखा बर्मन भी उपस्थित रहे।

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पीसीसी रोड में भ्रष्टाचार, सरपंच पति-ठेकेदार-इंजीनियर पर आरोप

अनूपपुर

जनपद पंचायत अनूपपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत धुरवासिन कोटमी में पीसीसी (प्लेन सीमेंट कंक्रीट) रोड निर्माण में बड़ा घपला सामने आया है। मानकों के अनुसार रोड बनाने के लिए सीमेंट, रेत, बालू और गिट्टी का उपयोग होना था, लेकिन सरपंच पति के इशारे में ठेकेदारों ने मिट्टी और गिट्टी मिलाकर निर्माण कार्य कर दिया, जिससे सड़क की मजबूती पर सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह काम सरपंच के पति, ठेकेदार और इंजीनियर की मिलीभगत से हुआ है। शिकायत के बावजूद अभी तक कोई ठोस जांच नहीं हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि बार-बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे आरोपियों के हौसले बुलंद हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस मामले की तुरंत जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। सरकारी पैसे की लूट और गुणवत्ता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब देखना है कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है।

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