जन कल्याण का प्रमुख केन्द्र बना स्वामी भजनानंद वनवासी सेवा आश्रम केन्दई

जन कल्याण का प्रमुख केन्द्र बना स्वामी भजनानंद वनवासी सेवा आश्रम केन्दई 

*शिक्षा, संस्कृति, पर्यावरण, स्वास्थ्य ,धर्मजागरण के लिये कर रहे नि: स्वार्थ कार्य - स्वामी हरिहरानंद*


 

अनूपपुर/केन्दई/अमरकंटक 


मां नर्मदा की उद्गम स्थली अमरकंटक से चंद घंटों की दूरी पर कोरबा , छत्तीसगढ़ अन्तर्गत केन्दई स्थित स्वामी भजनानन्द वनवासी सेवा आश्रम पिछले 45 वर्षों से आसपास के सौ से अधिक गाँवों के लिये नि: स्वार्थ सेवा का प्रमुख केन्द्र बन कर उभरा है। 10 -- 19 मार्च 2023 तक इस केन्द्र में परमपूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री हरिहरानन्द सरस्वती जी महाराज की विशेष उपस्थिति में 42 वां श्री विष्णु महायज्ञ एवं वनवासी सामूहिक विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। इस विशाल आयोजन में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, उडीसा ,उत्तराखंड सहित कई राज्यों के हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।


सनातन धर्मप्रेमी सज्जन शक्तियों की एकजुटता से  सर्वभूतहिते रताः की पवित्र भावना से विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी स्वामी भजनानन्द वनवासी सेवा आश्रम, केंदई के तत्वावधान में ब्रह्मलीन परम पूज्य स्वामी शारदानन्द सरस्वती जी महाराज की कृपाछाया एवं महामण्डलेश्वर श्री स्वामी हरिहरानन्द सरस्वती जी महाराज की सादर उपस्थिति में शुक्रवार 10 मार्च से रविवार 19 मार्च  तक  विष्णु महायज्ञ एवं वनवासी सामूहिक विवाह महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया।  जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोगॊं सादर आमंत्रित किया गया । आयोजन स्थल वनवासी बाहुल्य क्षेत्र होने से यहाँ मानवीय संस्कृति के प्रचार-- प्रसार हेतु ऐसे आयोजन कम हो पाते हैं। ऐसे में इस तरह के आयोजन लोगों का ध्यानाकर्षण अवश्य करते हैं। 


॥ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणी पश्यन्तु मा कश्चिद्दुखभाग्भवेत् ॥ को मानव सेवा का मूल मंत्र मानते हुए स्वामी भजनानन्द वनवासी सेवा आश्रम, केन्दई अपने नि: स्वार्थ सेवा भाव के कारण इस क्षेत्र में लोकप्रिय है। अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिये प्रसिद्ध (छ.ग.) में बिलासपुर मंडल के कोरबा जिले के अंतर्गत साल वृक्षों से आच्छादित कल-कल निनाद करता जल प्रपात आध्यात्मिक और पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है -- केन्दई झरना । कलकल बहती जलधारा, झरझर बहता जल प्रपात सहज ही मन मोह लेता है ।आज से तिरालीस वर्ष पूर्व ईश्वरीय प्रेरणा से विष्णु महायज्ञ के माध्यम से पूज्य स्वामी शारदानन्द जी महाराज का यहां आगमन सदैव के लिये अपना बन गया। पूज्य महाराज जी को ऐसा अनुभव हुआ कि यह कोई दिव्य स्थान है, किसी सिद्ध संत की यह तपस्थली होगी ।


अपने सद्गुरु स्वामी भजनानन्द सरस्वती जी महाराज के नाम से स्वामी भजनानन्द वनवासी सेवा आश्रम की स्थापना करते हुए आधारशिला रखी। धन रहित अति गरीब वनवासी बाहुल्य क्षेत्र के लिये यह आश्रम वरदान बन गया। हिंसक जन्तुओं का बाहुल्य मध्यरात्रि में झींगुरों की झंकार, वन जंतुओं की आवाजें सहज ही भयभीत कर देती हैं। आश्रम में शनैः शनैः वनवासी सेवा को आधार बनाकर आगे बढ़ना प्रारंभ किया। विगत 43 वर्षो से बीच के दो वर्ष छोड़ 41 वर्षों से लगातार विष्णु महायज्ञ हो रहा है। जो वनवासी पहले डरते थे, भागते थे, वह आज आश्रम के अंग बनकर पूर्ण सहभागिता निभाते हुए स्वावलम्बन की सीढ़ी चढ़ रहे हैं ।

अठाईस वर्षों से स्वामी भजनानन्द वनवासी विद्यालय के द्वारा छात्र रूप में बालक बालिकाएं शिक्षा प्राप्त कर मानवता की सभ्य धारा में जुड़ रहे हैं। स्वावलम्बन के रूप में जहाँ वे साक्षरता की ओर आगे बढ़ रहे हैं वहीं कुटीर उद्योग जैसे कालीन, मोमबत्ती, अगरबत्ती, चटाई, कढ़ाई, सिलाई आदि के साथ बड़ी, पापड़ आदि का प्रशिक्षण साध्वी गिरिजेश नंदनी के कुशल नेतृत्व एवं संचालन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। लगभग ढाई सौ वनवासी बालक बालिकाओं एवं दस अध्यापक-अध्यापिकाओं से भरा आश्रम देव मंदिर ही है।


ईश्वर की प्रेरणा से विगत बाईस वर्षों से वनवासी बालक-बालिकाओं के सामूहिक विवाह से इस क्षेत्र की दिशा ही बदल गई है जो अपनी गरीबी के कारण विवाह जैसे पवित्र सनातन परम्परा को नहीं अपना पाते थे । यह भी महज संयोग ही है कि आज जब 55 से अधिक जोडों का सामूहिक विवाह हुआ तो इस आश्रम द्वारा विवाहित जोड़ों की संख्या 11108 हो गयी। अब आज वे सभी आज बड़े उत्साह से अपने माता-पिता के साथ आकर नव दम्पत्ति अग्नि की साक्षी में वैदिक विद्वानों द्वारा वेद मंत्रों के साथ सप्त भांवरें लेकर पवित्र वैवाहिक जीवन बिताते हैं। जन सहयोग से नव दम्पत्ति आश्रम द्वारा जीवन निर्वाह की आवश्यक सामग्री प्राप्त कर हर्षित होते हैं। हजारों वनवासी बिना किसी जाति, सम्प्रदाय, वर्ग के भाग लेते हैं और धीरे- धीरे दिल्ली, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, उत्तरप्रदेश आदि प्रान्तों से संपन्न उदारजन यज्ञ में पहुँचकर कन्यादान का सौभाग्य प्राप्त करने लगे हैं।


छ.ग. शासन भी इस आश्रम से सामूहिक विवाह की प्रेरणा प्राप्त कर शासकीय स्तर पर सामूहिक विवाह आयोजित कर रही है ,  जो गरीबों के लिये बहुत सुन्दर एवं मजबूत शुरुआत है । इस अवसर पर आश्रम में दस दिन आगन्तुकों की भोजन प्रसाद व्यवस्था रहती है। हजारों वनवासियों (आबालवृद्ध) की पहनने के वस्त्र, कंबल, साड़ी, धोती, कुर्ता से सेवा होती है ।छ.ग. गौ सेवा आयोग में पंजीकृत स्वामी भजनानन्द आदर्श गौशाला द्वारा लगभग 400 से अधिक गौ वंशों का संवर्धन एवं  पालन हो रहा है । आश्रम में लगभग तीस एकड़ भूमि का क्षेत्र है जिसमें अभी बहुत निर्माण कार्य चल रहा है। साधन रहित वनवासी क्षेत्र होने से ऐसे क्षेत्रों में शासन का भी ध्यान बहुत कम जाता । इसके बावजूद स्वामी श्री हरिहरानन्द जी महाराज , श्री योगेश दुबे अन्य तपस्वियों, संतों, श्रद्धालुओं का सेवाभावी संगठन पीडि़त ,दुखी ,आभावग्रस्त मानवता की सेवा के लिये सतत तत्पर है। यहाँ के लोगों का यह भी कहना है कि पिछले 45 वर्ष से यह आश्रम धर्मान्तरण के विरुद्ध मजबूती से कार्य कर रहा है।

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