सरपंच संघ ने 14 सूत्रीय मांग को लेकर प्रधानमंत्री के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

सरपंच संघ ने 14 सूत्रीय मांग को लेकर प्रधानमंत्री के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन


अनूपपुर/राजेन्द्रग्राम

सरपंच से संघ पुष्पराजगढ़ ने अपनी 14 सूत्रीय मांग को लेकर प्रधानमंत्री के नाम अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पुष्पराजगढ को लिखित ज्ञापन सौंपते हुये केंद्र एवं राज्य सरकार के नाम जिन्दाबाद मुर्दाबाद के नारे लगाते हुये अपनी आवाज बुलंद किये और मांग करते हुये कहा की ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजनान्तर्गत श्रमिकों की एनएमएमएस के माध्यम से अनिवार्य उपस्थिति के संबंध में सरपंचो प्रधानों के द्वारा दिनांक 31.01. 2023 का विरोध जताया गया।


*जो ग्राम सरकार की बात करेगा वो प्रदेश में राज करेगा*


सरपंच संघ द्वारा अपनी जायज मांग को लेकर कर रहे आंदोलन में कहा की जो ग्राम सरकार की बात करेगा वो प्रदेश में राज करेगा और सरकार को अल्टीमेटम देते हुये कहा की हमारी 14 सूत्रीय मांग "का' समाधान  सीघ्र ही नहीं हुआ तो सभी सरपंच प्रधानों के द्वारा सभी कार्य को बंद कर सभी सरपंच गण उग्र आन्दोलन करने के लिये मजबूर होंगें जिसकी समस्त जवाबदेही सरकार की होगी।


*सरपंच संघ द्वारा सौपे गये ज्ञापन 14 के मुख्य बिंदु*


1-एन.एम.एम.एस. से श्रमिकों की ऑनलाईन उपस्थिति असम्भव है। ग्राम पंचायतों के दूर दराज इलाकों में मोबाईल नेटवर्क की उपलब्धता नहीं है। आज दिनांक 04.02.2023 तक लाखों मजदूरों का एन.एम.एम.एस. जियों टैग न होने के कारण श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया है इसलिए सरपंच एवं श्रमिकों के बीच भुगतान को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। जब तक एन.एम.एम.एस. का ठोस विकल्प न हो मनरेगा श्रमिक भुगतान पूर्व अनुसार जारी रखा जाये।


2- मनरेगा प्रति दिवस मजदूरी दर 204 रूपये है जो कि ग्रामीण क्षेत्र के श्रमिकों से छलावा है इसी कारण ग्रामीण क्षेत्र के श्रमिक शहरों में पलायन के लिए विवश हैं और मजबूरी में ग्राम पंचायतों को विकास कार्यों में मशीनरी या दुगने रेट पर मजदूरों को लगाना पड़ता है। मजदूर मजदूरी की दर बजार की दर के बराबर होना चाहिए।


3- मजदूरों को कार्य की मूल्यांकन की मात्रा के अनुसार भुमतान का अधिकार ग्राम पंचायत को होना चाहिए ।


4- मनरेगा योजना कार्यों की सीमा ग्राम सभा को तय करने का अधिकार वापस दिया जाय और 20 कार्यो की सीमा समाप्त की जाय।


5- सामग्री का भुगतान मजदूरों के साथ ही किया जाये। सामग्री भुगतान एफआईएफओ के आधार पर होना चाहिए। जिन ग्राम पंचायतों में 60-40 लेबर मटेरियल का अनुपात मेनटेन है उनका भुगतान प्राथमिकता से किया जाये। जनपद और जिला के अनुपात को आधार न बनाया जाये।


6-181 का निराकरण संबंधित अधिकारी सरपंच सचिव व शिकायतकर्ता की उपस्थिति में पंचायत भवन में निपटारा किया जाये। शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत झूठी पाये जाने पर शिकायतकर्ता पर उसी शिकायत के निराकरण के आधार पर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिए


7- 07 दिसम्बर 2022 को माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने जो घोषणा की गई थी जिसमे सुदूर ग्राम सडक योजना, कपिलधारा कूप निर्माण, खेत समतलीकरण कार्य जिसे अतिशीघ्र प्रारम्भ कराये जाये। कपिलधारा कूप निर्माण की राशि में वृद्धि की जाये।


8-15वें वित्त की राशि का आवंटन वर्तमान जनसंख्या के आधार पर किया जाय 2011 की जनगणना को आधार न मानकर 2023 की एसएसएसएमआई की संख्या को आधार मानकर आवंटन किया जाये।


9-15वें वित्त की सम्पूर्ण राशि ग्राम पंचायत को दी जाय। ग्राम पंचायत की राशि को जनपद एवं जिला पंचायत को न दी जाय।


10- एक लाख रूपये स्वविवेक निधि प्रति वर्ष सरपंचों को दी जाय जिसका व्यय ग्राम सभा के अनुमोदन पर किया जाय।


11-ग्राम पंचायतों को आर्थिक तौर पर सुदृढ करने के लिए पूंजीगत निवेश अधोसंरचना कार्य जैसे हाट बाजार मुख्य स्थानों पर दुकाने एवं गोदाम निर्माण कार्य किये जाय जिससे ग्राम पंचायतों की आय में वृद्धि हो तथा मनरेगा योजना से किये जाने वाले कार्य की मजदूरी सामग्री का अनुपात 60-40 की अनिवार्यता न रखी जाये।


12-समाज के सभी व्यक्तियों की तरह सरपंचों को भी सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रबंध किया जाय चूंकि सरपंचों का सम्पूर्ण जीवन जनसेवा और ग्रामीण विकास के कार्य में निकल जाता है और वृद्धा अवस्था में समस्याओं से जूझना पडता है। अतः सरपंचों को सामाजिक पेंशन 2000.00 प्रति माह दिया जाय।


13-ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आने वाले सम्पूर्ण शासकीय भूमि पर सीमांकन अतिक्रमण हटाने एवं अन्य कार्य ग्राम सभा अनुमोदन अनुसार राजस्व विभाग एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारियों द्वारा तत्काल कार्यवाही कर ग्राम पंचायतों को सुपुर्द की जाय।


14- आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायतो मे पेशा एक्ट लागू हुआ है इस एक्ट के अन्तर्गत ऐसे प्रावधान न जोड़े जाये जिससे ग्राम पंचायतो की स्वतंत्रता को खतरा हो अर्थात दोहरी प्रशानिक व्यवस्था लागू न हो।


*विकास यात्रा का बहिष्कार करेगा सरपंच संघ*


समूचे प्रदेश में 05 फरवरी से चलाए जा रहे विकास यात्रा में सरपंच संघ द्वारा 14 सूत्रीय मांग को लेकर हुँकार भर दी और अनुरोध किया गया की लोकतंत्र की पहली ईकाई ग्राम पंचायत की राज्य व्यवस्था को सुदरण करने हेतु राष्ट्रीय सरपंच संघ के म.प्र. ईकाई की मांगो पर तत्काल विचार कर सात दिवस के अंदर पूरी की जाये अगर हमारी मांगो पर राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा विचार नहीं किया जाता है तो राष्ट्रीय सरपंच संघ भोपाल में महापंचायत बुलाकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन करते हुए राज्य सरकार के द्वारा विकास यात्रा का विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे जिसकी सम्पूर्ण जबाबदारी शासन प्रशासन की होगी।

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